परिचय: मलेरिया एक प्रकार का संक्रामक रोग है। यह रोग कई प्रकार के परजीवियों के द्वारा होता है। ये परजीवी मादा मच्छर के शरीर में होते हैं। इन परजीवियों को एनोफलीज कहते हैं।
मलेरिया रोग होने का कारण- जब मादा मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो ये एनोफलीज जीवाणु मच्छर के शरीर से व्यक्ति के खून में चले जाते हैं और व्यक्ति को रोगग्रस्त कर देते हैं। कोई व्यक्ति मलेरिया रोग से पीड़ित हो उसे किसी मच्छर ने काट लिया हो और फिर वही मच्छर किसी दूसरे व्यक्ति को काट लेता है तो दूसरे व्यक्ति को भी मलेरिया रोग हो जाता है।
मलेरिया रोग के लक्षण-
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को ठंड लगकर बुखार आता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर में दर्द भी होता रहता है।
जिस व्यक्ति को मलेरिया रोग होता है उसके पैरों में दर्द होता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को कुछ समय बाद पसीना आकर बुखार हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को चौथे दिन आने वाला बुखार भी हो सकता है तथा उसका बुखार जीवाणुओं के प्रकार पर निर्भर करता है।
मलेरिया रोग के कारण रोगी के शरीर मे खून की कमी भी हो जाती है।
मलेरिया रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
मलेरिया रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को तब तक उपवास रखना चाहिए जब तक कि उसके शरीर सें मलेरिया रोग के लक्षण दूर न हो जाए। फिर इसके बाद दालचीनी के काढ़े में कालीमिर्च और शहद मिलाकर खुराक के रूप में लेना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
यदि किसी व्यक्ति को मलेरिया रोग के कारण बुखार है तो उसे लहसुन का काढ़ा बनाकर पिलाने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित व्यक्ति को उपवास रखने के बाद धीरे-धीरे फल खाने शुरू करने चाहिए तथा इसके बाद सामान्य भोजन सलाद, फल तथा अंकुरित दाल को भोजन के रूप में लेना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से मलेरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी के बुखार को ठीक करने के लिए रोगी को प्रतिदिन गुनगुने पानी का एनिमा देना चाहिए तथा इसके बाद उसके पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए और फिर आवश्यकतानुसार गर्म या ठंडा कटिस्नान तथा जलनेति भी कराना चाहिए। इससे मलेरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
यदि मलेरिया रोग का प्रभाव बहुत तेज हो तो रोगी के माथे पर ठण्डी गीली पट्टी रखनी चाहिए तथा उसके शरीर पर स्पंज, गीली चादर लपेटनी चाहिए और फिर इसके बाद गर्म पादस्नान क्रिया करानी चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा उपचार करने से मलेरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को जिस समय बुखार तेज नहीं हो उस समय उसे कुंजल क्रिया करानी चाहिए। इससे मलेरिया रोग में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
यदि मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को ठंड लग रही हो तो रात को सोते समय उसके पास गर्म पानी की बोतल रखकर उसे कम्बल औढ़ा देना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
रोगी के शरीर पर घर्षण क्रिया करने से मलेरिया रोग बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से विश्राम करना चाहिए तथा इसके बाद रोगी को अपना इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त नीली बोतल का पानी हर 2-2 घंटे पर पिलाने से उसका बुखार जल्दी ठीक हो जाता।
शीतकारी प्राणायाम, शीतली, शवासन तथा योगध्यान करने से भी मलेरिया के रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित व्यक्ति को ठंडा स्पंज स्नान या ठंडा फ्रिक्शन स्नान कराने से उसके शरीर में फुर्ती पैदा होती है और उसका बुखार भी उतरने लगता है।
रोगी की रीढ़ की हड्डी पर बर्फ की मालिश करने से उसका बुखार कम हो जाता है मलेरिया रोग भी ठीक होने लगता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को खुले हवादार कमरे में रहना चाहिए। रोगी को हल्के आरामदायक वस्त्र पहनने चाहिए तथा उसे पूरी तरह आराम करना भी बहुत आवश्यक है।
जब रोगी व्यक्ति का बुखार उतर जाता है और उसकी जीभ की सफेदी कम हो जाती है तो उसे फलों का ताजा रस पीकर उपवास तोड़ देना चाहिए और इसके बाद फलों के ताजा रस, कच्चे सलाद, अंकुरित दालों व सूप का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से रोगी को दुबारा बुखार नहीं होता है और मलेरिया रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को संतरे का रस दिन में 2 बार पीना चाहिए इससे उसका बुखार जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी के पत्तों का सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
तुलसी की पत्तियों को उबालकर उसमें कालीमिर्च पाउडर और थोड़ी चीनी मिलाकर पीने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को दूध नहीं पीना चाहिए लेकिन यदि उसे दूध पीने की इच्छा हो तो दूध में पानी और 1 चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए परन्तु इसमें चीनी बिल्कुल भी नहीं मिलानी चाहिए। इस प्रकार से रोगी व्यक्ति का उपचार करने से मलेरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को अपने चारों ओर साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए और फिर प्राकृतिक चिकित्सा से अपना उपचार करना चाहिए।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को रात में मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए।
आज कल वाइरल fever बहुत फैला हुआ है और उसका कोई इलाज भी नहीं है। वाइरस अपना चक्र पूरा करता ही करता है।
इसके लिये आप
१ छोटा चम्मच सादा सफ़ेद नमकको तवे पर तब तक भूनें जब तक ये अपना रंग न बदलने लगे, रंग बदलते(हल्का भूरा या हल्का सा कालिमा लिए हुए) ही इसे तवे से उतार लें और इसमें तुरंत १ चम्मच अजवाइन भून लें (ध्यान रखें भूनें पर जले न)।
इस मिश्रण को इक ग्लास पानी में घोल कर उसमें इक पूरा नींबू निचोड़ कर पी लें !
एक दिन में ही बुखार छू मंतर होते देखा है !
ये नुस्ख़ा टाइफ़ॉड और malariaमें भी उतना ही कारगर है !
मलेरिया रोग होने का कारण- जब मादा मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो ये एनोफलीज जीवाणु मच्छर के शरीर से व्यक्ति के खून में चले जाते हैं और व्यक्ति को रोगग्रस्त कर देते हैं। कोई व्यक्ति मलेरिया रोग से पीड़ित हो उसे किसी मच्छर ने काट लिया हो और फिर वही मच्छर किसी दूसरे व्यक्ति को काट लेता है तो दूसरे व्यक्ति को भी मलेरिया रोग हो जाता है।
मलेरिया रोग के लक्षण-
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को ठंड लगकर बुखार आता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर में दर्द भी होता रहता है।
जिस व्यक्ति को मलेरिया रोग होता है उसके पैरों में दर्द होता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को कुछ समय बाद पसीना आकर बुखार हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को चौथे दिन आने वाला बुखार भी हो सकता है तथा उसका बुखार जीवाणुओं के प्रकार पर निर्भर करता है।
मलेरिया रोग के कारण रोगी के शरीर मे खून की कमी भी हो जाती है।
मलेरिया रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
मलेरिया रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को तब तक उपवास रखना चाहिए जब तक कि उसके शरीर सें मलेरिया रोग के लक्षण दूर न हो जाए। फिर इसके बाद दालचीनी के काढ़े में कालीमिर्च और शहद मिलाकर खुराक के रूप में लेना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
यदि किसी व्यक्ति को मलेरिया रोग के कारण बुखार है तो उसे लहसुन का काढ़ा बनाकर पिलाने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित व्यक्ति को उपवास रखने के बाद धीरे-धीरे फल खाने शुरू करने चाहिए तथा इसके बाद सामान्य भोजन सलाद, फल तथा अंकुरित दाल को भोजन के रूप में लेना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से मलेरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी के बुखार को ठीक करने के लिए रोगी को प्रतिदिन गुनगुने पानी का एनिमा देना चाहिए तथा इसके बाद उसके पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए और फिर आवश्यकतानुसार गर्म या ठंडा कटिस्नान तथा जलनेति भी कराना चाहिए। इससे मलेरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
यदि मलेरिया रोग का प्रभाव बहुत तेज हो तो रोगी के माथे पर ठण्डी गीली पट्टी रखनी चाहिए तथा उसके शरीर पर स्पंज, गीली चादर लपेटनी चाहिए और फिर इसके बाद गर्म पादस्नान क्रिया करानी चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा उपचार करने से मलेरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को जिस समय बुखार तेज नहीं हो उस समय उसे कुंजल क्रिया करानी चाहिए। इससे मलेरिया रोग में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
यदि मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को ठंड लग रही हो तो रात को सोते समय उसके पास गर्म पानी की बोतल रखकर उसे कम्बल औढ़ा देना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
रोगी के शरीर पर घर्षण क्रिया करने से मलेरिया रोग बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से विश्राम करना चाहिए तथा इसके बाद रोगी को अपना इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त नीली बोतल का पानी हर 2-2 घंटे पर पिलाने से उसका बुखार जल्दी ठीक हो जाता।
शीतकारी प्राणायाम, शीतली, शवासन तथा योगध्यान करने से भी मलेरिया के रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित व्यक्ति को ठंडा स्पंज स्नान या ठंडा फ्रिक्शन स्नान कराने से उसके शरीर में फुर्ती पैदा होती है और उसका बुखार भी उतरने लगता है।
रोगी की रीढ़ की हड्डी पर बर्फ की मालिश करने से उसका बुखार कम हो जाता है मलेरिया रोग भी ठीक होने लगता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को खुले हवादार कमरे में रहना चाहिए। रोगी को हल्के आरामदायक वस्त्र पहनने चाहिए तथा उसे पूरी तरह आराम करना भी बहुत आवश्यक है।
जब रोगी व्यक्ति का बुखार उतर जाता है और उसकी जीभ की सफेदी कम हो जाती है तो उसे फलों का ताजा रस पीकर उपवास तोड़ देना चाहिए और इसके बाद फलों के ताजा रस, कच्चे सलाद, अंकुरित दालों व सूप का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से रोगी को दुबारा बुखार नहीं होता है और मलेरिया रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को संतरे का रस दिन में 2 बार पीना चाहिए इससे उसका बुखार जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी के पत्तों का सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
तुलसी की पत्तियों को उबालकर उसमें कालीमिर्च पाउडर और थोड़ी चीनी मिलाकर पीने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को दूध नहीं पीना चाहिए लेकिन यदि उसे दूध पीने की इच्छा हो तो दूध में पानी और 1 चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए परन्तु इसमें चीनी बिल्कुल भी नहीं मिलानी चाहिए। इस प्रकार से रोगी व्यक्ति का उपचार करने से मलेरिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को अपने चारों ओर साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए और फिर प्राकृतिक चिकित्सा से अपना उपचार करना चाहिए।
मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी को रात में मच्छरदानी लगाकर सोना चाहिए।
आज कल वाइरल fever बहुत फैला हुआ है और उसका कोई इलाज भी नहीं है। वाइरस अपना चक्र पूरा करता ही करता है।
इसके लिये आप
१ छोटा चम्मच सादा सफ़ेद नमकको तवे पर तब तक भूनें जब तक ये अपना रंग न बदलने लगे, रंग बदलते(हल्का भूरा या हल्का सा कालिमा लिए हुए) ही इसे तवे से उतार लें और इसमें तुरंत १ चम्मच अजवाइन भून लें (ध्यान रखें भूनें पर जले न)।
इस मिश्रण को इक ग्लास पानी में घोल कर उसमें इक पूरा नींबू निचोड़ कर पी लें !
एक दिन में ही बुखार छू मंतर होते देखा है !
ये नुस्ख़ा टाइफ़ॉड और malariaमें भी उतना ही कारगर है !
No comments:
Post a Comment