पुदीने के उपयोग
पुदीने का उपयोग अधिकांशतः चटनी या मसाले के रूप में किया जाता है। पुदीना एक सुगंधित एवं उपयोगी औषधि है। यह अपच को मिटाता है।
आयुर्वेद के मतानुसार पुदीना, स्वादिष्ट, रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, तीखा, कड़वा, पाचनकर्ता, उलटी मिटाने वाला, हृदय को उत्तेजित करने वाला, शक्ति बढ़ानेवाला, वायुनाशक, विकृत कफ को बाहर लाने वाला, गर्भाशय-संकोचक, चित्त को प्रसन्न करने वाला, जख्मों को भरने वाला, कृमि, ज्वर, विष, अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, दस्त, खाँसी, श्वास, निम्न रक्तचाप, मूत्राल्पता, त्वचा के दोष, हैजा, अजीर्ण, सर्दी-जुकाम आदि को मिटाने वाला है।
पुदीने का रस पीने से खाँसी, उलटी, अतिसार, हैजे में लाभ होता है, वायु व कृमि का नाश होता है।
पुदीने में रोगप्रतिकारक शक्ति उत्पन्न करने की अदभुत शक्ति है एवं पाचक रसों को उत्पन्न करने की भी क्षमता है। अजवायन के सभी गुण पुदीने में पाये जाते हैं।
पुदीने के बीज से निकलने वाला तेल स्थानिक एनेस्थटिक, पीड़ानाशक एवं जंतुनाशक होता है। यह दंतपीड़ा एवं दंतकृमिनाशक होता है। इसके तेल की सुगंध से मच्छर भाग जाते हैं।
अनार्तव-अल्पार्तवः मासिक न आने पर या कम आने पर अथवा वायु एवं कफदोष के कारण बंद हो जाने पर पुदीने के काढ़े में गुड़ एवं चुटकी भर हींग डालकर पीने से लाभ होता है। इससे कमर की पीड़ा में भी आराम
आँत का दर्दः अपच, अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, वायु आदि रोगों में पुदीने के रस में शहद डालकर लें अथवा पुदीने का अर्क लें।
दादः पुदीने के रस में नींबू मिलाकर लगाने से दाद मिट जाती है।
उल्टी-दस्त, हैजाः पुदीने के रस में नींबू का रस, प्याज अथवा अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने अथवा अर्क देने से ठीक होता है।
बिच्छू का दंशः बिच्छू के काटने पर इसका रस पीने से व पत्तों का लेप करने से बिच्छू के काटने से होने वाला कष्ट दूर होता है। पुदीने का रस दंशवाले स्थान पर लगायें एवं उसके रस में मिश्री मिलाकर पिलायें। यह प्रयोग तमाम जहरीले जंतुओं के दंश के उपचार में काम आ सकता है।
पैर-दर्दः सूखा पुदीना व मिश्री समान मात्रा में मिलायें एवं दो चम्मच फंकी लेकर पानी पियें। इससे पैर-दर्द ठीक होता है।
मलेरियाः पुदीने एवं तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम लेने से अथवा पुदीना एवं अदरक का 1-1 चम्मच रस सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।
वायु एवं कृमिः पुदीने के 2 चम्मच रस में एक चुटकी काला नमक डालकर पीने से गैस, वायु एवं पेट के कृमि नष्ट होते हैं।
प्रातः काल एक गिलास पानी में 20-25 ग्राम पुदीने का रस व 20-25 ग्राम शहद मिलाकर पीने से गैस की बीमारी में विशेष लाभ होता है।
पुरानी सर्दी-जुकाम व न्यूमोनियाः पुदीने के रस की 2-3 बूँदें नाक में डालने एवं पुदीने तथा अदरक के 1-1 चम्मच रस में शहद मिलाकर दिन में 2 बार पीने से लाभ होता है।
पुदीने का उपयोग अधिकांशतः चटनी या मसाले के रूप में किया जाता है। पुदीना एक सुगंधित एवं उपयोगी औषधि है। यह अपच को मिटाता है।
आयुर्वेद के मतानुसार पुदीना, स्वादिष्ट, रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, तीखा, कड़वा, पाचनकर्ता, उलटी मिटाने वाला, हृदय को उत्तेजित करने वाला, शक्ति बढ़ानेवाला, वायुनाशक, विकृत कफ को बाहर लाने वाला, गर्भाशय-संकोचक, चित्त को प्रसन्न करने वाला, जख्मों को भरने वाला, कृमि, ज्वर, विष, अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, दस्त, खाँसी, श्वास, निम्न रक्तचाप, मूत्राल्पता, त्वचा के दोष, हैजा, अजीर्ण, सर्दी-जुकाम आदि को मिटाने वाला है।
पुदीने का रस पीने से खाँसी, उलटी, अतिसार, हैजे में लाभ होता है, वायु व कृमि का नाश होता है।
पुदीने में रोगप्रतिकारक शक्ति उत्पन्न करने की अदभुत शक्ति है एवं पाचक रसों को उत्पन्न करने की भी क्षमता है। अजवायन के सभी गुण पुदीने में पाये जाते हैं।
पुदीने के बीज से निकलने वाला तेल स्थानिक एनेस्थटिक, पीड़ानाशक एवं जंतुनाशक होता है। यह दंतपीड़ा एवं दंतकृमिनाशक होता है। इसके तेल की सुगंध से मच्छर भाग जाते हैं।
अनार्तव-अल्पार्तवः मासिक न आने पर या कम आने पर अथवा वायु एवं कफदोष के कारण बंद हो जाने पर पुदीने के काढ़े में गुड़ एवं चुटकी भर हींग डालकर पीने से लाभ होता है। इससे कमर की पीड़ा में भी आराम
आँत का दर्दः अपच, अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, वायु आदि रोगों में पुदीने के रस में शहद डालकर लें अथवा पुदीने का अर्क लें।
दादः पुदीने के रस में नींबू मिलाकर लगाने से दाद मिट जाती है।
उल्टी-दस्त, हैजाः पुदीने के रस में नींबू का रस, प्याज अथवा अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने अथवा अर्क देने से ठीक होता है।
बिच्छू का दंशः बिच्छू के काटने पर इसका रस पीने से व पत्तों का लेप करने से बिच्छू के काटने से होने वाला कष्ट दूर होता है। पुदीने का रस दंशवाले स्थान पर लगायें एवं उसके रस में मिश्री मिलाकर पिलायें। यह प्रयोग तमाम जहरीले जंतुओं के दंश के उपचार में काम आ सकता है।
पैर-दर्दः सूखा पुदीना व मिश्री समान मात्रा में मिलायें एवं दो चम्मच फंकी लेकर पानी पियें। इससे पैर-दर्द ठीक होता है।
मलेरियाः पुदीने एवं तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम लेने से अथवा पुदीना एवं अदरक का 1-1 चम्मच रस सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।
वायु एवं कृमिः पुदीने के 2 चम्मच रस में एक चुटकी काला नमक डालकर पीने से गैस, वायु एवं पेट के कृमि नष्ट होते हैं।
प्रातः काल एक गिलास पानी में 20-25 ग्राम पुदीने का रस व 20-25 ग्राम शहद मिलाकर पीने से गैस की बीमारी में विशेष लाभ होता है।
पुरानी सर्दी-जुकाम व न्यूमोनियाः पुदीने के रस की 2-3 बूँदें नाक में डालने एवं पुदीने तथा अदरक के 1-1 चम्मच रस में शहद मिलाकर दिन में 2 बार पीने से लाभ होता है।
No comments:
Post a Comment