Thursday 30 March 2017

पुदीने

पुदीने के उपयोग

पुदीने का उपयोग अधिकांशतः चटनी या मसाले के रूप में किया जाता है। पुदीना एक सुगंधित एवं उपयोगी औषधि है। यह अपच को मिटाता है।

आयुर्वेद के मतानुसार पुदीना, स्वादिष्ट, रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, तीखा, कड़वा, पाचनकर्ता, उलटी मिटाने वाला, हृदय को उत्तेजित करने वाला, शक्ति बढ़ानेवाला, वायुनाशक, विकृत कफ को बाहर लाने वाला, गर्भाशय-संकोचक, चित्त को प्रसन्न करने वाला, जख्मों को भरने वाला, कृमि, ज्वर, विष, अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, दस्त, खाँसी, श्वास, निम्न रक्तचाप, मूत्राल्पता, त्वचा के दोष, हैजा, अजीर्ण, सर्दी-जुकाम आदि को मिटाने वाला है।

पुदीने का रस पीने से खाँसी, उलटी, अतिसार, हैजे में लाभ होता है, वायु व कृमि का नाश होता है।

पुदीने में रोगप्रतिकारक शक्ति उत्पन्न करने की अदभुत शक्ति है एवं पाचक रसों को उत्पन्न करने की भी क्षमता है। अजवायन के सभी गुण पुदीने में पाये जाते हैं।

पुदीने के बीज से निकलने वाला तेल स्थानिक एनेस्थटिक, पीड़ानाशक एवं जंतुनाशक होता है। यह दंतपीड़ा एवं दंतकृमिनाशक होता है। इसके तेल की सुगंध से मच्छर भाग जाते हैं।

अनार्तव-अल्पार्तवः मासिक न आने पर या कम आने पर अथवा वायु एवं कफदोष के कारण बंद हो जाने पर पुदीने के काढ़े में गुड़ एवं चुटकी भर हींग डालकर पीने से लाभ होता है। इससे कमर की पीड़ा में भी आराम

आँत का दर्दः अपच, अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, वायु आदि रोगों में पुदीने के रस में शहद डालकर लें अथवा पुदीने का अर्क लें।

दादः पुदीने के रस में नींबू मिलाकर लगाने से दाद मिट जाती है।

उल्टी-दस्त, हैजाः पुदीने के रस में नींबू का रस, प्याज अथवा अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने अथवा अर्क देने से ठीक होता है।

बिच्छू का दंशः बिच्छू के काटने पर इसका रस पीने से व पत्तों का लेप करने से बिच्छू के काटने से होने वाला कष्ट दूर होता है। पुदीने का रस दंशवाले स्थान पर लगायें एवं उसके रस में मिश्री मिलाकर पिलायें। यह प्रयोग तमाम जहरीले जंतुओं के दंश के उपचार में काम आ सकता है।

पैर-दर्दः सूखा पुदीना व मिश्री समान मात्रा में मिलायें एवं दो चम्मच फंकी लेकर पानी पियें। इससे पैर-दर्द ठीक होता है।

मलेरियाः पुदीने एवं तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम लेने से अथवा पुदीना एवं अदरक का 1-1 चम्मच रस सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।

वायु एवं कृमिः पुदीने के 2 चम्मच रस में एक चुटकी काला नमक डालकर पीने से गैस, वायु एवं पेट के कृमि नष्ट होते हैं।

प्रातः काल एक गिलास पानी में 20-25 ग्राम पुदीने का रस व 20-25 ग्राम शहद मिलाकर पीने से गैस की बीमारी में विशेष लाभ होता है।

पुरानी सर्दी-जुकाम व न्यूमोनियाः पुदीने के रस की 2-3 बूँदें नाक में डालने एवं पुदीने तथा अदरक के 1-1 चम्मच रस में शहद मिलाकर दिन में 2 बार पीने से लाभ होता है।

Wednesday 29 March 2017

अनिंद्रा

अनिंद्रा की बीमारी


इस बीमारी में व्यक्ति को ठीक प्रकार से नींद नहीं आती | इस बीमारी की वजह से मनुष्य को और भी कई बीमारी होने की सम्भावना बनी रहती है |  इस रोग के कई कारण हो सकते है जैसे कोफ़ी और चाय का अधिक मात्रा में प्रयोग करना , अधिक सोच – विचार करना , ताज़ी हवा की कमी और भारी काम करना | यदि कोई भी व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है तो उसे कभी भी नींद की गोलियों का उपयोग नहीं करना चाहिये |बल्कि इस रोग का उपचार आयुर्वेदिक तरीके से करना चाहिये

नींद न आने के लक्षण और पहचान –

बैचनी रहना , दिमाग शांत न होना , आँखे लाल होना परन्तु फिर भी नींद न आये ,

अधिक सोच विचार, किसी भी कार्य में मन न लगना.

आजकल इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में नींद न आना एक गंभीर विषय है जिसपर हमें चिंतन करना चाहिए, आज हम कुछ ऐसे नुस्खों के बारे में बात करते है जो आपको अच्छी नींद देने में सहायता कर सकते है.

अगर नींद अच्छी नहीं आती है तो आप रात्री में एक गलास दूध में थोडा घी डालकर पी जाये , दूध पीने के बाद 15 मिनट तक धीरे धीरे टहल कदमी करे , फिर अपने बिस्तर पर जाकर लेट जाये , दिमाग को शांत रखे और सो जाये , आपको गहरी नींद आएगी,

जिन सज्जनों को रात्री में नींद की समस्या है उनके लिए जरूरी है के बिस्तर पर जाने से पहले मूत्र त्याग जरूर करे, ताकि बीच में नींद हनन न हो .

नींद न आये तो क्या करे, Neend Aane Ka Upay

रात्री में हमेशा आपका सिरहाना (आपका सिर ) पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए, इसके कई वैज्ञानिक कारण है. ऐसा करने से आपको नींद अच्छी आएगी और बुद्धि का विकास होगा .

मानसिक तनाव से दूर रहे

हमेशा पॉजिटिव रहे , जिन्दगी को खुशहाल कैसे बनाये और कैसे दुसरो के काम आये, ऐसा विचार करे तो जल्दी नींद आएगी,

अगर आप विद्यार्थी है तो अपनी पुस्तकों का अध्ययन करे, आपको जरूर अच्छी नींद आएगी.

रात्री में सोने से पहले गुनगुने पानी में अपने पैर साफ़ करे ऐसा करने से आपको नींद अच्छी आएगी.

रात्री में थोड़ी से अश्वगंधा , सर्पगंधा और जरा सी भांग का मिश्रण बनाकर सादे पानी से ले , ऐसा करने से भी आपको अच्छी नींद आएगी.

प्रतिदिन कसरत करे जिससे शरीर से पसीना निकले और आपकी अनर्जी खर्च हो, ऐसा होने पर थकान होगी और आपको जल्दी और गहरी नींद आएगी.

उपाय : - 

सामग्री   :- 

मेधा क्वाथ   :-  300 ग्राम

बनाने की विधि   :- एक बड़े बर्तन में 400 मिलीलीटर पानी ले और इस पानी में एक चम्मच मेधा क्वाथ की मिलाकर धीमी– धीमी आंच पर पकाये | कुछ देर पकाने के बाद जब इस पानी की मात्रा 100 मिलीलीटर रह जाए तो इसे छानकर सुबह और शाम के समय पीये

सामग्री : -

मेधा क्वाथ   :-   ४० ग्राम

ब्राह्मी वटी    :-  ४० ग्राम

इन दोनों औषधियों की एक –एक गोली दिन में कम से कम तीन बार खाना खाने के आधे घंटे बाद हल्के गर्म पानी के साथ खाएं | इसके आलावा सारस्वातारिष्ट की चार चम्मच की मात्रा में चार चम्मच पानी में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम खाना खाने के बाद पीयें |रात को अच्छी नींद आएगी |.......

⁠⁠⁠गर्भावस्था

⁠⁠⁠गर्भावस्था के दौरान उल्टी होने से बचाएंगे यह खाद्य पदार्थ 
गर्भावस्था के दौरान मतली और उल्टी आती हैं, लेकिन इसका अभी तक कोई सही कारण नहीं पता कर पाया है। कहा जाता है कि गर्भावस्था के दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से कई प्रकार के संवेदनात्मक और भावनात्मक बदलाव होते रहते हैं। साथ ही शरीर के भीतर हार्मोन्स तेजी से बढ़ते हैं, जिससे शरीर के अंगों में तनाव आने लगता है, जिसकी वजह से मतली और उल्टी आती है। उल्टियाँ ज्यादातर सुबह होती है और दिन ढलते ढलते कम हो जाती हैं। वैसे तो डॉक्टर्स इसे अच्छे संकेत मानते हैं क्योंकि इससे यह पता चलता है कि बच्चा अच्छे से विकास कर रहा है। लेकिन अगर यही उल्टियाँ बढ़ जाएँ तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

लेकिन आज हम आपको इन उल्टियों से बचने के कुछ खरेलू उपाए बताएंगे। गर्भावस्था के दौरान इन 9 बातों का रखें ध्यान गर्भावस्था के दौरान उल्टी होने से बचाएंगे यह खाद्य पदार्थ

अदरक गर्भवती महिलाओं में होने वाली उल्टी रोकने का सबसे अच्छा तरीका है। यह आपके पाचन तंत्र को ठीक कर पेट में बन रहे अम्ल को शांत करता है। जब आपको लगे की उल्टी होने वाली है, तो आप अदरक सूंघ सकती हैं, इसकी महक से उल्टी होनी रुक जाएगी।

नींबू नींबू वैसे भी अपनी ख़ूबियों के लिए जाना जाता है, गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह बहुत लाभदायक है। खास कर तब जब उन्हें उल्टी या मतली की परेशानी हों। इसलिए गर्भवती महिलाओं को रोज़ सुबह एक गिलास पानी में एक नींबू का रास और उसमें थोड़ा सा शहद दाल कर पीना चाहिए, इससे उन्हें होने वाली उल्टी रूक जायेगी। साथ ही नींबू में पाये जाने वाला विटामिन सी गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे के लिए के लिए बहुत फायदेमंद है।

पुदीना गर्भवती महिलाओं के लिए पुदीना खाने से उल्टी कम होजाती है। इस के लिए आप कुछ पुदीना के पत्ते लें उसे एक कप गर्म पानी में डाल दें, इसके बाद उसमें थोड़ी चीनी या शहद मिलाएं और 5 से 10 मिनट तक उबालें इस चाय को सुबह उठते ही पीयें। इससे आपकी उल्टी रूक जाएगी। कुछ महिलाओं को पुदीने की महक से उल्टी होती है अगर आपके साथ ऐसा है तो पुदीना ना खाएं।

सौंफ़ गर्भावस्था के दौरान उल्टी और मतली के लिए सौंफ़ भी बहुत लाभ करी उपाए है। इसे पंचन तंत्र ठीक रहता है जिससे उल्टी होने की सम्भवना कम होजाती है। सौंफ़ हमेशा अपने पास रखें और थोड़ी थोड़ी देर खाते रहें। आप गर्म पानी में 1 चम्मच सौंफ़ डाल कर उबाल लें फिर इसे छान लें। इसमें आप नींबू का रास या शहद मिला कर पी सकती हैं।

बढ़ाएँ विटामिन बी -6 का सेवन विटामिन बी -6 गर्भवती महिलाओं के लिए लाभदायक है। इससे गर्भावस्था के दौरान होने वाली मतली और उल्टी निजात पाया जा सकता है। इसके लिए आप कई सारे फल खा सकते हैं जैसे चावल, अवोकेडो, केले, मछली, मक्का और बादाम। इसके आलावा प्रेग्‍नेंसी के दौरान उल्टियां, बार बार पेशाब आना, खून की कमी, व पैरों की सूजन से बहुत परेशानी होती है। परेशानी है तो निदान भी हैं।


प्रेग्‍नेंसी के दौरान होने वाली समस्‍याएं
प्रेग्‍नेंसी के दौरान बहुत सी ऐसी समस्‍याएं हैं। जिनसे बहुत परेशानी होती है। जिनमें मुख्‍य है उल्‍टी का आना। यह दिखने में छोटी समस्‍या जरूर है, पर यह किसी भी महिला के हौसले को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ती। इसी तरह बार बार पेशाब का आना, खाना अच्‍छा नहीं लगना, गैस, पैरों में सूजन, खून की कमी आदि भी बड़ी दिक्‍कतें पैदा करती हैं। इन्‍ही कुछ समस्‍याओं का निदान नीचे दिया गया है। आशा है कि आपके कुछ काम आ सकेगा।


बार बार पेशाब का आना
१ * यदि बार बार पेशाब आ रही हो, तो अनार के छिलकों को सुखाकर उसका चूर्णं बना लें। फिर ५ ग्राम की मात्रा में इस चूर्णं को पानी के साथ लेने से बहुत लाभ होता है।

२ * एक केले के साथ बिदारीकंद और शताबरी का एक-एक ग्राम चूर्णं मिलाकर दूध के साथ पीने से बार बार पेशाब जाने की समस्‍या कम हो जाती है।

३ * दिन में दो तीन बार छुआरा खाएं और रात में छुआरा खाकर दूध पीने से आराम मिलता है।

४ * पचास ग्राम भुने चने खाकर ऊपर से थोड़ा सा गुड़ खाएं। दस दिन सेवन करने से आराम मिलेगा।

५ * तीन आंवलों का रस निकालकर उसमें पानी मिलाकर सुबह शाम पीने से लाभ होता है।


प्रेग्‍नेंसी के दौरान उल्‍टी होने पर
१ * एक कागज़ी नींबू को काटकर दो टुकड़े कर लें। दोनों भागों पर काली मिर्च का चूर्णं व नमक बुरक कर आग पर गर्म करके चूसें। आपको लाभ होगा।

२ * सुबह उठकर मुंह धोकर हल्‍के कुनकुने पानी में एक नींबू का रस निचोड़कर खाली पेट कुछ दिनों तक पिएं। इससे उल्टियां आना बंद हो जाएंगी।

३ * अनार के दानों का रस थोड़ा थोड़ा करके चूसने से भी उल्‍टी में बहुत लाभ होता है।

४ * गर्मी का मौसम हो तो बर्फ के पानी का सेवन करने से भी लाभ होता है।

५ * संतरे, मौसमी व पके आम का रस व नारियल पानी भी बहुत फाएदेमंद होता है।

६ * गर्भवती स्‍त्री के पेट पर पानी की पटटी रखने से भी उल्टियों में आराम मिलता है।

७ * गुलकंद और शक्‍कर बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से भी आराम मिलता है।


खून की कमी
१ * गाजर का रस और चुकंदर का रस मिलाकर पीना बहुत लाभकारी होता है।

२ * रोजाना एक ग्‍लास टमाटर का रस पीने से भी खून की कमी दूर होती है।

३ * रोज ५ – १० खजूर खाकर ऊपर से एक कप गर्म दूध पीने से थोड़े ही दिन में नया खून बनना शुरू हो जाता है। जिससे शरीर में स्‍फूर्ति और ताकत बढ़ती है।

४ * सुबह शाम दूध के साथ एक-एक नग आंवले का मुरब्‍बा खाने से खून की कमी दूर हो जाती है।

५ * अंजीर को दूध में उबालें। फिर उसे खाकर दूध पी जाएं। इससे खून की कमी दूर होती है।

६ * गन्‍ने के रस में आंवले का रस और शहद मिलाकर पीने से खून बढ़ता है।

७ * रोजाना पपीते का सेवन करने से भी खून की कमी नहीं होती। इसमें लौह तत्‍व की अधिकता होती है। जो खून बनाने में सहायक होता है।

८ * गाजर की सलाद या फिर गाजर का मुरब्‍बा भी लाभकारी होता है। गाजर के मुरब्‍बे के लिए अच्‍छी मोटी गाजर को छीलकर बीच का कड़ा भाग निकाल दें। गूदे को कांटे से गोद कर पानी में हल्‍का सा उबालकर कपड़े पर फैला दें। इसके बाद एक किलो शक्‍कर की एक तार वाली चाशनी बनाकर गाजर पकाएं। पकाते वक्‍त नींबू का रस भी डाल दें। ठंडा होने पर कांच के बर्तन में भरकर रख लें और रोज सुबह खाएं।

९ * बथुआ के साग का सेवन भी बहुत फाएदेमंद होता है। इससे खून में हीमोग्‍लोबिन की मात्रा बढ़ती है।

१० * ठंडे पानी में साफ किए गए चोकर को उसके वजन के छह गुना पानी में किसी बर्तन में ढंक कर आधे घंटे तक उबालें। स्‍वाद के लिए इसमें शहद व नींबू का रस मिला सकते हैं। एक-एक कप सुबह शाम पीने से खून की कमी दूर होती है।


यदि खाने के प्रति अरूचि हो तो...
१ * हरी धनिया, टमाटर काग़जी़ नींबू, हरी मिर्च, काला नमक, अदरक का सलाद या चटनी बनाकर खाएं। इससे भोजन के प्रति रूचि उत्‍पन्‍न होगी।


२ * सभी प्रकार के खटटे फलों या उनके रस का पानी में मिलाकर पीने से शरीर में दूषित पदार्थों की कमी होती है और रक्‍त क्षारीय होकर खाने के प्रति रूचि पैदा करता है।

३ * रोज नाश्‍ते में पपीते का सेवन करें। इससे भूख खुलकर लगती है।

४ * तरबूज के दस ग्राम बीज पीसकर आधे कप पानी में घोलकर, उसमें ५ ग्राम मिश्री और आधा नींबू का रस मिलाकर भोजन से १५ – २० मिनट पहले लेने से बहुत फाएदा होता है।

५ * धनिया, काला जीरा, सोंठ और सेंधा नमक को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्णं बना लें। फिर २ – २ ग्राम चूर्णं दिन में तीन चार बार लेने से भोजन के प्रति रूचि पैदा होती है।


गर्भावस्‍था में गैस हो तो...
१ * ककड़ी, गाजर,टमाटर, मूली, पालक के सलाद में अदरक के बारीक टुकड़े काटकर उस पर नींबू निचोड़कर रोजाना सेवन करने से गर्भवती स्‍त्री को गैस की शिकायत नहीं होगी। साथ ही कब्‍ज भी दूर हो जाएगा।

२ * दो सौ ग्राम फालसे के रस में थोड़ी मिश्री, काला नमक व नींबू मिलाकर खाने से भी गैस की समस्‍या से छुटकारा मिलता है।

३ * बीस ग्राम सेंधा नमक और ५० ग्राम चीनी को एक साथ पीस कर किसी चीज में रख लें। फिर खाना खाने के बाद रोजाना आधा चम्‍मच खाने से गैस की शिकायत दूर हो जाएगी।

४ * गैस की शिकायत होने पर एक कप पानी में आधा नीबू का रस निचोड़कर उसमें थोड़ी सी सौंफ का चूर्णं व काला नमक मिलाकर कुछ दिनों तक रोजाना सेवन करें। इससे लाभ होगा।

५ * एक-एक नग आंवले का मुरब्‍बा सुबह शाम खाकर दूध पीने से भी गैस और अम्‍लपित्‍त की शिकायत दूर हो जाती है।

६ * भोजन से १५ मिनट पहले अजवायन का आधा चम्‍मच चूर्णं थोड़ा सा काला नमक मिलाकर सेवन करें और भोजन के १५ मिनट बाद भी यही प्रयोग करें। आपको आराम मिलेगा।


पैरों में सूजन
१ * बरगद के पत्‍तों को घी में चुपड़कर उनको गर्म करके पैरों पर बांधने से गर्भवती स्‍त्री के पैरों की सूजन दूर हो जाती है।

२ * गर्भावस्‍था में पैरों की सूजन में काले जीरे के काढ़े से पैरों को धोने से भी बहुत आराम मिलता है।

३ * अजवायन का बारीक चूर्णं पैरों में धीरे धीरे मलें। आपको बहुत लाभ होगा।

काली गर्दन

काली से काली गर्दन हो जायेगी साफ़ पल भर में ।

अगर गर्दन काली हो तो चेहरे की सुंदरता भी फीकी पड़ने लगती है। कई लोग रोज नहाते वक्‍त अपनी गर्दन को रगड़ रगड़ कर साफ करते हैं लेकिन रिजल्‍ट नहीं मिलता और गर्दन लाल हो जाती है सो अलग।
आज हम आपको बेहद सरल उपाय बताएंगे जिसकी मदद से आप अपनी काली गर्दन को साफ कर सकती हैं। ये सामग्रियां आपको आसानी से घर पर ही उपलब्‍ध हो जाएंगी। आइये जानते हैं कि इन्‍हें कैसे इस्‍तमाल करना होगा।
1. बेकिंग सोडा आजमाएं
बेकिंग सोडा गर्दन पर पड़ी काली परत को साफ करने में काफी असरदार होता है। आपको 1 चम्‍मच पानी के साथ 2 चम्‍मच बेकिंग सोडा मिला कर अपनी गर्दन पर लगाना होगा। फिर इसे सूखने दें और साधारण पानी से धो लें। इस विधि को हफ्ते में दो बार करें और फिर रिजल्‍ट देंखे
2. आलू का रस
पुराने समय से ही त्‍वचा का रंग हल्‍का करने के लिये आलू का प्रयोग किया आता जा रहा है। आप कच्‍चे आलू को घिस कर सीधे गर्दन पर लगा सकती हैं। या फिर घिसे आलू का रस और नींबू का रस एक साथ मिक्‍स कर के गर्दन पर लगाएं और 20 मिनट के बाद ठंडे पानी से धो लें।
3. एलो वेरा
एलो वेरा त्‍वचा को तुरंत ठीक कर के उत्‍तम रिजल्‍ट देता है। इसको लगाने के लिये एलो वेरा का रस लें और उसे सीधे गर्दन पर लगाएं और 20-30 मिनट तक लगा कर छोड़ दें। फिर इसे नार्मल पानी से धो लें। इस विधि को रोजाना करें और फिर रिजल्‍ट देखें

एलर्जी

एलर्जी से बचने के सबसे आसान आयुर्वेदिक तरीके

" एलर्जी " एक आम शब्द , जिसका प्रयोग हम कभी ' किसी ख़ास व्यक्ति से मुझे एलर्जी है ' के रूप में करते हैं. ऐसे ही हमारा शरीर भी ख़ास रसायन उद्दीपकों के प्रति अपनी असहज प्रतिक्रया को ' एलर्जी ' के रूप में दर्शाता है.

बारिश के बाद आयी धूप तो ऐसे रोगियों क़ी स्थिति को और भी दूभर कर देती है. ऐसे लोगों को अक्सर अपने चेहरे पर रूमाल लगाए देखा जा सकता है. क्या करें छींक के मारे बुरा हाल जो हो जाता है.

हालांकि एलर्जी के कारणों को जानना कठिन होता है , परन्तु कुछ आयुर्वेदिक उपाय इसे दूर करने में कारगर हो सकते हैं. आप इन्हें अपनाएं और एलर्जी से निजात पाएं !

• नीम चढी गिलोय के डंठल को छोटे टुकड़ों में काटकर इसका रस हरिद्रा खंड चूर्ण के साथ 1.5 से तीन ग्राम नियमित प्रयोग पुरानी से पुरानी एलर्जी में रामबाण औषधि है.

• गुनगुने निम्बू पानी का प्रातःकाल नियमित प्रयोग शरीर सें विटामिन - सी की मात्रा की पूर्ति कर एलर्जी के कारण होने वाले नजला - जुखाम जैसे लक्षणों को दूर करता है.

• अदरख , काली मिर्च , तुलसी के चार पत्ते , लौंग एवं मिश्री को मिलाकर बनायी गयी ' हर्बल चाय ' एलर्जी से निजात दिलाती है.

•  बरसात के मौसम में होनेवाले विषाणु ( वायरस ) संक्रमण के कारण ' फ्लू ' जनित लक्षणों को नियमित ताजे चार नीम के पत्तों को चबा कर दूर किया जा सकता है.

• आयुर्वेदिक दवाई ' सितोपलादि चूर्ण ' एलर्जी के रोगियों में चमत्कारिक प्रभाव दर्शाती है.

•  नमक पानी से ' कुंजल क्रिया ' एवं ' नेती क्रिया " कफ दोष को बाहर निकालकर पुराने से पुराने एलर्जी को दूर कने में मददगार होती है.

•  पंचकर्म की प्रक्रिया ' नस्य ' का चिकित्सक के परामर्श से प्रयोग ' एलर्जी ' से बचाव ही नहीं इसकी सफल चिकित्सा है.

•  प्राणायाम में ' कपालभाती ' का नियमित प्रयोग एलर्जी से मुक्ति का सरल उपाय है.

कोकाकोला, पेप्सी के फायदे

कोकाकोला हर घर में रखनी चाहिए। इससे होने वाले 16 बहुत बड़े लाभ हैं जो इसकी हर कमी को दूर कर देते हैं| यह पोस्ट खूब शेयर करें ताकि कोकाकोला के बारे में दुर्भावना दूर हो इसकी एक बोतल हर समय घर में रहनी चाहिए !!

(1) चीनी मिटटी के बर्तनों पर लगे हर धब्बे को दूर करता है|

(2) घर में गलीचे पर लगे हर धब्बे को दूर करता है|

(3) खाने के बर्तनों पर हुए जलने के हर निशान को दूर करता है|

(4) कपड़ों पर लगी चिकनाई जो साबुन से दूर नहीं होती को मिटा देता है|

(5) बालो पर लगे रंग को तुरंत उतार देता है|

(6) किसी भी धातु पर लगे पेंट के धब्बों को तुरंत मिटा देता है|

(7) कार बैटरी और इन्वर्टर की बैटरी के टर्मिनलों पर जरने यानि जंग को तुरंत दूर कर देता है|

(8) सबसे बढ़िया कीटनाशक का काम करता है|

(9) टाइलों पर लगे धब्बों को तुरंत दूर कर देता है|

(10) टॉयलेट की सफाई सबसे बढ़िया करता है|

(11) पुराने सिक्कों में चमक ला देता है|

(12) अल्युमिनियम फॉयल को साफ़ कर देता है|

(13) च्युइंग गम के निशानों को दूर कर देता है|

(14) कपड़ों पर लगे खून के धब्बों को तुरंत साफ़ कर देता है|

(15) गंदे बालों की सफाई बहुत अच्छी तरह कर देता है|

(16) घर में इसको पानी में मिलाकर पोचा बहुत अच्छा लगता है|

घर को कीटाणु रहित कर देता है|
एक लाभ और है उनके लिए जो शीघ्र दुनिया से विदा होना चाहते हैं,, वे इसका नियमित सेवन करें| आंतें खराब हो जायेंगी और यमराज से शीघ्र भेंट हो जायेगी|
इससे लाभ ही लाभ है| अतः हर घर में यह अवश्य रखना चाहिए !

सेहत मंत्र























Kidney Transplant

"How I Avoided Kidney Transplant."

जिन लोगो को डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी हो, या डायलसिस चल रहा हो तो उन्हे किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के पहले इस दवा का प्रयोग जरूर करके देखना चाहिए | हो सकता है कि ट्रांसप्लांट की नौबत ना आए।

बता रहे हैं श्री ओम प्रकाशजी जिनको यही समस्या 2009 में आई थी, और डॉक्टर ने उनको किडनी ट्रांसप्लांट करने के लिए बोल दिया था तो उन्होंने ना ही सिर्फ अपनी किडनी को स्वस्थ किया बल्कि ऐसे अनेक लोगो को भी इसका दम्भ झेलने से बचाया !

आइये जानते हैं, श्री ओम प्रकाशजी से….

किडनी ट्रांसप्लांट करवाना बहुत महंगा हैं ! और कुछ लोग तो ये अफोर्ड नहीं कर सकते, और जो कर भी सकते हैं तो किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पहले जैसा जीवन नहीं बन पाता |

मैं 17 अक्टोबर 2009 से किडनी की समस्या से झूझ रहा था | अप्रैल 2012 मे मुंम्बई के नानावाती हॉस्पिटल के डॉक्टर शरद शेठ से ट्रांसप्लांट की बात भी तय हो चुकी थी | लेकिन इसी दरमियान अखिल भारतीय शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के महासचिव डॉक्टर आर बी सिंह से मुलाकात हो गई और उन्होने कहा की यह काढ़ा 15 दिन पीने के बाद अपना फैसला लेना के आपको क्या करना है |

मैने उनकी बात मानकर काढ़े का उपयोग किया और एक हफ्ते के बाद चलने फिरने मे सक्षम हो गया तब से में अभी तक पूरी तरह से स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ | कोई दवा भी नही लेता हूँ और ना ही कोई खाने पीने का परहेज ही करता हूँ, और ना ही किसी प्रकार की कमजोरी महसूस करता हूँ !

तो कौन सा हैं वो काढ़ा ! ? ! ... ... आइये जानते हैं ...

काढ़ा बनाने की विधि :-

पाव (250 ग्राम) गोखरू कांटा (ये आपको पंसारी से मिल जायेगा) लेकर 4 लीटर पानी मे उबालिए | जब पानी एक लीटर रह जाए तो पानी छानकर एक बोतल मे रख लीजिए और कांटा फेंक दीजिए | इस काढे को सुबह शाम खाली पेट हल्का सा गुनगुना करके 100 ग्राम के करीब पीजिए |

शाम को खाली पेट का मतलब है ! दोपहर के भोजन के 5, 6 घंटे के बाद | काढ़ा पीने के एक घंटे के बाद ही कुछ खाइए और अपनी पहले की दवाई ख़ान पान का रूटीन पूर्ववत ही रखिए !

15 दिन के अंदर यदि आपके अंदर अभूतपूर्व परिवर्तन हो जाए तो डॉक्टर की सलाह लेकर दवा बंद कर दीजिए |
जैसे जैसे आपके अंदर सुधार होगा काढे की मात्रा कम कर सकते है या दो बार की बजाए एक बार भी कर सकते है !

मुझे उम्मीद है की ट्रांसप्लांट का विचार त्याग देंगे जैसा मैने किया है !

मेरा ये अनुभव नवभारत टाइम्स में भी छप चुका है |
जिसके बाद मुझे बहुत फोन आये और 300-400 लोगो को मैंने ये बताया भी जिसमे से 90 % से ऊपर लोगो को
आराम मिला !

अगर आप भी ये प्रयोग करना चाहे तो निश्चिन्त हो कर करिये और अगर ऊपर लिखा हुआ समझ में ना आये या किसी प्रकार की शंका हो तो मुझसे मेरे फोन नंबर 8097236254 पर भी सहायता मांग सकते हैं !

आपको आराम मिले तो आप दूसरे भाइयो को भी इसी प्रकार बताइये !

हम फालतू की पोस्ट तो बहुत करते है !

किसी को जीवन दे दे ऐसी पोस्ट करे भी और शेयर भी करे क्या पता आपकी वजह से किसी जिंदगी बच जाए !

नारियल

नारियल का धार्मिक, वैज्ञानिक रहस्य और लाभ

भारतीय धर्म और संस्कृति में नारियल का बहुत महत्व है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। मंदिर में नारियल फोड़ना या चढ़ाने का रिवाज है। दक्षिण भारत में नारियल के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं। कोई यह कह सकता है कि नारियल की अधिकता के कारण ही नारियल को मंदिर में चढ़ाने की रस्म शुरू हुई तो यह उसके अधूरे ज्ञान का परिचय ही मानेंगे, क्योंकि नारियल के अलावा भी बहुत कुछ बहुतायत में होता है।

हिन्दू धर्म में वृक्षों के गुणों और धर्म की अच्छे से पहचान करके ही उसके महत्व को समझते हुए उसे धर्म से जोड़ा गया है। उनमें ही नारियल का पेड़ भी शामिल है।
नारियल ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्रोत है इसलिए आप खाने की जगह चाहें तो नारियल का इस्तेमाल कर सकते हैं। नारियल में प्रोटीन और मिनरल्स के अलावा सभी पौष्टिक तत्व अच्छी मात्रा में उपलब्ध होते हैं।

नारियल को 'श्रीफल' भी कहा जाता है। ऐसा इसकी धार्मिक महत्ता के साथ-साथ औषधीय गुणों के कारण कहा जाता है। नारियल में विटामिन, पोटेशियम, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। नारियल में वसा और कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है इसलिए नारियल मोटापे से भी निजात दिलाने में मदद करता है।

नारियल ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्रोत है इसलिए आप खाने की जगह चाहें तो नारियल का इस्तेमाल कर सकते हैं। नारियल में प्रोटीन और मिनरल्स के अलावा सभी पौष्टिक तत्व अच्छी मात्रा में उपलब्ध होते हैं।

 🌀 नारियल के लाभ

नारियल कई बीमारियों के इलाज में काम आता है, जैसे हाथ-पैर सुन्न होते हैं तो नारियल का पानी पीना चाहिए। नकसीर हो तो भी इसका पानी लाभदायक होता है। याददाश्त बढ़ाने में भी नारियल की भूमिका होती है। बच्चों को नारियल की गिरी खिलाने उनका दिमाग तेज होता है। नारियल के तेल में नींबू का रस अथवा ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर लेप करने से भी मुहांसे, दाग-धब्बे समाप्त होते हैं।

मोटापा कम करने में नारियल बहुत फायदेमंद है। मोटे लोगों को नारियल का सेवन करना चाहिए। अनिद्रा रोग में भी यह लाभदायक है। नियमित रूप से रात के खाने के बाद आधा गिलास नारियल का पानी पीना चाहिए। इससे नींद न आने की समस्या खत्म होती है और नींद अच्छी आती है।

नारियल तेल में बादाम को मिलाकर तथा बारीक पीसकर सिर पर लेप लगाना चाहिए। इससे सिरदर्द में तुरंत आराम होता है। बालों में रूसी की समस्या के लिए नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाने से रूसी एवं खुश्की से छुटकारा मिलता है। पेट में कीड़े होने पर सुबह नाश्ते के समय एक चम्मच पिसा हुआ नारियल का सेवन करने से पेट के कीड़े बहुत जल्दी मर जाते हैं। इस तरह नारियल के अनेक लाभ हैं।

* नारियल में फाइबर अधिक होता है इसलिए कब्ज के रोगियों के लिए यह लाभदायक है।
* नारियल मांसपेशियों को बढ़ाने में भी सहायक होता है।
* नारियल का दूध गले की खराश को ठीक कर देता है।
* नारियल का दूध पेट के अल्सर को ठीक करने में सहायक होता है। नारियल का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है।
* नारियल का पानी उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी होता है जिन्हें किडनी की बीमारी होती है।
* नारियल का पानी हमारे शरीर की त्वचा को भी लाभ पहुंचाता है।
* नारियल का पानी मूत्राशय से संबंधित बीमारियों में काफी राहत देता है।
* जिन लोगों को शुगर होती है उनको भी नारियल का पानी काफी लाभ पहुंचाता है।
* नारियल में पाया जाने वाला आयोडीन थॉयराइड को बढ़ने से रोकता है।

तम्बाकू कैसे छुडाये


तम्बाकू छोड़ने के घरुलू उपाय

सोफ़ और अजवाइन को 50 gm की मात्रा में लेकर तवे पर हल्का भुन ले साथ ही थोडा निम्बू का रस और हल्का कला नमक भी मिला ले . इस mixture को एक डब्बे में रख ले . जब भी आपको तम्बाकू की तलब लगे तो आप यह mixture को मुह में चूसते रहे . ऐसा करने से नशे की तलब कम होगी .

Dry आवले के टुकड़े , इलायची , सोफ़ और हरद के मिलाकर अपने पास रख ले . जब भी नशा करने की तलब लगे तो इन टुकड़ो को मुह में रख ले और चबाते रहे . इनसे तलब तो कम होगी ही साथ ही खट्टी डकार , बूख ना लगने और पेट फूलने की problem में भी आराम मिलेगा .

अदरक आसानी से सभी घरो में मिल जाता है . यह तो आप भी जानते होंगे कि अदरक कई गुणों से युक्त होता हिया . यह नशा चुदाने में भी बहुत सहायक साबित होता है . अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसमे निम्बू का रास , कला नमक मिला ले और धुप में सुखा ले . अच्छी तरह सुख जाने के बाद इसको अपने पास रख ले . जब भी दिल में गुटखा खाने कि इच्छा जाहिर हो तो इसे मुह में रखकर चूसना सुरु कर दे . जैसे ही इसका रास लार में घुलना सुरु हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर , अगर आप इसे रोजाना इस्तेमाल करते हो तो आपको कभी नशा करने की तलब उठेगी ही नहीं . साथ ही धिरे-धीरे नशे की आदत भी समाप्त हो जाएगी .

छोटो हरद , निम्बू का रास और सेंध नमक मिलाकर इन्हें 2 दिन के लिए ऐसा ही छोड़ दे . फिर इसे निकलकर , शीसी में बाहर रख ले और थोड़ी-थोड़ी देर में मुहमें रखकर चूसते रहे .

हल्का गरम पानी में निम्बू का रास और honey मिलाकर नियमित सेवन करे , यह आपकी नशे की लत को दूर करने में मदद करेगा साथ ही नशे के विशाक्त पदार्थो को शारीर से बाहर निकालता है .

गोमूत्र

गोमूत्र मनुष्य जाति तथा चिकित्सा जगत् को प्राप्त होने वाला अनुदान है। यह धर्मानुमोदित, प्राकृतिक, सहज, प्राप्य, हानिरहित, कल्याणकारी एवं आरोग्यवर्ध्दक रसायन है। गोमूत्र योगियों का दिव्य पान रहा है, वे इससे दिव्य शक्ति पाते थे।
गोमूत्र में गंगा का वास है। यह सर्वपापनाशक है। अमेरिका में अनुसंधान से सिध्द हुआ है कि विटामिन बी गाय के पेट में सदा ही रहता है। यह सतोगुणी रस है, विचारों में सात्विकता लाता है।
छह मास लगातार पीने से आदमी की प्रकृति सतोगुणी हो जाती है। यह रजोगुण, तमोगुण का नाशक है। शरीरगत विष भी पूर्ण से मूत्र, पसीना, मलांश के द्वारा बाहर निकलता है। यह मनोरोग नाशक है। विष को शमन करने में गोमूत्र पूर्ण समर्थ है। आयुर्वेद की बहुत सी विषैली जड़ी-बूटियां व विष के पदार्थ गोमूत्र से ही शुध्द किये जाते हैं।
गौ में सब देवताओं का वास है। यह कामधेनु का स्वरूप है। सभी नक्षत्र की किरणों का यह रिसीवर है, अतएव सबका प्रभाव इसी में है। जहां गौ है, वहां सब नक्षत्रों का प्रभाव रहता है। गौ ही ऐसा दिव्य प्राणी है, जिसकी रीढ़ की हड्डी में अंदर सूर्यकेतु नाड़ी होती है। इसलिए दूध, मक्खन, घी स्वर्ण आभा वाला होता है, क्योंकि सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य की किरणों के द्वारा रक्त में स्वर्णक्षार बनाती है। यही स्वर्णक्षार गौमूत्र में विद्यमान है।
गोमूत्र हमारे लिए निम्न प्रकार उपयोगी है-
1. कीटाणुओं से होने वाली सभी प्रकार की बीमारियां नष्ट होती हैं।
2. शरीर में यकृत को सही कर स्वच्छ खून बनाकर किसी भी रोग का विरोध करने की शक्ति प्रदान करता है।
3. गोमूत्र में ऐसे तत्व हैं, जो हमारे शरीर के आरोग्यदायक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं।
4. मस्तिष्क एवं हृदय को शक्ति प्रदान करता है। मानसिक कारणों से होने वाले आघात से हृदय की रक्षा होती है।
5. शरीर में किसी भी औषधि का अति प्रयोग हो जाने से जो तत्व शरीर में रहकर किसी प्रकार से उपद्रव करते हैं, उनको गोमूत्र अपनी विषनाशक शख्ति से नष्ट कर रोगी को निरोग करता है।
6. रसायन है। यह बुढ़ापा रोकता है।
7. शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने पर उसकी पूर्ति करता है।
8. मानव शरीर की रोग प्रतिरोधी शक्ति को बढ़ा कर रोगों को नाश करने की शक्ति प्रदान करता है।
गोमूत्र में रसायन विज्ञान के मतानुसार निम्न रासायनिक तत्व पाये जाते हैं-
नाइट्रोजन, सल्फर, गंधक, अमोनिया, कॉपर, यूरिया, यूरिक एसिड, फॉस्फेट, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीज, कार्बोलिक एसिड, कैल्शियम, साल्ट, विटामिन ए, बी, डी, ई, स्वर्णाक्षर।
श्रीगोपाल गौशाला, चित्तोड़गढ़ के राजवैद्य श्री रेवाशंकर शर्मा के अनुसार 20 मि.ली. गोमूत्र प्रातः-सायं पीने से निम्न रोगों में लाभ होता है।
भूख की कमी, अजीर्ण, हार्निया, मिर्घी, चक्कर आना, बवासीर, प्रमेह, मधुमेह, कब्ज, उदररोग, गैस, लू लगना, पीलिया, खुजली, मुखरोग, ब्लड प्रेशर, कुष्ठ रोग, पीलिया, भगंदर, दंत रोग, धातु क्षीणता, नेत्र रोग, जुकाम, बुखार, त्वचा रोग, घाव, सिरदर्द, दमा, स्त्री रोग, स्तन रोग, हिस्टीरिया, अनिद्रा।
गोमूत्र प्रयोग करने का ढंग-
1. यथासंभव उसी गाय का मूत्र प्रयोग करें, जो वन की घास चरती हो और स्वच्छ जल पीती हो।
2. देसी गाय का ही गमूत्र लें, जरसी गाय का नहीं।
3. रोगी, गर्भवती गाय का मूत्र प्रयोग न करें।
4. बिना ब्याही गाय का मूत्र अधिक अच्छा है।
5. ताजा गोमूत्र प्रयोग करें।
6. मिट्टी, कांच, स्टील के बर्तन में ही गोमूत्र रखें।
7. पीने से पहले बारीक कपड़े से दो बार छानकर प्रयोग करें।
8. प्रातः और सायं 50 मि.ली. से अधिक गोमूत्र नहीं लेना चाहिए।

लू

लू से बचने के लिए जरूर खाएं...

गर्मियों ने दस्तक दे ही दी है. इससे पहले कि गर्म हवाओं के चलने के साथ-साथ लू लगने की टेंशन भी आपको सताने लगे हम बता रहे हैं लू से बचने के कुछ आसान टिप्स...

• टिप्‍स :-

- घर से निकलने से पहले पानी या शरबत जरूर पीकर निकलें.

- आम पना, शिकंजी, खस-खस का शरबत, दही का घोल बहुत ही फायदेमंद रहता है.

- पूरे दिनभर जितना हो सके पानी पीते रहें.

- पानी में नींबू और नमक मिलाकर अगर पीएंगे तो लू लगने का खतरा कम रहेगा.

- खाली पेट धूप में बिल्कुल भी न निकलें.

- टमाटर की चटनी, नारियल और पेठा खाने से भी लू नहीं लगती.

- खाना एकदम सादा और हल्का खाएं. ज्यादा मसालेदार खाना आपकी सेहत बिगाड़ सकता है.

- धूप से आने के बाद प्याज का सा रस शहद में मिलाकर चाटने से लू लगने का खतरा कम होता है.

- खाने के बाद गुड़ खाने से भी लू से बचाव रहता है.

झुर्रियां


झुर्रियां अकसर बढ़ती उम्र में सभी में होती है।
विशेषकर ज्यादा गर्मी या ज्यादा सर्दी के दौरान चेहरे पर झुर्रियां यानी बूढी रेखाओं के पड़ने की संभावना अधिक बढ़ जाती है ! लेकिन आज की जीवनशैली में लगातार बदलाव होने के कारण अब असमय भी झुर्रियां होने लगी हैं।
आइए जानें झुरिर्यों से बचाव के घरेलू उपचार जो आपके लिए बहुत ही लाभदायक हो सकते हैं।
• गुनगुने पानी से चेहरा अच्छी तरह धोएं फिर उसे तौलिए से रगड-रगड़ कर सुखा लें।
• आधा चम्मच दुध की ठंडी मलाई में नींबु के रस की चार पाँच बूंदें मिलाकर झुर्रियाँ पर तब तक मलते रहें जब तक कि मलाई घुलकर त्वचा में समा न जाए।
• आधा घण्टे बाद पानी से धो डालें परन्तु साबुन का प्रयोग न करें।
• एक माह तक नियमित इस प्रयोग से झुर्रियाँ दुर होती हैं तथा चेहरे के दाग धब्बे भी गायब हो जाते हैं।
अन्य उपयोगी सलाह :
• तनाव से यथासंभव बचे.
• गुस्सा करने से बचे. गुस्सा करने अथवा तरह तरह से मुंह बनाने से भी चेहरे पर उम्र के पहले हीं झुर्रियां पड़ जाती हैं.
• नियमित व्यायाम करना बहुत जरुरी है.
• पेट साफ रखने और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर कर भी आप चेहरे पर झुर्रियां पड़ने से रोक सकते हैं।
• सिगरेट और शराब से परहेज़ करें.
• नमी वाला साबुन और क्रीम का इस्तमाल करें।
• नित्य विटामिन सी युक्त क्रीम प्रयोग करें और ज्यादातर समय धूप से दूर रहें।
• नियमित रूप से ताजे फलों का सेवन करें जैसे आम, जामुन, संतरा, मौसम्मी, लीची, सेव, अंगूर, नाशपाती, पपीता, अनार.
• हरी सब्जियों पालक, बंदगोभी खाएं और दिन में कम से कम एक बार सलाद का सेवन करें.
• रोज़ कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें.
• कभी भी तकिये में मुंह छिपा कर भी नहीं सोएं क्योंकि इससे भी चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
• धूप में निकलने से पहले त्वचा पर ऐसा सनस्क्रीन, जिसमें जिंक ऑक्साइड हो जरूर लगाएं।
• विटामिन सी और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहर का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें.

तरबूज

तरबूज के बीज आपकी सेहत के लिए वरदान

➡तरबूज तो आप खाते ही होंगे पर इसके बीज का आप क्या करते हैं? जाहिर है आप इसके बीज को फेंक ही देते होंगे। लेकिन इसके स्वास्थ लाभ ( Health Benefits) को जानने के बाद शायद आप ऐसा नहीं करेंगे?

➡तरबूज के बीज को चबाकर खाएं या फिर इसके तेल का इस्तेमाल करें, दोनों ही रूप में यह फायदेमंद है। आयरन, पोटैशियम और विटामिन्स से भरपूर तरबूज के बीज सेहत, स्किन और बालों के लिए काफी फायदेमंद हैं।

➡इसमें मौजूद मैग्नीशियम हृदय की कार्यप्रणाली को नॉर्मल रखता है और मेटाबॉलिक सिस्टम (metabolic system) को सपोर्ट करता है। इसके अलावा यह कार्डियोवस्कुलर रोगों और हाइपरटेंशन में भी फायदेमंद है।

➡तरबूज के बीज हमारी पाचन प्रकिरिया ( Digestion)  के लिए बेहद लाभकारी होते है | जब हम भुने हुए या पकाए हुए बीजों का सेवन करते है वह हमारे पाचन तन्त्र ( Digestion system) से हो कर गुज़रते है और वह तुरंत ही पाचन तन्त्र की किरिया में सुधार कर देते है |

➡तरबूज के बीजों में कई ऐसे गुण पाए जाते है जो शरीर के लिए बेहद जरूरी होते है जसी के :-फाइबर … जो पाचन किरिया में सुधार , anti- inflammations, और पीलिया जैसे रोगों के लिए जरुरी होता है |

➡तरबूज के बीज को थोड़े से पानी में उबालें। इस पानी को रोजाना चाय की तरह पिएं। इससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है।

➡प्रोटीन और जरूरी मात्रा में अमीनो एसिड होने के कारण इसका बीज बालों (Hairs) के लिए रामबाण है। इसके बीज को चबाकर खाने से बाल जड़ से मजबूत होते हैं।

➡डॉक्टरों के मुताबिक तरबूज के बीज सेहत (Health) के लिए बेहद फायदेमंद है | यह Heart की functioning  में सुधार करते है और memory के लिए भी लाभदायक है

➡इसमें अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जो त्वचा (skin) में नमी को बनाए रखते हैं। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्‍सीडेंट तत्व झुर्रियों (wrinkles) को दूर करता है।

🍉तरबूज के बीजों की चाय

➡तरबूज के बीजों से बनी चाय kidney के मरीजों के लिए रामबाण है | तरबूज के बीजों से बनी चाये kidney  की पथरी को शु-मन्त्र कर देगी और पेशाब के रोगों के लिए भी काम आये गी  |

➡पहले 4 चमच तरबूज के बीजों को अच्छी तरेह से मसल लें और एनेह 15 मिनटों तक 2 लीटर पानी में उबालें और आपकी चाय तयार है |

➡लगातार 2 दिन इस चाये का सेवन करें और तीसरे दिन छोड़ कर फिर लगातार 2 दिन सेवन करे इसी तरेह  कुछ हफ़्तों तक इस इलाज़ को आजमायें बेशक आपको लाभ होगा |

किडनी

किडनी को पूरी तरह फेल कर सकती हैं आपकी ये गलतियां

सेहतः किडनी यानि गुर्दा, इसका हमारे शरीर में बहुत महत्व होता है। किडनी हमारे शरीर में से विषैले पदार्थों को साफ करने में मदद करती है। इसके अलावा अगर हम बात करें तो कुछ लोग ऐसे हैं जो जाने-अनजाने में कुछ ऐसी आदतों को अपना लेते हैं जो उनकी किडनी को काफी नुकसान पहुंचाती हैं। जैसे- कम पानी पीना, ज्यादा नमक खाना आदि। फिर बाद में किडनी खराब होने पर उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए आज हम आपको उन आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो किडनी फेल होने की वजह बन रही हैं।

1. कम पानी पीना
कम पानी पीने से भी किडनी को काफी नुकसान पहुंच सकता है। क्योंकि कम पानी पीने से मूत्रमाग में संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इसके अलावा कम पानी पीने से किडनी में पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए आपके लिए बेहतर होगा कि आप दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी का सेवन जरूर करें।

2. ज्यादा नमक खाना
नमक में सोडियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। अगर इसका नियमित रूप से ज्यादा सेवन किया जाए तो ऐसे में यह किडनी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

3. पेनकिलर
कई लोग क्या करते हैं वे बिना डॉक्टर की सलाह के सीधे मेडिकल स्टोर से सिरदर्द और पेट दर्द की दवाएं लेकर खा लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं आपके ऐसा करने पर आपकी किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। बेहतर होगा कि आप बिना डॉक्टरी सलाह के दवाई ना खाएं।

4. सिगरेट या तंबाकू
सिगरेट या तंबाकू के सेवन से टॉक्सिंस जमा होने लगते हैं, जिससे किडनी डैमेज होने की समस्या हो सकती है। इससे बीपी भी बढ़ता है, जिसका असर किडनी पर पड़ता है।

5. पेशाब रोक कर रखना
कई बार क्या होता है कि लोग आलस की वजह से यूरीन को नहीं त्यागते और काफी देर तक उसे रोके रहते हैं। आपके ऐसा करने पर किडनी को भारी नुकसान पहुंच सकता है।

ॐ (OM)

ॐ (OM)  उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ :

ॐ : 5 अक्षरों से बना है।
अ अ आ उ म् ।
"अ" - अरिहंत
"अ" - अशरीरी अर्थात् सिद्ध
"आ"- आचार्य
"उ" - उपाध्याय
"म् "- मुनि
 इस प्रकारॐ पञ्च परमेष्ठियों द्योतक है। जो कि सम्पूर्ण परमात्मत्व के द्योतक हैं।ॐ का उच्चारण शारीरिक और मानसिक लाभ प्रदान करता है।

● उच्चारण की विधि

प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।

01)  ॐ और थायराॅयडः

ॐ का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

02)  *ॐ और घबराहटः-
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।

03) *..ॐ और तनावः-
यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।

04)  *ॐ और खून का प्रवाहः-
यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।

5)  ॐ और पाचनः-

ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।

06)  ॐ लाए स्फूर्तिः-
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।

07)  ॐ और थकान:-
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।

08) .ॐ और नींदः-
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।

09) .ॐ और फेफड़े:-
कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।

10)  ॐ और रीढ़ की हड्डी:-
ॐ के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।

11)  ॐ दूर करे तनावः-
ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।

Sleeping Posture

सोने की सबसे अच्‍छी और बुरी पोजीशन
हम हर रोज जिस पोजीशन में सोते हैं उनका हमारी सेहत पर काफी असर होता है। इन पोजीशन के फायदे के साथ-साथ नुकसान भी होते हैं। जानें किस पोजीशन में सोने के क्या फायदे हैं और क्या नुकसान हैं।

1 सोयें सही, रहें सही
जिस तरह पर्याप्त नींद हमारे सेहत के लिए बहुत जरूरी है उसी तरह सोने का तरीका भी हमारे सेहत को प्रभावित करता है। कई बार गलत तरीके से सोने से हमारे दिमाग के साथ-साथ मूड पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि अपने सोने के तरीके का खास खयाल रखें। अगर हम अच्‍छी तरह सोते हैं तो सुबह तरोताजा उठते हैं। अच्‍छी नींद हमें कई तकलीफों से दूर रखती हैं। इससे हमारी कमर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी सही रहती है। इससे इन हिस्‍सों में दर्द नहीं होता। आइए जानें कि किस तरह से सोने के क्या फायदे हैं और क्या नुकसान है।

2 तकिये का सहारा
करवट लेकर सोना जिसमें आपके घुटने मुड़े हुए हों। आपके दोनों घुटनों के बीच में तकिया हो। इसके अलावा अगर आप सीधा लेटते हैं तो अपने दोनों घुटनों के नीचे तकिया रखकर सोयें। बॉडी पिलो आपकी रीढ़ की हड्डी का कुदरती कर्व बनाये रखने में मदद करते हैं। इससे हमारी पीठ में दर्द नहीं होता।

3 सिर का तकिया भी है जरूरी
सिर के नीचे लगाया जाने वाला तकिया भी महत्‍वपूर्ण होता है। अगर आप करवट लेकर सोते हैं, तो तकिया सिर और गर्दन को सही सपोर्ट देने वाला होना चाहिये। इससे रीढ़ की हड्डी को भी सपोर्ट मिलता रहता है। यह तकिया कमर के बल सोने वालों के सिर के नीचे लगने वाले तकिये से थोड़ा मोटा होना चाहिये। कमर के बल सोने वालों का तकिया आपकी गर्दन और पलंग के बीच लगना चाहिये और सिर आगे की ओर नहीं झुका होना चाहिये।

4 मैटर्स हों सही
आपका बिस्‍तर भी सही होना चाहिये। आपका मैटर्स आपके शरीर को पूरा सहारा देने वाला होना चाहिये। इस पर सोते समय आपके शरीर के अलग-अलग पार्टस पर ज्‍यादा जोर नहीं पड़ना चाहिये। अगर बिस्‍तर आरामदेह हो तो आपको नींद अच्‍छी आती है।

5 बुरी पोजीशन
कई बार आपने महसूस किया होगा कि सुबह उठकर आपके शरीर में दर्द होता है। आपकी गर्दन, सिर और बदन में दर्द होता है। इसकी बड़ी वजह आपकी सोने की पोजीशन भी हो सकती है। तो जितना जरूरी आपके लिए यह जानना है कि कैसे सोना सही है, उतना ही जरूरी यह जानना भी है कि आपको किस पोजीशन में सोने से बचना चाहिये।

6 पेट के बल सोने से बचें
पेट के बल सोने से बचना चाहिये क्‍योंकि इससे आपकी लोअर बैक पर अतिरिक्‍त खिंचाव पड़ता है। और साथ ही गर्दन और कंधे की पॉश्‍चर भी ज्‍यादा जोर पड़ता है।

 7 घुटने छाती से लगाकर सोना
कुछ लोग बच्‍चों की तरह घुटने अपनी छाती से लगाकर सोते हैं। यह फीटस या भ्रूण पोजीशन भी कहते हैं। ऐसी पोजीशन में सोने से आपकी कमर पर ज्‍यादा जोर पड़ता है। आपकी कमर में दर्द होने लगता है। इसके साथ ही आपकी गर्दन भी लगातार झुकी रहने के कारण उसमें भी दर्द हो सकता है।

8 सिर के नीचे हाथ न लगायें
सिर के नीचे हाथ लगाकर न सोयें। इससे आपके हाथ की मांसपेशियों में तो दर्द होता ही है साथ ही साथ सिर और गर्दन की मांसपेशियों पर भी अधिक जोर पड़ता है।

9 पीठ के बल सोने के नुकसान
कई बार लोग पीठ के बल सोते हैं उनमें खर्राटे की समस्या बढ़ जाती है। जब आप इस अवस्था में सोते हैं तो इससे जीभ पीछे की तरफ हो जाती है। तालू के पीछे यूव्यल (अलिजिह्वा - तालू के पीछे थोड़ा-सा लटका हुआ मांस) पर जाकर लग जाती है, जिससे सांस लेने और छोड़ने में रुकावट आने लग जाती है। इससे सांस के साथ आवाज और वाइब्रेशन होने लगता है।

Tuesday 28 March 2017

गैस

गैस की पीड़ा से छुटकारा दिलाने वाला चूर्ण
पहली विधि :- छोटी हरड (बाल हर्र) एक किलो लेकर इनहे साफ करके दही की छाछ मे फुलाइए । सुबह फूलने के लिए छाछ मे डाल दीजिए । अगले दिन सुबह छाछ मे से निकालकर पानी से साफ करके छाया मे एक कपड़े पर डाल कर सुखा लीजिए ।जब सूछ जाए तब पुनः छाछ मे डाल दीजिए । ऐसा 3-6 बार करिए । इसके बाद हरडे को पीसकर बारीक चलनी से छान लीजिए ।इस प्रकार बनाए गए एक किलो छोटी हरड के चूर्ण मे पाव किलो अजवाइन पीसकर मिला लीजिए । फिर इस चूर्ण मे काला नमक सवादानुसार मिला लीजिए ।बस गैसहर चूर्ण तैयार ।
सेवन विधि :- भोजन के बाद सेहत के अनुसार यह चूर्ण गुनगुने पानी से ले (ठंडे पानी से भी ले सकते है ) ।
इसके सेवन से गैस की तकलीफ कभी नही होगी , तकलीफ होने पर 5-6 मिनट मे ही चूर्ण लेने के बाद आराम मिल जाएगा , पाचन शकती भी बढ़ती है , दस्त साफ होते है ।गैस का दर्द दूर करने के लिए यह अचूक शर्तिया दवा है । बाजार मे यह चूर्ण नही मिलता है ।
गैस निवारक चटनी
पेट की गैस यदि पुरानी न हो तो निम्नलिखित पेट की गैस निवारक चटनी के सेवन से लाभ प्राप्त किया जा सकता है :-
1) मुनकका (बीज निकालकर ) 30 ग्राम
2) अदरक 6 ग्राम
3) बड़ी सौंफ 6 ग्राम
4) काली मिर्च 3 ग्राम
5) सैंधा नमक स्वादानुसार
इन पाँचो वस्तुओ को थोड़े पानी मे पीसकर चटनी बना ले । इसे दोनों समय भोजन के समय रोटी या भारत के साथ आवश्यकतानुसार 1-2 चम्मच चटनी की भांति चाटे । 1-2 चम्मच चटनी के सेवन से ही आपको पेट की गैस और पेट की खराबी मे पर्याप्त आराम मिलेगा ।पूर्ण लाभ के लिए चार पाँच दिन इसी भांति सेवन करे ।
पेट मे अमलता (ऐसीडिटी ) व गैस :-
एक लौंग व एक इलायची प्रत्येक भोजन व नाश्ते के बाद ले लेने पर कभी भी एसिडिटी व गैस नही होती ।
दूसरी विधि :- इन हरडो को रेत मे भूनिए लीजिए । खूब फूलती है । इनहे पीस लीजिए । जल्दी पिसी जाती है ।
तीसरी विधि :- इस चूर्ण मे 60 ग्राम सनाय (सोनामुखी ) की पत्ती को हल्का भूनकर चूर्ण बनाकर डालने से पुराने से पुराना कब्ज भी हफ्ते भर मे ठीक हो जाता है । सनाय की पत्ती बिना भून कर डालने से पेट मे मरोड आती है ।

Remedies For Chest Pain


सीने में दर्द (Chest Pain) हमेशा हार्ट अटैक का मामला नहीं होता। सीने या छाती में दर्द के और भी कई कारण हो सकते हैं। एसीडिटी, सर्दी, कफ, तनाव, गैस, बदहजमी और धूम्रपान से भी छाती में दर्द होती है। वैसे जब कभी भी छाती में दर्द हो तो तत्काल ड़ॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि हार्ट अटैक की शंका को दूर किया जा सके।

हार्ट अटैक में छाती की दर्द को एंजाइना कहते हैं जो कोरोनरी आर्टरी में रक्त के प्रवाह की प्रक्रिया बाधित होने या बलगम की वजह से उत्पन्न अवरोध के कारण होता है। बहरहाल छाती के दर्द को कभी भी नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए भले ही वह गैस या एसिडिटी का दर्द ही क्यों न हो। अगर आप यह पता लगा लेते हैं कि दर्द हार्ट अटैक की नहीं बल्कि अन्य वजह से है तो इसके घरेलू इलाज आप कर सकते हैं।

छाती दर्द के घरेलू इलाज (Home Remedies for Chest Pain)

लहसुन (Garlic)

लहसुन को वंडर मेडिसीन कहा गया है जो हर तरह की बिमारियों में रामबाण का काम करता है। सेहत के लिए तो रामबाण है ही हार्ट के लिए तो सबसे ज्यादा लाभकारी है। लहसुन में कई तरह के विटामिन, मिनरल्स-कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, थियामिन, राइबोफ्लाविन, नियासिन और विटामिन सी का खजाना है। इसके अलावा इसमें सल्फर, आयोडीन और क्लोरीन की मात्रा भी पाई जाती है।

लहसुन के एक या दो कली अगर आप रोज सुबह खाली पेट खा रहे हैं तो यह न सिर्फ आपके कोलेस्ट्रोल को कम करेगा बल्कि हृदय की धमनी के दीवार पर फैट की परत को बनने से भी रोकेगा। नतीजा आपके हार्ट में ऑक्सीजन और रक्त का प्रवाह सुचारू रहेगा। अगर छाती में दर्द की शिकायत गैस से भी है तो यह काफी कारगर होती है। लहसून का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है। कच्चा लहसून खाना ज्यादा असरदार होता है।

अदरक (Ginger)

अदरक के कई औषधीय गुण हैं। अगर आपको गैस या एसीडिटी से हार्टबर्न हो रहा है, छाती में दर्द हो रहा हो तो अदऱक की चाय आजमा सकते हैं। यह छाती के दर्द के साथ , कफ, खांसी समेत कई बिमारियों के इलाज में काम आता है।

हल्दी (Turmeric)

हल्दी में दर्द निवारक गुण होते हैं। एंटी इंफ्लामेट्री दवा के रुप में इसे आयुर्वेद और चाइनीज मेडिसीन में भी इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी में पाए जाने वाले खास कंपाउड Curcumin में दर्द को चूसने वाले गुण होते हैं। यह दिल की सेहत के लिए भी गुणकारी है। हल्दी को सबसे ज्यादा लोग गर्म दूध में डालकर पीते हैं। दर्द वाले स्थान पर हल्दी का लेप भी लगाया जाता है।

तुलसी (Holy Basil)

तुलसी में सिर्फ एंटी बैक्टीरियल गुण ही नहीं बल्कि एंटी इंफ्लामेट्री गुण भी होते हैं। इसके अलावा तुलसी में ऐसे कई कंपाउड पाए जाते हैं जो दिल के सेहत के लिए भी गुणकारी है। तुलसी में Eugenol पाया जाता है जो दिल के सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। तुलसी के पत्ते लोग चबा कर खाते हैं और कई लोग चाय और काढ़ा बना कर पीते हैं। अगर छाती में दर्द है तो तुलसी-अदरक का काढ़ा बना कर उसमें शहद की बूंदे डाल कर पी लीजिए काफी फायदा करेगा।

और भी हैं कई घरेलू इलाज (Some more home remedies)

गैस से हुए छाती दर्द में अल्फा-अल्फा (Alfa-alfa Sprouts) का जूस काफी फायदेमंद है।अरहूल के पत्ते का काढ़ा भी छाती के दर्द में काफी काम करता है।अनार के जूस से भी छाती दर्द कम होता है।ओमेगा 3 फैटी एसिड मछली के तेल और सरसों के तेल में पाया जाता है, इसके सेवन करने से हार्ट की बीमारी कम होती है।अखरोट का सेवन करें।मुलैठी के जड़ का सेवन करें छाती के दर्द में काफी काम करता है।

मोच, चोट और सूजन

मोच, चोट और सूजन के लिए आयुर्वेदिक उपाय

1. चोट किसी भी स्थान पर लगी हो तो आप कपूर और घी की बराबर मात्रा में मिलाकर चोट वाले स्थान पर कपडे से बांधे एैसा करने से चोट का दर्द कम हो जाता है तथा रक्त बहना भी बंद हो जाता है।

2. चोट के कारण कटे हुए स्थान पर पिसी हुई हल्दी भर देने से खून का बहना बंद हो जाता है तथा हल्दी कीटाणुनाशक भी होती है।

3. यदि आप के पैर में मोच आ गई है तो आप तेजपात को पीसकर मोच वाले स्थान पर लगायें ।

4. मोच को ठीक करने का एक और कारगर उपाय यह है कि आप अनार के पत्ते पीसकर मोच वाली जगह पर मलें।

5. सरसों के तेल में नमक को मिला लें और इसे गर्म करके मोच वाली जगह पर लगाएं। एैसा करने मोच में राहत मिलती है।

6. हाथ पैरों की ऐठन और पैर की मोच पर अखरोट का तेल लगाने से दर्द से राहत मिलती है।

7. चूने को शहद के साथ मिला लें और इससे मोच वाली जगह पर आराम से मालिश करें। इस उपाय से भी मोच में बहुत राहत मिलती है।

8. एलोवेरा के गूदे को सूजन और मोच वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है।

9. इमली की पत्तियों को पीसें और इसे आग में थोड़ा गुनगुना करें। और इसे मोच वाली जगह पर लगाने से दर्द से तुरंत राहत मिलती है।

10. हल्दी और सरसों के तेल को मिला लें और इसे हल्की आंच में गर्म करके फिर इसे मोच वाली जगह पर लगाएं और किसी कपड़े से इसे ढक दें।

11. पका हुआ लहसुन और अजवायन को सरसों के तेल में मिलाकर गर्म करें। और फिर इस तेल की मालिश मोच वाले हिस्से पर करें। आपको राहत मिलेगी।

12. महुआ और तिल को कपड़े में बांध कर लगाने से हड्डी की मोच ठीक हो सकती है।

13. ढ़ाक के गोंद को पानी में मिलाकर उसका लेप करने से चोट में सूजन सही हो जाती है ।

मुलेठी

मुलेठी के फायदे :-

1. मुलेठी के औषधीय गुण जिगर के लिए -
मुलेठी जड़ की चाय का एक कप जिगर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए पियां करें। चाय बनाने के लिए, एक कप गर्म पानी में मुलेठी जड़ पाउडर का आधा चम्मच डालें। 5 से 10 मिनट के लिए ढकें और छान लें। एक सप्ताह के लिए हर दिन एक बार इस चाय को पिएं, फिर कुछ हफ़्ते के लिए रुक जाएं और फिर से दोहराएं।

2. मुलेठी करती है श्वसन तंत्र में संक्रमण का इलाज -
यह जड़ी बूटी गले में खराश, सर्दी, खांसी और दमा के रूप में श्वसन तंत्र में संक्रमण का इलाज करती है। अपने सूजन को कम करने और एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण ब्रोन्कियल नलियों की सूजन को कम करने और वायुमार्ग को शांत करने में मदद करती हैं। यह बलगम को निकालती है जिससे खाँसी में आराम मिलता है। इसके अलावा, इसके रोगाणुरोधी, जीवाणुरोधी और एंटीवाइरल गुण रोगाणुओं से लड़ते हैं जो सांस की बीमारियों और बलगम का कारण हैं। जब सांस की समस्या से पीड़ित हैं, मुलेठी जड़ की चाय (licorice root tea) के कुछ कप पीने से राहत मिलती है। थोड़े से शहद के साथ मुलेठी के चूर्ण या पाउडर का आधा चम्मच मिश्रित करके कुछ दिनों के लिए दिन में दो बार ले सकते हैं। गले में जलन को शांत करने के लिए मुलेठी कैंडीज को चूस भी सकते हैं।

3. मुलेठी का लाभ मौखिक स्वास्थ्य के लिए -
सूखे मुलेठी जड़ पाउडर (Licorice root powder) का प्रयोग अपने दांत ब्रश करने के लिए करें या एक मुलेठी युक्त माउथवॉश का उपयोग मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए करें।
आप मुलेठी की एक नरम छड़ी का उपयोग दैनिक अपने दांत ब्रश करने के लिए भी कर सकते हैं।

साबूदाना

यूं तो साबूदाना या इसके व्यंजनों का उपयोग खास तौर से व्रत-उपवास में किया जाता है, लेकिन साबूदाना बनने की प्रक्रिया जानने के बाद आपके मन में भी यह सवाल जरूर उठेगा, कि क्या साबूदाना सच में फलाहारी है या फिर मांसाहारी? कहीं साबूदाना खाने से व्रत टूट तो नहीं जाता....इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए जरूर पढ़ें यह जानकारी...

दरअसल सामान्य तौर पर तो साबूदाना पूरी तरह से वानस्पतिक है, क्योंकि यह सागो पाम नामक एक पौधे के तने व जड़ में पाए जाने वाले गूदे से बनाया जाता है। लेकिन निर्माण की प्रक्रिया से गुजरने के बाद यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा, कि साबूदाना मांसाहारी भी हो सकता है। जी हां, आप खुद ही जानिए।
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खास तौर से तमिलनाडु में साबूदाना बनाने की कई बड़ी फैक्ट्र‍ियां है, जहां बड़े पैमाने पर सागो पाम की जड़ों को इकट्ठा कर, उसके गूदे से साबूदाना बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में गूदे को बड़े-बड़े गड्ढों में महीनों तक सड़ाया जाता है। सबसे खास बात यह है कि ये गड्ढे पूरी तरह से खुले होते हैं, जिसमें ऊपर लगी लाइट्स की वजह से न केवल कई कीड़े-मकोड़े गिरते हैं, बल्कि सड़ें हुए गूदे में भी सफेद रंग के सूक्ष्म जीव पैदा होते हैं।
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अब इस गूदे को, बगैर कीड़े-मकोड़े और सूक्ष्म जीवों का लिहाज किए, पैरों से मसला जाता है जिसमें सभी जीव भी पूरी तरह से मिल जाते हैं और मावे की तरह आटा तैयार होता है। अब इसे मशीनों की सहायता से साबूदाने अर्थात छोटे-छोटे दाने तैयार होने की प्रक्रिया से गुजारा जाता है और पॉलिश किया जाता है।
इस तरह आपके व्रत और उपवास में फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाने वाला साबूदाना, कीट-पतंगों समेत मांसाहारी हो चुका होता है और आप इस बात से पूरी तरह से अंजान होते हैं। तो क्या अब आप कह सकते हैं, कि साबूदाना फलाहारी है?

केल्शियम फिरसे बनने लगेगा

👉 केल्शियम की कमी
👉 विटामिन D-3  की  कमी
👉 B-12 की कमी ,
👉 शुक्र धातु  की कमी
👉 लुब्रिकेट्स ( शरिर के जोडो के अंदरका चिकना पदाथँ )कम होने  के होने वाले ददँ,
👉 आेस्ट्रियो अर्थराईटिस ,
👉 आेस्ट्रियो पोरोसिस
👉 घुँटनो का धीस जाना
👉  घुँटनो मे गैप पड जाना.
👉 आेपरेशन के बाद घुँटनो मे दर्द

उपर बताई गई सभी तकलिफो का रामबाण ईलाज संजिवनी द्वारा सटिक ईलाज किया गया है


    रामबाण आैषधि

👉 सफेद मुसलि             50 GMs
👉 अश्वगंधा                   30 GMs
👉 शतावर जड.             20 GMs
👉 ईलायचि                   10 GMs
👉 गोखरु                      30 GMs
👉 प्रवाल पिष्टि              10 GMs
👉 कुकुडन्तांक भस्म.     05 GMs
👉 शंख भस्म.               10 GMs
👉 मुक्ता शुकित भस्म.   05 GMs
👉 कपदिँका भस्म.       10 GMs
👉 सुवणँ माक्षिक भस्म   5 GMs
👉 हाडँजोड.                10 GMs


👉 उपर बताई गई आैषधि पंसारि से आैर सभी भस्म सिफँ बैधनाथ कंपनि कि हि ले.

सभी को मिक्स करके चूरन बनाकर सुबह शाम आधा -आधा चमच लेकर 150 ml दूध मे मिलाकर सुबह शाम ले.

⭕ 10 दिनो के अंदर हि अापके धुंटनो मे बिलकुल आराम दिखने लगेगा. पर 3 महिने सेवन करना है.

⭕ आैपरेशन कि भी कोई जरुरत नहि पडेगी

⭕ ईसमे कुदरति केल्शियम है तो ,  केल्शियम कि रोज बरोज कि ऐलोपैथिक दवाई कि जरुरत नहि ,

⭕ जोंईन्ट रिप्लेसमेंट करवाने कि जरुरत नहि , ये जोईन्ट ढिक करता है.

⭕ विटामिन्स -मिनरल्स खाने कि जरुरत नहि , ईसमे विटामिन्स है

⭕ बि -१२ भी भरपुर होता है तो ईन्जेक्शन नहि लेने पडेगे आपको

⭕ विटामिन D-3 का कुदरति स्ञोत है . तो उसकि गोलियो कि जरुरत नहि

⭕ जिन लोगो को धुंटनो का ददँ है वो अवश्य सेवन करे.

Hindi weight gain

जिन्हें वज़न बढ़ाना (Hindi weight gain) है, वे किसी समय के भोजन को कम नहीं कर सकते। हर बार अंतराल में कुछ न कुछ खाते रहे। इससे शरीर में किसी भी पोषक पदार्थ की कमी नहीं होगी तथा आपको मोटे होने में भी मदद मिलेगी। ३ मुख्य भोजनों के बीच में ३ छोटे आहार लें। सूखे मेवे, कॉफ़ी या लडडू का सेवन किया जा सकता है।

अधिक वसा वाला भोजन करें (Focus on heavy meal)

पारम्परिक तरीकों से वजन बढ़ाने के उपाय। आप जो भोजन कर सकते हैं वे हैं

पेय पदार्थ – डाइट सोडा से परहेज करें तथा दूध, प्रोटीन शेक तथा फलों का रस पियें।

सब्ज़ियाँ – स्टार्च युक्त सब्ज़ियों जैसे बीट, गाजर, आलू, हरे बीन्स, खीरा तथा गोभी आदि का सेवन करें।

अतिरिक्त तेल – जब आप खाना बना रहे हों तो तेल पर ध्यान दें। एक्स्ट्रा वर्जिन तेल जैसे जैतून और केनोला आदि सबसे स्वास्थ्यकारी तेल होते हैं। आप ओमेगा ६ फैटी एसिड युक्त तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं। ओमेगा ३ भी एक विकल्प है।

संतुलित आहार से मोटापा बढ़ने का तरीका (Balanced diet)

संतुलित आहार लेने की चेष्टा करें जिसमें प्रोटीन, स्टार्च, विटामिन तथा मिनरल की सही मात्रा हो। इसके बाद आपको अधिक वसा वाली चीज़ों से भी परहेज़ करना होगा जैसे वनस्पति, मार्जरीन आदि। वज़न बढ़ाने के लिए संतुलित आहार को चुनें। वजन बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवा या अतिरिक्त कैलोरी के पीछे ना जाएं क्योंकि ये शरीर में जाकर चर्बी बन जाती है।

अस्वास्थ्यकर भोजनों से परहेज (No to unhealthy food)

वज़न बढ़ाने के लिए कोई भी ऐसी चीज़ ना खाएं जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो। इन भोजनों में कैलोरी के अलावा खराब फैटी एसिड तथा काफी कम पोषक पदार्थ होते हैं।

खूब पानी पियें (Stay hydrated for mota hone ke upay)

शरीर में पानी की कमी ना होने दें। काफी अधिक मात्रा में पानी, दूध, फलों का रस आदि पियें। रोज़ कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पियें। भोजन के पहले या भोजन के दौरान पानी क्योंकि इससे कैलोरी की मात्रा कम होती है।

Uterus

बच्चेदानी में सूजन का कारण और उपचार

कई बार महिलाओं की बच्चेदानी(Uterus)में सूजन आ जाती है बदलते वातावरण या मौसम का प्रभाव गर्भाशय(Uterus)को अत्यधिक प्रभावित करता है जिससे प्रभावित होने पे महिलाओं को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है इसके प्रभाव से भूंख नही लगती है सर-दर्द-हल्का बुखार या कमर-दर्द-और पेट दर्द की समस्या रहती है-


गर्भाशय(Uterus)की सूजन क्या कारण है-

1- पेट की मांसपेशियों में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण तथा व्यायाम न करने के कारण या फिर अधिक सख्त व्यायाम करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो सकती है-

2- पेट में गैस तथा कब्ज बनने के कारण गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो जाती है-

3- औषधियों(Medicine)का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो सकती है-

4- जरुरत से जादा अधिक सहवास(Sexual Intercourse)करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो सकती है-

5- भूख से अधिक भोजन सेवन करने के कारण स्त्री के गर्भाशय में सूजन आ जाती है तथा अधिक तंग कपड़े पहनने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो सकती है-प्रसव के दौरान सावधानी न बरतने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है-
गर्भाशय में सूजन(Swelling)का उपचार-

1- गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)से पीड़ित महिला को चटपटे मसालों-मिर्च-तली हुई चीजें और मिठाई से परहेज रखना चाहिए-

2- पीड़ित स्त्री को दो तीन बार अपने पैर कम से कम एक घंटे के लिए एक फुट ऊपर उठाकर लेटना चाहिए और आराम करना चाहिए-

3- गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो जाने पर महिला रोगी को चार-पांच दिनों तक फलों का जूस पीकर उपवास करना चाहिए- उसके बाद बिना पका हुआ संतुलित आहार लेना चाहिए-


4- निर्गुण्डी को किसी भी प्रकार के बाहरी भीतरी सूजन के लिए इसका उपयोग किया जाता है यह औषधि वेदना शामक और मज्जा तंतुओं को शक्ति देने वाली है वैसे आयुर्वेद में सुजन उतारने वाली और भी कई औषधियों का वर्णन आता है पर निर्गुण्डी इन सब में अग्रणी है और सर्वसुलभ भी-नीम,(निर्गुन्डी) सम्भालु के पत्ते और सोंठ सभी का काढ़ा बनाकर जननांग में लगाने से सुजन ख़त्म हो जाती है-

5- बादाम रोगन एक चम्मच, शरबत बनफ्सा तीन चम्मच और खांड पानी में मिलाकर सुबह पीयें तथा बादाम रोगन का एक रुई का फोया जननांग के मुह पर रखें-इससे गर्मी के कारण गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)ठीक हो जाती है-

6- अरंड के पत्तों का रस छानकर रुई में भिगोकर जननांग में लगाने से भी सूजन ख़त्म हो जाती है-

7- अशोक की छाल 120 ग्राम, वरजटा, काली सारिवा, लाल चन्दन, दारूहल्दी, मंजीठ प्रत्येक को 100-100 ग्राम मात्रा, छोटी इलायची के दाने और चन्द्रपुटी प्रवाल भस्म 50-50 ग्राम, सहस्त्रपुटी अभ्रक भस्म 40 ग्राम, वंग भस्म और लौह भस्म 30-30 ग्राम तथा मकरध्वज गंधक जारित 10 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी औषधियों को कूटछानकर चूर्ण तैयार कर लेते हैं फिर इसमें क्रमश: खिरेंटी, सेमल की छाल तथा गूलर की छाल के काढ़े में 3-3 दिन खरल करके 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं फिर इसे एक या दो गोली की मात्रा में मिश्रीयुक्त गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए-इसे लगभग एक महीने तक सेवन कराने से स्त्रियों के अनेक रोगों में लाभ मिलता है-इससे गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)जलन, रक्तप्रदर, माहवारी के विभिन्न विकार या प्रसव के बाद होने वाली दुर्बलता इससे नष्ट हो जाती है-

8- एरण्ड(अंडी) के पत्तों का रस छानकर रूई भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर तीन-चार दिनों तक रखने से गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)मिट जाती है-

9- कासनी की जड़, गुलबनफ्सा और वरियादी 6-6 ग्राम की मात्रा में, गावजवां और तुख्म कसुम 5-5 ग्राम, तथा मुनक्का 6 या 7 को एक साथ बारीक पीसकर उन्हें 250 ग्राम पानी के साथ सुबह-शाम को छानकर पिला देते हैं यह उपयोग नियमित रूप से आठ-दस दिनों तक करना चाहिए-इससे गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)रक्तस्राव, श्लैष्मिक स्राव(बलगम, पीव)आदि में पर्याप्त लाभ मिलता है-

10- चिरायते के काढ़े से योनि को धोएं और चिरायता को पानी में पीसकर पेडू़ और योनि पर इसका लेप करें इससे सर्दी की वजह से होने वाली गर्भाशय(Uterus)की सूजन(Swelling) नष्ट हो जाती है-

11- रेवन्दचीनी को 15 ग्राम की मात्रा में पीसकर आधा-आधा ग्राम पानी से दिन में तीन बार लेना चाहिए-इससे गर्भाशय की सूजन मिट जाती है-

चेहरे और शरीर के दाग कैसे हटाए -


चेहरे के दाग कैसे हटाए अगर यह दाग बहुत गहरे और काले नहीं है जैसे की मुहासों के कारण बनी हलके दाग और आँखों के नीचे के दाग| इन साधारण दाग धब्बो को  दूर करने के लिए आप यह प्रयोग करे:

सिर्फ दूध का उपयोग करे तो भी काली चमड़ी दूध में रहित लैक्टिक एसिड से धीरे से सवर जाती है| दूध के साथ आप हल्दी का उपयोग करे तो और भी शक्तिशाली लेप तैयार होता है| रूखी त्वचा के लिए यह मिश्रण श्रेष्ट है|

तैलीय त्वचा के लिए हल्दी और निम्बू का रस बेहतर रहता है|

एक और असरकारक लेप दाग और धब्बे के लिए बनाए इस तरह:

  एलोवेरा का रस ले, हल्दी मिलाये, निम्बू का रस मिलाए, थोड़ासा  बेकिंग सोडा मिलाए और इसे साधारण और जटिल दाग धब्बे हटाने के लिए उपयोग में ले|

हलके से दाग और धब्बे हो तो आप सिर्फ गुलाब की पंखुड़ी को कूट कर दूध में मिला के मल दे तो त्वचा संवर जाएगी|

नारियल का तेल में हल्दी और बेकिंग सोडा मिलाये और फिर हिलाए और चेहरे पर लगाने से पहले निम्बू का रस चेहरे के काले दाग वाले जगह पर घिसते रहे|

रुखी त्वचा के लिए यह बेहतर है|दही और हल्दी का उबटन बना के नियमित उपयोग करने से त्वचा का रंगत सुधर जाता  है|

बेसन, चावल का आटा भी आप दही में मिला के चेहरे पर घिस सकते है जिस से मृत कोशिका निकल जाएगी और चेहरा निखर उठेगा


विशेष  टिप्स -----

रात मे बादाम भीगो दे सुबह छिलका उतार कर कच्चे दूध मे घीस कर काले धब्बों  पर लगाये हल्के हाथो से तब तक मसाज  करे वो पेस्ट  सुख कर झडने न लगे

कुछ महीने मे ही रंगत निखर जायेगी

  • ऐलोवेरा का ताजा जैल ले उसमे कुछ  बूँद  जैतून के तेल।की मीलाये मसाज  करे 3से 4 मीनट 15 मीनट बाद चेहरा धो ले
  • संतरे की पल्प को भी चेहरे ओर हाथ पैर पर मलने से रंगत सुधरती है
  •  ज्यादा  कुछ नही कर पाते है तो डेली नहाने से पहले कच्चा  दूध लगाये

सूखी त्वचा

सूखी त्वचा ठीक करने के घरेलू नुस्खे

त्वचा का रूखा हो जाना या जन्म से सूखी त्वचा होना आपके लिए कई प्रकार की समस्याएं जैसे खुजली,त्वचा का फटना और रूखापन पैदा करती हैं। ये रूखापन कई कारणों से आ सकता है जैसे सूरज की किरणों से, प्रदूषण से या त्वचा का ठीक प्रकार ध्यान ना रखने से। अपनी रूखी और बेजान त्वचा को दुबारा तरोताज़ा एवं स्वस्थ बनाने के लिए तथा खुजली एवं फटने से छुटकारा दिलाने कुछ घरेलू उपाय नीचे दिए गए हैं।



रूखी त्वचा एक ऐसी समस्या है, जिसके शिकार हर आयु वर्ग के लोग होते हैं। यहाँ तक कि काफी कम उम्र वाले जवान लोग भी रूखी त्वचा का शिकार होते हैं। इस प्रकार की त्वचा पर नाखून से एक निशान बनाने पर ही चेहरे पर सफ़ेद दाग हो जाते हैं। इस प्रकार की रूखी त्वचा लेकर सारा जीवन व्यतीत करना भी काफी कष्टकारी साबित होता है एवं इसका उपचार करना एवं ठीक करने के नुस्खे निकालना काफी आवश्यक है। अगर आप रूखी त्वचा को बिना उपचार के कई दिनों तक छोड़ देते हैं तो इसके फलस्वरूप त्वचा में दरारें आने और खून निकलने जैसी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। शरीर में पोषक तत्वों के अभाव से भी लोगों की त्वचा रूखी हो सकती है। कई लोगों की त्वचा उम्र बढ़ने के साथ ही रूखी होने लगती है। प्राकृतिक जड़ीबूटियों तथा फलों से बने कुछ घरेलू नुस्खों की सहायता से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। अगर आप आनुवंशिकता के कारण रूखी त्वचा से जूझ रहे हैं तो घरेलू नुस्खे आपके लिए सर्वश्रेष्ठ रहेंगे।



सूखी त्वचा के लिए नॅचुरल उपाय (Natural remedies for dry skin)

ड्राइ स्किन – तेल (

सूखी त्वचा के लिए घरेलू फेशियल
तेल का त्वचा पर सही प्रकार से इस्तेमाल करने से त्वचा की सफाई में काफी सहायता मिलती है। 3 चम्मच जैतून का तेल एवं 1 चम्मच अरंडी का तेल लें और अच्छे से मिलाएं। रूखी त्वचा का इलाज, अब इसे अपनी हथेली पर लेकर मलें और सारे चेहरे पर लगाएं। अब गर्म कपडे में डुबोया गया एक कपड़ा लें और तेल लगे चेहरे पर लगाएं। अब इस गर्म कपडे के ठन्डे होने की प्रतीक्षा करें और इस कपडे को धोकर चेहरे से तेल निकाल लें। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं जब तक कि आपकी त्वचा नरम मुलायम ना हो जाए।

ड्राइ स्किन का इलाज – शहद (Honey)

रूखी त्वचा का घरेलू इलाज, सुनहरे पीले रंग का शहद ना सिर्फ आपकी स्वादेंद्रियों को भाता है बल्कि त्वचा को चमकदार एवं सुन्दर भी बनाता है। एक चुटकी शहद लेकर इसे पूरे चेहरे पर लगाएं। इसे कुछ देर तक त्वचा पर सूखने दें और फिर अपना चेहरा धो लें।



रूखी त्वचा के उपाय – सुबह का पैक

रूखी त्वचा का घरेलू इलाज, एक कटोरी में एक अंडा लें और उसमें 1 चम्मच जैतून का तेल, 1 चम्मच संतरे का रस, गुलाबजल की कुछ बूँदें एवं नींबू का रस डालें। इन सबको अच्छे से मिलाएं और पूरे चेहरे तथा गले पर लगाएं। इस मिश्रण को नहाने के 20 मिनट पहले चेहरे पर लगाएं।

ड्राइ स्किन के उपाय – चॉकलेट (Chocolate)

डार्क चॉकलेट में कई प्रकार एक गुण होते हैं। रूखी त्वचा का इलाज, यह आपकी त्वचा में निखार लाता है,उसे जवान बनाता है,दाग धब्बों से बचाकर रखता है एवं स्ट्रेच मार्क्स दूर करता है। 3 चम्मच कोको पाउडर को 2 चम्मच शहद एवं 1 चम्मच पिसी नाशपाती के साथ मिलाएं। इस चॉकलेट पैक को अपने चेहरे एवं गले पर लगाएं एवं अच्छे से मसाज करें। 20 मिनट तक इसे चेहरे पर रहने दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें।

शुष्क त्वचा – प्राकृतिक उपाय (Go natural)

सूखी त्वचा के लिए मेकअप टिप्स
जिन लोगों की त्वचा रूखी होती है उन्हें भारी मात्रा में क्लींजिंग एजेंट युक्त साबुनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे त्वचा में और रूखापन बढ़ता है और वह सूखी पड़ने लगती है। त्वचा की सफाई करने वाले प्राकृतिक तत्व जैसे बेसन के पाउडर का त्वचा को नमी प्रदान करने के लिए प्रयोग करें।

ड्राइ स्किन – आम (Yummy mango )

फलों का राजा आम भी सूखी त्वचा पर जादू करने में सक्षम है। पके आम का गूदा लें और उसमें पर्याप्त मात्रा में चीनी मिलाएं। अच्छे से मिल जाने के बाद इस गूदे को अपनी त्वचा पर लगाएं। 20 मिनट तक इसे ऐसे ही छोड़ दें और फिर त्वचा में आया फर्क देखें।

शुष्क त्वचा – नमक (Salt help)

रूखी त्वचा का इलाज, 2 चम्मच नमक लेकर उसे नहाने के तुरंत बाद अपने चेहरे पर लगाएं। इससे मृत त्वचा को हटाने में आसानी होती है।

ड्राइ स्किन के उपाय – मकई का आटा (Cornstarch)

जब आप नहाने जाएं तो अपने नहाने के पानी में 3 चम्मच मकई का आटा मिला लें। यह सूखी और खुजली वाली त्वचा पर तुरंत असर करता है।

सूखी त्वचा – केले का मास्क (Banana mask se dry skin ke liye gharelu nuskhe)

केले में त्वचा के स्वास्थ्य सम्बन्धी कई गुण होते हैं। एक पका केला लें और उसे मैश कर लें। अब इस पेस्ट को पूरे चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट तक रहने दें। अच्छे परिणामों के लिए चेहरे को गर्म पानी से धोएं।

ड्राइ स्किन का इलाज – दूध की मलाई (Milk cream)

सूखी त्वचा के लिए सर्वश्रेष्ठ नाईट क्रीम्स
ड्राइ स्किन की देखभाल, अगर आप रूखी त्वचा से परेशान हैं, तो आपके लिए त्वचा की मृत कोशिकाएं निकालना काफी आवश्यक है। दूध की मलाई आपकी रसोई में पाई जाने वाली एक ऐसी चीज़ है, जिसकी मदद से काफी स्वादिष्ट व्यंजन पकाए जाते हैं। दूध की मलाई में मौजूद लैक्टिक एसिड (lactic acid) त्वचा को एक्सफोलिएट (exfoliate) करके इसकी मृत कोशिकाओं को निकालने में मदद करता है। इस उत्पाद से त्वचा का पैक बनाने के लिए एक छोटे पात्र में नींबू के रस की कुछ बूँदें डालें और इसमें 2 चम्मच दूध की मलाई का भी मिश्रण करें। इन्हें अच्छे से मिलाएं और अपने चेहरे तथा गले पर लगाएं। इसके बाद इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर स्नान करने चले जाएं। 2 मिनट तक चेहरे पर मालिश करके इसे हटा लें और स्नान कर लेने के बाद चेहरे पर आये निखार को महसूस करें।

ड्राइ स्किन – नारियल (Coconut)

ताज़ा नारियल कई रसोइयों में उपलब्ध हो जाता है, क्योंकि इस नारियल को किसकर, इसके दूध से तथा इसके अन्य स्वरूपों से कई प्रकार के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का निर्माण किया जा सकता है। आप प्राकृतिक नारियल से तेल निकालकर भी इसका प्रयोग अपने चेहरे तथा त्वचा के अन्य भागों पर कर सकते हैं। क्योंकि नारियल के दूध में एक फैटी एसिड (fatty acid) होता है, इसकी मदद से या फिर नारियल के तेल की मालिश करने से भी त्वचा की परत पर काफी मात्रा में नमी का सृजन होता है। आप एक बार अपना स्नान पूरा करके नारियल के तेल का प्रयोग अपने पूरे शरीर पर भी कर सकते हैं।

सूखी त्वचा – ओटमील (Oatmeal se )

ड्राइ स्किन की देखभाल, लोगों को कुछ साल पहले तक ओत्मील्का मतलब ठीक से पता नहीं था। पर स्वस्थ और तंदुरुस्त बने रहने की होड़ में लोगों को आज ये शब्द ज़बानी याद हैं। आजकल हर रसोई में आपको आसानी से ओटमील मिल जाएगा। यह एक बेहतरीन एक्सफोलिएट भी है, जो आपकी त्वचा से मृत कोशिकाओं को आसानी से निकाल देता है। आप इस ओटमील का प्रयोग शरीर के हर हिस्से से मृत त्वचा निकालने के लिए कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले अपने नहाने के टब (tub) को गर्म पानी से भरें तथा इसमें एक कप सादा ओटमील डालें। आप इस मिश्रण से खुशबू प्राप्त करने के लिए थोड़े से एसेंशियल ऑयल्स (essential oils) भी मिश्रित कर सकते हैं। अब इ ओटमील को पानी में मिश्रित होने के लिए 15 मिनट तक का समय दें। अब इस पानी में नहा लें तथा मृत कोशिकाओं से रहित त्वचा प्राप्त करें।

रूखी त्‍वचा – बादाम का तेल (Almond oil)

सूखी त्वचा के लिए बेहतरीन साबुन
रूखी त्वचा के लिए विटामिन इ (vitamin E) काफी महत्वपूर्ण साबित होती है। बादाम के तेल में काफी मात्रा में विटामिन इ होता है, जो रूखी और अनाकर्षक त्वचा को नमी प्रदान करने का काम करता है। इसके लिए एक पात्र में थोड़ा सा बादाम का तेल लें तथा इसे इतना गर्म करें कि यह गुनगुना हो जाए। अब इस गुनगुने तेल को अपने हाथ, पैर और चेहरे पर लगाएं तथा खुद को नमी प्रदान करें। नमी प्राप्त करने के लिए इसका पालन रोजाना करें।

ड्राइ स्किन का इलाज – अंडे का पीलापन (

अंडे में मौजूद प्रोटीन इसके पीले भाग में अधिक पाया जाता है। क्योंकि आपकी त्वचा को भी पोषण के लिए थोड़े से प्रोटीन की आवश्यकता होती है, अतः इसके लिए अंडे का पीला भाग एक बेहतरीन विकल्प साबित होता है। एक कच्चा अंडा तोड़ें तथा इससे पीला भाग निकाल लें। अब इसमें शहद और इतनी ही मात्रा में दूध पाउडर मिश्रित करें। इन्हें अच्छे से मिलाएं और अपनी त्वचा के रूखे भागों पर इसका प्रयोग करें। इसे करीब 20 मिनट तक रखें तथा और फिर गुनगुने पानी से धो लें। अगर आपसे अंडे की महक सहन नहीं होती तो एक सौम्य क्लीनर (cleaner) का प्रयोग क

माहवारी बंद

कुछ ये कारण भी है माहवारी बंद होने के

महिलाओ में माहवारी हर महीने आती है। जब किसी महीने पीरियड्स रूक जाएं तो यह महिलाओं के लिए परेशानी का कारण बन जाते हैं। अधिकतर महिलाएं इस बात को डर के कारण छुपा लेती है और प्रैग्नेंट होने में परेशानी आ जाती है। इसके अलावा और भी बहुत से ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से माहवारी का आना बंद हो सकते हैं।
1. ज्यादा एक्सरसाइज
कई बार महिलाएं वजन घटाने के चक्कर में जरूरत से ज्यादा वर्कआउट कर लेती हैं। इस वजह से उनके पीरियड्स रूक जाते हैं। कभी भी अपनी मर्जी से एक्सरसाइज न करें, इसके लिए ट्रेनर की सलाह जरूर लें। ज्यादा एक्सरसाइज महिलाओ के लिए खतरनाक साबित हो जाता है।
2. भूखे रहना
मोटापा घटाने के चक्कर में कुछ महिलाएं खाना छोड़ देती हैं। जिससे पीरियड्स रूक सकते हैं या फिर देर से आते हैं।
3. पानी कम पीना
कुछ बहुत कम पानी पीती है जिससे पीरियड्स आने में परेशानी आ जाती है। इसलिए पानी भरपूर मात्रा में पीना चाहिए।
4. बच्चेदानी की समस्या
औरतो को होने वाली परेशानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की वजह से भी पीरियड्स बंद हो सकते हैं। इससे औरतों को सेहत से जुडी और भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
5. थाइराइड
थाइराइड की गड़बड़ी के कारण शरीर का बाकि सिस्टम भी खराब होने लगता है। पीरियड्स बंद होने की एक वजह थाइराइड भी हो सकती है।
6. उम्र के कारण
पीरियड्स बंद होने की उम्र से पहले ही मेनोपॉज हो जाने से भी कुछ महिलाओ को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। बर्थ कंट्रोल जैसी दवाइयों का सेवन करने से भी औरतों को इस परेशानी का सामना करनी पड़ सकता है।

पीरियड्स दर्द में मिलेगी राहत

पीरियड्स के दिनों में पीजिए ये स्मूदी – दर्द में मिलेगी राहत

अक्सर महिलाओं को पीरियड्स के दिनों में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन अब इन दिक्कतों को महिलाओं को मिल सकती है राहत. दरअसल, आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी आयुर्वेदिक स्मूदी ड्रिंक के बारे में जो ना सिर्फ बनाने में आसान है बल्कि इसके सेवन से आसानी से मंथली साइकिल बिना दर्द के निकल जाएगा. ये स्मूदी ना सिर्फ टेस्टी है बल्कि स्मूदी से मूड गुड होता है.
1 से 2 गिलास स्मूदी के लिए साम्रगी-
1 से 2 बड़े चम्मच ऑर्गेनिक तिल के बीज लें. तिल को रातभर पानी में भिगो दें.
4 से 5 चम्मच कोकोनट फ्लेक्स लें. इसे भी दो घंटे पहले पानी में भिगो दें.
4 से 6 खजूर.
आधा चम्मच दालचीनी पाउडर.
आधा चम्मच अदरक का रस.
आधा चम्मच अदरक पाउडर.
आधा चम्मच शतावरी पाउडर.
पानी जरूरत के हिसाब से.
इन सभी को ब्लेंडर में ब्लैंड कर लें.
स्मूदी जब थिक और क्रीमी हो जाएगा तो ये आपके दर्द का करेगा इलाज.

ये फायदे होंगे इस स्मूदी को पीने से

तिल के बीज पीरियड्स के दिनों में बहुत अच्छे माने जाते हैं. इसके सेवन से क्रैंप्स और हैवी फ्लो को रोका जा सकता है. इसमें बहुत अधिक मात्रा में आयरन भी पाया जाता है. मेन्स्ट्रूअल फ्लो रेगुलेट करने के लिए इसे नैचुरल स्वीटनर के साथ मिक्स करके लेना चाहिए.
खूजर और तिल के बीजों को टेस्ट बहुत अच्छा होता है.
कोकोनट फ्लेक्स बॉडी को ठंडा करते हैं. साथ ही ये हार्मोनल बैलेंस भी ठीक रखते हैं.
शतावरी महिलाओं के लिए एक जरूरी हर्ब है. ये वात और पित्त को शांत करने वाला है. ये मेन्स्ट्रूअल साइकल को भी रेगुलेट करता है.
इंडियन गूस्बेरी या आंवला में विटामिन सी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है. ये नये टिश्यूज को दोबारा बनाता है और रेड ब्लड सेल काउंट्स को बढ़ाता है. ये बॉडी को नॉरिश रखता है और ऐपिटाइट बैलेंस बनाकर रखता है.
आयुर्वेद के मुताबिक, महिलाओं की हेल्थ उनके मेन्स्ट्रूअल साइकल से सीधे तौर पर संबंधित है. रेगुलर मेन्स्ट्रूअल साइकल सिर्फ प्रेंग्नेंसी के लिए जरूरी नहीं बल्कि ये बॉडी को डिटॉक्सीफाई भी करता है. लेकिन अधिक महिलाएं अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में पीरियड्स को बाधा मानती हैं

Monday 27 March 2017

गोंद कतीरा

गोंद कतीरा के गुण और स्वास्थ्य लाभ हैं चौकाने वाले.!!

गोंद कतीरा कतीरा पेड़ से निकाला जाने वाला गोंद है। इसका कांटेदार पेड़ भारत में गर्म पथरीले क्षेत्रों में पाया जाता है। इसकी छाल काटने और टहनियों से जो तरल निकलता है वही जम कर सफ़ेद पीला हो जाता है और पेड़ की गोंद कहलाता है।

गोंद कतीरा तासीर में ठंडा है, इसलिए गर्मी में इसका सेवन करें। सर्दी में सेवन उचित नहीं माना जाता। इसके सेवन से शरीर में ताक़त बनी रहती है पेशाब में जलन और पेशाब सम्बंधित बीमारी में यह रामबाण की तरह काम करता है गोंद कतीरा का प्रयोग विभिन्न प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है।

गुण :-
गोंद कतीरा शरीर के खून को गाढ़ा करता है, हृदय की कठोरता को दूर करता है और आंतों की खराश को दूर करके बलवान बनाता है। यह शरीर से निकलने वाले खून को रोकता है, सांस रोग को दूर करता, खांसी को नष्ट करता व कफ दूर करता है। यह छाती की खरखराहट और फेफड़ों के जख्मों को खत्म करता है। इसका प्रयोग जहर को उतारने के लिए भी किया जाता है विशेषकर गर्म मिजाज वालों व्यक्ति के जहर को। पेशाब की जलन, मासिकस्राव का कम आना, हाथ-पैरों की जलन, सिर की जलन, खुश्की, अधिक प्यास लगना आदि रोग ठीक होते हैं।

गोंद कतीरा के फायदे –
कमजोरी और थकान दूर करे-
थकान, कमजोरी, गर्मी की वजह से चक्कर आना, उल्टी और माइग्रेन जैसी समस्याओं में भी गोद कतीरा काफी फायदेमंद होता है। नियमित रूप से प्रात: आधा गिलास दूध में कतीरा गोंद कूटकर डालें और मिश्री डालकर सेवन करें। पित्ती ठीक हो जायेगी।

रक्त की समस्या दूर करे-
गोंद कतीरा में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फॉलिक एसिड जैसे पोषक तत्व पाएं जाते है। गोंद कतीरा शरीर के खून को गाढ़ा करता है। 10 से 20 ग्राम गोंद कतीरा रात को पानी में भिगो दें और सुबह उसी पानी में मिश्री मिलाकर शर्बत बनाकर सेवन करें। इससे रक्त प्रदर दूर होता है।

सिर का दर्द-
लगभग 4 ग्राम मेंहदी के फूल और लगभग 3 ग्राम कतीरा को मिट्टी के बर्तन में भिगोकर रख दें और सुबह मिश्री के साथ पीस कर पीएं। इससे सिर दर्द के अलावा जलन और सिर के बालों का झड़ना भी बंद होता है।

कण्ठमाला-
2 भाग कतीरा और 2 भाग नानख्वा को बारीक पीसकर धनिये के पत्तों के रस में मिलाकर प्रतिदिन गले पर लेप करने से कंठमाला (गले की गांठ) में आराम मिलता है।
लगभग 10 से 20 ग्राम कतीरा को पानी में फुला लें और फिर इसे मिश्री मिले शर्बत में मिलाकर सुबह-शाम पीएं। इससे गले के रोगों में पूरा लाभ मिलता है।

गर्मी व जलन से छुट्टी-
अगर आपके हाथ-पैरों में जलन की समस्या हो तो 2 चम्मच कतीरा को रात को सोने से पहले 1 गिलास पानी में भिगों दें। सुबह कतीरा के फूल जाने इसको शक्कर के साथ मिलाकर रोजाना खाने से हाथों और पैरों की जलन दूर हो जाती है। अगर शरीर अधिक गर्म महसूस हो तो कतीरा को पानी में भिगोकर मिश्री मिले शर्बत के साथ घोटकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे शरीर की गर्मी दूर होती है। इसके सेवन करने से गर्मियों में लू से बचा जा सकता है।

स्त्री रोग मे फायदेमंद-
कतीरा गोंद का सेवन महिलाओं की समस्याए जैसे बच्चा होने के बाद की कमजोरी,माहवारी की गड़बड़ी या ल्यूकोरिया आदि की समस्या को ठीक करता है। यह कमजोरी और उसके कारण होने वाली शारीरिक अनियमिताओं को ठीक करता है। गोंद कतीरा तथा मिश्र को बराबर की मात्रा में मिलाकर पीस लें और 2 चम्मच की मात्रा में कच्चे दूध के साथ सेवन करें |

टांसिल की समस्या
अगर आपको बार बार टांसिल की समस्या हो जाती है तो  2 भाग कतीरा और 2 भाग नानख्वा को बारीक पीसकर धनिये के पत्तों के रस में मिलाकर रोजाना गले पर लेप करने से आराम मिलता है। लगभग 10 से 20 ग्राम कतीरा को पानी में फुला लें और फिर इसे मिश्री मिले शर्बत में मिलाकर सुबह-शाम पीएं। इससे गले के रोगों में पूरा लाभ मिलेगा |

पैरों की जलन-
गोंद कतीरा रात को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इसमें चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे हाथों-पैरों की जलन दूर होती है। इसका प्रयोग गर्मियों में बहुत ही लाभदायक है।

स्वप्नदोष –
स्वप्नदोष के लिए, करीब ६ ग्राम गोंद कतीरा, रात को एक कप पानी में भिगा दी जाती है। रात भर में यह गोंद फूल जाता है जिसमे मिश्री १२ ग्राम मिलाकर खाया जाता है। १०-१५ दिन तक इसके सेवन से स्वप्न दोष में लाभ होता है।

मूत्ररोग-
10 ग्राम से 20 ग्राम गोंद कतीरा सुबह शाम फुलाकर मिश्री के साथ शर्बत घोटकर पीने से मूत्ररोग में लाभ मिलता है।

होम टिप्स

➡ 🐀घर  से चूहो  को भगाने  लिये  पुदिने  की पत्ती को उस स्थान पर रख दे , इससे  चूहे  घर क अन्दर नहीं आएंगे .!

➡ 🐜 चीटी से निजात पाने  लिये  खीरे  का छिलका उस स्थान पर रख दे , इसके  गंध  से  चीटी भाग  जाएंगी !

➡ मक्खियो को घर से भगाने  लिये सुगंधित तेल को रुई  मे  डुबो कर  कमरे मे रख दे , माक्खियाँ  भाग जाएंगी !

➡ छिपकली को भगाने क लिये अंडे के  छिलके को रोशनदानी ए रख दे .छिपकली  घर नहीं  आएँगी !

➡ घर मे पोस्टर  चिपकाने  के  लिये टुथपेस्ट का उपयोग करे  इससे दिवारो पर  दाग नहीं  लगेंगे !

➡ मैदा मे 2-4 तेजपत्ता डाल कर रख दे इससे मैदा मे कीडे नहीं लगेंगे !

➡ सुजी  को  ज्यादा दिनो तक स्टोर करने के  लिये सुजी को कढ़ाई  मे डालकर  हलका सा बिना तेल  के भूँन ले , फिर ठंडा
करके डब्बे मे रख ले !

➡ घर मे अदरक ज्यादा दिनो तक ताजा रखने क लिये गमले मे बालू डालकर  उसमे अदरक डालकर रख  दे  !

तलवों में दर्द को दूर करने के उपाय

तलवों में दर्द या सूजन की समस्या से परेशान लोगों के लिए बॉटल मसाज थैरेपी काफी उपयोगी होती है। इसके लिए आपको प्लास्टिक की बोतल में 1/3 पानी भर कर फ्रीजर में जमने के लिए रखना होगा। बोतल में जब बर्फ जम जाए तो उसे बाहर निकालें और आसपास का पानी पोंछ दें। फिर बोतल को एक सूखे टॉवल, कपड़े या डोरमैट पर रख दें। अब कुर्सी या सोफे पर बैठ जाएं और पैरों के तलवे के बीच वाले हिस्से को बोतल पर रखें व बोतल को तलवों की सहायता से आगे-पीछे करें। इससे आपके तलवों में रक्त संचार होगा और मांसपेशियों की हल्की मसाज होगी। इस प्रयोग को 10-15 मिनट तक कर सकते हैं।
एक्यूप्रेशर रोलर
पैरों के तलवों पर एक्यूप्रेशर रोलर करनें से दर्द से राहत मिलती है। इस क्रिया में पैरों को रोलर पर रखकर धीरे-धीरे घुमाएं। यह क्रिया दिन में कई बार करनी चाहिए। इसे दो मिनट तक करना पर्याप्त रहता है। रोलर करने से पहले तलवों पर हल्का पाउडर लगाएं। इससे एक्यूप्रेशर आसानी से होगा।
मसाज
पैरों को दबाने या मसाज करने से भी आराम मिलता है। तलवों को आराम देने के लिए मसाज करते समय दोनों पैरों के तलवों की ओर अंगूठे के बिल्कुल नीचे पड़ने वाले बिंदु पर दबाव दें। फिर पैरों के ऊपर छोटी उंगली के नीचे पड़ने वाले तीन बिंदुओं पर दबाव दें। इसके बाद पैरों के नीचे एड़ी पर पड़ने वाले तीन मास्टर बिंदुओं पर दबाव दें।

कुत्ते के काटने का उपचार


  • . आम की गुठली को पानी के साथ घिसें और कुत्ते के काटे वाली जगहपर लगाएं। एैसा करने से विष नष्ट हो जाता है।
  • . पिसी हुई लाल मिर्च को तुरंत हीकुत्ते के काटे वाले जगह पर लेप लगाने से कुत्ते का विष नहीं लगताहै।
  • . एलोवेरा को एक ओर से छिलकर उसकेगूदे पर सेंधा नमक डालकर कुत्ते के काटे वाली जगह पर लगाकर किसी सूती कपड़े से उसे बांध लें और एैसा 2 से 3 दिनों तक लगातार करें। यह कुत्ते के विष का खत्म कर देता है।
  • . प्याज का रस, अखरोट की गिरी को बराबर मात्रा में पिस कर उसमें नमक मिला लें और फिर इसे शहद में मिलाकर कुत्ते के काटे स्थान पर लेप करके पट्टी कर लें। एैसा करनेसे शरीर पर कुत्ते के विष का प्रभाव नहीं पड़ता।
  • . शहद के साथ पीसी हुई प्याज को मिलाकर कुत्ते के द्वारा काटी हुई जगह पर लगाने से विष का प्रभाव खत्म हो जाता है।भी लाभ मिलता है।
  • . चैलाई की जड़ 50 से 100 ग्राम पानी में पीसकर घोलकर बार-बार रोगी को पिलाने से कुत्ते का विष खत्म हो जाता है।
  • . कुत्ते के काटे स्थान को साबुन से धोकर डिटोल लगाकर पट्टी बांधने से विष का प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • . 15 काली मिर्च और 2 चम्मच जीरा को पानी में डालकर इसे पीसकर कुत्ते के काटे वाले स्थान पर लगाते रहने से कुछ दिनों में विष खत्म हो जाता है।
  • . गेहूं के आटे की कच्ची रोटी कोकटे स्थान पर बांधकर कुछ देर बाद उसे उसी कुत्ते को खाने को दें जिसने काटा है। यदि वह कुत्ता रोटी खा ले तो समझें कि कुत्ता पागल नहीं है। और न खाए तो समझें वह पागल था

नहाने के दौरान

क्‍या नहाने के दौरान आप भी करते हैं ये 

"क्या आप जानते हैं बहुत अधिक देर पानी में रहने से आप शरीर में मौजूद नैचुरल ऑयल्स को खत्म कर रहे हैं? बेशक रोजाना नहाना चाहिए लेकिन नहाते वक्त लोग कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं जो उनकी सेहत और खूबसूरती को नुकसान पहुंचा सकती है. जानिए, नहाते समय किन गलतियों से बचना चाहिए.

हॉट वॉटर- कई लोग गर्म पानी से नहाना पसंद करते हैं क्योंकि उनकी मसल्स को आराम मिलता है लेकिन क्या आप जानते हैं गर्म पानी में नहाने से त्वचा में मौजूद जरूरी ऑयल्य खत्म हो जाते हैं. गर्म पानी में नहाने से त्वचा शुष्क हो जाती है और इस कारण खुजली भी हो सकती है. अगर आप ठंडी जगहों पर रहते हैं तो सुनिश्चित कर लें कि पानी गुनगुना हो ना कि बहुत गर्म.

शॉवर में बिताते हैं बहुत वक्त- बेशक आप 30 मिनट या उससे ज्यादा समय पानी में बिताकर एन्जॉय करते हों लेकिन क्या आप जानते हैं इससे त्व‍चा में मौजूद तेल निकल जाता है. त्वचा का मॉश्च‍र खत्म हो जाता है. तो कोशिश करें कि 10 मिनट से ज्यादा पानी में ना रहें.

साबुन की खुशबू- खुशबूदार साबुन से भी त्वचा रूखी होती है. हां, एशेंशियल ऑयल से भरपूर साबुन का इस्तेमाल त्वचा के लिए अच्छा‍ हो सकता है.

ये तरीके भी अपनाएं- एक्ने से बचने के लिए बालों को अच्छी तरह से धोएं. कई बार नहाते हुए साबुन मुंह में चला जाता हैं तो आप इससे बचने के लिए अच्छी तरह से कुल्ला भी करें.

नहाने का ब्रश नहीं करते चेंज- बेशक नहाने का ब्रश यानी लूफा आपकी त्वचा के लिए अच्छा हो सकता है लेकिन बहुत पुरान लूफा इस्तेमाल करने से त्वचा को नुकसान पहुचं सकता है. जितना पुराना बॉडी पफ या लूफा होगा बैक्टीरिया उतने ही ज्यादा होंगे. एक महीने में लूफा बदल लेना चाहिए"

Sunday 26 March 2017

बादाम

स्वादिष्ट बादाम की शक्तियां


💁🏼बादाम तेल से कब्ज दूर होती है और यह शरीर को ताकतवर बनाता है।

💁🏼पूरे परिवार के लिए आदर्श टॉनिक बादाम तेल का सेवन फूड एडिटिव के तौर पर किया जा सकता है।

💁🏼यह पेट की तकलीफों को दूर करने के साथ आंत की कैंसर में भी उपचारी है।

💁🏼बादाम तेल के नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। यानी यह दिल की सेहत के लिए भी अच्छा है।

बादाम मस्तिष्क और स्नायु प्रणालियों के लिए पोषक तत्व है।

💁🏼यह बौद्धिक ऊर्जा बढ़ाने वाला, दीर्घायु बनाने वाला है।

💁🏼मीठे बादाम तेल के सेवन से माँसपेशियों में दर्द जैसी तकलीफ से तत्काल आराम मिलता है।

💁🏼बादाम तेल का प्रयोग रंगत में निखार लाता है और बेजान त्वचा को रौनक प्रदान करता है। त्वचा की खोई नमी लौटाने में भी बादाम तेल सर्वोत्तम माना गया है।

💁🏼शुद्ध बादाम तेल तनाव को दूर करता है। दृष्टि पैनी करता है और स्नायु के दर्द में भी राहत दिलाता है।

💁🏼विटामिन डी से भरपूर बादाम तेल बच्चों की हड्डियों के विकास में भी योगदान करता है।

💁🏼बादाम तेल से रूसी दूर होती है और बालों की साज-सँभाल में भी यह कारगर है। इसमें मौजूद विटामिन तथा खनिज पदार्थ बालों को चमकदार और सेहतमंद बनाते हैं।

💁🏼बादाम तेल का इस्तेमाल बाहर से किया जाए या फिर इसका सेवन किया जाए, यह हर लिहाज से उपचारी और उपयोगी साबित होता है।

💁🏼हर रोज रात को 250 मिग्रा गुनगुने दूध में 5-10 मिली बादाम तेल मिलाकर सेवन करना लाभदायक होता है।

💁🏼त्वचा को नरम, मुलायम बनाने के लिए भी आप इसे लगा सकते हैं।

💁🏼नहाने से 2-3 घंटे पहले इसे लगाना आदर्श रहता है। बादाम तेल की मालिश न सिर्फ बालों के लिए अच्छी होती है, बल्कि मस्तिष्क के विकास में भी फायदेमंद होती है। हफ्ते में एक बार बादाम तेल की मालिश गुणकारी है।

Goitre

गण्डमाला की गाँठें (Goitre) :-

गले में दूषित हुआ वात, कफ और मेद गले के पीछे की नसों में रहकर क्रम से धीरे-धीरे अपने-अपने लक्षणों से युक्त ऐसी गाँठें उत्पन्न करते हैं जिन्हें गण्डमाला कहा जाता है। मेद और कफ से बगल, कन्धे, गर्दन, गले एवं जाँघों के मूल में छोटे-छोटे बेर जैसी अथवा बड़े बेर जैसी बहुत-सी गाँठें जो बहुत दिनों में धीरे-धीरे पकती हैं उन गाँठों की हारमाला को गंडमाला कहते हैं और ऐसी गाँठें कंठ पर होने से कंठमाला कही जाती है।

* क्रौंच के बीज को घिस कर दो तीन बार लेप करने तथा गोरखमुण्डी के पत्तों का आठ-आठ तोला रस रोज पीने से गण्डमाला (कंठमाला) में लाभ होता है।

* बसंत मालती रस 120 मिग्रा, मृग श्रृंग भस्म 240 मिग्रा एवं कचनार गुग्गल आधा ग्राम दिन में तीन बार कंचनार की छाल के क्वाथ से लें ।

* प्रवालपिष्टी 120 मिग्रा, राज़ माणिक्य 30 मिग्रा एवं शुद्ध गन्धक 120 मिग्रा प्रतिदिन रात में शहद के सेवन करें

कफवर्धक पदार्थ न खायें।