Friday 22 December 2017

Aphrodisiac

An aphrodisiac is a medicine that improves virility and sexual performance, boosts libido, and treats disorders of the male reproductive system.
  1. Aphrodisiac agents are helpful for treating erectile dysfunction, loss of libido, oligospermia and other health concerns of men’s health.
  2. Aphrodisiac induces spermatogenesis, which helps to increase sperm count.
  3. Aphrodisiacs are useful for improving semen quality and sperm morphology.
  4. These substances improve libido and increase sexual pleasure.

Types of Aphrodisiac

Generally, Aphrodisiac medicine can be categorized into five main types:
  1. Spermatogenic
  2. Erectogenic
  3. Performance Booster
  4. Libido booster
  5. Semen Detoxifier and Quality Enhancer

Spermatogenic

This type of Aphrodisiac medicine increases sperm production by stimulating spermatogenesis. Therefore, this type of aphrodisiac is used to increase sperm count.

Indications

  1. Oligospermia - low number of sperm
  2. Impaired spermatogenesis

Examples

  • Asparagus Racemosus
  • Microstylis Wallichii
  • Mucuna Pruriens
  • Polygonatum Verticillatum
  • Roscoea Procera
  • Withania Somnifera

Erectogenic

This type of Aphrodisiac induces firm erection of penile tissue. These drugs have stimulant action. It increases blood circulation to the tissue and helps to improve ejaculatory functions.

Indications

  1. Erectile Dysfunction or Impotence
  2. Reduced firmness of penile tissue

Examples

  • Anacyclus Pyrethrum
  • Cannabis Sativa
  • Cassia Occidentalis
  • Myristica Fragrans
  • Strychnos Nux Vomica

Performance Booster

This type of Aphrodisiac improves sexual performance, increases the time of intercourse and sustains an erection for a longer period. However, these are not an erectogenic stimulant, but assists erectogenic agents for sustaining the erection by providing strength, increasing endurance, and improving stamina.

Indications

  1. Early Discharge (Premature Ejaculation)

Examples

  • Asparagus Racemosus
  • Cannabis Sativum
  • Cinnamomum Tamala
  • Glycyrrhiza Glabra
  • Mucuna Pruriens
  • Sida Cordifolia
  • Withania Somnifera

Libido booster

Such drugs improve the sexual desire.

Indications

  1. Loss of Libido

Examples

  • Anacyclus Pyrethrum
  • Asparagus Racemosus
  • Datura Stramonium
  • Hibiscus Abelmoschus
  • Papaver Somniferum
  • Withania Somnifera

Semen Detoxifier and Quality Enhancer

Drugs that improve the quality of sperm and semen content are sperm quality enhancers. These are used for detoxification of the semen content.

Indications

  1. Impaired spermatogenesis
  2. Teratospermia – defective or abnormal spermatic morphology
  3. Pyospermia (leukocytospermia)

Example

  • Anthocephalus Cadamba
  • Myrica Nagi
  • Saussurea Lappa
  • Sesamum Indicum
  • Triphala
  • Vetiveria Zizanioides
Note: A specific herb or ayurvedic medicine can have several medicinal properties, so it can also be an erectogenic as well as may acts as a libido booster. For example, Anacyclus Pyrethrum is also erectogenic as well as libido booster.

Sunday 17 December 2017

आमवात क्या है

            मुख्य लक्षण

इसमें जोड़ों में दर्द व सूजन रहती है। शरीर में संचारी वेदना होती है अर्थात दर्द कभी हाथों में होता है तो कभी पैरों में ।

मसुजन सहित शरीर के जोडों मे दर्द ,भुख कम लगना, आलस्य, शरीर मे भारीपन,मंद ज्वर,कटि शूल, और भोजन का पूरी तरह से परिपाक न होना, मुख के स्वाद का बदल जाना,दिन मे नींद आना और रात मे नींद का न आना, अधिक पुराना होने पर शरीर के जोडो मे विकृति आकर अंग मुड जाते है।

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 इस रोग में अधिकांशतः उपचार के पूर्व लंघन आवश्यक है तथा  प्रात: पानी प्रयोग एवं रेत या अँगीठी (सिगड़ी) का सेंक लाभदायक है। 

3 ग्राम सोंठ को 10 से 20 मि.ली. (1-2 चम्मच) अरण्डी के तेल के साथ खायें।

250 मि.ली. दूध एवं उतने ही पानी में दो लहसुन की कलियाँ, 1-1 चम्मच सोंठ और हरड़ तथा 1-1 दालचीनी और छोटी इलायची डालकर पकायें। 
पानी जल जाने पर वही दूध पीयें।

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           आहार - विहार व्यवस्था-

 जल्दी पचने वाला, लघु, उष्ण, और कम मात्रा मे आहार ग्रहण करे, लस्सी, चावल, ठन्डा पानी, कोल्ड ड्रिन्क्स, भारी खाना, तला हुआ भोजन, आदि से परहेज रखें। परवल और करेले या अन्य कटु साग सव्जीयों का प्रयोग ज्यादा करें , हमेशा कोष्ण जल का प्रयोग करें।

पथ्य----- जौ, कुल्थी की दाल, करेला, बथुआ, परवल, एरण्ड का तैल, अजवायन,पराने चावल, शहद, लहसून, सोंठ, मेथी, हल्दी का नित्य सेवन करें।

अपथ्य-------वेगावरोध,चिन्ता करना, शोक करना, दूध गुड, दुध मांस, दुध मछली, का सेवन, रात मे जागना, भारी खाना, अत्यधिक चिकने पदार्थों का सेवन।

आमवात मे हमेशा गर्म बालु रेत की पोटली बनाकर प्रभावित अंग को सेके और एक घन्टा तक हवा न लगने दें।

Friday 15 December 2017

शिलाजीत

शिलाजीत से क्या फायदे होते हैं?

आयुर्वेद में शिलाजीत के स्‍वास्‍थ्‍य लाभों को बहुत पहले ही परख लिया गया था। शिलाजीत एक बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक और दौर्बल्यनाशक दवा मानी जाती है। शिलाजीत देखने में काले तारकोल की तरह होती है। यह पत्थर की शिलाओं में ही पैदा होता है इसलिए इसे शिलाजीत कहा जाता है। शिलाजीत खाने से क्या फायदे होते हैं ? 

शिलाजीत हमारे शरीर के कई रोग जैसे, त्‍वचा, बाल, पेट, इम्‍यूनिटी, उम्र का बढ़ना, बाझपन, कफ, चर्बी, मधुमेह, श्वास, मिर्गी, बवासीर, गठिया की सूजन, कोढ़, पथरी, पेट के कीड़े तथा कई अन्य रोगों को नष्ट करने में सहायक होती है।

शिलाजीत का सेवन दूध, पानी या फिर फलों के रस के साथ करना चाहिये। अगर आप इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी से थक गए हैं और शरीर में थोड़ी सी ऊर्जा चाहते हैं, तो शिलाजीत का सेवन नियमित रूप से करना प्रारंभ कर दें। आइये जानते हैं इस खास जड़ी-बूटी के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ…

     आइये जानते हैं शिलाजीत से होने वाले 
               फायदे के बारे में :-
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उम्र घटाए: उच्च ऊर्जा और जैव उत्पादक गुणों से भरी शीलाजित नई कोशिकाओं को दुबारा बनाती है और पुरानी कोशिकाओं को मेंटेन करती है, जिससे उम्र कम लगती है।

 ★★
मधुमेह ठीक करे: अच्‍छी डाइट और शिलाजीत का नियमित सेवन ब्‍लड शुगर लेवल को बैलेंस कर के मधुमेह को कंट्रोल करता है।

 ★★
ऊजा बढ़ाए: शिलजीत के सेवन से शरीर में तुरंत ही ऊर्जा आती है। इससे प्रोटीन और विटामिन ज्‍यादा मात्रा में मिलता है।

★★
रक्‍त शुद्धी : यह नसों में खून के सर्कुलेशन को बढाती है और बीमारी को दूर रखने में मदद करती है।

★★
शरीर की सूजन मिटाए: यह आपके स्‍वास्‍थ्‍य को बना सकती है। अगर आपके शरीर में दर्द, सूजन या गठिया रोग है तो, शिलाजीत को रोजाना प्रयोग करें।

 ★★
दिमाग की शक्ति बढाए: ये तनाव , थकान को मिटा कर नर्वस सिस्टम को मज़बूत बनाती है। यह याददाश्त को तेज बनाती है और ध्‍यान को केन्‍द्रित करने में मदद करती है।

★★
पुरुष यौन शक्ति में वृद्धि: शिलाजीत पुरुष प्रजनन प्रणाली और कामेच्छा को बढ़ाती है। यह नपुंसकता और प्रीमिच्‍योर इजैक्‍यूलेशन की समस्‍या को दूर करती है।

★★
हड्डियों की बीमारी दूर करे: यह हमारी हड्डियों में मजबूती भरती है और गठिया तथा जोड़ों आदि के दर्द से राहत दिलाती है।

★★
तनाव दूर करे: यह तनाव पैदा करने वाले हार्मोन को बैलेंस करती है और शरीर तथा दिमाग को शांत और स्‍वस्‍थ बनाती है।

धात गिरना- ये होता क्यों है?

            धत रोग के लक्षण, उपाय,
             और देसी घरेलु उपाय

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आज के युग में अनैतिक सोच और अश्लीलता के बढ़ने के कारण आजकल युवक और युवती अक्सर अश्लील फिल्मे देखते और पढते है तथा गलत तरीके से अपने वीर्य और रज को बर्बाद करते है! अधिकतर लड़के-लड़कीयां अपने ख्यालों में ही शारीरिक संबंध बनाना भी शुरू कर देते है!

जिसके कारण उनका लिंग अधिक देर तक उत्तेजना की अवस्था में बना रहता है, और लेस ज्यादा मात्रा में बहनी शुरू हो जाती है! और ऐसा अधिकतर होते रहने पर एक वक़्त ऐसा भी आता है! जब स्थिति अधिक खराब हो जाती है और किसी लड़की का ख्याल मन में आते ही उनका लेस (वीर्य) बाहर निकल जाता है, और उनकी उत्तेजना शांत हो जाती है! ये एक प्रकार का रोग है जिसे शुक्रमेह कहते है!

वैसे इस लेस में वीर्य का कोई भी अंश देखने को नहीं मिलता है! लेकिन इसका काम पुरुष यौन-अंग की नाली को चिकना और गीला करने का होता है जो सम्बन्ध बनाते वक़्त वीर्य की गति से होने वाले नुकसान से लिंग को बचाता है!

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धात रोग का प्रमुख कारण क्या है? 

अधिक कामुक और अश्लील विचार रखना!
मन का अशांत रहना!

अक्सर किसी बात या किसी तरह का दुःख मन में होना!

दिमागी कमजोरी होना!

व्यक्ति के शरीर में पौषक पदार्थो और तत्वों व विटामिन्स की कमी हो जाने पर!

किसी बीमारी के चलते अधिक दवाई लेने पर 
व्यक्ति का शरीर कमजोर होना और उसकी प्रतिरोधक श्रमता की कमी होना!

अक्सर किसी बात का चिंता करना

पौरुष द्रव का पतला होना

यौन अंगो के नसों में कमजोरी आना

अपने पौरुष पदार्थ को व्यर्थ में निकालना व नष्ट करना (हस्तमैथुन अधिक करना)

            ★धात रोग के लक्षण क्या है?★

मल मूत्र त्याग में दबाव की इच्छा महसूस होना! 
धात रोग का इशारा करती है! 

लिंग के मुख से लार का टपकना!

पौरुष वीर्य का पानी जैसा पतला होना!

शरीर में कमजोरी आना!

छोटी सी बात पर तनाव में आ जाना!

हाथ पैर या शरीर के अन्य हिस्सों में कंपन या कपकपी होना!

पेट रोग से परेशान रहना या साफ़ न होना, कब्ज होना!
सांस से सम्बंधित परेशानी, श्वास रोग या खांसी होना!

शरीर की पिंडलियों में दर्द होना!

कम या अधिक चक्कर आना!

शरीर में हर समय थकान महसूस करना!

चुस्ती फुर्ती का खत्म होना!

मन का अप्रसन्न रहना और किसी भी काम में मन ना लगना इसके लक्षणों को दर्शाता है!

          ■धात रोग के आयुर्वेदिक उपाय■

गिलोय ( Tinospora ) : धात रोग से मुक्ति प्राप्त करने के लिए 2 चम्मच गिलोय के रस में 1 चम्मच शहद मिलकर लेना चाहिए!

आंवले ( Amla ) :  प्रतिदिन सुबह के वक़्त खाली पेट दो चम्मच आंवले के रस को शहद के साथ लें! इससे जल्द ही धात पुष्ट होने लगती है! सुबह शाम आंवले के चूर्ण को दूध में मिला कर लेने से भी धात रोग में बहूत लाभ मिलता है!

तुलसी ( Basil ):  3 से 4 ग्राम तुलसी के बीज और थोड़ी सी मिश्री दोनों को मिलाकर दोपहर का खाना खाने के बाद खाने से जल्दी ही लाभ होता है!

मुसली ( White Asparagus Abscendens ):  अगर 10 ग्राम सफ़ेद मुसली का चूर्ण में मिश्री मिलाकर खाया जाए और उसके बाद ऊपर से लगभग 500 ग्राम गाय का दूध पी लें तो अत्यंत लाभ करी होता है! इस उपाय से शरीर को अंदरूनी शक्ति मिलती है और व्यक्ति के शरीर को रोगों से लड़ने के लिए शक्ति मिलती है!

उड़द की दाल ( Udad Pulses ) : अगर उड़द की दाल को पीसकर उसे खांड में भुन लिया जाए और खांड में मिलाकर खाएं तो भी जबरदस्त लाभ जल्दी ही मिलता है!

जामुन की गुठली ( Kernels of Blackberry ): जामुन की गुठलियों को धुप में सुखाकर उसका पाउडर बना लें और उसे रोज दूध के साथ खाएं! कुछ हफ़्तों में करने पर ही आपका धात गिरना बंद हो जायेगा!

कौंच के बीज ( Kaunch Seeds ): अगर आपका वीर्य पतला है तो 100 – 100 ग्राम की मात्रा में मखाने (Dryfruit) और कौंच के बीज लेकर उन्हें पीस कर उनका चूर्ण बना लें और फिर उसमे 200 ग्राम पीसी हुई मिश्री मिला लें! अब इस मिश्रण के रोज  (आधा) ½ चम्मच को गुनगुने दूध में मिलाकर पियें! इससे आपका जल्द ही बहूत अधिक लाभ मिलेगा!

शतावरी मुलहठी ( Asparagus Liquorices ) :  50 ग्राम शतावरी, 50 ग्राम मुलहठी, 25 ग्राम छोटी इलायची के बीज, 25 ग्राम बंशलोचन, 25 ग्राम शीतलचीनी और 4 ग्राम बंगभस्म, 50 ग्राम सालब मिसरी लेकर इन सभी सामग्रियो को सुखाकर बारीक पिस लें! पीसने के बाद इसमे 60 ग्राम चाँदी का वर्क मिलाएं और प्राप्त चूर्ण को (60 ग्राम ) सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लें! 

                       ■धातु दवा■

कौंचबीज बीज 100 ग
आवला चुर्ण     100 ग
तुलसी बीज     100 ग
कीकर फली     100 ग 
सतावरी           100 ग
सफेद मूसली    100 ग
मिश्री              100 ग

सभी लो मिलाकर चुर्ण बनाए।

कैसे सेवन करे।
दिन में 3 बार 1-1चमच्च पानी से ले।
कम से कम 21 दिन कोर्स करे।
अगर पुराना धातु रोग है तो 90 दिन कोर्स करे।

परहेज 
खःटी वस्तु न ले।
गर्म वस्तु न ले।

ये उपाय पुराने से भी पुराने धात रोग को ठीक कर देता है!