1.बच्चे को मिट्टी खाने की आदत
छोटे बच्चों को अक्सर मिट्टी खाने की आदत पड़ जाती है और मिट्टी खाने से उन्हें कई प्रकार के रोग भी हो जाते हैं। इस आदत के कारण बच्चे का पेट भी खराब हो सकता है, पेट में दर्द भी होने लगता है। बच्चे के मिट्टी खाने के कारण उसके पेट में कीड़े भी हो जाते हैं। इसलिए बच्चे की इस आदत को छुड़ाना बहुत ही जरूरी है।
बच्चे की मिट्टी खाने की आदत छुड़ाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
बच्चे की मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने के लिए सबसे पहले मां को चाहिए कि बच्चे को मिट्टी में खेलने से रोका जाए।1 या 2 लौंग को पीसकर पानी में डालकर उबालते हैं। इसके बाद बच्चे को 1-1 चम्मच सुबह, दोपहर तथा शाम को यह पानी पिलाते हैं। इससे बच्चे की मिट्टी खाने की आदत जल्दी ही छूट जाती है।
2.बच्चे के पेट में कब्ज होना
यह रोग बच्चे को मां के गलत तरीके से खान-पान की आदतों के कारण होता है। जब मां का दूध बहुत अधिक गाढ़ा होता है और जब बच्चा इस दूध को पीता है तो बच्चे को यह रोग हो जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य माता के भोजन पर निर्भर करता है। यदि मां रोगी है तो बच्चा भी बीमार होता रहेगा। इसलिए केवल बच्चे की चिकित्सा नहीं करनी चाहिए बल्कि बच्चे की चिकित्सा करने के साथ-साथ मां की भी चिकित्सा करनी चाहिए। इसलिए बच्चे के कब्ज रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले मां का इलाज करना चाहिए फिर बच्चे का।
बच्चे के पेट में कब्ज रहने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे पहले मां को अपने गलत खान-पान की आदतों को ठीक करना चाहिए।मां का दूध यदि गाढ़ा हो जाए तो उसे बच्चों के पीने योग्य बनाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेना चाहिए और फिर बच्चे को दूध पिलाना चाहिए।यदि मां का दूध गाढ़ा हो जाए तो बच्चे को उसके दूध की जगह पर फल तथा सब्जियों का रस पिलाना चाहिए।मुनक्का को पानी में भिगोकर रखना चाहिए, जब यह फूल जाए तो इसे मसलकर बच्चे को एक चम्मच दिन में 2-3 बार पिलाना चाहिए। इससे बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनता है।बच्चे की मां को फल अधिक मात्रा में खाने चाहिए और यदि बच्चा भी फल खा सकता हो तो उसे फल खिलाने चाहिए।बच्चे के इस रोग को ठीक करने के लिए बच्चे के पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए।बच्चे को एनिमा देने से बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनती है।हरड़ का चूर्ण काले नमक के साथ मिलाकर बच्चे को दिन में कम से कम 3 बार चटाना चाहिए। इससे बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनती है।बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनने देने के लिए बच्चे को दूध में ईसबगोल की भूसी मिलाकर रात के समय में पिलानी चाहिए। इस प्रकार से बच्चे का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनती है।
3.बच्चे को दूध की उल्टी होना
मां के दूध में यदि किसी प्रकार से पौष्टिकता की कमी होती है और बच्चा उस दूध को पीता है तो बच्चे को उल्टी होने लगती है। इसलिए इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे पहले मां को अपना इलाज करना चाहिए और फिर बच्चे की उल्टी का इलाज करना चाहिए। बच्चे का पेट भर जाने पर यदि फिर से दूध पिलाया जाए तो भी उसे उल्टी होने लगती है क्योंकि उस समय उसका पेट भरा रहता है। इसलिए बच्चे को दूध उतना ही पिलाना चाहिए जितनी बच्चे की भूख हो।
बच्चे की उल्टी आने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
बच्चे को यदि उल्टी होने लगे तो आंवला और मुनक्का को पानी में पीसकर फिर उस पानी को छान लेना चाहिए। इसके बाद इस पानी को शहद में मिलाकर आधा से एक चम्मच दिन में 3-4 बार बच्चे को पिलाना चाहिए। इससे बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।धनिया, सौंफ, जीरा, इलायची तथा पुदीना सभी को सामान मात्रा में लेकर ठंडे पानी में भिगो देना चाहिए। इसके बाद जब ये सारी चीजें फूल जाएं तो इन्हें पानी में ही मसल देना चाहिए तथा इसके बाद इस पानी को छान लेना चाहिए। इस पानी को 2-2 मिलीलीटर की मात्रा के अनुसार चम्मच से दिन में 3-4 बार बच्चे को पिलाना चाहिए। इससे बच्चे को उल्टी होना बंद हो जाती है।इलायची के बीजों को आग पर भूनकर चूर्ण बनाना चाहिए। इसके बाद इस चूर्ण को 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चे को दिन में 3 बार चटाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।5 से 10 मिलीलीटर नींबू के रस में थोड़ा सा पानी तथा नमक मिलाकर बच्चे को दिन में 2-3 बार पिलाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।नींबू का रस और अनार का रस मिलाकर बच्चे को पिलाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है। इस मिश्रण को शहद के साथ बच्चे को पिलाने से भी बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।बच्चे को 2-3 चम्मच चावल का मांड दिन में 3-4 बार पिलाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।बच्चे को उल्टी आने से रोकने के लिए मां को चाहिए कि बच्चे को उतना ही दूध पिलाए जितनी बच्चे को भूख हो।बच्चे को भूख से अधिक दूध कभी भी नहीं पिलाना चाहिए। इस प्रकार से बच्चे का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।
छोटे बच्चों को अक्सर मिट्टी खाने की आदत पड़ जाती है और मिट्टी खाने से उन्हें कई प्रकार के रोग भी हो जाते हैं। इस आदत के कारण बच्चे का पेट भी खराब हो सकता है, पेट में दर्द भी होने लगता है। बच्चे के मिट्टी खाने के कारण उसके पेट में कीड़े भी हो जाते हैं। इसलिए बच्चे की इस आदत को छुड़ाना बहुत ही जरूरी है।
बच्चे की मिट्टी खाने की आदत छुड़ाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
बच्चे की मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने के लिए सबसे पहले मां को चाहिए कि बच्चे को मिट्टी में खेलने से रोका जाए।1 या 2 लौंग को पीसकर पानी में डालकर उबालते हैं। इसके बाद बच्चे को 1-1 चम्मच सुबह, दोपहर तथा शाम को यह पानी पिलाते हैं। इससे बच्चे की मिट्टी खाने की आदत जल्दी ही छूट जाती है।
2.बच्चे के पेट में कब्ज होना
यह रोग बच्चे को मां के गलत तरीके से खान-पान की आदतों के कारण होता है। जब मां का दूध बहुत अधिक गाढ़ा होता है और जब बच्चा इस दूध को पीता है तो बच्चे को यह रोग हो जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य माता के भोजन पर निर्भर करता है। यदि मां रोगी है तो बच्चा भी बीमार होता रहेगा। इसलिए केवल बच्चे की चिकित्सा नहीं करनी चाहिए बल्कि बच्चे की चिकित्सा करने के साथ-साथ मां की भी चिकित्सा करनी चाहिए। इसलिए बच्चे के कब्ज रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले मां का इलाज करना चाहिए फिर बच्चे का।
बच्चे के पेट में कब्ज रहने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे पहले मां को अपने गलत खान-पान की आदतों को ठीक करना चाहिए।मां का दूध यदि गाढ़ा हो जाए तो उसे बच्चों के पीने योग्य बनाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेना चाहिए और फिर बच्चे को दूध पिलाना चाहिए।यदि मां का दूध गाढ़ा हो जाए तो बच्चे को उसके दूध की जगह पर फल तथा सब्जियों का रस पिलाना चाहिए।मुनक्का को पानी में भिगोकर रखना चाहिए, जब यह फूल जाए तो इसे मसलकर बच्चे को एक चम्मच दिन में 2-3 बार पिलाना चाहिए। इससे बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनता है।बच्चे की मां को फल अधिक मात्रा में खाने चाहिए और यदि बच्चा भी फल खा सकता हो तो उसे फल खिलाने चाहिए।बच्चे के इस रोग को ठीक करने के लिए बच्चे के पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए।बच्चे को एनिमा देने से बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनती है।हरड़ का चूर्ण काले नमक के साथ मिलाकर बच्चे को दिन में कम से कम 3 बार चटाना चाहिए। इससे बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनती है।बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनने देने के लिए बच्चे को दूध में ईसबगोल की भूसी मिलाकर रात के समय में पिलानी चाहिए। इस प्रकार से बच्चे का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से बच्चे के पेट में कब्ज नहीं बनती है।
3.बच्चे को दूध की उल्टी होना
मां के दूध में यदि किसी प्रकार से पौष्टिकता की कमी होती है और बच्चा उस दूध को पीता है तो बच्चे को उल्टी होने लगती है। इसलिए इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे पहले मां को अपना इलाज करना चाहिए और फिर बच्चे की उल्टी का इलाज करना चाहिए। बच्चे का पेट भर जाने पर यदि फिर से दूध पिलाया जाए तो भी उसे उल्टी होने लगती है क्योंकि उस समय उसका पेट भरा रहता है। इसलिए बच्चे को दूध उतना ही पिलाना चाहिए जितनी बच्चे की भूख हो।
बच्चे की उल्टी आने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
बच्चे को यदि उल्टी होने लगे तो आंवला और मुनक्का को पानी में पीसकर फिर उस पानी को छान लेना चाहिए। इसके बाद इस पानी को शहद में मिलाकर आधा से एक चम्मच दिन में 3-4 बार बच्चे को पिलाना चाहिए। इससे बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।धनिया, सौंफ, जीरा, इलायची तथा पुदीना सभी को सामान मात्रा में लेकर ठंडे पानी में भिगो देना चाहिए। इसके बाद जब ये सारी चीजें फूल जाएं तो इन्हें पानी में ही मसल देना चाहिए तथा इसके बाद इस पानी को छान लेना चाहिए। इस पानी को 2-2 मिलीलीटर की मात्रा के अनुसार चम्मच से दिन में 3-4 बार बच्चे को पिलाना चाहिए। इससे बच्चे को उल्टी होना बंद हो जाती है।इलायची के बीजों को आग पर भूनकर चूर्ण बनाना चाहिए। इसके बाद इस चूर्ण को 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चे को दिन में 3 बार चटाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।5 से 10 मिलीलीटर नींबू के रस में थोड़ा सा पानी तथा नमक मिलाकर बच्चे को दिन में 2-3 बार पिलाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।नींबू का रस और अनार का रस मिलाकर बच्चे को पिलाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है। इस मिश्रण को शहद के साथ बच्चे को पिलाने से भी बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।बच्चे को 2-3 चम्मच चावल का मांड दिन में 3-4 बार पिलाने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।बच्चे को उल्टी आने से रोकने के लिए मां को चाहिए कि बच्चे को उतना ही दूध पिलाए जितनी बच्चे को भूख हो।बच्चे को भूख से अधिक दूध कभी भी नहीं पिलाना चाहिए। इस प्रकार से बच्चे का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से बच्चे को उल्टी आना बंद हो जाती है।
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