Saturday 8 April 2017

नाभि

1. ईलाज

चुटकियों में ठीक हो जाएगी नाभि खिसकने की परेशानी, जानिए लक्षण और निदान की आसान विधि

आजकल की चिकित्सकीय दुनिया को हर किसी ने माना है, दवाओं के प्रयोग से डॉक्टर कम से कम समय में मरीज को हृष्ट-पुष्ट कर देते हैं।

बीमारियों को इस गति से काटने की उनकी क्षमता ने इलाज के पुराने एवं प्राचीन तरीकों को एक प्रकार से खत्म कर दिया है।

अब बहुत ही कम प्रतिशत में लोग आयुर्वेद या फिर अन्य प्राचीन चिकित्सा प्रणाली की ओर अपना रुझान दर्शाते हैं।

2. उनका इलाज

लेकिन साइंस कितना भी आगे क्यों ना बढ़ जाए, कुछ रोगों का इलाज प्राकृतिक रूप से ही किया जा सकता है।

या फिर आप यूं कह सकते हैं कि यदि डॉक्टर कोशिश भी करते हैं, तो ऐसे रोगों का इलाज उस गति से नहीं कर पाते, जितनी तेजी से ये प्राकृतिक एवं प्राचीन समय से चले आ रहे उपायों द्वारा किए जाते हैं।

3. नाभि का खिसकना

ऐसा ही एक रोग है नाभि का खिसकना जिसे आम लोगों की भाषा में धरण गिरना या फिर गोला खिसकना भी कहते हैं। यह एक ऐसी परेशानी है

जिसकी वजह से पेट में दर्द होता है। रोगी को समझ में भी नहीं आता कि ये दर्द किस वजह से हो रहा है, पेट दर्द की दवा लेने के बाद भी यह दर्द खत्म नहीं होता।

और केवल दर्द ही नहीं, कई बार नाभि खिसकने से दस्त भी लग जाते हैं।

4. महिलाओं में सबसे अधिक

वैसे तो ये परेशानी किसी को भी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर नाभि खिसकने की परेशानी महिलाओं में सबसे अधिक पाई गई है।

हर दूसरी महिला को ये परेशानी होना आम पाया गया है, लेकिन ये परेशानी क्यूं होती हैं और किन परिस्थितियों में जन्म लेती है, इसके भी अनेक कारण हैं।

5. कारण

इसका जवाब ‘योग’ प्रणाली में शामिल है। योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभिस्थान है। इसलिए किसी भी नाड़ी के अस्वस्थ होने से इसका कुछ प्रतिशत असर नाभिस्थान पर जरूर होता है।

6. आधुनिक जीवन-शैली एक वजह

दरअसल आधुनिक जीवन-शैली के चलते लोग अपने शरीर को धीरे-धीरे अस्वस्थ बना रहे हैं। रोजाना की भागदौड़ में वे समय से आहार नहीं लेते, कसरत कभी नहीं करते और यहां तक कि पूरी नींद भी नहीं लेते।

ऐसा करने से धीरे-धीरे शारीरिक नाड़ियां कमज़ोर पड़ने लगती हैं, जिसका सीधा असर नाभिस्थान पर होता है।

और महिलाओं में ये स्थान काफी कमज़ोर हो जाता है, उनकी नाभि बहुत जल्दी अव्यवस्थित हो जाती है।

7. और भी कारण हैं

लेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसे कारण हैं जहां ना चाहते हुए भी हम नाभि खिसकने का शिकार हो जाते हैं। जैसे कि खेलते-कूदते समय भी नाभि खिसक जाती है।

असावधानी से दाएं-बाएं झुकने, दोनों हाथों से या एक हाथ से अचानक भारी बोझ उठाने, तेजी से सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, सड़क पर चलते हुए गड्ढे में अचानक पैर चले जाने या अन्य कारणों से किसी एक पैर पर भार पड़ने या झटका लगने से नाभि इधर-उधर हो जाती है।

8. इसकी पहचान

लेकिन यहां एक सवाल उठता है कि कैसे पहचानें कि नाभि ही अपने स्थान से खिसक गई है। क्योंकि पेट दर्द होना आम बात है, कुछ गलत आहार लेने से या फिर अन्य समस्याओं से भी पेट दर्द हो सकता है।

इसके अलावा दस्त लगना भी कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है। किंतु ये कैसे पहचाना जाए कि किसी व्यक्ति विशेष की परेशानी का कारण नाभि खिसकना ही है।

9. कुछ खास तरीके

इसकी पहचान एक लिए कुछ खास तरीके बताए गए हैं। सबसे आसान तरीका है लेटकर नाभि को दबाकर जांच करना। रोगी को शवासन यानि कि बिलकुल सपाट लिटाकर, उसकी नाभि को हाथ की चारों अंगुलियों से दबाएं।

यदि नाभि के ठीक बिलकुल नीचे कोई धड़कन महसूस हो तो इसका मतलब है कि नाभि अपने स्थान पर ही है। लेकिन यही धड़कन यदि नाभि के नीच ना होकर कहीं आसपास महसूस हो रही हो, तो समझ जाएं कि नाभि अपनी जगह पर नहीं है।

10. दोनों हाथों में देखें

धरण गिरी है या नहीं इसे पहचानने का एक और तरीका है जो काफी प्रचलित भी है।

इसके लिए रोगी के दोनों हाथों की रेखाएं मिला कर छोटी अंगुली की लम्बाई चेक करें, दोनों अंगुलियों की रेखाएं बिलकुल बराबर रखें।

यदि मिलाने पर अंत में दोनों अंगुलियों की लंबाई में थोड़ा सा भी अंतर दिखे, तो इसका मतलब है कि धरण गिरी हुई है।

11. नाभि खिसकने की पुष्टि

इन दो तरीकों से आसानी से नाभि खिसकने की पुष्टि की जा सकती है। अब यदि रोगी की परेशानी का कारण जान लेने के बाद, उसका निवारण भी जानना आवश्यक है।

इसके लिए हम यहां कुछ उपाय बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से बिना किसी दवा के नाभि अपने स्थान पर वापस आ जाएगी।

12. पहला उपाय

10 ग्राम सौंफ और 50 ग्राम गुड़ को पीसकर मिला लें और सुबह खाली पेट अच्छी तरह चबा-चबाकर खा लें। यदि एक बार खाने पर नाभि ठीक न हो तो दूसरे दिन या तीसरे दिन भी खा लें। इस उपाय से नाभि यकीनन जगह पर आ जाएगी।

13. दूसरा उपाय

नाभि खिसक गई है या नहीं, यह हमारे पांव की मदद से भी जाना जा सकता है। इसके लिए पीठ के बल लेट जाएं, दोनों पैरों को 10 डिग्री एंगल पर जोड़ें।

ऐसा करने पर यदि आपको दोनों पैर की लंबाई में अंतर दिखे, यानि कि एक पांव दूसरे से बड़ा है तो यकीनन नाभि टली हुई हैं।

14. निर्देश जानें

अब पुष्टि होने पर इसे ठीक करने के लिए छोटे पैर की टांग को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। इसे कुछ-कुछ इंच तक धीरे से ही ऊपर की ओर उठाएं, तकरीबन 9 इंच की ऊंचाई पर आने के बाद फिर धीरे-धीरे नीचे रखकर लंबी सांस लें। यही क्रिया दो बार और करें। इस क्रिया को सुबह शाम ख़ाली पेट करना है, इससे नाभि अपने स्थान पर आ जाती है।

15. पुराने नुस्खे

वैसे बड़े-बुजुर्गों के पास नाभि को अपने स्थान पर लाने के और भी कई तरीके होते हैं,

वे स्वयं अपने हाथों के या किसी यंत्र का आपके पेट पर सीधा प्रयोग करने से ही नाभि को अपनी लगह पर ले आते हैं।

लेकिन इन घरेलू नुस्खों को किसी विशेषज्ञ से ही करवाएं, क्योंकि स्वयं करने से बड़ी मुसीबत आ सकती है।

16. ऐसी गलती ना करें

यह नाभि यदि अपनी सही जगह पर आने की बजाय कहीं और खिसक गई तो बड़ा रोग हो सकता है।

ऊपर की ओर खिसकने से सांस की दिक्कत हो जाती है, लीवर की ओर चले जाने से वह खराब हो जाता है।

यदि नाभि पेट के बिलकुल मध्य में आ जाए तो मोटापा हो जाता है। इसलिए इससे अनजाने में छेड़खानी करने की कभी ना सोचें।

17. इन बातों का परहेज करें

एक और आखिरी बात, जिसका खास ख्याल रखने की जरूरत है। जब पता चल जाए कि नाभि खिसकने जैसी दिक्कत हो गई है, तो कुछ बातों का परहेज करना चाहिए।

जैसे कि गलती से भी भारी वजन ना उठाएं। यदि मजबूरी में उठाना भी पड़े तो उसे झटके से ना उठाएं।

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