Your nails can tell what the disease. आपका नाखून बता सकता है क्या रोग है|
जी हाँ यह सच है, हमारे हाथ और पैर के नाख़ून के रंग, रूप आदि में परिवर्तन से आपके शरीर में हो रहे या होने वाले रोगों का पता चल जाता है| एक चिकित्सक भी नाख़ून देख कर सही रोग निदान कर लेता है|
लीवर, किडनी,मधुमेह, हृदय रोग,फेफड़ो के रोग, सोराइसिस, पीलिया, थाइरोइड, आदि आदि रोगों के शरीर में घुसने के या होने के संकेत भी इन नाख़ून को देख कर ही पता चल सकती है| एक प्रकार से नाख़ून शरीर के रोग जानने की प्रारम्भिक खिड़की भी है| अत: यदि हम स्वयं के या परिवार के किसी सदस्य के नाखुनो में सामान्य से अलग कोई परिवर्तन देखें, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना ही चाहिए|
मनुष्य विशेष कर महिलाएं नाख़ून को सुन्दरता का प्रतीक मानती है| प्रतिवर्ष हजार करोड़ रूपये से अधिक धन नाख़ून की सजावट पर खर्च किया जाता है|
अक्सर विशेष कर महिलाये अपने नाखूनों की इन कमियों या परिवर्तन को नेल पालिश आदि की मदद से छुपाने का प्रयत्न करतीं है, और सफल भी होती है परन्तु वे इससे एक अनजाने खतरे की और अनायास बढती चली जातीं है| इसलिए नाखुनो में दिखने वाले परिवर्तनों के प्रति लापरवाही वाला नजरिया दुखदाई सिद्ध हो सकता है|
लगभग 30 वर्ष आयु तक सबसे तेज गति से बढ़ने वाले इन्सान के नाख़ून जीवन भर बढ़ते रहते हें, पैरों की तुलना में हाथों के नाख़ून अधिक तेजी से बढ़ते हें और दिलचस्प बात यह है की जितना अधिक इनको काटा जाता है उतनी ही तेजी से वे पुन: बड जाते हें| सर्दी के बजाय गर्मी के मोसम में ये अधिक तेजी से बढ़ते हें,
अंगुली की गोलाई के अनुसार गोल से, केरोटीन से बने ये नाख़ून हाथों की तुलना में पैरों के विशषकर अंगूठे के अधिक मोटे और मजबूत होते हें वे पेरों को अतिरिक्त मजबूती और सुरक्षा प्रदान करते हें|
आयुर्वेद के अनुसार क्रमश: रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, और शुक्र, शरीर में ये सात धातुएं बनती हैं, अस्थि के पूर्व मृदु अस्थि बनती है, जो नाख़ून, नाक, कान, आदि को आकार बनाये रखने में सहायक होती है| इन्हें कार्टिलेज भी कहा जाता है|
नाखून की बनावट रंग आदि, इन्सान के खान-पान, रहन-सहन, वातावरण, आयु, दवाओं के प्रभाव, चोट, संक्रमण, आदि से निरंतर प्रभावित होती रहती है| चूँकि मांस और मेद के बाद अस्थि बनती है अत: पोषण क्रम में अस्थि तक भोजन के पोषण का किस प्रकार का पदार्थ पहुँचता है उसी के अनुसार पर नाखून की रचना होने लगती है| इसी पोषण क्रम में बनने वाले द्रव्य शरीर के अन्य अंगों का भी पोषण और संचालन करते हें, इसी कारण अन्य अंग प्रभावित होते समय, वही परिवर्तन नाखूनों पर भी दिखाई देने लगता है|
उदाहरण के तोर पर यदि रक्त की कमी हो तो लाल रक्त कण कम होने से नाख़ून भी सफ़ेद से दिखने लगते हें|
नाखुनो के इन अन्य परिवर्तनों को समझें, रोग निदान करें|
पीत नख पीले नाखून Yellow nails – सामान्यतय आयु के कारण नाख़ून हल्के पीले हो सकते हें, यह लीवर की कमजोरी का प्रतीक है| युवाओं में धूम्रपान, नेल पोलिश में उपस्थित एक्रिलिक उन्हें पीला बना सकती है| पीले रंग के दागों के साथ यदि नाख़ून सामान्य अधिक मोटा लगने लगा हो, टूटने जैसा हो तो यह फंगल संक्रमण की और इशारा करता है| थायराइड, मधुमेह, सोरायसिस, या फेफड़ों में रोग होने पर भी पीले नाखून होने लगते हें|
पांडू नख (Pale Nails)- या धुंधले, फीके (faint) पड़ गए नाख़ून कभी कभी गंभीर रोग की सुचना देते हें| अक्सर रक्ताल्पता (खून की कमी), कन्जेस्टिव हृद रोग, (Congestive heart failure), यकृत (Liver) रोग, कुपोषण (Malnutrition), होने पर नाख़ून धुंधले पड जाते हें|
नील नख (Bluish Nails नीले नाखून Cyanosed)- नाखुनो का नीला सा होना फेफड़ों के रोग, ह्रदय रोग का संकेत देता है| जब किसी कारण से पर्याप्त आक्सीजन रक्त में नहीं पहुँच पाती, तो इसकी कमी नाखूनों दिखने लगती है|
शुष्क और भंगुर नख सूखे Dry & Brittle Nails , सूखे से, टूटे-फटे (Cracked),से आसानी से विखरने वाले नम पानी भरा वातावरण और हाथो का कई रसायन से सम्पर्क होने पर, नाख़ून भंगुर और शुष्क हो जाते हें| एसा अक्सर कपडे बर्तन धोने वालों और नेल पालिश रिमूवर का प्रयोग करने वालों का होता है| फंगल संक्रमण या थायराइड रोग विशेष रूप से हाइपोथायरायडिज्म होने पर भी नाख़ून शुष्क और भंगुर होते हें| विटामिन ए विटा बी और विटा सी, की कमी से भी नाख़ून की यह स्तिथि हो जाती है|
वक्र नख Curve nail or Clubbing – इसका अर्थ है नाखुनो के टेडा-मेडा हो जाना| इसमें नाख़ून के अगले सिरे पर सूजन सी भी होती है| यह यह फेफड़ों और ह्रदय रोग, में होता है, इसका सम्बन्ध एड्सरोग, किडनी रोग, और आंतों में सूजन (कोलाईटिस) की और भी इशारा करता है|
श्वेत नख White Nails – नाखूनों पर सफ़ेद रंग के धब्बे मिलना या पूरा सफ़ेद होना है| आयु की अधिकता, लीवर का रोग, हेपेटाइटिस, या पीलिया (Jaundice) में रक्त धातु पर ही क्रम पोषण बाधित (Interrupted) हो जाने, और अस्थि तक पोषण न पहुँच पाने से होता है| नाखूनों पर छोटे सफेद निशान किसी आघात (Trauma चोट) से भी बन जाते हें| कुछ ही केसों में फंगल संक्रमण भी सफ़ेद निशान का कारण मिलता है| अगर सफ़ेद नाखून के साथ उपर की और गुलाबी चिन्ह भी हों किडनी फैल होना,मधुमेह, की सुचना भी देते हाँ|
नाखून पर रेखाएं Lines on nails - नाखूनों पर चोड़ाई में फेली सफ़ेद उभरी आड़ी लकीरें (Horizontal ridges) चोट के कारण तो हो ही सकती हें पर ये न्युमोनिया, सोराइसिस, अनियंत्रित मधुमेह, जैसे रोग के कारण, या जस्ते की कमी से विकास रुक जाने से भी बन जातीं है| इसी प्रकार उभरी खड़ी रेखाओं (Vertical lines) की नाखूनों पर उपस्थिति यूँ तो सामान्य रूप से आयु की अधिकता का प्रतीक हैं पर इसका सम्बन्ध पोषण की कमी का द्योतक भी है, जो वृद्धों में मेटाबोलिक प्रक्रिया कम होने से होता है यह वीटा बी-12 की कमी से भी होता है|
उठे किनारे वाले नाखून Spoon Nails – जब नाखून किसी चम्मच की तरह उठे किनारे वाले दिखने लगते हें तो यह जान लेना चाहिए की, रक्त में आवश्यक लोह तत्व जो हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन बनाकर रक्त कण का निर्माण करता है वह कम हो गया है, ऐसा अक्सर लगातार खून बहने या स्त्रियों में माहवारी में अधिक रक्त जाने से होता है| लोह शरीर के द्वारा अधिक सोख लिए जाने से (हेमोक्रेमेटोसिस), या ह्रदय रोग, थाइरोइड कम होने (हाइपोथायरायडिज्म), से भी नाख़ून के किनारे उपर की और मुड़ने लगते हें|
नख शोथ Fingernail inflammation - इसमें नाखून के आसपास की त्वचा लाल और सूजी हुई (Swollen) हो जाती है| यह किसी संक्रमण से होता है|
गड्डेवाले या लहरदार नाखून नाखून Rippled pitted nails – नाखूनों के ऊपर खड्डे या लहरदार लाइने नजर आती हों, तो चर्म रोग- सोराइसिस, या सूजन वाली अर्थराइटिस, हो सकता है, नाख़ून में खड्डे शिर के बाल झड़ने वाला रोग गंज या खालित्य (एलोपेसिया अराटा), की और भी इशारा करता है, जो एक स्वसुरक्षा प्रतिक्रिया से उत्पन्न (autoimmune[1]) रोग है|
काले नाखून Black nails - काली धारियों, निशानों या गहरे भूरे काले चिन्ह वाले नाखून के साथ यदि दर्द भी है तो यह एक त्वक केंसर की चेतावनी भी हो सकती है| तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए|
जी हाँ यह सच है, हमारे हाथ और पैर के नाख़ून के रंग, रूप आदि में परिवर्तन से आपके शरीर में हो रहे या होने वाले रोगों का पता चल जाता है| एक चिकित्सक भी नाख़ून देख कर सही रोग निदान कर लेता है|
लीवर, किडनी,मधुमेह, हृदय रोग,फेफड़ो के रोग, सोराइसिस, पीलिया, थाइरोइड, आदि आदि रोगों के शरीर में घुसने के या होने के संकेत भी इन नाख़ून को देख कर ही पता चल सकती है| एक प्रकार से नाख़ून शरीर के रोग जानने की प्रारम्भिक खिड़की भी है| अत: यदि हम स्वयं के या परिवार के किसी सदस्य के नाखुनो में सामान्य से अलग कोई परिवर्तन देखें, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना ही चाहिए|
मनुष्य विशेष कर महिलाएं नाख़ून को सुन्दरता का प्रतीक मानती है| प्रतिवर्ष हजार करोड़ रूपये से अधिक धन नाख़ून की सजावट पर खर्च किया जाता है|
अक्सर विशेष कर महिलाये अपने नाखूनों की इन कमियों या परिवर्तन को नेल पालिश आदि की मदद से छुपाने का प्रयत्न करतीं है, और सफल भी होती है परन्तु वे इससे एक अनजाने खतरे की और अनायास बढती चली जातीं है| इसलिए नाखुनो में दिखने वाले परिवर्तनों के प्रति लापरवाही वाला नजरिया दुखदाई सिद्ध हो सकता है|
लगभग 30 वर्ष आयु तक सबसे तेज गति से बढ़ने वाले इन्सान के नाख़ून जीवन भर बढ़ते रहते हें, पैरों की तुलना में हाथों के नाख़ून अधिक तेजी से बढ़ते हें और दिलचस्प बात यह है की जितना अधिक इनको काटा जाता है उतनी ही तेजी से वे पुन: बड जाते हें| सर्दी के बजाय गर्मी के मोसम में ये अधिक तेजी से बढ़ते हें,
अंगुली की गोलाई के अनुसार गोल से, केरोटीन से बने ये नाख़ून हाथों की तुलना में पैरों के विशषकर अंगूठे के अधिक मोटे और मजबूत होते हें वे पेरों को अतिरिक्त मजबूती और सुरक्षा प्रदान करते हें|
आयुर्वेद के अनुसार क्रमश: रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, और शुक्र, शरीर में ये सात धातुएं बनती हैं, अस्थि के पूर्व मृदु अस्थि बनती है, जो नाख़ून, नाक, कान, आदि को आकार बनाये रखने में सहायक होती है| इन्हें कार्टिलेज भी कहा जाता है|
नाखून की बनावट रंग आदि, इन्सान के खान-पान, रहन-सहन, वातावरण, आयु, दवाओं के प्रभाव, चोट, संक्रमण, आदि से निरंतर प्रभावित होती रहती है| चूँकि मांस और मेद के बाद अस्थि बनती है अत: पोषण क्रम में अस्थि तक भोजन के पोषण का किस प्रकार का पदार्थ पहुँचता है उसी के अनुसार पर नाखून की रचना होने लगती है| इसी पोषण क्रम में बनने वाले द्रव्य शरीर के अन्य अंगों का भी पोषण और संचालन करते हें, इसी कारण अन्य अंग प्रभावित होते समय, वही परिवर्तन नाखूनों पर भी दिखाई देने लगता है|
उदाहरण के तोर पर यदि रक्त की कमी हो तो लाल रक्त कण कम होने से नाख़ून भी सफ़ेद से दिखने लगते हें|
नाखुनो के इन अन्य परिवर्तनों को समझें, रोग निदान करें|
पीत नख पीले नाखून Yellow nails – सामान्यतय आयु के कारण नाख़ून हल्के पीले हो सकते हें, यह लीवर की कमजोरी का प्रतीक है| युवाओं में धूम्रपान, नेल पोलिश में उपस्थित एक्रिलिक उन्हें पीला बना सकती है| पीले रंग के दागों के साथ यदि नाख़ून सामान्य अधिक मोटा लगने लगा हो, टूटने जैसा हो तो यह फंगल संक्रमण की और इशारा करता है| थायराइड, मधुमेह, सोरायसिस, या फेफड़ों में रोग होने पर भी पीले नाखून होने लगते हें|
पांडू नख (Pale Nails)- या धुंधले, फीके (faint) पड़ गए नाख़ून कभी कभी गंभीर रोग की सुचना देते हें| अक्सर रक्ताल्पता (खून की कमी), कन्जेस्टिव हृद रोग, (Congestive heart failure), यकृत (Liver) रोग, कुपोषण (Malnutrition), होने पर नाख़ून धुंधले पड जाते हें|
नील नख (Bluish Nails नीले नाखून Cyanosed)- नाखुनो का नीला सा होना फेफड़ों के रोग, ह्रदय रोग का संकेत देता है| जब किसी कारण से पर्याप्त आक्सीजन रक्त में नहीं पहुँच पाती, तो इसकी कमी नाखूनों दिखने लगती है|
शुष्क और भंगुर नख सूखे Dry & Brittle Nails , सूखे से, टूटे-फटे (Cracked),से आसानी से विखरने वाले नम पानी भरा वातावरण और हाथो का कई रसायन से सम्पर्क होने पर, नाख़ून भंगुर और शुष्क हो जाते हें| एसा अक्सर कपडे बर्तन धोने वालों और नेल पालिश रिमूवर का प्रयोग करने वालों का होता है| फंगल संक्रमण या थायराइड रोग विशेष रूप से हाइपोथायरायडिज्म होने पर भी नाख़ून शुष्क और भंगुर होते हें| विटामिन ए विटा बी और विटा सी, की कमी से भी नाख़ून की यह स्तिथि हो जाती है|
वक्र नख Curve nail or Clubbing – इसका अर्थ है नाखुनो के टेडा-मेडा हो जाना| इसमें नाख़ून के अगले सिरे पर सूजन सी भी होती है| यह यह फेफड़ों और ह्रदय रोग, में होता है, इसका सम्बन्ध एड्सरोग, किडनी रोग, और आंतों में सूजन (कोलाईटिस) की और भी इशारा करता है|
श्वेत नख White Nails – नाखूनों पर सफ़ेद रंग के धब्बे मिलना या पूरा सफ़ेद होना है| आयु की अधिकता, लीवर का रोग, हेपेटाइटिस, या पीलिया (Jaundice) में रक्त धातु पर ही क्रम पोषण बाधित (Interrupted) हो जाने, और अस्थि तक पोषण न पहुँच पाने से होता है| नाखूनों पर छोटे सफेद निशान किसी आघात (Trauma चोट) से भी बन जाते हें| कुछ ही केसों में फंगल संक्रमण भी सफ़ेद निशान का कारण मिलता है| अगर सफ़ेद नाखून के साथ उपर की और गुलाबी चिन्ह भी हों किडनी फैल होना,मधुमेह, की सुचना भी देते हाँ|
नाखून पर रेखाएं Lines on nails - नाखूनों पर चोड़ाई में फेली सफ़ेद उभरी आड़ी लकीरें (Horizontal ridges) चोट के कारण तो हो ही सकती हें पर ये न्युमोनिया, सोराइसिस, अनियंत्रित मधुमेह, जैसे रोग के कारण, या जस्ते की कमी से विकास रुक जाने से भी बन जातीं है| इसी प्रकार उभरी खड़ी रेखाओं (Vertical lines) की नाखूनों पर उपस्थिति यूँ तो सामान्य रूप से आयु की अधिकता का प्रतीक हैं पर इसका सम्बन्ध पोषण की कमी का द्योतक भी है, जो वृद्धों में मेटाबोलिक प्रक्रिया कम होने से होता है यह वीटा बी-12 की कमी से भी होता है|
उठे किनारे वाले नाखून Spoon Nails – जब नाखून किसी चम्मच की तरह उठे किनारे वाले दिखने लगते हें तो यह जान लेना चाहिए की, रक्त में आवश्यक लोह तत्व जो हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन बनाकर रक्त कण का निर्माण करता है वह कम हो गया है, ऐसा अक्सर लगातार खून बहने या स्त्रियों में माहवारी में अधिक रक्त जाने से होता है| लोह शरीर के द्वारा अधिक सोख लिए जाने से (हेमोक्रेमेटोसिस), या ह्रदय रोग, थाइरोइड कम होने (हाइपोथायरायडिज्म), से भी नाख़ून के किनारे उपर की और मुड़ने लगते हें|
नख शोथ Fingernail inflammation - इसमें नाखून के आसपास की त्वचा लाल और सूजी हुई (Swollen) हो जाती है| यह किसी संक्रमण से होता है|
गड्डेवाले या लहरदार नाखून नाखून Rippled pitted nails – नाखूनों के ऊपर खड्डे या लहरदार लाइने नजर आती हों, तो चर्म रोग- सोराइसिस, या सूजन वाली अर्थराइटिस, हो सकता है, नाख़ून में खड्डे शिर के बाल झड़ने वाला रोग गंज या खालित्य (एलोपेसिया अराटा), की और भी इशारा करता है, जो एक स्वसुरक्षा प्रतिक्रिया से उत्पन्न (autoimmune[1]) रोग है|
काले नाखून Black nails - काली धारियों, निशानों या गहरे भूरे काले चिन्ह वाले नाखून के साथ यदि दर्द भी है तो यह एक त्वक केंसर की चेतावनी भी हो सकती है| तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए|
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