कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने पर
कोलेस्ट्रोल की मात्रा को बढ़ाने वाले पशुजनित खाद्य पदार्थ (पशुओं के मांस तथा दूध से बनने वाले खाद्य पदार्थ) को नहीं खाना चाहिए।
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भोजन में नारियल तथा पाम के तेल का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कोलेस्ट्रोल की मात्रा को बढ़ाते हैं।
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रेशेदार
खाद्य पदार्थों जैसे- चोकर समेत आटे की रोटी, छिलके समेत दालें, टमाटर,
गाजर, अमरूद, हरी पत्तेदार सब्जियां, पत्तागोभी आदि का अधिक सेवन करने से
विटामिन `बी´ प्रधान भोजन एल डी एल कम हो जाता है जिसके फलस्वरूप
कोलेस्ट्रोल की मात्रा खून में सामान्य हो जाती है।
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प्रतिदिन कम से कम 50 ग्राम जई का चोकर सेवन करने से भी कोलेस्ट्रोल की मात्रा सामान्य हो जाती है।
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अजवायन (इंद्रयाण)में हानिकारक कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम करती है इसलिए भोजन में प्रतिदिन अजवायन का उपयोग करना चाहिए।
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लेशीथीन
चिकनाई वाले भोजन का सेवन करने से रक्त की नलिकाओं में कोलेस्ट्रोल नहीं
जमता है तथा यह कोलेस्ट्रोल से बाईल के निर्माण को बढ़ाता है जिससे रक्त
में कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है।
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जिन व्यक्तियों के खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा हो उन्हें प्रतिदिन पानी अधिक पीना चाहिए।
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खून
में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को सामान्य करने के लिए हरे नारियल का पानी
पीना काफी उत्तम होता है। इसलिए रोगी व्यक्ति को हरे नारियल का पानी
प्रतिदिन पीना चाहिए।
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धनिये को पानी में उबालकर, उस पानी को छानकर पीने से भी ज्यादा कोलेस्ट्रोल पेशाब द्वारा बाहर निकल जाता है।
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रात
को सोते समय काले चनों को पानी में भिगों दें। सुबह के समय में उठकर उसके
पानी को पी लें तथा चनों को खा जाएं जिसके फलस्वरूप खून में कोलेस्ट्रोल की
मात्रा सामान्य हो जाती है।
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जिस
व्यक्ति के खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक हो उसके पेट पर मिट्टी की
पट्टी का लेप करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है तथा इसके साथ ही व्यक्ति को
कटिस्नान करना चाहिए। वैसे भाप स्नान करना भी लाभदायक होता है लेकिन उच्च
रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) वालों के लिए यह ठीक नहीं होता है।
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व्यक्ति
को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए तथा कोलेस्ट्रोल की मात्रा को
सामान्य बनाने के लिए योगासन भी करना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक
चिकित्सा से उपचार करने से कोलेस्ट्रोल की मात्रा सामान्य हो जाती है।
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