Sunday, 3 July 2016

आवाज या गला बैठने के उपचार के लिए 11 आयुर्वेदिक नुस्खे


अगर आप भी अपनी आवाज़ को मधुर और सुरीली बनाना चाहतें हैं तो ज़रूर आजमायें ये दादी माँ के घरेलू नुस्खे

🌷अदरक का रस १० ग्राम ,निम्बू का रस १० मिली और एक ग्राम सेंधा नमक मिलाकर दिन में तीन बार आहिस्ता -आहिस्ता पीने से आवाज ठीक होती है|

🌷मुलेठी , आंवला, मिश्री प्रत्येक २ ग्राम का काढा ५० मिली बनाकर पीने से गला बैठने में लाभ होता है|

🌷आवाज सुरीली बनाने के लिए १० ग्राम बहेड़ा की छाल को गोमूत्र में भावित कर चूसने से आवाज कोयल जैसी सुरीली हो जाती है| किसी चूर्ण को किसी द्रव पदार्थ में मिलाकर सूख जाए तब तक घोटना-इसे भावित करना कहते हैं|

🌷जामुन की गुठलियाँ को पीसकर शहद में मिलाकर गोलियां बनालें| एक गोली दिन में चार बार चूसें| गले की आवाज बैठने में हितकारी उपाय है| खांसी में भी लाभकारी है| भाषण देने व़ालों और गायकों के लिए यह नुस्खा अमृत तुल्य है| आवाज का भारीपन भी ठीक हो जाता है|

🌷सोते समय एक ग्राम मुलहठी की छोटी सी गांठ मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर मुंह में रखकर सो जाए। सुबह तक गला साफ हो जायेगा। मुलहठी चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर लिया जाय तो और भी अच्छा रहेगा। इससे सुबह गला खुलने के साथ-साथ गले का दर्द और सूजन भी दूर होती है।

🌷जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या जुकाम में एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है, वह सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पांच मुनक्का के दानों को खूब चबाकर खा लें, लेकिन ऊपर से पानी ना पिएं। दस दिनों तक लगातार ऐसा करने से लाभ होगा।

🌷कच्चा सुहागा आधा ग्राम मुंह में रखें और उसका रस चुसते रहें। दो तीन घण्टों मे ही गला बिलकुल साफ हो जाएगा।

🌷रात को सोते समय सात काली मिर्च और उतने ही बताशे चबाकर सो जायें। बताशे न मिलें तो काली मिर्च व मिश्री मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसते रहने से बैठा गला खुल जाता है।

🌷1 कप पानी में 4-5 कालीमिर्च एवं तुलसी की थोंडी सी पत्तियों को उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को पी जाए|

🌷गुनगुने पानी में नमक मिला कर दिन में दो-तीन बार गरारे करें। गरारे करने के तुरन्त बाद कुछ ठंडा न लें। गर्म चाय या गुनगुना पानी पिएं जिससे गले को आराम मिलेगा।

🌷गले में खराश होने पर सुबह-सुबह सौंफ चबाने से बंद गला खुल जाता है।

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