Thursday, 22 December 2016

मुंह में छाले या नासूर घावों का इलाज करने के लिए घरेलू उपचार


मुंह के छाले आकार में काफी छोटे या काफी बड़े हो सकते हैं। यह स्थिति की गंभीरता के अनुसार आकार ग्रहण करते हैं। कुछ लोगों के लिए मुंह के छालों का होना काफी आम और काफी परेशानी भरा होता है। ये छाले सफ़ेद रंग के होते हैं और इनके चारों तरफ का भाग लाल रंग का होता है। छाले कई जगह जैसे जीभ के नीचे, गाल के अन्दर और होंठों के भीतरी भाग में हो सकते हैं। लोग मुंह के छालों से दूर रहने के लिए बी कॉम्प्लेक्स (B- complex) का प्रयोग करते हैं। कई बार पोषक तत्वों की कमी की वजह से भी ये छाले पैदा होते हैं। शरीर को विटामिन सी और आयरन (vitamin C and iron) की काफी आवश्यकता होती है, जिसके बिना मुंह के छालों को होने देने से रोकना काफी मुश्किल है।

मुंह के छाले (muh ke chhale) का इलाज कैसे करें (How to treat mouth blisters/canker sores
छाले आपके मुंह में ,होठों पर और गाल के भीतरी भाग पर दिखाई दे सकते हैं। यह किसी को भी हो सकते हैं। उन्हें कम करने और रोकने के लिए कई तरीके हैं। कई बार छालों से दर्द हो सकता है और मुंह के छाले से भोजन करना भी मुश्किल होता है ।

मुंह के छाले का कारण – छाले होने के कुछ संभावित कारण (Some of the probable reasons are assumed as)

तनावजीन का प्रभावगाल या होंठ के अंदर के भाग को चबानादांतों के तारशरीर की प्रतिरक्षा कम होना

मुँह का छाला या नासूर अपनी मुँह की त्वचा की भीतरी हिस्से पर एक लाल पैच की तरह शुरू होगा और तेजी से फूलने लगेगा । प्राकृतिक उपायों द्वारा इस समस्या का इलाज करना आदर्श होगा। इसके लिए कई स्प्रे और लोशन उपलब्ध हैं ।

मुंह में छालों के इलाज के प्राकृतिक तरीके (Natural ways of treating canker sores/ mouth blisters)

छाले के उपाय – कैमोमाइल टी बैग (Chamomile tea bag)

कैमोमाइल नींद उत्प्रेरण करता है और लोगों को मुंह के अंदर छालों के दर्द को महसूस करना भुला देता है । 1 मिनट के लिए पानी में इस चाय की बैग भिगोकर छालों पर 5-10 मिनट के लिए रख दें ।

मुंह के छाले का उपचार – नारियल तेल (Coconut oil)

छालों पर नारियल तेल लगाने से मुंह के छाले (muh ke chhale) और नासूर का उन्मूलन हो जाएगा। सर्दी में जमा हुआ तेल मिले तो और भी बेहतर होगा।

मुंह के छाले का इलाज – शहद (Honey)

मिलावट के बिना प्राकृतिक शहद मुंह के छाले (muh ke chale) और घावों को समाप्त करने के लिए आदर्श विकल्प होगा। गुनगुने पानी के साथ अपना मुंह धो लें और प्रभावित क्षेत्र पर शहद लगायें । दिन में इस 2-3 बार यह इलाज करें।

मुंह के छाले के उपाय – लाल मिर्च (Cayenne)

मुंह के छाले से लाल मिर्च में कप्सैसिन की उपस्थिति गर्म होती है। लेकिन यह घटक शरीर के भीतर दर्द प्रतिक्रियाओं को कम करता है। यह घटक नासूर घावों के लिए अद्भुत उपाय माना जाता है। लाल मिर्च का पाउडर 1 चम्मच गर्म पानी में मिलाएं। इसमें कपास डुबोकर प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। राहत पाने के लिए दिन में 2-3 बार इस्तेमाल करें ।

मुंह के छाले ठीक करने के उपाय – दही (Yogurt)

दही किण्वित दूध से बनाया गया है| उसके कार्बोहाइड्रेट कार्बनिक अम्ल में बदलने से आप कीटाणुओं से समृद्ध पदार्थ प्राप्त करते हैं। दही विविध रोगों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। मुंह के छाले (muh ke chale) और नासूर दही खाने से खत्म किये जा सकते हैं । दही का 1 बड़ा चम्मच दिन में 3 बार खाएं ।

छाले के उपाय – वैक्स कैप (Wax cap)

1 बड़ा चम्मच मधुमक्खी के छत्ते का मोम पिघलाकर 2 बड़े चम्मच नारियल तेल के साथ मिलाएं और दिन में 2 से 3 बार छालों पर लगायें ।

घरेलू उपाय (Home Remedies for mouth blisters)

मुँह के छालों का उपचार, गर्म पानी में नमक या बेकिंग सोडा की १ चुटकी मिलाएं । इस पानी से कुल्ला करें और थूक दें । दिन में २-३ बार करने से मुंह में कीटाणुओं को कम करके स्वच्छ और ताजा करता है ।३ प्रतिशत हाइड्रोजन पेरोक्साइड पानी के बराबर राशि में मिलाकर मुँह में प्रभावित क्षेत्र पर लगायें ।प्रभावित क्षेत्र पर मैग्नीशिया का दूध लगाकर दर्द और कीटाणु कम होते हैं ।मुँह के छालों का उपचार, बेनाड्रिल और मालोक्स का १ हिस्सा मिलाकर कुल्ला करके थूक दें ।मुँह के छाले कम करने के लिए दवाइयों के दुकानों में दवाइयां उपलब्ध हैं।मुंह के छाले से बर्फ का टुकड़ा चूसकर छाले पर रखने से दर्द और सूजन कम होती हैं।नियमित रूप से दही खाएं ।प्रभावित क्षेत्र पर गीला चाय बैग लगायें ।मुंह के छाले से विटामिन ई कैप्सूल का तेल दिन में कई बार लगाने से छाले कम होते हैं ।

आपके मुँह में अगर छाले लगातार बनते हो और उपरोक्त उपायों में से कोई भी काम नहीं कर रहे हो तो डॉक्टर से मिलें । डॉक्टर आपकी विस्तृत जांच चिकित्सा करके दवाई दे सकते हैं ।

मुंह के छाले ठीक करने के घरेलू उपाय (Home remedies to treat canker sores and mouth blisters)

मुलैठी की जड़ (Licorice root)

यह एक काफी बेहतरीन जड़ीबूटी है, जो मुंह के छालों को दूर करने में अपना अहम योगदान देती है। यह जड़ीबूटी सुकून देने वाई औषधि (demulcent) के रूप में कार्य करती है और म्यूकस मेम्ब्रेन (mucus membrane) के ऊपर सुरक्षा कवच की सृष्टि करती है। यह प्रभावित भाग से संक्रमण को दूर करती है क्योंकि इसमें एंटी माइक्रोबियल (anti microbial) और जलनरोधी गुण होते हैं। इस विधि का प्रयोग करने के लिए मुलैठी की जड़ को पीसकर दो कप पानी में मिश्रित करें। इससे रोजाना मुंह धोएं और मुंह के छालों को ठीक करें।
धनिये के बीज (Coriander seeds)

धनिया आपके घर में आसानी से उपलब्ध होता है, क्योंकि यह आपके भोजन में एक बेहतरीन स्वाद लाता है। यह मुंह के छालों का भी प्रभावी रूप से इलाज करता है और आपको कार्यशील बनाए रखने में सहायता करता है। मुंह के छालों से राहत पाने के लिए एक कप पानी में थोड़ा सा धनिया उबालें। अब पानी और धनिये को अलग अलग करें। इस पानी से मुंह धो लें। अगर आप दिन में दो से तीन बार इससे  मुंह धोएं तो मुंह के छालों से राहत पाना आसान होगा।

बेकिंग सोडा (Baking soda)

आप अब सामान्य बेकिंग सोडा की मदद से भी छाले दूर कर सकते हैं। इसे आटे के साथ मिश्रित करके मुंह के छालों का इलाज करें। यह अम्लीय (acidic) भोजन से मुंह को होने वाले नुकसान से आपको बचाता है। बेकिंग सोडा के प्रयोग से जीवाणु और बैक्टीरिया (bacteria) भी दूर होते हैं। मुंह के छालों को दूर करने के लिए एक चम्मच बेकिंग सोडा को थोड़े से पानी के साथ मिश्रित करें। इन्हें मिश्रित करें और प्रभावित भाग पर लगाकर कुछ देर तक रखें और इसे धो लें।

अजवायन (Celery)

ठंड के समय आपको आसानी से अजवायन मिल जाता है जिसे आप धोकर चबा सकते हैं। इसमें जलनरोधी और पीड़ानाशक गुण होते हैं, जिससे आपके मुंह के छाले आसानी से ठीक हो जाते हैं। अजवायन में  विटामिन सी,  बी 1, बी 2 और बी 6 (vitamin C, b1, b2 and b6) पाया जाता है। इसे चबाने के बाद इसके अंदरूनी पदार्थ को मुंह में 10 मिनट तक रखें और इसे अच्छे से धो लें। मुंह के छालों का इलाज करने के अलावा यह आपके साँसों की बदबू को भी दूर करता है।

एलोवेरा की विधि (Aloe vera remedy)

एलोवेरा भी एक काफी प्रभावी जड़ीबूटी है, जो आपके मुंह के छालों का काफी असरदार रूप से इलाज करता है। एलो वेरा के जेल को मुंह के छालों वाले हिस्से में रखकर 10 मिनट तक छोड़ दें और इसे धो लें। इससे आप मुंह के छालों से दूर रहेंगे।

अगर उपरोक्त पदार्थों का प्रयोग करने के बाद भी आपके मुंह में लगातार छाले उत्पन्न हो रहे हैं तो किसी डॉक्टर से सलाह करें। डॉक्टर आपको इनकी जांच करने के लिए कहेगा और उसके द्वारा बतायी गयी दवाइयों का आपको सेवन करना पड़ेगा।

मुंह के छाले की दवा – मुंह के छाले निवारण (Prevention of canker sores/mouth blisters)

दिन में २ बार अपने दांतों को नरम ब्रश से घिसें। अगर आपके टूथपेस्ट या माउथवाश में सोडियम लौरील हो तो उन्हें बदल दें। प्राकृतिक टूथपेस्ट का प्रयोग करें। भावनात्मक तनाव से दूर रहें । मसालेदार और अम्लीय खाद्य पदार्थ न खाएं| अगर आपको संतरे, अनानास, सेब, टमाटर और स्ट्रॉबेरी जैसे फल और सब्जियों से एलर्जी हो तो उन्हें न खाएं। बी १२ , जिंक, फोलिक एसिड और लोह मुँह के छाले के गठन को रोकने में मदद कर सकते हैं। मुंह के अंदर किसी भी किस्म का कटना या घाव आप के लिए दर्द और जलन पैदा कर सकता है । अपना भोजन धीरे से चबाएं|

वायु विकार (पेट में गैस बनना) (Gas Trouble)


परिचय:-

जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके पेट में गैस बनने लगती है जिसके कारण गैस बार-बार गुदा मार्ग से बाहर निकलती है या रुक जाती है। यह गैस बहुत बदबूदार होती है। इस रोग के कारण शरीर में वात रोग पैदा हो जाता है जैसे- बेचैनी, बदन में दर्द, पेट फूलना (अफारा), दिल घबराना, किसी कार्य को करने में मन न लगना, भूख का मर जाना, शारीरिक तथा मानसिक असंतुलन और स्नायुविक दुर्बलता आदि।

पेट में गैस बनने के कारण-

          यह रोग अधिकतर कब्ज, खाना न पचना (अपच), भोजन का ठीक से चबाकर न खाना, मल तथा मूत्र देर तक रोकना, दूषित भोजन करना, शोक, भय, चिंता, तनाव तथा असंतुलित भोजन करना आदि के कारण से हो जाता है।

पेट में गैस बनने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

इस रोग से पीड़ित रोगी को कम से कम दो दिनों तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए। जिसके फलस्वरूप रोगी का यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।गर्म पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से भी यह रोग ठीक हो जाता है।अदरक का रस तथा शहद मिलाकर दिन में 3 बार चाटने से रोगी को बहुत अधिक फायदा मिलता है।कुछ दिनों तक लगातार मठ्ठा पीने से भी यह रोग ठीक हो जाता है।रोगी व्यक्ति यदि कुछ दिनों तक फलों तथा सलाद का सेवन करें तथा इसके बाद कुछ दिनों तक अंकुरित अन्न खाएं तो पेट में गैस बनना रुक जाती है।इस रोग से पीड़ित रोगी को चोकर समेत आटे की रोटी खानी चाहिए।रोग से पीड़ित रोगी को केवल 2 समय ही भोजन करने का नियम बनाना चाहिए।रोगी को कभी भी अधिक गर्म या अधिक ठंडी चीजें नहीं खानी चाहिए।सप्ताह में एक बार उपवास अवश्य रखना चाहिए ताकि पाचनतंत्र के कार्य पर भार न पड़े और खाया हुआ भोजन आसानी से पच सके तभी यह रोग ठीक हो सकता है।गी व्यक्ति को चाय, चना, तली भुनी चीजें आदि नहीं खानी चाहिए।रोगी व्यक्ति को भोजन करने के बाद वज्रासन करना चाहिए ताकि यह रोग पूरी तरह से ठीक हो सके।प्रतिदिन भिगोए हुए 10 दाने मुनक्का तथा 2 अंजीर खाने से भी रोगी व्यक्ति को लाभ होता है।इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन त्रिफला का चूर्ण पानी के साथ सेवन करना चाहिए तथा हरा धनिया खाना चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।प्रतिदिन छोटी हरड़ को मुंह में रखकर चूसने से भी यह रोग ठीक हो जाता है।पेट में गैस बनने से रोकने के लिए रोगी को पेट पर गर्म-ठंडी सिंकाई करनी चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए तथा इसके बाद कटिस्नान करना चाहिए और फिर पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी कुछ समय के लिए लगानी चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।पेट में गैस बनने के रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की यौगिक क्रियाएं तथा योगासन हैं जिसको करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन तथा यौगिक क्रियाएं इस प्रकार हैं- पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन, शलभासन, उत्तानपादासान, भुजंगासन, हलासन, म्यूरासन, नौकासन तथा सुप्तपवन मुक्तासन आदि।प्रतिदिन सुबह के समय में पीठ के बल लेटकर साइकिल चलाने की तरह अपने पैरों को 15 मिनट तक चलाने तथा उडि्डयान बंध व कपाल तथा प्राणायाम व्यायाम करने से भी यह रोग ठीक हो जाता है।

जानकारी-

          प्रतिदिन इस प्रकार से व्यायाम करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

पेट दर्द,उदर पीडा में हितकारी सरल उपचार


पेट में पीडा abdominal colic होने की व्याधि वक्ष(छाती) से तलपेट के मध्य के क्षेत्र में किसी भी जगह मेहसूस हो सकती है।यह पीडा कुछ समय के लिये मामूली किस्म की अथवा लम्बे समय तक होने वाली गंभीर प्रकार की हो सकती है। पेट दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं।पेट में स्थित लिवर,गाल

ब्लाडर ,आमाषय,पेनक्रियास(अग्नाषय)और आतों में विकार आ जाने से पेट दर्द पैदा होता है। एक या अधिक अंग प्रभावित होते हैं।
पेट दर्द के मुख्य कारण कब्ज का होना, अपच, ज्यादा गैस बनना, आमाषय और आंतों में व्रण बन जाना, आंत्र पुच्छ प्रदाह होना, गाल ब्लाडर अथवा किडनी में पथरी निर्माण होना ,विषाक्त भोजन सेवन करना आदि हैं।
पेट दर्द निवारण के लिये निम्न उपचार लाभदायक सिद्ध होते हैं-
१) पेट दर्द मे हींग का प्रयोग लाभकारी है। २ ग्राम हींग थोडे पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाएं। नाभी पर और आस पास यह पेस्ट लगावें । लेटे रहें। इससे पेट की गैस निष्कासित होकर दर्द में राहत मिल जाती है।
२) अजवाईन तवे पर सेक लें । काला नमक के साथ पीसकर पावडर बनाएं। २-३ ग्राम गरम पानी के साथ दिन में ३ बार लेने से पेट का दर्द दूर होता है।
३) जीरा तवे पर सेकें। २-३ ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ ३ बार लें। इसे चबाकर खाने से भी लाभ होता है।
४) पुदिने और नींबू का रस प्रत्येक एक चम्मच लें। अब इसमें आधा चम्मच अदरक का रस और थोडा सा काला नमक मिलाकर उपयोग करें। यह एक खुराक है। दिन में ३ बार इस्तेमाल करें।
५) सूखा अदरक मुहं मे चूसने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
६) कुछ पेट दर्द के रोगी बिना दूध की चाय पीने से पेट दर्द में आराम मेहसूस करते हैं।
७) अदरक का रस नाभी स्थल पर लगाने और हल्की मालिश करने से उपकार होता है।
८) अगर पेट दर्द एसिडीटी (अम्लता) से हो रहा हो तो पानी में थोडा सा मीठा सोडा डालकर पीने से फ़ायदा होता है।
९) पेट दर्द निवारक चूर्ण बनाएं। भुना हुआ जीरा, काली मिर्च, सौंठ( सूखी अदरक) लहसून, धनिया,हींग सूखी पुदीना पत्ती , सबकी बराबर मात्रा लेकर महीन चूर्ण बनावें। थोडा सा काला नमक भी मिश्रित करें। भोजन पश्चात एक चम्मच की मात्रा मामूली गरम जल से लें। पेट दर्द में आशातीत लाभकारी है।
१०) हरा धनिया का रस एक चम्मच शुद्ध घी मे मिलाकर लेने से पेट की व्याधि दूर होती है।
१०) अदरक का रस और अरंडी का तेल प्रत्येक एक चम्मच मिलाकर दिन में ३ बार लेने से पेट दर्द दूर होता है।
११) अदरक का रस एक चम्मच,नींबू का रस २ चम्मच में थोडी सी शकर मिलाकर प्रयोग करें । पेट दर्द में उपकार होता है। दिन में २-३ बार ले सकते हैं।
१२) अनार पेट दर्द मे फ़ायदे मंद है। अनार के बीज निकालें । थोडी मात्रा में नमक और काली मिर्च का पावडर बुरकें। दिन में दो बार लेते रहें।
१३) मैथी के बीज पानी में गलाएं। पीसकर पेस्ट बनाएं। यह पेस्ट २०० ग्राम दही में मिलाकर दिन में दो बार लेने से पेट के विकार नष्ट होते हैं।
१४) इसबगोल के बीज दूध में ४ घंटे गलाएं। रात को सोते वक्त लेते रहने से पेट में मरोड का दर्द और पेचिश ठीक होती है।
१५) सौंफ़ में पेट का दर्द दूर करने के गुण है। १५ ग्राम सौंफ़ रात भर एक गिलास पानी में गलाएं। छानकर सुबह खाली पेट पीयें।। बहुत गुणकारी उपचार है।
16) आयुर्वेद के अनुसार हींग दर्द निवारक और पित्तव‌र्द्धक होती है। छाती और पेटदर्द में हींग का सेवन बेहद लाभकारी होता है। छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर एकदम थोडी सी हींग को एक चम्मच पानी में घोलकर पका लें। फिर बच्चे की नाभि के चारों लगा दें। कुछ देर बाद दर्द दूर हो जाता है।
१७) नींबू के रस में काला नमक, जीरा, अजवायन चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार पीने से पेट दर्द से आराम मिलता है

अपच के लक्षण और अपच के आयुवेर्दिक उपाय :-

जब खाना ठीक से नहीं पचता है तब अजीर्ण, अपच होने लगती है। अजीर्ण के मुख्य लक्षण और कारण हैं। मीठे का ज्यादा प्रयोग करना, बार-बार खाना खाते रहना, बासी खाने का सेवन, पानी कम पीना, आदि। अजीर्ण के मुख्य लक्षण हैं खट्टी डकार आना, गैस बनना, पेट में दर्द, छाती में जलन होना आदि। लेकिन अब आपको अजीर्ण से परेशान होने की जरूरत नहीं है आयुर्वेद में दिए गए हैं अजीर्ण से बचने के आसान तरीके।

अजीर्ण और अपच के आयुवेर्दिक उपाय :

1. पपीता को छिलकर उसमें सेंधा नमक और पिसी हुई काली मिर्च बुरक कर सेवन करने से अजीर्ण ठीक हो जाता है।
2. नींबू को काटकर उसमें सेंधा नमक लगाकर चाटने से अपच और अजीर्ण से मुक्ति मिलती है।
3. उपवास के दिन कई बार अजीर्ण आना स्वभाविक है। एैसे में पानी में नींबू का रस घोलकर पीने से लाभ मिलता है।
4. मूली पर नमक और पीसी काली मिर्च को बुरक कर खाने से खाना पच जाता है और अजीर्ण भी नहीं होता।
5. काली मिर्च, तुलसी को खाना खाने के बाद सेवन करने से अजीर्ण की समस्या दूर होती है।
6. सिका हुआ जीरा, नमक और काली मिर्च को दही में डालकर सेवन करने से खाना जल्दी पच जाता है।
7. एक गिलास नारंगी के रस का सेवन करने से अपच की दिक्कत दूर हो जाती है।
8. सेंधा नमक को 1 चम्मच पिसी अजवायन में मिलाकर खाली पेट पानी के साथ लेने से कभी अजीर्ण नहीं होगा।
9. अमरूद काटकर उसमें काला नमक मिलाकर खाने से अपच की समस्या नहीं होती है।
10. आधा कप पानी में 2 लौंग डालकर उसे उबाल लें और फिर उसे ठंडा होने दें, नित्य दिन में 3 बारी इस पानी का सेवन करें जरूर लाभ मिलेगा।
11. फूलगोभी का रस और गाजर का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से थोड़े ही दिनों में ही अपच की समस्या दूर हो जाएगी।
12. खट्टी डकार आने पर आधे गिलास पानी में एक नींबू निचोड़ कर चीनी मिलाकर पीने से खट्टी डकार आनी बंद हो जाती है।
13. एक गिलास पानी में दो चम्मच जीरा डालकर उसे उबाल लें और उसे ठंडा करके छान लें और इस पानी को नियमित पीते रहें। थोड़े ही दिनों में अपच की दिक्कत दूर हो जाएगी।
14. राई को पीसकर पानी में घोलकर पीने से अपच और अजीर्ण नहीं होता है।

अपच और अजीर्ण की वजह से बड़ी परेशानी होती है। इसलिए कोशिश करें बासी खाना न खाएं और जितना हो सके पानी को अधिक पीएं। इन आयुवेर्दिक उपायों से आप अजीर्ण की समस्या से निजात पाया जा सकता है।

Wednesday, 21 December 2016

सिर की खुश्की (Dryness of scalp)


परिचय:-

इस रोग के कारण सिर में रूसी हो जाती है जिसके कारण सिर में खुजली होने लगती है।

सिर में खुश्की होने का कारण-

       सिर की सही तरीके से सफाई न करने के कारण सिर में गंदगी भर जाती है जिसके कारण सिर में खुश्की पैदा हो जाती है।

सिर में खुश्की होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

गुड़हल के फूल तथा पोदीने की पत्तियों को आपस में पीसकर इसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को सप्ताह में कम से कम 2 बार आधे घण्टे के लिए सिर पर लगाना चाहिए ऐसा करने से बालों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं तथा सिर की खुश्की भी खत्म हो जाती है।सिर की खुश्की को दूर करने के लिए चुकन्दर के पत्तों का लगभग 80 मिलीलीटर रस सरसों के 150 मिलीलीटर तेल में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पत्तों का रस सूख जाए तो इसे आग पर से उतार लें और ठंडा करके छानकर बोतल में भर लें। इस तेल से प्रतिदिन मालिश करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।सिर की खुश्की को दूर करने के लिए आंवले के चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर सिर में लगाना चाहिए।सिर की खुश्की तथा बालों के कई प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए कई प्रकार के योगासन है जो इस प्रकार हैं- (सर्वांगासन, मत्स्यासन, शवासन तथा योगनिद्रा)सिर की खुश्की को दूर करने के लिए 1 लीटर पानी में 1 चम्मच चोकर तथा साबूदाना मिलाकर कुछ देर तक उबालना चाहिए। इसके बाद इस पानी को ठंडा करके दिन में 2 बार सिर को अच्छी तरह से धोना चाहिए। इसके बाद गहरे रंग की बोतल के सूर्यतप्त तेल से सिर की मालिश करने से सिर की खुश्की दूर हो जाती है।सिर की खुश्की को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को अपने पेट की सफाई करनी चाहिए और इसके बाद इस रोग का उपचार करना चाहिए।सिर की खुश्की से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक चोकर युक्त आटे की रोटी, सब्जी, सलाद तथा फल और दूध का सेवन करके अपने शरीर के खून को शुद्ध करना चाहिए और इसके बाद इस रोग का उपचार करना चाहिए।

Tuesday, 20 December 2016

गर्भावस्था में कमर और पीठ दर्द

आज का विषय - गर्भावस्था में कमर और पीठ दर्द ........

गर्भावस्था में पीठ व कमर दर्द होना एक आम बात है। करीब आधी से ज्यादा महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान किसी-न-किसी समय कमर और पीठ दर्द की शिकायत होती है। अच्छी बात यह है कि इस तकलीफ को दूर करने और इसे एक दीर्घकालिक तकलीफ में बदलने से रोकने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है।

अगर, आपको गर्भावस्था में पीठ व कमर दर्द है, तो भी शिशु के जन्म के समय इसके प्रभाव को लेकर आप चिंतित न हों। अगर, सही इलाज लिया जाए, तो प्रसव के समय पीठ दर्द के कारण परेशानी पैदा होना दुर्लभ है।

गर्भवती होने से पहले पीठ दर्द की समस्या से परेशान कुछ महिलाओं ने यहां तक पाया कि उनकी गर्भावस्था बढ़ने के साथ-साथ उन्हें दर्द में भी आराम मिलता गया।

मैं अपनी पीठ और कमर दर्द को कैसे कम कर सकती हूँ?
पीठ और कमर दर्द कम करने के लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकती हैं, जैसे कि:
•    व्यायाम: श्रोणी मांसपेशियों और पेट के व्यायाम आपकी पीठ पर पड़ने वाले दबाव को कम कर सकते हैं। अपने हाथों और घुटनों के बल आ जाएं और अपनी पीठ को यथासंभव सपाट रखें। सांस अंदर लें और सांस बाहर छोड़ते समय अपनी श्रोणी मांसपेशियों को अंदर की तरफ भींचे। अपनी नाभि को भी अंदर और ऊपर की ओर खींचे। पांच से 10 सैकंड तक बिना अपनी सांस रोके और बिना अपनी कमर ऐसा करती रहें। व्यायाम के अंत में अपनी मांसपेशियों को थोड़ा आराम दें। कैट स्ट्रेच पोज भी इसमें फायदेमंद हो सकता है।

•    मालिश: मालिश करने से थकी और पीड़ाग्रस्त मांसपेशियों को आराम मिलता है। एक कुर्सी की पीठ के ऊपर से आगे की ओर झुकें या फिर करवट लेकर लेटें। अपने पति या माँ से पीठ के निचले हिस्से और रीढ़ की हड्डी के साथ-साथ चलने वाली मांसपेशियों पर कोमलतापूर्वक मालिश करने के लिए कहें। एक प्रशिक्षित मालिश थैरेपिस्ट या फिजियोथेरेपिस्ट इसके आगे आपकी मदद कर सकते हैं।

•    सही मुद्रा: अगर आपकी पूँछ-अस्थि (टेलबोन) पर दर्द है, तो सुनिश्चित कीजिए कि आप बैठते समय पसरने से बचें। अपनी पीठ को आगे की ओर उतना झुकाकर बैठें, जितना कि आरामदायक हो। एक कोमल गद्दी या गद्देदार घेर पर बैठने की कोशिश कीजिए।

•    तैराकी: ये भी गर्भावस्था के दौरान पीठ व कमर दर्द को कम करने में कारगर हैं।

•    एक्यूपंक्चर: सुनिश्चित करें कि आप किसी ऐसे प्रशिक्षक से एक्यूपंक्चर थैरेपी कराएं, जिन्हें गर्भावस्था में एक्यूपंक्चर के इस्तेमाल का प्रशिक्षण और अनुभव प्राप्त हो।

•    मां के लिए विशेष तकिया: अपने पेट के नीचे एक पच्चर के आकार का तकिया लगाकर करवट लेकर लेटने से पीठ दर्द कम करने में मदद मिलती है।

•    ताप और पानी: एक गर्म स्नान, एक गर्म पैक या फिर शॉवर से गर्म पानी का तेज प्रवाह, ये सभी पीठ दर्द कम करने में मदद कर सकते हैं।

•    सहारा देने वाली पट्टी: ये पट्टी पेट की मांसपेशियों और पीठ पर पड़ने वाले आपके शिशु के कुछ वजन को अपने ऊपर ले लेती हैं। अपने लिए सही नाप की पट्टी के बारे में डॉक्टर से पूछें।

•    उचित जूते या सैंडल पहनें: उचित सहारा देने वाले कम ऊंचे और आरामदायक जूते या सैंडल, आपकी पीठ के लिए हितकर हो सकते हैं। ऊंची ऐड़ी के सैंडल या जूते आपकी कमर के निचले हिस्से पर बहुत ज्यादा दबाव डालते हैं। इसकी वजह से वजन बढ़ने पर आपको पीठ दर्द शुरु हो सकता है। आपके शरीर में होने वाले परिवर्तन के कारण आपका गुरुत्वाकर्षण केंद्र भी बदलता है। इसलिए आपको ऊंची ऐड़ी के जूतों में सही तरह से संतुलन बनाने में मुश्किल हो सकती है।

•    टेन्स: पीठ और कमर दर्द में राहत का यह एक सुरक्षित तरीका है। इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह और व्यायाम जैसे अन्य उपचारों के साथ ही करना बेहतर रहता है। टेन्स मशीन के इस्तेमाल के बारे में अपनी डॉक्टर से सलाह लें।

ग्वार फली खाने के हैं अद्भत फायदे, जानिए – Health Tips


कई लोग ऐसें होते है जिन्हें ग्वार फली खाना पसंद नहीं होता है। लेकिन इसको खाने के स्वास्थ्य लाभ के बारें में आप नहीं जानते है। इसे खाने से कई गंभीर बीमारियों से निजात भी मिल जाता है। इसमें अधिक मात्रा में ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है जो कि डायबिटीज और शरीर में उपस्थिति कोलोस्ट्राल को कम कर देता है।

ग्वार फली में प्रोटीन, घुलनशील फाइबर, अनेक प्रकार के विटामिन, जैसे विटामिन के, सी और ए और भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं। इनके अलावा इसमें फॉस्फोरस, कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम भी पाए जाते हैं। सबसे अच्‍छी बात तो यह है कि इसमें किसी तरह का कोलेस्ट्रॉल या वसा नहीं पाया जाता है। इसे जबरदस्त टॉनिक माना जा सकता है। जानिए इसको खाने होने वाले फायदों के बारें में।


पाचन तंत्र को रखे फिट
इस फली में फाइबर अधिक मात्रा में पाए जाने के कारण ये पाचन संबंधी समस्याओं से आपको बचा सकता है। इसका सेवन करने से यह शरीर के सभी प्रकार के विषैले तत्‍व बाहर निकल जाते हैं और पाचन संबंधी समस्‍याओं का निदान हो जाता है।

दिल को रखे स्वास्थ्य
यह फली आपके दिल को भी हेल्दी रखती है, क्योंकि इसमें कोलेस्ट्राल घटाने के गुण होते है। साथ ही इसमें फाइबर और पौटेशियम अघिक पाया जाता है। जो कि आपके दिल के लिए फाय़देमंद होता है।

हड्डियों को मजबूत करे
इन फली में अधिक मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है। जोकि आपकी हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करता है। साथ ही उन्हें स्वस्थ्य रखती है।

गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद

इन फली का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर में सभी पोषक तत्‍वों की कमी पूरी हो जाती है। विटामिन के की पर्याप्‍त मात्रा, इसमें होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत करने और भ्रूण के विकास में सहायक होता है। इसमे फॉलिक एसिड भी भरपूर मात्रा में होता है जो शरीर को स्‍वस्‍थ बनाये रखने में मदद करता है।

डायबिटीज को करें कंट्रोल
ग्वार में ग्लाइकोनुट्रीन्ट्स तत्व होते हैं, जो बॉडी में ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में सहायक हैं। इसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। साथ ही यह इंसुलिन की मात्रा में इजाफा होता है। इसके आहार फाइबर भोजन को पचाने में बेहद मददगार होते हैं। कच्ची फलियों को चबाना डायबिटीज रोगियों के लिए काफी फायदेमंद भी है।

ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ाएं
ग्वार में मौजूद आयरन से हीमोग्लोबिन उत्पादन बढ़ता है, जिससे शरीर में खून की उचित आपूर्ति होती है। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स से भी ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने में मदद मिलती है।

ब्लड प्रेशर को रखें कंट्रोल में
हाइपोग्लाइसेमिक और हाइपोलिपिड़ेमिक तत्वों की वजह से ये सब्जी हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों के लिए बेहतर विकल्प है। इसमें पाए जाने वाले यौगिक ब्लड प्रेशर लेवल कंट्रोल करने में सहायक हैं।

पेट के कीड़े होने का घरेलू इलाज

पेट में कीड़े को ख़त्म करने के बहुत से घरेलु उपचार होते है. इनमे से हम आपके साथ कुछ यहाँ साँझा कर रहे हैं.

नारियल – नारियल आंत के कीड़ो को ख़त्म करने में बहुत असरदार है. परजीवी को नाश करने में ये बहुत अच्छा होता है. नारियल का तेल व् उसका फल दोनों ही पेट के कीड़े को नाश करता था.
1 चम्मच नारियल को किस कर रोज सुबह नाश्ते में खाएं. इसके तीन घंटे बाद 1 ग्लास गुनगुने दूध में 2 चम्मच कास्टर आयल मिला कर पिए. ऐसा तब तक करें जब तक इन्फेक्शन खत्म न हो जाये. कास्टर आयल गैस की परेशानी व् 5 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देना चाहिए.
इसके अलावा 4-5 चम्मच रिफाइंड नारियल तेल का सेवन रोज करें. इससे आपके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी.

लहसुन – लहसुन एक प्रसिध्य परजीवी विरोधी पदार्थ है, जो पेट में मौजूद किसी भी तरह के कीड़ो को नष्ट करने की ताकत रखता है. लहसुन की कली में सल्फर के साथ अमीनो एसिड भी होता है, इसमें एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल व् एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती है.
खाली पेट रोज सुबह 2-3 लहसुन की कलियाँ चबाचबा कर खाएं. ऐसा एक हफ्ते तक रोजाना करें, ये सबसे आसान तरीका है सभी तरह के पेट के कीड़े ख़त्म करने का.
इसके अलावा ½ कप दूध में 1-2 लहसुन की कलि को मसल कर डालें, व् उबालें अब इसे खाली पेट पी लें. इसे भी 1 हफ्ते तक करें.
आप लहसुन की चटनी बनाकर उसमें सेंदा नमक मिलाकर भी खा सकते है.
पपीता – आयुर्वेद की द्रष्टि से पपीता बहुत ही फायदे मंद होता है. इसका पल्प व् बीज दोनों ही दवाई के तौर पर इस्तेमाल किये जाते है.
1 बड़े चम्मच पपीता के पल्प को अच्छे से मसल ले, अब इसमें शहद व् 2-3 चम्मच गर्म पानी डालें, सबको अच्छे से मिलाकर सुबह खाली पेट पियें. इसके 2 घंटे के बाद गुनगुने दूध में कास्टर आयल मिलाकर इसे भी पियें. 2-3 दिन तक इसे रोज दोहराएँ. अगर किसी बच्चे को आप ये दे रहे है तो इसकी मात्रा को हाफ कर लें.
आप पपीते के बीज को सुखाकर उसे पीस लें, जिससे वो पाउडर बन जायेगा. अब 2 tbsp इस पाउडर को 1 कप दूध या पानी के साथ मिलाएं. 3 दिन तक इसे सबसे पहले उठते साथ ही पियें.
इसके अलावा आप पपीते के बीज को पीस कर एक पेस्ट बना लें, अब इसमें 1 tbsp नारियल तेल, 1 कप नारियल का दूध व् कुछ स्लाइस पपीते के काट कर मिलाएं. अब इसे एक बार फिर से मिक्सर में पीस लें. अंत में 1 चम्मच शहद मिलाकर एक बार फिर से मिक्स करें. इसे रोज सुबह 1 हफ्ते तक पियें.
कद्दू के बीज – 2 बड़े चम्मच कद्दू के बीज को मसल कर 2-3 कप पानी में डाल कर उबालें. इसे ठंडा कर पी लें.
गाजर – गाजर को किस कर, एक छोटे कप की मात्रा बराबर रोज सुबह खाएं. गाजर पेट में मौजूद सभी तरह के इन्फेक्शन को आसानी से दूर कर देता है.
अनार – अनार के दाने व उसके छिलके दोनों ही बहुत फायदेमंद होते है. उसके छिल्कों को सुखाकर उसका पाउडर बना लें, अब दिन में 2-3 बार 1-1 चम्मच इस पाउडर को खाएं. इससे बहुत जल्द पेट को आराम मिलेगा. इसके अलावा आप अनार का भी सेवन कर सकते है.
नीम – नीम कड़वी जरुर होती है लेकिन एक बहुत अच्छी दवा होती है, जो बहुत रोगों को हमारे शरीर से भगाती है.
1 चम्मच नीम के सूखे हुए फूल को 1 चम्मच घी के साथ फ्राई करें, अब इसे उबले हुए चावल के साथ 3-4 दिन खाएं.
इसके अलावा 1 गिलास गुनगुना पानी या दूध में 1 चम्मच सुखी हुई नीम की पट्टी का पाउडर मिलाएं. इसे दिन में 2 बार 1 हफ्ते तक रोज पियें.
इसके अलावा नीम की पत्ती का पेस्ट बनाये, अब आधी चम्मच इस पेस्ट को 1 गिलास पानी के साथ रोज सुबह पियें. इसे एक हफ्ते दोहराएँ, फिर 1-2 हफ्ते छोड़ कर दोबारा इसे शुरू करें.

लॉन्ग – लॉन्ग में एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टीज होती है, जो पेट के कीड़े मारने में सहायक है, इससे भविष्य में किसी भी तरह के इन्फेक्शन नहीं होते है. इसी वजह से लॉन्ग को खाने के बाद माउथ फ्रेशनर के रूप में सबको दिया जाता है.
1 कप गर्म पानी में 1 चम्मच लॉन्ग का पाउडर मिलाएं.
कप को ढककर 10-20 मिनट के लिए रख दें.
अब इसे दिन में 3 बार एक हफ्ते तक रोज पियें.
हल्दी – पेट की क्रमी को दूर करने में हल्दी भी काफी अच्छी होती है. हल्दी से पेट के अन्य विकार जैसे गैस, दर्द, मरोड़ आदि भी दूर हो जाते है.
खड़ी हल्दी से उसका रस निकाल लें, अब 1 tsp इस रस में चुटकीभर नमक मिलाएं, इसे रोज सुबह खाली पेट पियें.
इसके अलावा आप आधी चम्मच हल्दी पाउडर को आधे कप पानी में मिलाएं इसमें चुटकी भर नमक डालें, इसे रोजाना 5 दिनों तक पियें.
इसके अलावा आप हल्दी के रस को 1 ग्लास छाछ में मिलाकर भी पी सकते है.

सर्दियों में ठंड से बचने और शरीर को गर्म रखने के लिए क्या खाए


सर्दियों का मौसम आ गया है  और इससे आपको ठंड भी लग सकती हैं। सर्दियों के दिनों में सिर्फ स्वेटर पहनने से काम नहीं चलेगा, आपको अपने भोजन में ऐसी चीजों को शामिल करना पड़ेगा जो आपको अंदर से गर्मी दे। आज हम आपको सर्दी से बचने के लिए और शरीर को गर्म रखने के लिए क्या खाना चाहिए? इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

आज के लेख में हम जानेंगे की सर्दी के मौसम में ठण्ड को दूर भगाने और शरीर को अंदरूनी रूप से गर्म रखने के लिए क्या खाना चाहिए? कौन सी चीजों के सेवन से सर्दियों में अन्दर से गर्म रहा जा सकता हैं। सर्दी से बचने के लिए यह आहार आपकी मदद करते हैं। Best food for Winter season in Hindi.

सर्दियों में ठण्ड से बचने के लिए जरूर खाए यह चीज़े :-

हल्दी (घर की पिसी हुई हल्दी प्रयोग करें)

अगर आप ठण्ड के मौसम में बीमारियों से बचे रहना चाहते हैं तो हल्दी का सेवन जरूर करे। इसलिए लिए आप दूध में हल्दी मिला कर पकाए और पिए। इस हल्दी वाले दूध को रात को सोने से 1 घंटा पहले या फिर दिन में कभी भी पिए। इससे आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और सर्दी से राहत मिलेगी।

अनार

अनार में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और polyphenols पाए जाते हैं जो आपको बुखार कम करने में मदद करते हैं और सर्दी लगने से भी बचाते हैं। अनार को खाने से खून साफ़ होता हैं और धमनियों की ब्लॉकेज को खोला जा सकता हैं।

तिल

जाड़ो के दिनों में तिल का सेवन करने से शरीर को गर्मी मिलती हैं। तिल के तेल से मालिश करने से ठण्ड से बचाव होता हैं। तिल और मिश्री का काढ़ा बना कर पीने से खांसी जुकाम ठीक होता हैं और कफ़ फेफड़ो से बाहर निकलता हैं।

दालचीनी

दालचीनी को भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता हैं। दालचीनी स्वाद में मीठी और शरीर को एक नयी गर्मी देने वाली होती हैं। दालचीनी शरीर में गर्मी पैदा करती हैं जो आपको ठण्ड से लड़ने में मदद करती हैं। दालचीनी को आप खाना बनाने के अलावा चाय, कॉफ़ी में डाल कर इस्तेमाल करे सकते हैं।

गाजर

गाजर को खाने से आँखों की रोशिनी बढ़ती हैं। इससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोतरी होती हैं, जिससे सर्दियों के मौसम में आपको ठडं नहीं लगती हैं। सर्दियों के दिनों में गाजर का हलवा जरूर खाना चाहिए, इससे एक तो आपको सर्दी से बचाव होगा, शरीर को अंदरूनी रूप से गर्मी मिलेगी ।

हरी मिर्च

हरी मिर्च को खाने से शरीर में गर्मी पैदा होती हैं। इसका तीखापन शरीर का तापमान बढ़ाने में मदद करता हैं। इसलिए ठण्ड के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए हरी मिर्च को जरूर खाए।

शहद

जब भी आपकी खांसी या जुकाम होता हैं तो एक चम्मच शहद खाने की सलाह दी जाती हैं। यह शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने का एक नेचुरल तरीका हैं। सर्दियों के दिनों में शहद को खाने से यह आपको सर्दी लगने से बचाता हैं। शहद एक नेचुरल स्वीटनर माना जाता हैं, आप चीनी की जगह इसका इस्तेमाल करे। शहद आपकी कैलोरी को भी कम करने में मदद करता हैं। सर्दी से बचने के लिए और शरीर को गर्म रखने के लिए सर्दियों में शहद को जरूर खाए।

खट्टे फल

खट्टे फलो में विटामिन सी और फ्लावोनोइड पाए जाते हैं जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह शरीर को गर्म रखने में भी मदद करते हैं। इसके अलावा खट्टे फलो को खाने से गुड कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी बढ़ता हैं।

बादाम

ज्यादातर यही कहा जाता हैं की बादाम खाने से दिमाग का विकास होता हैं और याददास्त अच्छी होती हैं। लेकिन सर्दियों में बादाम खाने से कब्ज़ की समस्या दूर होती हैं और सर्दी से भी बचाव होता हैं। इसमें विटामिन ई पाया जाता हैं जो हमे सर्दियों में होने वाले स्किन प्रॉब्लम से बचाता हैं।

लहसुन

हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को लहसुन खाने की सलाह दी जाती हैं। लेकिन ठण्ड के मौसम में लहसुन खाने से हमारे शरीर को अंदरूनी रूप से गर्मी मिलती हैं। लहसुन में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो हमें बैक्टीरिया और वायरस के हमले से बचाते हैं। गले में खराश होने पर 2-3 कच्ची लहसुन की कलियाँ खाने से आराम मिलता हैं। ठण्ड से बचने के लिए लहसुन बहुत ही फायदेमंद माना जाता हैं।

लौंग

लौंग के सेवन से शरीर में गर्मी आती हैं। लौंग का इस्तेमाल ठण्डे इलाको में सबसे ज्यादा किया जाता हैं। लौंग का इस्तेमाल आप चाय में डाल कर भी कर सकते हैं।

प्याज

प्याज खाने से बॉडी का टेम्परेचर बढ़ जाता हैं और पसीना आने लगता हैं। इससे बॉडी की इम्युनिटी भी बढ़ती हैं।

ड्राई फ्रूट

ठण्ड से बचने से के लिए आपको ड्राई फ्रूट का सेवन जरूर करना चाहिए। इसके लिए आप अखरोट, मूंगफली और बादाम को खा सकते हैं। यह विटामिन, फाइबर से भरपूर होते हैं जो आपको गर्मी प्रदान करते हैं।

मूंगफली

सर्दी के मौसम में मूंगफली को जरूर खाना चाहिए। मूंगफली को खाने से शरीर में गर्मी आती हैं और सर्दी से बचाव होता हैं।

अमरुद

खट्टे फले की तरह अमरुद में भारी मात्रा में विटामिन सी होता हैं जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं। इसमें मैग्नीशियम और पोटैशियम भी पाया जाता हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाता हैं और दिल के लिए भी अच्छा माना जाता हैं।

बाजरा

बाजरा को खाने से शरीर में गर्मी आती हैं। कई ग्रामीण इलाको में बाजरे की रोटी और टिक्की का इस्तेमाल सर्दी से बचने के लिए किया जाता हैं। दुसरे अनाजों के मुकाबले बाजरे में प्रोटीन सबसे ज्यादा पाया जाता हैं। ठडं से बचने के लिए बाजरा जरूर खाए, आप छोटे बच्चो को भी बाजरे की रोटी खिला सकते हैं।

मेथी का साग

मेथी के साग में आयरन और फोलिक एसिड ज्यादा मात्रा में पाया जाता हैं। मेथी के साग को खाने से शरीर में खून की वृद्धि होती हैं और शरीर में गर्मी पैदा होती हैं।

अदरक

सर्दी से बचने के लिए और शरीर को गर्म रखने के लिए अदरक से सस्ता उपाय और कोई नहीं हैं। आप सुखी और कच्ची अदरक दोनों का इस्तेमाल करे सकते हैं। अदरक के सेवन से बॉडी की इम्युनिटी बढ़ती हैं। अपने शरीर को गर्म रखने के लिए आप अदरक वाली चाय को भी पी सकते हैं। सर्दी जुकाम को दूर करने के लिए अदरक के रस में शहद मिला कर लेने से फायदा होता हैं। अदरक के सेवन से आप गले की खराश भी दूर कर सकते हैं।

गुड़

सर्दियों के दिनों में गुड़ का सेवन जरूर करे। सर्दियों के दिनों में तिल और गुड़ से बनी तिलकुट और रेवड़ी खाने से शरीर में गर्मी आती हैं। मूंगफली और गुड़ से बनी गज्जक खाने से भी ठण्ड से बचा जा सकता हैं। इससे सीने में जमी कफ बाहर निकल जाता हैं।

फिटकरी की उपयोग विधि •.......


1. जिन लोगो को शरीर से ज्यादा पसीना आने की समस्या हो तो वो लोग नहाते समय पानी में फिटकरी को घोलकर नहाने से पसीना आना कम हो जाता है...!!
फिटकरी के पानी से योनि को सुबह-शाम नियमित धोएं। पंसारी से संगे जराहत और फिटकरी लेकर दोनों पीस लें और इस आधा ग्राम चूर्ण की फंकी ताजे पानी के साथ या गाय के दूध के साथ सुबह, दोपहर और शाम दिन में तीन बार लें। कुछ ही दिनों के प्रयोग से अवश्य लाभ होगा।
2. यदि चोट या खरोंच लगकर घाव हो गया हो और उससे खून बह रहा हो घाव को फिटकरी के पानी से धोएं तथा घाव पर फिटकरी का चूर्ण बनाकर बुरकने से खून बहना बंद हो जाता है।
3. फिटकरी और काली मिर्च पीसकर दांतों की जड़ों में मलने से दांतों की पीड़ा में लाभ होते है।
4. सेविंग करने के बाद चेहरे पर फिटकरी लगाने से चेहरा मुलायम हो जाता है।
5. आधा ग्राम पिसी हुई फिटकरी को शहद में मिलाकर चाटने से दमा और खांसी में बहुत लाभ मिलता है।
6. भुनी हुई फिटकरी 1-1 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लेने से खून की उल्टी बंद हो जाती है।
7. दांत दर्द से बचने के लिए फिटकरी और काली मिर्च को पीसकर दांतों की जड़ों में मलने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।
8. फुलाई हुई फिटकरी एक तोला और मिश्री दो तोला दोनों को महीन पीसकर रख लें। एक-एक माशा नित्य सवेरे खाने से दमा के रोग में लाभ होता है।
9. प्रतिदिन दोनों समय फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर कुल्ला करें ,इससे दांतों के कीड़े तथा मुंह की बदबू दूर हो जाती है ।
10. डेढ़ ग्राम फिटकरी पाउडर को फांककर ऊपर से दूध पीने से चोट लगने से होने वाला दर्द दूर हो होता हैं।
11. टांसिल की समस्या होने पर गर्म पानी में चुटकी भर फिटकरी और नमक डालकर गरारे करें। इससे टांसिल की समस्या में जल्दी ही आराम मिल जाता है।......

⁠⁠⁠दमा

⁠⁠⁠दमा को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है, ताकि दमे से पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सके। दमे का दौरा पड़ने से श्वास नलिकाएं पूरी तरह बंद हो सकती हैं, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को आक्सीजन की आपूर्ति बंद हो सकती है। यह चिकित्सकीय रूप से आपात स्थिति है। दमे के दौरे से मरीज की मौत भी हो सकती है। वैसे तो दमा का उपचार डॉक्‍टरी परामर्श से ही करवाना बेहतर होता है, लेकिन अस्‍थमा को कंट्रोल करने के लिये कुछ घरेलू उपचार भी हैं, जो कि बहुत लाभदायक हैं।

अस्‍थमा का घरेलू उपचार


1. शहद एक सबसे आम घरेलू उपचार है, जो कि अस्‍थमा के इलाज के लिये प्रयोग होती है। अस्‍थमा अटैक आने पर शहद वाले पानी से भाप लेने से जल्‍द राहत मिलती है। इसके अलावा दिन में तीन बार एक ग्‍लास पानी के साथ शहद मिला कर पीने से बीमारी से राहत मिलती है। शहद बलगम को ठीक करता है, जो अस्‍थमा की परेशानी पैदा करता है।

2. एक कप घिसी हुई मूली में एच चम्‍मच शहद और नींबू का रस मिला कर 20 मिनट तक पकाएं। इस मिश्रण को हर रोज एक चम्‍मच खाएं। यह इलाज बड़ा ही प्रसिद्ध और असरदार है।

3. रातभर एक गरम पानी वाले ग्‍लास में सूखी अंजीर को भिगो कर रख दें। सुबह होते ही इसे खाली पेट खाएं। ऐसा करने से बलगम भी ठीक होता है और संक्रमण से भी राहत मिलती है।

4. करेला, जो कि अस्‍थमा का असरदार इलाज है, उसके एक चम्‍मच पेस्‍ट को लेकर शहद और तुलसी के पत्‍ते के रस के साथ मिला कर खाएं। इससे अंदर की एलर्जी से बहुत राहत मिलती है।

5. अंदर की एलर्जी को सही करने के लिये मेथी भी बहुत असरदार होती है। एक ग्‍लास पानी के साथ मेथी के कुछ दानों को तब तक उबालें, जब तक पानी एक तिहाई न हो जाए। अब उसी पानी में शहद और अदरक का रस मिला लें। इस रस को दिन में एक बार पीने से जरुर राहत मिलेगी।

कपूर के 12 ग़ज़ब फायदे |

1. नारियल का तेल और कपूर मिलाकर रख लें. इसे रोज पिंपल्स, जले या चोट के दाग पर लगाएंगे तो कुछ ही दिनों में यह निशान मिट जाएंगे.

2. नारियल के तेल को कपूर के साथ मिलाकर इसे गुनगुना करके सिर की मालिश करें और फिर 1 घंटे बाद सिर धो लें. इससे डैंड्रफ तो खत्म होगा ही साथ में बाल भी मजबूत होगे.

3. अगर आपकी त्‍वचा पर हर दिन लाल रंग के चकत्‍ते दिखाई देते हैं, या सर्दीयों में थोड़ी देर धूप में रहने सेतेज खुजली होती है, तो उसे ठीक करने के लिये कपूर को थोड़े से पानी में मिला कर पेस्‍ट बनाएं और प्रभावित स्‍थान पर लगाएं, ऐसा कई दिनों तक करें. धीरे धीरे आपको रिजल्‍ट दिखने लगेगा.

4. जोड़ों के दर्द की शिकायत होने पर दर्द वाली जगह पर कपूर के तेल की मालिश करे आपको जल्द से जल्द राहत मिलेगी.

5. हर रोज रात को सोने से पहले कच्चे दूध में थोड़ा-सा कपूर का पाउडर मिलाएं. रूई की मदद से इसे चेहरे पर लगाएं और 5 मिनट के बाद चेहरा धो लें. इससे त्वचा हेल्दी बनेगी और चेहरे का ग्लो बढ़ेगा.

6. एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डाल डालकर उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो इसमें जरा सा कपूर डालकर पी जाएं. पेट दर्द में जल्दी आराम मिलेगा.

7. जलने पर कपूर का तेल लगाइए, इससे जलन तो खत्म होगी ही साथ में इंफेक्शन का खतरा भी टलेगा.

8. कपूर में एंटीबायोटिक क्षमता होती है चोट लगने, कट जाने या घाव वाली जगह पर कपूर मिला पानी लगाने से जल्द ही आराम मिलता हैं.

9. मुंह में छाले होने पर कपूर को देसी घी के साथ मिलाकर लगाएं, मुंह के छाले जल्द ही ठीक हो जाएंगे.

10. कई बार चेहरे पर कील मुंहासे होने पर वहां दाग हो जाते हैं इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कपूर का तेल लगाना चाहिए जिस से दाग धब्बे कम होंगे, आपका चेहरा साफ सुथरा और चिकना बन जाएगा.

11. आपको बता दें कि विक्स, बाम जैसे कई उत्पादों को बनाने में कपूर का प्रयोग किया जाता है इसलिए सर्दी जुखाम होने पर कपूर सुंघने से फायदा होता हैं.

12. यदि आप अपने घर पर ही कपूर का तेल बनाना चाहते हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह बनाना बहुत ही आसान है इसके लिए आप सबसे पहले एक कटोरा लेकर उसमें थोड़ा सा नारियल का तेल डालें, उसके बाद उसमें कुछ कपूर की गोलियां डाल दें, जब गोलियां पूरी घुल जाए तो इस मिश्रण को ऐसे डिब्बे में बंद कर दो जहां हवा ना जाती हो, इसे एक महीने तक ऐसे ही पड़ा रहने दें इसके बाद आपका कपूर का तेल तैयार हो जाएगा

उच्च / निम्न रक्तचाप

उच्च / निम्न रक्तचाप (BP HIGH & LOW) की दवाई:-
उच्च रक्तचाप की दवाई
1. उच्च रक्तचाप की बीमारी ठीक करने के लिए घर में उपलब्ध कुछ आयुर्वेदिक दवाईया है जो आप ले सकते है। एक बहुत अच्छी दवा आप के घर में है वो है दालचीनी जो मसाले के रूप में उपयोग होता है वो आप पत्थर में पिसकर पावडर बनाके आधा चम्मच रोज सुबह खाली पेट गरम पानी के साथ खाइए , अगर थोडा खर्च कर सकते है तो दालचीनी को शहद के साथ लीजिये (आधा चम्मच शहद आधा चम्मच दालचीनी) गरम पानी के साथ, ये हाई BP के लिए बहुत अच्छी दवा है।
2. एक और अच्छी दवा है जो आप ले सकते है पर दोनों में से कोई एक। दूसरी दवा है मेथी दाना, मेथी दाना आधा चम्मच लीजिये एक ग्लास गरम पानी में और रात को भिगो दीजिये, रात भर पड़ा रहने दीजिये पानी में और सुबह उठ कर पानी को पी लीजिये और मेथी दाने को चबा के खा लीजिये । ये बहुत जल्दी आपकी हाई BP कम कर देगा, डेढ़ से दो महीने में एकदम स्वाभाविक कर देगा।
3. एक और दवा है हाई BP के लिए वो है अर्जुन की छाल । अर्जुन एक वृक्ष होटा है उसकी छाल को धुप में सुखा कर पत्थर में पिस के इसका पावडर बना लीजिये। आधा चम्मच पावडर, आधा ग्लास गरम पानी में मिलाकर उबाल ले, और खूब उबालने के बाद इसको चाय की तरह पि ले। ये हाई BP को ठीक करेगा, कोलेस्ट्रोल को ठीक करेगा, ट्राईग्लिसाराईड को ठीक करेगा, मोटापा कम करता है, हार्ट में अर्टेरिस में अगर कोई ब्लोकेज है तो वो ब्लोकेज को भी निकाल देता है ये अर्जुन की छाल । डॉक्टर अक्सर ये कहते है कि दिल कमजोर है आपका; अगर दिल कमजोर है तो आप जरुर अर्जुन की छाल लीजिये हरदिन , दिल बहुत मजबूत हो जायेगा आपका; आपका ESR ठीक होगा, Ejection Fraction भी ठीक हो जायेगा; बहुत अच्छी दवा है ये अर्जुन की छाल।
4. एक और अच्छी दवा है हमारे घर में वो है लौकी का रस। एक कप लौकी का रस रोज पीना सबेरे खाली पेट नास्ता करने से एक घंटे पहले। और इस लौकी की रस में पांच धनिया पत्ता, पांच पुदीना पत्ता, पांच तुलसी पत्ता मिलाके, तीन चार काली मिर्च पिस के ये सब डाल के पीना .. ये बहुत अच्छा तरह आपके BP को ठीक करेगा और ये ह्रदय को भी बहुत व्यवस्थित कर देता है , कोलेस्ट्रोल को ठीक रखेगा, डाईबेटिक में भी काम आता है ।
5. एक और मुफ्त की दवा है , बेल पत्र की पत्ते - ये उच्च रक्तचाप में बहुत काम आते है। पांच बेल पत्र ले कर पत्थर में पिस कर उसकी चटनी बनाइये अब इस चटनी को एक ग्लास पानी में डाल कर खूब गरम कर लीजिये , इतना गरम करिए के पानी आधा हो जाये , फिर उसको ठंडा करके पि लीजिये । ये सबसे जल्दी उच्च रक्तचाप को ठीक करता है और ये बेलपत्र आपके सुगर को भी सामान्य कर देगा। जिनको उच्च रक्तचाप और सुगर दोनों है उनके लिए बेल पत्र सबसे अच्छी दवा है ।
6. एक मुफ्त की दवा है हाई BP के लिए - देशी गाय की मूत्र पीये आधा कप रोज सुबह खाली पेट ये बहुत जल्दी हाई BP को ठीक कर देता है । और ये गोमूत्र बहुत अद्भूत है , ये हाई BP को भी ठीक करता है और लो BP को भी ठीक कर देता है - दोनों में काम आता है और यही गोमूत्र डाईबेटिक को भी ठीक कर देता है , Arthritis , Gout (गठिया) दोनों ठीक होते है । अगर आप गोमूत्र लगातार पी रहे है तो दमा भी ठीक होता है अस्थमा भी ठीक होता है, Tuberculosis भी ठीक हो जाती है । इसमें दो सावधानिया ध्यान रखने की है के गाय शुद्धरूप से देशी हो और वो गर्भावस्था में न हो ।
निम्न रक्तचाप की बीमारी के लिए दवा:-
1. निम्न रक्तचाप की बीमारी के लिए सबसे अच्छी दवा है गुड । ये गुड पानी में मिलाके, नमक डालके, नीबू का रस मिलाके पि लो । एक ग्लास पानी में 25 ग्राम गुड, थोडा नमक नीबू का रस मिलाके दिन में दो तिन बार पिने से लो BP सबसे जल्दी ठीक होगा ।
2. एक और अच्छी दवा है ..अगर आपके पास थोड़े पैसे है तो रोज अनार का रस पियो नमक डालकर इससे बहुत जल्दी लो BP ठीक हो जाती है ,
3. गन्ने का रस पीये नमक डालकर ये भी लो BP ठीक कर देता है,
4. संतरे का रस नमक डाल के पियो ये भी लो BP ठीक कर देता है ,
5. अनन्नास का रस पीये नमक डाल कर ये भी लो BP ठीक कर देता है ।
6. लो BP के लिए और एक बढ़िया दवा है मिसरी और मखन मिलाके खाओ - ये लो BP की सबसे अच्छी दवा है ।
7. लो BP के लिए और एक बढ़िया दवा है दूध में घी मिलाके पियो , एक ग्लास देशी गाय का दूध और एक चम्मच देशी गाय का घी मिलाके रात को पिने से लो BP बहुत अछे से ठीक होगा ।
8. एक और अच्छी दवा है लो BP की और सबसे सस्ता भी वो है नमक का पानी पियो दिन में दो तिन बार , जो गरीब लोग है ये उनके लिए सबसे अच्छा है । (सिर्फ सेंधा नमक ही लेना, आयोडीन वाला नही) ।

यूरिक एसिड के 16 घरेलु उपाय.


1.) 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर में 1 चम्मच शहद मिलाकर 1 गिलास गुनगुने दूध के साथ पिएँ।

2.) रोज़ रात में सोने के पूर्व 3 अखरोट खाये।

3.) एलो वेरा जूस में आंवले का रस मिलाकर पीने से भी आराम आता है।

4.) नारियल पानी रोज पिए।

5. ) खाना खाने के आधे घंटे बाद 1 चम्मच अलसी के बीज चबाकर खाने से फ़ायदा मिलता है।

6.) बथुए का जूस खाली पेट पिएँ। दो घंटे तक कुछ न खाएँ पिएँ।

7.) अजवाइन भी शरीर में हाइ यूरिक एसिड को कम करने की अच्छी दवा है। इसलिए भोजन पकाने में अजवाइन का इस्तेमाल करें।

8.) हर रोज दो चम्मच सेब का सिरका 1 गिलास पानी में मिलाकर दिन में 3 बार पिएँ। लाभ दिखेगा।

9.) सेब, गाजर और चुकंदर का जूस हर रोज़ पीने से बॉडी का pH लेवल बढ़ता है और यूरिक एसिड कम होता है।

10.) एक मध्यम आकार का कच्चा पपीता लें, उसे काटकर छोटे छोटे टुकड़े कर लें। बीजों को हटा दें। कटे हुए पपीते को 2 लीटर पानी में 5 मिनट के लिए उबालें। इस उबले पानी को ठंडा करके छान लें और इसे दिन में चाय की तरह 2 से 3 बार पिएँ।

11.) नींबू पानी पिएँ। ये बॉडी को डिटॉक्सिफ़ाइ करता है और क्रिस्टल को घोलकर बाहर कर देता है।

12.) कुकिंग के लिए तिल, सरसों या ऑलिव ऑयल का प्रयोग करें। हाइ फ़ाइबर डाइट लें।

13.) अगर लौकी का मौसम हो तो सुबह खाली पेट लौकी (घीया, दूधी) का जूस निकाल कर एक गिलास इस में 5-5 पत्ते तुलसी और पुदीना के भी डाल ले, अब इसमें थोड़ा सेंधा नमक मिला ले। और इसको नियमित पिए कम से कम 30 से 90 दिन तक।

14.) रात को सोते समय डेढ़ गिलास साधारण पानी में अर्जुन की छाल का चूर्ण एक चम्मच और दाल चीनी पाउडर आधा चम्मच डाल कर चाय की तरह पकाये और थोड़ा पकने पर छान कर निचोड़ कर पी ले। ये भी 30 से 90 दिन तक करे।

15.) चोबचीनी का चूर्ण का आधा आधा चम्मच सवेरे खाली पेट और रात को सोने के समय पानी से लेने पर कुछ दिनों में यूरिक एसिड खत्म हो जाता है।

16.) दिन में कम से कम 3-5 लीटर पानी का सेवन करें। पानी की पर्याप्‍त मात्रा से शरीर का यूरिक एसिड पेशाब के रास्‍ते से बाहर निकल जाएगा। इसलिए थोड़ी – थोड़ी देर में पानी को जरूर पीते रहें।

यूरिक एसिड में परहेज.


दही, चावल, अचार, ड्राई फ्रूट्स, दाल, और पालक बंद कर दे।

ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन न करें।

पैनकेक, केक, पेस्ट्री जैसी वस्तुएँ न खाएँ।
डिब्बा बंद फ़ूड खाने से बचें।
शराब और बीयर से परहेज़ करें।

रात को सोते समय दूध या दाल का सेवन अत्यंत हानिकारक हैं। अगर दाल खातें हैं तो ये छिलके वाली खानी है, धुली हुयी दालें यूरिक एसिड की समस्या के लिए

सब से बड़ी बात खाना खाते समय पानी नहीं पीना, पानी खाने से डेढ़ घंटे पहले या बाद में ही पीना हैं।

फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स, पैकेज्ड फ़ूड, अंडा, मांस, मछली, शराब, और धूम्रपान बिलकुल बंद कर दे। इन से आपकी यूरिक एसिड की समस्या,
हार्ट की कोई भी समस्या, जोड़ो के दर्द, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में बहुत आराम आएगा।

Wednesday, 14 December 2016

कब्ज होने के कारण – Reason behind Kabj

कब्ज की शिकायत किसी को भी हो सकती है इस प्रकार की समस्या प्राय स्त्री – पुरुष, युआ एवं वृद्ध सभी में पाया जाता है | कब्ज कई कारणों से हो सकता है ,इसके होने के कुछ प्रमुख करक इस प्रकार है –

शरीर में तरल पदार्थ एवं जल की कमी ही कब्ज के लिए सबसे अधिक उत्तरदायी है | तरल पदार्थो की कमी होने पर मल अंतो में सुख जाता है | जिस्से कब्ज होती है |रोजना पानी का कम इस्तेमाल से |अपने अहार में रेशेदार (fiber) सब्जियों का कम इस्तेमाल से |पाचन क्रिया का सही तरह से कम न करने से |समय पर भोजन न करने से |मल एवं पेशाब को समय पर न त्यागने से |स्त्री में गर्भ धारण के समय |अंतो में सिकुड़न के कारण |

कब्ज से बचने के उपाए (Kabj ke gharelu nuskhe aur ilaj / Treatments for Constipation)

कब्ज की समस्या से निजत पाने के लिए लोगो को अपने शारीर का तथा अपने खानपान में ध्यान रखने की आवश्यकता है | कुछ सावधानिय बरतने से भी कब्ज से बचा जा सकता है | जैसे –

पानी अधिक पिए : कब्ज से बचने के लिए अपने शारीर में जल की कमी न होने दे | इसके लिए अधिक से अधिक पानी पिए | दिन में कमसे कम 4 liter जल का उपयोग करे |

रेशेदार सब्जी : रसेदार सब्जी हरे साग, भिंडी, बीन्स, का उपयोग अपने खाने में शामिल करे |

नारंगी (orange) ; नारंगी में vitamin – c होता है ओर यह रेशेदार भी होता है |

रोजाना भोजन करने के बाद 2 नारंगी खाए |हो सके तो 1 गल्स नारंगी का जूस पियें |

दूध एवं घी (milk & ghee) ; दूध एवं घी को मिलाकर पिने से भी कब्ज दूर होता है |

एक ग्लास गरम दूध में एक चम्मच घी मिलाए |उसमें ½ चमच्च हल्दी पाउडर मिला कर अच्छे से घोल ले |रोजाना सोने से पहले पिए |

फल (fruits) : रोजाना सुब सुबह में फल खाना चाहिए जैसे सेब , अमरुद ,अंगूर ,पपीता अदि, इनसभी फलो का उपयोग करने से आपको कब्ज से fast राहत मिलेगी |

पत्तागोभी (cabbage) : पत्तगोभी का juice पिने से कब्ज दूर होता है |

पत्तगोभी के 3 या 4 पत्तियों को पीस ले |पीसी हुई रस को एक ग्लास पानी में मिलकर दिन में 2 बार पिए |अगर पिने में कड़वा लगे तो 1 चमम्च मधु मिला का पि लिया करें |

त्रिफला का चूर्ण (Triphala powder) : triphala का चूर्ण जो हरीतकी , अवला, और विभित्की फलो से बना होता है , इस चूर्ण को शहद के साथ रोजाना दिन में दो बार लेने से कब्ज से रहत ,मिलती है |

आधे कप से भी कम शाहद में triphala का चूर्ण को मिला ले |मिश्रण को दिन में दो बार सुबह और साम पिए |

आवंला (awala) ; आवंला  का फल में vitamin – c का गुण अधिक मात्र में मिलता है | कच्चे अवाला की 3, 4 फालिया रोजन खाने से लीवर और अंत स्वास्थ बने रहते है |

नीबूं पानी (lemon juice) –

1 या 2 नीबूं के रस को निचोड़ ले |एक ग्लास पानी में उसे घोल कर रोजाना 2 से 3 ग्लास पिए.

गर्म पानी और शहद (honey with hot water)

एक ग्लास में गर्म पानी ले कर 2 चम्मच शहद मिलाए|रोजाना सुबह खली पेट इस्तेमाल करे, अच्छे परिणाम के लिए रोज़ाना सुबह सुबह एक गिलास इसका सेवन करना चाहिए |\

कब-कब लें आयुर्वेदिक दवाएं ➰➰➰➰➰➰➰


आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में अक्सर हम यह सोचते हैं, कि इसे कभी भी ले लो क्या फर्क पड़ता है? तो आप गलत सोचते हैं, आज हम आपको बताएंगे इन दवाओं को लेने के भी अपने कुछ नियम होते हैं, जिसके अनुसार-
🔹सूर्योदय का समय
🔹दिन में भोजन करते समय
🔹सायंकाल भोजन करते समय
🔹अनेक बार यानि पुन: पुन:
🔹रात्रि में
🔻ये पांच समय दवाओं के प्रयोग हेतु निर्देशित किये गए हैं।🔻
🔹सूर्योदय के समय कफ एवं पित्त दोष अपने स्थान से बाहर निकलने को बेताब होते है, अत: वामक एवं विरेचक दवाओं के सेवन के लिए यह बेहतर समय माना गया है।
🔹मलाशय में उपस्थित अपान वायु के कारण होने वाली परेशानियों में दिन में भोजन के पहले दवा का सेवन करना बेहतर होता है।
🔹यदि खाने की इच्छा न हो यानि अरुचि जैसी स्थिति हो तो, रुचिकर भोजन के साथ मिलाकर दवा का सेवन करना बेहतर होगा।
🔹यदि रोगी में समान वायु के बिगड़ जाने से अग्नि मंद हो गयी हो तो, बुझी हुई अग्नि को प्रज्वलित करने हेतु भोजन करते समय या आधा भोजन कर लेने के बाद औषधि का सेवन करना चाहिए।
🔹इसी  प्रकार व्यान वायु बिगड़ने पर भोजन के बाद दवा का सेवन करना चाहिए ...,पुन:  यदि किसी को हिचकी,झटके एवं कम्पवात जैसी समस्या हो एवं समान वायु भी विकृत हो तो, भोजन के पूर्व या भोजन करने के बाद दवा देना चाहिए ...उदान वायु के बिगडऩे पर या सांस,खांसी आदि  स्थितियों में रात्रि के पूर्व प्रहर में दो ग्रास के मध्य औषधी देनी चाहिए।
🔹प्राणवायु के विकृत होने पर सायंकालीन नाश्ते  के अंत  मे  दवा देनी  चाहिए ..प्यास,उल्टी दमा या विष के सेवन किये रोगी को जल्दी-जल्दी अनेक बार अलग से या भोजन में मिलाकर दवा देने का निर्देश है।
🔹इसी प्रकार कान,नाक ,गला जिव्हा ,दांत आदि से समबंधित रोगों में दोषों को घटाने  या बढाने के लिए रात्रि में सोते समय भोजन से पूर्व दवा दी जानी चाहिए .....।
 इसलिए बेहतर यह होगा कि आप कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से ही आयुर्वेदिक दवा का सेवन करें ...जिनसे दवा के किस समय लेने ,न लेने ,किसके साथ लेने न लेने,पथ्य एवं अपथ्य  से सम्बंधित परामर्श भी मिले।

टायफाईड

यदि किसी को टायफाईड हो गया हो

यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें ! कुछही दिनों में आराम हो जायगा !
सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएँ। फिरमाता सीता से एक श्वास में अपनी कामना निवेदित कर भक्ति पूर्वक प्रणाम कर वापस आजाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
रोगी को ठीक करने के लिए - कृष्ण पक्ष में अमावस्या की रात को 12 बजे नहा-धोकरनीले रंग के वस्त्र ग्रहण करें। आसन पर नीला कपड़ा बिछाकर पूर्व की ओर मुख करकेबैठे। इसके पश्चात चौमुखी दीपक (चार मुँह वाला जलाएँ। (निम्न सामग्री पहले सेइकट्ठी करके रख लें) नीला कपड़ा सवा गज दृ 4 मीटर चौमुखी दिए 40 नग, मिट्टी कीगड़वी 1 नग, सफेद कुशासन(कुश का आसन) 1 नग, बत्तियाँ 51 नग, छोटी इलायची 11दाने, छुहारे (खारक) 5 नग, एक नीले कपड़े का रूमाल, दियासलाई, लौंग 11 दाने, तेलसरसों 1 किलो इत्र व शीशी गुलाब के फूल 5 नग, गेरू का टुकड़ा, 1 लडडू और लड्डू केटुकड़े 11 नग।
विधि - नीले कपड़े के चारों कोने में लड्डू, लौंग, इलायची एवं छुहारे बाँध लें, फिर मिट्टीके बर्तन में पानी भरकर, गुलाब के फूल भी वहाँ रख लें। फिर नीचे लिखा मंत्र पढ़ें। मंत्रपढ़ते समय लोहे की चीज (दियासलाई) से अपने चारों ओर लकीर खींच लें।
मंत्र इस प्रकार है।
ऊँ अनुरागिनी मैथन प्रिये स्वाहा।
शुक्लपक्षे, जपे धावन्ताव दृश्यते जपेत्।।
यह मंत्र चालीस दिन लगातार पढ़ें, (सवा लाख बार) सुबह उठकर नदी के पानी में अपनीछाया को देखें। जब मंत्र संपूर्ण हो जाएँ तो सारी सामग्री (नीले कपड़े सहित) पानी में बहादें।
अब जिसको आप अपने वश में करना चाहते हैं अथवा जिस किसी रोगी का इलाज करनाचाहते हैं, उसका नाम लेकर इस मंत्र को 1100 बार पढ़ें, बस आपका काम हो जाएगा।

काला नमक वाला पानी पीने से मिलेंगे ये फायदे!

काला नमक को अपने आहार में शामिल करने से हमारे शरीर की कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। यह कोलेस्‍ट्रॉल, मधुमेह, हाई बीपी, डिप्रेशन और पेट की तमाम बीमारियों से हमें छुटकारा दिलाता है क्‍योंकि इसमें 80 प्रकार के खनिज शामिल होते हैं। अगर आप सुबह काला नमक को पानी में मिला कर पीना शुरु कर दें तो आपको इससे काफी स्‍वास्‍थ्‍य लाभ मिलेगा। कई लोग सादे नमक का बहुत ज्‍यादा प्रयोग करते है जो हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिये हानिकारक हो सकता है इसलिये बेहतर होगा कि आप उसे हटा कर काले नमक का सेवन करे। आइए जानते है काले नमक के फायदें और इस बनाने का तरीका।
बनाने का तरीका
एक गिलास गुनगुने पानी में आधा छोटा चम्‍मच काला नमक मिलाइए। फिर इसे चम्‍मच से मिक्‍स कीजिए और 24 घंटे के लिए छोड़ दे। उसके बाद जब सारा नमक पानी में घुल जाए तब इसे पी लें।
काला नमक वाला पानी पीने के फायदे
1. पाचन को ठीक रखें
नमक वाला पानी मुंह में लार वाली ग्रंथी को सक्रिय करके हाइड्रोक्लोरिक एसिड और प्रोटीन को पचाने वाले इंजाइम को उत्तेजित करने में मदद करता है, जिससे भोजन आसानी से पच जाता है।
2. मोटापा घटाएं
यह पाचन को दुरस्त कर के शरीर की कोशिकाओं तक पोषण पहुंचाता है, जिससे मोटापा कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
3. जोड़ों के दर्द से दिलाए आराम
काला नमक मासपेशियों के दर्द और जोड़ों के दर्द से छुटकारा दिलाता है। इसके लिए एक कपड़े में 1 कप काला नमक डाल कर उसे बांध कर पोटली बना लें। इसके बाद उसे किसी पैन में गरम करें और उससे जोड़ों की सिकाई करें। ऐसा आपको दिन में दो बार करना है।
4. गैस से छुटकारा दिलाए
अगर आपको गैस की समस्या रहती है तो एक कॉपर के बरतन गैस पर चढाएं, फिर उसमें काला नमक डाल कर उसे हल्‍का चलाएं और जब उसका रंग बदल जाए तब गैस बंद कर दें। फिर इसका आधा चम्‍मच ले कर एक गिलास पानी में मिक्‍स कर के पी लें।
5. कोलेस्‍ट्रॉल लेवल कंट्रोल करे
काला नमक खाने से रक्‍त पतला होता है जिससे वह पूरे शरीर में आराम से पहुंचता है। ऐसे में आपका हाई कोलेस्‍ट्रॉल और ब्‍लड प्रेशर ठीक होता है। अगर आपका हाइ बीपी है तो काला नमक जरूर खाएं।
6. शिशुओं के लिए लाभदायक
काला नमक छोटे बच्चों के लिए सबसे अच्छा होता है। अपने शिशु के भोजन में थोड़ा सा काला नमक रोजाना मिलाएं क्‍योंकि इससे उनका पेट भी ठीक रहता है और कफ आदि से भी छुटकारा मिलता है।
7. रूसी को खत्म करे
अगर आपको बाल झड़ने की समस्‍या और सिर में रूसी है तो काला नमक और टमाटर का जूस हफ्ते में एक बार सिर में लगाएं। यह रूसी को दूर करेगा और बालों की ग्रोथ को भी बढ़ाएगा।

सोरायसिस (Psoriasis)

परिचय:-

सोरायसिस रोग जब किसी व्यक्ति को हो जाता है तो जल्दी से ठीक होने का नाम नहीं लेता है। यह छूत का रोग नहीं है। इस रोग का शरीर के किसी भाग पर घातक प्रभाव नहीं होता है। जब यह रोग किसी को हो जाता है तो उस व्यक्ति का सौन्दर्य बेकार हो जाता है तथा वह व्यक्ति भद्दा दिखने लगता है। यदि इस बीमारी के कारण भद्दा रूप न हो और खुजली न हो तो सोरायसिस के साथ आराम से जिया जा सकता है।

सोरायसिस रोग होने के लक्षण-

          जब किसी व्यक्ति को सोरायसिस हो जाता है तो उसके शरीर के किसी भाग पर गहरे लाल या भूरे रंग के दाने निकल आते है। कभी-कभी तो इसके दाने केवल पिन के बराबर होते हैं। ये दाने अधिकतर कोहनी, पिंडली, कमर, कान, घुटने के पिछले भाग एवं खोपड़ी पर होते हैं। कभी-कभी यह रोग नाम मात्र का होता है और कभी-कभी इस रोग का प्रभाव पूरे शरीर पर होता है। कई बार तो रोगी व्यक्ति को इस रोग के होने का अनुमान भी नहीं होता है। शरीर के जिस भाग में इस रोग का दाना निकलता है उस भाग में खुजली होती है और व्यक्ति को बहुत अधिक परेशान भी करती है। खुजली के कारण सोरायसिस में वृद्धि भी बहुत तेज होती है। कई बार खुजली नहीं भी होती है। जब इस रोग का पता रोगी व्यक्ति को चलता है तो रोगी को चिंता तथा डिप्रेशन भी हो जाता है और मानसिक कारणों से इसकी खुजली और भी तेज हो जाती है।

          सोरायसिस रोग के हो जाने के कारण और भी रोग हो सकते हैं जैसे- जुकाम, नजला, पाचन-संस्थान के रोग, टान्सिल आदि। यदि यह रोग 5-7 वर्ष पुराना हो जाए तो संधिवात का रोग हो सकता है।

सोरायसिस रोग होने का कारण:-

अंत:स्रावी ग्रन्थियों में कोई रोग होने के कारण सोरायसिस रोग हो सकता है।पाचन-संस्थान में कोई खराबी आने के कारण भी यह रोग हो सकता है।बहुत अधिक संवेदनशीलता तथा स्नायु-दुर्बलता होने के कारण भी सोरायसिस रोग हो सकता है।खान-पान के गलत तरीकों तथा असन्तुलित भोजन और दूषित भोजन का सेवन करने के कारण भी सोरायसिस रोग हो सकता है।असंयमित जीवन जीने, जीवन की विफलताएं, परेशानी, चिंता तथा एलर्जी के कारण भी यह रोग हो सकता है।

सोरायसिस रोग के होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को 1 सप्ताह तक फलों का रस (गाजर, खीरा, चुकन्दर, सफेद पेठा, पत्तागोभी, लौकी, अंगूर आदि फलों का रस) पीना चाहिए। इसके बाद कुछ सप्ताह तक रोगी व्यक्ति को बिना पका हुआ भोजन खाना चाहिए जैसे- फल, सलाद, अंकुरित दाल आदि और इसके बाद संतुलित भोजन करना चाहिए। रोगी को अपने भोजन में फल, सलाद का अधिक सेवन करना चाहिए। इस प्रकार से रोगी व्यक्ति यदि उपचार करे तो उसका सोरायसिस रोग कुछ ही महीनों में ठीक हो जाता है।सोरायसिस रोग से पीड़ित रोगी को दूध या उससे निर्मित खाद्य पदार्थ, मांस, अंडा, चाय, काफी, शराब, कोला, चीनी, मैदा, तली भुनी चीजें, खट्टे पदार्थ, डिब्बा बंद पदार्थ, मूली तथा प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।नारियल, तिल तथा सोयाबीन को पीसकर दूध में मिलाकर प्रतिदिन पीने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।आंवले का प्रतिदिन सेवन करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।विटामिन `ई´ युक्त पदार्थों का अधिक सेवन करने से यह रोग कुछ ही महीनों में ठीक हो जाता है।जौ, बाजरा तथा ज्वार की रोटी इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए बहुत अधिक लाभदायक है।सूर्यतप्त हरी बोतल का पानी प्रतिदिन दिन में 4 बार पीने से तथा सूर्यतप्त हरी बोतल का नारियल का तेल दानों पर लगाने से सोरायसिस रोग ठीक हो जाता है।सोरायसिस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में खुली हवा में गहरी सांस लेनी चाहिए तथा धूप स्नान करना चाहिए। इसके बाद नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से रोगी को स्नान करना चाहिए और सप्ताह में 1 बार पानी में नमक डालकर उस पानी से स्नान करना चाहिए। रोगी को प्रतिदिन एनीमा क्रिया करके पेट को साफ करना चाहिए तथा कुछ दिनों तक उपवास रखना चाहिए। रोगी को प्रतिदिन कुछ समय तक हरी घास पर नंगे पैर चलना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने पर सोरायसिस रोग ठीक हो जाता है।

तेजपत्तों का सेवन

     आज हम बात करेंगे हमारी रसोई घर की एक बेहतरीन औषधि तेजपत्तों की जिससे सारी बहने बाखूबी परिचित हैं , लेकिन इसके गुणों के विषय में हमें पूरी जानकारी नहीं होती है । आज इसीलिए तेजपत्तों पर बात करेंगे ।

* क्या आपको पता है कि ये बहुत चमत्कारी औषधि है.....!

*जी हाँ आइये तेजपत्ते का सेवन कीजिए....

* पुलाव बिरयानी की प्लेट में तेजपात नज़र आता है जिसे हम बड़े करीने से प्लेट से अलग कर देते हैं ।

इसका पेड़ पचीस फुट तक ऊँचा होता है और इस पर पीले रंग के फूल लगते हैं। इसमें रासायनिक खोज करने पर तीन तरह के तेल पाए गए हैं। उतपत्त तेल ,यूजीनाल और आइसो यूजीनाल। इसे हिन्दी में तेजपात और संस्कृत में तमालपत्र कहते हैं। इसे वैज्ञानिक भाषा में Cinnamomum tamala कहते हैं।

*आइये तेजपात के औषधीय गुणों की चर्चा करे .....!

जुयें के लिए - तेजपात के ५-६ पत्तों को एक गिलास पानी में इतने उबालें की पानी आधा रह जाए | इस पानी से प्रतिदिन सिर की मालिश करने के बाद नहाएं | इससे सिर में जुएं नहीं होती हैं |

सर्दी-जुकाम,छींकें आना ,नाक बहना,जलन ,सिरदर्द आदि - तेजपत्ते की चाय पीजिये शीघ्र लाभ मिलता है |

हकलाहट में -  तेजपात के पत्रों को नियमित रूप से चूंसते रहने से हकलाहट में लाभ होता है |

खाँसी - एक चम्मच तेजपात चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से खाँसी में आराम मिलता है |

पेट फूलना व अतिसार - तेजपात के पत्तों का क्वाथ (काढ़ा) बनाकर पीने से पेट का फूलना व अतिसार आदि में लाभ होता है |

उबकाई - इसके २-४ ग्राम चूर्ण का सेवन करने से उबकाई मिटती है |

दमा में - तेजपात ,पीपल,अदरक, मिश्री सभी को बराबर मात्र में लेकर चटनी पीस लीजिए।१-१ चम्मच चटनी रोज खाएं ४० दिनों तक। फायदा सुनिश्चित है।

दाँतो के लिए -  सप्ताह में तीन दिन तेजपात के बारीक चूर्ण से मंजन कीजिए। दाँत चमकदार व मजबूत होंगे, दांतों में कीड़ा नहीं लगेगा ,ठंडा गरम पानी नहीं लगेगा , दांत मोतियों की तरह चमकेंगे।

कीड़ो से बचाव - कपड़ों के बीच में तेजपात के पत्ते रख दीजिए , ऊनी, सूती, रेशमी कपडे कीड़ों से बचे रहेंगे। अनाजों के बीच में ४-५ पत्ते डाल दीजिए तो अनाज में भी कीड़े नहीं लगेंगे। उनमें एक दिव्य सुगंध जरूर बस जायेगी।

दुर्गंध में - अनेक लोगों के मोजों से दुर्गन्ध आती है ,वे लोग तेजपात का चूर्ण पैर के तलुवों में मल कर मोज़े पहना करें। पर इसका मतलब ये नहीं कि आप महीनों तक मोज़े धुलें ही न। वैसे भी अंदरूनी कपडे और मोज़े तो रोज धुलने चाहिए। मुँह से दुर्गन्ध आती है तो तेजपात का टुकड़ा चबाया करें। बगल के पसीने से दुर्गन्ध आती है तो तेजपात का चूर्ण पावडर की तरह बगलों में लगाया करें।

आँखों की रोशनी में - अचानक आँखों में कुछ रोशनी कम होने लगे तो तेजपात के बारीक चूर्ण को सुरमे की तरह आँखों में लगायें, इससे आँखों की सफाई हो जायेगी और नसों में ताजगी आ जायेगी जिससे आपकी दृष्टि तेज हो जायेगी। इस प्रयोग को लगातार करने से चश्मा भी उतर सकता है।

पेट में गैस - गैस की वजह से तकलीफ महसूस हो रही हो तो ३-४ चुटकी या ४ मिली ग्राम तेजपात का चूर्ण पानी से निगल लीजिए। एसीडिटी की तकलीफ में इसका लगातार सेवन बहुत फायदा करता है और पेट को आराम मिलता है।

हृदय में - तेजपात का अपने भोजन में लगातार प्रयोग कीजिए ,आपका ह्रदय मजबूत बना रहेगा , कभी हृदय रोग नहीं होंगे।

पागलपन के लिए -  एक एक ग्राम तेजपात का चूर्ण सुबह शाम रोगी को पानी या शहद से खिलाएं या तेजपात के चूर्ण का हलुआ बनाकर खिलाएं। सूजी के हलवे में एक चम्मच तेजपात का चूर्ण डाल दीजिए। बन गया हलवा।

पेट की वीमारी - पेट की किसी भी बीमारी में तेजपत्ते का काढा बनाकर पीजिए। दस्त, आँतों के घाव, भूख न लगना सभी में आराम मिलेगा।

हृदयाघात तथा गर्म पानी पीना

यह भोजन के बाद गर्म पानी पीने के बारे में ही नहीं हृदयाघात के बारे में भी एक अच्छा लेख है। चीनी और जापानी अपने भोजन के बाद गर्म चाय पीते हैं, ठंडा पानी नहीं। अब हमें भी उनकी यह आदत अपना लेनी चाहिए। जो लोग भोजन के बाद ठंडा पानी पीना पसन्द करते हैं यह लेख उनके लिए ही है।

भोजन के साथ कोई ठंडा पेय या पानी पीना बहुत हानिकारक है क्योंकि ठंडा पानी आपके भोजन के तैलीय पदार्थों को जो आपने अभी अभी खाये हैं ठोस रूप में बदल देता है। इससे पाचन बहुत धीमा हो जाता है। जब यह अम्ल के साथ क्रिया करता है तो यह टूट जाता है और जल्दी ही यह ठोस भोजन से भी अधिक तेज़ी से आँतों द्वारा सोख लिया जाता है। यह आँतों में एकत्र हो जाता है। फिर जल्दी ही यह चरबी में बदल जाता है और कैंसर के पैदा होने का कारण बनता है।

इसलिए सबसे अच्छा यह है कि भोजन के बाद गर्म सूप या गुनगुना पानी पिया जाये। एक गिलास गुनगुना पानी सोने से ठीक पहले अभी पीना चाहिए। इससे खून के थक्के नहीं बनेंगे और आप हृदयाघात से बचे रहेंगे।

एक हृदय रोग विशेषज्ञ का कहना है कि यदि इस संदेश को पढ़ने वाला प्रत्येक व्यक्ति इसे १० लोगों को भेज दे, तो वह कम से कम एक जान बचा सकता है।

योग व प्राकृतिक तरीके से मोटापा कम करें।

भोजन में गेहूं के आटे की चपाती लेना बन्द करके जौ-चने के आटे की चपाती लेना शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें और इसी आटे की चपाती खाएं। इससे सिर्फ पेट और कमर ही नहीं सारे शरीर का मोटापा कम हो जाएगा।
प्रातः एक गिलास ठंडे पानी में 2 चम्मच शहद घोलकर पीने से भी कुछ दिनों में मोटापा कम होने लगता है। दुबले होने के लिए दूध और शुद्ध घी का सेवन करना बन्द न करें। वरना शरीर में कमजोरी, रूखापन, वातविकार, जोड़ों में दर्द, गैस ट्रबल आदि होने की शिकायतें पैदा होने लगेंगी। पेट व कमर का आकार कम करने के लिए सुबह उठने के बाद या रात को सोने से पहले नाभि के ऊपर के उदर भाग को 'बफारे की भाप' से सेंक करना चाहिए।

इस हेतु एक तपेली पानी में एक मुट्ठी अजवायन और एक चम्मच नमक डालकर उबलने रख दें। जब भाप उठने लगे, तब इस पर जाली या आटा छानने की छन्नी रख दें। दो छोटे नैपकिन या कपड़े ठण्डे पानी में गीले कर निचोड़ लें और तह करके एक-एक कर जाली पर रख गरम करें और पेट पर रखकर सेंकें। प्रतिदिन 10 मिनट सेंक करना पर्याप्त है। कुछ दिनो में पेट का आकार घटने लगेगा।

>>सुबह उठकर शौच से निवृत्त होने के बाद निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करें या प्रातः 2-3 किलोमीटर तक घूमने के लिए जाया करें। दोनों में से जो उपाय करने की सुविधा हो सो करें।

भुजंगासन, शलभासन, उत्तानपादासन, पश्चिमोतानासन आसन, सर्वागासऩ, हलासन, सूर्य नमस्कार। इनमें शुरू के पाँच आसनों में 2-2 मिनट और सूर्य नमस्कार पांच बार करें तो पांच मिनट यानी कुल 15 मिनट लगेंगे।

प्राणायाम - सूर्यभेदी, अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका

पुरुषों की कमजोरी को जड़ से मिटाने के देसी तरीके



मूसली काली और सफेद दो तरह की होती है। सफेद मूसली काली मूसली से अधिक गुणकारी होती है और वीर्य को गाढ़ा करने वाली होती है। मूसली का 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह और शाम दूध के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है और शरीर में काम-उत्तेजना की वृद्धि होती है। उड़द के लड्डू, उड़द की दाल, दूध में बनाई हुई उड़द की खीर का सेवन करने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है।वीर्य तथा सेक्स क्षमता में वृद्धि के लिए- पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें।तालमखाने के बीज, चोबचीनी, ढाक का गोंद और मोचरस (सभी 100-100 ग्राम) तथा 250 ग्राम मिश्री को कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। इससे यौन रुपी कमजोरी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग दूर होते हैं।

Tuesday, 13 December 2016

फेशियल मास्क (Facial Masks)

आपकी चेहरे की त्वचा सबसे ज्यादा आस पास के वातावरण से प्रभावित होती हैं | सूरज की हानिकारक  किरण, रासायनिक (श्रृगार और अन्य उत्पादों के माध्यम से ), प्रदुषण हमारी त्वचा को इस सबसे बचाने के लिए नियमित उपचार के अलावा और ज्यादा देखभाल की जरुरत होती हैं | घरेलु उपचार आजकल ज्यादातर लोग इस्तेमाल करना चाहते हैं खासकर महिलाएं |अलका भंडारी

फेशियल करने की विधि
आपको अपने घर में ही बहुत सारा ऐसा सामन मिल जायेगा जिससे की आप अपने चेहरे के लिए मास्क बना सकती हैं | ज्यादातर मास्क में ऐसा सामान का मिश्रण होता हैं जो आपकी त्वचा को सुन्दर और मुलायम बनाता हैं कुछ आम सामग्री जो मास्क बनाने में इस्तेमाल होती हैं , वो इस प्रकार हैं :-अलका भंडारी

शहद (Honey)
शहद के फायदे, यह आपकी त्वचा को मुलायम और चमकदार बनती हैं |

नीम्बू (Lemon)
नींबू के फायदे, नीम्बू हर प्रकार की त्वचा और बालों को सुधरने का एक प्राकृतिक उपचार हैं | नीम्बू से कई सारे तरीके की बीमारियाँ जैसे की कब्ज , खांसी , उल्टियाँ और साइन में दर्द आदि ठीक हो जाते हैं | नीम्बू के अलावा शहद भी सर्दी खांसी को सही करने में इस्तेमाल किया जा सकता हैं

हल्दी (Turmeric)
हल्दी पुराने समय से त्वचा से सम्बंधित बीमारियों का उपचार करने में इस्तेमाल में आ रही हैं | हल्दी में  एंटीबैक्टीरियल तत्व हैं और त्वचा के घाव भरने के लिया भी इस्तेमाल होती हैं | हल्दी को मुल्तानी मिट्टी, चन्दन पाउडर , दूध और शहद मिलाकर एक फेस पैक बना सकते हैं | हल्दी का उपयोग, सिर्फ हल्दी को पानी के साथ या गुलाबजल के साथ पुरे शरीर पर इस्तेमाल कर सकते हैं यह आपके रंग को साफ़ करने में मदद करता हैं | हल्दी को शरीर पर बाहर जाने के एक घंटे पहले इस्तेमाल करना चाहिए जिससे की हल्दी का पीला रंग आपके चेहरे पर ना दिखाई दे |

दूध (Milk)
दूध हमारी त्वचा को प्राकृतिक तरीके से नमी प्रदान करता हैं | इसका क्रीमी बनावट त्वचा को चिकनी और चमकदार बनाती हैं |अपनी त्वचा को कच्चे दूध से मालिश करें या एक ब्रेड स्लाइस को दूध में डुबो कर तब तक रगडें जब तक वो धुल में बदल कर गिरने ना लगे | यह आपके चेहरे से मरी हुई कोशिकाओं को हटाने का काम करता हैं |अलका भंडारी

मुल्तानी मिटटी (Multani Mitti)
यह एक बहुत असरदार तरीका हैं अपनी त्वचा को सुन्दर और साफ़ बनाने के लिए इसमें आप शहद, हल्दी ,पानी, चन्दन पाउडर मिलाकर फेस पैक बना सकते हैं |

तेल (Essential Oils)
तेल जैसे की जैतून का तेल , जोजोबा का तेल आदि खुबसूरत त्वचा पाने के लिए जरुरी हैं | कुछ बूँद तेल की लें और इससे बालों की मालिश करें आपको जल्द ही फर्क दिखाई देगा

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त्वचा की देखभाल करने के अन्य नुस्ख़े :-

चेहरे पर मेकअप (makeup) लगाने के पहले और बाद में एक अच्छे क्लीन्ज़र (cleanser) का प्रयोग करें।
जितना हो सके, एंटीबैक्टीरियल (antibacterial) उत्पादों का प्रयोग करें।
किसी केमिकल (chemical) आधारित उपचार का प्रयोग करने की बजाय प्राकृतिक उपायों से त्वचा की किसी भी समस्या को दूर करने का प्रयास करें।
रोजाना अपनी त्वचा को मोइस्चराईस (Moisturize) करें।
एक अच्छी गुणवत्ता के टोनर (toner) का प्रयोग करें, या फिर प्राकृतिक पदार्थों की मदद से एक घरेलू टोनर का निर्माण करें।
इस बात को याद रखें कि प्राकृतिक सुन्दरता प्राकृतिक उत्पादों से ही आती है। किसी भी कठोर केमिकल युक्त उत्पाद का प्रयोग ना करें, क्योंकि इससे आपके त्वचा की अवस्था और भी खराब होगी। आपकी रसोई में कई प्राकृतिक पदार्थ उपलब्ध हैं। उनका प्रयोग करें और त्वचा को स्वच्छ और सुन्दर बनाए रखें।अलका

स्वस्थ और दमकती त्वचा के लिए 5 कदम :-

त्वचा की क्लींजिंग करना काफी आवश्यक होता है। इसका अर्थ होता है चेहरे को अच्छे से साफ़ करना, जिसका पालन एक बार दिन में और एक बार रात में सोने से पहले होना ही चाहिए। ऐसा करने से त्वचा की छिपी गन्दगी और अन्य अशुद्धियाँ, जो रोजाना के प्रदूषण, थकान, धूम्रपान और कमरे को महकाने वाले पदार्थों की वजह से चेहरे पर जमा होती रहती हैं, दूर होती हैं। सिर्फ किसी आम साबुन से त्वचा की सफाई करने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए एक अच्छे क्लीन्ज़र की आवश्यकता होगी। अगर त्वचा की रोजाना सफाई ना की जाए तो अतिरिक्त गन्दगी और तेल से रोमछिद्र (pores) बंद हो जाते हैं।

एक्सफोलिएट (Exfoliate)
एक्स्फोलियेशन (Exfoliation) त्वचा की परतों से मृत कोशिकाएं निकालने की प्रक्रिया को कहते हैं, जिसके बाद नीचे से नयी त्वचा निकलती है। यह चेहरे से उस गन्दगी को भी निकालने में मदद करता है, जिससे त्वचा के रोमछिद्र (pores) बंद हो जाते हैं। वैसे तो त्वचा प्राकृतिक रूप से ही अपनी मृत त्वचा निकाल लेती है, पर जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, यह प्रक्रिया धीमी पड़ने लगती है और आपको मदद की आवश्यकता होती है।अलका भंडारी

मोइस्चराइस (Moisturize)
त्वचा को सुकून प्रदान करने के लिए मोइस्चराइसर की आवश्यकता होती है, जिससे कि त्वचा के ज़रूरी तेलों की कमी पूरी की जा सके। पुरुषों की त्वचा शेविंग (shaving) करने के बाद काफी कठोर हो जाती है। इसके लिए एक ऐसा मोइस्चराइसर चुनें, जिसमें SPF की मात्रा हो, ताकि त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से सुरक्षा प्राप्त हो सके। इन किरणों से समय से पहले उम्र का बढ़ना, महीन रेखाएं, झुर्रियां और त्वचा के कैंसर (cancer) जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

आँखें (Eyes)
हमारे आँखों के आसपास की त्वचा में पसीने और तेल की ग्रंथियां नहीं होती, और इसलिए यह भाग अपनी पानी की कमी को झुर्रियों और महीन रेखाओं के रूप में दिखाता है। आँखों के पास मौजूद हमारी भावनाओं की रेखाएं झुर्रियों में काफी आसानी से बदल सकती हैं। आँखों के पास की त्वचा को नमी देने, नर्म करने तथा इसकी सुरक्षा करने के लिए एक हाइड्रेटिंग आई क्रीम (hydrating eye cream) का प्रयोग करें।

होंठ (lips)
हमारे आँखों के आसपास की त्वचा की तरह ही होंठों पर भी पसीने और तेल की ग्रंथियां नहीं होती। ये उम्र के साथ काफी तेज़ गति से बढ़ते हैं और अपना कोलेजन (collagen) खोने लगते हैं। ये बेजान दिखने लगते हैं और इनके आसपास महीन रेखाएं और झुर्रियां भी नज़र आने लगती हैं। इन्हें अतिरिक्त सुरक्षा की ज़रुरत होती है, जो SPF से युक्त लिप बाम (lip balm) का प्रयोग करके दिया जा सकता है।

त्वचा की देखभाल के लिए घरेलू मास्क्स :-

ओटमील और प्याज की प्यूरी का फेस मास्क :-

टमाटर की प्यूरी, बचे हुए ओट्स तथा मिनरल वाटर (mineral water) से निर्मित मास्क आपकी त्वचा को काफी बेहतरीन रूप से पोषण प्रदान करता है। ओटमील बंद रोम्छिरों को खोलने में आपकी मदद करता है तथा प्याज में मौजूद जलनरोधी गुण एक्ने (acne) के दागों को दूर करने में सहायक सिद्ध होते हैं। यह तैलीय त्वचा के लिए एक बेहतरीन मास्क है।

नींबू और दही का गोरा करने वाला मास्क नींबू के ब्लीचिंग (bleaching) गुणों की मदद से एक्ने के दाग धब्बों को धुंधला करने में कारगर साबित होता है।
सेब के सिरका और एस्पिरिन टोनर (Apple cider and aspirin toner) एस्पिरिन के दो टेबलेट्स (tablets) पीस लें और इसे सेब के सिरके और पानी के साथ मिश्रित करके एक टोनर बनाएं। इससे त्वचा नर्म और मुलायम होती है।
दही का स्क्रब भी एक प्राकृतिक नुस्खा साबित होता है। इसके निर्माण के लिए खमीर, दही, बादाम और शहद का प्रयोग किया जाता है। इन सारे पदार्थों को जब मिश्रित करके त्वचा पर लगाया जाता है, तो इससे रक्त के संचार में काफी सुधार होता है। शहद के त्वचा की मरम्मत करने वाले गुण एक्ने और त्वचा की अन्य समस्याओं से आपको निजात दिलाते हैं।
मिट्टी और अंडे का मिश्रण त्वचा को पर्यावरण के कठोर कारकों, सूरज, धूप और प्रदूषण से बचाता है। अंडे के सफ़ेद भाग और मकई के आटे को सफ़ेद मिट्टी और कैमोमाइल तेल (chamomile oil) के साथ मिश्रित करके एक पेस्ट बनाएं। यह त्वचा की अन्दर से सफाई करने तथा चेहरे को कसने का काफी बेहतरीन माध्यम है।

‘दिमाग’ से जुड़े 35 ग़ज़ब रोचक तथ्य

1. अगर 5 से 10 मिनट तक दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो जाए तो यह हमेशा के लिए Damage हो सकता हैं.

2. दिमाग पूरे शरीर का केवल 2% होता हैं लेकिन यह पूरी बाॅडी का 20% खून और ऑक्सीजन अकेला इस्तेमाल कर लेता हैं.

3. हमारा दिमाग़ 40 साल की उम्र तक बढ़ता रहता हैं.

4. हमारे दिमाग के 60% हिस्से में चर्बी होती हैं इसलिए यह शरीर का सबसे अधिक चर्बी वाला अंग हैं.

5. सर्जरी से हमारा आधा दिमाग़ हटाया जा सकता हैं और इससे हमारी यादों पर भी कुछ असर नही पडेगा.

6. जो बच्चे पाँच साल का होने से पहले दो भाषाएँ सीखते है उनके दिमाग की संरचना थोड़ी सी बदल जाती हैं.

7. दिमाग की 10% प्रयोग करने वाली बात भी सच नही हैं बल्कि दिमाग के सभी हिस्सों का अलग-अलग काम होता हैं.

8. दिमाग़ के बारे में सबसे पहला उल्लेख 6000 साल पहले सुमेर से मिलता हैं.

9. 90 मिनट तक पसीने में तर रहने से आप हमेशा के लिये एक मनोरोगी बन सकते हो.

10. बचपन के कुछ साल हमें याद नही रहते क्योकिं उस समय तक “HIPPOCAMPUS” डेवलप नही होता, यह किसी चीज को याद रखने के लिए जरूरी हैं.

11. छोटे बच्चे इसलिए ज्यादा सोते हैं क्योंकि उनका दिमाग़ उनके शरीर द्वारा बनाया गया 50% ग्लूकोज इस्तेमाल करता हैं.

12. 2 साल की उम्र में किसी भी उम्र से ज्यादा Brain cells होती हैं.

13. अगर आपने पिछली रात शराब पीयी थी और अब आपको कुछ याद नही हैं तो इसका मतलब ये नही हैं कि आप ये सब भूल गए हो बल्कि ज्यादा शराब पीने के बाद आदमी को कुछ नया याद ही नही होता.

14. एक दिन में हमारे दिमाग़ में 70,000 विचार आते हैं और इनमें से 70% विचार Negative (उल्टे) होते हैं.

15. हमारे आधे जीन्स दिमाग़ की बनावट के बारे में बताते हैं और बाकी बचे आधे जीन्स पूरे शरीर के बारे में बताते हैं.

16. हमारे दिमाग की memory unlimited होती हैं यह कंप्यूटर की तरह कभी नही कहेगा कि memory full हो गई.

17. अगर शरीर के आकार को ध्यान में रखा जाए तो मनुष्य का दिमाग़ सभी प्रणीयों से बड़ा हैं। हाथी के दिमाग का आकार उसके शरीर के मुकाबले सिर्फ 0.15% होता हैं बल्कि मनुष्य का 2%.

18. एक जिन्दा दिमाग बहुत नर्म होता है और इसे चाकू से आसानी से काटा जा सकता हैं.

19. जब हमे कोई इगनोर या रिजेक्ट करता हैं तो हमारे दिमाग को बिल्कुल वैसा ही महसूस होता हैं जैसा चोट लगने पर.

20. Right brain/Left brain जैसा कुछ नही हैं ये सिर्फ एक मिथ हैं. पूरा दिमाग़ इकट्ठा काम करता हैं.

21. चाॅकलेट की खूशबू से दिमाग़ में ऐसी तरंगे उत्पन्न होती हैं जिनसे मनुष्य आराम (Relax) महसूस करता हैं.

22. जिस घर में ज्यादा लड़ाई होती हैं उस घर के बच्चों के दिमाग पर बिल्कुल वैसा ही असर पड़ता हैं जैसा युद्ध का सैनिकों पर.

23. टी.वी. देखने की प्रक्रिया में दिमाग़ बहुत कम इस्तेमाल होता है और इसलिए इससे बच्चों का दिमाग़ जल्दी विकसित नहीं होता. बच्चों का दिमाग़ कहानियां पढ़ने से और सुनने से ज्यादा विकसित होता है क्योंकि किताबों को पढ़ने से बच्चे ज्यादा कल्पना करते हैं.

24. हर बार जब हम कुछ नया सीखते है तो दिमाग में नई झुर्रियां विकसित होती हैं और यह झुरिया ही IQ का सही पैमाना हैं.

25. अगर आप खुद को मना ले कि हमने अच्छी नींद ली हैं तो हमारा मस्तिष्क भी इस बात को मान जाता हैं.

26. हमारे पलक झपकने का समय 1 सैकेंड के 16वें हिस्से से कम होता है पर दिमाग़ किसी भी वस्तु का चित्र सैकेंड के 16वें हिस्से तक बनाए रखता हैं.

27. हेलमेट पहनने के बाद भी दिमाग को चोट लगने की संभावना 80% होती हैं.

28. मनुष्य के दिमाग़ में दर्द की कोई भी नस नही होती इसलिए वह कोई दर्द नही महसूस नही करता.

29. एक ही बात को काफी देर तक tension लेकर सोचने से हमारा दिमाग कुछ समय के लिए सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता को खो देता हैं.

31. दिमाग तेज करने के लिए सिर में मेहंदी लगाए और दही खाए. क्योकिं दही में अमीनो ऐसिड होता हैं जिससे टेंशन दूर होती हैं और दिमाग़ की क्षमता बढ़ती हैं.

32. अगर आप अपने स्मार्टफ़ोन पर लम्बे समय तक काम करते हैं तब आपके दिमाग़ में ट्यूमर होने का खतरा बड़ जाता हैं.

33. अगर दिमाग़ से “Amygdala” नाम का हिस्सा निकाल दिया जाए तो इंसान का किसी भी चीज से हमेशा के लिए डर खत्म हो जाएगा.

34. Brain (दिमाग) और Mind (मन) दो अलग-अलग चीजे हैं वैज्ञानिक आज तक पता नही लगा पाए कि मन शरीर के किस हिस्से में हैं.

35. हमारे दिमाग़ में एक “मिडब्रेन डोपामाइन सिस्टम” (एमडीएस) होता है, जो घटने वाली घटनाओं के बारे में मस्तिष्क को संकेत भेजता हैं हो सकता की हम इसे ही अंतर्ज्ञान अथवा भविष्य के पूर्वानुमान कहते हैं. जिस व्यक्ति के दिमाग में यह सिस्टम जितना ज्यादा विकसित होता है वह उतनी ही सटीक भविष्यवाणी कर सकता हैं.

Q. दिमाग तेज करने का सबसे आसान उपाय ?
Ans. दीमाग तेज करने का सबसे आसान उपाय हैं, जमकर पानी पाएँ। 1 गिलास पानी पीने से दिमाग 14% तेजी से काम करता हैं. जब तक प्यास शांत नही होती तब तक मनुष्य के दिमाग को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती हैं.

Sunday, 11 December 2016

हमारे हाथ की पांचो उंगलिया

हमारे हाथ की पांचो उंगलिया शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती है |इसका मतलब आप को दर्द नाशक दवाइयां खाने की बजाए इस आसान और प्रभावशाली  तरीके का इस्तेमाल करना करना चाहिए | आज इस लेख के माध्यम  से हम आपको बतायेगे के शरीर के किसी हिस्से का दर्द सिर्फ हाथ की उंगली को रगड़ने से कैसे दूर होता है |

हमारे हाथ की अलग अलग उंगलिया अलग अलग बिमारिओ और भावनाओं से जुडी होती है | शयद आप को पता न हो , हमारे हाथ की उंगलिया चिंता , डर और चिड़चिड़ापन दूर करने की क्षमता रखती है | उंगलियों पर धीरे से दबाव डालने से शरीर के कई अंगो पर प्रभाव पड़ेगा |



1. अंगूठा- The Thumb – हाथ का अंगूठा हमारे फेफड़ो से जुड़ा होता है | अगर आप की दिल की धड़कन तेज है तो हलके हाथो से अंगूठे पर मसाज करे और हल्का सा खिचे | इससे आप को आराम मिलेगा |

2. तर्जनी -The Index Finger – ये उंगली आंतों  gastro intestinal tract से जुडी होती है | अगर आप के पेट में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा रगड़े , दर्द गयब हो जाये गा |

3. बीच की उंगली -The Middle Finger- ये उंगली परिसंचरण तंत्र तथा circulation system से जुडी होती है | अगर आप को चक्कर या  आपका जी घबरा रहा है तो इस उंगली पर मालिश करने से तुरंत रहत मिले गी |

4. तीसरी उंगली – The Ring Finger- ये उंगली आपकी मनोदशा से जुडी होती है | अगर किसी कर्ण आपका मनोदशा अच्छा नहीं है या शांति चाहते हो तो इस उंगली को हल्का सा मसाज करे और खिचे ,आपको जल्द ही इस के अच्छे नतीजे प्राप्त हो जयेगे , आप का मूड खिल उठे गा

5. छोटी उंगली – The Little Finger- छोटी उंगली का किडनी और सिर के साथ सम्बन्ध होता है | अगर आप को सिर में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा दबाये और मसाज करे , आप का सिर दर्द गयब हो जाये गा | इसे मसाज करने से किडनी भी तंदरुस्त रहती  है

बाल झडना और सफेद बालाे के लिए

शुद्ध नारीयल तेल 100 ग्राम लेकर उस मे वटवृक्ष (बरगद) के पेड की जडे जाे लटकती रहती है वह 50 ग्राम लेकर तेल मे तब तक पकाए जब तक जडे काली न पड जाए। उस के बाद इस तेल काे काच के बाेतल मे भर के रखे और रात काे साेते समय बालाे काे लगाकर रखे और सुबह इसे धाे डाले इस से बाल सफेद नही हाेगे और बालाे का झडना रुक जाएगा।

हाथ पैर मे माेच आना
अगर गिर जाने से या झटका पड जाने से हाथ शरीर मे दर्द हाेने लगता है। मांस पेशीया अकड जाती हाे ताे अलसी का तेल गरम कर के जहा माेच अायी हाे वहा लगाकर छाेड दे आराम मिलेगा।

सफेद दाग
हरी हल्दी, त्रिफला, अनार छाल, जायफल, सफेद कनेर की जड और धाय के फुल इन सबकाे आवश्यकता नुसार समान मात्रा मे लेकर इस मे आवले का रस मिला दे और 7-8 दिनाे तक इसे खरल (Fry) करते रहे। उस के बाद शुद्ध देसी गाय का घी मिलाकर मलम (क्रीम) बना लिजीए और सफेद दागाे पे लेप किया करे दाग चले जाएगे।
नाेट खटाई, बैंगन, तले भुने मसालेयुक्त पदार्थ, मांस, अंडाे का सेवन न करे। नमक खाना बंद रखे।

जल जाने पर
अगर काेई व्यक्ती आग से जल जाए ताे तुरंत ग्लिसरीन लगाने से जलन कम हाेगी, फफाेले भी नही आएगे लाल दाग भी निकल जाएगा।

जख्म हाेने पर
अगर किसी कारन जख्म हुवा हाे ताे फिटकरी काे एकदम बारीक पिस लेना है और घी मिलाकर जख्म पे लगा दे ताे खुन भी नही बहेगा और फाेडा भी नही हाेगा।

बालों का झाड़ना दूर करने के लिए ( Stop Falling Hair ) :
स्टेप 1 : इसके लिए आप 1 कटोरी खट्टी दही, 4 चम्मच त्रिफल का चूर्ण, 4 चम्मच मुल्तानी मिटटी का पाउडर और आधे निम्बू का रस लेकर उसे अच्छी तरह मिला लें.

स्टेप 2 : आप इस मिश्रण को रात भर के लिए छोड़ दें और सुबह उठने पर आप इसे अपने बालों की जड़ पर लगायें.

स्टेप 3 : जब इसे 1 घंटा हो जाएँ और ये सुख जाएँ तो आप इसे ठन्डे पानी से साफ़ कर लें या फिर नहा लें. इससे आपके बाल झाड़ना तो बंद होते ही है साथ ही बाल स्वस्थ और सुन्दर भी हो जाते है. आप इस उपाय को हफ्ते में कम से कम एक बार जरुर अपनायें

बालों की रुसी दूर करने के लिए ( Remove Dandruff ) :
अगर आपके बालों में रुसी है तो आप उसे दूर करने के लिए भी दही का इस्तेमाल कर सकते हो क्योकि इसमें कुछ ऐसे एंटी फंगल तत्व होते है जो बालों को रुसी दूर कर इन्हें मुलायम, काले और लंबे बनाते है.

इसका इस्तेमाल करने के लिए आप कुछ मात्रा में काली मिर्च लें और उन्हें पीसकर उसका पाउडर बना लें. अब आप इस पाउडर को 1 कटोरी दही में अच्छी तरह मिला लें और अपने सिर पर लगायें. इस उपाय को हफ्ते में 2 बार जरुर करें. जल्द ही नतीजा आपके सामने होगा

बालों का कंडिशनर ( Use as a Natural Conditioner ) :
हम सभी अपने बालों को मुलायम बनाने के लिए तरह तरह के उत्पादों का इस्तेमाल करते है और इनमे सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है हेयर कंडीशनर किन्तु ये सब केमिकल से बनते है जो बालों को हानि पहुंचा सकते है किन्तु दही को आप अपने बालों के लिए एक प्राकृतिक कंडीशनर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हो. क्योकि ये प्राकृतिक है तो इससे आपके बालों को किसी तरह की हानि भी नही पहुँचती.

इसका इस्तेमाल करने के लिए आप दही में थोड़ी सी मेहँदी, थोडा सा सिरका और चाय की पत्ती का पानी मिलायें और इसे अपने बालों पर लगायें.

बालों की शुष्कता दूर करने के लिए ( For Shiny and Healthy Hair ) :
जिस प्रकार हमारी त्वचा सुख जाती है उसी प्रकार हमारे बाल भी रूखे और बेजान होकर शुष्क हो जाते है, जिससे हमारे चेहरे का निखार खो जाता है. ऐसा अकसर तब होता है जब हम बालों में अत्यधिक रंगों और शम्पू का इस्तेमाल करते है. किन्तु बालों की इस कमी को दूर करने के लिए भी हम दही का इस्तेमाल कर सकते है.

विटामिन बी 12

जिंदगी के लिये अत्यंत आवश्यक है विटामिन बी 12

दोस्तों,

इन दिनों एक बीमारी जो विटामिन 12 बी के कारण तकरीबन खतरे की तरह फैलती जा रही है, एक जानकारी अनुसार भारत के वयस्क लोगो मै 80 प्रतिशत इस विटामिन की कमी से पीडीत है ।ये कितना घातक हो सकता है ,आज स्वास्थ्य ही जीवन ग्रुप मे आपको समझाया जा रहा है ।


 क्या होता है विटामिन बी की कमी से
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क्या आप ऐसे मौसम में भी पंखा धीमा करने को कहते हैं, जब बाकी को गर्मी लग रही हो, क्योंकि आपका शरीर ठंड महसूस होने की चुगली करता है?  या फिर आप हाथ-पैरों में झनझनाहट और जलन अथवा ठंडे पड़ने, जोड़ों में दर्द बढ़ने, कुछ भी याद रखने में परेशानी, दिल की धड़कनें तेज होने और सांस के चढ़ने, त्वचा पीली पड़ने,  मुंह तथा जीभ में दर्द,  भूख कम लगने,  कमजोरी महसूस होने,  धुंधलेपन, वजन घटने,  बारंबार डायरिया या कब्‍ज, चलने में कठिनाई,  अनावश्यक थकान, डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं?  संभल जाएं..ये लक्षण आपके शरीर में विटामिन बी12 की कमी के प्रति आगाह कर रहे हैं जिन्हें समय पर नहीं समझने का अर्थ होगा जीवन को खतरे में डालते हुए नित नई बीमारियों को न्योता।

     क्यों जरूरी है विटामिन बी 12
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शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में विभिन विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट्स और फाइबर इत्यादि की आवश्यकता होती हैं। शरीर के लिए ज्यादातर आवश्यक तत्वों का पोषण आहार पदार्थो से हो जाता हैं। एक विटामिन ऐसा है जो शरीर के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है परन्तु आहार तत्वों में वह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध न होने से ज्यादातर भारतीय लोगो में इस विटामिन की कमी पायी जाती हैं। इस विटामिन का नाम हैं - Vitamin B12

Vitamin B12 को Cobalamin भी कहा जाता हैं। यह एकलौता ऐसा विटामिन है जिसमे Cobalt धातु पाया जाता हैं। यह शरीर के स्वास्थ्य और संतुलित कार्य प्रणाली के लिए बेहद आवश्यक विटामिन हैं।

शरीर मै क्या करता है विटामिन बी12
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Vitamin B12 शरीर में लाल रक्त कोशिकाओ (Red Blood cells) के निर्माण हेतु जरुरी होता हैं।

Vitamin B12 की कमी के कारण शरीर में रक्त की कमी (Anaemia) हो सकती हैं।

Vitamin B12 शरीर में तंत्रिका प्रणाली (Nervous System) को स्वस्थ बनाये रखता हैं। इसकी कमी के कारण मस्तिष्क आघात (Brain Damage) भी हो सकता हैं।

Vitamin B12 की कमी के कारण शरीर में Folic acid का अवशोषण नहीं हो पाता हैं।

Vitamin B12 की वजह से ह्रदय रोग का खतरा कम रहता हैं।

Vitamin B12 की वजह से कर्करोग और Alzheimer's जैसे रोगों का खतरा कम रहता हैं।

Vitamin B12 शरीर में उर्जा का संचार करता है और बुढापे को दूर रखता हैं।

Vitamin B12 शरीर की रोग प्रतिकार शक्ति बढाता है और साथ ही तनाव से निपटने में मदद भी करता हैं। Vitamin B12 को इसीलिए " Anti-Stress Vitamin " भी कहा जाता हैं।

इन कारणों से शरीर मै कमी आती है
       विटामिन 12 बी की
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विटामिन बी12 की कमी कई कारणों से हो सकती है, जिससे शरीर की उच्च कार्यक्षमता वाली लाल रक्त कणिकाओं के बनाने की क्षमता प्रभावित होती है। इनमें से कुछ स्थितियाँ हैं:

परनिसियस एनीमिया (स्व-प्रतिरक्षक विकार)।

पेट अथवा आँतों की समस्या जैसे कि क्रोन डिजीज, सेलियक डिजीज।

वे ड्रग जो विटामिन B12 के अवशोषण में अवरोध करते हैं जैसे कि मेटफोर्मिन।

वे शुद्ध शाकाहारी व्यक्ति जो पशु अथवा डेरी उत्पाद बिलकुल नहीं लेते।

अत्यधिक मदिरापान।

पेट अथवा छोटी आंत की शल्यक्रिया।

शुद्ध शाकाहारी माताओं से उत्पन्न शिशुओं में भी विटामिन बी12 की कमी हो सकती है।

     तो आज आप समझ ही चुके होंगे की स्वास्थ्य है तो जिंदगी है ,और जिंदगी है तो सब कुछ । लापरवाह मत बने । कल आपको विटामिन बी12 के बारे मै कुछ उपाय और कुछ आसान खान पान की वस्तुओं जिससे हम विटामिन बी12 की कमी को पूरा कर सके बतायेगें ।

Saturday, 10 December 2016

एक्जिमा रोग.......

. शरीर के किसी भी भाग में एक गोल आकार के दाने के रूप में पैदा हो जाता है। एक्जिमा में हर समय खुजली होती रहती है जो 2 तरह की होती है- सूखी और तर।

कारण :
          एक्जिमा शरीर में खून की खराबी के कारण होता है। एक्जिमा होने पर अगर तुरन्त ही इसकी चिकित्सा न कराई जाए तो ये बहुत तेजी से पूरे शरीर में फैलता है। कुछ लोगों में एक्जिमा सफाई नहीं रखने और भोजन में लापरवाही बरतने की वजह से कई सालों तक बना रहता है। एक्जिमा से संक्रमित व्यक्ति के जख्म को छूने से दूसरे लोग भी एक्जिमा के शिकार हो जाते हैं। हाजमे की खराबी की वजह से कब्ज (गैस) बन जाने के कारण भी एक्जिमा हो जाता है। औरतों में मासिकधर्म से सम्बंधित रोगों के कारण भी एक्जिमा हो जाता है।

लक्षण :
          एक्जिमा रोग की शुरुआत में रोगी को तेज खुजली होती है। बार-बार खुजली करने पर उसके शरीर में छोटी-छोटी फुंसियां निकल आती हैं। इन फुंसियों में बहुत तेज जलन और खुजली होती है। फुंसियों के पक जाने पर उसमें से मवाद बहता रहता है। फुंसियों के जब जख्म बन जाते हैं तो उसमें से पूरी तरह मवाद बहने लगता है।

परहेज :
एक्जिमा रोग में रोगी को खून साफ करने वाली औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।
एक्जिमा रोग में रोजाना नीम के साबुन से या पानी में थोड़ा डिटोल डालकर नहाना चाहिए।
एक्जिमा रोग में रोगी को भोजन में खट्टी-मीठी चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
विभिन्न औषधियों से उपचार-

1. कटहल : कटहल के पत्तों पर घी लगाकर एक्जिमा पर बांधने से आराम आता है।

2. अजवायन : अजवायन को पानी के साथ पीसकर लेप करने से एक्जिमा कुछ दिनों में ही समाप्त हो जाता है।

3. मकोय : मकोय के रस में अंकोल के बीजों को पीसकर लगाने से एक्जिमा के निशान समाप्त हो जाते हैं।

4. जीरा : 1 ग्राम भुने हुए जीरे को 10 ग्राम मिश्री के साथ पीसकर और नींबू के रस के साथ मिलाकर रोजाना सुबह और शाम पीने से एक्जिमा रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।

5. आम : एक्जिमा को थोड़ा सा खुजलाकर उस पर आम के डंठल से निकले रस को लगाने से एक्जिमा रोग समाप्त हो जाता है।

6. नारियल : नारियल के तेल और कपूर को अच्छी तरह मिलाकर एक्जिमा वाले स्थान पर लगाने से एक्जिमा का रोग दूर हो जाता है।

7. तिल : 1 लीटर तिल के तेल में 250 ग्राम कनेर की जड़ को जलाकर छान लें। इस तेल में जड़ को डालकर काफी देर तक उबालने से जड़ जल जाती है। इस तेल को रोजाना साफ रूई से एक्जिमा पर सुबह और शाम लगाने से एक्जिमा कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाता है।

8. सत्यानाशी : सत्यानाशी के पौधे के ताजे रस में पानी मिलाकर भाप द्वारा उसका अर्क (रस) तैयार करें। यह 25 मिलीलीटर अर्क (रस) सुबह और शाम पीने से एक्जिमा और त्वचा की दूसरी बीमारियां कुछ ही समय में समाप्त हो जाती हैं।

9. वासा : वासा के कोमल पत्तों को हल्दी में मिलाकर गौमूत्र (गाय का पेशाब) के साथ पीसकर लेप करने से एक्जिमा रोग दूर हो जाता है।

10. नीम :

नीम के गुलाबी पत्ते लेकर तेल में काफी देर तक पकाएं। इस तेल को एक्जिमा पर लगाने से बहुत आराम आता है।
नीम के कोमल पत्तों का रस निकालकर उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पीने से खून साफ होकर खून की खराबी से होने वाले सारे रोग दाद, खुजली, फुंसियां आदि नष्ट हो जाते हैं।
नीम के पत्तों को पानी में उबालकर एक्जिमा को साफ करें। फिर उस जगह पर नींबू का रस और तुलसी के पत्तों को पीसकर लेप करने से एक्जिमा रोग ठीक हो जाता है।

11. आक : 10 ग्राम आक (मदार) के दूध को 50 मिलीलीटर सरसों के तेल में पकाकर एक्जिमा पर लगाने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

12. प्याज : प्याज के बीजों को पीसकर लेप करने से 8 से 10 सप्ताह में एक्जिमा समाप्त हो जाता है।

13. त्रिफला :

त्रिफला, नीम की छाल और परवल के पत्तों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। इस काढ़े से एक्जिमा के दाद को साफ करने से यह रोग जल्दी खत्म हो जाता है।
त्रिफला, कुटकी, बच, दारूहल्दी, मजीठ, गिलोय और नींबू की छाल को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को रोजाना 3-4 बार पीने से एक्जिमा कुछ दिनों में ही समाप्त हो जाता है।

14. चंदन : चंदन बला लक्षादि तेल को सूखी खुजली या एक्जिमा में खुजलाकर रोजाना 3 से 4 बार लगाने से लाभ होता है।

15. राई : राई को सिरके के साथ पीसकर लेप करने से एक्जिमा रोग में आराम आता है।

16. कूठ : कूठ के चूर्ण को मक्खन के साथ अच्छी तरह मिलाकर हल्के-हल्के मालिश करने से कुछ सप्ताह में ही एक्जिमा रोग सही हो जाता है।

17. कालीमिर्च : ज्योतिष्मती (मालकांगनी) के पत्तों को कालीमिर्च के साथ पीसकर लेप करने से एक्जिमा रोग समाप्त हो जाता है।

18. पालक : पालक की जड़ को नींबू के रस में पीसकर लगाने से एक्जिमा रोग ठीक हो जाता है।

19. तुलसी : तुलसी के पत्तों के रस में घी को मिलाकर किसी कांसे के बर्तन में अच्छी तरह घोटकर लेप करने से एक्जिमा से छुटकारा मिलता है।

20. कुटकी :

कुटकी और चिरायता को हल्का सा गर्म करके इससे एक्जिमा ग्रस्त भाग को साफ करने से लाभ होता है।
5-5 ग्राम कुटकी और चिरायता को किसी कांच के बर्तन में भरकर रख दें। फिर उसमे रात के समय 100 मिलीलीटर पानी को डाल दें। सुबह उठने पर इस पानी को छानकर पीने से एक्जिमा कुछ ही समय में समाप्त हो जाता है। बाकी बचे चिरायता और कुटकी को रात को सोने से पहले पानी में डालकर रख दें। सुबह उठने पर उसे छानकर पीने से खून साफ हो जाता है।

21. गंधक : शुद्ध गंधक और मिश्री को मिलाकर रख लें। इस मिश्रण में से 3 से 6 ग्राम की मात्रा में रोजाना 2 बार सुबह और शाम सेवन करने से हर तरह की खाज-खुजली या एक्जिमा रोग समाप्त हो जाता है।

22. हरड़ : हरड़ को गौमूत्र (गाय के पेशाब में) में पीसकर लेप बनाकर रोजाना 2-3 बार एक्जिमा पर लगाने से लाभ होता है।........

कैंसर नाशक, मूर्च्छानाशक एक प्रयोग , बेहोशी नाशक योग


यह पोस्ट पढ़ने योग है,कभी भी काम आ सकती है , Save कर लें । यह कोई कापी पेस्ट नही ।

नुस्खा :-
रससिन्दूर ,
स्वर्णमाकसिक ,
 स्वर्ण भस्म ,
शुद्ध शिलाजीत ,
लोह भस्म -
प्रत्येक ११-११ ग्राम लेकर सबको एकत्र मिला करके शतावरी और विदारीकन्द के स्वरस या क्वाथ में १-१ बार दृढ़ मर्दन करें, गोली बनाने योग्य होने पर १-१ रत्ती की गोली बना कर सुखाकर रख लें ।

मात्रा और अनुपान -
१-१ गोली दिन में दो बार सुबह - शाम दूध के साथ लें ।

गुण और उपयोग -
 इस रसायन का प्रयोग करने से समस्त प्रकार के मूर्च्छा रोग नष्ट होते है , यह रसायन विशेष प्रभाव दिखाता है ज्ञानवाहिनी नाडियो पर,बहुत ही शीघ्र रक्ताणुयों की वृद्धि करता है  , पाण्डु , कामला , ( आज की भाषा में बल्ड कैंसर कहे जाने वाले रोग में अतिअंत प्रभावी योग) आदि में लाभकारी है , उत्तम बाजीकरण और रसायन है , बल , वीर्य तथा ओज की वृद्धि करता है।

.दाद का घरेलू उपचार : ********


01) शरीर की त्वचा पर कहीं भी चकत्ते हो तो उस पर नींबू के टुकड़े काटकर फिटकरी भरकर रगड़ने से चकत्ते हल्के पड़ जाते हैं और त्वचा निखर उठती है।

02) नींबू के टुकड़े को काटकर दाद पर मलने से दाद की खुजली कम हो जाती है और थोड़े ही दिनों में दाद बिल्कुल मिट जाता है। इसको शुरूआत में दाद पर लगाने से कुछ जलन सी महसूस होती है।

03) टमाटर खट्टा होता है। इसकी खटाई खून को साफ करती है। नींबू में इसी तरह के गुण होते हैं। रक्तशोधन (खून साफ करना) के लिए टमाटर को अकेले ही खाना चाहिए। रक्तदोष (खून की खराबी) से त्वचा पर जब लाल चकत्ते उठे हों, मुंह की हडि्डयां सूज गई हो, दांतों से खून निकल रहा हो, दाद या बेरी-बेरी रोग हो तो टमाटर का रस दिन में 3-4 बार पीने से लाभ होता है। कुछ सप्ताह तक रोजाना टमाटर का रस पीने से चर्मरोग (त्वचा के रोग) ठीक हो जाते हैं।

04) अंजीर का दूध लगाने से दाद मिट जाते हैं।

05) पके केले के गूदे में नींबू का रस मिलाकर लगाने से दाद, खाज, खुजली और छाजन आदि रोगों में लाभ होता है।

06) दाद, खाज और खुजली में मूंगफली का असली तेल लगाने से आराम आता है।
07) सुपारी को पानी के साथ घिसकर लेप करने से उकवत, और चकत्ते आदि रोग दूर हो जाते हैं।

08) 1 कप गाजर का रस रोजाना पीने से त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं। त्वचा के किसी भी तरह के रोगों में मूली के पत्तों का रस लगाने से लाभ होता है।.

गर्म दूध के साथ गुड

गर्म दूध के साथ गुड खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि इन दोनों को मिलाकर पीने से सेहत के लिए किसी वरदान से कम नही है। यह गंभीर से गंभीर बीमारियों को सही कर देता है।

हम सभी जानते हैं कि दूध पीने से सेहत में कितना निखार आता है लेकिन गर्म दूध पीने से हमें क्‍या लाभ पहुंचता है, ये बहुत कम लोगों को पता है और इस गर्म दूध के साथ अगर गुड खाया जाए तो इससे वजन कंट्रोल करने के साथ-साथ आपको त्वचा में निखार भी मिलता है। यह किसी औषधि से कम नही है। आज हम आपको बताएंगे कि गर्म-गर्म दूध के साथ गुड को अपने आहार में रोजाना शामिल करने से सेहत को कौन से फायदे मिलते हैं।

दूध में अधिक मात्रा में विटामिन ए, विटामिन बी और डी के अलावा कैल्शियम, प्रोटीन और लैक्ट‍िक एसिड पाया जाता है। वहीं दूसरी ओर गुड में अधिक मात्रा में सुक्रोज, ग्लूकोज, खनिज तरल और पानी कुछ मात्रा में पाई जाती है। इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और ताम्र तत्व भी अच्छी मात्रा में मिलते हैं। जानिए इन दोनों चीजों का सेवन करने से क्या फायदे है।

◎ शरीर में अशुद्ध खून को करें साफ

गुड में ऐसे गुड पाए जाते हैं जो आपके शरीर में मौजूद अशुद्धियों को साफ कर देता है। इसलिए रोजाना गर्म दूध और गुड का सेवन करने से आपके शरीर से ऐसी अशुद्धियां निकल जाती है। जिससे आपको कोई बीमारी नहीं होगी।

गर्म दूध के साथ गुड खाने के फायदे जान दंग रह जाएगे आप

◎ मोटापा को करें कंट्रोल

माना जाता है कि अगर आप दूध के साथ चीनी का इस्तेमाल करते है तो इसकी जगह आप गुड का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से आपका वजन कंट्रोल में रहेगा। जिससे आप मोटापा का शिकार नहीं होगे।

◎ पेट संबंधी समस्या को रखें ठीक

अगर आपको पाचन संबधी कोई भी समस्या है तो गर्म-गर्म दूध और गुड का सेवन करने से आपको पेट संबंधी हर समस्या से निजात मिल जाता है।

◎ जोड़ो के दर्द को करें दूर

गुड़ खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। अगर रोजाना गुड़ का एक छोटा पीस अदरक के साथ मिला कर खाया जाए तो जोड़ों में मजबूती आएगी और दर्द दूर होगा।

◎ आपकी खूबसूरती को बढाएं

गर्म दूध और गुड का सेवन करने से आपकी त्वचा मुलायम होने के साथ-साथ त्वचा संबंधी समस्या नही होगी। साथ ही इसका सेवन करने से आपके बाल भी हेल्दी रहेगे।

◎ पीरियड्स में दर्द को करें ठीक

कहा जाता है कि अगर आपको कही दर्द हो तो गर्म दूध पीने से तुरंत आराम मिल जाता है और महिलाओं को पीरियड के समय का दर्द हो रहा हो तो गर्म दूध के साथ गुड का सेवन करने से आपको इससे निजात मिल सकता है। या फिर पीरियड शुरु होने के 1 हफ्ते पहले 1 चम्‍मच गुड़ का सेवन रोजाना करें। इससे आपको दर्द से निजात मिल जाएगा।

◎ थकान को करें छूमंतर

अगर आप अधिक थक गए है तो थोड़ी देर में गर्म दूध और गुड का सेवन करें। इससे आपको तुंरत आराम मिलेगा। इसके अलावा रोजाना 3 चम्‍मच गुड़ लें। इससे आपको कभी थकान नहीं होगी।

पेट की चर्वी को कम करने व् हटाने के सूत्र✡ .


घरेलू उपचार - 1

सुबह खाली पेट एक ग्लास गर्म पानी में आधा नींबू निचोड़कर पिएं। इसमें शहद मिलाकर पीने से फायदा अधिक मिलेगा।
इससे मेटाबॉलिजम तेज होता है और फैट्स जल्दी बर्न होते हैं।

घरेलू उपचार - 2

अदरक को दो टुकड़ों में काट लें और एक कप पानी में उबालें।
10 मिनट तक पकाने के बाद अदरक के टुकड़े हटा लें और इसे चाय की तरह पिएं।

घरेलू उपचार - 3

लहसुन में मोटापा कम करने वाले तत्व हैं। एक कप पानी में नींबू निचोड़ें। अब लहसुन के तीन जवों इस पानी के साथ लें।
रोज सुबह खाली पेट इनका सेवन फायदेमंद है।

घरेलू उपचार - 4

बादाम में मौजूद ओमेगौ 3 फैटी एसिड चर्बी कम करने में मददगार है। रोज रात में 6-8 बादाम भिगोएं और अगले दिन सुबह इन्हें छीलकर खाएं।

घरेलू उपचार - 5

भोजन करने के आधे घंटे पहले एक या दो चम्मच एप्पल साइडर वेनेगर को एक गिलास पानी में मिलाकर पिएं।
इससे कैलोरी अधिक बर्न होती हैं।

घरेलू उपचार - 6

पुदीने के पत्ते और धनिया पत्ता को साथ में पीस लें।
इसमें नमक और नींबू मिलाकर चटनी तैयार करें और रोज भोजन के साथ इसे लें। पुदीने के सेवन से मेटाबॉलिक रेट बढ़ती है, जिससे फैट्स जल्दी बर्न होते हैं।

घरेलू उपचार - 7

एलोवेरा का सेवन मेटाबॉलिज्म ठीक रखता है और फैट्स स्टोर नहीं होने देता ।  दो चम्मच  एलोवेरा  के जूस में एक चम्मच  जीरा पाउडर  मिलाएं और इसे आधे ग्लास गुनगुने पानी में मिलाएं। खाली पेट इसका सेवन करें और 60 मिनट बाद  ही कुछ खाएं ।  इस उपायों  के साथ - साथ रुटीन  में कसरत को जगह देना न भूलें।

हिचकी रोकने के सर्वोच्च घरेलू उपाय🌺


हिचकियाँ आने से व्यक्ति काफी परेशानी महसूस करता है। इसी वजह से आप कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं, जो आपको हिचकियों से बचा सकते हैं। हिचकियाँ किसी भी मौके पर आ सकती हैं। कई बार ये इतनी गंभीर हो जाती हैं कि आपको बातें करने और ध्यान लगाने में भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से आपको ऐसी विधियों का ज्ञान होना चाहिए, जिससे आप इन हिचकियों पर काबू पा सकें और इस समस्या से छुटकारा प्राप्त कर सकें।

हिचकी आने के कारण, हिचकियाँ असल में डायाफ्राम के द्वारा निरंतर उत्पन्न किये गए म्योक्लोनिक झटके हैं जिसके कई कारण हो सकते है जैसे जल्दी-जल्दी खाना, डायाफ्राम में असहजता, व्याकुलता इत्यादि| हिचकी रोकने के कई उपाय हैं हिचकी क्यों आती है, जिनमें से कुछ घरेलू उपाय यहाँ बताये जा रहे हैं|

हिचकियाँ दूर करने के प्रभावी उपाय (The trusted home remedies for hiccups)

हथेली को अंगूठे से दबाना (Pressing the palm with the thumb can stop hiccups)


जब आपको हिचकियाँ आ रही हों तो अपनी दाईं हथेली को बाएं हाथ के अंगूठे से दबाएँ और यही प्रक्रिया दूसरे हाथ से भी करें। आप अपने बाएं अंगूठे की गोलाई को भी दबा सकते हैं। इसके लिए अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच इस गोलाई को दबाएँ। इससे आपकी नसों पर प्रभाव पड़ेगा और इससे होने वाले दर्द से आपका ध्यान बंट जाएगा एवं हिचकियाँ बंद हो जाएंगी। आप ये सारी प्रक्रिया मेज़ के नीचे भी संपन्न कर सकते हैं, जिससे आपको कोई देख ना पाए।

लंबी सांसें लें (Take a deep breath to control hiccups)

जब भी आपको हिचकियाँ आएं तो लंबी सांसें लें। अपनी सांसों को कुछ देर तक रोककर रखें। जब भी आप ऐसा करते हैं तो आपके फेफड़े कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) से भर जाते हैं और इस प्रक्रिया के फलस्वरूप आपके डायाफ्राम (diaphragm) को काफी आराम मिलता है। एक बार जब ये आराम मिलने लगता है तो काफी अच्छा लगता है और आपकी हिचकियाँ भी बंद हो जाती हैं।

लोगों की नज़रों से दूर हो जाएँ (Just move out of sight to control hiccups)

अगर आप हिचकियों को रोकना चाहते हैं तो कहीं छिप जाएँ। इस समय अपनी उँगलियों के द्वारा अपने कान अच्छी तरह से बंद कर लें। आप अपने कान के पीछे के हिस्से, जो कि खोपड़ी के ठीक नीचे स्थित होते हैं, को दबा भी सकते हैं। इससे आपको कुछ देर के लिए शांति मिलेगी जिसका सीधा असर आपके डायाफ्राम पर पड़ेगा। कुछ समय के बाद आपको आराम का अनुभव होगा और आपकी हिचकियाँ ठीक हो जाएंगी।

जीभ बाहर निकालकर रखें (Stick out your tongue to cure hiccups)

अगर आपको हिचकियाँ आ रही हैं और आप इन्हें जल्दी से जल्दी रोकना चाहते हैं तो आपके लिए यही सही होगा कि एक बार लोगों की नज़रों से दूर जाकर आप अपनी जीभ कुछ देर बाहर निकालकर रखें। ऐसा करते समय आप काफी अजीब और असभ्य दिखेंगे। ऐसा कई अभिनेताओं और गायकों द्वारा किया जाता है क्योंकि इससे गले के बीच के भाग को आराम मिलता है और यह अच्छे से खुल जाता है। इससे आप आसानी से सांस ले पाते हैं और इसी प्रक्रिया के फलस्वरूप आपकी हिचकियाँ आनी बिलकुल बंद हो जाती हैं। यह  एक ऐसा व्यायाम है जिसकी मदद से आपकी हिचकियाँ पूरी तरह ख़त्म हो जाती हैं।

सिरके से हिचकियाँ रोकें (Cider vinegar can cure hiccups)



सिरके का सेवन करने से भी हिचकियों में काफी रूकावट आती है। सिरके का स्वाद निश्चित रूप से अच्छा नहीं होता है, पर आपकी हिचकियों को कम से कम समय में ठीक करने में यह काफी कारगर सिद्ध होता है। आप डिल (dill) के अचार को चूसकर भी अपनी हिचकियाँ दूर कर सकते हैं।

हिचकियाँ दूर करने के अन्य नुस्खे (The best things to do in order to avoid hiccups)

जब भी आपको हिचकियाँ आएं तो ठन्डे पानी का सेवन कर लें। इससे आपके शरीर की प्रणाली को झटका लगेगा और हिचकियाँ भी रूक जाएंगी। झटका लगने से ध्यान भटक जाता है और इसी वजह से आपको समय पर पानी पी लेना चाहिए। इसके लिए एक गिलास में ठंडा पानी लें और इसमें शहद का मिश्रण करें। इसका सेवन करने से आपकी हिचकियाँ जल्द से जल्द पूरी तरह रूक जाएंगी। हिचकियों को दूर करने के लिए आप ठन्डे पानी से गरारा भी कर सकते हैं। इससे आपकी हिचकी हमेशा के लिए चली जाएगी। आप एक छोटे बर्फ का टुकड़ा लेकर इसे चूस भी सकते हैं। इस प्रक्रिया की मदद से भी आपकी हिचकियाँ ठीक हो जाएंगी। अगर आप हिचकियों की समस्या को जल्दी से ठीक करना चाहते हैं, तो उल्टा होकर पानी पीने से भी आपको काफी लाभ होगा।

हिचकी आने पर क्या करें – शक्कर (Sugar)

हिचकी आने पर थोड़ी शक्कर खा लीजिये| इसे मक्खन के साथ भी खाया जा सकता है| शक्कर डायाफ्राम की असहजता को दूर करके हिचकी बंद कर देती है|

हिचकी रोकने के उपाय – पानी (Water)

पानी पीने से डायाफ्राम अपने निश्चित स्थान पर पहुँच जाता है और हिचकियाँ रुक जाती हैं|

हिचकी का इलाज – श्वसन (Breathing)

कुछ समय के लिए श्वास रोक लीजिये जिससे मस्तिष्क तक ऑक्सीजन नहीं पहुँचेगी और डायाफ्राम निष्क्रिय हो जायेगा| यह बहुत पुराना तरीका है पर कारगर है|


हिचकी की दवा – खटाई (Sour)

खट्टी चीज़ें जैसे नीबू, सिरका इत्यादि हिचकियाँ रोक देती हैं| ये श्वसन को रोक देती हैं जिससे डायाफ्राम निष्क्रिय हो जाता है और हिचकियाँ रुक जाती हैं|

हिचकी का घरेलू उपचार (hichki rokne ke gharelu upay) – चौंकाना (Startling)

किसी व्यक्ति को अचानक से डराने या चौंकाने से उसका ध्यान भंग हो सकता है जिससे श्वसन में अवरोध होगा और हिचकियाँ ख़त्म हो जाएँगी |