रुद्राक्ष-जल चिकित्सा
स्वच्छ जल में रुद्राक्ष डुबाकर उस जल का सेवन करने से भी कुछ बीमारियां दूर होती हैं । किंतु रुद्राक्ष को जल में ज्यादा से ज्यादा तीन दिनों तक रखना चाहिए । आवश्यकता पड़ने पर पुनः नया रुद्राक्ष-जल तैयार कर लेना चाहिए । यहां कुछ रोगों से बचाव हेतु रुद्राक्ष-जल के उपयोग की विधि का विवरण प्रस्तुत है ।
रात को सोने से पहले रुद्राक्ष के कुछ दानें स्वच्छ जल में डाल दें । प्रातः काल खाली पेट उस जल का सेवन करें, कब्ज तथा अन्य विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलेगी ।
अकारण ही बेचैनी या घबराहट महसूस होती हो, या मितली आती हो, तो रुद्राक्ष-जल के दो-तीन चम्मच थोड़ी-थोड़ी देर पर पीएं, आराम मिलेगा ।
आंखों में जलन, धुंधलापन आदि से बचाव के लिए रुद्राक्ष-जल के छींटे मारें और फिर उन्हें पोंछकर कुछ पलों के लिए बंद कर लें । यह क्रिया नियमित रूप से करते रहें, लाभ होगा ।
आंखों में दर्द या पीड़ा हो, अथवा किसी कारणवश सूजन आ गई हो, तो पांच मुखी रुद्राक्ष को घिसकर काजल की तरह लगाएं, आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा ।
नाक के दोनों छिद्रों से रुद्राक्ष-जल खींचें, सर्दी, जुकाम और नजले से राहत मिलेगी ।
कान पक गया हो, मवाद आता हो, कम सुनाई पड़ता हो, तो रुद्राक्ष-जल की कुछ बूंदें कान में डालें, लाभ मिलेगा ।
सरसों के तेल में पांच मुखी रुद्राक्ष उबालकर उसे ठंडा होने के लिए कुछ देर छोड़ दें । फिर उसकी एक से दो बूंदें कान में डालें, दर्द दूर होगा ।
घाव, पके फोडे फुंसियों आदि को रुद्राक्ष-जल से धोएं, राहत मिलेगी ।
पांच मुखी रुद्राक्ष की भस्म को गोमूत्र अथवा गोबर और गंगाजल में मिलाकर चर्म रोग से ग्रस्त स्थान पर लगाएं, लाभ होगा ।
जिह्वा के चटक जाने, स्वर में भारीपन आ जाने अथवा गले में किसी प्रकार का रोग हो जाने पर रुद्राक्ष-जल के गरारे करें, आराम मिलेगा ।
स्वच्छ जल में रुद्राक्ष डुबाकर उस जल का सेवन करने से भी कुछ बीमारियां दूर होती हैं । किंतु रुद्राक्ष को जल में ज्यादा से ज्यादा तीन दिनों तक रखना चाहिए । आवश्यकता पड़ने पर पुनः नया रुद्राक्ष-जल तैयार कर लेना चाहिए । यहां कुछ रोगों से बचाव हेतु रुद्राक्ष-जल के उपयोग की विधि का विवरण प्रस्तुत है ।
रात को सोने से पहले रुद्राक्ष के कुछ दानें स्वच्छ जल में डाल दें । प्रातः काल खाली पेट उस जल का सेवन करें, कब्ज तथा अन्य विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलेगी ।
अकारण ही बेचैनी या घबराहट महसूस होती हो, या मितली आती हो, तो रुद्राक्ष-जल के दो-तीन चम्मच थोड़ी-थोड़ी देर पर पीएं, आराम मिलेगा ।
आंखों में जलन, धुंधलापन आदि से बचाव के लिए रुद्राक्ष-जल के छींटे मारें और फिर उन्हें पोंछकर कुछ पलों के लिए बंद कर लें । यह क्रिया नियमित रूप से करते रहें, लाभ होगा ।
आंखों में दर्द या पीड़ा हो, अथवा किसी कारणवश सूजन आ गई हो, तो पांच मुखी रुद्राक्ष को घिसकर काजल की तरह लगाएं, आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा ।
नाक के दोनों छिद्रों से रुद्राक्ष-जल खींचें, सर्दी, जुकाम और नजले से राहत मिलेगी ।
कान पक गया हो, मवाद आता हो, कम सुनाई पड़ता हो, तो रुद्राक्ष-जल की कुछ बूंदें कान में डालें, लाभ मिलेगा ।
सरसों के तेल में पांच मुखी रुद्राक्ष उबालकर उसे ठंडा होने के लिए कुछ देर छोड़ दें । फिर उसकी एक से दो बूंदें कान में डालें, दर्द दूर होगा ।
घाव, पके फोडे फुंसियों आदि को रुद्राक्ष-जल से धोएं, राहत मिलेगी ।
पांच मुखी रुद्राक्ष की भस्म को गोमूत्र अथवा गोबर और गंगाजल में मिलाकर चर्म रोग से ग्रस्त स्थान पर लगाएं, लाभ होगा ।
जिह्वा के चटक जाने, स्वर में भारीपन आ जाने अथवा गले में किसी प्रकार का रोग हो जाने पर रुद्राक्ष-जल के गरारे करें, आराम मिलेगा ।
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