Thursday, 6 October 2016

मुंह का कैंसर कभी नहीं होगा

हम बहुत अत्याचारी हैं। अपने मुँह  साथ हम कितने कुकर्म करते हैं। कितना गर्म खा लेते हैं की मुंह जल जाता है। कितना ठंडा खा लेते हैं की मसूड़े काँप जाते हैं। कितना खट्टा, तीखा, नमकीन, मीठा। नतीजतन बेचारे दांतों और जीभ की दुर्गति हो जाती है। फिर आज कल के पानमसालों  का तो कहना ही क्या। कैंसर को खुला आमंत्रण !!!!! यही नहीं इसी मुंह से कुछ भी बोल देते हैं। भली बातों का प्रतिशत शायद कम ही होता होगा। बुरी बातें ज्यादा ही बोलते हैं। जबकि शब्द को ब्रह्म कहा गया है। जिसका सीधा सम्बन्ध मुंह और आत्मा से होता है। अगर अब भी आपको अपनी गलती का एहसास हो गया हो तो आइये इस मुंह के लिए कुछ अच्छा काम किया जाए --------
कम से कम ५ चम्मच सरसों का तेल मुंह में लीजिये और उसे दांतों से खूब चबाइए। यूं जैसे कि कोई बहुत कठोर चीज चबा रहे हों। ५ मिनट तक चबाने के बाद थूक दीजिये और साफ़ पानी से कुल्ला कर लीजिये। इस तेल को निगलना नहीं है। चबाने की प्रक्रिया के दौरान ये आपके शरीर के जहरीले तत्वों को खींच लेता है। और शरीर को निम्नलिखित फायदे पहुंचाता है ----

पान मसाला खा कर आपने जितने मसूड़े खराब किये हैं वो सही हो जाएंगे।
पायरिया ख़त्म हो जाएंगे।
  दांत मजबूत होंगे और बुढ़ापे में गिरने की संभावना ८०% ख़त्म।
  लीवर सही रहेगा।
जीभ में छाले नहीं पड़ेंगे।
  टांसिल की शिकायत ख़त्म।
    चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ेंगी।
* छः रसों का स्वाद जीभ को महसूस होता रहेगा* अर्थात भोजन का असली आनंद महसूस होगा
  कम सुनने की शिकायत दूर होगी।
आँखों की रोशनी बेहतर रहेगी।

इतने सारे फायदे सिर्फ एक काम से -कि प्रतिदिन सवेरे सरसों का तेल  मुंह में भरकर ५ मिनट तक खूब चबाएं।

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