Thursday, 24 November 2016

चमकती हुई त्वचा के लिए हर्बल ब्यूटी टिप


 अंगूर:

चेहरे पर चमक लाने के लिए कुछ अंगूर लें तथा उन्हें अपने चेहरे पर रगड़ें। अथवा इन्हें मसलकर पैक के रूप में चेहरे पर लगायें।

खीरे का रस, ग्लिसरीन और गुलाब जल:

ककड़ी का रस, ग्लिसरीन और गुलाब जल का मिश्रण बहुत अधिक प्रभावकारी होता है। धूप में निकलने के पहले तथा धूप से आने के बाद इसे अपने चेहरे पर लगायें।

चंदन, हल्दी और दूध:

चंदन का पाउडर, हल्दी और दूध को मिलाकर एक पेस्ट बनायें। इसे चेहरे पर लगायें और कुछ मिनिट के लिए छोड़ दें तथा प्राकृतिक चमक और ताजगी पायें।

शहद और क्रीम :

त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाने के लिए विशेष रूप से ठंड के दिनों में शहद और क्रीम का मिश्रण बहुत प्रभावकारी होता है।

ताज़ा दूध, नमक और नीबू का रस:

ताज़ा दूध, चुटकी भर नमक और थोडा सा नीबू का रस लें। यह मिश्रण आपकी त्वचा को साफ़ करता है और रोम छिद्रों को खोलता है।

टमाटर का रस:

टमाटर के रस में नीबू का रस मिलाकर लगाने से चेहरा नरम और चमकदार बना रहता है।

हल्दी पाउडर, गेंहूँ का आटा और तिल का तेल:

हल्दी, आटा और तिल के तेल को मिलाकर एक पेस्ट बनायें। चेहरे के अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए इसका उपयोग करें।

पत्तागोभी का रस और शहद:

पत्तागोभी के रस में शहद मिलाकर लगाने से चेहरे पर आने वाले झुर्रियों से बचाव किया जा सकता है।

गाजर का रस:

चेहरे का रस चेहरे पर लगाने से त्वचा पर प्राकृतिक चमक आती है।

शहद और दालचीनी का पाउडर:

3 भाग शहद और 1 भाग दालचीनी का पाउडर मिलकर पेस्ट बनायें। इसे मुंहासों पर लगायें तथा रात भर ऐसे ही छोड़ दें। यह मुंहासों पर बहुत अधिक प्रभावी देखा गया है तथा इससे दाग भी कम होते हैं।

मूंगफली का तेल और नीबू का रस:

मुंहासों और ब्लैकहैड्स से बचने के लिए मूंगफली के तेल में ताज़ा नीबू का रस मिलकर लगायें।

एलो वीरा जूस:

प्रभावित स्थान पर एलोवीरा जूस लगाने से पिगमेंटेशन कम होता है तथा त्वचा भी हाईड्रेट होती है।

घी और ग्लिसरीन:

घी और ग्लिसरीन का मिश्रण एक बहुत अच्छा घरेलू मॉस्चराइज़र है।

मुल्तानी मिट्टी, गुलाब की पंखुड़ियां, नीम, तुलसी और गुलाब जल:

मुल्तानी मिट्टी, गुलाब की पंखुड़ियां, नीम की पत्तियों का चूर्ण, तुलसी की पत्तियों का चूर्ण और थोडा सा गुलाब जल/नीबू का रस मिलाकर लगाने से त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है।

खुबानी और दही:

ऐप्रकाट और दही को मिलकर एक पेस्ट बनाये। इससे त्वचा विशिष्ट बनती है तथा एक ताज़ा लुक आता है। यदि आपकी त्वचा शुष्क है तो इसमें थोडा सा शहद मिलाएं।

झाइयों के लिए घरेलू उपचार

चेहरे की झाइयां दूर करने के लिए आप आधा नीबू व आधा चम्मच हल्दी और दो चम्मच बेसन लें। अब इन चीजों को आपस में अच्छी तरह मिलाकर पेस्ट-सा बना लें। अब इस मिश्रण का मास्क चेहरे पर तीन या चार बार लगाए।

झाइयां समाप्त हो जाएंगी और आपका चेहरा भी निखर जाएगा। चेहरे पर ताजे नीबू को मलने से भी झाइयों में लाभ होता है। चेहरे पर झाइयां तेज धूप पड़ने के कारण भी हो जाती हैं। अतः तेज धूप से जहां तक हो सके चेहरे को प्रभावित न होने दें।

सेब खाने और सेब का गूदा चेहरे पर मलने से भी झाइयां दूर होती हैं। रात को नींद न आने से भी चेहरे पर झाइयां पड़ जाती हैं, जिन्हें दूर करने के लिए रात को सोने से पहले चेहरे को अच्छी तरह धोएं।

तदुपरांत एक चम्मच मलाई में तीन या चार बादाम पीसकर दोनों का मिश्रण बना लें, फिर इस मिश्रण को चेहरे पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें और सो जाएं। प्रातः उठकर बेसन से चेहरे को धो लें।

स्वास्थ्य रक्षा के नियम :-


यहाँ पर कुछ प्राकतिक नियम स्वास्थ्य रक्षा और सामान्य
ज्ञान के लिए दिए जा रहे है जो हर व्यक्ति के लिए लाभप्रद है!
1- प्रातःकाल उठकर कुल्ला करके एक गिलास ताजा जल पिए,
सूर्योदय से पूर्व उठे इससे चित् अति प्रसन्न रहता है
2- रात को किसी तांबे के बर्तन में पानी रख दे ! प्रातः काल शौच जाने से पूर्व नित्य उस पानी को पीते रहने से पखाना खुलकर आता है, कब्ज नहीं होता !
3- शौच करते समय दांतों को खूब दबाकर बैठने से दांत जीवन भर नहीं हिलते और न कभी लकवा रोग की सिकायत होती है!
4- हाथ और मुह धोते समय मुह से एक घूंट पानी को भरकर आँखों पर पानी की छीटें दे इससे आँखों की रौशनी बढ़ जाती है
5- भोजन से पहले हाथ मुह धोए पैरों को धोने से जठराग्नि का मुह खुल जाता है तथा भोजन से पूर्व एक गिलाश पानी पिए !
6- भोजन करते समय पानी न पिए अगर विशेष अवश्यकता हो तो एक घूँट ले सकते है ! भोजन के एक घंटे बाद
ही पानी पिए इससे भोजन पेट में आसानी से पच जाता है!
7- भोजन के बाद थोड़ी देर के लिए घूमना आवश्यक है! भोजन करने के बाद बायां स्वर बंद करने से पाचन शक्ति बढ़ती है ! रात्रि में सोने से पहले पानी पीना हितकारी है!
8- सप्ताह में कम से कम एक बार सरसों के तेल की मालिश अवश्य होनी चाहिए! चिंता करने से जितनी स्वाश्थ्य
की हानि होती है उतनी किसी रोग से नहीं होती !

Wednesday, 23 November 2016

गुलाब का फूल खाने के फायदे औषधिय गुण *




गुलाब एक बहुवर्षीय, झाड़ीदार, कंटीला, पुष्पीय पौधा है जिसमें बहुत सुंदर सुगंधित फूल लगते हैं। इसकी 100 से अधिक जातियां हैं जिनमें से अधिकांश एशियाई मूल की हैं। जबकि कुछ जातियों के मूल प्रदेश यूरोप, उत्तरी अमेरिका तथा उत्तरी पश्चिमी अफ्रीका भी है। गुलाब में 95 प्रतिशत पानी होते हैं, गुलाब के फूल को कोमलता और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन यह सिर्फ खूबसूरत फूल ही नहीं है, बल्कि कई तरह के औषधिय गुणों से भी भरपूर है। गुलाब की सुगंध ही नहीं इसके आंतरिक गुण भी उतने ही अच्छे हैं। इसके फूल में कई रोगों के उपचार की क्षमता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही उपयोगों के बारे में..... गुलाब के फूल की पंखुड़ियां खाने से मसूढ़े और दांत मजबूत होते हैं। मुंह की बदबू दूर होती है और पायरिया रोग से भी निजात मिल जाती है। गुलाब में विटामिन सी बहुत मात्रा में पाया जाता है। गुलकंद रोज खाने से हड्डियां मजबूत हो जाती है। रोजाना एक गुलाब खाने से टी.बी के रोगी को बहुत जल्दी आराम मिलता है। गुलाब की पत्तियों को ग्लिसरीन डालकर पीस लें। इस मिश्रण को होंठों पर लगाएं। इससे होंठ गुलाबी और चिकने हो जाते हैं। गुलाब से बने गुलकंद में गुलाब का अर्क होता है। जो शरीर को ठंडक पहुंचाता है। यह शरीर को डीहाइड्रेशन से बचाता है और तरोताजा रखता है। पेट को भी ठंडक पहुंचाता है। गुलकंद स्फूर्ति देने वाला एक शीतल टॉनिक है, जो थकान, आलस्य, मांसपेशियों के दर्द और जलन आदि समस्याओं को दूर करता है। नींद न आती हो या तनाव रहता हो तो सिर के पास गुलाब रखकर सोएं, अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी। अर्जुन की छाल और देसी गुलाब मिलाकर पानी में उबाल लें। यह काढ़ा पीने से दिल से जुड़ी बीमारियां खत्म होती हैं। दिल की धड़कन बढ़ रही हो तो सूखी पंखुड़ियां उबालकर पिएं। आंतों में घाव हों तो 100 ग्राम मुलेटी ,50 ग्राम सौंफ ,50 ग्राम गुलाब की सूखी हुई पंखुड़ियां तीनों को मिलाकर पीस लें। रोजाना इस चूर्ण को दस ग्राम की मात्रा में लें। गुलकंद में विटामिन सी, ई और बी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। भोजन के बाद गुलकंद खाने से पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं। गुलकंद में अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। त्वचा के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण हैं, जो त्वचा की समस्याएं मिटाते हैं। छोटी-छोटी फुंसियां हो रही हों तो गुलकंद का सेवन करें, फुंसियां खत्म हो जाएंगी। बच्चों के पेट में कीड़े होने पर बाइविडिंग का चूर्ण गुलकंद में मिलाकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम 15 दिनों तक लें। पेट के कीड़े खत्म हो जाएंगे।

क्यों बढ़ता है यूरिक एसिड

 क्यों बढ़ता है यूरिक एसिड
अगर कभी आपके पैरों उंगलियों, टखनों और घुटनों में दर्द हो तो इसे मामूली थकान की वजह से होने वाला दर्द समझ कर अनदेखा न करें यह आपके शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने का लक्षण हो सकता है। इस स्वास्थ्य समस्या को गाउट आर्थराइट्सि कहा जाता है।
क्यों होता है ऐसा

1. यह समस्या शरीर में प्रोटीन की अधिकता के कारण होती है। प्रोटीन एमिनो एसिड के संयोजन से बना होता है। पाचन की प्रक्रिया के दौरान जब प्रोटीन टूटता है तो शरीर में यूरिक एसिड बनता है, जो कि एक तरह का एंटी ऑक्सीडेंट होता है। आमतौर सभी के शरीर में सीमित मात्रा में यूरिक एसिड का होना सेहत के लिए फायदेमंद साबित होता है, लेकिन जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो रक्त प्रवाह के जरिये पैरों की उंगलियों, टखनों, घुटने, कोहनी, कलाइयों और हाथों की उंगलियों के जोड़ों में इसके कण जमा होने लगते हैं और इसी के रिएक्शन से जोड़ों में दर्द और सूजन होने लगता है

2. यह आधुनिक अव्यवस्थित जीवनशैली से जुड़ी स्वास्थ्य समस्या है। इसी वजह से 25 से 40 वर्ष के युवा पुरुषों में यह समस्या सबसे अधिक देखने को मिलती है। स्त्रियों में अमूमन यह समस्या 50 वर्ष की उम्र के बाद देखने को मिलती है।

3. रेड मीट, सी फूड, रेड वाइन, प्रोसेस्ड चीज, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, पालक आदि के अधिक मात्रा में सेवन से भी यूरिक एसिड बढ़ जाता है।

4.अधिक उपवास या क्रैश डाइटिंग से भी यह समस्या बढ़ जाती है।

5. आमतौर पर किडनी रक्त में मौजूद यूरिक एसिड की अतिरिक्त मात्रा को यूरिन के जरिये बाहर निकाल देती है, लेकिन जिन लोगों की किडनी सही ढंग से काम नहीं कर रही होती, उनके शरीर में भी यूरिक एसिड बढ़ जाता है।

6.अगर व्यक्ति की किडनी भीतरी दीवारों की लाइनिंग क्षतिग्रस्त हो तो ऐसे में यूरिक एसिड बढ़ने की वजह से किडनी में स्टोन भी बनने लगता है।

बचाव
1. अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीने की कोशिश करें। इससे रक्त में मौजूद अतिरिक्त यूरिक एसिड यूरिन के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है।

2. दर्द वाले स्थान पर कपड़े में लपेटकर बर्फ की सिंकाई फायदेमंद साबित होती है।

3. संतुलित आहार लें- जिसमें, कार्बोहइड्रेट, प्रोटीन, फैट, विटमिन और मिनरल्स सब कुछ सीमित और संतुलित मात्रा में होना चाहिए। आम तौर पर शाकाहारी भारतीय भोजन संतुलित होता है और उसमें ज्यादा फेर-बदल की जरूरत नहीं होती।

4. नियमित एक्सराइज इस समस्या से बचने का सबसे आसान उपाय है क्योंकि इससे शरीर में अतिरिक्त प्रोटीन जमा नहीं हो पाता।

5. इस समस्या से ग्रस्त लोगों को नियमित रूप से दवाओं का सेवन करते हुए, हर छह माह के अंतराल पर यूरिक एसिड की जांच करानी चाहिए।

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💢 यूरिक एसिड लेवल को कम करने वाले आहार💢
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● आहार में परिवर्तन करके हाई युरिक एसिड लेवल को कम किया जा सकता है। यूरिक एसिड लेवल को ठीक करने के लिए डाक्टर बीफ रोल से दूर रहने और हरी सब्जियां, बंदगोभी और हाई फाइबर फूड की सलाह देते हैं।Alka bhandari

1) हाइ फाइबर फूड:
यूनिवर्सिटी आफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर के अनुसार ज्यादा डाइट्री फाइबर वाले भोजन से खून से यूरिक एसिड के लेवल को कम करने में मदद मिलती है। डाइट्री फाइबर खून से यूरिक एसिड को सोख लेता है और इसे किडनी के जरिए बाहर निकाल देता है। इसलिए जहां तक हो सके इसबगोल, ओट्स, पालक और ब्रोकली का सेवन करें।

▶2) कोल्ड प्रेस्ड जैतून का तेल:
खाना बनाने के लिए बटर या वेजटेबल आयल के बजाय कोल्ड प्रेस्ड जैतून के तेल का इस्तेमाल करें। तेल को गर्म कर देने पर इससे जल्द ही दुर्गंध आने लगती है। दुर्गंधयुक्त फैट शरीर के विटामिन ई को नष्ट कर देता है। यह विटामिन यूरिक एसिड के लेवल को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होता है। जैतून के तेल के इस्तेमाल से शरीर में अतिरिक्त यूरिक एसिड नहीं बनेगा।Alka bhandari

▶3) विटामिन सी का करें सेवन:
शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने के लिए हर दिन 500 मिलीग्राम विटामन सी लें। एक दो महीने में यूरिक एसिड काफी कम हो जाएगा।

▶4) बेकरी के उत्पाद से बचें:
सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट से भरपूर केक, पेस्ट्री, कुकी आदि से बचें। हाई यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के डाईट टिप्‍स

▶5) अजवाइन के बीज का अर्क:
गठिया और यूरिक एसिड की समस्या का यह एक प्रसिद्ध प्राकृतिक उपचार है। अजवाइन के बीज का इस्तेमाल गठिया रोग के उपचार में लंबे समय से किया जाता रहा है। अजवाइन में दर्द को कम करने, एंटीआक्सीडेंट और डाइयुरेटिक गुण पाया जाता है। साथ ही इसे यरनेरी एंटीसेप्टिक भी माना जाता है। कई दुर्भल मामलों में नींद न आने की समस्या, व्याग्रता और नर्वस ब्रेकडाउन का उपचार भी इससे किया जाता है। इसके बीज का इस्तेमाल जहां कई तरह के हर्बल सप्लीमेंट्स में किया जाता है वहीं इसका जड़ भी काफी उपयोगी होता है।
Alka Bhandari
▶6) एंटीआक्सीडेंट से भरपूर भोजन :
लाल शिमला मिर्च, टमाटर, ब्लूबेरी, ब्रोकली और अंगूर एंटीआक्सीडेंट विटामिन का बड़ा स्रोत है। एंटीआक्सीडेंट विटामिन फ्री रेडिकल्स अणुओं को शरीर के अंग और मसल टिशू पर आक्रमण करने से रोकता है, जिससे यूरिक एसिड का स्तर कम होता है।

▶7) सेब का सिरका:
ऐसा माना जाता है कि सेब का सिरका रक्त का पीएच वैल्यू बढ़ाकर हाई यूरिक एसिड लेवल को कम करता है। पर सेब का सिरका कच्चा, बिना पानी मिला और बिना पाश्चरीकृत होना चाहिए। हेल्थ फूड स्टोर से आप इसे आसानी से हासिल कर सकते हैं।

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यूरिक एसिड बढ़ने पर आजमाए .....!
*यूरिक एसिड, प्‍यूरिन के टूटने से बनता है जो खून के माध्‍यम से बहता हुआ किडनी तक पहुंचता है। यूरिक एसिड, शरीर से बाहर, पेशाब के रूप में निकल जाता है। लेकिन, कभी - कभार यूरीक एसिड शरीर में ही रह जाता है और इसकी मात्रा बढ़ने लगती है। ऐसा होना शरीर के लिए घातक होता है।

यूरिक एसिड के असंतुलन से ही गठिया जैसी समस्‍याएं हो जाती है। उच्‍च यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रित करना अति आवश्‍यक होता है। नियंत्रण के लिए यूरिक एसिड़ बढ़ने के कारण को जानना आवश्‍यक है। अगर आपको यह समस्‍या आनुवांशिक है तो इसे बैलेंस किया जा सकता है लेकिन अगर शरीर में किसी प्रकार की दिक्‍कत है जैसे - किडनी का सही तरीके से काम न करना आदि तो डॉक्‍टरी सलाह लें और दवाईयों का सेवन करें। शरीर में हाई यूरिक एसिड का अर्थ होता है कि आप जो भी भोजन ग्रहण करते है उसमें प्‍यूरिन की मात्रा में कमी है जो शरीर में प्‍यूरिन की बॉन्डिंग को तोड़ देती है और यूरिक एसिड बढ़ जाता है। यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के कुछ टिप्‍स निम्‍म प्रकार हैं...

*अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा लगातार बढ़ती है तो आपको भरपूर फाइबर वाले फूड खाने चाहिए। दलिया, पालक, ब्रोकली आदि के सेवन से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा नियंत्रित हो जाती है..

*जैतून के तेल में बना हुआ भोजन, शरीर के लिए लाभदायक होता है। इसमें विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है जो खाने को पोषक तत्‍वों से भरपूर बनाता है और यूरिक एसिड को कम करता है। आश्‍चर्य की बात है, लेकिन यह सच है।

*बेकरी के फूड स्‍वाद में लाजबाव होते है लेकिन इसमें सुगर की मात्रा बहुत ज्‍यादा होती है। इसके अलावा, इनके सेवन से शरीर में यूरिक एसिड़ भी बढ़ जाता है। अगर यूरिक एसिड कम करना है तो पेस्‍ट्री और केक खाना बंद कर दें।

*पानी की भरपूर मात्रा से शरीर के कई विकार आसानी से दूर हो जाते है। दिन में कम से कम दो से तीन लीटर पानी का सेवन करें। पानी की पर्याप्‍त मात्रा से शरीर का यूरिक एसिड पेशाब के रास्‍ते से बाहर निकल जाएगा।

थोड़ी - थोड़ी देर में पानी को जरूर पीते रहें।
*चेरी में एंटी - इंफ्लामेट्री प्रॉपर्टी होती है जो यूरिक एसिड को मात्रा को बॉडी में नियंत्रित करती है। हर दिन 10 से 40 चेरी का सेवन करने से शरीर में उच्‍च यूरिक एसिड की मात्रा नियंत्रित रहती है, लेकिन एक साथ सभी चेरी न खाएं बल्कि थोड़ी - थोड़ी देर में खाएं।
*हर दिन ली जाने खुराक में कम से कम 500 ग्राम विटामिन सी जरूर लें। विटामिन सी, हाई यूरिक एसिड को कम करने में सहायक होता है और यूरिक एसिड को पेशाब के रास्‍ते निकलने में भी मदद करता है। यकृत की शुद्धि के लिए नींबू अक्सीर है। नींबू का साईट्रिक ऐसिड भी यूरिक एसिड का नाश करता है।

*शरीर में uric acid की मात्रा बढने पर इसे कम करना आसान नहीं होता । लेकिन शतावर (asparagus) की जड़ का चूर्ण 2-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन दूध या पानी के साथ लिया जाए , तो uric acid घटना प्रारम्भ हो जाता है और शरीर की कमजोरी भी दूर होती है ।
*गाजर और चुकन्दर का जूस भी पीते रहें इससे और भी जल्दी लाभ होगा ।

चिकनगुनिया


उपचार 1. हराकसीस भस्म १० ग्राम, गोदन्ती भस्म १० ग्राम, महासुदर्शन घनबटी १० ग्राम लेकर (२० गोली ) सभी को मिलाकर आधाा चम्मच दवा को सीरा के साथ लेना चाहिए।
२. हाथ पैरों में दर्द में नूरानी तेल अथवा महा नारायण तेल से मालिश करें।

🍃मस्तिष्क संबंधी रोग :

स्मरण शक्ति को बढ़ाने हेतु : १. ब्रह्मी बटी बैद्यनाथ की एक दो गोली पानी के साथ लेकर दूध पीना चाहिए।
२. शतावरी के पेड़े— शुद्ध खोवा (मावा) में एक चम्मच शतावरी चूर्ण डालकर उसका पेड़ा बनाकर प्रतिदिन खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। (यदि इसमें ब्रह्मी और शंखपुष्पी भी मिश्रित करें तो विशेष लाभकारी है।)
३. धृतकुमारी तेल की सिर में मालिश करने से सिर का दर्द ठीक होता है। स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।
४. ब्रेन टेब० (वैद्यनाथ वंâ० की ) लेने से भी स्मरण शक्ति बढ़ती है।
अनिद्रा :
उपचार — नींद न आने पर सर्पगन्धा घनबटी की दो गोली सोने के पूर्व पानी से सेवन करें। यह बहुत लाभ दायक है। यह ब्लडप्रेसर के रोगी को भी लाभदायक है। छोटी उम्र के रोगी एक गोली का सेवन करें। नोट—(एलोपैथी की नींद की गोली हानिकारक एवं साइडइपेक्ट कारक होती हैं।)
🌺 सर्वे भवन्तु सुखिनः
               सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
             मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
       "सब सुखी हों, सब निरोग हों, सब कल्याणमयी दृष्टि वाले हों और कोई भी दुःखी न हो।"
   आइए ! इस पावन संकल्पना के साथ पारस्परिक सुप्रभात कहें।

बुद्घि तीव्र करने के लिए


सतावरी पावडर- 30ग्राम,  
छोटी इलायची     -20ग्राम
तवासीर असली   -40ग्राम
चारों मगज         -80ग्राम
बादाम गिरी        -80ग्राम
शंखपुष्पी           -30ग्राम
ब्राह्मी                -30ग्राम
असगन्ध।          -30ग्राम
     छोटी इलायची   -30 ग्राम
सभी सामग्री को कूट पिट कपड़छान करने के बाद सारी सामग्री के वजन के बराबर मिस्री मिलाये।
मात्रा-1तोला सुबह खाली पेट मलाई या देसी गऊ माँ के दूध से दे।शाम को 4ग्राम दे खाना खाने के बाद।
इसे लगातार 2-3महीने खाने पर बुद्धि इतनी तेज हो जाती है की बचपन की बाते भी याद आ जाती है।
गौपेथी औषधीय घी नाक में सोते समय नाक में डाले।
बुद्धि के लिए
अगर बच्चे-बच्चियों की बुद्धि कम लगती हो तो 25 मि लि ग्राम तुलसी का रस और आँवले का या नारंगी का रस या च्यवन प्राश में पानी ड़ाल के वो तुलसी के रस में मिलायें
 ये मिश्रण चालीस दिन देने से बच्चों की बुद्धि में विलक्षणता आ जाती है लगभग 25 मि लि ग्राम तुलसी का रस और फल का रस (नारंगी/आँवला या च्यवन प्राश ) आधी कटोरी मिश्रण होगा
ये बच्चे को चालीस दिन पिलायें, बच्चे चमक जायेंगे

⁠⁠⁠घरेलू टिप्स


1. संतरे के रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर दिन में तीन बार एक-एक कप पीने से गर्भवती की दस्त की शिकायत दूर हो जाती हैं।
2. गले में खराश होने पर सुबह-सुबह सौंफ चबाने से बंद गला खुल जाता हैं।
3. सवेरे भूखे पेट तीन चार अखरोट की गिरियां निकालकर कुछ दिन खाने मात्र से ही घुटनों का दर्द समाप्त हो जाता हैं।
4. ताजा हरा धनिया मसलकर सूंघने से छींके आना बंद हो जाती हैं।
5. प्याज का रस लगाने से मस्सो के छोटे – छोटे टुकड़े होकर जड़ से गिर जाते हैं।
6. प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से उल्टियां आना तत्काल बंद हो जाती हैं।
7. गैस की तकलीफ से तुरंत राहत पाने के लिए लहसुन की 2 कली छीलकर 2 चम्मच शुद्ध घी के साथ चबाकर खाएं फौरन आराम होगा।
8. मसालेदार खाना खाएं मसालेदार खाना आपकी बंद नाक को तुरंत ही खोल देगा।
9. आलू का छिलका आपकी त्वचा पर ब्लीच की तरह काम करता है। इसे लगाने से आपकी काली पड़ी त्वचा का रंग सुधरता है। इसलिए आज के बाद आलू के छिलके को फेके नहीं बल्कि उनका इस्तेमाल करें।
10. यदि आपको अकसर मुंह में छाले होने की शिकायत रहती है तो रोज़ाना खाना खाने के बाद गुड को चूसना ना भूलें। ऐसा करने छाले आपसे बहुत दूर रहेंगे।
11. पतली छाछ में चुटकी भर सोडा डालकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती हैं।

छुहारा और खजूर के फायदे


छुहारा और खजूर एक ही पेड़ की देन है। इन दोनों की तासीर गर्म होती है और ये दोनों शरीर को स्वस्थ रखने, मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गर्म तासीर होने के कारण सर्दियों में तो इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है।
खजूर में छुहारे से ज्यादा पौष्टिकता होती है। खजूर मिलता भी सर्दी में ही है।
अगर पाचन शक्ति अच्छी हो तो खजूर खाना ज्यादा फायदेमंद है।
छुहारे का सेवन तो सालभर किया जा सकता है, क्योंकि यह सूखा फल बाजार में सालभर मिलता है।
छुहारा यानी सूखा हुआ खजूर आमाशय को बल प्रदान करता है।
छुहारे की तासीर गर्म होने से ठंड के दिनों में इसका सेवन नाड़ी के दर्द में भी आराम देता है।
छुहारा खुश्क फलों में गिना जाता है, जिसके प्रयोग से शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है। शरीर को शक्ति देने के लिए मेवों के साथ छुहारे का प्रयोग खासतौर पर किया जाता है।
छुहारे व खजूर दिल को शक्ति प्रदान करते हैं। यह शरीर में रक्त वृद्धि करते हैं।
साइटिका रोग से पीड़ित लोगों को इससे विशेष लाभ होता है।
खजूर के सेवन से दमे के रोगियों के फेफड़ों से बलगम आसानी से निकल जाता है।
लकवा और सीने के दर्द की शिकायत को दूर करने में भी खजूर सहायता करता है।
भूख बढ़ाने के लिए छुहारे का गूदा निकाल कर दूध में पकाएं। उसे थोड़ी देर पकने के बाद ठंडा करके पीस लें। यह दूध बहुत पौष्टिक होता है। इससे भूख बढ़ती है और खाना भी पच जाता है।
प्रदर रोग स्त्रियों की बड़ी बीमारी है। छुआरे की गुठलियों को कूट कर घी में तल कर, गोपी चन्दन के साथ खाने से प्रदर रोग दूर हो जाता है।
छुहारे को पानी में भिगो दें। गल जाने पर इन्हें हाथ से मसल दें। इस पानी का कुछ दिन प्रयोग करें, शारीरिक जलन दूर होगी।
अगर आप पतले हैं और थोड़ा मोटा होना चाहते हैं तो छुहारा आपके लिए वरदान साबित हो सकता है, लेकिन अगर मोटे हैं तो इसका सेवन सावधानीपूर्वक करें।
जुकाम से परेशान रहते हैं तो एक गिलास दूध में पांच दाने खजूर डालें। पांच दाने काली मिर्च, एक दाना इलायची और उसे अच्छी तरह उबाल कर उसमें एक चम्मच घी डाल कर रात में पी लें। सर्दी-जुकाम बिल्कुल ठीक हो जाएगा।
दमा की शिकायत है तो दो-दो छुहारे सुबह-शाम चबा-चबा कर खाएं। इससे कफ व सर्दी से मुक्ति मिलती है।
घाव है तो छुहारे की गुठली को पानी के साथ पत्थर पर घिस कर उसका लेप घाव पर लगाएं, घाव तुरंत भर जाएगा।
अगर शीघ्रपतन की समस्या से परेशान हैं तो तीन महीने तक छुहारे का सेवन आपको समस्या से मुक्ति दिला देगा। इसके लिए प्रात: खाली पेट दो छुहारे टोपी समेत दो सप्ताह तक खूब चबा-चबाकर खाएं। तीसरे सप्ताह में तीन छुहारे खाएं और चौथे सप्ताह से 12वें सप्ताह तक चार-चार छुहारों का रोज सेवन करें। इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी।

!! आयुर्वेद वनस्पति और उपचार !! 🌺🙏🏻🌺

.....यूँ तो आयुर्वेद में सौंदर्य प्रदाता विविध प्रयोग पाए जाते हैं.! जिनके प्रयोग से निश्चित ही पूर्ण सुंदरता की प्राप्ति होगी.परन्तु वे प्रयोग यदि निम्न मन्त्र के साथ प्रयोग किये जाये जो अद्भुत और तीव्र प्रभाव प्रदान करते हैं. आयुर्वेद में भी बिना अभिमंत्रित किये वनस्पति का सेवन नहीं किया जाता है,परन्तु कतिपय आलस के कारण लोगो ने इस प्रभाग का प्रयोग करना ही बंद कर दिया जिसके फलस्वरूप जो प्रभाव होना चाहिए ,वो नहीं मिल पता है.आप खुद ही एक काम करियेगा ,नीचे जो प्रयोग दिए गए हैं उन्हें किसी को बगैर मंत्र के प्रयोग करवाकर देखिये और दुसरे को मन्त्र के साथ.प्रभाव आपको खुद ही आश्चर्यचकित कर देगा. जब भी आपको सौंदर्य से सम्बंधित कोई प्रयोग करना हो,उस सामग्री या वनस्पति को आप निम्न मंत्र से ३२४ बार अभिमंत्रित कर दे फिर प्रयोग करे.ये वज्रयान साधना का मंत्र है जो स्वतः ही सिद्ध है,! इसे पृथक रूप से सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है.!!

!! ॐ क्लीं अनंग रत्यै पूर्ण सम्मोहन सौंदर्य सिद्धिम क्लीं नमः !!

....जिनके मुख से दुर्गंध आती हो या दांत हिल रहे हो यदि वो नित्य पिसते को खूब चबाकर खाए तो मुख की दुगंध हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाती है और हिलते दांत भी स्थिर हो जाते है.!!

जिसे अपनी देह की कृशता यानि दुबलापन मिटाना हो तो पिश्ते के साथ शक्कर का सेवन २ मॉस तक करे,दुबलापन दूर हो जाता है.!!

लोग अक्सर गरम पानी के साथ शहद लेते हैं मोटापा दूर करने के लिए,यदि उपरोक्त मंत्र के साथ मात्र १ माह ही प्रयोग करके देखे, लाभ देखकर आप खुद आश्चर्यचकित हो जायेंगे.!!

ठीक इसी प्रकार तुलसी की ११ पत्तियों को यदि छाछ के साथ १ माह सेवन किया जाये तो भी व्यर्थ की चर्बी सरलता से गलकर बाहर हो जाती है.!!

यदि व्यक्ति अपना वजन कम करना चाहता हो तो नीम के फूलों को पीसकर और कपडे से छानकर शहद और पानी के साथ सेवन करे,निश्चय ही वजन कम हो जायेगा.!!

हरसिंगार या पारिजात के पुष्पों का लेप चेहरे पर करने से चेहरे पर निखार आता है और निश्चय ही गोरापन बढ़ता है.!!

यदि तुलसी की पत्तियों को शहद के साथ लिया जाये तो पथरी होने की कोई सम्भावना नहीं रहती.!!

नीम्बू का रस या गुडहल की पत्ती पीसकर सर पर उस स्थान पर लेप करे जहाँ बाल झड गए हो,ये क्रिया २ मास तक करने पर पुनः बाल आने लगते हैं और काले हो जाते हैं.!!

जिन लोगों को भी भोजन के तुरंत बाद मल त्याग करने की आदत होती है,यदि वो कचनार की कली का सेवन करे तो ये बीमारी दूर हो जाती है.
यदि मधुमेह की बीमारी हो तो मेथी के पत्तों का रस पीने से ये बीमारी दूर हो जाती है.!!

पुनर्नवा चूर्ण का नित्य २ ग्राम सेवन करने से कायाकल्प होता ही है और सौंदर्य की वृद्धि होती ही है.!!

यदि १ बूँद घृत को लगाकर धतूरे की पत्ती को तवे पर गरम कर स्त्री या लड़की अपने स्तन पर रख कर कस कर बाँध ले और रात भर रहने दे,दोनों तरफ १-१ पत्ती का ही प्रयोग करना है.निश्चय ही ७ दिन में पूर्ण उभार की प्राप्ति होती ही है,बड़ी बड़ी दवाइयां जो कार्य नही कर पाती,वो कार्य ये सामान्य सा दिखने वाला प्रयोग पूरा कर देता है और नारी के सौंदर्य को उभार देता है.!!

खीरे के रस में शहद मिलाकर पूरे शरीर और चेहरे पर लेप कर १५ मिनट रखे और बाद में कुनकुने पानी से स्नान कर ले,सारी झुर्रियाँ धीरे धीरे दूर हो जाती हैं.!

शलजम (शलगम) खाने के फायदे

शलजम बहुत कम कैलोरी वाली सब्जी है। इसे एंटी-ऑक्‍सीडेंट, मिनरल और फाइबर का बहुत अच्‍छा स्रोत माना जाता है। इसमें मौजूद विटामिन सी शरीर के लिए आवश्‍यक और शक्तिशाली घुलनशील एंटी-ऑक्सीडेंट है। इसका सेवन शरीर में इम्‍यूनिटी को बढ़ाता है और हानिकारक फ्री रेडिकल्‍स, कैंसर और सूजन से शरीर की रक्षा करता है। इसमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। शलजम की सब्जी किसी भी तरह के रोगियों को बिना किसी डर के सेवन कराई जा सकती है।

दस्त में राहत
कच्ची शलगम को खाने से दस्त आना बंद हो जाते हैं।

पाचन बढ़ाने में सहायक-
शलजम में भरपूर मात्रा में फाइबर होते हैं, जिस वजह से ये मल त्याग में सुधार करने में सहायक है। अगर आप कब्ज की समस्या से पीड़ित हैं, तो ये सब्जी जरूर खाएं।

पोषक तत्वों का भंडार
शलजम वास्तव में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का भंडार हैं। शलगम के मुकाबले इसकी जड़ों में कई गुना अधिक मिनरल  और विटामिन होते हैं। यह विटामिन ए, विटामिन सी, कैरोटीनॉयड और ल्‍यूटीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट का समृद्ध स्रोत है। इसके अलावा, इसके पत्ते विटामिन ‘के’ के बहुत अच्छे स्रोत हैं।

साथ ही यह कैल्शियम, कॉपर, आयरन और मैंगनीज जैसे महत्वपूर्ण मिनरल के भी बेहतरीन स्रोत हैं।

ब्लड प्रेशर कम करती है-
एक अध्ययन के अनुसार, शलजम में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, जिस वजह से ये आपकी धमनियों को फैलाने और शरीर से सोडियम जारी करने में सहायक है।

 एड़ी फटना
शलगम को उबालकर इसके पानी से फटी हुई एड़ियों को धोकर उसके बाद उन पर शलगम रगड़े। रात के समय इसका इस्तेमाल करके फटी हुई एड़ियों पर साफ कपड़ा लपेट लें। इसके प्रयोग से फटी हुई एड़ियां ठीक हो जाती हैं।

दमा, खांसी, गला बैठना
शलगम को पानी में उबालकर उसके पानी को छानकर और उसमें चीनी मिलाकर पीने से दमा, खांसी और गला बैठने का रोग ठीक हो जाता है।

कैंसर की रोकथाम
शलजम में एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स के उच्‍च स्‍तर के कारण यह कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है। ग्लूकोसाइनोलेट्स की उपस्थिति के कारण यह कैंसर के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। अपने दैनिक आहार में इस सब्जी का समावेश कर स्तन कैंसर के जोखिम के साथ-साथ मलाशय और ट्यूमर को भी कम कर सकते हैं।

मधुमेह
मधुमेह के रोग में रोजाना शलगम की सब्जी खाना लाभदायक होता है।


हृदय स्वास्थ्य के लिए
शलजम में मौजूद विटामिन ‘ए’ के कारण यह एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। यह गुण हार्ट अटैक, हार्ट स्‍ट्रोक और अन्‍य हृदय रोगों को रोकने में मदद करता है। शलजम फोलेट का भी एक बेहतरीन स्रोत है जो हृदय प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है।

अंगुलियों की सूजन
50 ग्राम शलगम को 1 लीटर पानी में उबालें। फिर उस पानी में हाथ-पैर डालकर रहने से अंगुलियों की सूजन खत्म हो जाती है।

हड्डियों के लिए महत्‍वपूर्ण
कैल्शियम और पोटेशियम का एक महत्वपूर्ण स्रोत होने के कारण शलजम स्वस्थ हड्डियों के विकास और रखरखाव के लिए महत्वपूर्ण होता हैं। शलजम का सेवन नियमित रूप से करने से हड्डियों के टूटने, ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे और रुमेटी गठिया की समस्‍याओं को रोका जा सकता है।

पेशाब रुक-रुक कर आना
शलगम और कच्ची मूली को काटकर खाने से पेशाब का रुक-रुककर आने का रोग दूर हो जाता है।

फेफड़ों का स्वास्थ्य
सिगरेट के धुएं में पाया जाने वाला कार्सिनोजेन्‍स शरीर में विटामिन ‘ए’ की कमी के कारण नुकसान पहुंचाता है। जिसके परिणामस्‍वरूप फेफड़ों की सूजन, एम्फीसेमा (वातस्फीति) और अन्‍य फेफड़े की समस्याएं हो सकती है। शलजम में निहित विटामिन ‘ए’ इस कमी को दूर करके फेफड़ों को स्‍वस्‍थ बनाए रखने में मदद करता है

Tuesday, 22 November 2016

कुल्ला करने के चमत्कारिक फायदे

पानी, तेल या दूध का कुल्ला करने के चमत्कारिक फायदे
हमारी परम्पराएँ और घरेलु ज्ञान इतना ज़बरदस्त है कि अगर हम माने तो बिना दवा के भी स्वस्थ रह सकते हैं।
ऐसी ही एक विधि से है जिसका नाम है कुल्ला.!
कुल्ला एक ऐसी विधि है जिससे आप बिना दवा के जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गले के रोग, मुंह के छाले, शरीर को डी-टोक्सिफाई करने, गर्दन के सर्वाइकल जैसे रोगों से मुक्ति पा सकते हैं।

कुल्ला करने की सही विधि और इसके चमत्कारिक लाभ

पानी का कुल्ला
मुंह में पानी का कुल्ला तीन मिनट तक भर कर रखें। इससे गले के रोग, जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गर्दन का दर्द जैसे कड़कड़ाहट से छुटकारा मिलेगा।
नित्य मुंह धोते समय, दिन में भी, मुंह में पानी का कुल्ला भर कर रखें।
इससे मुंह भी साफ़ हो जाता है।

मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोएं।
ऐसा दिन में तीन बार करें।
जब भी पानी के पास जाएँ मुंह में पानी का कुल्ला भर लें और नेत्रों पर पानी के छींटे मारें, धोएं।
मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुनः कुल्ला भर लें।
मुंह का पानी गर्म ना हो इसीलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहें।

भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे। आपस में दोनों हाथों को रगड़ कर चेहरा व् कानों तक मलें।
इससे आरोग्य शक्ति बढती है।
नेत्र ज्योति ठीक रहती है।
गले के रोग, सर्दी जुकाम या श्वांस रोग होने पर थोडा गुनगुना पानी ले कर इसमें सेंध नमक मिला कर कुल्ला करना चाहिए, इस से गले, कफ, ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में बहुत फायदा होता है।

तेल का कुल्ला
सुबह बासी मुंह में सरसों या तिल का तेल भर कर पूरे 10 मिनट तक उसको चबाते रहें, ध्यान रहे ये निगलना नहीं है, ऐसा करने से मुंह और दांतों के रोग तो ठीक होंगे ही, साथ में पूरी बॉडी डी-टोक्सिफाय होगी।
रोगों से मुक्त होने की इस विधि को तेल चूषण विधि कहा जाता है।
आयुर्वेद में इसको गण्डूषकर्म कहा जाता है और पश्चिमी जगत में इसको आयल पुल्लिंग कहते है।

दूध का कुल्ला
अगर मुंह में या गले में छाले हो जाएँ और किसी भी दवा से ठीक ना हो रहें हो तो सुबह कच्चा दूध (अर्थात बिना उबला हुआ ताज़ा दूध) मुंह में कुछ देर तक रखें और ध्यान रहे कि इस दूध को बाहर फेंकना नहीं है।
इसको मुंह में जितना देर हो सके 10 से 15 मिनट तक रखें, कुछ देर बाद बूँद बूँद कर के ये गले से नीचे उतरने लगेगा।
इस प्रयोग को दिन में 2-4 बार करें। मुंह, जीभ और गले के छालो में पहले ही दिन में आराम आना शुरू हो जायेगा।

दमा रोगियों

सर्दियों के मौसम में दमा रोगियों की दिक्कते बढ़ सकती हैं, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर इस रोग को नियत्रित किया जा सकता है…

सर्दी का मौसम दमा (अस्थमा) के रोगियों की दिक्कतें बढ़ा सकता है। दमा फेफड़े की बीमारी है, जो हर आयु वर्ग के लोगों को अपनी गिरफ्त में लेती है। बच्चों को भी यह रोग परेशान करता है। दमा को नियंत्रित कर सामान्य जीवन जिया जा सकता है। इस रोग में सांस नली में सूजन आ जाती है और वे सिकुड़ जाती है |

लक्षण

दमा में सांस लेने वा निकालने में परेशानी होती है।
खांसी की तीव्रता और साँस की नली में कफ़ जमा हो जाने से तकलीफ़ और भी ज्यादा बढ जाती है
दमा का अटैक पड़ने पर रोगी बुरी तरह हांफ़ने लगता है।
दमा होने पर खांसी, नाक का बजना, छाती का कड़ा हो जाना, सुबह और रात में सांस लेने में तकलीफ होने जैसे लक्षण होते हैं।
समान्यता दमा, एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों ,धूम्रपान करने से, ज्यादा सर्द गर्म मौसम, सुगन्धित पदार्थों, ज्यादा कसरत करने और मानसिक तनाव की वजह से काफी तकलीफ देता है
दमा को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल है, लेकिन इस पर नियंत्रण हो सकता है, ताकि व्यक्ति सामान्य जीवन जी सके।

घरेलु उपचार

100 ग्राम दूध में लहसुन की पांच कलियां धीमी आँच पर उबाकर इस का हर रोज दिन में दो बार सेवन करने से दमे में काफी फायदा मिलता है।

तुलसी के 10-15 पत्ते पानी से साफ़ कर लें फ़िर उन पर काली मिर्च का पावडर छीड़ककर खाने से दमा मे आराम मिलता है।

एक पके केले में चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक चौथाई छोटा चम्मच महीन पीसी काली मिर्च भर दें। फिर उसे आधा घंटे बाद हल्की आँच में छिलके सहित भून लें। ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें। एक माह में ही दमें में खूब लाभ होगा।

लहसुन की दो पिसी कलियां और अदरक की गरम चाय पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। इस चाय का सेवन सबेरे और शाम करना चाहिए।

4-5 लौंग को 150 पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर गरम-गरम पी लें। रोज दो से तीन बार यह काढ़ा पीने से निश्चित रूप से लाभ मिलता है।

250 ग्राम पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर उसे 5 मिनट तक उबालें। फिर ठंडा होने पर उसमें चुटकी भर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस मिलाएं, इस सूप का रोज़ सेवन करें लाभ मिलेगा।

एक चम्मच मेथीदाना को एक कप पानी में उबालें। ठंडा होने पर उसमें अदरक का एक चम्मच ताजा रस और स्वादानुसार शहद मिलाएं। सबेरे-शाम नियमित रूप से इसका सेवन करने से निश्चित ही बहुत लाभ मिलता है।

एक चम्मच हल्दी को दो चम्मच शहद में मिलाकर चाट लें दमा का दौरा तुरंत काबू में आ जायेगा।

तुलसी के पत्तों को पानी में पीसकर इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से दमा रोग में शीघ्र ही लाभ मिलता है।

दमें में खाँसी होने पर पहाडी नमक सरसों के तेल मे मिलाकर छाती पर मालिश करने से तुरंत आराम मिलता है।

एक चम्मच हल्दी एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पीने से दमा काबू मे रहता है। हल्दी के एन्टीऑक्सीडेंट गुण के कारण एलर्जी भी नियंत्रण में रहती है।

सूखे अंजीर 4 - 5 पीस रात भर पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट खाएं। इससे श्वास नली में जमा बलगम ढीला होकर बाहर निकलता है, स्थाई रूप से आराम प्राप्त होता है ।

आंवला दमा रोग में बहुत लाभदायक है। एक चम्मच आंवला रस मे दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से फ़ेफ़डे ताकतवर बनते हैं।

लहसुन की ५ कली चाकू से बारीक काटकर ५० मिलि दूध में उबालें।यह मिक्श्चर सुबह-शाम लेना बेहद लाभकारी है।

अनुसंधान में यह देखने में आया है कि आंवला दमा रोग में अमृत समान गुणकारी है।एक चम्मच आंवला रस मे दो चम्मच शहद मिलाकर लेने से फ़ेफ़डे ताकतवर बनते हैं।

दमे का मरीज उबलते हुए पानी मे अजवाईन डालकर उठती हुई भाप सांस में खींचे ,इससे श्वास-कष्ट में तुरंत राहत मिलती है।

चाय बनाते वक्त २ कली लहसुन की पीसकर डाल दें। यह दमे में राहत पहुंचाता है। सुबह-शाम पीयें।

दर्द नाशक तेल

आज कल जोड़ो के दर्द (Joint Pain) की समस्या आम हो गयी है और बढ़ती उम्र में ये बीमारी अक्सर लग जाती है डॉक्टर्स के पास जाकर भी इन दर्द से तब तक ही आराम होता है जब तक आप उनकी दवाईयाँ खाते रहते है और जैसे ही ट्रीटमेंट बंद किया फिर से वही प्रॉब्लम शुरू -आखिर कब तक आप इस प्रॉब्लम जे झुजते रहोगे, आएये आज हम आपको बताते है कि कैसे आप घर पर ही डॉक्टर जैसा ट्रीटमेंट कर सकते है वो भी घरेलु नुस्खो से- अगर ये नुस्खे आप कुछ दिनों लगातार करेंगे तो आप पायेगे की आप की बीमारी बहुत हद तक ठीक हो चुकी होगी-तो जानते है क्या है वो नुस्खे जिन्हें आप जानकर भी अनजान है-
एक जोड़ो का दर्द ऐसा है जो युवा व बुजुर्ग दोनों वर्गों में कभी भी हो जाता है वो है गर्दन का दर्द ( Nack Pain ) जी हा एक बार अगर हो गया तो फिर आपकी गर्दन सीधी ही रहेगी ना लेफ्ट होगी और ना राईट होगी शायद आप इस दर्द को पहचानते भी होंगे तो चलो इस दर्द से निजात पाने का नुस्खा बताते है -
पहला नुस्खा :-
आप पंसारी के यहाँ जाये ओर वहा से भमुने का तेल 15 ग्राम और महुवे का तेल 15 ग्राम ले आये अब आप इन दोनों को अच्छे से मिक्स कर ले और एक बोतल में रख ले -अब इस तेल को जहा भी जोड़ो का दर्द है जैसे गर्दन, घुटने आदि जहा भी जोड़ो का दर्द हो वहा इस तेल की मालिश करे, ध्यान रखे मालिश हमेशा नीचे से उपर की और करे, अगर आप इस तेल की मालिश धुप में बेठ कर करेंगे तो ये बहुत ज्यादा आराम करेगा, अगर प्रस्थिति न हो तब आप मालिश के बाद उस जगह की हलके हलके सेक सकते है -ये एक जादुई फार्मूला है इस नुस्खे से आप अपने दर्द को चुमंतर कर सकते है -पुराने जोड़ो के दर्द में इसका प्रयोग लगातार 10 से 15 दिन तक करे -
दूसरा नुस्खा:-
जिसे आप सब जानते है पर उसके गुण नहीं पहचानते, जी हा वो है अजवायन, अजवायन दर्द निवारक तो है ही और गैस को मिटने वाली, भूख बढ़ने वाली और वायु रोग में भी कारगर है जोड़ो के दर्द में आप अजवायन का ये नुस्का अपनाये इससे आपको बहुत लाभ होगा सभी चीजे पंसारी के यहाँ मिल जाती है -
अजवायन का तेल- 10 ग्राम
पिपरमिंट- 10 ग्राम
कपूर- 20 ग्राम
उपरोक्त तीनो चीजो को आपस में मिलकर एक शीशी में रख दे थोड़ी देर में सब आपस में मिल जायेगे -जब इस मिश्रण को 7 या 8 घंटे हो जाये तब आप इसे प्रयोग में ला सकते है कैसा भी दर्द हो आप इस मिश्रण को हिलाकर, इसकी मालिश करने से दर्द से छुटकारा मिलेगा होगा-
अन्य प्रयोग :-
शहद में ढाक के बीज का चूर्ण मिला कर इस मिश्रण का लेप करने से भी जोड़ो के दर्द में फायदा होता है -
लहसुन की 10 छिली हुई कालिया, 150 ग्राम दूध व इतना ही पानी मिलकर इसे जब तक पकाए जब तक यह आधा न रह जाये , अब पके हुए लहसुन को निकालकार इसे पके दूध के साथ सेवन करेने से जॉइंट्स पैन में लाभ मिलता है -
रात को सोते समाये गुनगुने दूध में एकछोटी चमच हल्दी की मिलाकर पीने से भी जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है -
घुटनों को फ्लेक्सिबल करने के लिए दाल चीनी, हल्दी, जीरा और अदरक का प्रयोग अपने खाने में करते रहे -
अगर आप घुटनों में दर्द रहता है तो आप काले चने रात को भीगा कर रख दे और सुबह चबाकर खाए तो आप के घुटनों के दर्द को आराम मिलेगा - ऐसे 20 से 25 दिन करे

वात रोग: शरीर में होने वाला दर्द:

गठिया रोग का लक्षण-
1 गठिया के लक्षण पैरों और हाथों की उंगलियों में सूजन के रूप में देखे जाते हैं। गठिया के शुरूवाती दौर में शरीर के जोड़ों वाले हिस्सों में दर्द होने लगता है, और हाथ लगाने से भी दर्द होता है।
2 गठिया के रोगियों को बुखार और कब्ज़ के साथ सिर दर्द भी होता रहता है।
3 जोड़ों में अधिक सूजन और पीड़ा होना।
4 गठिया रोग में रोगी को अधिक प्यास लगती है।
5 गठिया रोग में हाथ-पांवों में छोटी-छोटी गांठें बन जाती है और इलाज में देर होने से यह गंभीर रूप ले सकती है।
गठिया रोग का इलाज संभव है बस इन बातों पर आप ध्यान दें
दर्द के प्रकार
शरीर में होने वाला दर्द कई बार किसी बीमारी का संकेत भी हो सकते हैं। ऐसे में इन्हें अनदेखा करने की बजाय तुरंत इसका इलाज करवाकर बड़ी बीमारी को टाला जा सकता है। इनमें सिरदर्द व पेट दर्द प्रमुख है।
कमर दर्द
कमर दर्द से भी तमाम लोग परेशान रहते हैं। दिनभर कंप्यूटर के सामने बैठे रहने से यह समस्या और भी बढ़ जाती है। कमर दर्द अगर नीचे की तरफ बढ़ने लगे और तेज हो जाए, तो जल्द से जल्द दिखाएं। कभी-कभी दर्द कुछ मिनट ही होता है और कभी-कभी यह घंटों तक रहता है। ऐसा दर्द पथरी की वजह से हो सकता है। इसकी अवश्य ही चिकित्सा करनी चाहिए
जबड़े का दर्द
जबड़े का दर्द अक्सर जबड़ों के जॉइंट्स के ज्यादा काम करने की वजह से होता है। यह समय के साथ सही भी हो जाता है, लेकिन मुंह खोलते और बंद करते समय जब आवाज के साथ ऐसा दर्द हो तो यह जॉइंट की चोट की वजह से भी हो सकता है। साधारण रूप से इसका पता लगाया जा सकता है। दवा से इसका इलाज करवाया जा सकता है।
अंगूठों का दर्द
अगर अंगूठों में दर्द रहता है तो यह गठिया का लक्षण हो सकता है। जोड़ों में ज्यादा यूरिक एसिड क्रिस्टल जमा हो जाने से यह दर्द होता है। वक्त गुजरने के साथ ही यह दर्द इतना असहनीय हो सकता है कि इससे चलने-फिरने में भी दिक्कत हो सकती है। इस दर्द को पहचानकर दवा से ठीक किया जा सकता है।
माथे का दर्द
ज्यादातर दर्द पूरे सिर में होता है, लेकिन जब यह दर्द काफी तेज हो तो यह गंभीर स्थिति हो सकती है, इसलिए सिर दर्द को कभी नजरअंदाज न करें और तुरंत हमसे मिलें। यह 50 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों में देखा जाता है
कारण
घुटनों का दर्द निम्नलिखित कारणों से हो सकता हैः
आर्थराइटिस– लूपस जैसा- रीयूमेटाइड, आस्टियोआर्थराइटिस और गाउट सहित अथवा संबंधित ऊतक विकार
घुटने पर बार-बार दबाव से सूजन (जैसे लंबे समय के लिए घुटने के बल बैठना, घुटने का अधिक उपयोग करना अथवा घुटने में चोट)
टेन्टीनाइटिस– आपके घुटने में सामने की ओर दर्द जो सीढ़ियों अथवा चढ़ाव पर चढ़ते और उतरते समय बढ़ जाता है। यह धावकों, स्कॉयर और साइकिल चलाने वालों को होता है।
बेकर्स सिस्ट– घुटने के पीछे पानी से भरा सूजन जिसके साथ आर्थराइटिस जैसे अन्य कारणों से सूजन भी हो सकती है। यदि सिस्ट फट जाती है तो आपके घुटने के पीछे का दर्द नीचे आपकी पिंडली तक जा सकता है।
घिसा हुआ कार्टिलेज (उपास्थि)(मेनिस्कस टियर)- घुटने के जोड़ के अंदर की ओर अथवा बाहर की ओर दर्द पैदा कर सकता है।
घिसा हुआ लिगमेंट (ए सी एल टियर)- घुटने में दर्द और अस्थायित्व उत्पन्न कर सकता है।
झटका लगना अथवा मोच– अचानक अथवा अप्राकृतिक ढंग से मुड़ जाने के कारण लिगमेंट में मामूली चोट
जानुफलक (नीकैप) का विस्थापन
जोड़ में संक्रमण
घुटने की चोट– आपके घुटने में रक्त स्राव हो सकता है जिससे दर्द अधिक होता है
श्रोणि विकार- दर्द उत्पन्न कर सकता है जो घुटने में महसूस होता है। उदाहरण के लिए इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम एक ऐसी चोट है जो आपके श्रोणि से आपके घुटने के बाहर तक जाती है।
समाधान....
- दो तीन दिन के अंतर से खाली पेट अरण्डी का 2 से 20 मि.ली. तेल पियें। इस दौरान चाय-कॉफी न लें। साथ में दर्दवाले स्थान पर अरण्डी का तेल लगाकर, उबाले हुए बेल के पत्तों को गर्म-गर्म बाँधने से वात-दर्द में लाभ होता है।
- निर्गुण्डी के पत्तों का 10 से 40 मि.ली. रस लेने से अथवा सेंकी हुई मेथी का कपड़छन चूर्ण तीन ग्राम, सुबह-शाम पानी के साथ लेने से वात रोग में लाभ होता है। यह मेथीवाला प्रयोग घुटने के वातरोग में भी लाभदायक है। साथ में वज्रासन करें।
- अच्युताय संधिशूलहर योग चूर्ण से जोड़ो व कमर का दर्द ठीक होता है ।हड्डियाँ व नसे मजबूत बनती है । गठिया,मधुमेह,सायटिका व मोटापे आदि में लाभदायी ।
-प्रतिदिन नारियल की गिरी का सेवन करें,लगातार 20 दिनों तक अखरोट की गिरी खाने से घुटनों का दर्द समाप्त होता है।
--बिना कुछ खाए प्रतिदिन प्रात: एक लहसन कली, दही के साथ दो महीने तक लेने से घुटनों के दर्द में चमत्कारिक लाभ होता है।
- लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकायें। पानी जल जाने पर लहसुन खाकर दूध पीने से दर्द में लाभ होता है।
- 250 मि.ली. दूध एवं उतने ही पानी में दो लहसुन की कलियाँ, 1-1 चम्मच सोंठ और हरड़ तथा 1-1 दालचीनी और छोटी इलायची डालकर पकायें। पानी जल जाने पर वही दूध पीयें।
- सिंहनाद गुगल की 2-2 गोली सुबह, दोपहर व शाम पानी के साथ लें।
'चित्रकादिवटी' की 2-2 गोली सुबह-शाम अदरक के साथ 20 मि.ली. रस व 1 चम्मच घी के साथ लें।
तेल : काली उडद (करीब 10 ग्राम), बारीक पीसा हुआ अदरक (4 ग्राम) और पिसा हुआ कर्पूर (2 ग्राम) को खाने के तेल (50 मिली) में 5 मिनिट तक गर्म किया जाए और इसे छानकर तेल अलग कर लिया जाए।
जब तेल गुनगुना हो जाए तो इस तेल से दर्द वाले हिस्सों या जोड़ों की मालिश, जल्द ही दर्द में तेजी से आराम मिलता है, ऐसा दिन में 2 से 3 बार किया जाना चाहिए। यह तेल आर्थरायटिस जैसे दर्दकारक रोगों में भी गजब काम करता है।

हींग के लाभ |

1. दांत में कीड़ा लग जाने पर रात में सोते वक्त दांतों में हींग दबाकर साएं। ऐसा करने से कीडे अपने-आप निकल जाएंगे।

2. कांटा चुभने पर उस स्थान पर हींग का घोल भर दीजिए। इससे पीड़ा भी समाप्त होगी और कांटा अपने आप निकल जाएगा।

3. दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोगों के लिए हींग बहुत फायदेमंद है। चर्म रोग होने पर हींग को पानी में घिसकर लगाने से फायदा होता है।

4. बवासीर की समस्या पर हींग का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। बवासीर होने पर हींग का लेप लगाने से बवासीर में आराम मिलता है।

5. कब्ज होने पर हींग के चूर्ण में थोडा सा मीठा सोडा मिलाकर रात में सोने से पहले लीजिए। इससे पेट साफ हो जाएगा।

6. पेट में दर्द व ऐंठन होने पर अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करने से फायदा होता है।

7. अगर किसी खुले जख्म पर कीडे पड़ गए हों तो, उस जगह पर हींग का चूर्ण लगाने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

8. खाने से पहले घी में भुनी हुई हींग एवं अदरक का एक टुकडा मक्खन के साथ में लेने से भूख ज्यादा लगती है।

9. पीलिया होने पर हींग को गूलर के सूखे फलों के साथ खाना चाहिए। पीलिया होने पर हींग को पानी में घिसकर आंखों पर लगाने से फायदा होता है।

10. कान में दर्द होने पर तिल के तेल में हींग को पकाकर उस तेल की बूंदों को कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।

11. उल्टी आने पर हींग को पानी में पीसकर पेट पर लगाने से फायदा होता है।

12. सिरदर्द होने पर हींग को गर्म करके उसका लेप लगाने से फायदा होता है।

13. हींग कोई फल या फूल नहीं होती ,यह तो पेड़ के तने से निकली हुई गोंद होती है। इसका पेड़ 5 से 9 फीट उंचा होता है। इसके पत्ते 1 से 2 फीट लम्बे होते हैं।

14. हींग को हम रोज खाने का जायका बढ़ाने के लिए सब्जियों में डालते हैं। इससे खाना तो टेस्टी बनता ही है साथ ही ये पेट के लिए भी अच्छा रहता है। हींग (Asafoetida) का प्रयोग हम मुख्य तौर पर खाने में मसाले के रूप में ही करते है.

15. हींग अपच, पेट दर्द, जी मिचलाना, दांत दर्द, जुकाम, खांसी, सर्दी के कारण सिरदर्द, बिच्छू, बर्र आदि के जहरीले प्रभाव और जलन को कम करने में काम आती है। ये ऎसे गुण है जो शायद ही कुछ ही लोगों को पता होंगे।

16. यदि कभी आपको अचानक से पेट दर्द होने लगे तब थोड़ी सी हींग को पानी में घोलकर हल्का सा गर्म करके नाभि तथा इसके आसपास लेप लगायें, ऐसा करने से पेट दर्द में तुरंत ही आराम मिल जायेगा। नाभि के आसपास गोलाई में इस पानी का लेप करने से पेट दर्द, पेट फूलना व पेट का भारीपन दूर हो जाता है।

17. दांत दर्द की समस्या होने पर हींग में थोड़ा सा कपूर मिलाकर दर्द वाली जगह पर लगाने से दांत में दर्द होना बंद हो जाता है।

18. कान में दर्द होने पर तिल के तेल में हींग को पकाकर उस तेल की बूंदों को कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।

19. पीलिया होने पर हींग को गूलर के सूखे फलों के साथ खाना चाहिए। पीलिया होने पर हींग को पानी में घिसकर आंखों पर लगाने से फायदा होता है।

20. अपने रोज के खाने में दाल, कढ़ी और सब्जियों में हींग का प्रयोग करने से खाने को पचने में सहायता मिलती है।

21. हींग की मदद से शरीर में ज्यादा इन्सुलिन बनता है और ब्लड शुगर का स्तर नीचे गिरता है। ब्लड शुगर के स्तर को घटाने के लिए हींग में पका कड़वा कद्दू खाना चाहिए।

22. हींग में कोउमारिन होता है जो खून को पतला करने में मदद करता है और इसे जमने से रोकता है। हींग बढ़े हुए ट्राइग्लीसेराइड और कोलेस्ट्रोल को कम करता है और उच्च रक्तचाप को भी घटाता है।

23. छाछ में या भोजन के साथ हींग का सेवन करने से अजीर्ण वायु, हैजा, पेट दर्द, आफरा में आराम मिलता है।

24. हींग में वह शक्ति होती है जो कर्क (कैंसर) रोग को बढ़ावा देने वाले सेल को पनपने से रोकता है।

25. हींग के चूर्ण में थोडा सा नमक मिलाकर पानी के साथ लेने से लो ब्लड प्रेशर में आराम मिलता है।

26. बच्चों के पेट में कीडे होने पर जरा सी हींग एक चम्मच पानी में घोलकर रूई के फाहे को उसमें डुबोकर बच्चे के पॉटी होल में रख दें इसके बाद जब बच्चा पॉटी करेगा तो सारे कीड़े मर कर पॉटी के साथ निकल जाएंगे। यदी बड़ो के पेट में भी कीड़े हो जाए तो ये उपाय वो भी अपना सकते हैं।

27. भुनी हुई हींग को रूई के फाहे में लपेटकर दाढ़ पर रखने से राहत मिलती है। दांत में कीडा लगने पर भी इससे आराम मिलता है।

28. हींग का धुआं सूंघने से हिचकियां बंद हो जाती हैं।

29. एसिडिटी की समस्या होने पर थोड़ी सी हींग को गुड़ में मिलाकर गरम पानी के साथ खा लें, इससे गैस से होने वाले दर्द में आराम मिल जायेगा।

30. पसलियों में दर्द होने पर हींग रामबाण की तरह से काम करता है। ऎसे में हींग को गरम पानी में घोलकर लेप लगाएं, सूखने पर प्रक्रिया दोहराएं। आराम मिलेगा।

31. पेट में दर्द व ऐंठन होने पर अजवाइन और काले नमक नमक के साथ हींग का सेवन करने से दर्द में काफी फायदा मिल जाता है।

32. प्रसव के उपरांत हींग का सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है और उस महिला को पेट संबंधी कोई परेशानी नहीं होती है।

33. जोडों के दर्द में इसका नियमित सेवन बहुत ही लाभदायक रहता है।

34. माइग्रेन और सिरदर्द में आधा कप पानी में हींग मिलाकर पीने से आराम मिलता है।

35. दाद, खाज, खुजली जैसे त्वचा संबंधी रोगों के लिए हींग बहुत फायदेमंद होती है। चर्म रोग होने पर हींग को पानी में घिसकर प्रभावित स्थानों पर लगाने से फायदा होता है।

36. अफीम का नशा उतारने के लिए थोडी सी हींग को पानी में घोलकर पिला दें, इससे नशा जल्दी उतर जाता है।

37. यदि नासूर हो गया है और घाव सडने लगता है तो हींग को नीम के पत्तों के साथ पीसकर घाव पर लगाने से कुछ ही दिनों में आराम आ जाता है।

38. जुकाम होने पर बहुत से लोगो की नाक बंद हो जाती है जिससे साँस लेने में काफी तकलीफ हो जाती है, हींग सूंघने से जुकाम से बंद हुई नाक खुल जाती है। थोडी सी हींग पीसकर पानी में घोल लें और शीशी में भर लें। इसे सूंघने से सर्दी-जुकाम, सिर का भारीपन व दर्द में आराम मिलत है। पीठ, गले और सीने पर पानी का लेप करने से खांसी, कफ, निमोनिया और श्वास कष्ट में आराम मिलता है। हींग सूंघने से जुकाम से बंद हुई नाक खुल जाती है।

39. जुकाम की शुरुआत में अगर आपको कफ बने तो इसका सेवन संक्रमण को तुरंत खत्म कर देता है। इसके लिए आधा चम्मच हींग के पाउडर में औधा चम्मच सोंठ (सूखा अदरक) का पाउडर मिलाएं और इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर इसका दिन में थोड़ी-छोड़ी देर पर सेवन करें।

40. अगर कफ जकड़ गया है या फिर सूखी खांसी हो रही है, इसके लिए आधा चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच हींग और एक चम्मच शहद मिलाएं। फिर दिन में तीन इसका सेवन करें। इससे गले की खराश में भी आराम ‌मिलेगा।

41. सीने में अगर कफ जकड़ जाए तो हींग के तेल की दो बूंदे गर्म पानी‌ में डालकर भाप लेने से आराम मिलेगा। हींग के तेल से सीने, गर्दन और कमर पर मालिश करने से भी ठंड से शरीर की जकड़न या दर्द में राहत होगी।

42. उल्टी आने पर हींग को पानी में पीसकर पेट पर लगाने से फायदा होता है।

43. आप 0.06 ग्राम की मात्रा में हींग को लेकर गर्म कर लें और इसमें बरगद के पेड़ का लेटेक्स और शहद मिला कर मिश्रण मिला लें और इसका उपयोग आप सुबह सूरज निकलने से पहले 40 दिन तक करें। इससे आपकी नपुंसकता ख़त्म हो जाती है।

44. हींग में मौजूद सूजनरोधी तत्व अनियमित मासिक धर्म और मासिक धर्म की ऐंठन से तुरंत आराम दिलाते है। इसके अलावा, यह औषधि केंडिडा इंफेक्शन और सफेद पानी (यौनि से गाढ़ा सफेद/पीले रंग का स्त्राव) के उपचार और जल्दी से ठीक होने में भी सहायता करती है।

45. क्या आपको इस बात की जानकारी है कि हींग का उपयोग पुरूषों में नपुंसकता और समयपूर्व वीर्य के स्त्राव को ठीक करने में किया जा सकता है? विभिन्न यौन समस्याओं से बचने और इनके उपचार के लिए खाना बनाते समय केवल चुटकी भर इस मसालें को मिलाएं। इसके अलावा, हींग मिला हुआ एक गिलास गुनगुना पानी पीना रक्त प्रवाह को बढ़ाकर आपकी कामवासना को बढ़ाता है

Sunday, 20 November 2016

कलयुग में धरती पर संजीवनी है कलौंजी,

कलयुग में धरती पर संजीवनी है कलौंजी, अनगिनत रोगों को चुटकियों में ठीक करता है

कैसे करें इसका सेवन

कलौंजी के बीजों का सीधा सेवन किया जा सकता है।
एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिश्रित करके इसका सेवन कर सकते हैं।
पानी में कलौंजी उबालकर छान लें और इसे पीएं।
दूध में कलौंजी उबालें। ठंडा होने दें फिर इस मिश्रण को पीएं।
कलौंजी को ग्राइंड करें तथा पानी तथा दूध के साथ इसका सेवन करें।
कलौंजी को ब्रैड, पनीर तथा पेस्ट्रियों पर छिड़क कर इसका सेवन करें।

ये किन किन रोगों में सहायक है :

टाइप-2 डायबिटीज
प्रतिदिन 2 ग्राम कलौंजी के सेवन के परिणामस्वरूप तेज हो रहा ग्लूकोज कम होता है। इंसुलिन रैजिस्टैंस घटती है,बीटा सैल की कार्यप्रणाली में वृद्धि होती है तथा ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन में कमी आती है।

मिर्गी
2007 में हुए एक अध्ययन के अनुसार मिर्गी से पीड़ित बच्चों में कलौंजी के सत्व का सेवन दौरे को कम करता है।

उच्च रक्तचाप
100 या 200 मिलीग्राम कलौंजी के सत्व के दिन में दो बार सेवन से हाइपरटैंशन के मरीजों में ब्लड प्रैशर कम होता है।

दमा :

कलौंजी को पानी में उबालकर इसका सत्व पीने से अस्थमा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

रक्तचाप (ब्लडप्रेशर)
रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) में एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से रक्तचाप सामान्य बना रहता है। तथा 28 मिलीलीटर जैतुन का तेल और एक चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर पूर शरीर पर मालिश आधे घंटे तक धूप में रहने से रक्तचाप में लाभ मिलता है। यह क्रिया हर तीसरे दिन एक महीने तक करना चाहिए।

गंजापन
जली हुई कलौंजी को हेयर ऑइल में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर मालिश करने से गंजापन दूर होकर बाल उग आते हैं।

त्वचा के विकार
कलौंजी के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा के विकार नष्ट होते हैं।

लकवा
कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।

कान की सूजन, बहरापन
कलौंजी का तेल कान में डालने से कान की सूजन दूर होती है। इससे बहरापन में भी लाभ होता है।

सर्दी-जुकाम
कलौंजी के बीजों को सेंककर और कपड़े में लपेटकर सूंघने से और कलौंजी का तेल और जैतून का तेल बराबर की मात्रा में नाक में टपकाने से सर्दी-जुकाम समाप्त होता है। आधा कप पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल व चौथाई चम्मच जैतून का तेल मिलाकर इतना उबालें कि पानी खत्म हो जाएं और केवल तेल ही रह जाएं। इसके बाद इसे छानकर 2 बूंद नाक में डालें। इससे सर्दी-जुकाम ठीक होता है। यह पुराने जुकाम भी लाभकारी होता है।

पेट के कीडे़
10 ग्राम कलौंजी को पीसकर 3 चम्मच शहद के साथ रात सोते समय कुछ दिन तक नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।

प्रसव की पीड़ा
कलौंजी का काढ़ा बनाकर सेवन करने से प्रसव की पीड़ा दूर होती है।

पोलियों का रोग
आधे कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद व आधे चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लें। इससे पोलियों का रोग ठीक होता है।

मुंहासे
सिरके में कलौंजी को पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर लगाएं और सुबह पानी से चेहरे को साफ करने से मुंहासे कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।

स्फूर्ति
स्फूर्ति (रीवायटल) के लिए नांरगी के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सेवन करने से आलस्य और थकान दूर होती है।

गठिया
कलौंजी को रीठा के पत्तों के साथ काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग समाप्त होता है।

जोड़ों का दर्द
एक चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय पीने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।

आंखों के सभी रोग
आंखों की लाली, मोतियाबिन्द, आंखों से पानी का आना, आंखों की रोशनी कम होना आदि। इस तरह के आंखों के रोगों में एक कप गाजर का रस, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2बार सेवन करें। इससे आंखों के सभी रोग ठीक होते हैं। आंखों के चारों और तथा पलकों पर कलौंजी का तेल रात को सोते समय लगाएं। इससे आंखों के रोग समाप्त होते हैं। रोगी को अचार, बैंगन, अंडा व मछली नहीं खाना चाहिए।

स्नायुविक व मानसिक तनाव
एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल डालकर रात को सोते समय पीने से स्नायुविक व मानसिक तनाव दूर होता है।

गांठ
कलौंजी के तेल को गांठो पर लगाने और एक चम्मच कलौंजी का तेल गर्म दूध में डालकर पीने से गांठ नष्ट होती है।

मलेरिया का बुखार
पिसी हुई कलौंजी आधा चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है।

स्वप्नदोष
यदि रात को नींद में वीर्य अपने आप निकल जाता हो तो एक कप सेब के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे स्वप्नदोष दूर होता है। प्रतिदिन कलौंजी के तेल की चार बूंद एक चम्मच नारियल तेल में मिलाकर सोते समय सिर में लगाने स्वप्न दोष का रोग ठीक होता है। उपचार करते समय नींबू का सेवन न करें।

कब्ज
चीनी 5 ग्राम, सोनामुखी 4 ग्राम, 1 गिलास हल्का गर्म दूध और आधा चम्मच कलौंजी का तेल। इन सभी को एक साथ मिलाकर रात को सोते समय पीने से कब्ज नष्ट होती है।

खून की कमी
एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबाल लें और इस पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय सेवन करें। इससे 21 दिनों में खून की कमी दूर होती है। रोगी को खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

पेट दर्द
किसी भी कारण से पेट दर्द हो एक गिलास नींबू पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीएं। उपचार करते समय रोगी को बेसन की चीजे नहीं खानी चाहिए। या चुटकी भर नमक और आधे चम्मच कलौंजी के तेल को आधा गिलास हल्का गर्म पानी मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है। या फिर 1 गिलास मौसमी के रस में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।

सिर दर्द
कलौंजी के तेल को ललाट से कानों तक अच्छी तरह मलनें और आधा चम्मच कलौंजी के तेल को 1 चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है। कलौंजी खाने के साथ सिर पर कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर मालिश करें। इससे सिर दर्द में आराम मिलता है और सिर से सम्बंधित अन्य रोगों भी दूर होते हैं।
कलौंजी के बीजों को गर्म करके पीस लें और कपड़े में बांधकर सूंघें। इससे सिर का दर्द दूर होता है। कलौंजी और काला जीरा बराबर मात्रा में लेकर पानी में पीस लें और माथे पर लेप करें। इससे सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर होता है।

उल्टी
आधा चम्मच कलौंजी का तेल और आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से उल्टी बंद होती है।

हार्निया
3 चम्मच करेले का रस और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय पीने से हार्निया रोग ठीक होता है।

मिर्गी के दौरें
एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से मिर्गी के दौरें ठीक होते हैं। मिर्गी के रोगी को ठंडी चीजे जैसे- अमरूद, केला, सीताफल आदि नहीं देना चाहिए।

पीलिया
एक कप दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार सुबह खाली पेट और रात को सोते समय 1 सप्ताह तक लेने से पीलिया रोग समाप्त होता है। पीलिया से पीड़ित रोगी को खाने में मसालेदार व खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

कैंसर का रोग
एक गिलास अंगूर के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कैंसर का रोग ठीक होता है। इससे आंतों का कैंसर, ब्लड कैंसर व गले का कैंसर आदि में भी लाभ मिलता है। इस रोग में रोगी को औषधि देने के साथ ही एक किलो जौ के आटे में 2 किलो गेहूं का आटा मिलाकर इसकी रोटी, दलिया बनाकर रोगी को देना चाहिए। इस रोग में आलू, अरबी और बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। कैंसर के रोगी को कलौंजी डालकर हलवा बनाकर खाना चाहिए।

दांत
कलौंजी का तेल और लौंग का तेल 1-1 बूंद मिलाकर दांत व मसूढ़ों पर लगाने से दर्द ठीक होता है। आग में सेंधानमक जलाकर बारीक पीस लें और इसमें 2-4 बूंदे कलौंजी का तेल डालकर दांत साफ करें। इससे साफ व स्वस्थ रहते हैं।
दांतों में कीड़े लगना व खोखलापन: रात को सोते समय कलौंजी के तेल में रुई को भिगोकर खोखले दांतों में रखने से कीड़े नष्ट होते हैं।

नींद
रात में सोने से पहले आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है।

मासिकधर्म
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मासिकधर्म शुरू होता है। इससे गर्भपात होने की संभावना नहीं रहती है।
जिन माताओं बहनों को मासिकधर्म कष्ट से आता है उनके लिए कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिकस्राव का कष्ट दूर होता है और बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से ऋतुस्राव की पीड़ा नष्ट होती है।
मासिकधर्म की अनियमितता में लगभग आधा से डेढ़ ग्राम की मात्रा में कलौंजी के चूर्ण का सेवन करने से मासिकधर्म नियमित समय पर आने लगता है।
यदि मासिकस्राव बंद हो गया हो और पेट में दर्द रहता हो तो एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।

गर्भवती महिलाओं
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से मासिकस्राव शुरू होता है।

गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है।

स्तनों का आकार
कलौंजी आधे से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से स्तनों का आकार बढ़ता है और स्तन सुडौल बनता है।

स्तनों में दुध
कलौंजी को आधे से 1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से स्तनों में दुध बढ़ता है।

स्त्रियों के चेहरे व हाथ-पैरों की सूजन:
कलौंजी पीसकर लेप करने से हाथ पैरों की सूजन दूर होती है।

बाल लम्बे व घने
50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें और इस पानी से बालों को धोएं। इससे बाल लम्बे व घने होते हैं।

बेरी-बेरी रोग
बेरी-बेरी रोग में कलौंजी को पीसकर हाथ-पैरों की सूजन पर लगाने से सूजन मिटती है।

भूख का अधिक लगना
50 ग्राम कलौंजी को सिरके में रात को भिगो दें और सूबह पीसकर शहद में मिलाकर 4-5 ग्राम की मात्रा सेवन करें। इससे भूख का अधिक लगना कम होता है।

नपुंसकता
कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर पीने से नपुंसकता दूर होती है।

खाज-खुजली
50 ग्राम कलौंजी के बीजों को पीस लें और इसमें 10 ग्राम बिल्व के पत्तों का रस व 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप बना लें। यह लेप खाज-खुजली में प्रतिदिन लगाने से रोग ठीक होता है।

नाड़ी का छूटना
नाड़ी का छूटना के लिए आधे से 1 ग्राम कालौंजी को पीसकर रोगी को देने से शरीर का ठंडापन दूर होता है और नाड़ी की गति भी तेज होती है। इस रोग में आधे से 1ग्राम कालौंजी हर 6 घंटे पर लें और ठीक होने पर इसका प्रयोग बंद कर दें।
कलौंजी को पीसकर लेप करने से नाड़ी की जलन व सूजन दूर होती है।

हिचकी
एक ग्राम पिसी कलौंजी शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी आनी बंद हो जाती है। तथा कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में मठ्ठे के साथ प्रतिदिन 3-4 बार सेवन से हिचकी दूर होती है। या फिर कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम मक्खन के साथ खाने से हिचकी दूर होती है। और यदि आप काले उड़द चिलम में रखकर तम्बाकू के साथ पीने से हिचकी में लाभ होता है।
3 ग्राम कलौंजी पीसकर दही के पानी में मिलाकर खाने से हिचकी ठीक होती है।

स्मरण शक्ति
लगभग 2 ग्राम की मात्रा में कलौंजी को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

छींके
कलौंजी और सूखे चने को एक साथ अच्छी तरह मसलकर किसी कपड़े में बांधकर सूंघने से छींके आनी बंद हो जाती है।

पेट की गैस
कलौंजी, जीरा और अजवाइन को बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से पेट की गैस नष्ट होता है।

पेशाब की जलन
250 मिलीलीटर दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।

दमा रोग (ASTHMA)
एक चुटकी नमक, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच घी मिलाकर छाती और गले पर मालिश करें और साथ ही आधा चम्मच कलौंजी का तेल 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे दमा रोग में आराम मिलता है।

पथरी
250 ग्राम कलौंजी पीसकर 125 ग्राम शहद में मिला लें और फिर इसमें आधा कप पानी और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार खाली पेट सेवन करें। इस तरह 21 दिन तक पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।

सूजन
यदि चोट या मोच आने के कारण शरीर के किसी भी स्थान पर सूजन आ गई हो तो उसे दूर करने के लिए कलौंजी को पानी में पीसकर लगाएं। इससे सूजन दूर होती है और दर्द ठीक होता है। कलौंजी को पीसकर हाथ पैरों पर लेप करने से हाथ-पैरों की सूजन दूर होती है।

स्नायु की पीड़ा
दही में कलौंजी को पीसकर बने लेप को पीड़ित अंग पर लगाने से स्नायु की पीड़ा समाप्त होती है।

जुकाम
20 ग्राम कलौंजी को अच्छी तरह से पकाकर किसी कपड़े में बांधकर नाक से सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और जुकाम ठीक होता है।
जैतून के तेल में कलौंजी का बारीक चूर्ण मिलाकर कपड़े में छानकर बूंद-बूंद करके नाक में डालने से बार-बार जुकाम में छींक आनी बंद हो जाती हैं और जुकाम ठीक होता है। कलौंजी को सूंघने से जुकाम में आराम मिलता है।
यदि बार-बार छींके आती हो तो कलौंजी के बीजों को पीसकर सूंघें।

बवासीर के मस्से
कलौंजी की भस्म को मस्सों पर नियमित रूप से लगाने से बवासीर का रोग समाप्त होता है।

वात रोग
वात रोग में कलौंजी के तेल से रोगग्रस्त अंगों पर मालिश करने से वात की बीमारी दूर होती है।

 ध्यान रखें कि इस दवा का प्रयोग गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गर्भ नष्ट हो सकता है।

गर्भधारण (गर्भस्थापित कराना)

चिकित्सा:

1. मोरछली: मोरछली की छाल का चूर्ण खाने से गर्भ ठहरता है।

2. केसर: केसर और नागकेसर को 4-4 ग्राम की मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इसकी तीन पुड़िया मासिक-धर्म समाप्त होने के तुरंत बाद खाने से गर्भ स्थापित होता है।

3. हंसपदी: हंसपदी को बारीक पीसकर पीने से स्त्री का गर्भ स्थापित होता है।

4. शंखावली: शंखाहुली या इसके पंचांग के सेवन करने से गर्भ की स्थापना अवश्य होती है।

5. गोरखमुण्डी: गोरखमुण्डी और जायफल बारीक पीसकर सेवन करने से सन्तान की अवश्य ही प्राप्ति होती है।

6. समुद्रफेन: समुद्रफेन को दही के साथ खाने से निश्चय ही गर्भ धारण होता है।

7. समुद्रफल: समुद्रफल और अजवायन के सेवन से गर्भधारण अवश्य ही होता है।

8. खिरैटी: मासिक-धर्म में सफेद खिरेटी, मुलहठी तथा मिश्री मिलाकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से गर्भ अवश्य ठहरता है।

9. सोंठ: सोंठ, मिर्च, पीपल और नागकेशर का चूर्ण घी के साथ माहवारी समाप्ति के बाद स्त्री को सेवन कराने से गर्भ ठहर जाता है।

10. सरसो: सफेद सरसो, बच, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, गदहपुरैना, दूधी, कूठ, मुलहठी, कुटकी, खंभारी के फल, फालसा, अनन्तमूल, कालीसर, हल्दी, भंगरा, देवदारू, सूर्यमुखी, मंजीठ, त्रिफला, प्रियंगु के फूल, अड़ूसा के फूल तथा गेरू सभी को 2 किलो गाय के घी में मिलाकर गर्म करें। इसे 20 से 40 ग्राम की मात्रा में पुरुष तथा ऋतुस्नाता स्त्री भगवान का स्मरण कर इस घी का सेवन करें तो इससे गर्भसम्बंधी सभी गुप्तांग रोग नष्ट होते हैं तथा बांझ स्त्री भी पुत्र उत्पन्न करने के योग्य हो जाती है।

11. कटेली: सफेद कटेली की जड़ रविवार को पुष्य नक्षत्र में लाए छाया में सुखाकर जड़ का बक्कल (छिलका) उतारकर कूटकर छान लें। इसे 10 ग्राम की मात्रा में गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से सुबह माहवारी शुरू होने के दिन से 3 दिनों तक लगातार प्रयोग करना चाहिए।

12. तुलसी: तुलसी के बीज 5 ग्राम पानी के साथ मासिक-धर्म शुरू होने के पहले दिन से 3 दिनों तक नियमित सेवन कराना चाहिए। इस प्रयोग से गर्भ ठहरता है।

13. निर्गुण्डी: निर्गुण्डी की 10 ग्राम मात्रा को लगभग 100 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह उसे उबालें, जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसे उतारकर छान लें। इसके बाद इसमें 10 ग्राम की मात्रा में पिसा हुआ गोखरू मिलाकर मासिक-धर्म खत्म होने के बाद पहले दिन से लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें। इससे स्त्री गर्भधारण के योग्य हो जाती है।

14. नागकेसर: पिसी हुई नागकेसर को लगभग 5 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय बछड़े वाली गाय या काली बकरी के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध के साथ माहवारी (मासिक-धर्म) खत्म होने के बाद सुबह के समय लगभग एक सप्ताह तक सेवन कराएं। इससे गर्भधारण के उपरान्त पुत्र का जन्म होगा।

15. कृष्णकांता: कृष्णकांता की जड़ 15 ग्राम को बारीक पीस लें। इसे 5 ग्राम सुबह के समय काली बकरी के कच्चे दूध से माहवारी खत्म होने के बाद 3 दिनों तक लगातार सेवन करना चाहिए। इससे स्त्री गर्भधारण के योग्य बन जाती है।

16. पुत्रजीवक (जियापोता): पुत्रजीवक (जियापोता) के एक पत्ते को बारीक पीसकर गाय के कच्चे दूध में मिला दें। इसे सुबह 10 ग्राम की मात्रा में मासिक-धर्म समाप्त होने के बाद लगभग एक सप्ताह तक नियमित रूप से सेवन करने से गर्भधारण होता है।

17. अपामार्ग: अपामार्ग की जड़ और लक्ष्मण बूटी 40 ग्राम की मात्रा में बारीक पीस-छानकर रख लें। इसे गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध के साथ सुबह के समय मासिक-धर्म समाप्त होने के बाद से लगभग एक सप्ताह तक सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से स्त्री गर्भधारण के योग्य हो जाती है।

18. माजूफल (मियादी फल): माजूफल (मियादी फल) 60 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट छान लें। इसे 10-10 ग्राम सुबह-शाम मासिक-धर्म समाप्त होने के बाद 3 दिनों तक गाय के दूध से सेवन करना चाहिए। इससे गर्भ स्थापित होता है।

19. आम: आम के पेड़ का बांदा पानी के साथ बारीक पीसकर मासिक-धर्म खत्म होने के 2 दिन बाद सुबह के समय गाय के कच्चे दूध में मिलाकर सेवन करना चाहिए। इससे गर्भ ठहरता है।

20. ढाक: ढाक (पलाश) का एक पत्ता गाय के कच्चे दूध में पीसकर मासिक-धर्म के शुरू होने के दिनों में सुबह के समय लगातार तीन दिनों तक सेवन कराना चाहिए। इसके सेवन से स्त्रियां गर्भधारण के योग्य हो जाती हैं।

21. हाथी दांत: हाथी दांत को लेकर बारीक पीसकर रख लें। इसमें से लगभग 3 ग्राम सुबह के समय मासिक-धर्म के शुरू होने के दिनों में गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से देना चाहिए। इसके सेवन से गर्भ स्थापित होता है।

22. ओंघाहुली: ओंघाहुली और ब्रह्मबूटी 15-15 ग्राम कूट-छानकर 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से मासिक-धर्म खत्म होने के बाद सेवन करने से गर्भधारण होता है।

23. गजकेसर: गजकेसर की जड़, पीपल की दाढ़ी और शिवलिंगी के बीज 6-6 ग्राम की मात्रा में कूट-छानकर इसमें 18 ग्राम की मात्रा में खांड मिला दें। इसकी 5 ग्राम मात्रा को सुबह के समय बछडे़ वाली गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से मासिक-धर्म खत्म होने के बाद लगभग एक सप्ताह तक करना चाहिए। इसके सेवन से स्त्रियां गर्भधारण के योग्य बन जाती हैं।

24. कायफल: कायफल 25 ग्राम की मात्रा में कूटपीसकर रख लें। इसमें 25 ग्राम की मात्रा में खांड मिला दें। इसे लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ मासिक-धर्म खत्म होने के बाद लगभग 5 दिनों तक देना चाहिए। इससे स्त्रियों का गर्भ ठहरता है।

25. अजवायन: अजवायन 10 ग्राम पानी से मासिक-धर्म खत्म होने के बाद तीन-चार दिनों तक सेवन करने से गर्भ की स्थापना में लाभ मिलता है।

26. पीपल का बांदा: पीपल का बांदा (बांझी) को लेकर कूट-छान लें। इसे 5 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय बछड़े वाली गाय के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध से मासिक-धर्म के बीच में 3 दिनों तक लगातार सेवन करने से गर्भधारण होता है।

27. काकोली: काकोली का बीज 20 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 5 ग्राम लेकर सुबह एक रंग की गाय (जिस गाय के बछड़े मरते न हो) या काली बकरी के 250 मिलीलीटर कच्चे दूध के साथ मासिक-धर्म के बीच में देने गर्भ स्थापित होता है।

28. जायफल: जायफल और मिश्री 50-50 ग्राम की मात्रा में पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। इसे छह ग्राम की मात्रा में माहवारी के बाद सेवन करना चाहिए। आहार में चावल और दूध का सेवन करें। इससे गर्भधारण हो जाएगा।

29. मेहंदी: मासिक-धर्म के बाद हर चौथे दिन के बाद नियमित 5 बार लगातार अपने हाथ-पैरों पर लगाने से गर्भवती होने की आशा बढ़ जाती है।

30. देवदारू: तैलिया देवदारू को घिसकर स्त्री को पिलाना चाहिए इससे पेट की वायु कम होकर गर्भ को बढ़ने के लिए जगह मिलती है।

गुड खाने के फायदे :-

प्राकृतिक मिठाई के तौर पर पहचाना जाने वाला गुड़, स्वाद के साथ ही सेहत का भी खजाना है,गुड़ उन लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जिनके शरीर में खून की कमी (एनीमिया) होती है, क्योंकि गुड आयरन का एक बहुत ही अच्छा स्रोत होता है और यह शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल बढाने में मदद करता है।गुड हमारी पाचन क्रिया के लिए भी काफी अच्छा होता है इसलिए गुड को थोड़ी मात्रा में खाना खाने के बाद जरूर खाना चाहिए।

 गुड का प्रयोग पीलिया रोग का उपचार करने के लिये भी किया जाता है। गुड का इस्तेमाल विभिन्न तरह की अलग अलग डिश बनाने में किया जाता है जैसे – तिल गुड की चिक्की, गुड की खीर, गुड का परांठा आदि। इन सभी डिश को आप सर्दियों में मौसम में बना सकते है गुड में अधिक मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में सहायता करता है अगर आप कब्ज की समस्या से परेशान है तो रात में खाना खाने के बाद एक टुकड़ा गुड खाने से आप कब्ज की समस्या से मुक्ति पा सकते है।

5 gm. सौंठ 10 gm. गुड़ के साथ लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढती है। 5gm. गुड़ को इतने ही सरसों के तेल में मिलाकर खाने से श्वास रोग से छुटकारा मिलता है।

 पाचन तंत्र को ठीक करता है गुड या प्राकर्तिक शक्कर खाने से खून साफ होता है रोज़ खाना खाने के बाद गुड खाने से पेट में ठंडक मिलती है और गैस नहीं बनती है । दूध के साथ गुड खाने से पाचन तंत्र हेल्थी रहता है । मासिक धर्म में दर्द - जिन महिलाओ को मासिक धरम के दौरान दर्द रहता हो उन्हें गुड खाना चाहिए इससे पेट को आराम मिलता है और दर्द में राहत मिलती है । लौह तत्व से भरपूर

- गुड या प्राकर्तिक शक्कर में खून के लिए जरूरी
लौह तत्व भरपूर मात्रा में होता है ।अतः इसे अनीमिया के मरीजों को खाना चाहिए ।
स्किन के लिए गुणकारी - गुड खाने से खून के बुरे तत्व साफ हो जाते है जिससे त्वचा में निखर आता है और कील
मुहांसो की समस्या भी दूर रहती है। सर्दी में उपयोग -सर्दी खांसी में या प्राकर्तिक शक्कर से राहत मिलती है और चाय में या लड्डू में भी इसका उपयोग किया जा सकता है ।ऊर्जा का स्त्रोत - गुड खाने से हमें ऊर्जा मिलती है जब भी थकन या
कमजोरी लगे तो गुड खाने से तुरंत आराम मिलता है। दमा के मरीज़ो को गुड या शक्कर का सेवन फायदेमंद रहता है

Urine Infection ke Symptoms aur Treatment – मूत्र मार्ग संक्रमण

Janiye kaise Urine Infection ka kaun se Symptoms aur treatment hai jise apnakar aap natural ilaj ke dwara ise chutkara paa sakte hain. Urine infection को UTI यानि की Urinary Tract Infection भी कहते है । urine infection किसी को भी हो सकता है लेकिन generally ये बीमारी पुरुषो के अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। urine infection होने के कई कारण हो सकते है जैसे की common toilet का use करना, पेशाब को ज्यादा देर तक रोकना, पेशाब करने के बाद पानी से साफ़ ना करना, आदि । इस बीमारी से बचने के लिए बस कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखना होता है जैसे की अपने toilet को  हमेशा साफ सुथरा रखें, पेशाब लगने पर उसे तुरंत बाहर निकाल दें, public कमोड को ज्यादा use ना करे आदि ।



मूत्र मार्ग संक्रमण  के लक्षण / Symptoms of Urine infection

Yah acchi baat hai ki urine infection ko pahchanana aasan hai. Agar niche diye gaye lakshan match karte hai to aapko mutra sankraman ho sakta hai:

पेशाब (toilet) करने वक्त जलन या दर्दबार बार toilet होनापेशाब से बहुत बदबू (Stench) आनाखुजली (itching) होनाज्यादा पीले रंग का पेशाब होना

मूत्र मार्ग संक्रमण का  इलाज / Treatment of Urine Infection

Agar aap is urine infection se pareshan hai aur koi gharelu ilaj khoj rahe hai to niche diye gaye treatment (jo ki Ayurvedic hai) ko apnakar isse chutkara paa sakte hain. To chaliye jante hai iske upay:

पानी ज्यादा पीयें – Urine में infection हो जाने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए क्योंकि ये urine में हुए bacteria को urine के साथ बहार निकालने में help करता है । पानी ज्यादा पीने से पेशाब के दौरान होने वाली जलन भी कम हो जाती है । इसके बाद भी अगर आपको राहत नहीं मिले तो फ़ौरन हीं अपने नजदीकी doctor से संपर्क करे ।

खट्टे फल खाएं – Urine में infection होने पर खट्टे फल जैसे की संतरा, आंवला, निम्बू  आदि का सेवन ज्यादा करना चाहिए क्‍योकि इसमें सिट्रस एसिड होता है जो कि urine infection में पैदा करने वाले bacteria को नष्ट करने में हमारी help करता है।

बेकिंग सोड़ा(baking soda) – baking soda हमारे body में acids और bases का balance को बनाये रखने में helpful होता है । इसलिए urine में infection होते हीं 1 glass पानी या दूध में ½ tsp soda को mix कर के दिन में 2 times लेने से infection ठीक हो जाता है ।

हरी इलायची – आप मूत्र मार्ग में संक्रमण का इलाज करने के लिए दूध के साथ हरी इलायची पाउडर ले सकते हैं। हरी इलायची और दूध पेशाब करने के दौरान होने वाले जलन से राहत दिलाने में काफी helpful होता है ।

करौंदे का जूस (Cranberry juice) –क्रैनबेरी का रस urine infection को ठीक करने का सबसे best उपाय है। जब किसी को urine में infection हो जाता है तो उनके infection को रोकने के लिए उन्हें ये juice दिया जाता है। आप क्रैनबेरी रस को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इसे सेब के रस के साथ भी mix कर के पी सकते हैं।

छाछ – छाछ भी मूत्र पथ से bacteria को बाहर निकालता है । यह UTI के दौरान महसूस किये जाने वाले जलन में भी राहत पहुंचता है।

प्याज–  urine infection होने पर प्याज यानि की onion भी कभी beneficial होता है । प्याज  body toxin को body से निकालने में help करता है ।

विटामिन सी – vitamin-c से भरपूर खाद्य भी urine infection में राहत पहुंचता है । vitamin-c में anti oxidant गुण होते है जो की body में  bioflavonoid (good source of vitamin c) को absorb करने में help करता है । Bioflavonoid  विषाक्त कण (toxic radicals) को दूर करने में मदद करता है  जिससे हमारे शरीर की प्रतिरक्षा (immunity)  में सुधार  होता है  और ये मूत्र मार्ग में bacteria के विकास को रोकने में help करता है।

बेल- दूध में बेल के गुद्दे को mix कर के उसमे थोड़ा सा गुड़ मिला कर लेने से urine से जुड़ी सभी परेशानियाँ ठीक हो जाती है ।