Wednesday, 8 March 2017

मुंह की लार/स्लाइवा/सेलिवा/लालारस का महत्त्व

भगवान ने हमारे मुख में लार को बनाने वाली 1 लाख ग्रन्थियां दी हैं जो 24 घण्टे लार बनाने का कार्य करती हैं।दिन भर हम उस लार को निगलते रहते हैं।लेकिन रात को हम लार को निगल नही पाते और वह मुख में इधर -उधर जम जाती है। सुबह उठते ही वासबेसन में उस थूक देते हैं।

लेकिन क्या आपको पता है कि ये लार/लालारस/स्लाइवा/सेलिवा हमारे लिए कितनी कीमती है।

आईये जानें इसके गुण--
👉1-सुबह की बासी लार को निरन्तर आँखों में डालने से रोशनी बरकरार रहती है। जिसको चश्मा लगा है वह भी उत्तर जायेगा।
👉2-आँखों के नीचे काले घेरों पर सुबह लार की मालिश कीजिए निशान नहीं रहेंगे।
👉3-पानी घूट घूट करके पीने से ज्यादा लार पानी के साथ हमारे पेट में जाती है जो पेट में बन रहे हाईड्रोक्लोरिक एसिड को कम करती है।
👉4-मुख पर कोई दाग धब्बा हो बस लार मालिश कीजिए।
👉5-जले हुए पर मालिश कर सकते हैं।
👉6-चोट पर लगाने से चोट जल्दी ठीक हो जाती है। आपने कुत्ते को देखा होगा ।चाट-चाट कर ही ठीक कर लेता है।उसको किसने बताया।
👉7-चिड़िया पानी को घूट घूट पीती है उसको किसी ने नही बताया पानी घूट घूट पीना।सभी जानवर पानी घूट घूट ही पीते हैं।
लेकिन मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो बार -बार समझाने पर भी लार से नफरत करता है।अत:मूर्ख न बनें इस कीमती लार का उपयोग करें।

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