अंजीर एक ऐसा फल है जो जितना मीठा है। उतना ही लाभदायक भी है।अंजीर के सूखे फल बहुत गुणकारी होते हैं। अंजीर खाने से कब्ज दूर हो जाती है। गैस और एसीडिटी से भी राहत मिलती है। कब्ज में गरम दूध में सूखे अंजीर उबाल कर सेवन से सुबह दस्त साफ होता है। इससे कफ बाहर आ जाता है। सूखे अंजीर को उबाल कर बारीक पीस कर गले की सुजन या गांठ पर बांधी जाए तो लाभ पहुंचता है। ताजे अंजीर खा कर साथ दूध का सेवन करना शक्तिवर्धक होता है। डायबिटीज के रोगी को अंजीर से लाभ पहुंचता है। अंजीर के 55 कमाल जो खाएँ वो मचाएंगे धमाल :
कब्ज : 3 से 4 पके अंजीर दूध में उबालकर रात्रि में सोने से पूर्व खाएं और ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे कब्ज और बवासीर में लाभ होता है।माजून अंजीर 10 ग्राम को सोने से पहले लेने से कब्ज़ में लाभ होता है।अंजीर 5 से 6 पीस को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, पानी को छानकर पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में राहत मिलती है।2अंजीर को रात को पानी में भिगोकर सुबह चबाकर खाकर ऊपर से पानी पीने पेट साफ हो जाता है।अंजीर के 4 दाने रात को सोते समय पानी में डालकर रख दें। सुबह उन दानों को थोड़ा सा मसलकर जल पीने से अस्थमा में बहुत लाभ मिलता है तथा इससे कब्ज भी नष्ट हो जाती है।दमा : दमा जिसमें कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है। इससे कफ बाहर आ जाता है तथा रोगी को शीघ्र ही आराम भी मिलता है।प्रतिदिन थोड़े-थोड़े अंजीर खाने से पुरानी कब्जियत में मल साफ और नियमित आता है। 2 से 4 सूखे अंजीर सुबह-शाम दूध में गर्म करके खाने से कफ की मात्रा घटती है, शरीर में नई शक्ति आती है और दमा (अस्थमा) रोग मिटता है।"प्यास की अधिकता : बार-बार प्यास लगने पर अंजीर का सेवन करें।मुंह के छाले : अंजीर का रस मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।प्रदर रोग : अंजीर का रस 2 चम्मच शहद के साथ प्रतिदिन सेवन करने से दोनों प्रकार के प्रदर रोग नष्ट हो जाते हैं।दांतों का दर्द : अंजीर का दूध रुई में भिगोकर दुखते दांत पर रखकर दबाएं।अंजीर के पौधे से दूध निकालकर उस दूध में रुई भिगोकर सड़ने वाले दांतों के नीचे रखने से दांतों के कीड़े नष्ट होते हैं तथा दांतों का दर्द मिट जाता है।"पेशाब का अधिक आना : 3-4 अंजीर खाकर, 10 ग्राम काले तिल चबाने से यह कष्ट दूर होता है।त्वचा के विभिन्न रोग : कच्चे अंजीर का दूध समस्त त्वचा सम्बंधी रोगों में लगाना लाभदायक होता है।अंजीर का दूध लगाने से दिनाय (खुजली युक्त फुंसी) और दाद मिट जाते हैं। बादाम और छुहारे के साथ अंजीर को खाने से दाद, दिनाय (खुजली युक्त फुंसी) और चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते है।"दुर्बलता (कमजोरी) : पके अंजीर को बराबर की मात्रा में सौंफ के साथ चबा-चबाकर सेवन करें। इसका सेवन 40 दिनों तक नियमित करने से शारीरिक दुर्बलता दूर हो जाती है। अंजीर को दूध में उबालकर-उबाला हुआ अंजीर खाकर वही दूध पीने से शक्ति में वृद्धि होती है तथा खून भी बढ़ता है।"रक्तवृद्धि और शुद्धि हेतु : 10 मुनक्के और 5 अंजीर 200 मिलीलीटर दूध में उबालकर खा लें। फिर ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे रक्तविकार दूर हो जाता है।पेचिश और दस्त : अंजीर का काढ़ा 3 बार पिलाएं।ताकत को बढ़ाने वाला : सूखे अंजीर के टुकड़े और छिली हुई बादाम गर्म पानी में उबालें। इसे सुखाकर इसमें दानेदार शक्कर, पिसी इलायची, केसर, चिरौंजी, पिस्ता और बादाम बराबर मात्रा में मिलाकर 8दिन तक गाय के घी में पड़ा रहने दें। बाद में रोजाना सुबह 20 ग्राम तक सेवन करें। छोटे बालकों की शक्तिक्षीण के लिए यह औषधि बड़ी हितकारी है।जीभ की सूजन : सूखे अंजीर का काढ़ा बनाकर उसका लेप करने से गले और जीभ की सूजन पर लाभ होता है।पुल्टिश : ताजे अंजीर कूटकर, फोड़े आदि पर बांधने से शीघ्र आराम होता है।दस्त साफ लाने के लिए : दो सूखे अंजीर सोने से पहले खाकर ऊपर से पानी पीना चाहिए। इससे सुबह साफ दस्त होता है।क्षय यानी टी.बी के रोग : इस रोग में अंजीर खाना चाहिए। अंजीर से शरीर में खून बढ़ता है। अंजीर की जड़ और डालियों की छाल का उपयोग औषधि के रूप में होता है। खाने के लिए 2 से 4 अंजीर का प्रयोग कर सकते हैं।फोड़े-फुंसी : अंजीर की पुल्टिस बनाकर फोड़ों पर बांधने से यह फोड़ों को पकाती है।गिल्टी : अंजीर को चटनी की तरह पीसकर गर्म करके पुल्टिस बनाएं। 2-2 घंटे के अन्तराल से इस प्रकार नई पुल्टिश बनाकर बांधने से `बद´ की वेदना भी शांत होती है एवं गिल्टी जल्दी पक जाती है।सफेद कुष्ठ (सफेद दाग) : अंजीर के पेड़ की छाल को पानी के साथ पीस लें, फिर उसमें 4 गुना घी डालकर गर्म करें। इसे हरताल की भस्म के साथ सेवन करने से श्वेत कुष्ठ मिटता है।
अंजीर के कच्चे फलों से दूध निकालकर सफेद दागों पर लगातार 4 महीने तक लगाने से यह दाग मिट जाते हैं।अंजीर के पत्तों का रस श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) पर सुबह और शाम को लगाने से लाभ होता है।अंजीर को घिसकर नींबू के रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है।"गले के भीतर की सूजन : सूखे अंजीर को पानी में उबालकर लेप करने से गले के भीतर की सूजन मिटती है।श्वासरोग : अंजीर और गोरख इमली (जंगल जलेबी) 5-5 ग्राम एकत्रकर प्रतिदिन सुबह को सेवन करने से हृदयावरोध (दिल की धड़कन का अवरोध) तथा श्वासरोग का कष्ट दूर होता है।शरीर की गर्मी : पका हुआ अंजीर लेकर, छीलकर उसके आमने-सामने दो चीरे लगाएं। इन चीरों में शक्कर भरकर रात को ओस में रख दें। इस प्रकार के अंजीर को 15 दिनों तक रोज सुबह खाने से शरीर की गर्मी निकल जाती है और रक्तवृद्धि होती है।जुकाम : पानी में 5 अंजीर को डालकर उबाल लें और इसे छानकर इस पानी को गर्म-गर्म सुबह और शाम को पीने से जुकाम में लाभ होता है।फेफड़ों के रोग : फेफड़ों के रोगों में पांच अंजीर एक गिलास पानी में उबालकर छानकर सुबह-शाम पीना चाहिए।मसूढ़ों से खून का आना : अंजीर को पानी में उबालकर इस पानी से रोजाना दो बार कुल्ला करें। इससे मसूढ़ों से आने वाला खून बंद हो जाता है तथा मुंह से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।तिल्ली (प्लीहा) के रोग में : अंजीर 20 ग्राम को सिरके में डुबोकर सुबह और शाम रोजाना खाने से तिल्ली ठीक हो जाती है।खांसी : अंजीर का सेवन करने से सूखी खांसी दूर हो जाती है। अंजीर पुरानी खांसी वाले रोगी को लाभ पहुंचाता है क्योंकि यह बलगम को पतला करके बाहर निकालता रहता है।2 अंजीर के फलों को पुदीने के साथ खाने से सीने पर जमा हुआ कफ धीरे-धीरे निकल जाएगा।पके अंजीर का काढ़ा पीने से खांसी दूर हो जाती है।"गुदा चिरना : सूखा अंजीर 350 ग्राम, पीपल का फल 170 ग्राम, निशोथ 87.5 ग्राम, सौंफ 87.5 ग्राम, कुटकी 87.5 ग्राम और पुनर्नवा 87.5 ग्राम। इन सब को मिलाकर कूट लें और कूटे हुए मिश्रण के कुल वजन का 3 गुने पानी के साथ उबालें। एक चौथाई पानी बच जाने पर इसमें 720 ग्राम चीनी डालकर शर्बत बना लें। यह शर्बत 1 से 2 चम्मच प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें।बवासीर (अर्श) : सूखे अंजीर के 3-4 दाने को शाम के समय जल में डालकर रख दें। सुबह उन अंजीरों को मसलकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से अर्श (बवासीर) रोग दूर होता है।अंजीर को गुलकन्द के साथ रोज सुबह खाली पेट खाने से शौच के समय पैखाना (मल) आसानी से होता है।" कमर दर्द : अंजीर की छाल, सोंठ, धनियां सब बराबर लें और कूटकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसके बचे रस को छानकर पिला दें। इससे कमर दर्द में लाभ होता है।आंवयुक्त पेचिश : पेचिश तथा आवंयुक्त दस्तों में अंजीर का काढ़ा बनाकर पीने से रोगी को लाभ होता है।अग्निमान्द्य (अपच) होने पर : अंजीर को सिरके में भिगोकर खाने से भूख न लगना और अफारा दूर हो जाता है।प्रसव के समय की पीड़ा : प्रसव के समय में 15-20 दिन तक रोज दो अंजीर दूध के साथ खाने से लाभ होता है।बच्चों का यकृत (जिगर) बढ़ना : 4-5 अंजीर, गन्ने के रस के सिरके में गलने के लिए डाल दें। 4-5 दिन बाद उनको निकालकर 1 अंजीर सुबह-शाम बच्चे को देने से यकृत रोग की बीमारी से आराम मिलता है।फोड़ा (सिर का फोड़ा) : फोड़ों और उसकी गांठों पर सूखे अंजीर या हरे अंजीर को पीसकर पानी में औटाकर गुनगुना करके लगाने से फोड़ों की सूजन और फोड़े ठीक हो जाते हैं।दाद : अंजीर का दूध लगाने से दाद ठीक हो जाता है।सिर का दर्द : सिरके या पानी में अंजीर के पेड़ की छाल की भस्म मिलाकर सिर पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।सर्दी (जाड़ा) अधिक लगना : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में अंजीर को खिलाने से सर्दी या शीत के कारण होने वाले हृदय और दिमाग के रोगों में बहुत ज्यादा फायदा मिलता है।खून और वीर्यवद्धक : सूखे अंजीर के टुकड़ों एवं बादाम के गर्भ को गर्म पानी में भिगोकर रख दें फिर ऊपर से छिलके निकालकर सुखा दें। उसमें मिश्री, इलायची के दानों की बुकनी, केसर, चिरौंजी, पिस्ते और बलदाने कूटकर डालें और गाय के घी में 8 दिन तक भिगोकर रखें। यह मिश्रण प्रतिदिन लगभग 20 ग्राम की मात्रा में खाने से कमजोर शक्ति वालों के खून और वीर्य में वृद्धि होती है।एक सूखा अंजीर और 5-10 बादाम को दूध में डालकर उबालें। इसमें थोड़ी चीनी डालकर प्रतिदिन सुबह पीने से खून साफ होता है, गर्मी शांत होती है, पेट साफ होता है, कब्ज मिटती है और शरीर बलवान बनता है।अंजीर को अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर शक्तिशाली होता है, और मनुष्य के संभोग करने की क्षमता भी बढ़ती है।अंजीर के गुण : अंजीर अपने खट्टे-मीठे स्वाद के लिए प्रसिद्ध अंजीर एक स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और बहु उपयोगी फल है।अंजीर कई प्रकार का होता है जिसमें से कुछ इस प्रकार के हैं।वैज्ञानिकों के अनुसार अंजीर कि इसके सूखे फल में कार्बोहाइड्रेट (शर्करा) 63 प्रतिशत, प्रोटीन 5.5 प्रतिशत, सेल्यूलोज 7.3 प्रतिशत, चिकनाई एक प्रतिशत, खनिज लवण 3 प्रतिशत, अम्ल 1.2 प्रतिशत, राख 2.3 प्रतिशत और जल 20.8 प्रतिशत होता है। इसके अलावा प्रति 100 ग्राम अंजीर में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लोहा, विटामिन,थोड़ी मात्रा में चूना, पोटैशियम, सोडियम, गंधक, फास्फोरिक एसिड और गोंद भी पाया जाता है।
कब्ज : 3 से 4 पके अंजीर दूध में उबालकर रात्रि में सोने से पूर्व खाएं और ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे कब्ज और बवासीर में लाभ होता है।माजून अंजीर 10 ग्राम को सोने से पहले लेने से कब्ज़ में लाभ होता है।अंजीर 5 से 6 पीस को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, पानी को छानकर पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में राहत मिलती है।2अंजीर को रात को पानी में भिगोकर सुबह चबाकर खाकर ऊपर से पानी पीने पेट साफ हो जाता है।अंजीर के 4 दाने रात को सोते समय पानी में डालकर रख दें। सुबह उन दानों को थोड़ा सा मसलकर जल पीने से अस्थमा में बहुत लाभ मिलता है तथा इससे कब्ज भी नष्ट हो जाती है।दमा : दमा जिसमें कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है। इससे कफ बाहर आ जाता है तथा रोगी को शीघ्र ही आराम भी मिलता है।प्रतिदिन थोड़े-थोड़े अंजीर खाने से पुरानी कब्जियत में मल साफ और नियमित आता है। 2 से 4 सूखे अंजीर सुबह-शाम दूध में गर्म करके खाने से कफ की मात्रा घटती है, शरीर में नई शक्ति आती है और दमा (अस्थमा) रोग मिटता है।"प्यास की अधिकता : बार-बार प्यास लगने पर अंजीर का सेवन करें।मुंह के छाले : अंजीर का रस मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है।प्रदर रोग : अंजीर का रस 2 चम्मच शहद के साथ प्रतिदिन सेवन करने से दोनों प्रकार के प्रदर रोग नष्ट हो जाते हैं।दांतों का दर्द : अंजीर का दूध रुई में भिगोकर दुखते दांत पर रखकर दबाएं।अंजीर के पौधे से दूध निकालकर उस दूध में रुई भिगोकर सड़ने वाले दांतों के नीचे रखने से दांतों के कीड़े नष्ट होते हैं तथा दांतों का दर्द मिट जाता है।"पेशाब का अधिक आना : 3-4 अंजीर खाकर, 10 ग्राम काले तिल चबाने से यह कष्ट दूर होता है।त्वचा के विभिन्न रोग : कच्चे अंजीर का दूध समस्त त्वचा सम्बंधी रोगों में लगाना लाभदायक होता है।अंजीर का दूध लगाने से दिनाय (खुजली युक्त फुंसी) और दाद मिट जाते हैं। बादाम और छुहारे के साथ अंजीर को खाने से दाद, दिनाय (खुजली युक्त फुंसी) और चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते है।"दुर्बलता (कमजोरी) : पके अंजीर को बराबर की मात्रा में सौंफ के साथ चबा-चबाकर सेवन करें। इसका सेवन 40 दिनों तक नियमित करने से शारीरिक दुर्बलता दूर हो जाती है। अंजीर को दूध में उबालकर-उबाला हुआ अंजीर खाकर वही दूध पीने से शक्ति में वृद्धि होती है तथा खून भी बढ़ता है।"रक्तवृद्धि और शुद्धि हेतु : 10 मुनक्के और 5 अंजीर 200 मिलीलीटर दूध में उबालकर खा लें। फिर ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे रक्तविकार दूर हो जाता है।पेचिश और दस्त : अंजीर का काढ़ा 3 बार पिलाएं।ताकत को बढ़ाने वाला : सूखे अंजीर के टुकड़े और छिली हुई बादाम गर्म पानी में उबालें। इसे सुखाकर इसमें दानेदार शक्कर, पिसी इलायची, केसर, चिरौंजी, पिस्ता और बादाम बराबर मात्रा में मिलाकर 8दिन तक गाय के घी में पड़ा रहने दें। बाद में रोजाना सुबह 20 ग्राम तक सेवन करें। छोटे बालकों की शक्तिक्षीण के लिए यह औषधि बड़ी हितकारी है।जीभ की सूजन : सूखे अंजीर का काढ़ा बनाकर उसका लेप करने से गले और जीभ की सूजन पर लाभ होता है।पुल्टिश : ताजे अंजीर कूटकर, फोड़े आदि पर बांधने से शीघ्र आराम होता है।दस्त साफ लाने के लिए : दो सूखे अंजीर सोने से पहले खाकर ऊपर से पानी पीना चाहिए। इससे सुबह साफ दस्त होता है।क्षय यानी टी.बी के रोग : इस रोग में अंजीर खाना चाहिए। अंजीर से शरीर में खून बढ़ता है। अंजीर की जड़ और डालियों की छाल का उपयोग औषधि के रूप में होता है। खाने के लिए 2 से 4 अंजीर का प्रयोग कर सकते हैं।फोड़े-फुंसी : अंजीर की पुल्टिस बनाकर फोड़ों पर बांधने से यह फोड़ों को पकाती है।गिल्टी : अंजीर को चटनी की तरह पीसकर गर्म करके पुल्टिस बनाएं। 2-2 घंटे के अन्तराल से इस प्रकार नई पुल्टिश बनाकर बांधने से `बद´ की वेदना भी शांत होती है एवं गिल्टी जल्दी पक जाती है।सफेद कुष्ठ (सफेद दाग) : अंजीर के पेड़ की छाल को पानी के साथ पीस लें, फिर उसमें 4 गुना घी डालकर गर्म करें। इसे हरताल की भस्म के साथ सेवन करने से श्वेत कुष्ठ मिटता है।
अंजीर के कच्चे फलों से दूध निकालकर सफेद दागों पर लगातार 4 महीने तक लगाने से यह दाग मिट जाते हैं।अंजीर के पत्तों का रस श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) पर सुबह और शाम को लगाने से लाभ होता है।अंजीर को घिसकर नींबू के रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है।"गले के भीतर की सूजन : सूखे अंजीर को पानी में उबालकर लेप करने से गले के भीतर की सूजन मिटती है।श्वासरोग : अंजीर और गोरख इमली (जंगल जलेबी) 5-5 ग्राम एकत्रकर प्रतिदिन सुबह को सेवन करने से हृदयावरोध (दिल की धड़कन का अवरोध) तथा श्वासरोग का कष्ट दूर होता है।शरीर की गर्मी : पका हुआ अंजीर लेकर, छीलकर उसके आमने-सामने दो चीरे लगाएं। इन चीरों में शक्कर भरकर रात को ओस में रख दें। इस प्रकार के अंजीर को 15 दिनों तक रोज सुबह खाने से शरीर की गर्मी निकल जाती है और रक्तवृद्धि होती है।जुकाम : पानी में 5 अंजीर को डालकर उबाल लें और इसे छानकर इस पानी को गर्म-गर्म सुबह और शाम को पीने से जुकाम में लाभ होता है।फेफड़ों के रोग : फेफड़ों के रोगों में पांच अंजीर एक गिलास पानी में उबालकर छानकर सुबह-शाम पीना चाहिए।मसूढ़ों से खून का आना : अंजीर को पानी में उबालकर इस पानी से रोजाना दो बार कुल्ला करें। इससे मसूढ़ों से आने वाला खून बंद हो जाता है तथा मुंह से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।तिल्ली (प्लीहा) के रोग में : अंजीर 20 ग्राम को सिरके में डुबोकर सुबह और शाम रोजाना खाने से तिल्ली ठीक हो जाती है।खांसी : अंजीर का सेवन करने से सूखी खांसी दूर हो जाती है। अंजीर पुरानी खांसी वाले रोगी को लाभ पहुंचाता है क्योंकि यह बलगम को पतला करके बाहर निकालता रहता है।2 अंजीर के फलों को पुदीने के साथ खाने से सीने पर जमा हुआ कफ धीरे-धीरे निकल जाएगा।पके अंजीर का काढ़ा पीने से खांसी दूर हो जाती है।"गुदा चिरना : सूखा अंजीर 350 ग्राम, पीपल का फल 170 ग्राम, निशोथ 87.5 ग्राम, सौंफ 87.5 ग्राम, कुटकी 87.5 ग्राम और पुनर्नवा 87.5 ग्राम। इन सब को मिलाकर कूट लें और कूटे हुए मिश्रण के कुल वजन का 3 गुने पानी के साथ उबालें। एक चौथाई पानी बच जाने पर इसमें 720 ग्राम चीनी डालकर शर्बत बना लें। यह शर्बत 1 से 2 चम्मच प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें।बवासीर (अर्श) : सूखे अंजीर के 3-4 दाने को शाम के समय जल में डालकर रख दें। सुबह उन अंजीरों को मसलकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से अर्श (बवासीर) रोग दूर होता है।अंजीर को गुलकन्द के साथ रोज सुबह खाली पेट खाने से शौच के समय पैखाना (मल) आसानी से होता है।" कमर दर्द : अंजीर की छाल, सोंठ, धनियां सब बराबर लें और कूटकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसके बचे रस को छानकर पिला दें। इससे कमर दर्द में लाभ होता है।आंवयुक्त पेचिश : पेचिश तथा आवंयुक्त दस्तों में अंजीर का काढ़ा बनाकर पीने से रोगी को लाभ होता है।अग्निमान्द्य (अपच) होने पर : अंजीर को सिरके में भिगोकर खाने से भूख न लगना और अफारा दूर हो जाता है।प्रसव के समय की पीड़ा : प्रसव के समय में 15-20 दिन तक रोज दो अंजीर दूध के साथ खाने से लाभ होता है।बच्चों का यकृत (जिगर) बढ़ना : 4-5 अंजीर, गन्ने के रस के सिरके में गलने के लिए डाल दें। 4-5 दिन बाद उनको निकालकर 1 अंजीर सुबह-शाम बच्चे को देने से यकृत रोग की बीमारी से आराम मिलता है।फोड़ा (सिर का फोड़ा) : फोड़ों और उसकी गांठों पर सूखे अंजीर या हरे अंजीर को पीसकर पानी में औटाकर गुनगुना करके लगाने से फोड़ों की सूजन और फोड़े ठीक हो जाते हैं।दाद : अंजीर का दूध लगाने से दाद ठीक हो जाता है।सिर का दर्द : सिरके या पानी में अंजीर के पेड़ की छाल की भस्म मिलाकर सिर पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।सर्दी (जाड़ा) अधिक लगना : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में अंजीर को खिलाने से सर्दी या शीत के कारण होने वाले हृदय और दिमाग के रोगों में बहुत ज्यादा फायदा मिलता है।खून और वीर्यवद्धक : सूखे अंजीर के टुकड़ों एवं बादाम के गर्भ को गर्म पानी में भिगोकर रख दें फिर ऊपर से छिलके निकालकर सुखा दें। उसमें मिश्री, इलायची के दानों की बुकनी, केसर, चिरौंजी, पिस्ते और बलदाने कूटकर डालें और गाय के घी में 8 दिन तक भिगोकर रखें। यह मिश्रण प्रतिदिन लगभग 20 ग्राम की मात्रा में खाने से कमजोर शक्ति वालों के खून और वीर्य में वृद्धि होती है।एक सूखा अंजीर और 5-10 बादाम को दूध में डालकर उबालें। इसमें थोड़ी चीनी डालकर प्रतिदिन सुबह पीने से खून साफ होता है, गर्मी शांत होती है, पेट साफ होता है, कब्ज मिटती है और शरीर बलवान बनता है।अंजीर को अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर शक्तिशाली होता है, और मनुष्य के संभोग करने की क्षमता भी बढ़ती है।अंजीर के गुण : अंजीर अपने खट्टे-मीठे स्वाद के लिए प्रसिद्ध अंजीर एक स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और बहु उपयोगी फल है।अंजीर कई प्रकार का होता है जिसमें से कुछ इस प्रकार के हैं।वैज्ञानिकों के अनुसार अंजीर कि इसके सूखे फल में कार्बोहाइड्रेट (शर्करा) 63 प्रतिशत, प्रोटीन 5.5 प्रतिशत, सेल्यूलोज 7.3 प्रतिशत, चिकनाई एक प्रतिशत, खनिज लवण 3 प्रतिशत, अम्ल 1.2 प्रतिशत, राख 2.3 प्रतिशत और जल 20.8 प्रतिशत होता है। इसके अलावा प्रति 100 ग्राम अंजीर में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लोहा, विटामिन,थोड़ी मात्रा में चूना, पोटैशियम, सोडियम, गंधक, फास्फोरिक एसिड और गोंद भी पाया जाता है।
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