शुगर और मोटापे में अमृत समान स्टीविया एक ऐसा आयुर्वेदिक पौधा है जो डायबिटीज और मोटापे जैसी खतरनाक बीमारी से राहत दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है। गन्ने से तीन सौ गुणा अधिक मीठा होने के बावजूद स्टीविया पौधे फैट व शुगर से फ्री है। इतना अधिक मीठा होने के बावजूद यह शुगर को कम तो करता ही है साथ ही इसे रोकने में भी सहायक है।
Stevia को मीठे का एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है। यह मधुमेह और मोटापे की शिकायत वाले लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी है, क्योंकि यह शरीर के सर्करा स्तर को चीनी के समान प्रभावित नहीं करता है।
Stevia बहुवर्षीय कोमल हर्ब है जो रेतीली दोमट भुमि मे जहाँ पर पानी की बहुतायत हो उगाया जा सकता है यह बीज, कटिंग अथवा पौध से लगाकर रेपित किया जा सकता है। क्योकि इसकी पत्तियां ही उपयोग मे आती है। फलों को तोड़कर फैंक दिया जाता है। सामान्यतया, फूल रोपन के 50 दिन पश्चात दिखार्इ देने लग जाते है। अत: इनकी तुड़ार्इ इससे पुर्व करते रहना चाहिए। बाद मे हर 3 माह में पत्तियों की कटार्इ 3” तक काँट कर करनी चाहिये।
घर में उपयोग लेने की विधि
पाँच पौधे छोट 5 व बडे 2 गमलों में आधी रेतीली मिट्टी व आधा खाद भर कर लगावें। शुरू में रोजाना व बाद में हर तीसरे दिन पानी देवें। लगभग 50 दिन में पत्तियाँ भर जायेगी। फूल आने से पहले पौधों को जमीन से 3” ऊँचार्इ से काट कर पत्तियों को ताजा काम में लें अथवा छाया में सुखा कर मिक्सी में पीस कर रख सकते है व आवश्यक्तानुसार चीनी के रूप में चूर्ण को काम में ले सकते है।
मधुमेह रोगी स्टीविया का सेवन कैसे करें –
डायबिटीज के मरीजों के लिए मीठा खाना मना होता है, लेकिन Stevia जो कि चीनी से कई गुना मीठा होता है, उसे मधुमेह रोगी खा सकते हैं यह नुकसान नहीं करेगा।
अगर मधुमेह के मरीज कोई अन्य मिठाई खा रहे हैं तो उसके प्रभाव को कम करने के लिए मीठा खाने के तुरंत बाद आयुर्वेदिक पौधे स्टीविया की कुछ पत्तियां चबा लें।
स्टीमविया पौधे की मिठास गन्ने और शहद से तीन सौ गुणा अधिक होती है, इसके बावजूद यह फैट व शुगर से मुक्त है।
Stevia इतना अधिक मीठा होने के बावजूद शुगर को कम तो करता ही है साथ ही शुगर को बढ़ने से रोकने में भी सहायक है।
खाना खाने से बीस मिनट पहले या खाना खाने के बीस मिनट बाद Stevia की पत्तियों का सेवन करना चाहिए, यह बहुत फायदेमंद होता है।
स्टीविया का पौधा आसानी से घर में भी लगाया जा सकता है। एक बार लगाए गए पौधे को पांच साल तक प्रयोग में लाया जा सकता है।
पिछले कई सौ सालों से स्टीविया का स्वीटनर और मेडिसिन के रूप में उपयोग किया जा रहा है। विश्व के कई देशों की सरकारें इस पौधे को मान्यता दे चुकी हैं।
स्टीविया शुगर का अद्भुत अल्टरनेटिव होने के अलावा शुगर के मरीजों के लिए एकमात्र आर्टिफिशियल स्वीटनर है। इसमें शुगर की तरह फैट और कैलोरी नहीं होती है।
स्टीविया पैंक्रियाज से इंसुलिन को छोडने में अहम भूमिका निभाता है। यह शुगर के मरीजों के लिए वरदान है।
स्टीविया न केवल शुगर बल्कि ब्लड प्रेशर, हाईपरटेशन, दांतों के लिए, वजन कम करने, गैस और कब्ज, पेट की जलन, दिल की बीमारी, चमडे़ के रोग और चेहरे की झुर्रियों के लिए बहुत फायदेमंद है।
अगर इसका इस्तेमाल सामान्य तरीके से किया जाए तो यह सुरक्षित है। लेकिन, गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं और जो लोग ब्ल्ड प्रेशर या शुगर की दवा खा रहे हैं इसका सेवन संभल कर करें।
स्टीविया का इतिहास :-
पिछले पंद्रह सौ वर्षो से स्टीविया कास्वीटनर और मेडिसिनल के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। 1920 में स्टीविया को जापान ने शुगर के प्रमुख अल्टरनेटिव के रूप में शुरू किया था। स्टीविया के सुरक्षित प्रयोग का न केवल लंबा इतिहास है बल्कि इस पर लगभग 150 स्टडीज हो चुकी है। विश्व के लगभग 20 देशों की सरकारे इसे मान्यता भी दे चुकी है।डोना गेट्स की स्टीविया कुक बुक के सह लेखक डाक्टर रे शाहलीयन [एमडी] ने स्टीविया को शुगर का अद्भुत अल्टरनेटिव होने के अलावा शुगर के मरीजों के लिए एकमात्र ऐसा आर्टिफिशियल स्वीटनर बताया है। स्टीविया पैंक्रियाज से इंसुलिन को रिलीज करने में अहम भूमिका निभाता है। डिपार्टमेंट आफ एंडोक्रिनोलाजी एंड मेटाबालिज्म आर्थोस यूनिवर्सिटी हास्पिटल डेनमार्क, आयुर्वेद फार टोटल हेल्थ के संपादक डाक्टर अनूप गक्खड़ अनुसार स्टीविया एक हर्बल प्लांट है। यह शुगर के मरीजों के लिए वरदान है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों केअनुसार स्टीविया न केवल शुगर बल्कि ब्लड प्रेशर, हाईपरटेशन, दांतों, वजन कम करने, गैस, पेट की जलन, दिल की बीमारी, चमड़ी रोग और चेहरे की झुर्रियों की बीमारी में भी कामगार है।
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