यह पोस्ट पढ़ने योग है,कभी भी काम आ सकती है , Save कर लें । यह कोई कापी पेस्ट नही ।
नुस्खा :-
रससिन्दूर ,
स्वर्णमाकसिक ,
स्वर्ण भस्म ,
शुद्ध शिलाजीत ,
लोह भस्म -
प्रत्येक ११-११ ग्राम लेकर सबको एकत्र मिला करके शतावरी और विदारीकन्द के स्वरस या क्वाथ में १-१ बार दृढ़ मर्दन करें, गोली बनाने योग्य होने पर १-१ रत्ती की गोली बना कर सुखाकर रख लें ।
मात्रा और अनुपान -
१-१ गोली दिन में दो बार सुबह - शाम दूध के साथ लें ।
गुण और उपयोग -
इस रसायन का प्रयोग करने से समस्त प्रकार के मूर्च्छा रोग नष्ट होते है , यह रसायन विशेष प्रभाव दिखाता है ज्ञानवाहिनी नाडियो पर,बहुत ही शीघ्र रक्ताणुयों की वृद्धि करता है , पाण्डु , कामला , ( आज की भाषा में बल्ड कैंसर कहे जाने वाले रोग में अतिअंत प्रभावी योग) आदि में लाभकारी है , उत्तम बाजीकरण और रसायन है , बल , वीर्य तथा ओज की वृद्धि करता है।
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