आँवला रस पित्त व वायु द्वारा होनेवाली ११२ बीमारियों को मार भगानेवाला सर्वश्रेष्ठ रसायन है । इससे शरीर में शीघ्र ही शक्ति, स्फूर्ति, शीतलता व ताजगी का संचार होता है । यह हड्डियों, दाँत व बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है । रक्त व शुक्रधातु की वृद्धि करता है । इसके नियमित सेवन से नेत्रज्योति बढ़ती है तथा हृदय व मस्तिष्क को ताजगी, ठंडक व शक्ति मिलती है । यह वृद्धावस्था को दूर रख चिरयौवन व दीर्घायु प्रदान करता है । आँवला रस आँखों व पेशाब की जलन, अम्लपित्त, श्वेतप्रदर, रक्तप्रदर, बवासीर आदि पित्तजन्य अनेक विकारों को दूर करता है ।
विशेष प्रयोग : * आँवले के रस में २ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण व मिश्री मिला के लेने से शरीरपुष्टि, वीर्यवृद्धि एवं वंध्यत्व में लाभ होता है, संतानप्राप्ति की ऊर्जा बनती है ।
* २-४ ग्राम हल्दी मिला के लेने से स्वप्नदोष, मधुमेह व पेशाब में धातु जाना आदि में लाभ होता है । मिश्री के साथ लेने से स्त्रियों के अधिक मासिक व श्वेतप्रदर रोगों में लाभ होता है ।
* १०-१५ मि.ली. रस में उतना ही पानी मिला के मिश्री या शहद अथवा शक्कर का मिश्रण करके भोजन के बीच में लेनेवाला व्यक्ति कुछ ही सप्ताह में निरोगी काया व बलवृद्धि का एहसास करता है, ऐसा कइयों का अनुभव है । (वैद्य सम्मत)
मात्रा : १५-२० मि.ली. रस (आगे-पीछे २ घंटे तक दूध न लें । रविवार व शुक्रवार को न लें ।)
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