गेहूँ का ज्वारा अर्थात गेहूँ के छोटे-छोटे पौधों की हरी-हरी पत्ती, जिसमे है शुद्ध रक्त बनाने की अद्भुत शक्ति. तभी तो इन ज्वारो के रस को “ग्रीन ब्लड” कहा गया है. इसे ग्रीन ब्लड कहने का एक कारण यह भी है कि रासायनिक संरचना पर ध्यानाकर्षण किया जाए तो गेहूँ के ज्वारे के रस और मानव मानव रुधिर दोनों का ही पी.एच. फैक्टर 7.4 ही है, जिसके कारण इसके रस का सेवन करने से इसका रक्त में अभिशोषण शीघ्र हो जाता है, जिस से रक्ताल्पता(एनीमिया) और पीलिया(जांडिस) रोगी के लिए यह ईश्वर प्रदत्त अमृत हो जाता है। गेहूँ के ज्वारे के रस का नियमित सेवन और नाड़ी शोधन प्रणायाम से मानव शारीर के समस्त नाड़ियों का शोधन होकर मनुष्य समस्त प्रकार के रक्तविकारों से मुक्त हो जाता है। गेहूँ के ज्वारे में पर्याप्त मात्रा में क्लोरोफिल पाया जाता है जो तेजी से रक्त बनता है इसीलिए तो इसे प्राकृतिक परमाणु की संज्ञा भी दी गयी है। गेहूँ के पत्तियों के रस में विटामिन बी.सी. और ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
अगर आप भयंकर से भयंकर बीमारी से ग्रस्त हैं, और आपको लगता हैं के ये बीमारिया आपकी जान ले कर ही छोड़ेंगी, और आप दवा ले ले कर थक चुके हो। तो एक बार गेंहू के जवारों को ज़रूर आज़माये।
ये कैंसर किलर हैं, कैंसर के मरीजों को ये नियमित लेना चाहिए।
मधुमेह के रोगियों के लिए वरदान हैं।
खून की कमी को चमत्कारिक रूप से पूरा करता हैं।
हृदय रोगियों के लिए वरदान हैं।
गर्भिणी महिलाओ के लिए वरदान हैं।
ये शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकलता हैं।
मोटापे के रोगियों के लिए वरदान हैं।
ये शरीर की ऊर्जा को बढ़ा देता हैं,
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