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Wednesday, 19 April 2017

Cataract


आयुर्वेद के अनुसार मोतियाबिंद छह प्रकर का होता है-
1. वाजत मोतियाबिंद
2. कफज मोतियाबिंद
3. पित्तज मोतियाबिंद
4. सन्निपातज मोतियाबिंद
5. रक्तज मोतियाबिंद
6. परिम्लामिन मोतियाबिंद
रोग के लक्षण
वातज मोतियाबिंद में रोगी को सभी चीजें चलती-फिरती और मलिन दिखाई देती हैं। कफज मोतियाबिंद में चीजें चिकनी और सफेद दिखाई देती हैं तथा आंखों में पानी-सा भरा रहता है।

पित्तज मोतियाबिंद में आग, सूर्य, चन्द्रमा, आकाश, नक्षत्र, इन्द्रधनुष आदि चमकदार चीजें नीलापन लिए चलती-फिरती दिखाई पड़ती हैं। सन्निपातज मोतियाबिंद में रोगी की देखने की स्थिति विचित्र सी हो जाती है। चीजें तरह-तरह के आकार और अधिक या कम रंग वाली नजर आती हैं। सभी चीजें चमकीली दिखाई पड़ती हैं। रोगी को वातज, कफज व पित्तज मोतियाबिंद के मिले-जुले लक्षण दिखाई पड़ते हैं।



मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज
Treatment of Cataract in Hindi
रक्त मोतियाबिंद में सभी चीजें लाल, हरी, काली, पीली और सफेद नजर आती हैं। परिम्लामिन मोतियाबिंद में सभी ओर पीला-पीला नजर आता है। ऐसा लगता है जैसे कि पेड़-पौधों में आग लग गई हो। सभी चीजें ज्वाला से घिरी दिखाई पड़ती हैं। इसे ‘मूर्छित हुए पित्त का मोतियाबिंद’ भी कहते हैं।

सभी प्रकार के मोतियाबिंद में आंखों के आस-पास की स्थिति भी अलग-अलग होती है। वातज मोतियाबिंद में आंखों की पुतली लालिमायुक्त, चंचल और कठोर होती है। पित्तज मोतियाबिंद में आंख की पुतली कांसे के समान पीलापन लिए होती है। कफज मोतियाबिंद में आंख की पुतली सफेद और चिकनी होती है या शंख की तरह सफेद खूँटों से युक्त व चंचल होती है। सन्निपात के मोतियाबिंद में आंख की पुतली मूंगे या पद्म पत्र के समान तथा उक्त सभी के मिश्रित लक्षणों वाली होती है। परिम्लामिन में आंख की पुतली भद्दे रंग के कांच के समान, पीली व लाल सी, मैली, रूखी और नीलापन लिए होती है।

मोतियाबिंद का आयुर्वेदिक इलाज

आयुर्वेद में मोतियाबिंद के अनेक सफल योग हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-


आंखों में लगाने वाली औषधियाँ-
* मोतियाबिंद की शुरुआती अवस्था में भीमसेनी कपूर स्त्री के दूध में घिसकर नित्य लगाने पर यह ठीक हो जाता है।

* हल्के बड़े मोती का चूरा 3 ग्राम और काला सुरमा 12 ग्राम लेकर खूब घोंटें। जब अच्छी तरह घुट जाए तो एक साफ शीशी में रख लें और रोज सोते वक्त अंजन की तरह आंखों में लगाएं। इससे मोतियाबिंद अवश्य ही दूर हो जाता है।

* छोटी पीपल, लाहौरी नमक, समुद्री फेन और काली मिर्च सभी 10-10 ग्राम लें। इसे 200 ग्राम काले सुरमा के साथ 500 मिलीलीटर गुलाब अर्क या सौंफ अर्क में इस प्रकार घोटें कि सारा अर्क उसमें सोख लें। अब इसे रोजाना आंखों में लगाएं।

* 10 ग्राम गिलोय का रस, 1 ग्राम शहद, 1 ग्राम सेंधा नमक सभी को बारीक पीसकर रख लें। इसे रोजाना आंखों में अंजन की तरह प्रयोग करने से मोतियाबिंद दूर होता है।

* मोतियाबिंद में उक्त में से कोई भी एक औषधि आंख में लगाने से सभी प्रकार का मोतियाबिंद धीरे-धीरे दूर हो जाता है। सभी औषधियां परीक्षित हैं।

*सफेद प्याज का रस 10 मिलीलीटर , निम्बू का रस , अदरक का रस 10 मिलीलीटर , निम्बू का रस 10 मिलीलीटर , शहद 50 मिलीलीटर सभी सामग्रियों को मिलाकर एक शीशे में भरकर धूप में रख दें जब मोटे पदार्थ नीचे बैठ जायंगे तो उपर वाला पानी अप की दवा इसकी 2-2 बूढ़े सुबहे शाम आखो में डालने से मोतियबिंद ठीक हो जाता है



खाने वाली औषधियाँ-
आंखों में लगने वाली औषधि के साथ-साथ जड़ी-बूटियों का सेवन भी बेहद फायदेमन्द साबित होता है। एक योग इस प्रकार है, जो सभी तरह के मोतियाबिंद में फायदेमन्द है-

* 500 ग्राम सूखे आँवले गुठली रहित, 500 ग्राम भृंगराज का संपूर्ण पौधा, 100 ग्राम बाल हरीतकी, 200 ग्राम सूखे गोरखमुंडी पुष्प और 200 ग्राम श्वेत पुनर्नवा की जड़ लेकर सभी औषधियों को खूब बारीक पीस लें। इस चूर्ण को अच्छे प्रकार के काले पत्थर के खरल में 250 मिलीलीटर अमरलता के रस और 100 मिलीलीटर मेहंदी के पत्रों के रस में अच्छी तरह मिला लें। इसके बाद इसमें शुद्ध भल्लातक का कपड़छान चूर्ण 25 ग्राम मिलाकर कड़ाही में लगातार तब तक खरल करें, जब तक वह सूख न जाए। इसके बाद इसे छानकर कांच के बर्तन में सुरक्षित रख लें। इसे रोगी की शक्ति व अवस्था के अनुसार 2 से 4 ग्राम की मात्रा में ताजा गोमूत्र से खाली पेट सुबह-शाम सेवन करें।

फायदेमन्द व्यायाम व योगासन-
* औषधियाँ प्रयोग करने के साथ-साथ रोज सुबह नियमित रूप से सूर्योदय से दो घंटे पहले नित्य क्रियाओं से निपटकर शीर्षासन और आंख का व्यायाम अवश्य करें।

Tuesday, 24 January 2017

मोतियाबिंद

हम सभी जानते हैं कि आंख एक कैमरे के समान है। कैमरे की तरह आंख में भी शक्तिशाली पारदर्शक लेंस होता है,
यह लेंस जब किसी कारण से अपनी पारदर्शिता खो बैठता है और अपारदर्शी हो जाता है, तो उसे मोतियाबिंद कहते है।

मोतियाबिंद का होमियोपैथिक उपचार
मोतियाबिंद की प्रमुख औषधियाँ हैं – ‘कैल्केरियाक्लोर’, ‘कॉस्टिकम’, ‘सिनेरिया’, ‘कोनियम’, ‘यूफ्रेशिया’, ‘फॉस्फोरस’, ‘साइलेशिया’, ‘सल्फर’, ‘नेफ्थेलीन’,’प्लेटिनम’।

कॉस्टिकम : पलकों की सूजन, आंखों के आगे काले धब्बे दिखाई देना, धुंधलापन जैसे आंखों के आगे कोई चीज है, ठंड में ठंडी हवा से परेशानी, ऊपरी पलकें नीचे की तरफ लटक जाना, आंखों के आगे ऐसा महसूस होना, जैसे कोहरा या बादल है आदि लक्षण मिलने पर ‘कॉस्टिकम’ 200 एक हफ्ते में एक बार लेनी चाहिए।

फॉस्फोरस : मोतियाबिंद, ऐसा महसूस होना, जैसे दिखाई पड़ने वाली सभी वस्तुओं पर धूल जमी हुई है, आंखों पर कोई चीज चिपकी हुई है, आंखों के सामने काले धब्बे, मोमबत्ती के चारों ओर हरा प्रकाशयुक्त घेरा दिखाई पड़ना, अक्षर लाल रंग के दिखाई देते हैं, आप्टिक नर्व सिकुड़ जाती है, पलकों पर सूजन, आंख के भीतरी भाग की झिल्ली सफेद दिखाई पड़ने लगती है, कभी-कभी एक की जगह दो वस्तुएं दिखाई पड़ने लगती हैं। आंख की परेशानी के साथ ही बुढ़ापे में गुर्दो की भी परेशानी, क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है, छूने से परेशानी बढ़ जाती है, अंधेरे में एवं ठंडे पानी से धोने पर आराम मिलता है। उक्त लक्षणों के आधार पर ‘फॉस्फोरस’ 30 एवं 200 शक्ति में प्रयुक्त करनी चाहिए।

मोतियाबिंदु के लिए
Calc.flour 6X इस दवा की 4 गोलिया दिन में 3 बार ले और साथ में Cineraria maritima succuss इस दवा की 2 बूंदे दोनों आंखोंमें दिन में 2 से 3 बार डालते रहे। इन दोनों दवा के उपयोग से शुरुआती चरण का मोतियाबिंदु 6 महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।
ये अजमाया हुवा नुस्खा है और अगर आपमें मोतियाबिंदु की शुरुवात हो गयी है तो इस फार्मूला को जरूर 6 महीने के लिए प्रयोग करे आपको मोतियाबिंदु के लिए ऑपरेशन करने की नौबत नही आएगी।
ये दोनों दवा होमिओपेथी के दुकान में मिलेगी।