सर्दियों में मीठा सिंघाड़ा हर किसी को पसंद आता है। वह चाहे चटनी के साथ सिंघाड़े की गूदी हो या फिर कच्चा सिंघाड़ा। व्रत में सिंघाड़े के आटे की पूड़ियां और हलवा भी खूब खाया जाता है। सर्दियों की इस खास सब्जी में ढेरों पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। इसमें विटमिन ए, बी और सी भरपूर मात्रा में होता है। यह खनिज लवण और कार्बोहाइड्रेट के गुणों से भी भरपूर होता है। आयुर्वेद में भी सिंघाड़े को गुणों का खजाना बताया गया है।
अस्थमा : अस्थमा के रोगियों के लिए सिंघाड़ा बहुत फायदेमंद होता है। एक चम्मच सिंघाड़े के आटे को ठंडे पानी में मिलाकर खाने से अस्थमा के मरीजों को राहत मिलती है।
बवासीर : जिन्हें बवासीर की समस्या है सिंघाड़ा उनके लिए भी फायदेमंद है। बवासीर की दिक्कत होने पर कच्चा सिंघाड़ा नियमित खाने से परेशानी दूर होगी। कच्चे सिंघाड़े का सीजन न होने पर आटे की रोटियां भी खाई जा सकती हैं।
गर्भाशय के लिए : वो महिलाएं जिनका गर्भाशय कमजोर हो, वे नियमित कच्चा सिंघाड़ा खाएं इससे फायदा होता है।
जलन : सिंघाड़े की बेल को पीसकर उसका पेस्ट शरीर में जलन वाले स्थान पर लगाएं। इससे दर्द में आराम मिलता है।
मांसपेशियां : अगर मांसपेशियां कमजोर हैं या वीकनेस है तो, सिंघाड़ा खाएं। सिंघाड़ा पित्त और कफ को खत्म करता है।
इन्फेक्शन : गले में इन्फेक्शन होने पर सिंघाड़े का आटा दूध में मिलाकर पिएं, तुरंत राहत मिलेगी। घेघा सिंघाड़े में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा होने की वजह से यह घेघा रोग में भी फायदेमंद है। आंखों की रोशनी के लिए सिंघाड़े में विटमिन ए प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से आखों की रोशनी बढ़ती है।
नकसीर : नकसीर फूटने पर सिंघाड़ा खाने से फायदा होता है। सिंघाड़ा खाने से हड्डियां और दांत भी मजबूत होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, सिंघाड़ा खाने से कई बीमारियां दूर होती हैं। अस्थमा के मरीजों के लिए यह खासतौर से फायदेमंद है।
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