Thursday 31 August 2017

माइग्रेन

माइग्रेन  रोग आंधा शीशी सिर दर्द !!

इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर में बहुत तेज दर्द होता है तथा यह दर्द सिर के एक भाग में होता है। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग होने का लक्षण:-

इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर के आधे भाग में तेज दर्द होता है तथा सिर में दर्द होने के साथ-साथ रोगी को उल्टी होने की इच्छा भी होती है। इसके अलावा रोगी को चिड़चडाहट तथा दृष्टिदोष भी उत्पन्न होने लगता है। इस रोग का प्रभाव अधिकतर निश्चित समय पर होता है।

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग होने का कारण-

1. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग रोगी व्यक्ति को दूसरे रोगों के फलस्वरूप हो जाता है जैसे- नजला, जुकाम, शरीर के अन्य अंग रोग ग्रस्त होना, पुरानी कब्ज आदि।

2. स्त्रियों को यदि मासिकधर्म में कोई गड़बड़ी हो जाती है तो इसके कारण स्त्रियों को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

3. आंखों में दृष्टिदोष तथा अन्य रोग होने के कारण भी माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

4. यकृत (जिगर) में किसी प्रकार की खराबी तथा शरीर में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण व्यक्ति को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

5. असंतुलित भोजन का अधिक उपयोग करने के कारण रोगी को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो सकता है।

6. अधिक श्रम-विश्राम करने, शारीरिक तथा मानसिक तनाव अधिक हो जाने के कारण भी यह रोग व्यक्तियों को हो सकता है।

7. औषधियों का अधिक उपयोग करने के कारण भी माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

माइग्रेन रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

1. इस रोग से पीड़ित रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को रसाहार (चुकन्दर, ककड़ी, पत्तागोभी, गाजर का रस तथा नारियल पानी) आदि का सेवन भोजन में करना चाहिए और इसके साथ-साथ उपवास रखना चाहिए।
माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को अधिक मात्रा में फल, सलाद तथा अंकुरित भोजन करना चाहिए और इसके बाद सामान्य भोजन का सेवन करना चाहिए।

3. रोगी व्यक्ति को अपने भोजन में मेथी, बथुआ, अंजीर, आंवला, नींबू, अनार, अमरूद, सेब, संतरा तथा धनिया अधिक लेना चाहिए। माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को भोजन संबन्धित गलत आदतों जैसे- रात के समय में देर से भोजन करना तथा समय पर भोजन न करना आदि को छोड़ देना चाहिए।

4. रोगी व्यक्ति को मसालेदार भोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा इसके अलावा बासी, डिब्बाबंद तथा मिठाइयों आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

5. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग में रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ सुबह के समय में चाटना चाहिए तथा इसके अलावा दूब का रस भी सुबह के समय में चाट सकते हैं। जिसके फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

6. माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) का इलाज करने के लिए पीपल के कोमल पत्तों का रस रोगी व्यक्ति को सुबह तथा शाम सेवन करने के लिए देने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

7. माइग्रेन रोग का इलाज करने के लिए रोगी व्यक्ति के माथे पर पत्ता गोभी का पत्ता प्रतिदिन बांधना चाहिए, जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

8. प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा नाक से भाप देकर रोगी व्यक्ति के माइग्रेन रोग को ठीक किया जा सकता है। नाक से भाप लेने के लिए सबसे पहल एक छोटे से बर्तन में गर्म पानी लेना चाहिए। इसके बाद रोगी को उस बर्तन पर झुककर नाक से भाप लेना चाहिए। इस क्रिया को कुछ दिनों तक करने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

9. माइग्रेन रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकर के स्नान भी हैं जिन्हे प्रतिदिन करने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है। ये स्नान इस प्रकार हैं-रीढ़स्नान, कुंजल, मेहनस्नान तथा गर्मपाद स्नान।

10. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग का इलाज करने के लिए प्रतिदिन ध्यान, शवासन, योगनिद्रा, प्राणायाम या फिर योगासन क्रिया करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है

कफ (बलगम)

          कफ (बलगम) हमारे गले व फेफड़ों में जमने वाली एक श्लेष्मा होती है जो खांसी या खांसने के साथ बाहर आता है। यह फायदेमंद और नुकसानदायक दोनों है। हमारे दैनिक सांस लेने क्रिया के समय जो गन्दगी हमारे शरीर में जाती है।

 उसे यह अपने में चिपका लेता है जो सुबह के समय नहाते या मुंह धोते समय खांसने से बाहर निकल जाता है। इस तरह ये हमारा फायदा करती है अगर यह ज्यादा हो जाती है तो सांस लेने में तकलीफ पैदा कर देती है। छाती भारी लगती है। यहां पर यह नुकसान करती है।

विभिन्न औषधियों से उपचार-

1. सरसों :

सरसों के तेल में नमक मिलाकर मालिश करने से छाती में जमी हुई कफ (बलगम) की गांठें निकल जाती हैं।

सत्यानाशी के पंचाग का पांच सौ ग्राम रस निकालकर उसको आग पर उबालना चाहिए।

 जब वह रबड़ी की तरह गाढ़ा हो जाए तब उसमें पुराना गुड़ 60 ग्राम और राल 20 ग्राम मिलाकर, खरलकर लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग की गोलियां बना लेनी चाहिए, एक गोली दिन में तीन बार गरम पानी के साथ देने से दमे में लाभ होता है।

सरसों के पत्तों के रस का घनक्वाथ बनाकर इसमें बैन्जोइक एसिड समान भाग मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर रख लें। इसकी एक गोली दिन में तीन बार सेवन करने से श्वास रोगी को लाभ होता है।

2. घी : बालक की छाती पर गाय का घी धीरे-धीरे मसलने से जमा हुआ कफ (बलगम) निकल जाता है।

3. हल्दी :

कफ (बलगम) जम जाने के कारण सांस लेने में छाती कांपती हो तो 1-2 बार कपड़े से छानकर गाय के मूत्र में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर पिलाना कफ (बलगम)-खांसी में फायदेमंद होता है।

श्लेष्मा, रेशा गिरता हो तो आधा चम्मच हल्दी की फंकी गर्म दूध से सेवन करना चाहिए।

कफ (बलगम) के कारण सीने में घबराहट पैदा होती है तो गर्म पानी के साथ नमक घोलकर पिलाना चाहिए।

जुकाम, दमा में कफ (बलगम) गिरता हो तो नियमित तीन बार 2 ग्राम हल्दी की फंकी गर्म पानी से लेना चाहिए।

4. भांगरा :

तिल्ली बढ़ी हुई हो, भूख न लग रही हो, लीवर ठीक से कार्य न कर रहा हो, कफ व खांसी भी हो और बुखार भी बना रहे। तब भांगरे का 4-6 मिलीलीटर रस 300 मिलीलीटर दूध में मिलाकर सुबह-शाम के समय सेवन करने से लाभ होता है।

टायफाइड से पीड़ित रोगी को भांगरा के रस की 2-2 चम्मच मात्रा को दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है।

गोद के बच्चे या नवजात बच्चे को कफ (बलगम) अगर होता है तो 2 बूंदें भांगरे के रस में 8 बूंद शहद मिलाकर उंगली के द्वारा चटाने से कफ (बलगम) निकल जाता है।

5. रूद्राक्ष : बच्चे की छाती में अगर ज्यादा कफ (बलगम) जम गया हो और कफ निकलने की कोई आशा नज़र न आ रही हो तो ऐसे में रूद्राक्ष को घिसकर शहद में मिलाकर 5-5 मिनट के बाद चटाने से उल्टी द्वारा कफ (बलगम) निकल जाता है।

6. बहेड़ा : बहेड़ा की छाल का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से खांसी मिटती है और कफ (बलगम) आसानी से निकल जाता है और खांसी की गुदगुदी बन्द हो जाती है।

7. अदरक : अदरक को छीलकर मटर के बराबर उसका टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ (बलगम) आसानी से निकल आता है।

8. आंवला : आंवला सूखा और मुलहठी को अलग-अलग बारीक करके चूर्ण बना लें और मिलाकर रख लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार खाली पेट सुबह-शाम हफ्ते दो बार जरूर लें। इससे छाती में जमा हुआ सारा कफ (बलगम) बाहर आ जायेगा।

9. लौंग :

लगभग 3 ग्राम लौंग 100 मिलीलीटर पानी में उबालें। एक चौथाई रह जाने पर कम गर्म करके पी लें। इससे कफ निकल जाता है।
लौंग के तेल की तीन-चार बूंद बूरा या बताशे में गेरकर सुबह-शाम लें। इससे लाभ मिलता है।
10. अंगूर :

अंगूर खाने से फेफड़ों को शक्ति मिलती है। जुकाम, खांसी दूर होती है। कफ (बलगम) बाहर आ जाता है। अंगूर खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
लगभग 8-10 नग मुनक्का, 25 ग्राम मिश्री तथा 2 ग्राम कत्थे को पीसकर मुख में धारण करने से दूषित कफ विकारों में लाभ होता है।
11. पोदीना : कफ (बलगम) होने पर चौथाई कप पोदीने का रस इतने ही गर्म पानी में मिलाकर रोज तीन बार पीने से लाभ होता है।

12. केला : कफ के ज्यादा होने पर केला और शहतूत खाना लाभदायक होता है।

13. तुलसी : कफ (बलगम) होने पर 50 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों के रस में 5 चम्मच चीनी मिलाकर शर्बत बना लें। इसका एक छोटा चम्मच रोज पिलायें। इससे कफ (बलगम) निकल जायेगा। तुलसी के रस में बलगम को पतला करके निकालने का गुण है।

14. राई : खांसी में कफ गाढ़ा हो जाने पर बलगम आसानी से न निकलता हो तो, राई लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम देने से कफ पतला होकर बलगम आसानी से बाहर निकलने लगता है।

15. हरड़ : हरड़ को गाय के मूत्र में पकाकर, कूट-पीसकर खाने से कफ से होने वाले रोग खत्म हो जाता हैं।

Wednesday 16 August 2017

मुंह के छाले और पेट की गर्मी

मुंह के छाले और पेट की गर्मी  दूर करने के आयुर्वेदिक उपचार
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बेर के पत्तों का काढ़ा बना कर उस से कुल्ला करने से मुंह की गर्मी दूर हो जाती है।

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शहद को मुंह के छालों में लगाने से भी मुंह को ठंडक मिलेगी और छाले दूर होंगे।

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अपामार्ग की जड़ का काढ़ा सेंध नमक मिला कर तैयार कर के उस काढ़े से कुल्ला करने से मुंह के छाले मिट जाते हैं।

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नीम के पतों का रस मुंह के छालों पर लगाने से भी आराम मिलेगा।

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Alovera का पेस्ट / रस मुंह के छालों पर लगाने दर्द कम होता है और मुंह को ठंडक मिलती है।

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बर्फ के छोटे टुकड़े मुंह के छालों पर लगा कर लार टपका देने से मुंह की गर्मी निकाल जाती है।

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बेकिंग सोडा में अंजुली भर पानी मिला कर पेस्ट बना लें, और छालों पर लगा दें। इस प्रक्रिया से भी मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।

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हरे धनिये को पीस कर उसका रस निकाल कर उसे मुंह के छालों पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
इलायची को पीस कर उसमे शहद मिला कर, मिश्रण तैयार कर के, उसे छालों पर लगाने से मुंह को आराम मिलता है।

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एक चम्मच हल्दी पावडर को एक गिलास गुनगुने पानी में मिला कर घोल तैयार कर के उसके गरारे करने से मुंह के छाले दूर हो जाते है।

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रात को सोते वक्त देसी घी मुंह के छालों पर लगा देने से सुबह तक उसमे राहत मिल जाती है।

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गुड का पानी / गुड का शरबत भी गले की सूजन और मुंह के छालों का सटीक इलाज है। और इसके प्रयोग से पेट की गर्मी भी दूर होती है।

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चमेली के पत्तों को पीस कर उसका रस निकाल कर मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले मिट जाते हैं।
अमरूद के ताजे मुलायम पत्तों को पीस कर उसका रस मुंह के छालों पर लगाने से भी मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।

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नारियेल पानी पीने से भी पेट की गर्मी मिट जाती है। और मुंह के छाले दूर होते हैं। नारियेल का दूध मुंह के छालों पर लगाने से मुंह को आराम मिल जाता है।
नारियेल का दूध और शहद मिला कर भी छालों पर लगाया जा सकता है।

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तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर उसे मुंह के छालों पर लगाने से मुंह को आराम मिल जाता है।

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संतरे का रस Vitamin C से भरपूर होता है। अगर शरीर में विटामिन “सी” की कमी हो तो भी मुंह में छाले पड़ सकते हैं। इस किए संतरे का रस / जूस पियें।

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प्याच में सल्फर होता है। और सल्फर बेकटेरिया की छुट्टी कर देता है। इस लिए मुंह के छाले दूर करने के लिए प्याज खाना अच्छा रहता है।
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गुलकंद खाने से मुंह को ठंडक मिलती है, और मुंह के छाले मिट जाते हैं।

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मुलेठी का चूरन शहद में मिला कर मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।

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पान में इस्तेमाल होने वाला कत्था भी मुंह के छालों को दूर करने का सटीक उपाय है। दिन में तीन बार कत्था मुंह के छालों पर लगाना चाहिए। इस प्रक्रिया से तीन दिन में मुंह के छाले गायब हो जाते हैं।

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नींबू का रस गुनगुने पानी में मिला कर उस से कुल्ला / गरारे करने से मुंह के छाले मिट जाएंगे, तथा नींबू पानी रोज पीने से पेट की गर्मी दूर होगी।

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अर्जुन की जड़ का चूर्ण और मीठे तेल का मिश्रण तैयार कर के उस से कुल्ला करने से मुंह के रोग नष्ट हो जाते हैं।

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आलूबुखारे को मुंह में रखने से भी मुंह के छालों में राहत मिलती है।

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खाने के साथ दही और छाछ का सेवन भी पेट की गर्मी दूर करता है, जिस के कारण मुंह की गर्मी दूर हो जाती है।
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काली मिर्च और किशमिश को मिला कर उसे चबाने से मुंह के छाले मिट जाते है।

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कच्ची फिटकरी पानी में मिला कर घोल तैयार करें और उस से कुल्ला करें। कच्ची फिटकरी और शहद मिला कर उसका पेस्ट मुंह के छालों पर लगाने से भी मुंह को आराम मिलता है।

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तीन भाग भुना हुआ सुहागा और एक भाग कपूर चूरा थोड़े से शहद में मिला कर मुंह में लगाने से भी मुंह के छाले दूर हो जाते हैं
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बिहिदना मुंह में रख कर उसका रस चूसने से मुंह की गर्मी समाप्त हो जाती है।

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माजूफल, फिटकरी, और कत्था सामन मात्रा में मिला कर मिश्रित चूरन को कपड़े से छान लेना चाहिए और हर दिन इस चूरन को छालों पर लगाने से मुंह में आराम मिलता है।

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सरसों के तेल को मुंह में रख कर कुल्ला करने से मुंह की सारी परेशानीयां दूर हो जाती है। सरसों का तेल दांतों पर लगे कीड़ों का भी नाश कर देता है।

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बबूल की छाल को बारीक पीस कर पानी में उबाल कर घोल तैयार कर के उसके कुल्ले करने से भी मुंह के छाले और जीवा पर उबर आए दाने मिट जाते हैं।

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नीम, जांबुन, मालती, परवल और आम के पत्तों का काढ़ा बना कर उस पानी से कुल्ला करने पर मुंह की गर्मी मिट जाती है। और मुंह के छाले भी दूर हो जाते हैं।

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इन्द्र जौ, कूठ, और काला जीरा मिला कर उसे चबाने से भी मुँह के छाले ठीक होते हैं।

Sunday 6 August 2017

मसूड़ों की सूजन से राहत पाने के 10 प्राकृतिक उपचार!!

मसूड़ों की सूजन एक बहुत आम समस्या है तथा इससे बहुत तकलीफ होती है। इसे जिन्जाइवल सूजन भी कहा जाता है। इससे बहुत अधिक दर्द तथा असुविधा होती है।
                        इससे ब्रश करने और खाना चबाने में भी कठिनाई आती है। सामान्यत: मसूड़ों का रंग गुलाबी होता है परन्तु ऐसी स्थिति में मसूड़ों का रंग लाल हो जाता है। कुछ मामलों में तो मसूड़ों से खून भी आने लगता है । मसूड़ों में सूजन आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे जिंजिवीटीज़, पोषक तत्वों की कमी, मुंह में होने वाले संक्रमण आदि।
बाज़ार में कई तरह के माउथवॉश और पेस्ट उपलब्ध हैं जो दर्द से राहत दिलाने और सूजन कम करने का दावा करते हैं। परन्तु वे दर्द कम करने तथा सूजन कम करने के लिए बहुत समय लेते हैं। इस समस्या से तुरंत आराम पाने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसका घरेलू उपचार किया जाए जो बहुत सरल और प्रभावकारी होता है।

ये पुराने उपचार कई शताब्दियों से मसूड़ों से संबंधित समस्याओं का निदान करते आ रहे हैं। तो आइए मसूड़ों की सूजन के इन प्राकृतिक, आसानी से उपलब्ध तथा सस्ते घरेलू उपचारों के बारे में पढ़ें।

1. नमक के पानी से मुंह धोना:
                      मुंह से संबंधित समस्याओं के निदान में नमक का पानी बहुत महत्वपूर्ण होता है। नमक के पानी से कुल्ला करने से मुंह में होने वाले संक्रमण से बचाव होता है जो मसूड़ों में सूजन आने का एक कारण है।

2. लौंग:
             मसूड़ों की सूजन दूर करने की यह पारंपरिक पद्धति बहुत प्रभावकारी है। लौंग में यूगेनोल होता है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट तथा सूजन को दूर करने का गुण होता है जो सूजन से आराम दिलाने में बहुत प्रभावी होता है।

3. बबूल की छाल:
                   मसूड़ों की सूजन से छुटकारा पाने का यह दादी मां का नुस्खा है। बबूल के पेड़ की छाल मसूड़ों की सूजन से छुटकारा दिलाने में जादू की तरह काम करती है। आप बबूल की छाल को पानी में उबालकर माउथवॉश भी बना सकते हैं। तुरंत राहत पाने के लिए दिन में दो से तीन बार इस घरेलू माउथवॉश से गरारे करें।

4. कैस्टर ऑइल (एरंड का तेल):
                एरंड के तेल में सूजन विरोधी गुण होता है जो मसूड़ों की सूजन से राहत दिलाने में एक प्रभावी घरेलू उपचार है। दर्द वाले भाग पर इसे लगाने से दर्द तथा सूजन से आराम मिलता है।

5. अदरक:
               मुंह के संक्रमण से बचाव के लिए अदरक एक प्राचीन उपचार है। अदरक में सूजन विरोधी गुण होता है जो मसूड़ों की सूजन से राहत दिलाता है तथा मुंह में होने वाले बैक्टीरिया से बचाव भी करता है।

6. नीबू का पानी:
                   नीबू का क्षारीय प्रभाव और इसका सूजन विरोधी गुण मुंह में बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता। मसूड़ों की सूजन से आराम पाने के लिए प्रतिदिन सुबह नीबू के पानी से कुल्ला करें।

7. एलोविरा (घृतकुमारी):
             एलोविरा एक हरफनमौला औषधि है जो कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में सहायक होती है। एलोविरा जेल की प्रकृति एंटीबैक्टीरियल (बैक्टीरिया विरोधी) और एंटीफंगल (फंगस विरोधी) होती है। यह मसूड़ों की सूजन को दूर करने, मसूड़ों से खून आने तथा मुंह के संक्रमण जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है।

8. सरसों का तेल:
              सरसों के तेल में रोगाणुरोधी गुण होता है जो सूजन को दूर करने तथा मसूड़ों की सूजन से राहत पहुंचाने में सहायक होता है। सरसों के तेल में थोडा नमक मिलाएं तथा इस मिश्रण को मसूड़ों पर लगायें। इस उपचार का बार बार उपयोग करने से आपको जल्द ही संक्रमण से छुटकारा मिल जाएगा।

9. हाइड्रोजन पेरोक्साइड:
                     हाइड्रोजन पेरोक्साइड किसी भी दवाई की दुकान पर आसानी से मिल जाता है। यह मुंह की समस्याओं का एक आसान इलाज है। इसमें ऐसे यौगिक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो रोगाणुओं को मारते हैं तथा संक्रमण को आगे फैलने से रोकते हैं। इसके अलावा यह मसूड़ों की सूजन दूर करने में भी सहायक है। इसे पानी के साथ मिलाएं तथा स्वस्थ मसूड़ों के लिए सप्ताह में दो बार इस घोल से कुल्ला करें।

10. टी ट्री ऑइल:
               मसूड़ों की सूजन से छुटकारा पाने का एक अन्य उपचार यह है कि टी ट्री ऑइल से मसूड़ों पर मालिश की जाए। यह काफी हद तक परेशानी को कम करता है तथा बिना किसी दुष्प्रभाव के सूजन को कम करता है।