छोटे बच्चों को दस्त लगना सामान्य बात होती है, लेकिन इनकी समय पर देखभाल या सुरक्षा न की जाए तो ये उनके लिए खतरनाक सिद्ध होते हैं। दस्त लगने पर बच्चे के शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स तथा पानी की कमी हो जाती है। समय रहते ही अगर बच्चे की देखभाल न की जाए तो बच्चे की हालत तेजी से खराब हो सकती है।
बच्चों को दस्त लगने के कई कारण होते हैं जैसे- उनके दाँत निकलते समय दस्त लगना, बच्चा यदि भोजन करने लगा है तो भोजन न पचने पर या मिर्च-मसाले से भी दस्त लग सकते हैं।
दाँत निकलते समय बच्चे को हरे-पीले दस्त कभी भी लग सकते हैं। इसका कारण है कि बच्चे के जब दाँत निकलने लगते हैं तो उसे अटपटा लगता है। उसे मसूढ़ों में खुजली होती इसलिए जो चीज उसके हाथ में आती है वो उसे मुँह में ले लेता है।
हर कोई चीज मुँह में लेते रहने से उस चीज की गंदगी शिशु के पेट में पहुँचती है, कोई इंफेक्शन भी इसी तरह पेट तक पहुँच सकता है और यही कारण होता है हरे-पीले दस्त लगने का। इन्फेक्शन पेट तक पहुँचता है, बढ़ता है और शिशु को हरे-पीले दस्त लगने लगते हैं।
कुछ लोगों को गलत फहमी होती है कि हरे-पीले दस्त दाँत निकलने की वजह से होते हैं तो वे इसका इलाज ही नहीं कराते और बच्चे की हालत बिगड़ती जाती है। दस्त का कारण पाचन क्रिया खराब होना होता है न कि किसी पोषक तत्व की कमी होना।
दस्त लगने पर सामान्य उपचार :
* जब कभी पाचन खराब हो, पेट खराब हो तब 2-4 दिन घुटी दे सकते हैं। जब तक शिशु 6-7 माह का न हो जाए तब तक कोई अच्छा ग्राइप वाटर सुबह शाम पिलाना चाहिए। इससे बच्चे के पेट में मरोड़ नहीं उठती और पाचन क्रिया अच्छी रहती है।
* दाँत निकलने लगें तब कैल्शियम टीथिंग सायरपदेना शुरू कर देना चाहिए। पानी उबालकर ठंडा करके दिन में 2-3 बार जरूर पिलाना चाहिए।
* ऊपर का दूध हमेशा उबाल कर ठंडा करके पिलाना चाहिए और दूध या पानी हमेशा कटोरी-चम्मच से पिलाना चाहिए।
* दस्त के समय बच्चे को भोजन देना जारी रखें, शिशु हो तो स्तनपान जारी रखें। बच्चे को नीबू का पानी, छाछ, नारियल का पानी, चावल का मांड, लाइट चाय देते रहें। ओआरएस का घोल भी देते रहें।
उपरोक्त वर्णित जानकारी घरेलू चिकित्सा के अंतर्गत आती है। बच्चे के दस्त के समय जरा भी लापरवाही न बरतते हुए तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
बच्चों को दस्त लगने के कई कारण होते हैं जैसे- उनके दाँत निकलते समय दस्त लगना, बच्चा यदि भोजन करने लगा है तो भोजन न पचने पर या मिर्च-मसाले से भी दस्त लग सकते हैं।
दाँत निकलते समय बच्चे को हरे-पीले दस्त कभी भी लग सकते हैं। इसका कारण है कि बच्चे के जब दाँत निकलने लगते हैं तो उसे अटपटा लगता है। उसे मसूढ़ों में खुजली होती इसलिए जो चीज उसके हाथ में आती है वो उसे मुँह में ले लेता है।
हर कोई चीज मुँह में लेते रहने से उस चीज की गंदगी शिशु के पेट में पहुँचती है, कोई इंफेक्शन भी इसी तरह पेट तक पहुँच सकता है और यही कारण होता है हरे-पीले दस्त लगने का। इन्फेक्शन पेट तक पहुँचता है, बढ़ता है और शिशु को हरे-पीले दस्त लगने लगते हैं।
कुछ लोगों को गलत फहमी होती है कि हरे-पीले दस्त दाँत निकलने की वजह से होते हैं तो वे इसका इलाज ही नहीं कराते और बच्चे की हालत बिगड़ती जाती है। दस्त का कारण पाचन क्रिया खराब होना होता है न कि किसी पोषक तत्व की कमी होना।
दस्त लगने पर सामान्य उपचार :
* जब कभी पाचन खराब हो, पेट खराब हो तब 2-4 दिन घुटी दे सकते हैं। जब तक शिशु 6-7 माह का न हो जाए तब तक कोई अच्छा ग्राइप वाटर सुबह शाम पिलाना चाहिए। इससे बच्चे के पेट में मरोड़ नहीं उठती और पाचन क्रिया अच्छी रहती है।
* दाँत निकलने लगें तब कैल्शियम टीथिंग सायरपदेना शुरू कर देना चाहिए। पानी उबालकर ठंडा करके दिन में 2-3 बार जरूर पिलाना चाहिए।
* ऊपर का दूध हमेशा उबाल कर ठंडा करके पिलाना चाहिए और दूध या पानी हमेशा कटोरी-चम्मच से पिलाना चाहिए।
* दस्त के समय बच्चे को भोजन देना जारी रखें, शिशु हो तो स्तनपान जारी रखें। बच्चे को नीबू का पानी, छाछ, नारियल का पानी, चावल का मांड, लाइट चाय देते रहें। ओआरएस का घोल भी देते रहें।
उपरोक्त वर्णित जानकारी घरेलू चिकित्सा के अंतर्गत आती है। बच्चे के दस्त के समय जरा भी लापरवाही न बरतते हुए तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
No comments:
Post a Comment