टोन्सिल (tonsils) हमारे शरीर में पहले से ही मौजूद होता है, यह हमारे जीभ के पीछे की भाग से सटा हुआ होता है | यह हमारे गले में जहा पर नाक का छिद्र तथा मुख का छिद्र मिलता है, ठीक वही पर जीभ के पिछले भाग से जुडा हुआ स्थित पाया जाता है |सामान्य अवस्था में टोन्सिल से किसी भी तरह का परेशानी नहीं होती है परन्तु अगर किसी कारण वास इसमें संक्रमण हो जाये या इसमें सुजन आ जाये तो इससे काफी दर्द होता है | दर्द के कारण कभी कभी खाना खाने में एवं मुह को खुलने में काफी तकलीफ होने लगता है |
टोन्सिल के लक्षण :-गले में खरास महसूस होना |कंठ में तेज दर्द रहना |कान के निचले भाग में भी दर्द रहता है | दर्द के कारण बुखार भी रहता है | शरीर में कमजोरी लगने लगती है | टोन्सिल होने के कारण ठण्ड मौसम के कारण | ठंडी चीज के सेवन करने से | किसी तरह के virus या becteria के कारण हमारे गले में संक्रमण होने से | ice cream खाने या ठंडी शीतल पेय को पिने से | सर्दी जुकाम के कारण भी टोन्सिल होने लगता है |
टोन्सिल का उपचार :- नीबूं और शहद में नमक मिला कर सेवन करने से गले की सुजन भी कम होता है, साथ में गले का खरास भी दूर होता है | एक ग्लास गर्म पानी ले | उसमे एक नीबूं को काट कर उसके आधे भाग से रस को गर्म पानी में निचोड़ दे | फिर उस गर्म पानी में 2 से 3 चम्मच शहद को मिला दे | रोजाना दिन में तीन (3) बार उस घोल को एक सप्ताह तक सेवन करे | गाजर (carrot) – गाजर में कारोतें नाम की gradients होते है जिसके कारण गाजर का रंग लाल होता है | गाजर में पाए जाने वाले यह gradients
antitoxicant होते है | गाजर के सेवन से गले में होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है | जो टोन्सिल (tonsil) होने से भी बचाता है | 2 से तीन गाजर को juice बना कर रोजाना दिन में तीन बार पिये |
चुकुन्दर (beet juice) – beet में भी toxic agents पाए जाते है | जो virus तथा बेक्टेरिया से होने वाले संक्रमण से बचाता है | beet का इस्तेमाल भी juice बनाकर किया जा सकता है |
गर्म पानी से गर्गिल रोजाना सुबह उठ कर एक ग्लास हलके गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिला कर गर्गिल करने से भी tonsil का सुजन कम होने लगता है | क्या न करे :-जैसे-दही , मलाई वाली दूध आदि का सेवन न करे मसालेदार खाना , तला हुआ चीजो को खाने से परहेज करे |
टोन्सिल के लक्षण :-गले में खरास महसूस होना |कंठ में तेज दर्द रहना |कान के निचले भाग में भी दर्द रहता है | दर्द के कारण बुखार भी रहता है | शरीर में कमजोरी लगने लगती है | टोन्सिल होने के कारण ठण्ड मौसम के कारण | ठंडी चीज के सेवन करने से | किसी तरह के virus या becteria के कारण हमारे गले में संक्रमण होने से | ice cream खाने या ठंडी शीतल पेय को पिने से | सर्दी जुकाम के कारण भी टोन्सिल होने लगता है |
टोन्सिल का उपचार :- नीबूं और शहद में नमक मिला कर सेवन करने से गले की सुजन भी कम होता है, साथ में गले का खरास भी दूर होता है | एक ग्लास गर्म पानी ले | उसमे एक नीबूं को काट कर उसके आधे भाग से रस को गर्म पानी में निचोड़ दे | फिर उस गर्म पानी में 2 से 3 चम्मच शहद को मिला दे | रोजाना दिन में तीन (3) बार उस घोल को एक सप्ताह तक सेवन करे | गाजर (carrot) – गाजर में कारोतें नाम की gradients होते है जिसके कारण गाजर का रंग लाल होता है | गाजर में पाए जाने वाले यह gradients
antitoxicant होते है | गाजर के सेवन से गले में होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है | जो टोन्सिल (tonsil) होने से भी बचाता है | 2 से तीन गाजर को juice बना कर रोजाना दिन में तीन बार पिये |
चुकुन्दर (beet juice) – beet में भी toxic agents पाए जाते है | जो virus तथा बेक्टेरिया से होने वाले संक्रमण से बचाता है | beet का इस्तेमाल भी juice बनाकर किया जा सकता है |
गर्म पानी से गर्गिल रोजाना सुबह उठ कर एक ग्लास हलके गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिला कर गर्गिल करने से भी tonsil का सुजन कम होने लगता है | क्या न करे :-जैसे-दही , मलाई वाली दूध आदि का सेवन न करे मसालेदार खाना , तला हुआ चीजो को खाने से परहेज करे |
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