Tuesday, 31 January 2017

गैस और कब्ज से छुटकारा दिलाने वाला गैसहर चूर्ण।


गैस और कब्ज एक ऐसी बीमारी हैं जो होती तो गलत खान पान से या गलत जीवन शैली से हैं। मगर एक बार हो जाए तो जिन्न की तरह पीछे पड़ जाती हैं और पीछा नहीं छोड़ती। और बड़े से बड़ा आदमी भी इस के आगे बेबस सा बन जाता हैं। तो आइये जाने इस से बचने का एक ऐसा रामबाण इलाज जो सफलता पूर्वक आजमाया हुआ हैं।

गैस और कब्ज से छुटकारा दिलाने वाला गैसहर चूर्ण।
छोटी हरड़ (हर्रे) एक किलो ले कर इसको साफ़ कर लीजिये। इसको दही की छाछ में फुलाइये। फूलने के लिए सुबह छाछ में डाल दीजिये। दूसरे दिन छाछ से निकले, साफ़ करे और छाया में एक कपडे के ऊपर डाल कर सुख लीजिये। जब सूख जाए तो ताज़ा छाछ में दोबारा डाल दीजिये। छाछ में डाल कर सुखाने को ‘मही की भावना’ देना कहते हैं। इस प्रकार इन हर्रो को मही की 3-4-6 तक भावनाए दीजिये। भावना देने के बाद, सूख जाने पर इनको पीस लीजिये। और बारीक चलनी से छान लीजिये।

इस प्रकार बनाये गए एक किलो छोटी हरड़ के चूर्ण में एक पाव अजवायन पी कर मिला लीजिये। फिर इस चूर्ण में काला नमक रूचि के अनुसार मिला लीजिये। बस, उत्तम गैसहर चूर्ण तैयार हैं।

सेवन विधि –
भोजन के बाद, सेहत के अनुसार, यह चूर्ण गुनगुने पानी से ले। (ठन्डे पानी से भी ले सकते हैं) ।

इसके सेवन के तीन फायदे होंगे।
1. गैस की तकलीफ कभी नहीं होगी।
2. तकलीफ होने पर 5-६ मिनट में आराम होता हैं।
3. पाचन शक्ति बढ़ेगी। दस्त साफ़ होंगे।

गैस का दर्द दूर करने के लिए ये अचूक, शर्तिया दवा हैं।

चूर्ण बनाने की दूसरी विधि।
इन हर्रो को रेत में भून लीजिये। बहुत फूलेंगी। फूलने के बाद इनको पीस कर चूर्ण कर लीजिये। और बाकी सामान वैसे ही डालिये, जैसा ऊपर बताया हैं।

इस चूर्ण में 60 ग्राम सनाय (सोनामुखी) की पत्ती को हल्का भूनकर चूर्ण बनाकर डालने से पुराने से पुराना बुद्धकोष्ठ (कब्ज) भी हफ्ते भर में ठीक हो जाता हैं। सनाय की पत्ती, बिना भून कर डालने से पेट में मरोड़ आती हैं।

अनुभव – श्री जी. पी. पराड़कर, (बड़-बन) पंचवटी, छिंदवाड़ा का हैं। वो कहते हैं के वो हर साल चार पांच किलो हर्र का चूर्ण बना कर रख लेते हैं। घर और मोहल्ले वाले और रिश्तेदार विश्वस्त रूप से इस चूर्ण का उपयोग करते हैं।

सौजन्य से – स्वदेशी चिकित्सा के चमत्कार – डॉक्टर अजीत मेहता।

तुलसी, अदरक और लौंग


छोटी-छोटी हेल्थ प्रॉब्लम्स होने पर भी तुरंत दवा खाना कुछ लोगों की आदत होती है। इसका मुख्यकारण घरेलू नुस्खों व उन्हें अपनाएं जाने के सही तरीके की जानकारी न होना है। ये हेल्थ प्रॉब्लम्स ऐसी होती हैं जिन्हें बिना दवा खाए घरेलू नुस्खे अपनाकर भी ठीक किया जा सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही घरेलू नुस्खे जो सिरदर्द, सर्दी-जुकाम, पेटदर्द जैसी छोटी प्रॉब्लम्स में रामबाण की तरह काम करते हैं....

- कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है।- कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।

-अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं। साथ ही अदरक दांतों को भी स्वस्थ रखता है।अदरक का एक छोटा टुकड़ा छीले बिना (छिलकेसहित) गर्म करके छिलका उतार दें। इसे मुंह में रख कर आहिस्ता-आहिस्ता चबाते चूसते रहने से अन्दर जमा और रुका हुआ बलगम निकल जाता है और सर्दी-खांसी ठीक हो जाती है।

- लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है।

- 12 ग्राम गेहूं की राख इतने ही शहद में मिला कर चाटने से कमर और जोड़ों के दर्द में आराम होता है। गेहूं की रोटी एक ओर से सेंक लें और एक ओर से कच्ची रखें । कच्चे वाले भाग में तिल का तेल लगा कर दर्द वाले अंग पर बांध दें। इससे दर्द दूर हो जाएगा।

- हींग, सोंठ, गुड आदि पाचन में बेहद सहायक चीजों का सेवन करने से यह बीमारी जड़ से चली जाती है। थोड़ी सी हल्दी, धनिया, अदरक और काला नमक लेकर इस थोड़े से पानी में उबालें। इस गर्म पानी को पी जाएं। पेट से गैस छू-मंतर हो जाएगी।

-आदिवासियों के अनुसार अर्जुन की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम गुड़, शहद या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार लेने से दिल के मरीजों को काफी फायदा होता है।अर्जुन छाल और जंगली प्याज के कंदो का चूर्ण समान मात्रा में तैयार कर प्रतिदिन आधा चम्मच दूध के साथ लेने से हृदय रोगों में हितकर होता है।

-रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर रहती है।तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।मुंह के छाले दूर होते हैं व दांत भी स्वस्थ रहते हैं।

-तौलिए को गर्म पानी में भिगोकर उसे सिर पर थोड़ी देर रखने से सिरदर्द में तुरंत आराम मिलता है..........

मांस के विरुद्ध डाक्टरों की सम्मतियां


मांस-भक्षण का आचार-विचार पर तो दुष्प्रभाव पड़ता ही है मनुष्य के स्वास्थय पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इस सम्बन्ध में विविध डाक्टरों की सम्मतियां ध्यान देने योग्य हैं―

(1) मांस में प्रोटीन अधिक बताई जाती है यद्यपि प्रोटीन की आवश्यकता है तथापि दो बातें ध्यान में रखनी चाहियें। प्रथम तो आवश्यक प्रोटीन शाकाहार से मिल सकती है, दूसरे आवश्यकता से अधिक प्रोटीन अत्यन्त हानिप्रद है। (अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के डा० रसल, एच० चिर्टिठन पी.एच.डी. कृत फिजियोलोजीकल इकनमी पुस्तक।)

(2) शाकाहारियों में अपडीसाइटीज की बीमारी प्राय: नहीं होती। (फ्रांस के डा० लकसशैम फैनियर)

(3) जिन जातियों में जितना अधिक मांस खाया जाता है उनमें उतनी ही अधिक मात्रा में कैंसर की बीमारी होती है। (डा० लेफन बिल)

(4) जिन देशों में मांस कम मात्रा में या बिल्कुल नहीं खाया जाता उनमें कैंसर की बीमारी थोड़ी होती है। (डा० रसेलकृत 'सब जातियों की शक्ति और खुराक' पुस्तक)

(5) शाकाहारी को टायफाइड ज्वर बहुत कम होता है। (अमेरिका के डा० शिरमेट)

(6) पिछले ४० वर्षों में मेरा परिचय बहुत से शाकाहारियों से हुआ है और उनमें से एक को भी मैंने शराब का सेवन करते हुए नहीं पाया। (डा० हेग)

(7) यह सम्भव है कि कुछ व्यक्ति बिना किसी प्रकार की क्षति के मांस सेवन करते रहें परन्तु यह निश्चय है कि अमानुषिक भोजन का परिणाम जल्दी या देर से अवश्य प्रकट होगा। जिगर और किडनी दूषित होकर अपना काम छोड़ देगी और उसके फलस्वरुप क्षय, कैंसर, गठिया आदि रोग हो जायेंगे। (मेरी ऐस ब्राउन कृत 'शाकाहार के पक्ष में युक्तियां' पुस्तक से)

(8) मैंने मांस सेवन की मात्रा बहुत कम कर दी, जिसका परिणाम यह हुआ कि सिर दर्द, मानसिक थकावट तथा गठिया रोग, जिनसे मैं अनेक वर्षों से पीड़ित था, दूर हो गये। (डा० पार्कस)

(9) मैं ऐसे व्यक्तियों को जानता हूं, जो शाकाहारी होने से स्वस्थ हो गये और कब्ज, गठिया, फिट आदि रोगों से मुक्त हो गये। मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि मांसाहारी की अपेक्षा शाकाहारी कम रोगग्रस्त रहता है। (डा० मेनरी पलड़ों)

(10) दूध, रोटी, मक्खन, शाक, दाल और दलिया बच्चों के लिए सब खानों में सर्वोत्तम है और अच्छी मात्रा में देना चाहिए। मांस खाने वाले बच्चे प्राय: शर्मीले और दुर्बल होते हैं। (डा० टी० यस० क्लाउस्टन एम० डी०)

(11) मांस से यूरिक एसिड गैस बहुत बनती है। इससे कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। एक प्रकार का सिर का दर्द मांस खाने से बढ़ जाता है और जो मांस छोड़ने से अच्छा हो जाता है।

(12) डाक्टर हेग अपनी पुस्तक 'डायट एण्ड फूड़' (खाद्य पदार्थ और भोजन) के १२९ वें पृष्ठ पर लिखते हैं:―
मांस भक्षण सुस्ती लाता है क्योंकि इसके कारण मस्तिष्क, मांसपेशियों, हड्डियों तथा सारे शरीर में रक्त का प्रवाह मन्द और न्यून हो जाता है। रक्त प्रवाह की यह मन्दता और न्यूनता यदि जारी रहे तो परिणाम में स्वार्थ-परता, लोलुपता, भीरुता, अध:पतन, ह्रास और अन्य में विनाश निश्चित है।

दिन प्रतिदिन उच्च कोटि के प्रसिद्ध डाक्टर भी अब मांस भक्षण के विरुद्ध अपना मत देने लग गए हैं। संक्षेप में मांस भक्षण से इतनी हानियां हैं:―

(1) मांसभक्षण अभक्ष्य है, इससे आयु घटती है। शाकाहारी अधिक आयु वाला होता है।

(2) निरामिष आहार की अपेक्षा मांसाहार मनुष्य में सहिष्णुता, शक्ति, स्फूर्ति तथा सामर्थ्य बहुत ही कम उत्पन्न करता है।

(3) दांतों की सफेदी पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

(4) मांसाहार आलस्य, भारीपन तथा शारीरिक श्रम में अरुचि उत्पन्न करता है।

(5) यह सौ में से ९९ मनुष्यों का सफाया कर देता है।

(6) मांसाहारी, ईश्वरभक्ति भी नहीं कर सकता क्योंकि उसमें तामसिक वृत्ति उत्पन्न हो जाती है।

(7) इसके कारण शराब पीने की बुरी और विनाशकारी आदत को प्रोत्साहन मिलता है, जिससे देश के लोगों का जीवन खर्चीला हो जाता है।

(8) मांसाहारी अपनी आध्यात्मिक उन्नति नहीं कर सकता।

(9) मांसाहारी ईश्वर के दण्ड से नहीं बच सकता क्योंकि दूसरे जीव का मांस खाना हिंसा में आता है और हिंसा बहुत बड़ा पाप है। महर्षि पतञ्जली ने योग के नियमों में सबसे पहले 'यम' में अहिंसा को ही स्थान दिया है।

(10) मांसाहारी का लोक भी बिगड़ता है और परलोक भी।

(11) मांसाहारी अधिक देर तक शारीरिक परिश्रम नहीं कर सकता, शाकाहारी की अपेक्षा जल्दी ही थक जायेगा।

(12) मांसाहार जीवन के विनाश की आधारशिला तैयार करता है क्योंकि यह शरीर परमात्मा ने ईश्वर भक्ति व शुभ कर्म करने के लिए दिया है न कि मांस आदि खाने के लिये।

शीशम के वृक्ष का बीमारियों में ऐसे करे इस्तेमाल

शहर या गाँव में सड़क के किनारे आपको आसानी से शीशम का पेड़(Rosewood Tree)देखने को मिल जाएगा लेकिन अगर आप इसके गुणों से अनजान है तो चलिए आज आपको इसके गुणों और उपयोग से भी आपको अवगत कराते हैं कि ये किस काम आती है और ये जानकर आपको हैरानी भी होगी कि आप इसके प्रयोग से कई बीमारियों से निजात पा सकते है

शीशम(Rosewood)का क्या है उपयोग-

1- नीम के पत्ते,शीशम के पत्ते और सदाबहार के पत्ते तीनो को आपस मिला कर लेने से डायबिटीज की बीमारी से होने वाली शिथिलता भी दूर हो जाती है-

2- यदि त्वचा का ढीलापन है तो आप शीशम(Rosewood)के पत्तों को पत्थर पे पीसे और लगाए त्वचा का ढीलापन जाता रहेगा-

3- कोई जहरीला कीड़ा काट ले और उसके काटने से यदि सूजन हो जाती है तो शीशम और नीम के पत्ते को पानी में उबाल कर उस पानी में नमक मिला कर सिकाई करे सूजन जाती रहेगी-

4- यदि शरीर में कही भी कोई गाँठ है तो इस शीशम के पत्तों को पीसकर लगाएं गाँठ धीरे-धीरे ख़त्म होगी अगर आप बिना पीसे सिर्फ पत्तों को तेल लगाकर उपर से गर्म करके पत्तों को बाँध ले तब भी गाँठ समाप्त हो जाती है-

5- गर्मी में जिन लोगों को अधिक प्यास की शिकायत होती है तो इसके पांच पत्तों को पीस ले और मिश्री मिला कर पिए ये आपको ठंडक देगी और बार-बार प्यास लगने की समस्या कम हो जायेगी तथा पसीने से आने वाली बदबू से भी आपको निजात मिल जायेगी-

6- शीशम के पत्ते और मिश्री मिला शर्बत जिसको अधिक माहवारी आती है या पीरियड में दर्द की शिकायत है और रुक-रुक कर पेशाब आता है या फिर सफ़ेद पानी आता है उसके लिए भी ये शर्बत बहुत ही फायदेमंद है-

7- जिन माताओं-बहनों को कम दूध आता है शीशम के पत्ते पीस कर स्तन पे लगाएं इससे दूध पर्याप्त मात्रा में आने लगेगा-पशुओं में भी थनैला रोग में भी इसके पत्तों को लुगदी की तरह पीस कर लगाने से थनैला रोग जाता रहता है-

8- जिन लोगों की आँखों में लाली है या दर्द रहता है या फिर जलन होती है आप इसके पत्तों को पीस कर लुगदी बनाए और इस लुगदी को टिक्की की तरह बना कर आँख की पलकों पर रात को सोते समय बाँध ले सुबह आँखों की लाली जाती रहेगी-

9- यदि किसी को कैंसर की शिकायत है तो उसकी जो भी दवाएं कैंसर की चल रही हैं उसे चलने दें और साथ में शीशम के पेड के पत्तों का जूस भी दस से पंद्रह दिनों तक लें लें फिर उसके बाद शीशम के पत्ते को चबाना हर रोज शुरू करें फिर देखते देखते ही आपको कैंसर के मरीज के अंदर शानदार बदलाव आने दिखने लगेगें और यह बीमारी खत्म हो जाती है-

10- दाद,खाज या त्वचा सम्बंधित किसी भी बिमारी में आप इसकी लकड़ी का तेल बना कर लगाए तथा नियमित मालिस करे इससे त्वचा सम्बंधित सभी रोग ठीक हो जाते है -

तेल कैसे बनायें-

तेल बनाने के लिए आप किसी भी पुराने वृक्ष की लकड़ी लाये और उसे कूट ले फिर जितनी लकड़ी हो उससे चार गुना पानी लेकर धीमी आंच पे पकाए जब पानी एक चौथाई रह जाए तब उस बचे पानी के बराबर सरसों का तेल मिलाये और फिर धीमी आंच पे पकाए जब मात्र तेल रह जाए इसे किसी कांच की शीशी में भर कर रख ले

काले नमक के पानी के फायदे:

सुबह सुबह काला नमक (Black Salt) और पानी मिला कर पीना स्वास्थ के लिए बहुत लाभकारी होता है. इस घोल को सोल वॉटर कहते हैं जो आपकी ब्ल ड शुगर, ब्लहड प्रेशर, ऊर्जा में सुधार, मोटापा और अन्यब तरह की बीमारियां में बहुत लाभकारी होता है.

ध्यानन रखियेगा कि आपको किचन में मौजूद सादे नमक का प्रयोग नहीं करना है. आपको काले नमक का प्रयोग करना है जिसमे 80 खनिज और जीवन के लिए वे सभी आवश्यक प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं.

काले नमक के पानी के फायदे:
1.पाचन दुरुस्तक करे – यह पानी पेट के अंदर प्राकृतिक नमक, हाइड्रोक्लोरिक एसिड और प्रोटीन को पचाने वाले इंजाइम को उत्तेजित करने में मदद करता है। इससे खाया गया भोजन टूट कर आराम से पच जाता है। इसके अलावा इंटेस्टामइनिल ट्रैक्ट और लिवर में भी एंजाइम को उत्तेाजित होने में मदद मिलती है, जिससे खाना पचने में आसानी होती है।
2.नींद लाने में लाभदायक – इसमें मौजूद खनिज हमारी तंत्रिका तंत्र को शांत करता है। नमक, कोर्टिसोल और एड्रनलाईन, जैसे दो खतरनाक सट्रेस हार्मोन को कम करता है। इसलिये इससे रात को अच्छी नींद लाने में मदद मिलती है।
3.शरीर करे डिटॉक्सी - नमक में काफी खनिज होने की वजह से यह एंटीबैक्टीसरियल का काम भी करता है। इसकी वजह से शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीनरिया का नाश होता है।
4.हड्डी की मजबूती - हमारा शरीर हमारी हड्डियों से कैल्शिकयम और अन्यश खनिज खींचता है। इससे हमारी हड्डियों में कमजोरी आ जाती है इसलिये नमक वाला पानी उस मिनरल लॉस की पूर्ती करता है और हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।
5.त्वरचा की समस्याम - नमक में मौजूद क्रोमियम एक्नेअ (Acne) से लड़ता है और सल्फइर से त्वनचा (skin) साफ और कोमल बनती है। इसके अलावा नमक वाला पानी पीने से एक्जितमा (eczima) और रैश (Rashes) की समस्या् दूर होती है।
6.मोटापा घटाए - यह पाचन को दुरुस्ति कर के शरीर की कोशिकाओं तक पोषण पहुंचाता है, जिससे मोटापा कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

नमक वाला पानी बनाने की विधि -
एक गिलास हल्के गरम पानी में एक तिहाई छोटा चम्मिच काला नमक मिलाइये। इस गिलास को प्लािस्टिेक के ढक्कन से ढंक दीजिये। फिर गिलास को हिलाते हुए नमक मिलाइये और 24 घंटे के लिये छोड़ दीजिये। 24 घंटे के बाद देखिये कि क्या काले नमक का टुकड़ा (क्रिस्टऔल) पानी में घुल चुका है। उसके बाद इसमें थोड़ा सा काला नमक और मिलाइये। जब आपको लगे कि पानी में नमक अब नहीं घुल रहा है तो, समझिये कि आपका घोल पीने के लिये तैयार हो गया है।

मुख के स्वास्थ्य के लिये सामान्य नुस्खे

मुंह का स्वास्थ्य



मुंह और दांतों का स्वास्थ्य समाज में सभी के लिये सबसे महत्वपूर्ण है.ऐसी सभी तरह की संभावनाएं हैं कि स्वस्थ मुंह से जीवन स्वस्थ होता है.निम्नलिखित सलाह आपको मुंह के बढ़िया स्वास्थ्य की ओर अग्रसर करेगी.

मसूड़े- गुलाबी का अर्थ है स्वस्थ होना

आपके मसूड़े(जिंजिवे) आपके दांतों को घेरे रख कर उनको अपनी जगह पर जमाए रखते हैं.अपने मसूड़ों को स्वस्थ रखने के लिये मुख की सफाई अच्छी तरह करें—अपने दांतों को रोज दो बार ब्रश करें.दांतों को रोज एक बार फ्लॉस करें और नियमित रूप से अपने डेंटिस्ट के पास जाएं.यदि आपके मसूड़े लाल होकर फूल गए हों या उनसे खून निकलता हो,तो ऐसा संक्रमण के कारण हो सकता है.इसे मसूड़ों का शोथ(जिंजीवाइटिस) कहते हैं.इसके तुरंत उपचार से मुख वापस स्वस्थ हो सकता है.इलाज न करने पर मसूड़ों का शोथ गंभीर रोग में विकसित हो सकता है(पेरीओडाँटाइटिस) और आप अपने दांतों को खो सकते हैं.

मौखिक स्वास्थ्य के लिये ब्रश करना

मौखिक स्वास्थ्य साफ दांतों से शुरू होता है.ब्रश करने की इन मूल बातों को ध्यान में रखें.

अपने दांतों को कम से कम दो बार ब्रश करें.जब आप ब्रश करें तो जल्दबाजी न करें.अचछी सफाई के लिये इसे पर्याप्त समय दें.
अच्छे टूथपेस्ट और टूथब्रश का प्रयोग करें फ्लोराइड टूथपेस्ट और मुलायम ब्रिस्टल वाले टूथब्रश का प्रयोग करें.
अच्छी तकनीक का इस्तेमाल करें अपने टूथब्रश को अपने दांतों से हल्के कोण पर पकड़ें और आगे और पीछे करते हुए ब्रश करें.अपने दांतों की भीतरी और चबाने वाली सतहों और जीभ पर ब्रश करना न भूलें.तेजी से न रगड़े,वरना आपके मसूड़े क्षोभित हो सकते हैं.
टूथब्रश बदलना हर तीन से चार महीनों में नया टूथब्रश खरीदें –या उससे भी पहले यदि ब्रिस्टल फैल गए हों.


हमेशा नरम ब्रिस्टल वाले टूथब्रश का प्रयोग करें.
भोजन के बाद कुल्ला करके सुंह को साफ कर लें.
दांतों के बीच फ्लॉस करके फंसे हुए खाद्य कणों को निकाल दें.
मुंह सूखने पर लार का प्रवाह बढ़ाने के लिये शक्कर रहित चुइंग गम खाएं.
लार का प्रवाह बढ़ाने और चबाने की पेशियों की कसरत के लिये कड़े नट खाएं.
शिशुओं को टूथपेस्ट मटर के आकार जितनी मात्रा में दें और उन्हें ब्रश करने के बाद पेस्ट को थूक देने के लिये प्रोत्साहित करें.
हमेशा बिना अल्कोहल वाले माउथवाश का प्रयोग करें क्यौंकि अल्कोहल युक्त माउथवाश से जीरास्टोमिया(शुष्क मुख) हो जाता है.
जिव्हा को साफ रखने के लिये टंग क्लीनर का प्रयोग करें.जिवाणू से संक्रमित जिव्हा से होने वाले रोगों का एक उदाहरण है, हैलिटोसिस.जिव्हा को टूथब्रश से भी साफ किया जा सकता है.
दांतों के गिर जाने पर डेंटल इम्प्लांट लगाए जा सकते हैं.इनसे क्राउनों या ब्रिजों को सहारा मिलेगा जिससे चेहरा अच्छा दिखेगा और गिरे हुए दांतों के रिक्त स्थानों की समस्या का यह एक हल है.
जिनके दांत घिस गए हों,वे विभिन्न तरह के एनहैंसमेंटों के बारे में सोच सकते हैं.क्राउनों से दांत को मूल आकार में लौटाने का प्रयत्न किया जा सकता है और इम्प्लांटों के लिये अनेक विकल्प उपलब्ध हैं.
अंत में, धूम्रपान मुख के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है,और दांतों को बदरंग बनाने के अलावा,धूम्रपान अन्य कई खतरनाक स्वास्थ्य समस्याओं का स्रोत हो सकता है.

मच्छर बगाने के गरेलू उपाय













घी













नीम













Effect of Not Drinking Enough Water










सरसों का तेल