आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में अक्सर हम यह सोचते हैं, कि इसे कभी भी ले लो क्या फर्क पड़ता है? तो आप गलत सोचते हैं, आज हम आपको बताएंगे इन दवाओं को लेने के भी अपने कुछ नियम होते हैं, जिसके अनुसार-
🔹सूर्योदय का समय
🔹दिन में भोजन करते समय
🔹सायंकाल भोजन करते समय
🔹अनेक बार यानि पुन: पुन:
🔹रात्रि में
🔻ये पांच समय दवाओं के प्रयोग हेतु निर्देशित किये गए हैं।🔻
🔹सूर्योदय के समय कफ एवं पित्त दोष अपने स्थान से बाहर निकलने को बेताब होते है, अत: वामक एवं विरेचक दवाओं के सेवन के लिए यह बेहतर समय माना गया है।
🔹मलाशय में उपस्थित अपान वायु के कारण होने वाली परेशानियों में दिन में भोजन के पहले दवा का सेवन करना बेहतर होता है।
🔹यदि खाने की इच्छा न हो यानि अरुचि जैसी स्थिति हो तो, रुचिकर भोजन के साथ मिलाकर दवा का सेवन करना बेहतर होगा।
🔹यदि रोगी में समान वायु के बिगड़ जाने से अग्नि मंद हो गयी हो तो, बुझी हुई अग्नि को प्रज्वलित करने हेतु भोजन करते समय या आधा भोजन कर लेने के बाद औषधि का सेवन करना चाहिए।
🔹इसी प्रकार व्यान वायु बिगड़ने पर भोजन के बाद दवा का सेवन करना चाहिए ...,पुन: यदि किसी को हिचकी,झटके एवं कम्पवात जैसी समस्या हो एवं समान वायु भी विकृत हो तो, भोजन के पूर्व या भोजन करने के बाद दवा देना चाहिए ...उदान वायु के बिगडऩे पर या सांस,खांसी आदि स्थितियों में रात्रि के पूर्व प्रहर में दो ग्रास के मध्य औषधी देनी चाहिए।
🔹प्राणवायु के विकृत होने पर सायंकालीन नाश्ते के अंत मे दवा देनी चाहिए ..प्यास,उल्टी दमा या विष के सेवन किये रोगी को जल्दी-जल्दी अनेक बार अलग से या भोजन में मिलाकर दवा देने का निर्देश है।
🔹इसी प्रकार कान,नाक ,गला जिव्हा ,दांत आदि से समबंधित रोगों में दोषों को घटाने या बढाने के लिए रात्रि में सोते समय भोजन से पूर्व दवा दी जानी चाहिए .....।
इसलिए बेहतर यह होगा कि आप कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से ही आयुर्वेदिक दवा का सेवन करें ...जिनसे दवा के किस समय लेने ,न लेने ,किसके साथ लेने न लेने,पथ्य एवं अपथ्य से सम्बंधित परामर्श भी मिले।
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