Sunday, 30 April 2017

आंखों की सूजन

आंखों की सूजन का कारण व लक्षण

आंखों में धुआं लगना, धूल-मिट्टी पड़ जाना, बहुत पास से पढ़ना, नशीले पदार्थों के सेवन व संक्रामकता के कारण आखों में सूजन आ जाती है। आंखों में तेज खुजली होती है तथा उनसे कीचड़ निकलने लगता है।

आँखों की सूजन का इलाज

गाजरः गाजर को महीन पीसकर आंखों पर लगाने से सूजन में आराम मिलता है।

आंवलाः आंवले को रात को पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इसे पीसकर लुगदी बना लें और आंखों की पलकों पर मरहम की तरह लगाएं निश्चित तौर पर आराम मिलेगा।

त्रिफला: त्रिफला के पानी से सुबह आंखें धोने पर भी आंखों की सूजन समाप्त हो जाती है।

छुहाराः छुहारे के साथ फिटकरी व कुछ मात्रा में अफीम को पीसकर आंखों के बाहर लेप करने से आंखों की सूजन में काफी आराम मिलता है।

यहां यह सावधानी रखें कि मरहम आंखों में न जाने पाए।

कडी पत्‍ते और आमले का तेल

आइये जानते हैं कि कडी पत्‍ते और आमले का तेल बनाया कैसे जाता है.

आइये इस आर्टिकल में आपको बताते है सफेद बालों को हमेशा के लिए,

काला करने के सम्बंध में व अपने सफेद बालों को हमेशा के लिए काला कैसे बना सकते है.

हर्बल तरीके से नेच्युरल प्रोडक्ट के जरिये आज मैं आपको इसका विधि बताने जा रहा हूँ.

दोस्तों इसके लिए हमें सामग्री चाहिए होगी वो है कड़ी पत्ता कुछ लोग इसको मीठा नीम भी कहते है और नारियल का तेल इसके अलावा हमें चाहिए होगा आंवले का चूर्ण.

कड़ी पत्ता तेल बनाने की विधि

कडी पत्‍ते का एक गुच्‍छा ले कर उसे साफ पानी से धो लें और सूरज की धूप में तब तक सुखा लें,

जब तक कि यह सूख कर कड़ी ना हो जाए. फिर इसे पाउडर के रूप में पीस लें अब 200 एम एल नारियल के तेल में या फिर

जैतून के तेल में लगभग 4 चम्‍मच कडी पत्‍ती मिक्‍स कर के उबालिये.

2 मिनट के बाद आंच बंद कर के तेल को ठंडा होने के लिये रख दीजिये.

तेल को छान कर किसी एयर टाइट शीशी में भर कर रख प्रयोग करने का तरीका हफ्ते में एक या दो बार इस कडी पत्‍ते का तेल जरुर लगाएं.

उंगलियों को सिर पर हल्‍के हल्‍के घुमाते हुए सिर पर तेल फैलाएं.

सिर धोने से 40 मिनट पहले यह तेल लगाएं.

इस विधि से यह तेल सफेद हो रहे बालों को काला करने में मदद करेगा.

आवला तेल

आंवला एक प्राकृतिक डाई के रूप में पुराने जमाने की महिलाओं दृारा प्रयोग किया जाता था.



प्रयोग करने की विधि

सोने से पहले रोज रात को यह तेल लगाएं और इससे अपने सिर की अच्‍छे से मसाज करें.

अगर इस तेल को हल्‍की आंच पर गरम कर के लगाया जाए तो जल्‍दी असर दिखेगा.

अगली सुबह सिर को शैंपू से धो लें. इस आंवला ट्रीटमेंट को आप रोज या फिर हर दूसरे दिन आजमां सकती हैं.

इससे आपको बहुत लाभ मिलेगा.

टिप्स

अपने भोजन में नियमित रूप से कडी पत्‍ता शामिल करें और जितना हो सके तनाव से दूर रहें. इससे आपके बालों को काला होने में मदद मिलेगी

प्याज

प्‍याज जीवाणुरोधी, तनावरोधी, दर्द निवारक, मधुमेह को कंट्रोल करने वाला, पथरी हटाने वाला और गठिया रोधी भी है। यह लू की रामबाण दवा है। प्‍याज का प्रयोग लगभग प्रत्‍येक भारतीय रसोई में कच्‍चे एवं पक्‍के दोनों रुपों में किया जाता है। गर्मी में लगने वाली लू का भी इलाज यही प्‍याज है। प्‍याज में विटामिन सी, लोहा, गंधक, तांबे जैसे बहुमूल्‍य खनिज पाये जाते हैं, जिनसे शारीरिक शक्‍ति बढ़ती है। खाने के साथ कच्‍चे प्‍याज का सेवन लाभदायक होता है।

प्याज में केलिसीन होता है और रायबोफ्लाविन भी अच्छी खासी मात्रा में होता है और इसमें करीब 11 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है। साथ ही प्याज में जो खास गंध आती है वो आती है इसमें मौजूद एन प्रोपईल डाई सल्फाईड के कारण आती है और हमारी आँखों में आंसू इसलिए आते है प्याज काटने के समय क्योंकि इसमें मौजूद यह पदार्थ पानी में घुलनशील एमिनो अम्लो के साथ क्रिया करके बनता है।

प्याज को बहुत से लोग उसकी दुर्गंध के कारण पसंद नहीं करते, पर इसके कई फायदे होते हैं जैसे इम्यूनिटी पावर बढ़ाना, चेहरे की झुर्रियों को दूर भगाना, आंखों की रोशनी बढ़ाना आदि। प्याज़ में कई एंटी-इन्फ्लामेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जिससे यह शरीर को कई तरह की बीमारियों से प्रोटेक्ट करता है। आज हम आपको प्याज़ के कई और फायदे बता रहे हैं, जिसे जान लेने पर आप प्याज़ को अपनी रोज़ाना की डाइट में शामिल जरूर करेंगे।

प्याज खाने से होते हैं अनेक फायदे

लू से राहत:-
गर्मियों के मौसम में प्याज खाने से लू नहीं लगती है। लू लगने पर प्याज के दो चम्मच रस को पीना चाहिए और सीने पर रस की कुछ बूंदों से मालिश करने पर फायदा होता है। एक छोटा प्याज साथ में रखने पर भी लू नहीं लगती है।

कोलेस्ट्रॉल बैलेंस करता है:-
प्याज़ में पाए जाने वाले एंटी-बैक्टीरियल गुण कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम बनाए रखते हैं। इन्हीं एंटी बैक्टीरियल गुण के कारण ही इसे खाने से डाइजेस्टिव सिस्टम में भी सुधार होता है।
जुकाम से निजात दिलाये:-
प्‍याज की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका सेवन सर्दियों में बहुत ही फायदेमंद होता है। सर्दी, जुकाम, खराश आद‍ि की समस्‍या होने पर ताजे प्‍याज का रस लें, फायदा होगा। इसे आप गुड या शहद मिलाकर भी ले सकते हैं।
बाल को गिरने से बचाए:-
बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के लिए प्याज बहुत ही असरकारी है। गिरते हुए बालों के स्थान पर प्याज का रस लगाने से बालों का गिरना बंद हो जाता है और प्‍याज का लेप बालों में लगाने से काले बाल उगने शुरू हो जाते हैं।

दिल के लिए फायदेमंद:-
कच्चा प्याज ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। इसमें मिथाइल सल्फाइड और अमीनो एसिड होता है। इसीलिए यह कोलेस्ट्रॉल को भी काबू में रखता है और दिल को बीमारियों से बचाता है।
यूरीन संबंधी समस्‍या में असरकारी:-
प्‍याज के रस को पानी में उबालकर पीने से यूरीन संबंधित समस्या समाप्त हो जाती है। अगर यूरीन आना बंद हो जाए तो प्याज दो चम्मच प्याज का रस और गेहूं का आटा लेकर हलवा बना लें। इसे गर्म करके पेट पर इसका लेप लगाने से पेशाब क समस्‍या दूर हो जाती है।

पायरिया दूर करे:-
अगर दांत में पायरिया है, तो प्याज के टुकड़ों को तवे पर गर्म कीजिए और दांतों के नीचे दबाकर मुंह बंद कर लीजिए। इस प्रकार 10-12 मिनट में लार मुंह में इकट्ठी हो जाएगी। उसे मुंह में चारों ओर घुमाइए फिर निकाल फेंकिए। दिन में 4-5 बार 8-10 दिन करें, पायरिया जड़ से खत्म हो जाएगा, दांत के कीड़े भी मर जाएंगे और मसूड़ों को भी मजबूती प्राप्त होगी।

यौन शक्ति बढ़ाए:-
शारीरिक क्षमता को बढाने के लिए पहले से ही प्याज का इस्तेमाल होता आया है। प्‍याज खाने से सेक्‍स क्षमता बढ़ती है। पुरुषों के लिए तो प्‍याज सेक्‍स पॉवर बढ़ाने का सबसे अच्‍छा टॉनिक है।

पीलिया का असरदार इलाज:-
आधा कप सफेद प्‍याज के रस में गुड़ और पिसी हल्‍दी मिला कर प्रात: वह शाम को पीने से पीलिया में लाभ होता है। छोटे प्‍याज को छील कर चौकोर काट कर सिरके या नींबू के रस में भिगो दें, ऊपर से नमक काली मिर्च डाल दें। पीलिया का यह शर्तियां इलाज है।

सफेद बालों

जी हां, यह पुराने जमाने की औषधि आलू के छिलके को उतारकर बनाई जाती है। यह आजमाया हुआ नुस्‍खा है जो कि बालों को सफेद होने से बचाने के साथ ही बालों के रोम को भी स्वस्थ रखता है। आलू के छिलके में मौजूद स्टार्च बालों की रक्षा करता है।

आलू के छिलके के हेयर मास्क में विटामिन ए, बी और सी होता है, जिससे यह स्‍कैल्‍प पर जमे तेल को हटाकर इसे साफ करते हैं, परतदार डैंड्रफ को हटाते हैं, रोम छिद्रों को खोलते हैं और नए बालों के रोमों को बढ़ाते हैं। इतना ही नहीं आलू में आयरन, जिंक, पोटेशियम और कैल्शियम जैसे कई मिनरल्स पाये जाते हैं जिससे बालों का गिरना कम होता है और बाल बढ़ते हैं। आलू में मौजूद स्टार्च एक प्राकृतिक कलर के रूप में काम करता है, यह ना केवल बालों को सफेद होने से रोकता है बल्कि यह चमक भी प्रदान करता है।

पैक बनाने के लिए सामग्री
आलू का छिलका- 3 या 4लैवेंडर का तेल (इच्छानुसार)- कुछ बूंदें
बनाने का तरीका
3-4 आलू लेकर, उनके छिलके उतार लें।फिर इनके छिलके लेकर, एक कप ठंडे पानी में डालें।इसे पैन में डालकर, अच्‍छे से उबालें।जब यह पूरी तरह उबल जाए, तो इसे 5 से 10 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।फिर इस मिश्रण को थोड़ी देर के लिए ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इसे जार में भरें।इसकी तीखी गंध से छुटकारा पाने के लिए आप कुछ बूंद लैवेंडर ऑयल डाल सकते हैं। 


इस्तेमाल करने का तरीका
इस मिश्रण को यदि साफ और गीले बालों में लगाया जाये तो आलू के छिलके का पानी ज्यादा बेहतर असर करता है। आलू के छिलके के इस मिश्रण को आप स्‍कैल्‍प पर धीरे-धीरे लगाकर, थोड़ी देर के लिए छोड़ दें। अपने बालों की 5 मिनट मसाज करें और फिर 30 मिनट तक इसे ऐसे ही छोड़ दें। अगर मिश्रण कुछ देर बालों में रहता है तो शानदार तरीके से काम करता है। इसके बाद इसे ठंडे पानी से धो लें।

आलू का ये प्रयोग आजमाइए और अपने बालों को सफेद होने से बचाइए!

Muscle Pain


नस चढ़ना एक बहुत साधारण सी प्रक्रिया है, लेकिन जब भी शरीर में कहीं भी नस चढ़ जाए, जान ही निकाल देती है और अगर रात को सोते समय पैर की नस चढ़ जाए तो व्यक्ति चकरघिन्नी की तरह घूम कर उठ बैठता है, सूजन और दर्द अलग |

साल भर पहले, एक दिन, कहीं बैठे बैठे, मेरे भी बायें पैर की नस चढ़ गयी, संयोगवश मेरे सामने एक बुज़ुर्ग एवं अनुभवी व्यक्ति बैठे थे, उन्होने तुरंत मेरे दायें हाथ की उंगली मेरे दाहिने कान के नीचे की तरफ रखी और कहा कि अब आप हल्का सा दबाए हुए उंगली को उपर और नीचे गति दें और ये प्रक्रिया करीब 10 सेकेंड तक करते रहें |

मैं आश्चर्य चकित था कि मेरा पैर अब बिल्कुल ठीक था | मैने उन बुज़ुर्गवार का दिल से धन्यवाद दिया और उसके बाद आज तक एक साल में मैने इस चमत्कारी तरीके से ना जाने कितने लोगों को लाभान्वित किया है |

आप भी ज़रूरत पड़ने पर एक बार आज़मा के ज़रूर देखें |

इसमें ध्यान ये रखना है कि दिए हुए चित्र के अनुसार आप लंबाई में अपने शरीर को आधा आधा दो भागों में चिन्हित करें, अब जिस भाग में नस चढ़ी है उसके विपरीत भाग के कान के निचले जोड़ पर उंगली से दबाते हुए उंगली को हल्का सा ऊपर और हल्का सा नीचे की तरफ बार बार 10 सेकेंड तक करते रहें | नस उतर जाएगी |

छोटी इलायची


छोटी इलायची  देखने में छोटी सी होती हैं लेकिन इसके अंदर ढ़ेर सारे गुण होते हैं । इलायची का हर घर में प्रयोग किया जाता हैं । यह न केवल मीठे और स्वादिष्ट व्यंजनों में डाली जाती हैं बल्कि एक माउथ फ्रेशनर के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता हैं । इलायची में आयरन ,रिबोफ्लेविन, विटामिन सी तथा नियासिन जैसे आवश्यक विटामिन पाएं जाते हैं । यह पाचन क्रिया को ठीक करती हैं और एरोमोथेरेपी के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल की इसमें भरपूर मात्रा पाई जाती हैं । इलायची दो तरह की होती हैं छोटी इलायची और बड़ी इलायची। इलायची को खाने में डालकर खाने की खुशबू को बढ़ाया जाता हैं। इलायची हमारे स्वास्थय को भी फ़ायदा पहुँचाती हैं । इसे खाने से हमारा रक्तचाप ठीक रहता हैं । हमारी पाचन शक्ति भी सही रहती हैं और अगर गले की कोई समस्या हो तो उसे भी इलाइची के सेवन से दूर किया जा सकता हैं ।
स्वास्थय के लिए छोटी इलायची के लाभ
1. अगर आपके गले में कोई तकलीफ होती हैं, तो आप सुबह उठकर और रात को सोते समय छोटी इलायची को चबा-चबाकर खाएं और उसके ऊपर गुनगुना पानी पी लें। ऐसा करने से आपकी गले की समस्या दूर हो जाएंगी। गले में सूजन आ गई हो तो मूली के पानी में छोटी इलायची को पीसकर खाना चाहिए ,लाभ मिलेगा ।
2. छोटी इलायची का सेवन पाचन को बढ़ाने, पेट की सूजन को कम करने, हृदय की जलन को दूर करने में मदद करता हैं । दो से तीन इलायची, अदरक का एक छोटा सा टुकड़ा, थोड़ी सी लौंग और धनिया के कुछ बीज लें। इन्हें  पीस कर गर्म पानी के साथ खाएं। अपच, सूजन और गैस के लिए यह एक अच्छा उपाय हैं ।
3. इलायची हमारे मुंह में ताज़गी को बनाएं रखने में मदद करता हैं माउथ फ्रेशनर की तरह काम करता हैं । अगर आपके मुंह से हमेशा ही बदबू आती हैं तो आप इलायची से उसे दूर कर सकते हैं । इसके अलावा इलायची में मौजूद गुण मुंह के अल्सर और संक्रमण से भी बचाव करती हैं। इसलिए आप इलायची  का सेवन करना शुरू करें ।
4. तनाव को दूर रखने के लिए इलायची वाली चाय पीयें । चाय में इलायची डालकर पीने से इसका स्वाद बढ़ जाता है लेकिन इसकी चाय पीने से तनाव की समस्या दूर हो जाती हैं। जब भी आप तनाव महसूस करते हैं तो इलायची वाली चाय का सेवन करें ।
5. इलाइची में विटामिन और जरूरी तेल मौजूद होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट का काम करते हैं। यह चेहरे से फ्री रेडिक्लस को हटाने में भी काफी मददगार होता हैं ।
6. हिचकी कभी भी कहीं भी शुरू हो जाती हैं । कभी-कभी यह बिना रुके देर तक आती रहती हैं। हिचकी आने पर इलायची का सेवन काफी फायदेमंद होता हैं । इलायची में हिचकी को दूर करने का गुण होता हैं ।
7. सर्दी-खांसी और छींक होने पर एक छोटी इलायची, एक टुकड़ा अदरक, लौंग तथा पांच तुलसी के पत्ते एक साथ पान में रखकर खाएं, राहत मिलेगी ।
8. अगर आपका जी मचलाता हैं उल्टी आती हैं इलायची का चूर्ण अनार के जूस के साथ पीने से जी घबराने और उल्टियां होने जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता हैं ।
9. इलायची के बीज, बादाम और पिस्ता को एक साथ भिगोएं और बारीक़ करके पीस लें । फिर इसे  दूध में पकाएँ जब तक यह गाढ़ा न हो जाएं फिर इसमें मिश्री को मिक्स करें और धीमी आंच पर पकने दें जब तक यह हलवे की तरह गाढ़ा न हो जाएं । इसे खाने से हमारी स्मरण शक्ति बढ़ती हैं और आंखों की कमज़ोरी भी दूर हो जाती हैं ।
10. मुंह में छाले हो जाने पर बड़ी इलायची को बारीक़ पीसकर और उसमें पिसी हुई मिश्री मिक्स करके अपने मुंह में रखें ,आपको आराम मिलेगा ।

जीरा

जीरा एक ऐसा मसाला है जो खाने में बेहतरीन स्वाद और खुशबू देता है। इसकी उपयोगिता केवल खाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके कई लाभ भी हैं। कई रोगों में दवा के रूप में इसका इस्‍तेमाल किया जाता है। जीरे में मैंगनीज, लौह तत्व, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में होता है। इसे मेक्सीको, इंडिया और नार्थ अमेरिका में बहुत उपयोग किया जाता है। इसकी सबसे खासियत यह है कि यह वजन तेजी से कम करता है।
जीरा खाएं मोटापा घटाएं......
वजन कम करने के लिए भी जीरा बहुत उपयोगी होता है। एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि जीरा पाउडर, के सेवन से शरीर मे वसा का अवशोषण कम होता है जिससे स्वाभाविक रूप से वजन कम करनें में मदद मिलती है। एक बड़ा चम्‍मच जीरा एक गिलास पानी मे भिगो कर रात भर के लिए रख दें। सुबह इसे उबाल लें और गर्म-गर्म चाय की तरह पिये। बचा हुआ जीरा भी चबा लें।
इसके रोजाना सेवन से शरीर के किसी भी कोने से अनावश्यक चर्बी शरीर से बाहर निकल जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखे की इस चूर्ण को लेने के बाद 1 घंटे तक कुछ न खायें। भुनी हुई हींग, काला नमक और जीरा समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, इसे 1-3 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार दही के साथ लेने से भी मोटापा कम होता है। इसके सेवन से न केवल शरीर से अनावश्यक चर्बी दूर हो जाती है बल्कि शरीर में रक्त का परिसंचरण भी तेजी से होता है। और कोलेस्‍ट्रॉल भी घटता है।

मेथी दाना


1. अगर आपको अपच, पेट की गैस, कब्ज़ जैसी कोई भी समस्या हो या पेट से संबंधित किसी प्रकार की समस्या हो तो नियमित मेंथी दाने के सेवन से आप इस समस्या से बच सकते हैं।

2. अगर आपके बाल रूखे सूखे बेजान है तो मेथी के दानों को रात भर पानी या नारियल के तेल में भिगों कर पीसकर पेस्ट को बालों में लगाने से बाल काले और चमकदार होते हैं।

3. मेथी दाने के सेवन से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता हैं।

4. अगर प्रसव के बाद माँ को दूध कम बने तो डॉक्टर से लेकर घर के बड़े-बूढ़े इस समस्या से निपटने के लिए मेथीखाने की सलाह देते हैं। क्योंकि मेथी में मौजूद डिसोजेनीन दूध के बनने में मददगार है, इसलिए इसका रोजाना थोड़ी मात्रा में ही सही, सेवन ज़रूर करना चाहिए।

5. ज़्यादा तली भुनी और ऑयली खाना खाने के कारण अगर सीने में जलन होने लगे तो एक चम्मच मेथी दाने का सेवन करने से इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है।

6. तीन ग्राम मेथी के बीजों को पानी में उबालकर और छानकर प्रतिदिन पीने से मासिक धर्म से संबंधित समस्याएं और पीड़ा दूर होती है।

7. दस ग्राम मेथी के बीजों को पानी में उबालकर छान लें। उस छने हुए पानी में काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से गठिया रोग का दर्द दूर हो जाता है।

8. मेथी के बीजों का चूर्ण दही के साथ सेवन करने से दस्त में बहुत लाभ मिलता है।

9. बालों पर मेथी के दानों का बना पेस्ट लगाने से बालों का झड़ना दूर हो जाता है।

10. मेथी ख़ून में शुगर की मात्रा को संतुलित करती है। इसलिए डायबिटीज़ से ग्रसित रोगी को रोज़ाना मेथी के 5 से 6 दानों का सेवन करना चाहिए।

इमली


इमली से हम सब परिचित हैं | इमली के वृक्ष काफी ऊँचे होते हैं तथा सघन छायादार होने के कारण सडकों के किनारे भी इसके वृक्ष लगाए जाते हैं | इमली का वृक्ष उष्णकटिबंधीय अफ्रीका तथा मेडागास्कर का मूल निवासी है | वहां से यह भारत में आया और अब पूरे भारतवर्ष में प्राप्त होता है | यहाँ से ईरान तथा सऊदी अरब में पहुंचा जहाँ इसे तमार-ए-हिन्द (भारत का खजूर ) कहते हैं |इसका पुष्पकाल फ़रवरी से अप्रैल तथा फलकाल नवंबर से जनवरी तक होता है | इसके फल में शर्करा,टार्टरिक अम्ल,पेक्टिन,ऑक्जेलिक अम्ल तथा मौलिक अम्ल आदि तथा बीज में प्रोटीन,वसा,कार्बोहायड्रेट तथआ खनिज लवण प्राप्त होते हैं | यह कैल्शियम,लौह तत्व,विटामिन B ,C तथा फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है |आज हम आपको इमली के औषधीय गुणों से अवगत करा रहे हैं -

१- १० ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर,मसल-छानकर ,शक्कर मिलाकर पीने से सिर दर्द में लाभ होता है |

२- इमली को पानी में डालकर ,अच्छी तरह मसल- छानकर कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है|

३- १० ग्राम इमली को १ लीटर पानी में उबाल लें जब आधा रह जाए तो उसमे १० मिलीलीटर गुलाबजल मिलाकर,छानकर, कुल्ला करने से गले की सूजन ठीक होती है |

४-इमली के दस से पंद्रह ग्राम पत्तों को ४०० मिलीलीटर पानी में पकाकर ,एक चौथाई भाग शेष रहने पर छानकर पीने से आंवयुक्त दस्त में लाभ होता है |

५- इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप लगाने से मोच में लाभ होता है |

६-इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है |

७- गर्मियों में ताजगी दायक पेय बनाने के लिए इमली को पानी में कुछ देर के लिए भिगोएँ व मसलकर इसका पानी छान लें। अब उसमें स्वादानुसार गुड़ या शक़्कर , नमक व भुना जीरा डाल लें। इसमें ताजे पुदीने की पत्तियाँ स्फूर्ति की अनुभूति बढ़ाती हैं ,अतः ताजे पुदीने की पत्तियाँ भी इस पेय में डाली जा सकती हैं |

नोट -- चूँकि इमली खट्टी होती है अतः इसे भिगोने के लिए कांच या मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाना चाहिए |.

दही

दही खाने के 15 फायदे |

1. दही का सेवन करने से हमारी पाचन शक्ति बढ़ती हैं, हर-रोज दही खाने से भूख न लगने की बीमारी खत्म हो जाती हैं।

2. जो लोग हर-रोज दही का सेवन करते हैं ना तो मुँह से दुर्गंध आती हैं और ना ही उनके दांतों में कीडा लगता हैं।

3. हर-रोज दही खाने से हमारा इम्यून सिस्टम स्ट्रोंग होता हैं, और हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती हैं।

4. यह माना गया हैं कि जो लोग नियमित रूप से दही का सेवन करते हैं उनका शुगर लेवल कंट्रोल रहता हैं।

5. दही का नियमित सेवन करने से आंतों के रोग और पेट संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं।

6. दही में कैल्शियम अधिक मात्रा में पाई जाती हैं जिससे हमारी हड्डियां को विकास होता हैं।

7. हींग का छौंक लगाकर दही खाने से जोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी हैं।

8. दुबले-पतले व्यक्तियों को अगर दही में किशमिश, बादाम या छुहारा मिलाकर दिया जाए तो वजन बढ़ने लगता हैं।

9. दही के साथ शहद मिलाकर जिन बच्चों के दांत निकल रहे हों, उन्हें चटाना चाहिए। इससे दांत आसानी से निकल जाते हैं।

10. रात को नींद न आने वाली बीमारी में दही का सेवन बहुत फायदेमंद हैं।

11. हमारे दिमाग के लिए दही का सेवन बहुत फायदेमंद हैं क्योंकि दही में विटामिन B12 अच्छी मात्रा में होता हैं।

12. हर-रोज दही का सेवन करने से आंतो, पेट सबंधिंत बीमारी नहीं होती हैं।

13. एंटीबायोटिक दवाइयों के सेवन के दुष्प्रभाव से बचने के लिए दही सेवन की सलाह डाक्टर भी देते हैं।

14. दही खाने का सीधा संबंध मस्त‍‍िष्क से हैं, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दही का सेवन करने वालों को तनाव की शिकायत बहुत कम होती हैं।

15. अगर आप खुद को बहुत थका हुआ महसूस कर रहे हैं तो हर रोज दही का सेवन करना आपके लिए अच्छा रहेगा।

Saturday, 29 April 2017

सूखा धनिया

सूखा धनिया........... सिर्फ मसाला नहीं बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। जानते हैं इसके फायदों के बारे में।

पीलिया: सूखा धनिया, मिश्री, आंवला, गोखरू व पुनर्नवा जड़ को बराबर मात्रा में पीस लें। 1-2 चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेने से लिवर की सूजन, पीलिया व पेशाब कम आने जैसी दिक्कतों में आराम मिलता है। 
पेट में जलन: पिसा धनिया, जीरा, बेलगिरी व नागरमोथा को समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। खाने के बाद इसे 1 चम्मच पानी से लें।
मुंह के छाले:  1 चम्मच पिसा धनिया, 250 मिलिलीटर पानी में मसलकर छान लें। इससे दिन में 2-3 बार कुल्ला करे
उल्टी : 1 चम्मच धनिया, 2 चम्मच मिश्री व एक इलाइची को पीसकर खाने से लाभ होगा।
पेट में कीड़े : एक से डेढ़ चम्मच धनिया पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ 15 दिनों तक लें। बच्चों को 1/4 चम्मच दें।
परहेज: गठिया, कफ व लो ब्लड प्रेशर में परहेज करें क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। 

कलौंजी

कलौंजी .....एक चमत्कारी मसाला एवम् औषधि.......

- कलौंजी एक बेहद उपयोगी मसाला है। इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों जैसे दालों, सब्जियों, नान, ब्रेड, केक और आचार आदि में किया जाता है। कलौंजी की सब्जी भी बनाई जाती है।
- कलौंजी में एंटी-आक्सीडेंट भी मौजूद होता है जो कैंसर जैसी बीमारी से बचाता है।
- आयुर्वेद कहता है कि इसके बीजों की ताकत सात साल तक नष्ट नहीं होती.
- अपच या पेट दर्द में आप कलौंजी का काढा बनाइये फिर उसमे काला नमक मिलाकर सुबह शाम पीजिये.दो दिन में ही आराम देखिये.
- कैंसर के उपचार में कलौजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक ग्लास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें। लहसुन भी खुब खाएं।
- हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और हृदय की धमनियों का अवरोध के लिए जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल मिला कर लें.
- सफेद दाग और लेप्रोसीः- 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें।
- एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं।
- कलौंजी के तेल को हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें। 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा।
- एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे; स्वस्थ और निरोग रहेंगे .
- याददाश्त बढाने के लिए और मानसिक चेतना के लिए एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें।
- पथरी हो तो कलौंजी को पीस कर पानी में मिलाइए फिर उसमे शहद मिलाकर पीजिये ,१०-११ दिन प्रयोग करके टेस्ट करा लीजिये.कम न हुई हो तो फिर १०-११ दिन पीजिये.
- कलौंजी की राख को तेल में मिलाकर गंजे अपने सर पर मालिश करें कुछ दिनों में नए बाल पैदा होने लगेंगे.इस प्रयोग में धैर्य महत्वपूर्ण है.
- किसी को बार-बार हिचकी आ रही हो तो कलौंजी के चुटकी भर पावडर को ज़रा से शहद में मिलकर चटा दीजिये.
- गैस/पेट फूलने की समस्या --50 ग्राम जीरा, 25 ग्राम अजवायन, 15 ग्राम कलौंजी अलग-अलग भून कर पीस लें और उन्हें एक साथ मिला दें। अब 1 से 2 चम्मच मीठा सोडा, 1 चम्मच सेंधा नमक तथा 2 ग्राम हींग शुद्ध घी में पका कर पीस लें। सबका मिश्रण तैयार कर लें। गुनगुने पानी की सहायता से 1 या आधा चम्मच खाये......        

              10 रोग जिनमे कलौंजी का इस्तेमाल करें - 10 benefits of Kalonji

1. टाइप-2 डायबिटीज:

डेली 2 ग्राम कलौंजी के सेवन करने से तेज हो रहा ग्लूकोज कम होता है। ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन में कमी आती है शुगर कंट्रोल में रहता है.

2. मिर्गी:

मिर्गी से पीड़ित बच्चों में कलौंजी के सत्व का सेवन करने से मिर्गी के दौरे से शांति मिलती है.

3. उच्च रक्तचाप -high blood pressure

100 या 200 मि.ग्रा. कलौंजी के सत्व के दिन में दो बार सेवन से hypertension के लोगों में ब्लड प्रैशर नार्मल होता है।

रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) में एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से रक्तचाप नार्मल रहता है।

4. गंजापन - baldness

जली हुई कलौंजी को hair oil में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर मालिश करते रहने से गंजापन दूर होता हैं।

5. त्वचा के विकार skin problems

कलौंजी के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर स्किन पर मसाज़ करने से त्वचा के प्रोब्लेम्स खत्म होते हैं।

6/. लकवा paralyses

कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और पीड़ित अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।

7. कान की सूजन, बहरापन - hearing problems

कलौंजी का तेल कान में डालने से कान की सूजन या कान संबंधी दिक्कतें दूर होती है। इससे बहरापन में भी लाभ होता है।

8. सर्दी-जुकाम:

कलौंजी के बीजों को सेंकले और कपड़े में लपेटकर सूंघने से सर्दी लाभ मिलता है. इसके अलावा कलौंजी का आयल और जैतून का तेल बराबर की मात्रा में नाक में टपकाने से सर्दी-जुकाम बिलकुल ठीक होता है।

अस्थमा - asthma

9. कलौंजी को पानी में उबालकर इसका सत्व पीने से अस्थमा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

10. छींके:

कलौंजी और सूखे चने को एक साथ अच्छी तरह मसलकर किसी कपड़े में बांधकर सूंघने से छींके आनी बंद हो जाती है।.

हल्दी

हल्दी (Turmeric)से होने वाले लाभ और हानियाँ

हल्दी एक जाना माना नाम हैं। जो हर रसोईघर की शान है शायद ही कोई सब्जी होगी जो बिना हल्दी के बनती है चटक पीले रंग के कारण भारतीय केसर के नाम से भी प्रसिद्ध हल्दी पौष्टिक गुणों से भरी हुई है।हल्दी पर रोज नए शोध हो रहे हैं। भारतीय आहार शैली में यह आदिकाल से शामिल रही है। किसी समय इसे रंग के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता था।

Turmeric दो प्रकार की होती है, लम्बी व गोल ताजा व सूखी हल्दी का प्रयोग  सब्जी, मसाले तथा औषधी के रूप में होता है। कच्ची हल्दी हजार रोग की एक दवा है। लम्बी व गोल ताज़ा कच्ची हल्दी को छाया में सुखा लिया जाता है। जिसका चूर्ण बना कर मसाले व उपचार के रूप में प्रयोग किया जाता है। सूखने के बाद यह पीला रंग ग्रहण कर लेती है हल्दी जितनी कम पीली हो उतनी ही अच्छी है हल्दी से सोंदर्य को निखारने में मदद मिलती है। हल्दी में जल प्रोटीन वसा खनिज पदार्थ रेशा, आहार फाइबर, मैंगनीज, पोटेशियम, कारबोहा‍‍इड्रेट, कैल्शियम,फासफोरस, लोहा, ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी के स्रोत,तथा कैलोरी भी पाई जाती है ।

यह एक सर्वगुण संपन्न एंटीबायोटिक्स तो है ही, प्राकृतिक चमत्कार के रूप में भी इसकी ख्याति है। यह कैंसर से लेकर अल्झाइमर्स तक कई बीमारियों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। सर्दियों के मौसम में हल्दी की गांठ का उपयोग सबसे अधिक लाभदायक है और यह समय हल्दी से होने वाले फायदों को कई गुना बढ़ा देता है क्योंकि कच्ची हल्दी में हल्दी पाउडर की तुलना  में ज्यादा गुण होते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कच्ची हल्दी के इस्तेमाल के दौरान निकलने वाला रंग हल्दी पाउडर की तुलना में काफी ज्यादा गाढ़ा और पक्का होता है।

कच्ची हल्दी, अदरक की तरह दिखाई देती है। इसे ज्यूस में डालकर, दूध में उबालकर, चावल के व्यंजनों में डालकर, अचार के तौर पर, चटनी बनाकर और सूप में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है।

शोध से साबित हो चका है कि हल्दी में लिपोपॉलीसेच्चाराइड नाम का तत्व होता है इससे शरीर में इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। हल्दी इस तरह से शरीर में बैक्टेरिया की समस्या से बचाव करती है। यह बुखार होने से रोकती है। इसमें शरीर को फंगल इंफेक्शन से बचाने के गुण होते है।

कच्ची Turmeric के औषधीय एवं आयुर्वेदिक गुण

भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वालों मसालों में हल्दी टॉप पर है। इसका उपयोग खाने में स्वाद बढ़ाने और रंग भरने के लिए होता है। इंडिया में शादी में एक रस्म ‘हल्दी’ की भी होती है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन के शरीर पर हल्दी लगाई जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि हल्दी से रंग निखरता है और शादी के दिन चेहरे पर एक अलग ही ग्लो नज़र आता है। सेहत के लिहाज़ से भी इसका सेवन बहुत लाभकारी है। आज हम आपको हल्दी के कुछ ऐसे ही उपयोग बताएंगे।

उम्र घटाए- हल्दी चेहरे पर जम रही अनचाही परतों को अपने औषधीय गुणों द्वारा कम करती है और आपकी बढ़ती उम्र का पता नहीं लगने देती।

उपाय- इसके लिए आप तीन चम्मच बेसन में एक चौथाई चम्मच हल्दी और पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं। पानी की जगह आप कच्चा दूध या दही भी मिला सकती हैं। चेहरे पर अच्छे से लगाकर इसे सूखने दें और उसके बाद गुनगुने पानी से हल्का मसाज करते हुए धो लें।

झुर्रियां- चेहरे पर पड़ रही झुर्रियों के कारण आप समय से पहले ही बूढ़ी दिखने लगती हैं। हल्दी को आप अलग-अलग तरह की चीजों में मिलाकर इस्तेमाल करेंगी, तो आपके चेहरे पर पड़ रही झुर्रियां दूर हो जाएंगी और त्वचा दमकेगी।

ऐसे करें Turmeric का उपयोग

– कच्चे दूध, टमाटर का रस, चावल का आटा और हल्दी एक साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं। इसे चेहरे पर लगाकर कुछ देर सूखने दें। दूध में मौजूद लैक्टिक एसिड आपकी डेड हो रही स्कीन को रिपेयर करता है।
– छाछ और गन्ने के रस में हल्दी मिलाकर पीने से आंखों के नीचे पड़ रहे काले घेरे और झुर्रियां ठीक होती हैं।
– हल्दी और शहद का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा के पोर्स (रोम छिद्र) खुल जाते हैं, जिससे त्वचा को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है और त्वचा फिर से जवां दिखने लगती है।

दूध और हल्दी  – रोग को पास ना आने दे

आयुर्वेद में हल्दी को सबसे बेहतरीन नेचुरल एंटीबायोटिक माना गया है।इस लिए यह स्किन, पेट और शरीर के कई रोगों में उपयोग की जाती है। इसके पौधे से मिलने वाली इसकी गांठें ही नहीं, बल्कि इसके पत्ते भी बहुत उपयोगी होते हैं। ये तो हुई बात हल्दी के गुणों की, इसी प्रकार दूध भी प्राकृतिक प्रतिजैविक है। यह शरीर के प्राकृतिक संक्रमण पर रोक लगा देता है। हल्दी व दूध दोनों ही गुणकारी हैं, लेकिन अगर इन्हें एक साथ मिलाकर लिया जाए तो इनके फायदे दोगुना हो जाते हैं। इन्हें एक साथ पीने से कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।

हल्दी वाला दूध बनाने का तरीका———–
गर्मियों में एक चौथाई चम्मच और सर्दियों में आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध में उबाल कर उसे फेंट का खूब झाग बनाकर पीना लाभकारी होता है (अगर उपलब्ध हो तो देसी गाय का घी आधा चम्मच डाले तो सोने पे सुहागा)

हल्दी वाला दूध लेने के फायदे :-

हडि्डयों को पहुंचाता है फायदा:- रोजाना हल्दी वाला दूध लेने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिलता है। हड्डियां स्वस्थ और मजबूत होती है। यह ऑस्टियोपोरेसिस के मरीजों को राहत पहुंचाता है।गठिया दूर करने में है सहायक :- हल्दी वाले दूध को गठिया के निदान और रियूमेटॉइड गठिया के कारण सूजन के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। यह जोड़ो और पेशियों को लचीला बनाकर दर्द को कम करने में भी सहायक होता है।टॉक्सिन्स दूर करता है :- आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल शोधन क्रिया में किया जाता है। यह खून से टॉक्सिन्स दूर करता है और लिवर को साफ करता है। पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम के लिए इसका सेवन फायदेमंद है।कीमोथेरेपी के बुरे प्रभाव को कम करते हैं :- एक शोध के अनुसार, हल्दी में मौजूद तत्व कैंसर कोशिकाओं से डीएनए को होने वाले नुकसान को रोकते हैं और कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करते हैं।कान के दर्द में आराम मिलता है :- हल्दी वाले दूध के सेवन से कान दर्द जैसी कई समस्याओं में भी आराम मिलता है। इससे शरीर का रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे दर्द में तेजी से आराम होता है।चेहरा चमकाने में मददगार :- रोजाना हल्दी वाला दूध पीने से चेहरा चमकने लगता है। रूई के फाहे को हल्दी वाले दूध में भिगोकर इस दूध को चेहरे पर लगाएं। इससे त्वचा की लाली और चकत्ते कम होंगे। साथ ही, चेहरे पर निखार और चमक आएगी।ब्लड सर्कुलेशन ठीक करता है :- आयुर्वेद के अनुसार, हल्दी को ब्लड प्यूरिफायर माना गया है। यह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को मजबूत बनाता है। यह रक्त को पतला करने वाला आैर लिम्फ तंत्र और रक्त वाहिकाओं की गंदगी को साफ करने वाला होता है।शरीर को सुडौल बनाता है :- रोजाना एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर लेने से शरीर सुडौल हो जाता है। दरअसल गुनगुने दूध के साथ हल्दी के सेवन से शरीर में जमा फैट्स घटता है। इसमें उपस्थित कैल्शियम और अन्य तत्व सेहतमंद तरीके से (Weight Loss ) में मददगार हैं।स्किन प्रॉब्लम्स में है रामबाण :- हल्दी वाला दूध स्किन प्रॉब्लम्स (Skin Problem) में भी रामबाण का काम करता हैमजबूत हड्डियां : हल्दी का एक गुण यह भी है कि यह शरीर की हड्डीयों को मजबूत करती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना कम होती है | इसके लिए आधा चम्मच हल्दी पाउडर को आधे गिलास दूध में डालकर उबालें और इसे हलका ठंडा करके पिएँ | यह अनेक प्रकार के कष्टों को दूर करता है। मसूड़ों में दर्द : यदि मसूड़ों में रोग हो गया हो व दर्द हो तो आधा चम्मच हल्दी में जरा–सा नमक और सरसों का तेल मिलाकर रात को सोते समय मसूड़ों पर मल लें, और उसके बाद निकलने वाली लार को थूक दें |आधा घंटें बाद गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें, इससे मसूड़ों व दांत के रोगों में लाभ होगा। मजबूत दांत : यदि दांत हिल रहे हों,तो हल्दी व खाने का सोडा समान मात्रा में मिलाकर नित्य दो बार मंजन करने से हिलते हुए दांत मजबूत होने लगते हैं | यदि दांतों में दर्द हो तो रात को सोते समय पिसी हल्दी और सरसोँ का तेल मिलाकर पेस्ट बनाकर दुखने वाले दांतों पर लेप करके सोयें, इससे दांतों का दर्द ठीक हो जाता है। दमा / Asthma ; यदि दमा की शिकायत हो तो दो चम्मच हल्दी और आधा चम्मच घी को तवे पर डालकर तब तक सेंकें, जब तक इससे धुआँ न निकलने लगे या इस मिश्रण को आग पर डालकर इससे धुआँ उठने दें और इस धुएँ को नाक से खींचें | इससे दमा के दौरे में लाभ होगा और कफ भी बाहर निकलेगा, लेकिन इस प्रयोग के दौरान नाक से धुआँ खींचते समय तेज गरम आंच से सावधानी अवश्य बरतें |बदन दर्द : यदि शरीर में कहीं भी दर्द हो तो हल्दी और अदरक का रस एक-एक चम्मच मिलाकर गरम करके जहाँ भी दर्द हो, वहाँ दिन में दो बार लेप करें | लेप करने के एक घंटे बाद उस स्थान को सेंकें, इससे आराम मिलेगा | शरीर में यदि बुखार के कारण दर्द हो तो एक चम्मच हल्दी को गुनगुने दूध के साथ फाँक लें |अंदरुनी चोट : यदि शरीर में अंदरूनी चोट लग गई हो तो दो गिलास पानी में एक चम्मच पिसी हल्दी व एक चम्मच नमक डालकर उबालें और फिर थोडा ठंडा कर लें, सेंकने लायक गरम पानी रहने पर कपड़ा भिगोकर चोटग्रस्त जगह पर इसे सेंकें |मोच : यदि शरीर में कहीं मोच आ गई हो तो एक – एक चम्मच हल्दी व शहद लेकर उसमें आधा चम्मच चूना मिलाकर लेप बनाएँ और मोच आए अंग पर मोटा लेप करके हलकी सी रुई बिछा दें | इसके साथ ही एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी गरम कर दिन में दो बार तीन दिन तक पिएँ | इससे मोच, चोट का दर्द, सूजन आदि जल्दी ठीक होती है |टॉन्सिल्स : यदि खांसी हो, गले व सीने में घरघराहट हो तो पानी में थोड़ी मात्रा में हल्दी व स्वादानुसार नमक मिलाकर उबाल लें और घूंट-घूंट करके पी लें और यदि जुकाम के कारण गले में दर्द हो, टॉन्सिल ठीक होंगे | गले के बाहर जहाँ टॉन्सिल की सूजन हो, वहाँ पर भी हलदी का लेप करें | आधा चम्मच शहद में एक-चौथाई मात्रा हल्दी की मिलाकर दिन में तीन बार चाट लें, इससे कफ, गले के रोग व सर्दी भी ठीक होगी |जुखाम : यदि जुकाम के कारण खांसी हो तो एक गरम दूध या पानी में एक चम्मच हल्दी उबालकर पिएँ। इससे सर्दी,जुकाम, खांसी, स्वरभंग, गले में खराश आदि भी ठीक होते हैं | इससे जमा हुआ कफ बाहर निकलता है | इसे यदि दिन में दो बार लिया जाए, तो शीध्र आराम पहुँचता है | जुकाम दूर करने के हलदी के बहुत सारे प्रयोग हैं। जैसे – (1) आधा चम्मच पिसी हुई हल्दी में पांच कालीमिर्च पीसकर मिला लें और उसे गरम पानी या गरम दूध में घोलकर पी लें | जुकाम शीघ्र ठीक होगा, लेकिन इस प्रयोग के बाद एक घंटे तक पानी नहीं पिएँ | (2) यदि ठंड लगने पर जुकाम हो तो एक चम्मच हल्दी एक कप गरम दूध में उबालकर पिएँ, इसमें स्वादानुसार गुड़ या चीनी भी मिला सकते हैं, इसे लगातार चार दिन तक पिएँ, इससे जुकाम जल्दी ठीक होगा | (3) हल्दी व सोंठ समान मात्रा में मिलाकर रख लें और इस मिश्रण का एक चम्मच गुनगुने दूध या पानी के साथ फांक लें, इससे भी जुकाम शीघ्र ठीक होगा।त्वचा रोग : यदि शरीर में कहीं भी दाद, खुजली, फोड़ा, रक्तविकार आदि चर्म रोग हो रहे हों तो एक चम्मच  हल्दी में आधी चम्मच पिसी हुई मिसरी मिलाकर सुबह – शाम पानी से फांक लें और एक चम्मच नारियल के तेल में एक चौथाई पिसी हल्दी मिलाकर रोगग्रस्त त्वचा पर लगाएँ।मुंहासे / फुंसी : कील-मुंहासे या फोड़े-फुंसी होने पर प्रारंभिक अवस्था में ही हल्दी और लौंग पीसकर लगा देने से ये ख़तम हो जाते हैं।शोध : अध्ययन से यह भी ज्ञात हुआ है कि हल्दी क्षतिग्रस्त हदय की मरम्मत का काम भी करती है,इसलिए हल्दी को दर्दनाशक, संक्रमणरोधी और कफहारक माना जाता रहा है। यदि शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो तो आधा चम्मच हल्दी पाउडर को गुनगुने दूध के साथ दिन में दो बार फांक लें। इससे हीमोग्लोबिन में वृद्धि होगी।कच्ची हल्दी में कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं। यह खासतौर पर पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर के कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने के साथ साथ उन्हें खत्म भी कर देती है। यह हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आने से होने वाले ट्यूमर से भी बचाव करती है।Turmeric में सूजन को रोकने का खास गुण होता है। इसका उपयोग गठिया रोगियों को अत्यधिक लाभ पहुंचाता है। यह शरीर के प्राकृतिक सेल्स को खत्म करने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करती है और गठिया रोग में होने वाले जोडों के दर्द में लाभ पहुंचाती है।कच्ची हल्दी में इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने का गुण होता है। इस प्रकार यह मधुमेह रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है। इंसुलिन के अलावा यह ग्लूकोज को नियंत्रित करती है जिससे मधुमेह के दौरान दी जाने वाली उपचार का असर बढ़ जाता है। परंतु अगर आप जो  दवाइयां ले रहे हैं बहुत बढ़े हुए स्तर (हाई डोज) की हैं तो हल्दी के उपयोग से पहले चिकित्सकीय सलाह अत्यंत आवश्यक है।शोध से साबित हो चका है कि हल्दी में लिपोपॉलीसेच्चाराइड नाम का तत्व होता है इससे शरीर में इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। हल्दी इस तरह से शरीर में बैक्टेरिया की समस्या से बचाव करती है। यह बुखार होने से रोकती है। इसमें शरीर को फंगल इंफेक्शन से बचाने के गुण होते है।हल्दी के लगातार इस्तेमाल से कोलेस्ट्रोल सेरम का स्तर शरीर में कम बना रहता है। कोलेस्ट्रोल सेरम को नियंत्रित रखकर हल्दी शरीर को ह्रदय रोगों से सुरक्षित रखती है।कच्ची हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी सेप्टिक गुण होते हैं। इसमें इंफेक्शन से लडने के गुण भी पाए जाते हैं। इसमें सोराइसिस जैसे त्वचा संबंधि रोगों से बचाव के गुण होते हैं।हल्दी का उपयोग त्वचा को चमकदार और स्वस्थ रखने में बहुत कारगर है। इसके एंटीसेप्टीक गुण के कारण भारतीय संस्कृति में विवाह के पूर्व पूरे शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया जाता है।कच्ची हल्दी से बनी चाय अत्यधिक लाभकारी पेय है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।हल्दी में वजन कम करने का गुण पाया जाता है। इसका नियमित उपयोग से वजन कम होने की गति बढ़ जाती है।शोध से साबित होता है कि हल्दी लीवर को भी स्वस्थ रखती है। हल्दी के उपयोग से लीवर सुचारु रुप से काम करता रहता है।

ध्यान देने योग्य :-वयस्क व्यक्तियों के लिये कच्ची हल्दी का रस 1 से 3 चाय चम्‍मच सूखी हल्‍दी का चूर्ण 1 ग्राम से 4 ग्राम तक निश्चित की गयी मात्रा है किशोंरों के लिये 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक बच्‍चों के लिये 50 मिलीग्राम से 100 मिली ग्राम तक की मात्रा ले सकते है तथा इसे आवश्‍यकतानुसार गुनगुनें पानीं , गरम चाय अथवा दूध के साथ दिन मे , 2 से 3 बार ले सकते है। एक रिसर्च के मुताबिक, यह बात सामने आई है कि अधिक हल्दी के सेवन से आपकी त्वचा रूखी और खुजलीदार हो सकती है. यह गैस, कब्ज और मतली को भी बढ़ा सकती है. सामान्यता 240 से 500 मिग्रा हल्दी वो भी तीन बार में प्रयोग करने की हिदायत दी जाती है. हल्दी का अधिक सेवन करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.

ज्यादा हल्दी लेने के साइड इफेक्ट

Turmeric विस्मयकारी गुणों से भरपूर है परंतु कुछ लोगों पर इसके विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं। जिन लोगों को हल्दी से एलर्जी है उन्हें पेट में दर्द या डायरिया जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को कच्ची हल्दी के उपयोग से पहले चिकित्सकीय सलाह ले लेनी चाहिए। इससे खून का थक्का जमना भी प्रभावित हो सकता है जिससे रक्त का बहाव बढ़ जाता है अत: अगर किसी की सर्जरी होने वाली हो तो उन्हें कच्ची हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए।

अगर एलर्जी है तो न खाएं : अगर आपको मसालों के सेवन से एलर्जी हो जाती है तो हल्दी का भी प्रयोग बंद कर दें. यह आपकी एलर्जी को और बढ़ा सकती है.

गॉलब्लैडर की समस्या : क्या आप जानते हैं कि हल्दी गॉलब्लैडर में स्टोन बनाने का भी काम कर सकती है. इसके अलावा यह गैस भी बनाती है.

लिवर की समस्या बढ़ाए : जिन लोगों का लिवर बढ़ा हुआ है या फिर लिवर से संबंधित अन्य समस्याएं हैं,उन्हें हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए. इसमें मौजूद तत्व लिवर की समस्या को बढ़ा सकती है.

प्रेगनेंट महिलाएं : कई प्रेगनेंट महिलाएं दूध में हल्दी डाल कर पीती हैं, जिससे उन्हें गोरा बच्चा पैदा हो. लेकिन हल्दी गर्भाशय का संकुचन, गर्भाशय में रक्त स्रव या गर्भाशय में ऐंठन पैदा कर सकती है.

गैस : ज्यादा Turmeric खाने से पेट में गैस की समस्या होती है. इससे डायरिया और कब्ज भी हो सकता है.
इम्यूनिटी घटाए : यह हमारी इम्यूनिटी सिस्टम को भी प्रभावित करती है. यह उसे कमजोर बना सकती है.

मतली (उल्टी ): भोजन में अगर ज्यादा हल्दी हो तो, इंसान को मतली आने की भी गुंजाइश होती है.

माइग्रेन वालों के लिए बुरी : अगर आपको खाना खाने के बाद सिर में भारी दर्द हो जाए तो, इसका एक कारण Turmeric भी हो सकती है.

मधुमेह : मधुमेह रोगियों के लिए Turmeric अच्छी है लेकिन ज्यादा Turmeric के सेवन से ब्लड शुगर काफी अधिक कम हो जाती है.

इंर्फटिलिटी की समस्या : ज्यादा Turmeric खाने से इंर्फटिलिटी की भी समस्या हो जाती है, खासतौर पर पुरुषों को. इससे स्पर्म का प्रोडक्शन कम हो जाता है, ऐसा रिसर्च में कहा गया है.

खून की कमी : अगर आपको पहले से ही एनीमिया की शिकायत है तो, Turmeric का सेवन कम कर दें.

सर्जरी के बाद हल्दी : यदि आपकी सर्जरी हुई हैं तो इसका ज्यादा मात्रा में सेवन बुरा है, हल्दी खाने से शरीर में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या हो जाती है. यह उनके लिए रिस्की हो सकता है जिनकी हाल ही में सर्जरी हुई हो.
ब्रेस्ट कैंसर : वैसे तो कई केस में हल्दी कैंसर सेल्स से लड़ने में सहायक होती है लेकिन दूसरे केस में यह भी देखा गया है कि यह ब्रेस्ट कैंसर को भी बढ़ावा देती है.

किडनी स्टोन : यह किडनी में स्टोन बनाने के काम में भी हिस्सेदार है.

केसर

केसर के गुण
चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से सिर, आंखों और दिमाग को शीतलता मिलती है। इस लेप को लगाने से दिमाग तेज होता है।
सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
बच्चें को अगर सर्दी और जुकाम की समस्या हो तो केसर का दूध सुबह-शाम पिलाने से बच्चे की सर्दी और जुकाम में राहत मिलेगी।
गैस और एसिटिडी से राहत दिलाने में काफी मदद करता है। यह हमारी पाचन क्रिया को भी दुरुस्‍त रखता है।
बच्चें की सर्दी अगर समाप्त न हो रही हो तो बच्चे की नाक, माथे, छाती और पीठ पर केसर, जायफल और लौंग का लेप लगाने से फायदा होता है।
अतिसार में भी केसर बहुत फायदेमंद है। अतिसार होने पर केसर को जायफल, आम की गुठली, सोंठ को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर इसका लेप लगाने से फायदा होता है।
महिलाओं के लिए केसर बहुत फायदेमंद होता है। महिलाओं की कई शिकायतें जैसे - मासिक चक्र में अनियमिता, गर्भाशय की सूजन, मासिक चक्र के समय दर्द होने जैसी समस्याओं में केसर का सेवन करने से आराम मिलता है।
त्वचा के झुलसने या चोट लगने पर केसर के लेप लगाना चाहिए। इससे तुरंत फायदा होता है और नई त्वचा का निर्माण जल्द होता है।
केसर को दूध के साथ पीने से शारीरिक शक्ति बढती है।
किडनी और लिवर के लिए भी केसर काफी फायदेमंद होता है। यह ब्‍लैडर और लिवर की समस्‍याओं को ठीक करने में मदद करता है। और रक्‍त शुद्धिकरण करता है।
अर्थराइटिस के मरीजों के लिए भी केसर बहुत लाभकारी होता है। यह जोड़ों के दर्द से भी राहत दिलाता है। यह थकान को दूर करने और मांसपेशियों को राहत पहुंचाने का काम करता है।
अनिद्रा की शिकायत को दूर करने में भी केसर काफी उपयोगी होता है। इसके साथ ही यह अवसाद को भी दूर करने में मदद करता है। रात को सोने से पहले दूध में केसर डालकर पीने से अनिद्रा की शिकायत दूर होती है।
केसर में 'क्रोसिन' नाम का तत्‍व पाया जाता है, जो वैज्ञानिक रूप से बुखार को दूर करने में उपयोगी माना जाता है। इसके साथ ही यह एकाग्रता, स्‍मरण शक्ति और रिकॉल क्षमता को भी बढ़ाने का काम करता है।
आंखों की परेशानी को दूर करने में भी मददगार होता है केसर। एक हालिया शोध में यह बात सामने आयी है‍ कि जिस प्रतिभागी ने केसर का सेवन किया उसकी नजरें बेहतर रहीं। यह मोतिया को दूर करने में भी मदद करता है।
केसर मसूड़ों की परेशानी को भी दूर करता है। यह मसूड़ों में सूजन और जख्‍मों को दूर करता है। इसके साथ ही यह मुख और जीभ की तकलीफों से निजात दिलाता है।

कैसे करें केसर का इस्‍तेमाल
केसर खाद्य पदार्थों की सुगंध और स्‍वाद में इजाफा करता है। केसर को खीर, बिरयानी, मिठाई और दूध आदि में इस्‍तेमाल किया जा सकता है। दूध में केसर मिलाकर पीने से त्‍वचा का सांवलापन दूर होता है।

कैसे चुनें असली केसर
केसर बहुत महंगा होता है। कई नकली उत्‍पादों पर केसरिया रंग चढ़ाकर उसे केसर के नाम पर बेचा जाता है। असली और नकली केसर की पहचान करने के लिए आप गर्म पानी अथवा दूध में थोड़ा सा केसर डालिये अगर वह फौरन रंग छोड़ दे, तो समझ झाइये कि वह नकली है। असली केसर कम से कम दस से पंद्रह मिनट बाद गहरा लाल रंग छोड़ता है और साथ ही महकने लगता है।

बच्चेदानी

बच्चेदानी में सूजन का कारण और उपचार

कई बार महिलाओं की बच्चेदानी(Uterus)में सूजन आ जाती है बदलते वातावरण या मौसम का प्रभाव गर्भाशय(Uterus)को अत्यधिक प्रभावित करता है जिससे प्रभावित होने पे महिलाओं को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है इसके प्रभाव से भूंख नही लगती है सर-दर्द-हल्का बुखार या कमर-दर्द-और पेट दर्द की समस्या रहती है-
बच्चेदानी में सूजन का कारण और उपचार

गर्भाशय(Uterus)की सूजन क्या कारण है-

1- पेट की मांसपेशियों में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण तथा व्यायाम न करने के कारण या फिर अधिक सख्त व्यायाम करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो सकती है-

2- पेट में गैस तथा कब्ज बनने के कारण गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो जाती है-

3- औषधियों(Medicine)का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो सकती है-

4- जरुरत से जादा अधिक सहवास )करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो सकती है-

5- भूख से अधिक भोजन सेवन करने के कारण स्त्री के गर्भाशय में सूजन आ जाती है तथा अधिक तंग कपड़े पहनने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो सकती है-प्रसव के दौरान सावधानी न बरतने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है-
गर्भाशय में सूजन(Swelling)का उपचार-

1- गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)से पीड़ित महिला को चटपटे मसालों-मिर्च-तली हुई चीजें और मिठाई से परहेज रखना चाहिए-

2- पीड़ित स्त्री को दो तीन बार अपने पैर कम से कम एक घंटे के लिए एक फुट ऊपर उठाकर लेटना चाहिए और आराम करना चाहिए-

3- गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो जाने पर महिला रोगी को चार-पांच दिनों तक फलों का जूस पीकर उपवास करना चाहिए- उसके बाद बिना पका हुआ संतुलित आहार लेना चाहिए-

4- निर्गुण्डी को किसी भी प्रकार के बाहरी भीतरी सूजन के लिए इसका उपयोग किया जाता है यह औषधि वेदना शामक और मज्जा तंतुओं को शक्ति देने वाली है वैसे आयुर्वेद में सुजन उतारने वाली और भी कई औषधियों का वर्णन आता है पर निर्गुण्डी इन सब में अग्रणी है और सर्वसुलभ भी-नीम,(निर्गुन्डी) सम्भालु के पत्ते और सोंठ सभी का काढ़ा बनाकर जननांग में लगाने से सुजन ख़त्म हो जाती है-

5- बादाम रोगन एक चम्मच, शरबत बनफ्सा तीन चम्मच और खांड पानी में मिलाकर सुबह पीयें तथा बादाम रोगन का एक रुई का फोया जननांग के मुह पर रखें-इससे गर्मी के कारण गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)ठीक हो जाती है-

6- अरंड के पत्तों का रस छानकर रुई में भिगोकर जननांग में लगाने से भी सूजन ख़त्म हो जाती है-

7- अशोक की छाल 120 ग्राम, वरजटा, काली सारिवा, लाल चन्दन, दारूहल्दी, मंजीठ प्रत्येक को 100-100 ग्राम मात्रा, छोटी इलायची के दाने और चन्द्रपुटी प्रवाल भस्म 50-50 ग्राम, सहस्त्रपुटी अभ्रक भस्म 40 ग्राम, वंग भस्म और लौह भस्म 30-30 ग्राम तथा मकरध्वज गंधक जारित 10 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी औषधियों को कूटछानकर चूर्ण तैयार कर लेते हैं फिर इसमें क्रमश: खिरेंटी, सेमल की छाल तथा गूलर की छाल के काढ़े में 3-3 दिन खरल करके 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं फिर इसे एक या दो गोली की मात्रा में मिश्रीयुक्त गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए-इसे लगभग एक महीने तक सेवन कराने से स्त्रियों के अनेक रोगों में लाभ मिलता है-इससे गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)जलन, रक्तप्रदर, माहवारी के विभिन्न विकार या प्रसव के बाद होने वाली दुर्बलता इससे नष्ट हो जाती है-

8- एरण्ड(अंडी) के पत्तों का रस छानकर रूई भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर तीन-चार दिनों तक रखने से गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)मिट जाती है-

9- कासनी की जड़, गुलबनफ्सा और वरियादी 6-6 ग्राम की मात्रा में, गावजवां और तुख्म कसुम 5-5 ग्राम, तथा मुनक्का 6 या 7 को एक साथ बारीक पीसकर उन्हें 250 ग्राम पानी के साथ सुबह-शाम को छानकर पिला देते हैं यह उपयोग नियमित रूप से आठ-दस दिनों तक करना चाहिए-इससे गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)रक्तस्राव, श्लैष्मिक स्राव(बलगम, पीव)आदि में पर्याप्त लाभ मिलता है-

10- चिरायते के काढ़े से योनि को धोएं और चिरायता को पानी में पीसकर पेडू़ और योनि पर इसका लेप करें इससे सर्दी की वजह से होने वाली गर्भाशय(Uterus)की सूजन(Swelling) नष्ट हो जाती है-

11- रेवन्दचीनी को 15 ग्राम की मात्रा में पीसकर आधा-आधा ग्राम पानी से दिन में तीन बार लेना चाहिए-इससे गर्भाशय की सूजन मिट जाती है-

रसोली

रसोली एक नज़र में
रसोली , प्राय: महिलाओं में उनके गर्भवती होने का भ्रम   पैदा करता है , कि " उनके पेट में बच्चा तो नहीं ठहर गया ? " , इसी प्रकार की महिलाएं  बच्चा  नहीं होने के कारण मानसिक रूप से काफी परेशान होती हैं , समाज की सबसे बड़ी त्रासदी , ये ही , है कि वह समाज में हेय निगाहों से देखी  जाती  है , इस पुरुष प्रधान समाज में , किस किस तरह से पीरीत  नहीं होती , यह मात्र एक नारी ही बता सकती है ? इस  बीमारी से गर्शित नारी के मासिक धर्म में रक्त स्त्राव अधिक होता है , इसी स्थिति में पति  और पत्नी  , दोनों को ,  समाज का  त्रिष्कार कर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए , यह रसोली जिसे डोक्टोरी भाषा में बच्चे दानी में फैब्रोइड कहते हैं , इसे पनपने देने से पहले ही इसका इलाज़ करवा कर सुखी जीवन जिया जा सकता है , यह रसोली २० से ४० वर्ष की महिलाओं में से १० प्रतिशत में ही पाई जाती है , संतान हीनता ही इसका मुख्य लक्षण है , ४५-५० उम्र के बाद इस रसोली की बढ़ोतरी रूक जाती है , और मासिक धर्म में रक्त स्त्राव भी कम मात्रा में होता है , यह रसोली साधारणतया संतरे के आकार की होती है , और इसकी संख्या २० से २०० तक हो सकती है , परन्तु घबराने की कोई बात नहीं है  , समय रहते इसका उपचार अति आवश्यक है , अन्यथा  रसोली किसी और प्रकार के रोग को जन्म दे सकती है, मसलन कैंसर इत्यादि ,        मासिक धर्म में रक्त स्त्राव ज्यादा होने से इस प्रकार की स्त्रियों
 में खून की कमी भी हो जाती है , इसके अलावा कब्ज़ और बार बार पिशाब की हाज़त रहना , इसके मुख्य लक्षण हैं

          यह कभी भी यह नहीं सोचना है की इस बीमारी के साथ साथ महिला गर्भ धारण भी कर सकती है , इसी लिए तुरंत से तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए , इस बीमारी के कारण यदि बाँझपन रहता है तो चिंता न कर गर्भ धारण के दुसरे तरीके अपनाये जा सकते हैं , और यदि चिकित्सक शल्य क्रिया की सलाह दे तो भी ऑपरेशन से डरना नहीं चाहिए , शल्य क्रिया के बाद गर्भ धारण करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं , यदि  केवल  मासिक धर्म में रक्त स्त्राव अधिक होता है और उम्र ४५-५० वर्ष हो तो बच्चे दानी को निकला देना चाहिए , वैसे आजकल दवाइयों से भी इसका इलाज़ संभव है , जिससे अन्य  कोई बीमारी न होने पाए और हम अपने जीवन को खुश हाल बना सकें . ध्यान  रहे ,
लापरवाही न बरतें और सपत्निक विचार कर जल्द से जल्द उपचार करवा लेवें , जिस से हमारा  शरीर स्वस्थ रहेगा।

रुसी (डैंड्रफ)

कैसे पायें डैंड्रफ-फ्री बाल– बालों में रुसी (डैंड्रफ) का होना एक साधारण समस्या है पर इस साधारण समस्या को नजरअंदाज कभी-कभी खतरनाक भी हो सकता है, इसलिए डैंड्रफ की शुरुआत होते ही उस पर समय रहते काबू पा लेना चाहिए ताकि बड़ी मुसीबत से बचा जा सके |

शैम्पू का चुनाव सोच समझ कर करें

बालों के लिए एंटी-डैंड्रफ शैंपू का चुनाव करना चाहिए | एंटीडैंड्रफ शैंपू लेते समय उसमे इस्तेमाल पदार्थों को ध्यान में रखना चाहिए | इस में कोलतार, सेलिसिलिक एसिड, जिंक, सल्फर या सलेनियम सल्फाइड शामिल होता है क्योंकि हर केमिकल अपने तरीके से रुसी को कम करने का कार्य करता है |

डैंड्रफ होने पर बालों को प्रतिदिन शैंपू से धोएं ताकि बाहरी प्रदूषित वातावरण उस पर अपना प्रभाव न छोड़ पाए | प्रतिदिन शैंपू करने से केशों (बालों) का अतिरिक्त तेल भी निकल जाता है और मैल भी जमा नहीं हो पाता | इससे मृत त्वचा भी निकल जाती है |

यदि आप कई महीनो से लगातार एक ही शैंपू यूज़ कर रही है और रुसी पुनः हो जाती है तो उस शैंपू को बदल लें | हो सकता है आपके बालों में उस शैंपू में इस्तेमाल पदार्थ के प्रति प्रतिरोधक शक्ति पैदा हो गई हो |

ऐसे में 3 ब्रांडों के एंटीडैंड्रफ शैंपू प्रयोग करें | एक ब्रांड के शैंपू का 1 महीने तक प्रयोग करें | फिर दूसरे माह दूसरे ब्रांड का और तीसरे माह तीसरे ब्रांड का शैंपू प्रयोग करें | फिर पुनः अपने पुराने शैंपू को 1 माह तक प्रयोग में लाएं | ऐसा करने पर केशों में डैंड्रफ अपना कब्ज़ा नहीं जमा पाएगा |

ऐसे करें शैंपू का प्रयोग

बालों को सप्ताह में कम से कम 2 बार अवश्य धोएं | शैंपू करते समय पहले बालों को अच्छी तरह गीला कर लें और शैंपू को एक मग में थोड़ा सा पानी डालकर माइल्ड कर लें | फिर उसे बालों पर लगाकर थोड़ा सा मलें | मलते समय पोरों का प्रयोग करें ताकि सिर की त्वचा के साथ चिपकी रुसी और बालों में आया प्राकृतिक तेल अच्छी तरह साफ हो जाए |

दूसरी बार शैंपू करते समय बालों पर शैंपू लगाकर 3-4 मिनट तक छोड़ दें ताकि शैंपू में विद्यमान कैमिकल्स त्वचा के सेल्स में घुस कर अपना कार्य कर सकें | पुनः बालों को अच्छी तरह से रिंस कर लें |

बालों से पूरी तरह शैंपू निकालने के बाद सिर की त्वचा पर 1 चम्मच नीबू का रस लगाएं | अंत में बालों को अच्छी तरह रिंस कर लें | नीबू का रस बालों से डैंड्रफ तो दूर करेगा ही, साथ ही बालों में चमक भी बनी रहेगी |

पानी

रात में सोते टाइम पानी ज़रूर पानी पिए, होंगे यह फायदे


पानी हमारे जीवन के लिये सबसे जरुरी माना गया है यह तो हम सभी जानते हैं इसके बगैर ज़िन्दगी नहीं गुजारी जा सकती हैं एक इंसान बिना खाने के 40 दिनों तक जिंदा रह सकता है लेकिन बिना पानी के वह दो दिन भी जिंदा नहीं रह सकता हैं इस लिहाज़ से यह हमारे लिए बहुत ज्यादा ज़रूरी हैं.

बहुत से लोग दिन में उतना पानी नहीं पीते, जितना कि उनके शरीर के लिये जरुरी होता है जिसके कारण उन्हें कई बीमारियों का सामना करना पड़ता हैं इसलिये आज हम जानेंगे कि सोने से पहले अगर पानी पीया जाए तो, उसके क्‍या स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक फायदे होते हैं.

लेकिन कई लोंगो के साथ समस्‍या ये आती है कि उन्‍हें रात में बार बार बिस्‍तर से उठना अच्‍छा नहीं लगता है ऐसे में वे लोग जिन्‍हें हार्ट या किडनी से जुड़ी समस्‍या है, उनको रात में पानी पीने से बचना चाहिये और दिन में ही पर्याप्‍त पानी पी लेना चाहिये. अब आइये जानते है कि सोने से पहले पानी पीने के क्‍या क्‍या फायदे होते हैं.
रात में सोने के पहले पानी पीने के फायदे:

आपमें शायद कुछ ही लोग होंगे जो ऐसा करते होंगे लेकिन इसके इन फायदों के जानने के बाद सभी लोग इस चीज़ को फ़ॉलो करने लगेंगे

बनाये आपको एक्टिव
दिन में हमारा शरीर एक्‍टिव होने की वजह से पानी लॉस करता रहता है. इसलिये रात को सोने से पहले पानी पीने से खोया हुआ तरल पदार्थ वापस आ जाता है और ऐसा करने से हमारी बॉडी दूसरे दिन फिर से एक्‍टिव हो जाती है इसीलिए अगर आप पूरे दिन बगैर थके काम करना चाहते हैं तो आपको रात में सोते टाइम पानी ज़रूर पीना चाहिए.

चर्बी घटाए
पानी, शरीर की कैलोरीज़ को प्राकृतिक तरीके से कम करने में मददगार होता है और इसे वज़न भी तेज़ी से घटता हैं यदि ठंडा पानी पिएंगे तो आपकी बॉडी को उसे बर्न करने में कठिनाई आएगी जिससे शरीर से ज्‍यादा मात्रा में कैलोरीज बर्न होंगी और आप पतले होए लगेंगे.

अच्‍छी नींद लाये
सही मात्रा में पानी पीने से शरीर में विटामिन्‍स और मिनरल्‍स दोंनो ही बैलेंस होते हैं और सोने से पहले पानी पीने से हार्मोन और एनर्जी लेवल दोंनो ही बैलेंस होते हैं और साथ ही मासपेशियां और जोड़ों को भी आराम मिलता है और इसे सर दर्द में भी आराम मिलता हैं तो इससे आपके शरीर की थकान मिटती है और नींद अच्‍छी आती है इसीलिए अगर आप अह्च्ची नींद चाहते हैं तो आपको रात में सोने के पहले पानी ज़रूर पीना चाहिए.

तनाव घटाए:
रात को जो लोग सोने से पहले पानी पीते हैं उनको नींद काफी अच्‍छी आती है क्‍योंकि पानी पीने से तनाव कम होता है और यह आपके स्ट्रेस लेवल को घटा कर आपको अह्च्ची नींद देता हैं.

शरीर की गंदगी निकाले
शरीर की गंदगी को पानी निकालता है, जिससे बॉडी स्‍वस्‍थ रहती है और अपना काम ठीक तरह से करती है. इससे आपकी स्‍किन भी साफ और ग्‍लो करती है और साथ ही पेट भी साफ रहता है और आपको कब्ज़ जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है.

मांसपेशियों की मजबूती के लिए
आयुर्वेद के अनुसार जब हम रात को सोने से पहले पानी का सेवन करते हैं तो इससे हमारे शरीर के अंदर नई कोशिकाओं का निमार्ण होता है जो मांसपेशियों को मजबूत बनाती है और आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रोंग बनता हैं.

चेहरे पर लाए ढेर सारा ग्‍लो
पानी पीने से स्‍किन हाइड्रेट होती है जिससे उस पर ग्‍लो आता है अगर आप चाहते हैं की आपकी स्किन बढ़िया ग्लो करे तो आपको खूब सारा पानी पीना चाहिए लेकिन अगर आप रात में सोते टाइम पानी पियेंगे तो आपकी स्किन हेल्दी बनेगी

तेल के कुल्ले

तेल के कुल्ले करने से बढ़ती है चेहरे की चमक, जानिए इसके फायदे

(नारियल , सरसों या तिल का तेल)


मुंह में तेल भरकर कुल्ला करना ऑयल पुलिंग कहलाता है। यह वर्षो पुरानी आयुर्वेदिक थैरेपी है। इसका प्रयोग सामान्य रूप से कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इसे 5-15 मिनट तक किया जा सकता है।


इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। विशेषज्ञों का मानना है कि दांतों व मसूड़ों की सेहत के लिए यह थैरेपी बेहतर विकल्प है।
फायदा

मुंह में छाले, बार-बार गला सूखना व लार कम बनने की समस्या में यह थैरेपी लाभकारी है। इसके अलावा इससे झांइयां व आंखों के नीचे काले घेरे की समस्या दूर होती है और चेहरे की चमक बढ़ती है।
ये तेल उपयोगी

इसके लिए सामान्यत: नारियल के तेल का प्रयोग किया जाता है। सरसों और तिल के तेल को भी प्रयोग में ले सकते हैं। ध्यान रहे कि तिल के तेल का प्रयोग गर्मियों में न करें क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है। इससे शरीर में गर्मी बढ़ने से कई प्र्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। इसे सुबह के समय खाली पेट करना अच्छा होता है।

Wednesday, 26 April 2017

मिर्गी


मिर्गी के रोग को दूर करने के लिए घरेलू नुस्खों का भी प्रयचोग किया जा सकता है। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए ये स्लाइडशो पढ़ें।

मिर्गी रोग के उपाय

मिर्गी को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां फैली होती है लेकिन यह एक नाडीमंडल संबंधित रोग है। जिसमें मस्तिष्क की विद्युतीय प्रक्रिया में व्यवधान पडने से शरीर के अंगों में दौरा पड़ने लगता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर शरीर अकड़ जाता है, आंखों की पुतलियां उलट जाती हैं। हाथ, पैर और चेहरे के मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है। मिर्गी होने के कई कारण हो सकते है जैसे रोगी के शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने के कारण मस्तिष्क के कोषों पर दबाब बनना, स्नायु सम्बंधी रोग, ट्यूमर रोग, मानसिक तनाव, संक्रमक ज्वर आदि के कारण भी यह रोग पैदा हो जाता है। मिर्गी रोग भगाने के लिये बालासन, नाड़ी शोधन, कपोतासन, शीर्षासन और चमत्‍कारआसन बहुत फायदेमंद होता है। इससे बचने के लिए कुछ घरेलू उपायों के बारे में पढ़े।

तुलसी है रामबाण
तुलसी कई बीमारियों में रामबाण की तरह कम करता है। तुलसी में काफी मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो मस्तिष्क में फ्री रेडिकल्स को ठीक करते हैं। रोजाना तुलसी के 20 पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।तुलसी के पत्तों को पीसकर शरीर पर मलने से मिरगी के रोगी को लाभ होता है।तुलसी के पत्तों के रस में जरा सा सेंधा नमक मिलाकर 1 -1 बूंद नाक में टपकाने से मिरगी के रोगी को लाभ होता है।तुलसी की पत्तियों के साथ कपूर सुंघाने से मिर्गी के रोगी को होश आ जाता है।
प्रोटीन वाला भोजन
मिर्गी के रोगी को ज्यादा फैट वाला और कम कार्बोहाइड्रेड वाला डायट लेना चाहिए। मिर्गी के रोगी को प्रोटीन और विटामिन युक्त भोजन करना चाहिए।मिर्गी के रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय गुनगुने पानी के साथ त्रिफला के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। तथा फिर सोयाबीन को दूध के साथ खाना चाहिए इसके बाद कच्ची हरे पत्तेदार सब्जियां खाने चाहिए। बकरी का दूध मिरगी के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है। 2 कप दूध में चौथाई कप मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाना खाने के 2 घंटे बाद कुछ सप्ताह तक लगातार सेवन करने से मिर्गी के रोग में लाभ मिलता है।

रस का सेवन
शहतूत और अंगूर के रस का सेवन मिर्गी के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। रोजाना सुबह खाली पेट आधा किलो शहतूत और अंगूर का रस लें।नींबू के रस के साथ गोरखमुण्डी को खाने से मिर्गी के दौरे आने बन्द हो जाते हैं।प्याज के रस के साथ थोड़ा सा पानी मिलाकर सुबह पीने से मिर्गी के दौरे पड़ने बन्द हो जाते हैं।प्याज के रस के साथ थोड़ा सा पानी मिलाकर सुबह पीने से मिर्गी के दौरे पड़ने बन्द हो जाते हैं।

पेठा या कद्दू
कद्दू या पेठा सबसे कारगर घरेलू इलाज है। इसमें पाये जाने वाले पोषक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी भी बनाई जाती है और आप इसकी सब्जी का भी सेवन कर सकते हैं, लेकिन इसका जूस रोज़ाना पीने से काफी फायदा होता है। अगर इसका स्वाद अच्छा ना लगे तो इसमें चीनी और मुलहटी का पावडर भी मिलाया जा सकता है।

गठिया

आर्थराइटिस (गठिया) का 100% प्राकृतिक उपचार



१. दोनों तरह के आर्थराइटिस  arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान मे खाते हो | गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा |

२. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है
ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |

३. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ जुके है, चाल्लिस साल से तकलीफ है या तिस साल से तकलीफ है, कोई कहेगा बीस साल से तकलीफ है, और ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हात भी नही हिला सकते है, लेटे रहते है बेड पे, करवट भी नही बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है …. ऐसे रोगियों के लिए एक बहुत अछि औषधि है जो इसीके लिए काम आती है | एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है ।

इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पिलाना है जिसको भी बीस तिस चाल्लिस साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो | यह उन सबके लिए अमृत की तरह काम करेगा | इसको तिन महिना लगातार देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन का गैप देके फिर से तिन महीने देना है | अधिकतम केसेस मे जादा से जादा एक से देड महीने मे रोगी ठीक हो जाते है | इसको हर रोज नया बनाके पीना है | ये औषधि Exclusive है और बहुत strong औषधि है इसलिए अकेली हि देना चाहिये, इसके साथ कोई भी दूसरी दावा न दे नही तो तकलीफ होगी | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |

लंबे बालों



लोग अब मार्केट में मौजूद उत्पादों पर कम भरोसा करते हैं क्योंकि इनमें होते हैं हानिकारक रसायन और दूसरे कठोर उत्पाद। अब वे प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले आयुर्वेदिक उपचारों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। कई तरह की सामान्य समस्याओं के लिए भी अब प्राकृतिक उत्पादों को अपनाया जाता है।

बिल्कुल खास तरह के आयुर्वेदिक उपचारों की मदद से आप अपने बालों को शानदार और लंबे बना सकते हैं। छोटे बालों वाली महिलाएँ अपने लंबे बालों की ख्वाहिश अच्छे देखभाल की कमी की वजह से पूरा नहीं कर पातीं। बालों के बढ़ने के लिए आयुर्वेदिक उपचार हमेशा से मौजूद थे लेकिन उन्हें अपनाया नहीं गया। लेकिन आज इनके इस्तेमाल से ज्यादा से ज्यादा लोग फायदा उठा रहे हैं। आइए कुछ आयुर्वेदिक सुझावों की तरफ ध्यान देते हैं। बाल लम्बे कैसे करे :-

लंबे बालों के लिए सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक नुस्खे

खुशबूदार जटमानसी

बाल बढ़ाने के उपाय, जटमानसी आमतौर पर पाया जाने वाला एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो कि बालों को बढ़ने में मददगार है। यह खून में से अशुद्धियों को दूर करता है और बढ़ती रंगत देता है। यह बालों की कई तरह से बढ़ने में मदद करता है। आप इसे दवा के रूप में ले सकती हैं या बालों पर सीधे भी लगा सकते हैं। याद रखें कि दवा की तरह इस्तेमाल करते वक्त कैप्सूल 6mg से ज्यादा न  हो।

सिल्की और शाइनी बाल लंबे बालों के लिए भारतीय करौदा/आँवला

आमला के नाम से भारतीय में लोकप्रिय इस आयुर्वेदिक जड़ी को शरीर में अपच की हालत का इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता है । यह वास्तव में बाल गिरने को नियंत्रित करने में बहुत प्रभावी है। आज भी महिलाओं के बालों में हिना के साथ आंवला पाउडर इस्तेमाल करतीं हैं। इस प्राकृतिक उत्पाद में विटामिन सी भरपूर होता है।

बाल लंबे करने के तरीके – बालों की आयुर्वेदिक मालिश

लोग शायद ही कभी गर्म तेल से मालिश करते हैं जो कि बालों के पोषण के लिए बहुत जरूरी है। आप अब कई तरह के आयुर्वेदिक तेलों से बालों और जड़ों की मालिश कर सकते हैं। इसके लिए आप ब्राह्मी या नारियल का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बालों की जड़ों को पुनर्जीवित करने के साथ ही इनका झड़ना भी कम करते हैं और सिर्फ 6 महीनों के छोटे से समय में ही आप पाएंगें बेहतरीन लंबे बाल।

भ्रंगराज

भ्रंगराज नाम है जड़ी बूटियों के राजा का जिसमें बालों की लंबाई बढ़ाने का बेहतरीन गुण है। लंबे बाल के उपाय, इसके पत्तों को धो कर पेस्ट बना लें। जिन्हें यह पत्तियाँ न मिलें वे आयुर्वेदिक दुकानों से इसका पाउडर ले सकते हैं। इसकी 5-6 चम्मच पाउडर को गर्म पानी में डालकर पेस्ट बना लें और फिर बालों में लगाकर 20 मिनट तक रखें।

लंबे बालों के लिए मेथी

कुछ चम्मच मेथी के बीजों को गर्म पानी में मिलाएँ और ठंडा करने के बाद बालों पर लगाएँ और फिर धोएँ।

एलोवेरा

रोज दो चम्मच एलोवेरा का सत्व खाने में लें इससे शरीर स्वस्थ रहेगा और इसे बालों में लगाने से बाल शानदार तरीके से बढ़ते हैं।

लंबे बालों के लिए अश्वगंधा

यह एक प्रमुख आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। उम्र बढ़ने से रोकने के साथ ही यह पित्त दोष भी दूर करता है। जिसे दूर करने से बालों का झड़ना भी बंद हो जाएगा।

मार्गोसा के पत्ते


इस जड़ी को 4 कप पानी में उबालें। अब इसे ठंडा करके पत्तियों को छान लें और इस पानी से बालों को धोएँ। इससे आपको अधिक अच्छे बाल मिलेंगे।

करी पत्ते और नींबू का छिलका

15 से 20 करी पत्ते और एक नींबू का छिलका लीजिए। आपको सोप नट के पाउडर, हरा चना और मेथी के बीजों की भी जरूरत पड़ेगी।  इन सब को मिलाकर मिश्रण को बालों पर लगाएँ और बाद में शैम्पू से धो दें।

बाल लंबे करने के तरीके – पानी

कुछ लोगों को ज्यादा पानी पीने की आदत नहीं होती जिससे मेटाबोलिक प्रक्रिया ठीक रहती है। पर्याप्त पानी पीने से शरीर से हानिकारक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। नियमित रूप से पानी पीने से बाल स्वस्थ रहते हैं और इनके बढ़ने में कोई रुकावट नहीं होती।

बालों की देखभाल के लिए कपूर

हिना की कंडीशनिंग

बाल बढ़ाने के घरेलू उपाय, हिना ऐसा आयुर्वेदिक उत्पाद है जिसमें बालों की जड़ों मजबूत बनाने और इनकी बढ़त के लिए पर्याप्त मात्रा में सभी जड़ी-बूटियाँ मौजूद हैं। इसे दो हफ्तों में कम से कम एक बार लगाएँ।

बाल लंबे करने के तरीके रीठा से

एक समय था जब स्त्रियाँ अपने बाल धोने के लिए रीठा इस्तेमाल किया करतीं थीं। उस समय जब कोई शैम्पू और कंठीशनर नहीं हुआ करते थे। फिर भी उस समय औरतों के बाल लंबे और घने होते  थे। और यह सब इस आयुर्वेदिक उत्पाद के इस्तेमाल से संभव हुआ।

शिकाकाई

आजकल आप शिकाकाई पाउडर किसी भी आर्गेनिक स्टोर से ले सकते हैं। इसे सिर्फ पानी में मिलाकर पूरे बालों में लगाएँ और स्वस्थ व लंबे बाल पाएँ।

घने बालों के लिए सरल घरेलू नुस्खे

कुंठला और नीलीभ्रंगदी तेल

यह एक आयुर्वेदिक तेल है जो कि बालों के बढ़ने में मदद करता है। इससे बालों की हल्के से मालिश करने से रक्त का बहाव ठीक रहता है।

पालक, गाजर और सलाद पत्ता

पर्याप्त मात्रा में पालक, सलाद का पत्ता और गाजर लें तथा इसे पीसकर इसमें थोड़ा पानी मिश्रित करें। इस रस का सेवन करने से बालों की बढ़त में काफी सहायता मिलती है।

खाँसी के घरेलू उपचार


यह पोस्ट ज्यादा से ज्यादा शेयर करे और पुण्य के भागिदार बने

सर्दी, खांसी, सिरदर्द, जुकाम जैसी कुछ बीमारियां होती हैं जो किसी को भी किसी भी समय हो सकती है। खांसी की समस्या होने पर आप सुकून से कोई काम नहीं कर सकते हैं। खांसी बदलता मौसम, ठंडा-गर्म खाना पीना या फिर धूल या किसी अन्य चीज से एलर्जी के कारण सकती है । खांसी होने पर तकलीफ भी ज्यादा होती है। आइए हम आपको खांसी से बचने के कुछ आसान से उपायों के बारे में बताते हैं।

*सौंठ को पीस कर पानी में खूब देर तक उबालें। जब एक चौथाई रह जाए तो इसका सेवन गुनगुना होने पर दिन में तीन चार बार करें। तुरंत फायदा होगा।

*गुनगुने पानी से गरारे करने से गले को भी आराम मिलता है और खांसी भी कम होती है।

*तुलसी पत्ते, 5 काली मिर्च, 5 नग काला मनुक्का, 6 ग्राम गेहूँ के आटे का चोकर , 6 ग्राम मुलहठी, 3 ग्राम बनफशा के फूल लेकर 200 ग्राम पानी में उबालें। 1 /2 रहने पर ठंडा कर छान लें। फिर गर्म करके बताशे डालकर रात सोते समय गरम-गरम पी जाएँ और चादर ओढ़कर सो जाएँ तथा हवा से बचें। कैसी भी खुश्क खाँसी हो, ठीक हो जाएगी।

*काली मिर्च, हरड़े का चूर्ण, तथा पिप्पली का काढ़ा बना कर दिन में दो बार लेने से खाँसी जल्दी दूर होती है।

*1 चम्मच शहद में पिसी हुई कालीमिर्च मिलाकर पीने से भी खांसी जल्दी ही दूर हो जाती है|

*1 चम्मच अदरक का रस में एक चोथाई शहद एवं चुटकी भर हल्दी मिलाकर लेने से खांसी जल्दी ही दूर हो जाती है।

*मूली का रस और दूध को बराबर मिलाकर 1 -1 चम्मच दिन में छह बार लेने से भी शीघ्र लाभ मिलता है ।

*हींग, काली मिर्च और नागरमोथा को पीसकर गुड़ के साथ मिलाकर गोलियाँ बना लें। प्रतिदिन भोजन के बाद दो गोलियों का सेवन करने से खाँसी और कफ में लाभ मिलता है ।

1 चम्मच अजवाइन एवं हल्दी मिलाकर गरम कर ले,फिर उसे ठंडा होने के बाद शहद मिलाकर पीने से खांसी जल्दी ही दूर हो जाती है।खांसी होने पर सेंधा नमक की डली को आग पर अच्छे से गरम कर लीजिए। जब नमक की डली गर्म होकर लाल हो जाए तो तुरंत आधा कप पानी में डालकर निकाल लीजिए। उसके बाद इस नमकीन पानी को पी लीजिए। ऐसा पानी 2-3 दिन सोते वक्त पीने पर खांसी समाप्त हो जाती है।

*शहद, किशमिश और मुनक्के को मिलाकर लेने से खांसी जल्दी ही ठीक हो जाती है।

*हींग, त्रिफला, मुलेठी और मिश्री को नींबू के रस में मिलाकर चाटने से भी खांसी में फायदा मिलता है।

*भुने हुए चने को कालीमिर्च के साथ खाने से खांसी बहुत जल्दी गायब हो जाती है।

*त्रिफला में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर पीने से हर तरह की खांसी में फायदा होता है।

*तुलसी, कालीमिर्च और अदरक की चाय पीने से भी खांसी शीघ्र ही समाप्त होती है।

*पानी में नमक, हल्द‍ी, लौंग और तुलसी पत्ते उबालें। इस पानी को छानकर रात को सोते समय गुनगुना पिएँ। इसके लगातार सेवन से 7 दिनों के अंदर खाँसी पूरी तरह से समाप्त हो जाती है ।

*खांसी होने पर खांसी को रोकने के लिए मूंगफली,चटपटी व खट्टी चीजें, ठंडा पानी, दही, अचार, खट्टे फल, केला, कोल्ड ड्रिंक, इमली, तली-भुनी चीजों को खाने से बचना चाहिए ।

*सूखी खांसी में काली मिर्च को पीसकर घी में भूनकर लेना भी बहुत उत्तम रहता है।

*पान का पत्ता और थोड़ी-सी अजवायन , चुटकी भर काला नमक व शहद मिलाकर लेना भी खांसी में लाभ देता है।

*बताशे में काली मिर्च डालकर चबाने से भी खांसी में बहुत शीघ्र कमी आती है

तरबूज

तरबूज सेवन के नियम जो कोई नहीं बताता गलत तरीके से खाया तरबूज आपको हॉस्पिटल पंहुचा सकताहै

1.खाली पेट तरबूज का सेवन न करें, और करना पड़े तो बिना नमक न करें।

2. जुकाम,नजला रोगी इसका सेवन न करें।

3. अस्थमा, हार्ट और शुगर ,किडनी रोगी बहुत कम मात्रा में सेवन करें या न करें। इसमें एमिनो एसिड अस्थमा और पोटेशियम हार्ट वालो को थोड़ी दिक्कत कर सकता, शूगर का लेवल बढ़ाता है।

4. तरबूज के बाद कोई भी लिक्विड न लें। पानी तो किसी हालत में न पियें जान पर बन आएगी| 

5. चावल और तरबूज विरुद्ध आहार है, इनके बीच 3 घण्टे का गैप रखें।

6. रात के समय भी तरबूज बिलकुल न खाए

7.धुप में तपा हुआ तरबूज पानी में रखकर गर्मी निकाल दें तब खाए| गरम तरबूज बिलकुल न खाए|

8.तरबूज काटकर तुरंत खाए| कटा तरबूज फ्रिज में भी न रखें| चिल्ड तरबूज खाने का मन हो तो साबुत फ्रिज में रखे| या बर्फीले पानी में साबुत रखें| फिर खाए|

9. मार्केट का कटा खुला बिकने वाला तरबूज किसी हालत में न खाए

Saturday, 22 April 2017

बासी रोटी


बासी रोटी खाने के फायदे जानकर दंग रह जाएंगे आप


अक्‍सर हम सभी के घरों में हर रोज 2-4 रोटी जरूर बच जाती है और उसे हम कूड़े में डाल देते हैं। पिछले जमाने में बासी रोटी को जानवरों के लिए रखा जाता था लेकिन अब शहरों में जानवर नहीं मिलते ऐसे में बहुत सारा अनाज हर रोज बर्बाद किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको जो बताने जा रहे है उसे सुनकर शायद आप चौंक जाएंगे।
जी हां हम आपको बता दें कि जो बासी रोटी हम फेंक देते है उसे खाने से बहुत ही ज्यादा फायदा होता है ये खासकर उनके लिए है जो दिन भर भागदौड़ का काम करते है और उनको हाई बीपी का प्रॉब्‍लम है। ऐसे लोग अगर हर रोज सुबह गेहूं के 2 बासी रोटी को दूध में मिला कर खाएं तो उनका ब्लूडप्रेसर कंट्रोल हो जाता है और अगर आपको बीपी नहीं भी है तो कभी होने नहीं देता इसलिए आप हर रोज बसी रोटी जरूर खाएं और स्वस्थ्य रहें।
अगर आप सुबह कुछ न कुछ खा लेते हैं और फिर बाजार निकलते हैं तो गैस बनने लगता है अगर आप यही घर से निकलने से पहले सुबह सुबह अगर बासी रोटी दुध के साथ खा लेते हैं तो आपको गैस की प्रॉब्‍लम नहीं होती है। इस एसिडिटी से ही आपको तनाव और शुगर जैसी बिमारी का सामना करना पड़ता है। इसलिए जो लोग बासी रोटी साथ दूध का सेवन करके बाहर निकलते हैं उनका शुगर कंट्रोल में रहता है।
इतना ही नहीं जिन्‍हें पेट से संबंधित कोई समस्‍या है वो लोग अगर दूध के साथ बासी रोटी खाएं तो पेट की हर समस्या ठीक हो जाती है।
जिन्‍हें हाई ब्लड प्रैशर की समस्‍या है वो अगर रोज सुबह ठंडे दूध के साथ 2 बासी रोटी खाए तो शरीर का रक्त चाप संतुलित रहता है। इसके अलावा ज्यादा गर्मी के मौसम में भी इसका सेवन करने से शरीर का तापमान सही रहता है।

भिंडी

भिंडी खाने से आपकी सेहत को होते हैं ये 7 कमाल के फायदे

भिंडी की सब्ज़ी ज्यादातर लोगों को पसंद होती है। भारत में इसे कई तरह से बनाया जाता है। भरवां भिंडी, भिंडी की भुजिया, भिंडी मसाला और अचारी भिंडी। भिंडी न सिर्फ स्वाद में शानदार होती है, बल्कि ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। इसमें प्रोटीन, वसा, रेशा, कार्बोहाइट्रेड, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम और कॉपर पाया जाता है। आइये जानते हैं कि भिंडी आपकी सेहत को कितने ढंग से फायदे पहुंचाती है।

1. मस्तिष्क के लिए अच्छी - भिंडी में फॉलेट और विटामिन बी9 जैसे पोषक तत्व होते हैं। ये पोषक तत्व मस्तिष को उसके काम अच्छी तरीके से करने में बहुत मददगार साबित होते हैं।

2. वज़न घटाए – आपको शायद अंदाज़ा भी नहीं होगा कि आपकी फेवरेट सब्ज़ी भिंडी आपका वज़न घटाने में भी आपकी मदद कर सकती है। दरअसल, भिंडी में बहुत कम कैलोरी और ज्यादा फाइबर होता है। यानी आपका पेट भर जाता है लेकिन कैलोरी ज्यादा नहीं लेनी पड़ती। 100 ग्राम भिंडी में केवल 33 कैलोरी होती है।

3. डायबिटीज़ कंट्रोल करे – डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए भिंडी अच्छी सब्ज़ी साबित होती है। दरअसल, फाइबर से भरपूर भिंडी पाचन तंत्र में शुगर अवशोषण की दर को नियंत्रित कर ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में सहायक है। वहीं भिंडी के एंटी डायबिटिक गुण एंजाइम मेटाबोलिज्म कार्बोहाइड्रेट को कम करने और इंसुलिन का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी काफी अच्छे माने जाते हैं।

4. दिल के रोगों से बचाव – दिल के रोग इन दिनों बहुत आम हो गए हैं। भिंडी आपको इन रोगों से बचाव प्रदान करती है। इ में मौजूद पेक्टिन घुलनशील फाइबर बॉडी में कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है जिससे दिल की बीमारियों से बचाव होता है। इसका करसेटिन (quercetin) तत्व कोलेस्ट्रॉल के ऑक्सीकरण रोकने में मदद करता है, जिससे दिल स्वस्थ रहता है।

5. इम्यूनिटी मज़बूत करे- अगर आपका बच्चा बार-बार बीमार होता है तो उसे भिंडी खिलाना शुरू करें। भिंडी में भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है, जिससे आपको इम्यूनिटी मज़बूत करने और विभिन्न रोगों व इन्फेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है। 100 ग्राम भिंडी आपकी दैनिक विटामिन सी की लगभग 38 फ़ीसदी ज़रुरत को पूरा करती है।

6. गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद- भिंडी में विटामिन बी9 और फोलिक एसिड तत्व होते हैं जिनसे गर्भवती महिलाओं को अपने नवजात शिशु में न्यूरोलॉजिकल बर्थ डिफेक्ट रोकने में मदद मिलती है। अगर आप गर्भवती हैं, तो हफ्ते में एक बार भिंडी ज़रूर खाएं।

7. कैंसर से बचाव – भिंडी में मौजूद हाई एंटीऑक्सीडेंट आपकी सेल को फ्री रैडिकल सेल्स से डैमेज होने से बचाते हैं और बॉडी में कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकते हैं। इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर पाचन तंत्र को सही रखकर आपको कोलोरेक्टल कैंसर का खतरे से बचाने में सहायक हैं।

गुलाब जल


  गुलाब जल एक सुगन्धित तरल पदार्थ होता है, जोकि गुलाब की पंखुड़ियों के द्वारा बनाया जाता है. गुलाब का तेल बनाने के लिए गुलाब जल का उपयोग किया जाता है, इस गुलाब के तेल का उपयोग इत्र बनाने में भी होता है. गुलाब जल का उपयोग तरह तरह के भोज्य पदार्थ जैसे गुलाब जामुन में किया जाता है. चिकित्सा के लिए और कॉस्मेटिक चीजों में भी इसका उपयोग होता है. यूरोप और एशिया में इसे धार्मिक उद्धेश्य के लिए भी उपयोग किया जाता है. गुलाब का शरबत, गुलाब जल में चीनी डाल कर बनाया जाता है, जोकि बहुत स्वादिस्ट होता है. गुलाब जल हमारी त्वचा और बालों के लिए भी लाभदायक है. इससे त्वचा के पी एच का स्तर सम्भाला जाता है. यह त्वचा की सफाई करने के भी काम आता है.



गुलाब का  फूल

गुलाब एक तरह का फूल होता है, ये बहुत सारे रंगो जैसे पीला, लाल, गुलाबी, मैरून में होता है. इसकी 100 जातियां होती है. इसकी जातियां ज्यादातर एशिया में होती है, यह यूरोप, उत्तरीय अमेरिका, उत्तर दक्षिण अफ्रीका में बहुत कम होती है. गुलाब के पौधे की ऊँचाई बहुत ज्यादा नहीं होती, इसलिए इसे घर के बगीचे में भी लगाया जा सकता है. गुलाब एक सजावटी पौधा होता है जोकि घर की सुन्दरता को बढ़ाता है. ज्यादातर लोग इसे अपने घर में लगा कर अपने घर की शोभा बढ़ाते है. इसका उपयोग इत्र के व्यवसाय और गुलदस्ते के व्यवसाय के लिए होता है. यह अधिकतर लोगों का पसंदीदा पौधा है. यह कई उपयोगी उद्देश्य जैसे खेल, घर की सजावट, भगवान को चढ़ाने के लिए भी किया जाता ह

गुलाब जल बनाने की विधि (

आधुनिक समय में अलग -अलग प्रकार की फैक्ट्री में इसका निर्माण होने लगा है, जिससे यह बाजार में आसानी से मिल जाता है. लेकिन गुलाब जल बनाने का बहुत ही आसान तरीका आपके घर में ही मौजूद है. 

गुलाब जल बनाने के लिए तीन चीजों की अवश्यकता होती है,

गुलाब की पंखुड़ियाँ,
जल
बर्फ
इसके लिए एक ऐसा बर्तन लीजिये, जिसमें एक दूसरा बर्तन भी समां सके. अब इस बर्तन में एक स्टैंड रख दीजिये.

2 ग्लास जल में लगभग 15 गुलाब के फूल की पंखुड़ियाँ लीजिये, और इस बर्तन में डाल दीजिये,
स्टैंड के उपर एक खाली बर्तन रखिये.
अब इस बर्तन को आग के ऊपर, लगभग 20 से 25 मिनिट तक के लिए रखिये, और गरम होने दीजिये.
अब जब यह गरम होगा, तो यह भाप के रूप में ऊपर आएगा, लेकिन हमें इसे इक्कठा करने के लिए, इस बर्तन के ऊपर एक उल्टा ढ़क्कन रखना होगा.
इस ढक्कन पर बर्फ के टुकड़े रखें, जिससे यह भाप बाहर न निकले और ठंडी होकर, उस खाली बर्तन में जल के रूप में इक्कठी हो सके,
फिर इसे आग से हटा दीजिये, और ठंडा होने दीजिये.
इस तरह गुलाब जल का उत्पादन आप घर पर ही कर सकते है. इससे आपको बिना रासायनिक तत्व मिला हुआ, शुद्ध गुलाब जल भी मिल जायेगा, और आपके पैसे भी बच जायेंगे.
गुलाब जल के उपयोग और उनसे होने वाले फायदे (Rose Water Benefits and uses in hindi)
गुलाब जल का उपयोग बहुत सी जगहों पर किया जाता है. इनमें से कुछ उपयोग और उनसे होने वाले फायदे इस प्रकार है-

क्र.म.    गुलाब जल उपयोग करने के स्थान    गुलाब जल का उपयोग    गुलाब जल के फायदे
1.    त्वचा के लिए    रुई को गुलाब जल में डुबोकर त्वचा में लगायें.    त्वचा की गन्दगी निकलती है, और त्वचा खिल उठती है.
2.    बालों के लिए    नारियल तेल में, गुलाब जल की कुछ बुँदे डालकर बालों की जड़ो में लगायें.    बाल मुलायम  और चमकदार दिखेंगे, बालों का उलझना और झड़ना बंद हो जायेगा.
3.    कॉस्मेटिक के लिए    क्रीम में मिलाकर लगायें.    त्वचा कोमल और चमकदार दिखेगी.
4.    चिकित्सा के लिए    मलहम के रूप में    चोट में आराम मिलेगा.
5.    धार्मिक चीजों के लिए    इत्र के रूप में    इसकी खुशबू से मन को शांति मिलती है.
गुलाब जल का उपयोग अलग –अलग जगहों पर अलग –अलग प्रकार से किया जाता है, इनमें से कुछ और इस प्रकार है-

त्वचा के लिए

त्वचा के लिए गुलाब जल बहुत ही लाभदायक होता है, किन्तु अलग –अलग  प्रकार की त्वचा के लिए गुलाब जल का उपयोग अलग –अलग प्रकार से होता है, जिनमें से कुछ के प्रकार निम्न है-

कोमल त्वचा के लिए
रुखी त्वचा के लिए
तैलीय त्वचा के लिए
त्वचा के पीएच (PH) को सँभालने के लिए
त्वचा की सिकुड़न के लिए
त्वचा में कील, मुहांसों के लिए
त्वचा की रंगत के लिए
आँखों के नीचे काले घेरों के लिए)
कोमल त्वचा के लिए

कोमल त्वचा के लिए गुलाब जल एक बहुत अच्छा उत्पाद है, गुलाब के पास एंटी – ओक्सीकरण क्षमता होती है, जोकि त्वचा के कोमल और उत्तेजित करने वाले भाग को आराम देती है. गुलाब जल त्वचा की परेशानियों को हटाकर, डल त्वचा में निखार लाता है. यदि त्वचा में जिस जगह जलन हो रही हो, वहां गुलाब जल और ग्लिसरिन को बराबर मात्रा में मिलाकर लगाया जाये, तो त्वचा को आराम मिलता है.

रुखी त्वचा के लिए


रुखी त्वचा को गुलाब जल नमी प्रदान करता है, रुखी त्वचा में गुलाब जल   लगाने से त्वचा को ठंडक मिलती है. यह रुखी त्वचा को हाइड्रेट करता है. गुलाब में प्राकृतिक चीनी होती है जो न केवल त्वचा को साफ और कोमल बनाती है, बल्कि इसे नमी भी प्रदान करती है.

तैलीय त्वचा के लिए

तैलीय त्वचा के लिए गुलाब जल का उपयोग बहुत ही आसान तरीके से किया जाता है. गुलाब जल में नीम्बू का रस मिला कर लगाने से त्वचा का तेल हटाया जाता है. नीम्बू में कुछ तत्व ऐसे होते है जो त्वचा से तेल को हटाने का काम करते है. नीम्बू के फायदे व उपयोग जानने के लिए यहाँ क्लिक करें.

त्वचा के पीएच (PH) को सँभालने के लिए

त्वचा में पी एच के स्तर को बरक़रार रखने के लिए, किसी भी प्रकार की त्वचा के लिए गुलाब जल बहुत अच्छा उत्पाद है. यह अपने आप ही त्वचा के पी एच की जाँच करके उसे संभालता है. त्वचा का पी एच संभलना बहुत जरुरी होता है, क्यूकि इसी से त्वचा हाइड्रेट होती है, और यह त्वचा के बंद हो चुके छिद्र खुलते है.


त्वचा की सिकुड़न के लिए (

गुलाब जल त्वचा में आई सिकुड़न को रोकता है. गुलाब जल की विशेषता यह है कि काले धब्बे, सिकुड़न, झाइयाँ इन सभी को यह आसानी से दूर कर देता है. त्वचा में गुलाब जल को एक दिन में, तीन बार छिढ़कने से ये सारी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है.

त्वचा में कील, मुहांसों के लिए

गुलाब जल से त्वचा में आये मुहांसों और कीलों को भी आसानी से हटाया जा सकता है. गुलाब जल में एक नीम्बू का रस मिला कर चेहरे में लगाने से त्वचा से कील और मुहांसे साफ़ हो जाते है. इसे हफ्ते में 2 बार लगाना चाहिए. यदि बहुत ज्यादा मुहांसे हो तो, उसमें नीम्बू न मिला कर सिर्फ गुलाब जल को एक दिन में, तीन बार छिड़कने से आराम मिलता है. इसमें बहुत ही उपयोगी उत्पाद होते है जो इन परेशानियों से लड़ने में सहायक होते है. मुहांसे हटाने के घरेलु उपाय यहाँ पढ़े.

त्वचा की रंगत के लिए

सूर्य की किरणों के त्वचा में पड़ने से त्वचा जल जाती है, बेजान दिखाई देने लगती है, जिससे त्वचा की रंगत काम हो जाती है. गुलाब जल को बेजान त्वचा में लगाने से, त्वचा में जान आ जाती है, और त्वचा की रंगत वापस आ जाती है, और  त्वचा निखरती है. सुंदर त्वचा के घरेलु उपाय यहाँ पढ़ें.

आँखों के नीचे काले घेरों के लिए

आँखों के नीचे काले घेरे होने से त्वचा की रंगत में कमी नजर आती है, इसके लिए रुई को गुलाब जल में डुबोकर आँखों के चारों ओर लगाकर 15 मिनिट तक रखने से, यह परेशानी भी धीरे -धीरे दूर हो जाती है, और त्वचा फिर से खिल उठती है.

बालों के लिए

तैलीय बालों के लिए
रूखे बालों के लिए
बालों को मुलायम बनाने के लिए
धूल मिट्टी से बचाने के लिए
बालों की लम्बाई बढ़ाने के लिए
बालों को झड़ने से बचाने के लिए
बालों को रूसी से बचाने के लिए
बालों को संक्रमण से बचाने के लिए

तैलीय बालों के लिए

जिस प्रकार गुलाब जल तैलीय त्वचा से तेल को हटाता है, उसी प्रकार यह बालों से भी तेल को हटाता है. कुछ लोगों के पास वसामय ग्रंथियां होती है, जो बहुत ज्यादा मात्रा में बालों की जड़ो में पाई जाती है, जिससे बाल तैलीय हो जाते है. लेकिन गुलाब जल से इस समस्या का भी निवारण हो सकता है. गुलाब जल में रुई को डुबोकर बालों की जड़ो में लगाने से बालों से तेल को हटाया जाता है, इससे बालों का पी एच भी सम्भाल जाता है और  बाल भी चमकदार दिखने लगेंगे.

रूखे बालों के लिए

गुलाब जल बालों से तेल तो हटाता है, साथ ही रूखे बालों के लिए भी यह उपयोगी है. गुलाब जल और ग्लिसरिन को बराबर मात्रा में मिला कर, बालों की जड़ो में लगाने से, यह बालों को हाइड्रेट करता है, जिससे बालों को नमी मिलती है, और बाल उलझते नहीं है.

बालों को मुलायम बनाने के लिए

शैम्पू करने के बाद हमारे बालों को मुलायम रखने की आवश्यकता होती है क्यूकि शैम्पू में बहुत से रासायनिक तत्व पाए जाते है, जो कि बालों को हानि पहुचाते है. इसके लिए गुलाब जल की जगह गुलाब के तेल को उपयोग में लाया जाता है. नारियल तेल में, 10 बूँद गुलाब के तेल की डाल कर बालों में लगाने से बाल मुलायम हो जाते है. नारियल के गुण व फायदे जानने के लिए यहाँ क्लिक करें.

धूल मिट्टी से बचाने के लिए

धूल और मिट्टी से बाल ख़राब हो जाते है. ऐसे में बालों को धोना बस सही नहीं है, क्यूकि इससे बाल साफ तो हो जाते है, किन्तु उससे बालों का पी एच कम हो जाता है, और बाल रूखे हो जाते है. इसके लिए गुलाब जल में विटामिन इ की गोलियों और तेल मिलाकर बालो में लगाये, बालों का टूटना कम हो जायेगा, और बाल चमकदार दिखने लगेंगे.

बालों की लम्बाई बढ़ाने के लिए-
बालों की लम्बाई बढ़ाने के लिए गुलाब जल का इस्तेमाल किया जाये, यह बात  विज्ञान में साबित नहीं हुई है, लेकिन कुछ सूचना से पता चला है, कि गुलाब जल में विटामिन ए, बी, सी, और इ होता है जोकि बालों की लम्बाई बढ़ाने में आवश्यक होता है. इसलिए गुलाब जल को तेल के साथ मिलाकर लगाने से बाल टूटते नहीं है, और बालों की लम्बाई बढ़ती है. लम्बे घने बालों के घरेलु उपाय यहाँ पढ़ें.

बालों को झड़ने से बचाने के लिए

 –
बालों की लम्बाई बढ़ने के साथ -साथ बालों का मजबूत होना भी बहुत जरुरी होता है. बालों को मजबूत बनाने के लिए सबसे पहले शैम्पू और कंडीशनर का घर में ही उत्पादन करना होगा, क्यूकि बाजार के शैम्पू में पाये जाने वाले रासायनिक तत्व बालों तो ख़राब कर सकते है. इसके अलावा गुलाब जल में विटामिन इ मिलाकर लगाइए, यह बालों की जड़ो में खून के स्त्राव को बढ़ाता है, जिससे बाल झड़ते नहीं है और मजबूत बनते है.

बालों को रूसी से बचाने के लिए (Rosewater for dandruff) –
बालों की जड़ो में नमी कम होने की वजह से रुसी की समस्या होती है. यह बालों को जड़ो से ख़राब कर देती है, जिससे बाल टूटने लगते है. इसके लिए गुलाब जल में मैथी के दाने कुछ घंटो के लिए फुलाकर रखिये, और इसे बालों की जड़ो में लगाने से रुसी हट जाती है, और बाल अच्छे हो जाते है. रुसी हटाने के घरेलु उपाय यहाँ पढ़ें.

बालों को संक्रमण से बचाने के लिए –
गुलाब जल से बालों को संक्रमण से बचाया जा सकता है. गुलाब जल में पाए जाने वाले तत्व संक्रमण से लड़ते है, और बालों को खराब होने से बचाते है.

कॉस्मेटिक के लिए –

गुलाब जल का उपयोग लोग कॉस्मेटिक में जैसे कोल्ड क्रीम में करते है. भारत में भी इसका उपयोग ज्यादा किया जाता है. गुलाब की सुगंध इत्र बनाने के लिए भी आवश्यक होती है. मिठाई बनाने जैसे गुलाब जामुन में इसका उपयोग होता है. गुलाब जामुन की रेसिपी पढने के लिए यहाँ क्लिक करें.  शादियों में मेहमानों के ऊपर भी इसका छिढ़काव करके, उनका स्वागत किया जाता है. इस प्रकार यह कॉस्मेटिक के सामान, मीठे में, और मेहमानों के लिए गुलाब जल का प्रयोग होता है.

चिकित्सा के लिए


गुलाब जल का उपयोग चिकित्सा के लिए भी किया जाता है. गुलाब जल को एक मलहम के रूप में, चोट में लगाने से चोट वाली त्वचा की जगह मुलायम हो जाती है, और इससे आराम भी मिलता है.

धार्मिक चीजों के लिए

गुलाब के तेल से इत्र बनाया जाता है. गुलाब जल का उपयोग, इत्र के रूप में धार्मिक समारोह में भी किया जाता है. जैसे हिन्दु धर्म में इत्र पूजा की सामग्री में रखा जाता है, जोकि भगवान को चढ़ाया जाता है, और मुस्लिम एवं ईसाई धर्म में भी इसका बहुत महत्व है.

इस तरह गुलाब जल इन सभी के लिए उपयोगी और फायदेमंद है

पैरों के तलवे में जलन

पैरों के तलवे में जलन को दूर करने के उपाय |


पैरों की जलन से कई बार हम परेशान होते है, यह समस्या गर्मी के दिनों में ज्यादा परेशान करती है. इस समस्या के लिए हम डॉक्टर के पास जाना उचित नहीं समझते व आलस कर जाते है. इस समस्या को हम घरेलु नुस्खों के द्वारा दूर कर सकते है. आइये हम आपको बताते हैं पैरों के तलवे में जलन को दूर करने वाले घरेलू उपचार और जलन के मुख्य कारण.

पैरों के तलवे में जलन का कारण

पैर में रक्त का प्रवाह कम होना
उम्र अधिक होना
डायबटीज भी है एक कारण
किडनी की परेशानी
विटामिन की कमी
शराब अधिक पीना
किसी दवाई का साइड इफेक्ट्स
ब्लडप्रेशर






पैरों के तलवे में जलन को दूर करने के आसान घरेलु  उपाय


1    बड़ी सौंफ    सौंफ शरीर में ठंडक देती है, हाथ पैर की जलन को दूर करने लिए ये बहुत काम आती है. बड़ी सौंफ, खड़ा धना व मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें, अब दोनों समय खाने के बाद 1-1 चम्मच पानी के साथ लें, कुछ दिन लगातार खाने से आपको आराम मिलेगा.

2    अदरक    अदरक भी हाथ पैर की जलन कम करता है. ये शरीर में खून का प्रवाह बढ़ाता है, रोजाना एक टुकड़ा अदरक का खाने से शरीर में खून सही ढंग से प्रवाह होगा, जिससे पैर की जलन व दर्द दूर होगा. इसके अलावा आप नारियल या जैतून के तेल में थोडा सा अदरक का रस मिलाकर हल्का गुनगुना कर लें, अब पैर व हाथ में 10 min तक मालिश करें, रोजाना ऐसा करने से आराम मिलेगा.

3    विटामिन से युक्त चीजें खाएं    विटामिन B3 की कमी से हाथ पैरों में जलन होती है, इसलिए विटामिन से युक्त भोज्य पदार्थ का सेवन जरुर करें. इसके लिए आप बीन्स, अंडे का पीला भाग, दूध, फिश, चिकिन, मूंगफली, मटर, मशरूम का सेवन करें.

4    हरी घास पर चलें    नेचुरल थेरिपी से अच्छा कोई इलाज नहीं होता है. बिना चप्पल के हरी घास पर चले, इससे पैर में खून का संचार अच्छे से होता है.

5    मसाज    खून संचार बढ़ाने के लिए मसाज करना सबसे कारीगर है, नारियल या जैतून तेल से पैरों की कुछ देर मालिश करें, रोजाना ऐसा करने से आपको जलन की परेशानी दूर हो जाएगी.

6    लौकी घिसें    लौकी से ठंडक मिलती है, इसके लिए लौकी को काट कर पैरों में कुछ देर घिसें, इसके अलावा आप उसके गूदे को निकालकर उसे लगायें. पुरे शरीर की गर्मी पैरों में अधिक महसूस होती है. लौकी से पैर में ठंडक मिलती है.

7    धनिया    धनिया भी ठंडी प्रवत्ति का होता है, इसके सेवन से पैर हाथ में ठंडक मिलती है. मिश्री व धनिया को मिलाकर पाउडर बना लें अब इसे 1-2 चम्मच रोज खाएं. कुछ ही दिन में आराम मिलेगा.

8    मेहँदी    मेहँदी काफी ठंडक देती है, ये सब हम सभी जानते है, इसे हाथों में लगाना हर औरत, लड़की को पसंद होता है. लेकिन ये एक घरेलु उपचार भी है जो हाथ पैर की जलन ख़त्म करती है. मेहँदी पाउडर को निम्बू का रस व सिरके के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें, अब इसे पैर के तलवों पर कुछ देर लगायें फिर धो लें. इसी तरह आप इसे हाथ में भी लगा सकते है. कुछ दिन तक करने से जलन ख़त्म हो जाएगी, साथ ही पैरों का दर्द भी गायब हो जायेगा.

9    राइ का तेल    राइ या सरसों का तेल मालिश के लिए सबसे अच्छा होता है. इससे सिकाई करना भी लाभकारी है, ये जलन के साथ साथ दर्द निवारक भी है. इसके लिए आप आधी बाल्टी गुनगुने पानी में 3-4 चम्मच तेल डालें और 5 min तक इसमें पैरों को डालें रहें. अब फूट फिलर से पैर घिसें जिससे पैर की सारी गन्दगी निकल जाये. अब ठन्डे पानी से पैर धो लें. ऐसा करने से दर्द भी कम होगा.

10    मक्खन    मक्खन हर किसी की घर में आसानी से मिल जाता है, जिसे जब चाहें आप उपयोग कर सकते है. 1-2 चम्मच मक्खन में कुछ दाने मिश्री के मिलाएं, अब इसे अच्छे से मिलाएं, जिससे मिश्री घुल जाये. अब इसे पैर व हाथ में लगायें कुछ देर बाद धो लें, रोजाना करने से आपको फर्क समझ आएगा.

हाथ पैर में जलन एक आम समस्या है, जिसको हम आसानी से घर पर ही बिना किसी दवाई के ठीक कर सकते है. ऊपर दिए तरीकों को आप अपनाएं और कौन सा तरीका आपको बेहतर लगा जिससे आपको अधिक फर्क पड़ा हमें जरुर बताएं. अगर इसके अलावा आप और कोई तरीके पैरो की जलन को शांत करने के लिए जानती है, तो हमारे साथ जरूर शेयर करें

Friday, 21 April 2017

Nails

Your nails can tell what the disease. आपका नाखून बता सकता है क्या रोग है|
जी हाँ यह सच है, हमारे हाथ और पैर के नाख़ून के रंग, रूप आदि में परिवर्तन से आपके शरीर में हो रहे या होने वाले रोगों का पता चल जाता है| एक चिकित्सक भी नाख़ून देख कर सही रोग निदान कर लेता है|
लीवर, किडनी,मधुमेह, हृदय रोग,फेफड़ो के रोग, सोराइसिस, पीलिया, थाइरोइड, आदि आदि रोगों के शरीर में घुसने के या होने के संकेत भी इन नाख़ून को देख कर ही पता चल सकती है| एक प्रकार से नाख़ून शरीर के रोग जानने की प्रारम्भिक खिड़की भी है| अत: यदि हम स्वयं के या परिवार के किसी सदस्य के नाखुनो में सामान्य से अलग कोई परिवर्तन देखें, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना ही चाहिए|
मनुष्य विशेष कर महिलाएं नाख़ून को सुन्दरता का  प्रतीक मानती है| प्रतिवर्ष हजार करोड़ रूपये से अधिक धन नाख़ून की सजावट पर खर्च किया जाता है|
अक्सर विशेष कर महिलाये अपने नाखूनों की इन कमियों या परिवर्तन को नेल पालिश आदि की मदद से छुपाने का प्रयत्न करतीं है, और सफल भी होती है परन्तु वे इससे एक अनजाने खतरे की और अनायास बढती चली जातीं है| इसलिए नाखुनो में दिखने वाले परिवर्तनों के प्रति लापरवाही वाला नजरिया दुखदाई सिद्ध हो सकता है|
लगभग 30 वर्ष आयु तक सबसे तेज गति से बढ़ने वाले इन्सान के नाख़ून जीवन भर बढ़ते रहते हें, पैरों की तुलना में हाथों के नाख़ून अधिक तेजी से बढ़ते हें और दिलचस्प बात यह है की जितना अधिक इनको काटा जाता है उतनी ही तेजी से वे पुन: बड जाते हें| सर्दी के बजाय गर्मी के मोसम में ये अधिक तेजी से बढ़ते हें,
अंगुली की गोलाई के अनुसार गोल से, केरोटीन से बने ये नाख़ून हाथों की तुलना में पैरों के विशषकर अंगूठे के अधिक मोटे और मजबूत होते हें वे पेरों को अतिरिक्त मजबूती और सुरक्षा प्रदान करते हें|
आयुर्वेद के अनुसार क्रमश: रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, और शुक्र, शरीर में ये सात धातुएं बनती हैं, अस्थि के पूर्व मृदु अस्थि बनती है, जो नाख़ून, नाक, कान, आदि को आकार बनाये रखने में सहायक होती है| इन्हें कार्टिलेज भी कहा जाता है|
नाखून की बनावट रंग आदि, इन्सान के खान-पान, रहन-सहन, वातावरण, आयु, दवाओं के प्रभाव, चोट, संक्रमण, आदि से निरंतर प्रभावित होती रहती है| चूँकि मांस और मेद के बाद अस्थि बनती है अत: पोषण क्रम में अस्थि तक भोजन के पोषण का किस प्रकार का पदार्थ पहुँचता है उसी के अनुसार पर नाखून की रचना होने लगती है| इसी पोषण क्रम में बनने वाले द्रव्य शरीर के अन्य अंगों का भी पोषण और संचालन करते हें, इसी कारण अन्य अंग प्रभावित होते समय, वही परिवर्तन नाखूनों पर भी दिखाई देने लगता है| 
उदाहरण के तोर पर यदि रक्त की कमी हो तो लाल रक्त कण कम होने से नाख़ून भी सफ़ेद से दिखने लगते हें|
नाखुनो के इन अन्य परिवर्तनों को समझें, रोग निदान करें|

पीत नख पीले नाखून Yellow nails – सामान्यतय आयु के कारण नाख़ून हल्के पीले हो सकते हें, यह लीवर की कमजोरी का प्रतीक है| युवाओं में धूम्रपान, नेल पोलिश में उपस्थित एक्रिलिक उन्हें पीला बना सकती है|  पीले रंग के दागों के साथ यदि नाख़ून सामान्य अधिक मोटा लगने लगा हो, टूटने जैसा हो तो यह फंगल संक्रमण की और इशारा करता है|   थायराइड, मधुमेह, सोरायसिस, या फेफड़ों में रोग होने पर भी पीले नाखून होने लगते हें|
पांडू नख (Pale Nails)- या धुंधले, फीके (faint) पड़ गए नाख़ून कभी कभी गंभीर रोग की सुचना देते हें| अक्सर रक्ताल्पता (खून की कमी), कन्जेस्टिव हृद रोग, (Congestive heart failure), यकृत (Liver) रोग, कुपोषण (Malnutrition), होने पर नाख़ून धुंधले पड जाते हें| 
नील नख (Bluish Nails नीले नाखून Cyanosed)- नाखुनो का नीला सा होना फेफड़ों के रोग, ह्रदय रोग का संकेत देता है| जब किसी कारण से पर्याप्त आक्सीजन रक्त में नहीं पहुँच पाती, तो इसकी कमी नाखूनों दिखने लगती है|
शुष्क और भंगुर नख सूखे Dry & Brittle Nails , सूखे से,  टूटे-फटे (Cracked),से आसानी से विखरने वाले नम पानी भरा वातावरण और हाथो का कई रसायन से सम्पर्क होने पर, नाख़ून भंगुर और शुष्क हो जाते हें| एसा अक्सर कपडे बर्तन धोने वालों और नेल पालिश रिमूवर का प्रयोग करने वालों का होता है| फंगल संक्रमण या थायराइड रोग विशेष रूप से हाइपोथायरायडिज्म होने पर भी नाख़ून शुष्क और भंगुर होते हें| विटामिन ए विटा बी और विटा सी, की कमी से भी नाख़ून की यह स्तिथि हो जाती है|
वक्र नख Curve nail or Clubbing – इसका अर्थ है नाखुनो के टेडा-मेडा हो जाना| इसमें नाख़ून के अगले सिरे पर सूजन सी भी होती है| यह यह फेफड़ों और ह्रदय रोग,  में होता है, इसका सम्बन्ध एड्सरोग, किडनी रोग, और आंतों में सूजन (कोलाईटिस) की और भी इशारा करता है|
श्वेत नख White Nails – नाखूनों पर सफ़ेद रंग के धब्बे मिलना या पूरा सफ़ेद होना है| आयु की अधिकता, लीवर का रोग, हेपेटाइटिस, या पीलिया (Jaundice) में रक्त धातु पर ही क्रम पोषण बाधित (Interrupted) हो जाने, और अस्थि तक पोषण न पहुँच पाने से होता है|  नाखूनों पर छोटे सफेद निशान किसी आघात (Trauma चोट) से भी बन जाते हें|  कुछ ही केसों में फंगल संक्रमण भी सफ़ेद निशान का कारण मिलता है|  अगर सफ़ेद नाखून के साथ उपर की और गुलाबी चिन्ह भी हों किडनी फैल होना,मधुमेह, की सुचना भी देते हाँ|
नाखून पर रेखाएं  Lines on nails - नाखूनों पर चोड़ाई में फेली सफ़ेद उभरी आड़ी लकीरें (Horizontal ridges) चोट के कारण तो हो ही सकती हें पर ये न्युमोनिया, सोराइसिस, अनियंत्रित मधुमेह, जैसे रोग के कारण, या जस्ते की कमी से विकास रुक जाने से भी बन जातीं है|   इसी प्रकार उभरी खड़ी रेखाओं (Vertical lines) की नाखूनों पर उपस्थिति यूँ तो सामान्य रूप से आयु की अधिकता का प्रतीक हैं पर इसका सम्बन्ध पोषण की कमी का द्योतक भी है, जो वृद्धों में मेटाबोलिक प्रक्रिया कम होने से होता है यह वीटा बी-12 की कमी से भी होता है|   
उठे किनारे वाले नाखून  Spoon Nails – जब नाखून किसी चम्मच की तरह उठे किनारे वाले दिखने लगते हें तो यह जान लेना चाहिए की, रक्त में आवश्यक लोह तत्व जो हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन बनाकर रक्त कण का निर्माण करता है वह कम हो गया है, ऐसा अक्सर लगातार खून बहने या  स्त्रियों में माहवारी में अधिक रक्त जाने से होता है| लोह शरीर के द्वारा अधिक सोख लिए जाने से (हेमोक्रेमेटोसिस), या ह्रदय रोग, थाइरोइड कम होने (हाइपोथायरायडिज्म), से भी नाख़ून के किनारे उपर की और मुड़ने लगते हें| 
नख शोथ Fingernail inflammation - इसमें नाखून के आसपास की त्वचा लाल और सूजी हुई (Swollen) हो जाती है| यह किसी संक्रमण से होता है|
गड्डेवाले या लहरदार नाखून नाखून  Rippled pitted nails – नाखूनों के ऊपर खड्डे या लहरदार लाइने नजर आती हों, तो चर्म रोग- सोराइसिस, या सूजन वाली अर्थराइटिस,  हो सकता है, नाख़ून में खड्डे शिर के बाल झड़ने वाला रोग गंज या खालित्य (एलोपेसिया अराटा), की और भी इशारा करता है, जो एक स्वसुरक्षा प्रतिक्रिया से उत्पन्न (autoimmune[1]) रोग है| 
काले नाखून Black nails  - काली धारियों, निशानों या गहरे भूरे काले चिन्ह वाले नाखून के साथ यदि दर्द भी है तो यह एक त्वक केंसर की चेतावनी भी हो सकती है| तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए| 

Thursday, 20 April 2017

पागल का घरेलु उपचार

मात्र 1पका हुवा कटहल(कोवा) गोटा(पूरा)

उस पके हुवे कटहल को बिच से बराबर काट कर उसके अंदर बिच की डंटी को बढ़िया से निकल दीजिये,सिर्फ डंटी को ही
पगल्पनि के मरीज के सर का बाल को मुड़वा कर उसे कुर्सी इत्यादि में अच्छे से हाथ पैर बांध कर,बैठा दीजिये

उस पके कटहल को उसके सर पर कोवा सहित टोपी जैसा पहना दीजिये
घडी से देख कर 1'1/2 डेढ़ घंटे बाद हटाइये,

आप देखिएगा उस कटहल में कीड़े नजर आ सकते हैं क्योंकि मस्तिस्क के कीड़ों को पके कटहल का सुगंध आकर्षित कर लेती है
और वे सब कटहल में समां जाते हैं। आप देखियेगा वो इसके बाद काफी गहरी निंद्रा में सोने लगेगा और फिर उठने के बाद वो खुद को स्वस्थ महशुस करेगा।

नोट:-ये घरेलु उपचार है इसका कोई बैज्ञानिक आधार नही है ।
पर हमारे एक मित्र द्वारा आजमाया नुस्खा है।जो सफल रहा था।
इसका कोई साइड इफेक्ट भी नही होगा और न ज्यादा समय और पैसा ही लगेगा।
अगर इतना करने से किसी ब्यक्ति को पागल पन से छुटकारा मिल जाये तो एक बार आजमाने में क्या हर्ज है।
आज हर गली चोराहे पर हजारों पागल घूमते है सायद उन्हें नई जिंदगी मिल जाये।
यही सोच कर ये बात मुझे जैसे पता चला आप सभी से साँझा कऱ रहा हूं।
सही होने की गारन्टी तो नही दे सकता पर एक बार आज्मने की सलाह जरूर दूँगा।
ये नुस्ख़ा हमारे मित्र मुकेश साव जी से पता चला जिसने अपने मित्र का ये इलाज करवाया था और वो आज स्वस्थ हैं।
आज हमारे समाज में अनगिनत पागल दीखते है जो जानवर की तरह जीवन बिता रहे हैं, कोई सहारा नही उनका स्टेसन बस स्टेंड इत्यादि जगहों पर जूठन खा कर जीने पर मजबूर हैं।
सायद वो इतने से सही हो जाये,

मूली के पत्तो

मूली के पत्तो में फाॅलिक एसिड जैसे कई न्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो हमारे शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचा कर रखते है। आप मूली के पत्तों की सब्जी या उसका सलाद बनाकर भी खा सकते है। इतना ही नहीं, सलाद बनाते समय मूली के पत्तों में नींबू का रस मिला लें। इससे स्वाद तो बढेगा ही साथ ही विटामिन सी की मात्रा भी बढ़ जाएंगी।'

आज हम आपको कुछ ऐसे ही फायदों के बारे में बताएंगे।

1-इसमें डाइयूरेटिव गुण होते है, जो यूरिन से जुड़ी सभी तरह की समस्याओं को दूर करने का काम करते है।
2-मूली के पत्तों में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो डाइजेशन को इम्पूव करने का काम करता है। इससे बृकब्ज की समस्या दूर होती है।
3-मूली में इंथोकाइनिन होते है, जो कैंसर के लड़ने में मदद करता है।
4-इसमें आयरन और फास्फोरस होता है, जो हीमोग्लोबिन को बढाने का काम करता है और कमजोरी दूर रहती है।
5-मूली के पत्तों के खाने से बॉडी के टॉक्सिन्स दूर रहते है और स्किन में निखार आता है।
6-इसके पत्तों के खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है और डायबिटीज से बचाव होता है।
7-मूली में एंटीबैक्टीरियल गुण होते है, जो पाइल्स की समस्या को दूर करने का काम करते है।

पनीर

पनीर खाने के स्वास्थ्य लाभ :-
पनीर के सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं।
पनीर में मौजूद तत्व पाचन शक्ति बढ़ाते हैं।
कच्चे पनीर का सेवन भी बहुत फायदेमंद रहता है।
पनीर तनाव कम करने में भी मददगार है।
1. स्वस्थ दांत :-
दांतो को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी है। पनीर में कैल्शियम उच्च मात्रा में मिलता है। पनीर में लेक्टोस बहुत कम मात्रा में पाया जाता है। लेक्टोस एक ऐसा पदार्थ होता है, जो खाने से निकलता है और दांतों को नुकसान पहुंचाता है। पनीर सेल्विया के प्रवाह को बढ़ाता है और दांतों से एसिड और शर्करा को साफ करता है।
2. तनाव करे कम :-
रात को नींद नहीं आती या फिर तनाव से ग्रस्त हैं तो सोने से पहले खाने में पनीर का सेवन करें, नींद अच्छी आएगी। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पनीर में ट्राईप्टोफन एमिनो एसिड पाया जाता है, जो तनाव कम करने और नींद को बढ़ाने में मददगार साबित होता है।
3. पाचन शक्ति बढ़ाए :-
पनीर का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। रोग प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती है तो बीमारियों से लड़ने की शरीर की क्षमता बढ़ जाती है।
4. गठिया से राहत :-
गठिया रोग का सबसे बड़ा कारण कैल्शियम की कमी है। पनीर इस रोग से पीडितों के लिए सबसे अच्छा उपाय है। इस बीमारी का इलाज प्रोटीन, कैल्शियम और उच्च मात्रा में विटामिन और मिनरल्स का सेवन है और ये सभी चीजें पनीर में मौजूद होती है।

काले अंगूर

काले अंगूर के 10 बेमिसाल फायदे, जानेंगे तो जरूर खाएंगे

ये मौसम है अंगूरों का औऱ अंगूर काफी सेहतमंद माना जाता है। लेकिन अगर आप खास तौर पर काले अंगूर का नियमित सेवन करते हैं तो डायबटीज, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां, त्वचा औऱ बालों की परेशानियों से निजात पा सकते हैं। जानिए, इसके क्या क्या फायदे हैं।

1. काले अंगूरों का सेवन करने से डायबटीज को भी ठीक किया जा सकता है। इन अंगूरों में रेसवर्टॉल नाम का पदार्थ होता है जो खून में इंसुलिन बढ़ाता है।

2. इस तरह शुहर संतुलन ठीक रहता है। ये शरीर में खून के बहाव को बढ़ाता है इसलिए ब्लड प्रेशर की भी शिकायत नहीं होने पाती।

3. काले अंगूरों को नियमित रूप से खाने से एकाग्रता और याद्दाश्त बढ़ती है। दिमागी गतविधियां सुधरती हैं। अंगूर माइग्रेन जैसी बीमारी भी ठीक कर सकता है।

4. काले अंगूरों में मौजूद साइटोकेमिकल्स दिल को स्वस्थ रखता है। ये शरीर में कलेस्ट्रल की मात्रा भी नियंत्रित रखते हैं और दिल का दौरा या इससे संबंधित और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

5. अगर नियम से काले अंगूर खाएंगे तो ये वजन घटाने में भी मदद करेंगे। इनमें जो एंटीऑक्सीडेंट होते हैं वो शरीर से गैरजरूरी टॉक्सिन्स को बाहर निकालते हैं और इस तरह वजन कम होता है।

6. रेसवेरॉटल तत्व बैक्टीरिया और फंगस को भी मारता है जो शरीर में किसी भी तरह का इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं। ये पोलिया और हर्प्स जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है क्योंकि काले अंगूरों में वायरस से लड़ने की भी क्षमता होती है। ये फेफड़ों में नमी बढ़ा कर अस्थमा भी ठीक कर सकता है।

7. काले अंगूर स्तन, लंग, प्रोस्टेट और अंतड़ियों के कैंसर के खतरे से बचाता है।

8.चूंकि काले अंगूर में शुगर, ऑरगैनिक एसिड और पॉलीओस की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए ये अपच दूर करता है और पेट को आराम पहुंचाता है। पेट में होने वाली जलन को दूर करना है तो अंगरू खा सकते हैं।

9. काले अंगूर आंखों की रोशनी सुधारने के लिए जाने जाते हैं। इनमें ऐसे तत्व होते हैं जो आंखों को स्वस्थ रखते हैं।

10. इतना ही नहीं, काले अंगूर झुर्रियां हटाते हैं और त्वचा को बूढ़ा दिखने से रोकेत हैं। इसे लगातार खाने से त्वचा जवां औऱ निखरी हुई लगती है। इनमें मौजूद विटामिन सी स्किन सेल्स में जान भर देते हैं।

बालों की समस्या को भी छूमंतर कर सकते हैं काले अंगूर। रूसी, बालों का गिरना या सफेद होना जैसी परेशानियां दूर हो जाती हैं क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन ई अपना असर दिखाता है। सिर की खाल तक खून का बहाव सुधरता है तो बाल भी घने, मुलायम और मजबूत होते हैं।