शरीर में प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान----ये पांच प्रधान वायु
एवं नाग, कूर्म, कृकर, देवदत्त एवं धनंजय ----ये पांच उपप्रधान वायु रहती हैं ।
दसों प्राणवायु के भिन्न भिन्न कार्य इस प्रकार हैं -----
1. प्राण----इसका निवास -स्थान ह्रदय है ।इसके कार्य हैं --श्वास को बाहर निकालना, खाये हुए अन्न को पचाना इत्यादि ।
2. अपान---इसका निवास -स्थान गुदा है ।इसके कार्य हैं--श्वास को भीतर
ले जाना, मल-मूत्र को बाहर निकालना, गर्भ को बाहर निकालना इत्यादि ।
3. समान--इसका निवास-स्थान नाभि है ।इसका कार्य है --पचे हुए भोजन के रस को सब अंगों में बाँटना ।
4. उदान--इसका निवास-स्थान कण्ठ है ।इसके कार्य हैं --भोजन करते समय उसके गाढ़े भाग और जल भाग को अलग करना, सूक्ष्मशरीर को स्थूलशरीर से बाहर निकालना तथा उसे दूसरे शरीर या लोक में ले जाना ।
5. व्यान--इसका निवास-स्थान सम्पूर्ण शरीर है ।इसका कार्य है --शरीर तथाउसके अंगों को सिकोड़ना या फैलाना ।
6. नाग--इसका कार्य है --डकार लेना ।
7. कूर्म --इसका कार्य है --नेत्रों को खोलना और बंद करना ।
8. कृकर --इसका कार्य है --छींकना ।
9. देवदत्त --इसका कार्य है ---जम्हाई लेना ।
10. धनंजय --यह मृत्यु के बाद भी शरीर में रहता है, जिससे मृतशरीर फूल जाया करता है।
वास्तव में एक ही प्राणवायु के भिन्न -भिन्न कार्यों के अनुसार उपयुक्त भेद माने गये हैं ।
एवं नाग, कूर्म, कृकर, देवदत्त एवं धनंजय ----ये पांच उपप्रधान वायु रहती हैं ।
दसों प्राणवायु के भिन्न भिन्न कार्य इस प्रकार हैं -----
1. प्राण----इसका निवास -स्थान ह्रदय है ।इसके कार्य हैं --श्वास को बाहर निकालना, खाये हुए अन्न को पचाना इत्यादि ।
2. अपान---इसका निवास -स्थान गुदा है ।इसके कार्य हैं--श्वास को भीतर
ले जाना, मल-मूत्र को बाहर निकालना, गर्भ को बाहर निकालना इत्यादि ।
3. समान--इसका निवास-स्थान नाभि है ।इसका कार्य है --पचे हुए भोजन के रस को सब अंगों में बाँटना ।
4. उदान--इसका निवास-स्थान कण्ठ है ।इसके कार्य हैं --भोजन करते समय उसके गाढ़े भाग और जल भाग को अलग करना, सूक्ष्मशरीर को स्थूलशरीर से बाहर निकालना तथा उसे दूसरे शरीर या लोक में ले जाना ।
5. व्यान--इसका निवास-स्थान सम्पूर्ण शरीर है ।इसका कार्य है --शरीर तथाउसके अंगों को सिकोड़ना या फैलाना ।
6. नाग--इसका कार्य है --डकार लेना ।
7. कूर्म --इसका कार्य है --नेत्रों को खोलना और बंद करना ।
8. कृकर --इसका कार्य है --छींकना ।
9. देवदत्त --इसका कार्य है ---जम्हाई लेना ।
10. धनंजय --यह मृत्यु के बाद भी शरीर में रहता है, जिससे मृतशरीर फूल जाया करता है।
वास्तव में एक ही प्राणवायु के भिन्न -भिन्न कार्यों के अनुसार उपयुक्त भेद माने गये हैं ।
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