☘हाथ पैरों की त्वचा फटने या बिवाई फटने पर गूलर के तने के दूध का लेप करने से आराम मिलता है और पीड़ा से छुटकारा मिलता है-
☘नकसीर फूटती हो तो ताजा एवं पके हुए गूलर के लगभग 25 मिली लीटर रस में गुड़ या शहद मिलाकर सेवन करने या नकसीर फूटना बंद हो जाती है-
☘गुलर की जड़ अथवा जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भस्राव अथवा गर्भपात होना बंद हो जाता है-
☘भगन्दर के लिए गूलर के दूध में रूई का फोहा भिगोंकर इसे नासूर और भगन्दर के ऊपर रखें और इसे प्रतिदिन बदलते रहने से नासूर और भगन्दर ठीक हो जाता है-
☘10 से 15 ग्राम गूलर के कोमल पत्तों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें फिर 250 ग्राम गाय के दूध की दही में थोड़ा सा सेंधानमक तथा इस चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी बवासीर के रोग में लाभ मिलता है-
☘पेशाब में खून आने पर गूलर की छाल 5 ग्राम से 10 ग्राम या इसके फल 2 से 4 लेकर पीस लें और इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ खायें इससे यह रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है-
☘गूलर के 8-10 बूंद को 2 बताशों में भरकर रोजाना सेवन करने से मूत्ररोग(पेशाब के रोग) तथा पेशाब करने के समय में होने वाले कष्ट तथा जलन दूर हो जाती है-
☘ नाक से, मुंह से, योनि से, गुदा से होने वाले रक्तस्राव में गूलर के दूध की 15 बूंदे 1 चम्मच पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है-
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