दमे और सांस की बिमारी हेतु देशी इलाज
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शरद पूर्णिमा को देसी गाय के दूध में दशमूल क्वाथ, सौंठ, काली मिर्च, वासा, अर्जुन की छाल चूर्ण, तालिश पत्र चूर्ण, वंशलोचन, बड़ी इलायची पिप्पली इन सबको आवश्यक मात्रा में मिश्री मिलाकर पकाएं और खीर बना लेंI खीर में ऊपर से शहद और तुलसी पत्र मिला दें, अब इस खीर को तांबे के साफ बर्तन में रात भर पूर्णिमा की चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे ऊपर से जालीनुमा ढक्कन से ढक कर छोड़ दें और अपने घर की छत पर बैठ कर चंद्रमा को अर्घ देकर,अब इस खीर को रात्रि जागरण कर रहे दमे के रोगी को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे प्रातः) सेवन कराएं I
इससे रोगी को सांस और कफ दोष के कारण होने वाली तकलीफों में काफी लाभ मिलता है I रात्रि जागरण के महत्व के कारण ही इसे जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है , इसका एक कारण रात्रि में स्वाभाविक कफ के प्रकोप को जागरण से कम करना हैI इस खीर को मधुमेह से पीड़ित रोगी भी ले सकते हैं, बस इसमें मिश्री की जगह प्राकृतिक स्वीटनर स्टीविया की पत्तियों को मिला दें I
उक्त खीर को स्वस्थ व्यक्ति भी सेवन कर सकते हैं ,बल्कि इस पूरे महीने मात्रा अनुसार सेवन करने साइनोसाईटीस जैसे उर्ध्वजत्रुगत (ई.एन.टी.) से सम्बंधित समस्याओं में भी लाभ मिलता हैI कई आयुर्वेदिक चिकित्सक शरद पूर्णिमा की रात दमे के रोगियों को रात्रि जागरण के साथ कर्णवेधन भी करते हैं, जो वैज्ञानिक रूप सांस के अवरोध को दूर करता हैI तो बस शरद पूर्णिमा को पूनम की चांदनी का सेहत के परिप्रेक्ष्य में पूरा लाभ उठाएं बस ध्यान रहे दिन में सोने को अपथ्य माना गया है।
👁 नेत्रों को बेहतर बनाये 👁
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त्रिफला, शहद और देसी गाय के शुद्ध घी का 02:02:01 के अनुपात में मिश्रण तैयार करके उसे आजकी पूरी रात को चांदनी में रखो । फिर उस मिश्रण को काँच की बाटल में रख लें । फिर अगले 40 दिनों तक इस मिश्रण को 11 ग्राम सुबह शाम लें । आंखें बेहतर होगी मोतिया न मोतियाबिंद न लेंस ।
👁 एक और प्रयोग 👁
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वर्षभर आंखें स्वस्थ रहे, इसके लिए आज की रात को चन्द्रमा की चांदनी में एक सुई में धागा पिरोने का प्रयास करें । कोई अन्य प्रकाश नहीं होना चाहिए । आज 15-20 मिनट चन्द्रमा की ओर देखते हुए त्राटक करने से भी आखों की रौशनी बढती है l
आज से करिये बलशाली प्रयोग
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शरद पूर्णिमा के बाद पुष्ट हुए आँवलों के रस 4 चम्मच, शुद्ध शहद 2 चम्मच् व गाय का घी 1 चम्मच मिलाकर नियमित सेवन करें। इससे बल, वर्ण, ओज, कांति व दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है।
आज दर्शन के लाभ
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इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना। एक-आध मिनट आँखें पटपटाना। कम-से-कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्तसंबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी। फिर छत पर या मैदान में विद्युत का कुचालक आसन बिछाकर लेटे-लेटे भी चंद्रमा को देख सकते हैं।
जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सूई में धागा पिरोने की कोशिश करें। इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक हैं। शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9 से 12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढँककर रखी हुई दूध-पोहे अथवा दूध- चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए। देर रात होने के कारण कम खायें, भरपेट न खायें, सावधानी बरतें।
कल सुबह 10 बजे तक अवश्य
करे इस प्रयोग को
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शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए यदि आप धन की इच्छा रखते हैं तो तो इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ के नीचे मां लक्ष्मी का पूजन करें और लक्ष्मी को घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें। इससे लक्ष्मी की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी। कल सुबह 10 बजे तक ही पूर्णिमा हैं
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शरद पूर्णिमा को देसी गाय के दूध में दशमूल क्वाथ, सौंठ, काली मिर्च, वासा, अर्जुन की छाल चूर्ण, तालिश पत्र चूर्ण, वंशलोचन, बड़ी इलायची पिप्पली इन सबको आवश्यक मात्रा में मिश्री मिलाकर पकाएं और खीर बना लेंI खीर में ऊपर से शहद और तुलसी पत्र मिला दें, अब इस खीर को तांबे के साफ बर्तन में रात भर पूर्णिमा की चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे ऊपर से जालीनुमा ढक्कन से ढक कर छोड़ दें और अपने घर की छत पर बैठ कर चंद्रमा को अर्घ देकर,अब इस खीर को रात्रि जागरण कर रहे दमे के रोगी को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे प्रातः) सेवन कराएं I
इससे रोगी को सांस और कफ दोष के कारण होने वाली तकलीफों में काफी लाभ मिलता है I रात्रि जागरण के महत्व के कारण ही इसे जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है , इसका एक कारण रात्रि में स्वाभाविक कफ के प्रकोप को जागरण से कम करना हैI इस खीर को मधुमेह से पीड़ित रोगी भी ले सकते हैं, बस इसमें मिश्री की जगह प्राकृतिक स्वीटनर स्टीविया की पत्तियों को मिला दें I
उक्त खीर को स्वस्थ व्यक्ति भी सेवन कर सकते हैं ,बल्कि इस पूरे महीने मात्रा अनुसार सेवन करने साइनोसाईटीस जैसे उर्ध्वजत्रुगत (ई.एन.टी.) से सम्बंधित समस्याओं में भी लाभ मिलता हैI कई आयुर्वेदिक चिकित्सक शरद पूर्णिमा की रात दमे के रोगियों को रात्रि जागरण के साथ कर्णवेधन भी करते हैं, जो वैज्ञानिक रूप सांस के अवरोध को दूर करता हैI तो बस शरद पूर्णिमा को पूनम की चांदनी का सेहत के परिप्रेक्ष्य में पूरा लाभ उठाएं बस ध्यान रहे दिन में सोने को अपथ्य माना गया है।
👁 नेत्रों को बेहतर बनाये 👁
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👁 एक और प्रयोग 👁
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वर्षभर आंखें स्वस्थ रहे, इसके लिए आज की रात को चन्द्रमा की चांदनी में एक सुई में धागा पिरोने का प्रयास करें । कोई अन्य प्रकाश नहीं होना चाहिए । आज 15-20 मिनट चन्द्रमा की ओर देखते हुए त्राटक करने से भी आखों की रौशनी बढती है l
आज से करिये बलशाली प्रयोग
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शरद पूर्णिमा के बाद पुष्ट हुए आँवलों के रस 4 चम्मच, शुद्ध शहद 2 चम्मच् व गाय का घी 1 चम्मच मिलाकर नियमित सेवन करें। इससे बल, वर्ण, ओज, कांति व दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है।
आज दर्शन के लाभ
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इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना। एक-आध मिनट आँखें पटपटाना। कम-से-कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्तसंबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी। फिर छत पर या मैदान में विद्युत का कुचालक आसन बिछाकर लेटे-लेटे भी चंद्रमा को देख सकते हैं।
जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सूई में धागा पिरोने की कोशिश करें। इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक हैं। शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9 से 12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढँककर रखी हुई दूध-पोहे अथवा दूध- चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए। देर रात होने के कारण कम खायें, भरपेट न खायें, सावधानी बरतें।
कल सुबह 10 बजे तक अवश्य
करे इस प्रयोग को
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शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए यदि आप धन की इच्छा रखते हैं तो तो इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ के नीचे मां लक्ष्मी का पूजन करें और लक्ष्मी को घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें। इससे लक्ष्मी की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी। कल सुबह 10 बजे तक ही पूर्णिमा हैं
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