यदि खाया हुआ आहार पूरी तरह पच न पाये और आमाशय में इसका अनपका अंश बचता रहे तो यह रोग का कारण हो जाता है। इस अनपके अंश को आम और बोलचाल की भाषा में आंव कहते हैं। यदि अपच की स्थिति होती है तो कब्ज़ की स्थिति भी बन ही जाएगी। कब्ज़ और अपच होने पर वात का प्रकोप होता है और जब आम और वात मिल कर रक्त संचार के साथ शरीर में भ्रमण करने लगते हैं तब इस स्थिति को आमवात होना कहते हैं। यदि इस स्थिति को जल्दी ठीक न किया जाए तो यह स्थिति सन्धिवात में परिवर्तित हो जाती है
जिसे गठिया रोग यानी आर्थराइटिस कहते हैं। यह बड़ी कठिन और लगभग असाध्य स्थिति वाली व्याधि होती है इसलिए आमवात की चिकित्सा में लापरवाही और विलम्ब नहीं करना चाहिए। इस व्याधि को दूर करने वाला एक उत्तम नुस्खा प्रस्तुत है।
नुस्खा- सोंठ 50 ग्राम पीस कर शीशी में भर लें। एक छोटा चम्मच चूर्ण सुबह शाम, कुनकुने गरम पानी के साथ सेवन करने से आम (आंव) का पाचन होता है और आमवात रोग दूर होता है। यदि 3-4 दिन में इस प्रयोग से लाभ न हो तो फिर निम्नलिखित नुस्खा, आराम न हो, तब तक सेवन करें।
दूसरा नुस्खा- अजमोद, वायविडंग, सेन्धा नमक, देवदारु, चित्रकमूल, पीपलामूल, सौंफ, पीपल, काली मिर्च- सब 20-20 ग्राम। छोटी हरड़ 100 ग्राम, विदारा व सोंठ 200-200 ग्राम। प्रत्येक द्रव्य को अलग-अलग कूट पीस व छान कर मिला लें और बाटल में भर लें। सुबह शाम 1-1 चम्मच चूर्ण कुनकुने गरम पानी में घोल कर पी लें या चूर्ण फांक कर ऊपर से पानी पी लें। इस नुस्खे के सेवन से पुराना आमवात भी ठीक हो जाता है। यह नुस्खा सिर्फ वर्षाकाल में ही नहीं किसी भी ऋतु में निरापद रूप से सेवन किया जा सकता है। यह नुस्खा “अजमोदादि चूर्ण’ के नाम से बाज़ार में मिलता है। आमवात के रोगी को दो कारणों से बचना चाहिए। भारी और चिकनाई युक्त पदार्था का सेवन कम मात्रा में करें या रोग दूर न हो तब तक सेवन ही न करें। दूसरा कारण- अच्छी तरह चबाए बिना जल्दी-जल्दी खाना, भोजन के साथ और अन्त में खूब पानी पीना और निश्चित समय पर भोजन न करना।
जिसे गठिया रोग यानी आर्थराइटिस कहते हैं। यह बड़ी कठिन और लगभग असाध्य स्थिति वाली व्याधि होती है इसलिए आमवात की चिकित्सा में लापरवाही और विलम्ब नहीं करना चाहिए। इस व्याधि को दूर करने वाला एक उत्तम नुस्खा प्रस्तुत है।
नुस्खा- सोंठ 50 ग्राम पीस कर शीशी में भर लें। एक छोटा चम्मच चूर्ण सुबह शाम, कुनकुने गरम पानी के साथ सेवन करने से आम (आंव) का पाचन होता है और आमवात रोग दूर होता है। यदि 3-4 दिन में इस प्रयोग से लाभ न हो तो फिर निम्नलिखित नुस्खा, आराम न हो, तब तक सेवन करें।
दूसरा नुस्खा- अजमोद, वायविडंग, सेन्धा नमक, देवदारु, चित्रकमूल, पीपलामूल, सौंफ, पीपल, काली मिर्च- सब 20-20 ग्राम। छोटी हरड़ 100 ग्राम, विदारा व सोंठ 200-200 ग्राम। प्रत्येक द्रव्य को अलग-अलग कूट पीस व छान कर मिला लें और बाटल में भर लें। सुबह शाम 1-1 चम्मच चूर्ण कुनकुने गरम पानी में घोल कर पी लें या चूर्ण फांक कर ऊपर से पानी पी लें। इस नुस्खे के सेवन से पुराना आमवात भी ठीक हो जाता है। यह नुस्खा सिर्फ वर्षाकाल में ही नहीं किसी भी ऋतु में निरापद रूप से सेवन किया जा सकता है। यह नुस्खा “अजमोदादि चूर्ण’ के नाम से बाज़ार में मिलता है। आमवात के रोगी को दो कारणों से बचना चाहिए। भारी और चिकनाई युक्त पदार्था का सेवन कम मात्रा में करें या रोग दूर न हो तब तक सेवन ही न करें। दूसरा कारण- अच्छी तरह चबाए बिना जल्दी-जल्दी खाना, भोजन के साथ और अन्त में खूब पानी पीना और निश्चित समय पर भोजन न करना।
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