इस पृथ्वी पर शायद ही कोई प्राणी होगा जिसे गुस्सा नहीं आता, जब भी कुछ हमारे मन मुताबिक नहीं होता, तब जो प्रतिक्रिया हमारा मन करता है, वही गुस्सा कहलाता है। वास्तव में "जब हम गुस्सा करते हैं तब हम किसी दूसरे की गलती की सजा खुद अपने को देते हैं।" जब किसी दिन हम मानसिक रूप से परेशान होते हैं, जीवन में किसी चीज या स्थिति से असंतुष्ट होते है, किसी बात पर हमारे दिल ठेस लगती है, जब हम निराश-हताश हो जाते है तब हम मानसिक रूप से ज्यादा बेचैन हो जाते है उस दिन हमें गुस्सा अधिक आता है और छोटी-छोटी बातों पर अधिक तीखी और त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं।
वास्तव में गुस्सा एक भयानक तूफ़ान जैसा है, जो जाने के बाद पीछे अपनी बर्बादी का निशान छो़ड जाता हैं। गुस्से में सबसे पहले दिमाग फिर जबान अपना आपा खोती है, वह वो सब कहती है, जो नहीं बिलकुल भी कहना चाहिए और रिश्तों में जबरदस्त क़डवाहट आ जाती है। और तब तो और भी मुश्किल होती है जब गुस्सा हमारे दिमाग में घर कर जाता है और हमारे अन्दर बदला लेने की सामने वाले को नुकसान पहुँचाने की भावना प्रबल हो जाती है ।
कुछ ऐसे उपाय जिससे हम यथासंभव अपने गुस्से पर काबू कर सकते है ।
* दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर पन्द्रह दिन लगातार खाने से गुस्सा शान्त होता है। बर्तन फैंकने वाला, तोड़ फोड़ करने वाला और पत्नि और बच्चों पर हाथ उठाने वाला व्यक्ति भी अपने क्रोध से मुक्ति पा सकेगा। इसके सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।
* प्रतिदिन प्रातः काल आंवले का एक पीस मुरब्बा खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना शीघ्र ही बन्द होगा।
* गुस्सा आने पर दो तीन गिलास खूब ठंडा पानी धीरे धीरे घूँट घूँट लेकर पिएं । पानी हमारेशारीरिक तनाव को कम करके क्रोध शांत करने में मददगार होता है।
* गुस्सा बहुत आता हो तो धरती माता को रोज सुबह उठकर हाथ से पाँच बार छूकर प्रणाम करें और सबसे विशाल ह्रदय धरती माँ से अपने गुस्से पर काबू करने और सहनशील होने का वरदान मागें।
* पलाश के छोटे छोटे पत्तों की सब्जी खाने से गुस्सा, और पित्त जल्दी ही शांत होता है ।
* रविवार को अदरक, टमाटर और लाल रंग के कपड़े गुस्सा अधिक बढ़ाते हैं अत: इनका कम से कम प्रयोग करें ।
* जिनको गुस्सा बहुत आता हो, बात- बात में चिड जाते हो वे सोमवार का उपवास करें, या एक समय भोजन करें। रात कों चन्द्रमा कों अर्घ दें तथा अपने गुस्से पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें । इससे भी मन शान्त रहता है, गुस्से पर नियंत्रण रहता है।
* बहुत अधिक खट्टी, तीखी, मसालेदार चीजें खाने से आँखें जलती हैं, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आता है, शीघ्र गुस्सा आता है, अकारण ही सीने और पेट में जलन होती है अत: इन चीजों का बिलकुल त्याग कर देना चाहिए ।
* जिन्हे ज्यादा गुस्सा आता हो उन्हें चाय, काफी, मदिरा से परहेज करना चाहिए ये शरीर को उत्तेजित करते है उसके स्थान पर छाछ, मीठा दूध या नींबू पानी का प्रयोग करना चाहिए ।
* यदि गुस्सा आने वाला हो तो 5-6 बार गहरी गहरी साँस लीजिए, कुछ पलों के लिए अपनी आँखे बंद करके ईश्वर का ध्यान करें उन्हें प्रणाम करें उनसे अपना कोई भी निवेदन करें। यह गुस्सा कम करने का सबसे बढ़िया तरीका है। इससे आप भड़कने से पहले ही निश्चित रूप से शांत हो जाएँगे।
* जिस स्त्री का पति हर समय बिना बात के ही गुस्सा करता रहता है तो वह स्त्री शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार, सोमवार, गुरुवार या शुक्रवार किसी भी दिन एक नए सफेद कपड़े में एक डली गुड़, चांदी एवं तांबे के दो सिक्के, एक मुट्ठी नमक व गेहूं को बांधकर अपने शयनकक्ष में कहीं ऐसी जगह छिपा कर रख दें जहाँ पति को पता न चले । इसके प्रभाव से भी पति का गुस्सा धीरे-धीरे कम होने लगेगा।
* समान्यता गुस्सा सामने वाले से ज्यादा उम्मीदें पालने से आता है । इसलिए कभी भी सामने वाले से बहुत ज्यादा उम्मीदें ना पालें जिससे आपकी बात ना मानने पर भी आपका दिल बिलकुल ना दुखे ।
वास्तव में गुस्सा एक भयानक तूफ़ान जैसा है, जो जाने के बाद पीछे अपनी बर्बादी का निशान छो़ड जाता हैं। गुस्से में सबसे पहले दिमाग फिर जबान अपना आपा खोती है, वह वो सब कहती है, जो नहीं बिलकुल भी कहना चाहिए और रिश्तों में जबरदस्त क़डवाहट आ जाती है। और तब तो और भी मुश्किल होती है जब गुस्सा हमारे दिमाग में घर कर जाता है और हमारे अन्दर बदला लेने की सामने वाले को नुकसान पहुँचाने की भावना प्रबल हो जाती है ।
कुछ ऐसे उपाय जिससे हम यथासंभव अपने गुस्से पर काबू कर सकते है ।
* दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर पन्द्रह दिन लगातार खाने से गुस्सा शान्त होता है। बर्तन फैंकने वाला, तोड़ फोड़ करने वाला और पत्नि और बच्चों पर हाथ उठाने वाला व्यक्ति भी अपने क्रोध से मुक्ति पा सकेगा। इसके सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।
* प्रतिदिन प्रातः काल आंवले का एक पीस मुरब्बा खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना शीघ्र ही बन्द होगा।
* गुस्सा आने पर दो तीन गिलास खूब ठंडा पानी धीरे धीरे घूँट घूँट लेकर पिएं । पानी हमारेशारीरिक तनाव को कम करके क्रोध शांत करने में मददगार होता है।
* गुस्सा बहुत आता हो तो धरती माता को रोज सुबह उठकर हाथ से पाँच बार छूकर प्रणाम करें और सबसे विशाल ह्रदय धरती माँ से अपने गुस्से पर काबू करने और सहनशील होने का वरदान मागें।
* पलाश के छोटे छोटे पत्तों की सब्जी खाने से गुस्सा, और पित्त जल्दी ही शांत होता है ।
* रविवार को अदरक, टमाटर और लाल रंग के कपड़े गुस्सा अधिक बढ़ाते हैं अत: इनका कम से कम प्रयोग करें ।
* जिनको गुस्सा बहुत आता हो, बात- बात में चिड जाते हो वे सोमवार का उपवास करें, या एक समय भोजन करें। रात कों चन्द्रमा कों अर्घ दें तथा अपने गुस्से पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें । इससे भी मन शान्त रहता है, गुस्से पर नियंत्रण रहता है।
* बहुत अधिक खट्टी, तीखी, मसालेदार चीजें खाने से आँखें जलती हैं, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आता है, शीघ्र गुस्सा आता है, अकारण ही सीने और पेट में जलन होती है अत: इन चीजों का बिलकुल त्याग कर देना चाहिए ।
* जिन्हे ज्यादा गुस्सा आता हो उन्हें चाय, काफी, मदिरा से परहेज करना चाहिए ये शरीर को उत्तेजित करते है उसके स्थान पर छाछ, मीठा दूध या नींबू पानी का प्रयोग करना चाहिए ।
* यदि गुस्सा आने वाला हो तो 5-6 बार गहरी गहरी साँस लीजिए, कुछ पलों के लिए अपनी आँखे बंद करके ईश्वर का ध्यान करें उन्हें प्रणाम करें उनसे अपना कोई भी निवेदन करें। यह गुस्सा कम करने का सबसे बढ़िया तरीका है। इससे आप भड़कने से पहले ही निश्चित रूप से शांत हो जाएँगे।
* जिस स्त्री का पति हर समय बिना बात के ही गुस्सा करता रहता है तो वह स्त्री शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार, सोमवार, गुरुवार या शुक्रवार किसी भी दिन एक नए सफेद कपड़े में एक डली गुड़, चांदी एवं तांबे के दो सिक्के, एक मुट्ठी नमक व गेहूं को बांधकर अपने शयनकक्ष में कहीं ऐसी जगह छिपा कर रख दें जहाँ पति को पता न चले । इसके प्रभाव से भी पति का गुस्सा धीरे-धीरे कम होने लगेगा।
* समान्यता गुस्सा सामने वाले से ज्यादा उम्मीदें पालने से आता है । इसलिए कभी भी सामने वाले से बहुत ज्यादा उम्मीदें ना पालें जिससे आपकी बात ना मानने पर भी आपका दिल बिलकुल ना दुखे ।
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