Tuesday, 28 March 2017

Uterus

बच्चेदानी में सूजन का कारण और उपचार

कई बार महिलाओं की बच्चेदानी(Uterus)में सूजन आ जाती है बदलते वातावरण या मौसम का प्रभाव गर्भाशय(Uterus)को अत्यधिक प्रभावित करता है जिससे प्रभावित होने पे महिलाओं को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है इसके प्रभाव से भूंख नही लगती है सर-दर्द-हल्का बुखार या कमर-दर्द-और पेट दर्द की समस्या रहती है-


गर्भाशय(Uterus)की सूजन क्या कारण है-

1- पेट की मांसपेशियों में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण तथा व्यायाम न करने के कारण या फिर अधिक सख्त व्यायाम करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो सकती है-

2- पेट में गैस तथा कब्ज बनने के कारण गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो जाती है-

3- औषधियों(Medicine)का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो सकती है-

4- जरुरत से जादा अधिक सहवास(Sexual Intercourse)करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो सकती है-

5- भूख से अधिक भोजन सेवन करने के कारण स्त्री के गर्भाशय में सूजन आ जाती है तथा अधिक तंग कपड़े पहनने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो सकती है-प्रसव के दौरान सावधानी न बरतने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है-
गर्भाशय में सूजन(Swelling)का उपचार-

1- गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)से पीड़ित महिला को चटपटे मसालों-मिर्च-तली हुई चीजें और मिठाई से परहेज रखना चाहिए-

2- पीड़ित स्त्री को दो तीन बार अपने पैर कम से कम एक घंटे के लिए एक फुट ऊपर उठाकर लेटना चाहिए और आराम करना चाहिए-

3- गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो जाने पर महिला रोगी को चार-पांच दिनों तक फलों का जूस पीकर उपवास करना चाहिए- उसके बाद बिना पका हुआ संतुलित आहार लेना चाहिए-


4- निर्गुण्डी को किसी भी प्रकार के बाहरी भीतरी सूजन के लिए इसका उपयोग किया जाता है यह औषधि वेदना शामक और मज्जा तंतुओं को शक्ति देने वाली है वैसे आयुर्वेद में सुजन उतारने वाली और भी कई औषधियों का वर्णन आता है पर निर्गुण्डी इन सब में अग्रणी है और सर्वसुलभ भी-नीम,(निर्गुन्डी) सम्भालु के पत्ते और सोंठ सभी का काढ़ा बनाकर जननांग में लगाने से सुजन ख़त्म हो जाती है-

5- बादाम रोगन एक चम्मच, शरबत बनफ्सा तीन चम्मच और खांड पानी में मिलाकर सुबह पीयें तथा बादाम रोगन का एक रुई का फोया जननांग के मुह पर रखें-इससे गर्मी के कारण गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)ठीक हो जाती है-

6- अरंड के पत्तों का रस छानकर रुई में भिगोकर जननांग में लगाने से भी सूजन ख़त्म हो जाती है-

7- अशोक की छाल 120 ग्राम, वरजटा, काली सारिवा, लाल चन्दन, दारूहल्दी, मंजीठ प्रत्येक को 100-100 ग्राम मात्रा, छोटी इलायची के दाने और चन्द्रपुटी प्रवाल भस्म 50-50 ग्राम, सहस्त्रपुटी अभ्रक भस्म 40 ग्राम, वंग भस्म और लौह भस्म 30-30 ग्राम तथा मकरध्वज गंधक जारित 10 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी औषधियों को कूटछानकर चूर्ण तैयार कर लेते हैं फिर इसमें क्रमश: खिरेंटी, सेमल की छाल तथा गूलर की छाल के काढ़े में 3-3 दिन खरल करके 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं फिर इसे एक या दो गोली की मात्रा में मिश्रीयुक्त गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए-इसे लगभग एक महीने तक सेवन कराने से स्त्रियों के अनेक रोगों में लाभ मिलता है-इससे गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)जलन, रक्तप्रदर, माहवारी के विभिन्न विकार या प्रसव के बाद होने वाली दुर्बलता इससे नष्ट हो जाती है-

8- एरण्ड(अंडी) के पत्तों का रस छानकर रूई भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर तीन-चार दिनों तक रखने से गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)मिट जाती है-

9- कासनी की जड़, गुलबनफ्सा और वरियादी 6-6 ग्राम की मात्रा में, गावजवां और तुख्म कसुम 5-5 ग्राम, तथा मुनक्का 6 या 7 को एक साथ बारीक पीसकर उन्हें 250 ग्राम पानी के साथ सुबह-शाम को छानकर पिला देते हैं यह उपयोग नियमित रूप से आठ-दस दिनों तक करना चाहिए-इससे गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)रक्तस्राव, श्लैष्मिक स्राव(बलगम, पीव)आदि में पर्याप्त लाभ मिलता है-

10- चिरायते के काढ़े से योनि को धोएं और चिरायता को पानी में पीसकर पेडू़ और योनि पर इसका लेप करें इससे सर्दी की वजह से होने वाली गर्भाशय(Uterus)की सूजन(Swelling) नष्ट हो जाती है-

11- रेवन्दचीनी को 15 ग्राम की मात्रा में पीसकर आधा-आधा ग्राम पानी से दिन में तीन बार लेना चाहिए-इससे गर्भाशय की सूजन मिट जाती है-

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