क्या आप जल्दी थक जाते हैं? 10 कदम चलने के बाद ही हांफने की स्थिति आ जाती है। यह आपके रक्त में ऑक्सीजन की कमी के कारण भी हो सकता है। क्या है यह समस्या और इससे बचाव कैसे संभव है, बता रहे हैं जय कुमार सिंह
डॉंक्टर अक्सर खून में ऑक्सीजन की कमी बताते हैं। क्या है इसका अर्थ? क्या होता है इससे? कैसे हो जाती है इसकी कमी? ये सारे सवाल आपके दिमाग में घूम सकते हैं। जाहिर है ऑक्सीजन जैसी चीज, जिसे हम कुदरती रूप से रोजाना लेते हैं, भला रक्त में इसकी कमी कैसे हो सकती है।
दरअसल, यह समस्या वास्तविक रूप से ऑक्सीजन की नहीं, बल्कि हीमोग्लोबिन की है। हीमोग्लोबिन के बिना हमारा सांस लेना नामुमकिन है। हमारे शरीर की 300 खरब लाल रक्त कोशिकाओं की हर एक कोशिका में यह पाया जाता है। लेडी हार्डिंग कॉलेज की डॉक्टर मोनिका पुरी ने बताया कि हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के ऊतकों तक पहुंचाता है। यही उसका प्रमुख काम है। यानी आसान शब्दों में इसे समङों तो इसके बिना हम एक पल भी जिंदा नहीं रह सकते।
मान लें कि कोशिका में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन अणु एक कार की तरह हैं, जिसमें चार दरवाजे हैं और कोशिका ट्रक है। हीमोग्लोबिन अणु का सफर तब शुरू होता है, जब लाल रक्त कोशिकाएं फेफड़ों तक पहुंचती हैं। सांस लेते ही ऑक्सीजन के ढेरों अणु फेफड़ों में पहुंच जाते हैं। मानों सवारियों की एक भीड़ पहुंच गई हो। जैसे ही लाल रक्त कोशिका के बड़े-बड़े ट्रक वहां पहुंचते हैं, ये सवारियां उनमें चढ़ जाती हैं। उस वक्त कोशिका में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन यानी टैक्सियों के दरवाजे बंद होते हैं। लेकिन कुछ ही समय बाद ऑक्सीजन के अणु भीड़-भाड़ से होते हुए टैक्सियों में बैठ जाते हैं।
इस प्रक्रिया के दौरान हीमोग्लोबिन अणु अपना आकार बदलने लगता है। जैसे ही पहला यात्री हीमोग्लोबिन टैक्सी में घुसता है, उसके चारों दरवाजे खुद-ब-खुद खुलने लगते हैं और बाकी यात्री आसानी से इसमें चढ़ जाते हैं। इस प्रक्रिया को कोऑपरेटिविटी कहते हैं। एक ही बार सांस लेने पर लाल रक्त कोशिकाओं के सभी हीमोग्लोबिन की 95 प्रतिशत सीटें भर जाती हैं। एक लाल रक्त कोशिका में 25 करोड़ से भी ज्यादा हीमोग्लोबिन अणु होते हैं, जिनमें तकरीबन 1 अरब ऑक्सीजन अणु समा सकते हैं। हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन अणु को उठा कर उन्हें ऊतकों में छोड़ते हैं।
यदि हीमोग्लोबिन की कमी हो जाए तो लाजमी है कि ऑक्सीजन का स्तर भी घट जाएगा।
क्या-क्या दिक्कतें आ सकती हैं
आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है और हीमोग्लोबिन कम होने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इस स्थिति को एनीमिया कहते हैं।
चेहरा पीला हो जाए तो
हीमोग्लोबिन के घटते ही त्वचा पीली पड़ जाती है और तलवे व हथेलियां ठंडी रहने लगती हैं। इसको सबसे शुरुआती लक्षण मानते हैं। इसके साथ चक्कर आना, जल्दी थक जाना, सीने व सिर में दर्द होना, शरीर ठंडा रहना आंखों के नीचे काले घेरे आदि जैसे लक्षण दिखें तो समझ जाएं कि आपको एनीमिया बीमारी हो गई है।
किसे बनाती है शिकार
महिलाओं में एनीमिया की शिकायत ज्यादा रहती है। माहवारी के समय ज्यादा रक्तस्रव होने की वजह से भी एनीमिया का खतरा रहता है। गर्भवती महिलाओं में भी एनीमिया का प्रभाव अधिक पाया जाता है। गर्भावस्था के दौरान शरीर को अधिक मात्रा में विटामिन, मिनरल, फाइबर आदि की जरूरत होती है। रक्त में लौह तत्वों की कमी होने से शारीरिक दुर्बलता बढ़ती है। डाइटिंग कर रही लड़कियां भी इसकी शिकार हो जाती हैं।
खाने का रखें ख्याल
खून में हीमोग्लोबिन का स्तर सुधरने में और एनीमिया को पूरी तरह ठीक होने में कम-से-कम छह माह का समय लगता है। इस दौरान आयरन युक्त भोजन करना बहुत जरूरी है। इसलिए सोयाबिन, भूना चना, गूड, किशमिश, सूखी खुबानी, हरी बीन्स, पालक और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे आयरन से परिपूर्ण आहार का सेवन महत्वपूर्ण है। एक बात ध्यान देने लायक यह है कि आयरन युक्त डाइट तभी फायदेमंद होती है, जब उसके साथ विटामिन सी का भी सेवन किया जाता है। विटामिन-सी के लिए अमरूद, आंवला और संतरे का जूस लें। आयरन सप्लीमेंट्स बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
खानपान में करें इन्हें शामिल
चुकंदर
यह आयरन का अच्छा स्त्रोत होता है। इसको रोज खाने में सलाद या सब्जी के तौर पर शामिल करने से हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती।
हरी पत्तेदार सब्जियां
पालक, ब्रोकली, पत्तागोभी, गोभी, शलजम और शकरकंद जैसी सब्जियां सेहत के लिए बहुत अच्छी होती हैं। इनमें आयरन प्रचुर मात्रा में होता है। सब्जियां न केवल हीमोग्लोबिन के स्तर को सुधारती हैं, बल्कि वजन कम करने और पाचन ठीक रखने में भी मददगार होती हैं।
सूखे मेवे
खजूर, बादाम और किशमिश का खूब प्रयोग करना चाहिए।
फल
खजूर, तरबूज, सेब, अंगूर और अनार खाने से खून बढ़ता है। अनार खाना एनीमिया में काफी फायदा करता है। प्रतिदिन अनार का सेवन करें।
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