Sunday, 9 April 2017

मुलहठी



*असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। यह सूखने पर अम्ल जैसे स्वाद की हो जाती है। यह स्‍वाद में शक्‍कर से भी मीठी होती है। मुलेठी बड़ी ही गुणकारी औषधि के रूप में उपयोग की जाती है। मुलेठी गले की खराश, खांसी, उदरशूल क्षयरोग, श्‍वासनली की सूजन तथा मिरगी आदि के इलाज में उपयोगी है।

* मुलेठी का सेवन आँखों के लिए भी लाभकारी है। इसमें जीवाणुरोधी क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अन्‍दरूनी चोटों में भी लाभदायक होता है।

* भारत में इसे पान आदि में डालकर प्रयोग किया जाता है।

* मुलेठी या मुलहठी पान में भी डाल कर खाई जाती है। इसे मधुमेह के रोग को ठीक करने के लिये भी प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार मुलेठी अपने गुणों के कारण ही बढ़े हुए तीनों दोषों वात, कफ और पित्त को शांत करती है। कोई भी समस्या न हो तो भी कभी-कभी मुलेठी का सेवन कर लेना चाहिए आँतों के अल्सर ,कैंसर का खतरा कम हो जाता है तथा पाचनक्रिया भी एकदम ठीक रहती है।

* मुलहठी की एक से डेढ़ मीटर ऊँची बेल होती है और इमली जैसे छोटे-छोटे पत्ते होते हैं। इन बेलों पर बैंगनी रंग के फूल लगते हैं इसकी जड़ें जमीन के अंदर फैली होती हैं, जिनका औषधि के लिए उपयोग किया जाता है।

* मुलहठी स्वाद में मधुर, शीतल, पचने में भारी, स्निग्ध और शरीर को बल देने वाली होती है। इन गुणों के कारण यह बढ़े हुए तीनों दोषों को शांत करती है।

* खाँसी-जुकाम : कफ को कम करने के लिए मुलहठी का ज्यादातर उपयोग किया जाता है। बढ़े हुए कफ से गला, नाक, छाती में जलन हो जाने जैसी अनुभूति होती है, तब मुलहठी को शहद में मिलाकर चाटने से बहुत फायदा होता है।

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