Wednesday, 12 October 2016

लकवा (Paralysis)

लकवा (Paralysis) को हिन्दी में पक्षाघात होना अथवा aलकवा मारना भी कहा जाता है। लकवा मारना मस्तिष्क में होने वाली एक प्रकार की बहुत ही गंभीर तथा चिंताजनक बीमारी है। शरीर के अन्य अंगों की तरह हमारे मस्तिष्क को भी लगातार रक्त आपूर्ति की आवश्यकता होती है। रक्त में ऑक्सिजन तथा विभिन्न प्रकार के पोषकतत्व पाये जाते है जो हमारे मस्तिष्क को सही रूप से कार्य करने में काफी मदद करते है।

जब हमारे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह रूक जाता है, तो एक या अधिक मांसपेशी या समूह की मांसपेशियाँ पूरी तरह से कार्य करने में असमर्थ हो जाती है। तब ऐसी स्थिती को पक्षाघात अथवा लकवा मारना कहते हैं। यह बीमारी प्रायः वृद्धावस्था में अधिक पाई जाती है। इस बीमारी में शरीर का कोई हिस्सा या आधा शरीर निष्क्रिय व चेतनाहीन होने लगता है। 

यह बीमारी होने की वजह से व्यक्ति की संवेदना शक्ति समाप्त हो जाती है, तथा वह चलने फिरने तथा शरीर में कुछ भी महसूस करने की क्षमता भी खोने लगता है। शरीर के जिस हिस्से पर लकवा मारता है, वह हिस्सा काम नहीं करता। पक्षाघात कभी भी कहीं भी तथा किसी भी शारीरिक हिस्से में हो सकता है।

 शरीर में लकवा मारने पर लक्षण
1) शरीर में अकडन आना।
 2) शरीर के एक विशेष हिस्से का बार बार सुन्न पड जाना।
 3) हाथ पैर उठाने तथा चलने में परेशानी होना।
 4) अत्याधिक सिरदर्द होना, चक्कर आना, कभी कभी व्यक्ति बेहोश होना है।
 5) सही रूप से बात न कर पाना, बात करने में तकलीफ होना।
6) पक्षाघात होने पर इसका दुष्प्रभाव आंखों पर भी पडने लगता है। तथा उस व्यक्ति को कई बार चीजें धुंधली दिखाई देने लगती हैं। पक्षाघात होने पर आम तौर पर शरीर के एक हिस्से को लकवा मार जाता है। सिर्फ चेहरे, एक बांह, एक पैर, या शरीर और पूरे चेहरे के एक पहलू में लकवा मार सकता है। या दुर्बलता आ सकती है!

पक्षाघात के लिए किये जाने वाले उपाय :

1) 250 ग्राम रिफाइन्ड तेल में 50 से 60 ग्राम काली मिर्च मिलाकर कुछ देर तक पकायें। अब इस तेल से लकवे से प्रभावित अंग पर हल्के हल्के हाथों से लगायें। इस तेल को उसी समय बनाकर गुनगुना करके लगायें। इस इलाज को लगभग एक महीने तक प्रतिदिन नियमित रूप से करें।

2) पक्षाघात के लिए 4 से 5 लहसुन की कलियों को पीसकर उसे 2 चम्मच शहद में मिलाकर चाट लें। इसके अलावा लहसुन की 4 से 5 कलियों को दूध में उबालकर उसका सेवन करने से रक्तचाप भी ठीक रहता है तथा लकवा से ग्रसित अंगों में भी हलचल होने लगती है।

3) देसी गाय के शुद्ध घी की 3 बूदों को हर रोज सुबह शाम नाक में डालने से माइग्रेन की समस्या खत्म हो जाती है। बाल झडना बंद हो जाते हैं तथा लकवा मारने के इलाज में भी बहुत फायदा होता है। 

4) आधा लीटर सरसों के तेल में 50 ग्राम लहसुन डालकर पका लें। अब इसे ठंडा करके इसे अच्छी तरह निचोड लें और एक डिब्बे में रख दें। रोजाना इस तेल से लकवा ग्रस्त प्रभावित क्षेत्र पर मालिश करने से काफी लाभ पहुँचता है।

5) कुछ दिनों तक लकवा से पीडित रोगी को खजूर को दूध में मिलाकर देने से लकवा ठीक होने लगता है।

6) सोंठ तथा उडद को पानी में मिलाकर हल्की आंच पर गर्म करके नियमित रूप से यह पानी रोगी को पिलाने से पक्षाघात में काफी लाभ पहुँचता है।

7) रोजाना, योगासन , प्राणायम तथा कपालभाती जैसी क्रिया नियमित करने से भी पक्षाघात में लाभ पहुँचता है।

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