Thursday, 20 October 2016

आरोग्य - लीवर को ठीक करने के घरेलू नुस्खे :


– रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पी जाएं । हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। यह हेपेटाइटिस बी, सी के वायरस को भी बढ़ने रोकती है।
– भोजन से पहले एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका व एक चम्मच मधु मिलाकर सेवन करने से लीवर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। यह शरीर की चर्बी भी घटाता है।
– लीवर को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन चार-पांच कच्चा आंवला खाना चाहिए। इसमें भरपूर विटामिन सी मिलता है जो लीवर के सुचारु संचलन में मदद करता है।

– लीवर सिरोसिस के लिए पपीता रामबाण इलाज है। प्रतिदिन दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीने से लीवर सिरोसिस ठीक हो जाता है। लीवर की रक्षा के लिए तीन-चार सप्ताह तक नियमित इसका सेवन करना चाहिए।
– लीवर को ठीक रखने के लिए सिंहपर्णी जड़ की चाय दिन में दो बार पीना चाहिए। इसे पानी में उबालकर भी पीया जा सकता है, बाज़ार में सिंहपर्णी का पाउडर भी मिलता है।
– पानी उबाल लें और उसमें मुलेठी की जड़ का पाउडर डाल दें। जब पानी ठंडा हो जाए तो उसे छानकर कर रख लें और दिन में दो बार सेवन करें। इसे चाय के बराबर लेना चाहिए। इससे ख़राब लीवर को ठीक किया जा सकता है।
– अलसी के बीज को पीसकर टोस्ट या सलाद के साथ खाने से लीवर की बीमारियां नहीं होतीं। अलसी में फीटकोंस्टीटूएंट्स होता है जो हार्मोंन को रक्त में घूमने से रोकता है और लीवर का तनाव कम करता है।
– एवोकैडो और अखरोट में ग्लुटथायन मिलता है जो लीवर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
– लीवर सिरोसिस के लिए पालक व गाजर के रस का मिश्रण उत्तम इलाज है। दोनों की मात्रा समान होनी चाहिए। दिन में कम से कम एक बार इसका सेवन जरूर करना चाहिए।
– पत्तेदार सब्ज़ियों व सेब में पेक्टिन पाया जाता है जो पाचन तंत्र के विषैले तत्वों को बाहर निकालकर लीवर को ठीक रखता है।
– भूमि आंवला लीवर की तमाम समस्याओं को दूर करता है। इसे उखाड़कर जड़ सहित पीस लें और पी जाएं। लीवर का सूजन, लीवर का बढ़ना व पीलिया आदि रोगों में यह अत्यंत लाभकारी है।

🌺सर्वे भवन्तु सुखिनः
               सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
             मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
       "सब सुखी हों, सब निरोग हों, सब कल्याणमयी दृष्टि वाले हों और कोई भी दुःखी न हो।"

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