Saturday, 28 January 2017

अश्वगन्धा पाक........

आयुर्वेद में ठंड को खाने-पीने और सेहत बनाने के लिए सबसे बढिय़ा मौसम माना गया है। कहा जाता है कि सर्दियों के मौसम में सेवन की गई चीजों का प्रभाव शरीर पर सालभर रहता है। इसीलिए ठंड में सेहत बनाने के लिए लोग कई तरह की चीजों का सेवन करते हैं।
पुरुषों को तो आयुर्वेद में विशेषकर नपुंसकता दूर कर ठंड में ताकत देने वाली चीजों को प्रयोग करने को कहा गया है।

आयुर्वेद की अवलेह अथवा प्राश अथवा पाक प्रक्रिया द्वारा बनाये जाने वाले औषधियों की कल्पना का यह एक उत्कृष्ट योग है। अश्वगन्धा एक ऐसी भारतीय जड़ी-बूटी है जो सदियों से शरीर को पुष्ट करने, वीर्य उत्पादन करने, देह के दर्द, मांसपेशियों के दर्द और जोड़ों के दर्द को दूर करने में बनाये जाने वाले योगों में मिलाकर उपयोग की जाती रही है।

ऐसा ही एक शास्त्रोक्त योग है पाक कल्पना का, जिसे “अश्वगन्धा पाक” के नाम से जानते हैं ।  आज आपको इसको बनाने का तरीका बता रहा हूँ।

सबसे पहले 400 ग्राम अश्वगन्धा चूर्ण को छह किलो दूध में पकाते हैं । जब दूध गाढा हो जाये तब आप इसमें  इलायची, दालचीनी, तेजपात और नागकेशर का चूर्ण 15 ग्राम, जायफल, केसर, वंशलोचन, मोचरस, जटामासी, चन्दन, खैरसार, पीपलामूल, जावित्री, लौंग, सिंघाड़ा, गोखरू, रस सिन्दूर, अभ्रक भस्म, नाग भस्म, बंग भस्म, लौह भस्म प्रत्येक छह ग्राम लेकर चूर्ण बना लें और उपरोक्त गाढे किये गये दूध में मिला लें। साथ ही 100 ग्राम अखरोट की गिरी और तीन किलो मिश्री या चीनी मिलाकर धीमी और मंद आंच पर रखकर रबड़ी जैसा गाढा होने तक पकायेँ। आपका अश्वगंधा पाक तैयार है। इसे आप किसी शीशे के जार आदि मे सुरक्षित रखकर सेवन कीजिये।

यह खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट होता है । इसको एक या दो चाय चम्मच भर लेकर सुबह शाम दूध के साथ सेवन करना चाहिये ।

सर्दियों में कुछ दिन इसका लगातार सेवन करते रहने से नपुंसकता दूर होती है। वीर्य गाढ़ा और पुष्ट होता है। शरीर बलवान बन जाता है। इसके अलावा पेशाब में जलन, पथरी और वात रोग भी इसके लगातार सेवन से मिट जाते हैं।

इसके अलावा यह आर्थेराइटिस, जोड़ों के दर्द की बहुत अच्छी दवा भी है । जिन्हे जोड़ों के दर्द हो खास कर बूढे हो चुके लोगों के लिये यह पाक बहुत लाभ दायक है ।

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