Thursday, 6 April 2017

गर्भनिरोध

इस बढ़ती आबादी के युग में जितना आवश्यक है संतान होना, उतना ही आवश्यक है, एक या दो संतान के बाद गर्भनिरोध। कुछ लोग गर्भनिरोध को पाप मानते हैं परन्तु नैतिक, आर्थिक, सामाजिक और व्यवहारिक दृष्टि से गर्भनिरोध पाप नहीं बल्कि धर्म होता है।

विभिन्न औषधियों से उपचार-

1. हरड़: हरड़ की मींगी (बीज, गुठली) 40 ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें मिश्री मिलाकर रख लें। इसे तीन दिनों तक सेवन करने से गर्भ ठहरने की संभावना बिल्कुल समाप्त हो जाती है।

2. पान: पान का रस और शहद बराबर मिलाकर संभोग करने से कुछ देर पहले योनि में रखने से और पान की जड़ को कालीमिर्च के साथ बराबर मात्रा में पीसकर 1 चम्मच की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से गर्भधारण नहीं होता है।

3. नीम:

नीम के शुद्ध तेल में रूई का फोहा तर करके सहवास (संभोग) करने से पहले योनि के भीतर रखने से शुक्राणु (बच्चा पैदा करने वाले जीवाणु) एक घंटे के भीतर ही मर जाते हैं और गर्भ नहीं ठहरता है।
लगभग 10 ग्राम नीम के गोंद को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर कपड़े से किसी कपडे़ से छान लें, उसमें लगभग 30 सेंटीमीटर लंबा और 30 सेंटीमीटर चौड़ा साफ मलमल के कपड़े को भिगोकर छाया में सुखा लें, इसके सूखने पर एक रुपये के सिक्के के बराबर गोल-गोल टुकड़े अन्दर डाल लें, इससे गर्भ नहीं रुकता है। इसे एक घंटे बाद निकालकर फेंक देना चाहिए।

4. बायबिडंग: बायबिडंग के फल का पाउडर और पिप्पली का पाउडर बराबर मिलाकर मासिक-धर्म शुरू होने के 5 वें दिन से 20 वें दिन तक 1 चम्मच सुबह-शाम खायें इससे लाभ होता है।

5. पलास:

पलास के बीजों को जलाकर हींग में मिलाकर चूर्ण बनाकर दो से तीन ग्राम तक की मात्रा में ऋतुस्राव (माहवारी) प्रारंभ होते ही और उसके कुछ दिन बाद तक सेवन करने से स्त्री की गर्भधbारण शक्ति खत्म हो जाती है।

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