दही ही क्यों
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दरअसल मूत्र जननांग क्षेत्र (urogenital region) में बैक्टीरिया के विकास होने पर मूत्र मार्ग में संक्रमण (यूटीआई) की समस्या होती है। इसलिए इस हिस्से से बैक्टीरिया को ख़त्म करना बहुत ज़रूरी होता है।
दही एक नेचुरल प्रोबायोटिक है। इसके तत्व नेचुरल एंटीबायोटिक होते हैं। इसमें मौजूद लैक्टोबैसिलस और गुड बैक्टीरिया यूटीआई के लिए जिम्मेदार हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करते हैं।
इसके अलावा दही से हानिकारक जीवाणुओं को मारने और आंत्र वनस्पति (intestinal flora) को बनाए रखने में मदद मिलती है। कितनी बार दही खाने चाहिए
अधिकतर विशेषज्ञों के अनुसार, यूटीआई से निपटने ने और इससे दूर रहने के लिए रोजाना एक कटोरी दही खानी चाहिए।
अमेरिकन सोसायटी जर्नल फॉर क्लीनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, एक हफ्ते में तीन बार से अधिक मिल्क प्रोडक्ट खाने से यूटीआई के लक्षणों से राहत मिलती है। इसके अलावा आप रोजाना कम से कम आठ गिलास पानी पियें। इससे शरीर से टोक्सिन बाहर निकलने और यूटीआई की पुनरावृत्ति को रोकने में मदद मिलती है।
निस्संदेह मूत्र मार्ग में संक्रमण (यूटीआई) के इलाज का सबसे प्रभावी और प्राकृतिक उपाय में से एक है। लेकिन ये आसानी से उपलब्ध नहीं होने वाला महंगा फल है। खैर, अब आप किफायती और आसानी से मिलने वाली चीज से इस समस्या से राहत पा सकते हैं। हम बात कर रहे हैं दही की। जी हां, रोजाना एक कटोरी दही खाने से आप काफी हद तक यूटीआई के लक्षणों से राहत पा सकते हैं।
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