इस लेख को कई बार भिन्न-भिन्न पंचगव्य चिकित्सा के माध्यम से दिया जा चुका है कि हमारे शरीर को कितनी आक्सीजन का आवश्यकता होती है , जिससे हमारी कोशिकाये सक्रिय रह सकें और हम गंभीर व घातक विमारियों से बच सके ।
शरीर में प्राणवायु (ऑक्सीजन) की कमी कैंसर की जड़ है ।
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दुर्भाग्य है की जो बात हमारे ऋषि मुनि हजारो वर्ष पहले लिख कर चले गए वही बात आज यदि कोई नोबल पुरस्कार विजेता बोले तो ही हमे सही लगती है ।
1931 में Otto Warburg को कैंसर के असली कारण की खोज के लिए नोबल पुरस्कार मिला था ।
कैंसर का असली कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी है ।
- ऑक्सीजन की कमी से शरीर अम्लीय (Acidic) हो जाता है ।
- शोध में यह भी पता चला की कैंसर की कोशिकाएं (Cells) अवायवीय अर्थात ऑक्सीजन के बिना जीवित रहने वाली (Anaerobic - Which Do not breath Oxygen) होती है ।
- जिस शरीर में ऑक्सीजन अधिक होगी वहां कैंसर की कोशिकाए जीवित नहीं रह सकती ।
- और जिस शरीर में ऑक्सीजन अधिक होगी वह शरीर क्षारीय होगा ।
- क्षारीय शरीर में कैंसर या कोई और बीमारी नहीं आ सकती है ।
- सामान्य कोशिकाएं ऑक्सीजन के बिना जीवित नहीं रह सकती परन्तु कैंसर की कोशिकाए बिना किसी अपवाद के ऑक्सीजन की कमी के बाद भी जीवित रह सकती है ।
यदि एक कोशिका को 48 घंटे तक आवश्यकता से 35% कम ऑक्सीजन देते रहो तो बहुत सम्भावना है की वो कैंसरकारक कोशिका में बदल जाएगी ।
हमारा खानपान ही हमारे शरीर को क्षारीय और अम्लीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
pH स्तर क्या है?
pH स्तर यदि 7 से अधिक है तो क्षारीय है परन्तु यदि
pH स्तर यदि 7 से नीचे है तो अम्लीय होता है ।
इसलिए शरीर को जीवित रहने के लिए एक आदर्श pH स्तर (7.365) बनाये रखता है जो की थोडा क्षारीय है
दुर्भाग्य से आज हमारे खान पान में अधिकतर भोजन ऐसा है जो हमारे शरीर के pH को अम्लीय बनाता है
जिसमे रिफाइंड चीनी, अनाज, तेल, GMO, विषयुक्त खेती के उपहार आदि शामिल है ।
pH स्तर की यही गड़बड़ी से शरीर को बहुत हानि पहुचती है । जिससे अधिक अम्लीय pH स्तर वाले शरीर में कैंसर, ह्रदय रोग, मधुमेह, हड्डी, सीने में जलन आदि रोग होते है ।
अधिक समय तक अम्लीय शरीर रहने पर बुढ़ापा जल्दी आता है , क्योंकि परजीवी, बुरा बैक्टीरिया, वायरस, और फंगस आदि अम्लीय वातावरण में अधिक पनपते है , परन्तु क्षारीय वातावरण इनके लिए मृत्यु है ।
दिल्ली जैसे महानगरो में प्रदुषण के कारण वातावरण में ऑक्सीजन की उपस्थिति 21% से कम ही बची है और उस पर गलत खानपान के कारण शरीर में अम्लता एवं वातावरण में उपस्थित कम ऑक्सीजन के कारण घर घर में कैंसर बढता जा रहा है ।
यदि कोई अम्लीय भोजन करना हो तो प्रातः काल में थोडा बहुत कर ले, परन्तु रात के भोजन में या बेहतर होगा यदि 12 बजे के बाद किसी भी प्रकार का अम्लीय भोजन से बचे ।
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इस समस्या का उत्तर हमारे भारतीय गौवंश के पास है पंचगव्य में भरपूर क्षारीय गुण मिलते है ।
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- छाछ :- देशी गौमाता के दूध की छाछ (दही से मक्खन निकलने के बाद बचा पदार्थ) प्रातः काल पीने से शरीर को भरपूर प्राणवायु मिलती है इसमें लगभग 30 % आक्सीजन मिलती है ।
- गौ-भस्म :- देसी गाय के गोबर से बनी भस्म में लगभग 43% ऑक्सीजन मिलती है जिसे पानी में मिलाकर पीने से प्राणवायु का संचार शरीर में होता है ।
- देशी घृत :- 10 ग्राम देशी गाय के घी को दीपक में या हवन में जलाने से 1000 किलो ऑक्सीजन बनती है जो यदि शरीर में जाएगी तो कैंसर सेल्स को पनपने नहीं देती है ।
शरीर में प्राणवायु (ऑक्सीजन) की कमी कैंसर की जड़ है ।
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दुर्भाग्य है की जो बात हमारे ऋषि मुनि हजारो वर्ष पहले लिख कर चले गए वही बात आज यदि कोई नोबल पुरस्कार विजेता बोले तो ही हमे सही लगती है ।
1931 में Otto Warburg को कैंसर के असली कारण की खोज के लिए नोबल पुरस्कार मिला था ।
कैंसर का असली कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी है ।
- ऑक्सीजन की कमी से शरीर अम्लीय (Acidic) हो जाता है ।
- शोध में यह भी पता चला की कैंसर की कोशिकाएं (Cells) अवायवीय अर्थात ऑक्सीजन के बिना जीवित रहने वाली (Anaerobic - Which Do not breath Oxygen) होती है ।
- जिस शरीर में ऑक्सीजन अधिक होगी वहां कैंसर की कोशिकाए जीवित नहीं रह सकती ।
- और जिस शरीर में ऑक्सीजन अधिक होगी वह शरीर क्षारीय होगा ।
- क्षारीय शरीर में कैंसर या कोई और बीमारी नहीं आ सकती है ।
- सामान्य कोशिकाएं ऑक्सीजन के बिना जीवित नहीं रह सकती परन्तु कैंसर की कोशिकाए बिना किसी अपवाद के ऑक्सीजन की कमी के बाद भी जीवित रह सकती है ।
यदि एक कोशिका को 48 घंटे तक आवश्यकता से 35% कम ऑक्सीजन देते रहो तो बहुत सम्भावना है की वो कैंसरकारक कोशिका में बदल जाएगी ।
हमारा खानपान ही हमारे शरीर को क्षारीय और अम्लीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
pH स्तर क्या है?
pH स्तर यदि 7 से अधिक है तो क्षारीय है परन्तु यदि
pH स्तर यदि 7 से नीचे है तो अम्लीय होता है ।
इसलिए शरीर को जीवित रहने के लिए एक आदर्श pH स्तर (7.365) बनाये रखता है जो की थोडा क्षारीय है
दुर्भाग्य से आज हमारे खान पान में अधिकतर भोजन ऐसा है जो हमारे शरीर के pH को अम्लीय बनाता है
जिसमे रिफाइंड चीनी, अनाज, तेल, GMO, विषयुक्त खेती के उपहार आदि शामिल है ।
pH स्तर की यही गड़बड़ी से शरीर को बहुत हानि पहुचती है । जिससे अधिक अम्लीय pH स्तर वाले शरीर में कैंसर, ह्रदय रोग, मधुमेह, हड्डी, सीने में जलन आदि रोग होते है ।
अधिक समय तक अम्लीय शरीर रहने पर बुढ़ापा जल्दी आता है , क्योंकि परजीवी, बुरा बैक्टीरिया, वायरस, और फंगस आदि अम्लीय वातावरण में अधिक पनपते है , परन्तु क्षारीय वातावरण इनके लिए मृत्यु है ।
दिल्ली जैसे महानगरो में प्रदुषण के कारण वातावरण में ऑक्सीजन की उपस्थिति 21% से कम ही बची है और उस पर गलत खानपान के कारण शरीर में अम्लता एवं वातावरण में उपस्थित कम ऑक्सीजन के कारण घर घर में कैंसर बढता जा रहा है ।
यदि कोई अम्लीय भोजन करना हो तो प्रातः काल में थोडा बहुत कर ले, परन्तु रात के भोजन में या बेहतर होगा यदि 12 बजे के बाद किसी भी प्रकार का अम्लीय भोजन से बचे ।
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इस समस्या का उत्तर हमारे भारतीय गौवंश के पास है पंचगव्य में भरपूर क्षारीय गुण मिलते है ।
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- छाछ :- देशी गौमाता के दूध की छाछ (दही से मक्खन निकलने के बाद बचा पदार्थ) प्रातः काल पीने से शरीर को भरपूर प्राणवायु मिलती है इसमें लगभग 30 % आक्सीजन मिलती है ।
- गौ-भस्म :- देसी गाय के गोबर से बनी भस्म में लगभग 43% ऑक्सीजन मिलती है जिसे पानी में मिलाकर पीने से प्राणवायु का संचार शरीर में होता है ।
- देशी घृत :- 10 ग्राम देशी गाय के घी को दीपक में या हवन में जलाने से 1000 किलो ऑक्सीजन बनती है जो यदि शरीर में जाएगी तो कैंसर सेल्स को पनपने नहीं देती है ।
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