Saturday, 3 June 2017

दीर्घायु का वरदान

'''''''''''''''''''''दीर्घायु का वरदान''''''''''''''''''''''
यह एक प्रकार का धूप है जो वातावरण को जीवाणुओं से मुक्त करता है और हमें शुद्ध वातावरण प्रदान करता है////
सामग्री:
२००ग्राम लाल चन्दन
२००ग्राम जटामांसी
२००ग्राम नागरमोथा और
६००ग्राम सूखा गाय का गोबर
तैयार करने का विधी:
सबको बारीक पीसकर पाउडर बना लें और उसे साफ डिब्बे में रख लें |
प्रयोग:
गोबर के कण्डों की आग अथवा कोयलें की आग पर डालकर धूनी देने से कीटाणु और मच्छरों का नाश हो जाता है |
लाभ:
इस वातावरण में श्वास लेने से स्वास्थ्यकर प्राणवायु मिलती है,,,, शुद्ध वातावरण में श्वास लेंने से दीर्घायु प्राप्त होती है और मानसिक शान्ति मिलती है | रात्रि में पलंग के पास धूप देकर सोने से गहरी नींद आती है |
.............यदि धूप देने में झंझट और असुविधा प्रतीत हो तो इस पाउडर में १०० ग्राम कीकर के गोंद को ५०० ग्राम मिली लिटर पानी में मिलाकर सारे चूर्ण को इस गोंद मिले पानी से गूँथकर बतियॉ बना लें |
अथवा
२०० ग्राम चावल को पीसकर और पानी में मिलाकर सभी वस्तुओं को गूँधकर बत्ती बना लें,,,, ये बत्तियाँ भी धूनी के समान गुणकारी होंगी |

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