मात्र 1पका हुवा कटहल(कोवा) गोटा(पूरा)
उस पके हुवे कटहल को बिच से बराबर काट कर उसके अंदर बिच की डंटी को बढ़िया से निकल दीजिये,सिर्फ डंटी को ही
पगल्पनि के मरीज के सर का बाल को मुड़वा कर उसे कुर्सी इत्यादि में अच्छे से हाथ पैर बांध कर,बैठा दीजिये
उस पके कटहल को उसके सर पर कोवा सहित टोपी जैसा पहना दीजिये
घडी से देख कर 1'1/2 डेढ़ घंटे बाद हटाइये,
आप देखिएगा उस कटहल में कीड़े नजर आ सकते हैं क्योंकि मस्तिस्क के कीड़ों को पके कटहल का सुगंध आकर्षित कर लेती है
और वे सब कटहल में समां जाते हैं। आप देखियेगा वो इसके बाद काफी गहरी निंद्रा में सोने लगेगा और फिर उठने के बाद वो खुद को स्वस्थ महशुस करेगा।
नोट:-ये घरेलु उपचार है इसका कोई बैज्ञानिक आधार नही है ।
पर हमारे एक मित्र द्वारा आजमाया नुस्खा है।जो सफल रहा था।
इसका कोई साइड इफेक्ट भी नही होगा और न ज्यादा समय और पैसा ही लगेगा।
अगर इतना करने से किसी ब्यक्ति को पागल पन से छुटकारा मिल जाये तो एक बार आजमाने में क्या हर्ज है।
आज हर गली चोराहे पर हजारों पागल घूमते है सायद उन्हें नई जिंदगी मिल जाये।
यही सोच कर ये बात मुझे जैसे पता चला आप सभी से साँझा कऱ रहा हूं।
सही होने की गारन्टी तो नही दे सकता पर एक बार आज्मने की सलाह जरूर दूँगा।
ये नुस्ख़ा हमारे मित्र मुकेश साव जी से पता चला जिसने अपने मित्र का ये इलाज करवाया था और वो आज स्वस्थ हैं।
आज हमारे समाज में अनगिनत पागल दीखते है जो जानवर की तरह जीवन बिता रहे हैं, कोई सहारा नही उनका स्टेसन बस स्टेंड इत्यादि जगहों पर जूठन खा कर जीने पर मजबूर हैं।
सायद वो इतने से सही हो जाये,
उस पके हुवे कटहल को बिच से बराबर काट कर उसके अंदर बिच की डंटी को बढ़िया से निकल दीजिये,सिर्फ डंटी को ही
पगल्पनि के मरीज के सर का बाल को मुड़वा कर उसे कुर्सी इत्यादि में अच्छे से हाथ पैर बांध कर,बैठा दीजिये
उस पके कटहल को उसके सर पर कोवा सहित टोपी जैसा पहना दीजिये
घडी से देख कर 1'1/2 डेढ़ घंटे बाद हटाइये,
आप देखिएगा उस कटहल में कीड़े नजर आ सकते हैं क्योंकि मस्तिस्क के कीड़ों को पके कटहल का सुगंध आकर्षित कर लेती है
और वे सब कटहल में समां जाते हैं। आप देखियेगा वो इसके बाद काफी गहरी निंद्रा में सोने लगेगा और फिर उठने के बाद वो खुद को स्वस्थ महशुस करेगा।
नोट:-ये घरेलु उपचार है इसका कोई बैज्ञानिक आधार नही है ।
पर हमारे एक मित्र द्वारा आजमाया नुस्खा है।जो सफल रहा था।
इसका कोई साइड इफेक्ट भी नही होगा और न ज्यादा समय और पैसा ही लगेगा।
अगर इतना करने से किसी ब्यक्ति को पागल पन से छुटकारा मिल जाये तो एक बार आजमाने में क्या हर्ज है।
आज हर गली चोराहे पर हजारों पागल घूमते है सायद उन्हें नई जिंदगी मिल जाये।
यही सोच कर ये बात मुझे जैसे पता चला आप सभी से साँझा कऱ रहा हूं।
सही होने की गारन्टी तो नही दे सकता पर एक बार आज्मने की सलाह जरूर दूँगा।
ये नुस्ख़ा हमारे मित्र मुकेश साव जी से पता चला जिसने अपने मित्र का ये इलाज करवाया था और वो आज स्वस्थ हैं।
आज हमारे समाज में अनगिनत पागल दीखते है जो जानवर की तरह जीवन बिता रहे हैं, कोई सहारा नही उनका स्टेसन बस स्टेंड इत्यादि जगहों पर जूठन खा कर जीने पर मजबूर हैं।
सायद वो इतने से सही हो जाये,
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