Tuesday, 28 February 2017

कान दर्द के घरेलू उपचार


सर्दी या बरसात के मौसम में कान के रोग हो जाते है। अगर इनका समय से इलाज नहीं किया गया तो सुनने की शक्ति पर असर पड़ सकता है। सर्दी ,लगातार तेज और कर्कश ध्वनि, कान में चोंट, कान में कीडा घुसना या संक्रमण,कान में अधिक मैल जमा होना या नहाते समय कान में पानी प्रविष्ठ होना इनमें से किसी भी कारण से कान में रोग हो सकता है। अगर आपको भी कान के दर्द की समस्या सता रही है तो अपनाएं ये उपाय।

*अदरख का रस निकालकर दो बूँद कान में टपका देने से भी कण के दर्द एवं सूजन में लाभ मिलता है।

*लहसुन की दो कलीयों को अच्छी तरह से पीसकर इसमें एक चुटकी नमक मिलाकर वूलेन कपडे से बनायी गयी पुल्टीस को दर्द वाले हिस्से पर रखें ,जल्दी ही दर्द में आराम होगा।

*10 मिलि तिल के तेल में 3 लहसुन की कली पीसकर इसे किसी बर्तन में गरम करें।फिर छानकर शीशी में भरलें। इसकी 4-5 बूंदें जिस कान में समस्या हो उसमें टपका दें।कान दर्द में लाभ प्रद नुस्खा है।

*जेतुन का तेल हल्का गरम करके कान में डालने से भी कान के दर्द में राहत मिलती है।

*प्याज का रस निकाल लें,अब रुई के फाये को इस रस में डुबोकर इसे कान के उपर निचोड़ दें ,इससे कान में उत्पन्न सूजन,दर्द , एवं संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है।

*तुलसी की ताज़ी पतियों को निचोड़कर दो बूँद कान में टपकाने से कान दर्द से राहत देता है।

मच्छरों

मौसम में गर्माहट आते ही घरों में मच्छरों की तादाद बढ़ने लगती है। ऐसे में बाजार में मौजूद केमिकल्स, स्प्रे और रिफिल्स भी काम नहीं आती हैं। अगर आप भी परेशान हैं तो ये उपाय कर मच्छरों से छुटकारा पाया जा सकता है। एक नजर-

कपूर

कमरे में कपूर जला दें और 10 मिनट के लिए खिड़की और दरवाजों को बंद कर दें। सारे मच्छर भाग जाएंगे।


लहसुन

लहसुन की तेज गंध मच्छरों को दूर रखती है। लहसुन का रस शरीर पर लगाएं या फिर इसका छिड़काव करें।

लैवेंडर

यह न सिर्फ खुशबूदार है पर एक शानदार तरीका भी है मच्छरों से बचने का। इस फूल की खुशबू असरदार होती है जिससे मच्छर भाग जाते हैं। इस घरेलू उपाय के उपयोग के लिए लैवेंडर के तेल को एक कमरे में प्राकृतिक फ्रेशनर के रूप में छिड़कें।

अजवाइन और सरसों का तेल

सरसों के तेल में अजवाइन पाउडर मिलाकर इससे गत्ते के टुकड़ों को तर कर लें और कमरे में ऊंचाई पर रख दें। मच्छर पास भी नहीं आएंगे।

नींबू और नीलगिरी का तेल

मच्छर भगाने वाली रिफिल में लिक्विड खत्म हो जाने पर उसमें नींबू का रस और नीलगिरी का तेल भरकर लगाएं। इस हाथ-पैरों पर भी लगा सकते हैं।

नीम का तेल

नीम के तेल को हाथ-पैरों में लगाएं या फिर नारियल के तेल में नीम का तेल मिलाकर उसका दीया जलाएं।

पुदीना

पुदीने के पत्तों के रस का छिड़ाव करने से मच्छर दूर भागते हैं। इसे शरीर पर भी लगाया जा सकता है।

तुलसी का रस लगाएं
शरीर पर तुलसी के पत्तों का रस लगाने से मच्छर नहीं काटते हैं। घरों में लगा तुलसी का पौधा मच्छरों को दूर रखता है।

अनियमित माहवारी से बचने के लिये घरेलू उपचार

जब किसी महिला को एक या दो महीने में केवल एक बार पीरियड्स होने लगे या फिर एक महीने में दो-तीन बार हो तो इसका मतलब है कि वह अनियमित महावारी से ग्रस्‍त है। यह उस महिला के लिये बहुत ही सीरियस समस्‍या है। इस समस्‍या से आगे चल कर नई शादी शुदा लड़कियां आसानी से मां नहीं बन पाती। इसके अलावा कई और भी स्‍वास्‍थ्‍य संबन्‍धी समस्‍याएं सामने आ सकती हैं। जितनी जल्‍दी हो सके इस समस्‍या से छुटकारा पाना चाहिये और हो सके तो प्राकृतिक इलाज ही करवाना चाहिये। घरेलू उपचार इस अनियमित महावारी से निपटने के लिये बहुत ही अच्‍छा माना जाता है।
एक बात जो आपको ध्‍यान में रखनी है वह यह है कि आपको यह समस्‍या क्‍यों हुई है, इसका पता भी लगाएं। अनियमित महावारी के कई कारण हो सकते हैं जैसे, पौष्टिक आहार ना लेना, जंक फूड का अधिक सेवन, स्‍मोकिंग, शराब, तनाव, वजन का तुरंत बढना या घटना, कीमोथैरेपी, प्रसव, गर्भपात या स्‍तनपान आदि। चलिये जानते हैं कि घरेलू इलाज से किस तरह से अनयिमित महावारी ठीक किया जा सकता है।

ऐसे करें प्राकृतिक उपचार -

- मसालेदार और गर्म खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों और ऐसे अन्य जंक फूड खाने से बचे क्‍योंकि इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है। संतुलित और पौष्टिक आहार खाया जाना चाहिये। फल, अनाज, सब्‍जियां, मीट, दाल और डेयरी प्रोडक्‍ट जरुर खाएं।

- वजन कम करने के चक्‍कर में यदि आप नाश्‍ता या एक टाइम का खाना छोड़ देती हैं तो भी पीरियड्स पर असर पडे़गा। आपको तीन टाइम भोजन जरुर करना चाहिये।

- धनिया या सौंफ के बीज का काढा रोज दिन में एक बार पियें। इन सामग्रियों को रात भर पानी में भिगो कर सुबह पानी छान कर खा लेना चाहिये।

- रात को नीम की छाल को पानी में भिगो दीजिये। दूसरे दिन छाल को पानी से छान लें और इस पानी को दिन में 3 बार पीयें। इससे पीरियड्स समय पर होने लगेगा।

- आप अनियमित महावारी को गाजर और चुकन्‍दर के रस को पी कर भी ठीक कर सकती हैं। हर दिन 3 महीने तक इनके जूस को पीजिये और लाभ उठाइये।

- आप नींबू का रस और दालचीनी का पाउडर एक साथ मिला कर उसे रोजाना पी सकती हैं।

- दिन में दो बार एक चम्‍मच तिल का पाउडर खाइये।

- आप घर पर ऐसा सलाद बना कर खा सकती हैं जिसमें 2 चम्‍मच भिगोई हुई मेथी मिली हो।

- दिन में एक कप बटर मिल्‍क यानी मठ्ठा पीजिये, इसमें पानी भी मिलाइये।

- अंगूर का जूस भी पीरियड को नियमित कर सकता है।

- कच्‍चा पपीता और एलोवेरा का जूस पीजिये।

पीलिया रोग के कारण एवं घरेलू उपचार


पीलिया शरीर मेँ छिपे किसी अन्य रोग का लक्षण है | नवजात शिशुओं मेँ यह रोग सामान्य रुप से पाया जाता है | रोग के लक्षण धीरे-धीरे ही स्पष्ट होते है | एकदम से पीलिया होने की संभावना कम ही होती है |

पीलिया रोग का कारण

जब जिगर से आंतों की ओर पित्त का प्रवाह रुक जाता है तो पीलिया रोग प्रकट होता होता है | पित्त के जिगर मेँ इकट्ठा होकर रक्त मेँ संचार करने से शरीर पर पीलापन स्पष्ट दिखने लगता है | पीलिया रोग प्रमुख रुप से दो प्रकार का होता है | पहला अग्न्याशय के कैंसर या पथरी के कारण | यह पित्त नलिकाओं अवरोध होने से आंतों मेँ पित्त नहीँ पहुंचने के कारण होता है | दूसरे प्रकार का पीलिया लाल रक्त कोशिकाओं के प्रभावित होने तथा शरीर मेँ पित्त की अत्यधिक उत्पत्ति से होता है | मलेरिया तथा हैपेटाइटिस रोग भी पीलिया के कारण होता है | कभी-कभी शराब तथा विष के प्रभाव से भी पीलिया रोग हो जाता है |

पीलिया रोग के लक्षण

रोगी की त्वचा पीली पड़ जाती है | आंखोँ के सफेद भाग मेँ पीलापन झलकना भी पीलिया के प्रमुख लक्षण है | इसके अतिरिक्त मूत्र मेँ पीलापन आ जाता है तथा सौंच सफेद रंग का होता है | त्वचा पर पीलापन छाने से पहले त्वचा मेँ खुजली होती है |

पीलिया रोग का उपचार

1. बड़ा पहाड़ी नीबू का रस पित्त प्रवाह मेँ सुचारु रुप से करने में सहायक होता है |

2. कच्चे आम को शहद तथा कालीमिर्च के साथ खाने से पित्त जन्य रोगो मे लाभ होता है और जिगर को बल मिलता है |

3. चुकंदर का रस भी पित्त प्रकोप को शांत करता है | इसमेँ एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर प्रयोग करते रहने से शीघ्र लाभ होता है |

4. चुकंदर के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से भी पीलिया रोग शांत होता है |

5. सहजन के पत्तों के रास मेँ शहद मिलाकर दिन मेँ दो-तीन बार देने से रोगी को लाभ होता है |

6. अदरक, नींबू और पुदीने के रस मेँ एक चम्मच शहद मिलाकर प्रयोग करना भी काफी फायदेमंद होता है |

7. पीलिया के रोगी को मूली के पत्तो से बहुत अधिक लाभ होता है | पत्तों को अच्छी तरह से रगड़कर उसका रस छानें और उसमेँ छोटी मात्रा में चीनी या गुड़ मिला लेँ | पीलिया के रोगी को प्रतिदिन कम से कम आधा किलो यह रस देना चाहिए | इसके सेवन से रोगी को भूख लगती है और नियमित रुप से उसका मल साफ होने लगता है | रोग धीरे-धीरे शांत हो जाता है |

8. एक गिलास टमाटर के रस में थोड़ा सा काला नमक और काली मिर्च मिला लेँ | इसे प्रातःकाल पीने से पीलिया रोग मेँ काफी लाभ होता है और जिगर ठीक से काम करने लगता है |

9. पीपल के पेड़ की ३-4 नई कोपलेँ अच्छी प्रकार से धोकर मिश्री या चीनी के साथ मिलाकर बारीक बारीक पीस ले | 200 ग्राम जल मेँ घोलकर रोगी को दिन मेँ दो बार पिलाने से ४-5 दिनों मेँ पीलिया रोग से छुटकारा मिल जाता है | पीलिया के रोगी के लिए यह एक बहुत ही सरल और प्रभावकारी उपाय है |

10. फिटकिरी को भूनकर उसका चूर्ण बना लेँ | 2 से 4 रती तक दिन मेँ दो या तीन बार छाछ के साथ पिलाने से कुछ ही दिनोँ मेँ पीलिया रोग मेँ आराम होना शुरु हो जाता है |

11. कासनी के फूलोँ का काढ़ा बनाकर 50 मिलीलीटर तक की मात्रा मेँ दिन मेँ तीन-चार बार देने से पीलिया रोग मेँ लाभ होता है | इसका सेवन करने से बढ़ी हुई तिल्ली भी ठीक हो जाती है | पित्त प्रवाह मेँ सुचरूता तथा जिगर और पित्ताशय को ठीक करने मेँ सहायता मिलती है |

12. गोखरु की जड़ का काढ़ा बनाकर पीलिया के रोगी को प्रतिदिन 50 मिलीलीटर मात्रा दो – तीन बार देने से पीलिया रोग मेँ काफी लाभ होता है |

13. एलोवीरा का गूदा निकाल कर काला नमक और अदरक का रस मिलाकर सुबह के समय देने से लगभग 10 दिनोँ मेँ पीलिया का रोगी ठीक हो जाता है |

14. कुटकी और निशोध दो देसी जड़ी – बूटियाँ है | इन दोनोँ को बराबर मात्रा मेँ लेकर चूर्ण बना लेँ एक चम्मच चूर्ण गर्म जल मेँ रोगी को दे | इस प्रकार दिन मेँ दो बार देने से जल्दी लाभ होने लगता है |

परहेज और सावधानियां

पीलिया के रोगी को मसालेदार और गरिष्ठ भोजन का त्याग करना चाहिए | स्वच्छ पानी उबाल कर ठंडा करके पीना चाहिए | शराब, मांस, धूम्रपान, का सेवन एक दम नहीँ करना चाहिए | अशुद्ध और बासी खाद्द- पदार्थों का सेवन भी नहीं करना चाहिए |

तेजी से खून (हीमोग्लोबिन) बढ़ाने के घरेलु उपाय


शरीर में खून की कमी से बहुत बीमारियां लग सकती हैं। जिस वजह से इंसान कमजोर हो जाता है और उसका शरीर बीमारियों से लड़ नहीं पाता है। इसलिए महिलाओं और पुरूषों को शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने के लिए इन आयुर्वेदिक  उपायों को अपनाना चाहिए।
1. अंकुरित भोजन
आप अपने भोजन में गेहूं, मोठ, मूंग और चने को अंकुरित करके उसमें नींबू मिलाकर सुबह का नाश्ता लें।
2. काफी और चाय खतरनाक
काफी और चाय का सेवन कम कर दें। एैसा इसलिए क्योंकि ये चीजें शरीर को आयरन लेने से रोकते हैं।
3.ठंडा स्नान
दो बार दिन में ठंडे पानी से नहाए और सुबह नहाने के बाद सूरज की रोशनी में बैठें।
4. तिल और शहद
दो घंटे के लिए 2 चम्मच तिलों को पानी में भिगों लें और बाद में पानी से छानकर इसका पेस्ट बना लें। अब इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं और दिन में दो बार सेवन करें।
5. आम
पके आम के गुदे को मीठे दूध के साथ सेवन करें। एैसा करने से खून तेजी से बढ़ता है।
6.सिंघाड़ा
सिंघाड़ा शरीर में खून और ताकत दोनो को बढ़ाता है। कच्चे सिंघाड़े को खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर तेजी से बढ़ता है।
7. मूंगफली और गुड़
शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए मूंगफली के दानों को गुड़ के साथ चबा-चबा कर सेवन करें।
8. मुनक्का, अनाज, किशमिश, दालें और गाजर
मुनक्का, अनाज, किशमिश, दालें और गाजर का नियमित सेवन करें और रात को सोने से पहले दूध में खजूर डालकर उसको पीएं।
9. फलो का सेवन
अनार, अमरूद, पपीता, चीकू, सेब और नींबू आदि फलो का अधिक से अधिक सेवन करें।
10. टमाटर का रस
एक गिलास टमाटर का रस रोज पीने से भी खून की कमी दूर होती है। इसलिए टमाटर का सूप भी बनाकर आप ले सकते हो।
11. आंवले और जामुन का रस
आंवले का रस और जामुन का रस बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
12. हरी सब्जिया
बथुआ, मटर, सरसों, पालक, हरा धनिया और पुदीना को अपने भोजन में जरूर शामिल करें।
13. फालसा
फालसे का शर्बत या फालसे का सेवन सुबह शाम करने से शरीर में खून की मात्रा जल्दी बढ़ती है।
14. सेब का जूस
सेब का जूस रोज पीएं। चुकंदर के एक गिलास रस में अपने स्वाद के अनुसार शहद मिलाकर इसे रोज पीएं। इस जूस में लौह तत्व ज्यादा होता है।
15. लहसुन
शरीर में खून को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से लहसुन और नमक की चटनी का सेवन करे। यह हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करता है।

कुलंजन

परिचय :

          कुलंजन का पौधा 6 से 7 फुट ऊंचा होता है। इसकी डालियों में बहुत अधिक पत्ते होते हैं। इसके पत्ते 1 से 2 फुट लम्बे, 4 से 6 इंच चौडे़ एवं ऊपर से नोकदार होते हैं। इसके पत्ते ऊपर से चिकने व नीचे से रोएंदार होते हैं। इसके फूल छोटे-छोटे, थोडे़ मुड़े हुए, हरापन लिए, सफेद, गुच्छों में लगे होते हैं। कुलंजन के फूल गर्मी के मौसम में लगते हैं। इसके फल गोल नींबू की तरह होते हैं। इसकी जड़ सुगंधित होती है और इसकी जड़ में आलू की तरह गांठे होती है। इसकी जड़ ऊपर से लाल और अन्दर से पीले रंग की होती है।

आयुर्वेद के अनुसार : कुलंजन का रस कटु, रूखा, तीखा व गर्म होता है। कुलंजन के फल कडुवा होता है। यह कफ-वात को नष्ट करने वाला होता है। यह खांसी, ‘वास, स्वर विकार, हकलाहट, नाड़ी दुर्बलता, वात रोग, पेट का दर्द, मंदाग्नि, अरुचि, मुंह की बदबू, प्रमेह, नपुंसकता, सिर दर्द आदि में लाभकारी होता है।

यूनानी चिकित्सकों के अनुसार : कुलंजन तेज, गंधयुक्त व जायकेदार होता है। यह नाड़ियों की कमजोरी को दूर करता है, पाचनशक्ति को तेज करता है, नपुंसकता को दूर करता है एवं कफ को नष्ट करता है। यह कामोत्तेजक होता है है। इसके उपयोग से कमर दर्द, सिर दर्द, छाती के रोग,गले का दर्द आदि को दूर करता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार : कुलंजन का रासायनिक विश्लेषण करने पर पता चला है कि इसकी जड़ में एलपिनिन, गेलंगिन और केम्फेराइड नामक तत्त्व होते हैं। इसके तने में सुगंधित व उडनशील तेल, कर्पूर, सिनिओल, डी-पाइनिन एवं मेथिल सिनेमेंट थोड़ी मात्रा में होता है। इन तत्त्वों के कारण कुलंजन सांस व मूत्र रोगों को दूर करता है।

विभिन्न

मात्रा : यह 1 से 3 ग्राम की मात्रा में उपयोग किया जाता है।

विभिन्न रोगों के उपचार :

1. छींके अधिक आना: कुलंजन के चूर्ण को कपड़े में रखकर सूंघने से छींके आनी बंद होती है।

2. पेशाब रुक जाना: कुलंजन के जड़ का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में नारियल के पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।

3. बच्चों के दस्त रोग: कुलंजन जड़ की गांठ को छाछ के साथ घिसकर थोड़ा-सा हींग मिलाकर हल्का गर्म करके बच्चे को आधा चम्मच की मात्रा में चटाने से दस्त का बार-बार आना ठीक होता है।

4. नंपुसकता:

कुलंजन की जड़ के टुकड़े मुंह में रखकर चूसने से नपुंसकता दूर होती है।
एक कप दूध में एक चम्मच कुलंजन के चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम पीने से नपुंसकता दूर होती है।
डेढ़ ग्राम कुलीजन के चूर्ण को 10 ग्राम शहद में मिलाकर खाने से और ऊपर से गाय के दूध में शहद मिलाकर पीने से कामशक्ति बढ़ती है।
5. हकलाहट: कुलंजन, बच, ब्राही व शंखपुष्पी का चूर्ण बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह-शाम सेवन करने से कुछ सप्ताहों में ही हकलाहट दूर होती है।

6. आवाज बैठना या गला बैठना:

मुलेठी, कुलंजन, अकरकरा एवं सेंधानमक मिलाकर चूर्ण बनाकर जीभ पर रगड़ने से गला साफ होता है।
कुलंजन के टुकड़े को मुंह में रखकर चूसने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।
एक ग्राम कुलंजन को पान मे रखकर खाने से स्वरभंग में आराम मिलता है।
7. जोड़ों का दर्द: कुलंजन व सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर एरण्ड के तेल में मिलाकर लेप बना लें। यह लेप प्रतिदिन जोड़ों पर लगाने से दर्द ठीक होता है।

8. सिर दर्द: कुलंजन की जड़ का पिसा पाउडर पोटली में बांधकर सूंघने से सिर दर्द में आराम मिलता है।

9. मूत्राघात (पेशाब में वीर्य आना): कुलींजन को पानी में पीसकर पिलाने से मूत्राघात दूर होता है।

10. दांतों का दर्द:

कुलंजन के चूर्ण को दांतों पर प्रतिदिन सुबह-शाम मलने से दान्त मजबूत होते हैं। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।
कुलंजन की जड़ का बारीक चूर्ण मंजन की तरह इस्तेमाल करने से दांतों का दर्द ठीक होता है।
11. दमा या श्वास रोग: कुलंजन का चूर्ण लगभग 240 से 480 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ खाने से श्वास व दमा रोग में आराम मिलता है।

12. काली खांसी: कुलंजन का चूर्ण शहद के साथ 240 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से काली खांसी (कुकुर खांसी) दूर होती है।

13. खांसी:

2 ग्राम कुलंजन के चूर्ण को 3 ग्राम अदरक के रस में मिलाकर शहद के साथ चाटने से खांसी खत्म होती है।
240 से 480 मिलीग्राम कुलंजन का चूर्ण शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम चटाने से खांसी में लाभ मिलता है।
14. अफारा (पेट का फुलना): कुलंजन का चूर्ण 2 ग्राम एवं गुड़ 10 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से अफारा (पेट का फूलना) ठीक होता है।

15. डकारे आना: 240 से 480 मिलीग्राम कुलंजन मुंह में रखकर चूसने अपच दूर होता है और डकारें आनी बंद होती है। इससे मुंह की सुगन्ध भी समाप्त होती है।

16. मुंह की दुर्गंन्ध:

कुलंजन को मुंह में रखकर चूसते रहने से मुंह व शरीर की दुर्गन्ध दूर होती है।
कुलंजन की जड़ का चूर्ण चुटकी मुंह में रखकर चूसते रहने से मुंह की बदबू आनी बंद हो जाती है।
17. कान के बाहर की फुंसियां: कुलंजन को पकाने से जो तेल निकलता है उस तेल को कान की फुंसियों पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।

18. गले की जलन: कुलंजन के टुकड़े 240 से 480 मिलीग्राम की मात्रा में दिन में 2 से 3 बार चूसने से गले की जलन शांत होती है।

19. आमाशय की जलन: कुलंजन के 240 से 480 मिलीग्राम तक के टुकड़े चबाकर चूसते रहने से आमाशय की जलन दूर होती है। यह पाचन क्रिया का खराब होना तथा अम्लपित्त के रोग में भी लाभकारी होता है।

20. अम्लपित्त (खट्टी डकारें): यदि खट्टी डकारे अधिक आती हो तो कुलंजन 240 से 480 मिलीग्राम की मात्रा में मुंह में रखकर चूसें।

21. पेट में दर्द:

कुलंजन, सेंधानमक, धनिया, जीरा एवं किशमिश को बराबर की मात्रा में लेकर नींबू के रस के साथ पीसकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है।
कुलंजन 10 ग्राम, अजवाइन 10 ग्राम एवं कालानमक 10 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। इससे पेट के दर्द में जल्दी आराम मिलता है।
22. बच्चे को बिस्तर पर पेशाब करने की आदत: 50 ग्राम कुलंजन को पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण शहद में मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम बच्चे को चटाए। इससे बिस्तर में पेशाब करने की आदत छूट जाती है।

23. बहूमूत्र रोग (पेशाब का बार-बार आना): 25 ग्राम कुलंजन को पीसकर 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ लेने से पेशाब का बार-बार आना बंद होता है।

24. मुंहासे, झांईयां:

कुलंजन से बने तेल को मुंहासे पर लगाने से मुंहासे ठीक होते हैं।
कुलंजन के जड़ को पानी में घिसकर दिन में 2 से 3 बार चेहरे पर लगाने से चेहरे के मुंहासे व झांइयां नष्ट होती हैं।
25. अधिक पसीना आना: ज्यादा पसीना आने पर कुलंजन का चूर्ण शरीर पर रगड़ने से पसीना आना कम होता है।

सरसों का तेल















गाजर का जूस














मोटापा