Thursday, 9 February 2017

अश्वगन्धा

अश्वगन्धा यह वर्ष ऋतू में स्वयं उग आता है ।यह मूलतः गर्म क्षेत्रो में पाया जाता है ।इसका पौधा लगभग डेढ़ मिटर ऊँचा हरा रोम युक्त होता है ।इसके फल लम्बे कवच वाले हरे रंग के व पकने पर लाल होता है ।इसके ताजे जड़ से घोड़े के पेशाब की तरह गन्ध आती है । इसीलिये इसे अश्वगन्धा कहते है ।इस पर सितम्बर से अप्रैल तक फूल - फल लगते है । यह लगभग पुरे विश्व में पाया जाता है ।इसे संस्कृत में पलाशपर्णी , अश्वगन्धा , पुष्टिदा हिंदी में- असगन्ध, असगन्धी ।लैटिन में विदानीय सोमनिफेरा के नामो से जाना जाता है ।इसे किराने के दूकान से खरीदे जा सकते है ।

 फायदे - अश्वगन्धा गर्म , शक्तिवर्धक , स्तम्भक , वायु नाशक और शरीर को पुष्टि करने वाला है ।यह बीर्य बढ़ाता है और पर्याप्त ताकत देता है ।इसका सेवन पुरुष - स्त्री , बालक एवं बृद्ध सबके हितकर में है ।इसके सेवन कर अनेक रोगों को दूर किया जाता है
 (1) पौरुष बल बढ़ाने के लिए -सबसे पहले अश्वगन्धा का चूर्ण बनाकर इसे कपड़ा से छान ले । अश्वगन्धा चूर्ण - 6 ग्राम शुद्ध देशी घि - 5 ग्राम और शहद - 10 ग्राम इन सब को एक ग्लास गुनगुने दूध के साथ रात को सोने से पहले ले । एक महीनो के प्रयोग से ही शारीरिक ताकत बढ़ जायेगी । नोट - इसका प्रयोग गर्मियों में न करे ।

(2) श्वेत प्रदर - अश्वगन्धा के चूर्ण को कपड़ा से छान ले । अश्वगन्धा चूर्ण - 5 ग्राम मिश्री - 5 ग्राम प्रतिदिन एक ग्लास गुनगुने दूध के साथ सुबह और सोने से पहले ले । कुछ दिनो के प्रयोग से श्वेत प्रदर के साथ - साथ कमजोरी और कमर दर्द भी दूर होता है । शारीर में स्फूर्ति आजाती है ।

( 3 ) दूध बढ़ाने के लिये - यदि किसी स्त्री को पर्याप्त दूध न उतरता हो तो 150 ग्राम सन्तावर और 150 ग्राम अश्वगन्धा को कूट पीस कर कपड़ा से छान ले ।अब इस चूर्ण में से 10 ग्राम चूर्ण को 100 ग्राम पानी में पकाये लगभग पक कर आधे हो जाए तो इसे आग से उतारकर छान कर मिश्री और दूध के साथ रोजाना सुबह शाम ले ।कुछ ही दिनों के सेवन से स्त्रियों के स्तन में दूध की मात्रा बढ़ जायेगी ।

(4) वायु विकार - सोंठ - 100 ग्राम अश्वगन्धा -200 ग्राम और मिश्री। - 300 ग्राम तीनो को चूर्ण बनाकर दो चम्मच एक ग्लास गुनगुने दूध के साथ सुबह शाम ले । कुछ ही दिनों के सेवन से सभी प्रकार जे वायु विकार जैसे -वदन दर्द, गठिया दर्द , मांस पेशियों का दर्द , स्नायु की कमजोरी , अनिद्रा , कफ विकार , आदि नष्ट हो जाते है ।पाँचन क्रिया ठीक रहती है ।

 (5 ) अश्वगन्धा रसायन - अश्वगन्धा चूर्ण 300 ग्राम , सोंठ पिसी 50 ग्राम , सितोपलादि चूर्ण 100 ग्राम , सत्व गिलोय 50 ग्राम , पिसी हुई मिश्री 150 ग्राम इन सबको पीस कर अच्छी तरह से मिलाकर किसी शीशे के जार में रखले । दो छोटे चम्मच चूर्ण एक कप पानी या दूध के साथ सुबह शसम ले । इसे चार वर्ष से ज्यादे के उम्र के बच्चों को भी दे सकते है । इस अश्वगन्धा रसायन के सेवन से शारीरिक और मानसिक ताकत , रोग प्रतिरोधक ताकत , बच्चों का शारीरिक विकास और महिलाओं के स्तन के विकास पर बढ़िया प्रभाव पड़ता है ।मानसिक श्रम करने वाले बच्चों , शिक्षक , क्लर्क आदि के लीये यह रामबाण का काम करता है ।.

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