सुखी और तर खांसी।।
भुनी हुई फिटकरी दस ग्राम और देशी खांड 100 ग्राम, दोनों को बारीक़ पीसकर आपस में मिला ले और बराबर मात्रा में चौदह पुड़िया बना ले। सुखी खांसी में 125 ग्राम गर्म दूध के साथ एक पुड़िया नित्य सोते समय ले। गीली खांसी में 125 ग्राम गर्म पानी के साथ एक पुड़िया नित्य सोते समय ले।
पुरानी खांसी।
पुरानी खांसी के लिए फिटकरी का फुला ।।
फिटकरी को पीसकर लोहे की कड़ाही में या तवे पर रखकर आग पर चढ़ा दे। फूलकर पानी हो जाएगी। जब सब फिटकरी पानी होकर नीचे की तरफ से खुश्क होने लगे तब उसी समय आंच तनिक कम करके किसी छुरी आदि से उल्टा दे। अब फिर दोबारा आंच थोड़ी तेज करे तांकि इस तरफ भी नीचे से खुश्क होने लगे। फिर इस खुश्क फूली फिटकरी का चूर्ण बनाकर रख ले। इस तरह फिटकरी का कई रोगो में सफलतापूर्वक बिना किसी हानि के में व्यवहार में लायी जाती हैं।
विशेष- इससे पुरानी से पुरानी खांसी दो सफ्तह के अंदर दुर हो जाती है। साधारण दमा भी दूर हो जाता है। गर्मियों की खांसी के लिए विशेष लाभप्रद है। बिलकुल हानिरहित सफल प्रयोग है।
ब्रोंकाइटिस व् गले की खराश और गला बैठना आदि रोगो के लिए अन्य प्रयोग।
काली मिर्च और मिश्री बराबर वजन लेकर पीस ले। इसमें इतना देशी घी मिलाये कि गोली सी बन जाए।।
झरबेरी के बेर के बराबर गोलिया बना ले। एक एक गोली दिन में चार बार चूसने से हर प्रकार की सूखी या तर खांसी दूर होती हैं। पहली गोली चूसने से ही लाभ प्रतीत होता हैं।।
खांसी के अतिरिक्त ब्रोंकाइटिस व् गले की खराश और गला बैठना आदि रोगो में भी लाभदायक हैं।।
काली मिर्च बहुत बारीक पीसी हुयी, चार गुना गुड मिलकर आधा आधा ग्राम की गोलिया बना ले। दिन में तीन – चार गोलिया चूसने से हर प्रकार की खांसी दूर होती हैं।।
यदि यह भी संभव ना हो तो मुनक्का के बीज निकालकर इसमें काली मिर्च रख कर चबाये और मुख में रखकर सो जाए। पांच सात दिन में खांसी में आराम आ जायेगा।।
सहायक उपचार।
प्रात : स्नान के समय शरीर पर पानी डालने से पूर्व कुछ सरसों के तेल की बूंदे हथेली पर रखकर एक बूँद ऊँगली से एक नथुने से और दूसरी नथुने से सूंघने से खुश्की से होने वाला सर दर्द ठीक होता हैं। इस क्रिया से ज़ोर की आवाज़ के साथ उठने वाली सूखी खांसी में आशातीत आराम मिलता हैं।
गुदा पर दिन में तीन – चार बार सरसों का तेल चुपड़ने से हर प्रकार की खांसी दूर होती हैं, विशेषकर छोटे बच्चो की खांसी में विशेषकर लाभ होता हैं।
तर या बलगमी खांसी, दमा खांसी।
अदरक का रस (अदरक पीसकर कपडे में रखकर निचोड़ – छान) और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर एक एक चम्मच की मात्रा से मामूली गर्म करके दिन में तीन चार बार चाटने से तीन चार दिन में ही कफ खांसी ठीक हो जाती हैं। बच्चो को सर्दी खांसी में इस मिश्रण की एक दो ऊँगली में जितना आ जाए, दिन में दो तीन बार चटाना ही प्रयाप्त हैं। दो तीन दिन में ही आराम आ जायेगा।
विशेष।
नजला जुकाम में यह प्रयोग एक अचम्भे से कम नहीं हैं। बुढ़ापे या कमज़ोरी से दमा उठता हो तो इसे ज़रा गर्म करके ले। आठ दिन पीने से दमा खांसी मिटती हैं, श्वास प्रणाली के रोगो के अतिरिक्त अंडकोष के वात (जिसमे अंडकोष फूल जाता हैं) और उदर(पेट) के रोग भी अच्छे होते हैं। अरुचि मिटकर भूख लगती हैं। गला बैठ जाने पर इसे तनिक गर्म करके दिन में दो बार पिलाने से बंद गला और जुकाम ठीक हो जाता हैं।
सर्दियों के मौसम में इसका सेवन विशेष उपयोगी हैं।
परहेज – जुकाम खांसी में दही, केला, चावल, ठन्डे और तले पदार्थ न ले।
रात को खांसी चलना।
एक बहेड़े के छिलके का टुकड़ा अथवा छीले हुए अदरक का टुकड़ा सोते समय मुख में रखकर चूसते रहने से बलगम आसानी से निकल जाता हैं। सूखी खांसी, क्रुप दमा मिटता हैं और खांसी की गुदगुदी बंद होकर नींद आ जाती हैं।
यदि ये प्रयोग ना कर पाये तो दूसरा विकल्प-
सूखी खांसी में पान के सादे पत्ते में एक ग्राम अजवायन रखकर चबा चबाकर रस निगलने से सूखी खांसी मिटती हैं। केवल अजवायन एक दो ग्राम खाकर ऊपर से गर्म पानी पीकर सो जाने से सूखी खांसी तथा दमा और श्वांस रोग में शीघ्र लाभ होता हैं। फेफड़ो के रोगो में अजवायन का प्रयोग करने से कफ की उत्पत्ति कम होती हैं। अजवायन का सेवन कफ नष्ट करके फेफड़े मज़बूत करता हैं व् छाती के दर्द में लाभ पहुंचाता हैं।
कफ विकार।
1. बलगम आसानी से निकालने के लिए।
बहेड़ा की छाल का टुकड़ा मुख में रखकर चूसते रहने से खांसी मिटती हैं और कफ आसानी से निकल जाता हैं। खांसी की गुदगुदी बंद होकर नींद आ जाती हैं।
अगर ये ना कर सकते हो तो अदरक को छीलकर मटर के बराबर उसका टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ सुगमता से निकल आता हैं।
2. बलगम साफ़ करने के लिए।
आंवला सूखा और मुलहठी को अलग अलग बारीक करके चूर्ण बना ले। और मिलाकर रख ले। इसमें से एक चम्मच चूर्ण दिन मे दो बार खाली पेट प्रात :
सांय दो सप्ताह आवश्यकतानुसार ले। छाती में जमा हुआ बलगम साफ़ हो जायेगा।
विशेष – उपरोक्त चूर्ण में बराबर वजन की मिश्री का चूर्ण डालकर मिला ले। ६ ग्राम चूर्ण २५० ग्राम दूध में डालकर पिए तो गले के छालो में शीघ्र आराम होगा।
3. यदि कफ छाती पर सूख गया हो तो।
25 ग्राम अलसी (तीसी) को कुचलकर 375 ग्राम पानी में औटाये। जब पानी एक तिहाई 125 ग्राम रह जाए, तो उसे मल छानकर १२ ग्राम मिश्री मिलाकर रख ले। उसमे से एक चम्मच भर काढ़ा एक एक घंटे के अंतर से दिन में कई बार पिलाये। इससे बलगम छूट जाता हैं। जब तक छाती साफ़ न हो, इसे पिलाते रहे।
विशेष – खांसी से बिना कफ निकले ही, कोई गर्म दवा खिलाई जाती हैं तो कफ सूखकर छाती पर जम जाता हैं। सूखा हुआ कफ बड़ी कठिनाई से निकलता हैं और खांसने में कफ निकलते समय बड़ी पीड़ा होती हैं। छाती पर कफ का घर्र घर्र शब्द होता हैं। उपरोक्त नुस्खे से सूखा कफ छूट जाता हैं। सूखी और पुरानी खांसी में निश्चय ही लाभ होता हैं।
खांसी की सभी अवस्थाओ के लिए विशेष लाभदायक ‘सुहागा और मुलहठी का चूर्ण‘
सुहागे का फूला और मुलहठी को अलग अलग खरल कर या कूटपीसकर कपड़छान कर, मैदे की तरह बारीक चूर्ण बना ले। फिर इन दोनों औषिधियो को बराबर वजन मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख ले। बस श्वांस, खांसी, जुकाम की सफल दवा तैयार हैं।
सेवन विधि –
साधारण मात्र आधा ग्राम से एक ग्राम तक दवा दिन में दो तीन बार शहद के साथ चाटे या गर्म जल के साथ ले। बच्चो के लिए एक रत्ती (चुटकी भर) की मात्रा या आयु के अनुसार कुछ अधिक दे।
परहेज – दही, केला, चावल, ठन्डे पदार्थो का सेवन ना करे। ।
भुनी हुई फिटकरी दस ग्राम और देशी खांड 100 ग्राम, दोनों को बारीक़ पीसकर आपस में मिला ले और बराबर मात्रा में चौदह पुड़िया बना ले। सुखी खांसी में 125 ग्राम गर्म दूध के साथ एक पुड़िया नित्य सोते समय ले। गीली खांसी में 125 ग्राम गर्म पानी के साथ एक पुड़िया नित्य सोते समय ले।
पुरानी खांसी।
पुरानी खांसी के लिए फिटकरी का फुला ।।
फिटकरी को पीसकर लोहे की कड़ाही में या तवे पर रखकर आग पर चढ़ा दे। फूलकर पानी हो जाएगी। जब सब फिटकरी पानी होकर नीचे की तरफ से खुश्क होने लगे तब उसी समय आंच तनिक कम करके किसी छुरी आदि से उल्टा दे। अब फिर दोबारा आंच थोड़ी तेज करे तांकि इस तरफ भी नीचे से खुश्क होने लगे। फिर इस खुश्क फूली फिटकरी का चूर्ण बनाकर रख ले। इस तरह फिटकरी का कई रोगो में सफलतापूर्वक बिना किसी हानि के में व्यवहार में लायी जाती हैं।
विशेष- इससे पुरानी से पुरानी खांसी दो सफ्तह के अंदर दुर हो जाती है। साधारण दमा भी दूर हो जाता है। गर्मियों की खांसी के लिए विशेष लाभप्रद है। बिलकुल हानिरहित सफल प्रयोग है।
ब्रोंकाइटिस व् गले की खराश और गला बैठना आदि रोगो के लिए अन्य प्रयोग।
काली मिर्च और मिश्री बराबर वजन लेकर पीस ले। इसमें इतना देशी घी मिलाये कि गोली सी बन जाए।।
झरबेरी के बेर के बराबर गोलिया बना ले। एक एक गोली दिन में चार बार चूसने से हर प्रकार की सूखी या तर खांसी दूर होती हैं। पहली गोली चूसने से ही लाभ प्रतीत होता हैं।।
खांसी के अतिरिक्त ब्रोंकाइटिस व् गले की खराश और गला बैठना आदि रोगो में भी लाभदायक हैं।।
काली मिर्च बहुत बारीक पीसी हुयी, चार गुना गुड मिलकर आधा आधा ग्राम की गोलिया बना ले। दिन में तीन – चार गोलिया चूसने से हर प्रकार की खांसी दूर होती हैं।।
यदि यह भी संभव ना हो तो मुनक्का के बीज निकालकर इसमें काली मिर्च रख कर चबाये और मुख में रखकर सो जाए। पांच सात दिन में खांसी में आराम आ जायेगा।।
सहायक उपचार।
प्रात : स्नान के समय शरीर पर पानी डालने से पूर्व कुछ सरसों के तेल की बूंदे हथेली पर रखकर एक बूँद ऊँगली से एक नथुने से और दूसरी नथुने से सूंघने से खुश्की से होने वाला सर दर्द ठीक होता हैं। इस क्रिया से ज़ोर की आवाज़ के साथ उठने वाली सूखी खांसी में आशातीत आराम मिलता हैं।
गुदा पर दिन में तीन – चार बार सरसों का तेल चुपड़ने से हर प्रकार की खांसी दूर होती हैं, विशेषकर छोटे बच्चो की खांसी में विशेषकर लाभ होता हैं।
तर या बलगमी खांसी, दमा खांसी।
अदरक का रस (अदरक पीसकर कपडे में रखकर निचोड़ – छान) और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर एक एक चम्मच की मात्रा से मामूली गर्म करके दिन में तीन चार बार चाटने से तीन चार दिन में ही कफ खांसी ठीक हो जाती हैं। बच्चो को सर्दी खांसी में इस मिश्रण की एक दो ऊँगली में जितना आ जाए, दिन में दो तीन बार चटाना ही प्रयाप्त हैं। दो तीन दिन में ही आराम आ जायेगा।
विशेष।
नजला जुकाम में यह प्रयोग एक अचम्भे से कम नहीं हैं। बुढ़ापे या कमज़ोरी से दमा उठता हो तो इसे ज़रा गर्म करके ले। आठ दिन पीने से दमा खांसी मिटती हैं, श्वास प्रणाली के रोगो के अतिरिक्त अंडकोष के वात (जिसमे अंडकोष फूल जाता हैं) और उदर(पेट) के रोग भी अच्छे होते हैं। अरुचि मिटकर भूख लगती हैं। गला बैठ जाने पर इसे तनिक गर्म करके दिन में दो बार पिलाने से बंद गला और जुकाम ठीक हो जाता हैं।
सर्दियों के मौसम में इसका सेवन विशेष उपयोगी हैं।
परहेज – जुकाम खांसी में दही, केला, चावल, ठन्डे और तले पदार्थ न ले।
रात को खांसी चलना।
एक बहेड़े के छिलके का टुकड़ा अथवा छीले हुए अदरक का टुकड़ा सोते समय मुख में रखकर चूसते रहने से बलगम आसानी से निकल जाता हैं। सूखी खांसी, क्रुप दमा मिटता हैं और खांसी की गुदगुदी बंद होकर नींद आ जाती हैं।
यदि ये प्रयोग ना कर पाये तो दूसरा विकल्प-
सूखी खांसी में पान के सादे पत्ते में एक ग्राम अजवायन रखकर चबा चबाकर रस निगलने से सूखी खांसी मिटती हैं। केवल अजवायन एक दो ग्राम खाकर ऊपर से गर्म पानी पीकर सो जाने से सूखी खांसी तथा दमा और श्वांस रोग में शीघ्र लाभ होता हैं। फेफड़ो के रोगो में अजवायन का प्रयोग करने से कफ की उत्पत्ति कम होती हैं। अजवायन का सेवन कफ नष्ट करके फेफड़े मज़बूत करता हैं व् छाती के दर्द में लाभ पहुंचाता हैं।
कफ विकार।
1. बलगम आसानी से निकालने के लिए।
बहेड़ा की छाल का टुकड़ा मुख में रखकर चूसते रहने से खांसी मिटती हैं और कफ आसानी से निकल जाता हैं। खांसी की गुदगुदी बंद होकर नींद आ जाती हैं।
अगर ये ना कर सकते हो तो अदरक को छीलकर मटर के बराबर उसका टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ सुगमता से निकल आता हैं।
2. बलगम साफ़ करने के लिए।
आंवला सूखा और मुलहठी को अलग अलग बारीक करके चूर्ण बना ले। और मिलाकर रख ले। इसमें से एक चम्मच चूर्ण दिन मे दो बार खाली पेट प्रात :
सांय दो सप्ताह आवश्यकतानुसार ले। छाती में जमा हुआ बलगम साफ़ हो जायेगा।
विशेष – उपरोक्त चूर्ण में बराबर वजन की मिश्री का चूर्ण डालकर मिला ले। ६ ग्राम चूर्ण २५० ग्राम दूध में डालकर पिए तो गले के छालो में शीघ्र आराम होगा।
3. यदि कफ छाती पर सूख गया हो तो।
25 ग्राम अलसी (तीसी) को कुचलकर 375 ग्राम पानी में औटाये। जब पानी एक तिहाई 125 ग्राम रह जाए, तो उसे मल छानकर १२ ग्राम मिश्री मिलाकर रख ले। उसमे से एक चम्मच भर काढ़ा एक एक घंटे के अंतर से दिन में कई बार पिलाये। इससे बलगम छूट जाता हैं। जब तक छाती साफ़ न हो, इसे पिलाते रहे।
विशेष – खांसी से बिना कफ निकले ही, कोई गर्म दवा खिलाई जाती हैं तो कफ सूखकर छाती पर जम जाता हैं। सूखा हुआ कफ बड़ी कठिनाई से निकलता हैं और खांसने में कफ निकलते समय बड़ी पीड़ा होती हैं। छाती पर कफ का घर्र घर्र शब्द होता हैं। उपरोक्त नुस्खे से सूखा कफ छूट जाता हैं। सूखी और पुरानी खांसी में निश्चय ही लाभ होता हैं।
खांसी की सभी अवस्थाओ के लिए विशेष लाभदायक ‘सुहागा और मुलहठी का चूर्ण‘
सुहागे का फूला और मुलहठी को अलग अलग खरल कर या कूटपीसकर कपड़छान कर, मैदे की तरह बारीक चूर्ण बना ले। फिर इन दोनों औषिधियो को बराबर वजन मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख ले। बस श्वांस, खांसी, जुकाम की सफल दवा तैयार हैं।
सेवन विधि –
साधारण मात्र आधा ग्राम से एक ग्राम तक दवा दिन में दो तीन बार शहद के साथ चाटे या गर्म जल के साथ ले। बच्चो के लिए एक रत्ती (चुटकी भर) की मात्रा या आयु के अनुसार कुछ अधिक दे।
परहेज – दही, केला, चावल, ठन्डे पदार्थो का सेवन ना करे। ।
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