हम सभी जानते हैं कि आंख एक कैमरे के समान है। कैमरे की तरह आंख में भी शक्तिशाली पारदर्शक लेंस होता है,
यह लेंस जब किसी कारण से अपनी पारदर्शिता खो बैठता है और अपारदर्शी हो जाता है, तो उसे मोतियाबिंद कहते है।
मोतियाबिंद का होमियोपैथिक उपचार
मोतियाबिंद की प्रमुख औषधियाँ हैं – ‘कैल्केरियाक्लोर’, ‘कॉस्टिकम’, ‘सिनेरिया’, ‘कोनियम’, ‘यूफ्रेशिया’, ‘फॉस्फोरस’, ‘साइलेशिया’, ‘सल्फर’, ‘नेफ्थेलीन’,’प्लेटिनम’।
कॉस्टिकम : पलकों की सूजन, आंखों के आगे काले धब्बे दिखाई देना, धुंधलापन जैसे आंखों के आगे कोई चीज है, ठंड में ठंडी हवा से परेशानी, ऊपरी पलकें नीचे की तरफ लटक जाना, आंखों के आगे ऐसा महसूस होना, जैसे कोहरा या बादल है आदि लक्षण मिलने पर ‘कॉस्टिकम’ 200 एक हफ्ते में एक बार लेनी चाहिए।
फॉस्फोरस : मोतियाबिंद, ऐसा महसूस होना, जैसे दिखाई पड़ने वाली सभी वस्तुओं पर धूल जमी हुई है, आंखों पर कोई चीज चिपकी हुई है, आंखों के सामने काले धब्बे, मोमबत्ती के चारों ओर हरा प्रकाशयुक्त घेरा दिखाई पड़ना, अक्षर लाल रंग के दिखाई देते हैं, आप्टिक नर्व सिकुड़ जाती है, पलकों पर सूजन, आंख के भीतरी भाग की झिल्ली सफेद दिखाई पड़ने लगती है, कभी-कभी एक की जगह दो वस्तुएं दिखाई पड़ने लगती हैं। आंख की परेशानी के साथ ही बुढ़ापे में गुर्दो की भी परेशानी, क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है, छूने से परेशानी बढ़ जाती है, अंधेरे में एवं ठंडे पानी से धोने पर आराम मिलता है। उक्त लक्षणों के आधार पर ‘फॉस्फोरस’ 30 एवं 200 शक्ति में प्रयुक्त करनी चाहिए।
मोतियाबिंदु के लिए
Calc.flour 6X इस दवा की 4 गोलिया दिन में 3 बार ले और साथ में Cineraria maritima succuss इस दवा की 2 बूंदे दोनों आंखोंमें दिन में 2 से 3 बार डालते रहे। इन दोनों दवा के उपयोग से शुरुआती चरण का मोतियाबिंदु 6 महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।
ये अजमाया हुवा नुस्खा है और अगर आपमें मोतियाबिंदु की शुरुवात हो गयी है तो इस फार्मूला को जरूर 6 महीने के लिए प्रयोग करे आपको मोतियाबिंदु के लिए ऑपरेशन करने की नौबत नही आएगी।
ये दोनों दवा होमिओपेथी के दुकान में मिलेगी।
यह लेंस जब किसी कारण से अपनी पारदर्शिता खो बैठता है और अपारदर्शी हो जाता है, तो उसे मोतियाबिंद कहते है।
मोतियाबिंद का होमियोपैथिक उपचार
मोतियाबिंद की प्रमुख औषधियाँ हैं – ‘कैल्केरियाक्लोर’, ‘कॉस्टिकम’, ‘सिनेरिया’, ‘कोनियम’, ‘यूफ्रेशिया’, ‘फॉस्फोरस’, ‘साइलेशिया’, ‘सल्फर’, ‘नेफ्थेलीन’,’प्लेटिनम’।
कॉस्टिकम : पलकों की सूजन, आंखों के आगे काले धब्बे दिखाई देना, धुंधलापन जैसे आंखों के आगे कोई चीज है, ठंड में ठंडी हवा से परेशानी, ऊपरी पलकें नीचे की तरफ लटक जाना, आंखों के आगे ऐसा महसूस होना, जैसे कोहरा या बादल है आदि लक्षण मिलने पर ‘कॉस्टिकम’ 200 एक हफ्ते में एक बार लेनी चाहिए।
फॉस्फोरस : मोतियाबिंद, ऐसा महसूस होना, जैसे दिखाई पड़ने वाली सभी वस्तुओं पर धूल जमी हुई है, आंखों पर कोई चीज चिपकी हुई है, आंखों के सामने काले धब्बे, मोमबत्ती के चारों ओर हरा प्रकाशयुक्त घेरा दिखाई पड़ना, अक्षर लाल रंग के दिखाई देते हैं, आप्टिक नर्व सिकुड़ जाती है, पलकों पर सूजन, आंख के भीतरी भाग की झिल्ली सफेद दिखाई पड़ने लगती है, कभी-कभी एक की जगह दो वस्तुएं दिखाई पड़ने लगती हैं। आंख की परेशानी के साथ ही बुढ़ापे में गुर्दो की भी परेशानी, क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है, छूने से परेशानी बढ़ जाती है, अंधेरे में एवं ठंडे पानी से धोने पर आराम मिलता है। उक्त लक्षणों के आधार पर ‘फॉस्फोरस’ 30 एवं 200 शक्ति में प्रयुक्त करनी चाहिए।
मोतियाबिंदु के लिए
Calc.flour 6X इस दवा की 4 गोलिया दिन में 3 बार ले और साथ में Cineraria maritima succuss इस दवा की 2 बूंदे दोनों आंखोंमें दिन में 2 से 3 बार डालते रहे। इन दोनों दवा के उपयोग से शुरुआती चरण का मोतियाबिंदु 6 महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।
ये अजमाया हुवा नुस्खा है और अगर आपमें मोतियाबिंदु की शुरुवात हो गयी है तो इस फार्मूला को जरूर 6 महीने के लिए प्रयोग करे आपको मोतियाबिंदु के लिए ऑपरेशन करने की नौबत नही आएगी।
ये दोनों दवा होमिओपेथी के दुकान में मिलेगी।
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