कई सारी बीमारियों से बचाता है इंडियन स्टाइल टॉयलेट।बवासीर और पेट के कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाए।प्राकृतिक तौर पर एक्सरसाइज भी हो जाती है।ये पोटी करने का नैचुरल तरीका भी है।
आजकल अधिकतर घरों में इंडियन की जगह वेस्टर्न स्टाइल टॉयलेट का इस्तेमाल होता है। आजकल वेस्टर्न स्टाइल टॉयलेट का चलन काफी लोकप्रिय है जबकि पहले ये इमरजेंसी में बीमारों के लिए घर में लगवाए जाते थे। इसमें कोई शक नहीं कि इसमें बैठने से आराम मिलता है लेकिन यही आराम कई बार बीमारियों का कारण बन जाता है। वैसे भी अगर आप ध्यान देंगे तो आपको पता चलेगा की वेस्टर्न से जुड़ी हर चीज अधिक से अधिक लोगों को आराम पहुंचाने के लिए होती है और यही आराम लोगों की बीमारियों का कारण बनती है। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे उकड़ूँ बैठककर पॉटी करना यानी की इंडियन स्टाइल टॉयलेट का प्रयोग आपको कई बीमारियों से बचाता है।
बचपन से ही माता-पिता बच्चे को घुटने पर बैठकर पॉटी करना सीखाते हैं जो प्राकृतिक तौर पर पॉटी करने का तरीका है। इंडियन स्टाइल टॉयलेट में जिस उकड़ूँ पोजीशन में बैठकर पॉटी किया जाता है उसे स्क्वाट (squat) यानि उकड़ूँ पोजीशन कहते हैं। आइए जानें इंडियन स्टाइल टॉयलेट में उकड़ूँ बैठकर पॉटी करने के क्या फायदे हैं और ऐसा करके हम कैसे कई बीमारियों से बच सकते हैं।
इंडियन टॉयलेट में बैठकर पोटी करने के फायदे
एक्सरसाइज होती है - इंडियन टॉयलेट में स्क्वाट पोजीशन में बैठ कर पोटी की जाती है जिसमें आपको पैर मोड़ने होते हैं। जिससे हिप्स व घुटने छाती को छूते हैं। इससे पैरों की एक्सरसाइज हो जाती है और मल त्याग करने के लिए किसी भी तरह का प्रेशर नहीं बनाना पड़ता। क्योंकि इस पोज़िशन में बाकी सारा काम ग्रेविटी से हो जाता है और इसके अलावा आपके शरीर के ऊपरी हिस्से से पेट पर बाहरी और आंतरिक दबाव बनता है जो मल त्याग करने में मदद करता है।अपेंडिक्स का खतरा कम - वेस्टर्न टॉयलेट में सबसे अधिक खतरा एपेंडिक्स में मल के टकड़े जाने का होता है। जोकि इंडियन में नहीं होता। दरअसल इंडियन स्टाइल टॉयलेट में सीधे पैर से सेकम (cecum) पर और उल्टे पैर से सिग्मोइड कोलन पर दबाव बनता है। इस तरह से आंत से आने वाला मल शरीर के अन्य हिस्सों या अपेंडक्सि में नहीं जाता।
नहीं होती ये बीमारियां:
बवासीर का खतरा करें कम - इंडियन स्टाइल टॉयलेट में बैठकर पोटी करने से बवासीर का खतरा कम हो जाता है। इस पर जर्नल डिजीज ऑफ दी कोलन एंड रेक्टम में एक अध्ययन भी प्रकाशित हो चुका है, जिसके अनुसार इस पोजीशन में बैठने से एनस और रेक्टम पर दबाव बनता है जिस वजह से मल त्याग में आसानी होती है। मतलब साफ है अगर शरीर में मल जमा रहता है तो आपको कब्ज और बवासीर का खतरा हो जाता है।दूर करें कब्ज की समस्या - इस पोजिशन में बैठकर पोटी करने से कब्ज की समस्या भी दूर हो जाती है। जर्नल यूरिनरी ट्रैक्ट सिम्पटम्स में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार, इस पोजीशन में बैठकर पॉटी करने से शरीर के बॉउल स्प्रिंग में दबाव बनता है जिससे मल त्याग करने में आसानी होती है और मोशन में सुधार होता है।पेट के कैंसर से बचें - ये तरीका पेट के कैंसर से भी बचाता है क्योंकि इस पोजिशन में बैठकर पॉटी करने के दौरान मल का हिस्सा शरीर के अन्य भागों में नहीं जाता जिससे कोलन कैंसर व अपेंडिक्स का खतरा कम होता है।
🌺 सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
"सब सुखी हों, सब निरोग हों, सब कल्याणमयी दृष्टि वाले हों और कोई भी दुःखी न हो।"
आइए ! इस पावन संकल्पना के साथ पारस्परिक सुप्रभात कहें।
आजकल अधिकतर घरों में इंडियन की जगह वेस्टर्न स्टाइल टॉयलेट का इस्तेमाल होता है। आजकल वेस्टर्न स्टाइल टॉयलेट का चलन काफी लोकप्रिय है जबकि पहले ये इमरजेंसी में बीमारों के लिए घर में लगवाए जाते थे। इसमें कोई शक नहीं कि इसमें बैठने से आराम मिलता है लेकिन यही आराम कई बार बीमारियों का कारण बन जाता है। वैसे भी अगर आप ध्यान देंगे तो आपको पता चलेगा की वेस्टर्न से जुड़ी हर चीज अधिक से अधिक लोगों को आराम पहुंचाने के लिए होती है और यही आराम लोगों की बीमारियों का कारण बनती है। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे उकड़ूँ बैठककर पॉटी करना यानी की इंडियन स्टाइल टॉयलेट का प्रयोग आपको कई बीमारियों से बचाता है।
बचपन से ही माता-पिता बच्चे को घुटने पर बैठकर पॉटी करना सीखाते हैं जो प्राकृतिक तौर पर पॉटी करने का तरीका है। इंडियन स्टाइल टॉयलेट में जिस उकड़ूँ पोजीशन में बैठकर पॉटी किया जाता है उसे स्क्वाट (squat) यानि उकड़ूँ पोजीशन कहते हैं। आइए जानें इंडियन स्टाइल टॉयलेट में उकड़ूँ बैठकर पॉटी करने के क्या फायदे हैं और ऐसा करके हम कैसे कई बीमारियों से बच सकते हैं।
इंडियन टॉयलेट में बैठकर पोटी करने के फायदे
एक्सरसाइज होती है - इंडियन टॉयलेट में स्क्वाट पोजीशन में बैठ कर पोटी की जाती है जिसमें आपको पैर मोड़ने होते हैं। जिससे हिप्स व घुटने छाती को छूते हैं। इससे पैरों की एक्सरसाइज हो जाती है और मल त्याग करने के लिए किसी भी तरह का प्रेशर नहीं बनाना पड़ता। क्योंकि इस पोज़िशन में बाकी सारा काम ग्रेविटी से हो जाता है और इसके अलावा आपके शरीर के ऊपरी हिस्से से पेट पर बाहरी और आंतरिक दबाव बनता है जो मल त्याग करने में मदद करता है।अपेंडिक्स का खतरा कम - वेस्टर्न टॉयलेट में सबसे अधिक खतरा एपेंडिक्स में मल के टकड़े जाने का होता है। जोकि इंडियन में नहीं होता। दरअसल इंडियन स्टाइल टॉयलेट में सीधे पैर से सेकम (cecum) पर और उल्टे पैर से सिग्मोइड कोलन पर दबाव बनता है। इस तरह से आंत से आने वाला मल शरीर के अन्य हिस्सों या अपेंडक्सि में नहीं जाता।
नहीं होती ये बीमारियां:
बवासीर का खतरा करें कम - इंडियन स्टाइल टॉयलेट में बैठकर पोटी करने से बवासीर का खतरा कम हो जाता है। इस पर जर्नल डिजीज ऑफ दी कोलन एंड रेक्टम में एक अध्ययन भी प्रकाशित हो चुका है, जिसके अनुसार इस पोजीशन में बैठने से एनस और रेक्टम पर दबाव बनता है जिस वजह से मल त्याग में आसानी होती है। मतलब साफ है अगर शरीर में मल जमा रहता है तो आपको कब्ज और बवासीर का खतरा हो जाता है।दूर करें कब्ज की समस्या - इस पोजिशन में बैठकर पोटी करने से कब्ज की समस्या भी दूर हो जाती है। जर्नल यूरिनरी ट्रैक्ट सिम्पटम्स में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार, इस पोजीशन में बैठकर पॉटी करने से शरीर के बॉउल स्प्रिंग में दबाव बनता है जिससे मल त्याग करने में आसानी होती है और मोशन में सुधार होता है।पेट के कैंसर से बचें - ये तरीका पेट के कैंसर से भी बचाता है क्योंकि इस पोजिशन में बैठकर पॉटी करने के दौरान मल का हिस्सा शरीर के अन्य भागों में नहीं जाता जिससे कोलन कैंसर व अपेंडिक्स का खतरा कम होता है।
🌺 सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
"सब सुखी हों, सब निरोग हों, सब कल्याणमयी दृष्टि वाले हों और कोई भी दुःखी न हो।"
आइए ! इस पावन संकल्पना के साथ पारस्परिक सुप्रभात कहें।
No comments:
Post a Comment