मानव शरीर के कुछ अंग शरीर के अंदर खोखले स्थानों में स्थित है। इन खाेखले स्थानों को "देहगुहा" (body cavity) कहते हैं। देहगुहा चमड़े की झिल्ली से ढकी रहती है। इन गुहाओं की झिल्लियाँ कभी-कभी फट जाती हैं और अंग का कुछ भाग बाहर निकल आता है। ऐसी विकृति को हर्निया (Hernia) कहते हैं।
हिनँया के पृकार
हर्निया कई प्रकार के होते हैं। साधारणत: हर्निया से हमारा आशय उदर हर्निया से ही होता है। स्थान के अनुसार उनका वर्गीकरण किया गया है। कुछ अन्वेषकों के नाम पर भी हर्निया का नाम दिया गया है, जैसे रिक्टर हर्निया। विभिन्न स्थानों के हर्निया इस प्रकार हैं-
lकटिप्रदेश हर्निया
श्रोणि गवाक्ष (obturator) हर्निया
उपजंघिका (perineal) हर्निया
नितंब (gluteal) हर्निया
उदर हर्निया
महाप्राचीरपेशी विवर हर्निया
नाभि हर्निया
परानाभि हर्निया (para numblical)
उर्वी हर्निया, (pectineal)
.वंक्षण हर्निया
हर्निया में निकलनेवाले अंगों के अनुसार भी हर्निया का वर्गीकरण किया गया है।
जिस क्रिया में विस्थापित अंग दबाव आदि से पुन: यथास्थान स्थापित किया जा सकता है वह रिड्यूसिबल (reducible) हर्निया कहलाता है।
शोथ, संकोच आदि के उपद्रवों के कारण जिस हर्निया में विस्थापित अंग पुन: यथास्थान संस्थापित न किया जा सकता हो वह इर्रिड्यूसिबल हर्निया कहलाता है।
लक्षण
हर्निया के स्थान पर गोल उभार होना, कुछ उतरने जैसा अनुभव होता, उभार का अं होने पर उसमें आंत्र कुंजन सुनाई देता है तथा थरथपाने पर अनुवाद सुनाई देता है।
ऊपाय
साैंठ :- 50 gm
गाै मूत्र घन| :- 40 gm
पूनँनवादी मंडूर| :- 15 gm
अेलाेवेरा :- 30 gm
साैंफ :- 20 gm
धनिया :- 50 gm
जीरा :- 20gm
हरडे :- 15 gm
त्रीकटु :- 10gm
प्रवाल पिष्टी :- 10 gm
शंख भस्म| :- 10 gm
गाैदंती भस्म| :- 10 gm
कांचनार गूगल| :- 15 gm
१ -०-१ चम्मच दीन में दाे बार खाली पेट
नमः शिवाय आयुर्वेद ओर सेहत
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