परिचय :
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति में कई प्रकार की औषधियों को बनाने के लिए घी का उपयोग किया जाता है। घी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बहुत अधिक लाभकारी होता है।
रंग : घी सफेद और पीले रंग का होता है।
स्वाद : घी का स्वाद फीका और स्वादिष्ट होता है।
स्वरूप : दूध को जमाने के बाद मथकर फिर इसे आग पर पकाकर घी निकाला जाता है।
प्रकृति: घी की प्रकृति गर्म होती है।
हानिकारक : घी का अधिक मात्रा में उपयोग करने से पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है तथा भूख भी खत्म हो सकती है।
दोषों को दूर करने वाला : नमक और शहद घी के दोषों को दूर करता है।
तुलना : घी की तुलना ताजा दूध से की जा सकती है।
मात्रा : घी की 50 ग्राम की मात्रा में सेवन कर सकते हैं।
गुण : घी तबियत को नर्म करता है। शरीर को स्वस्थ बनाता है। घी आवाज को साफ करता है। कलेजे की खरखराहट दूर करता है। घी गले की खुश्की को मिटाता है। सूखी खांसी को ठीक करने में यह लाभकारी होता है। यह मन को प्रसन्न करता है। दिमाग को बलवान बनाता है। यह वीर्य की वृद्धि करने वाला होता है। घी को बालकों के मसूढ़े पर मलने से उनके दांत आसानी से निकल आते हैं। यह विष (जहर) के दुष्प्रभाव को खत्म करने वाला होता है।
घी के विभिन्न उपयोग :
1. अल्सर: हल्दी और मुलेठी का बारीक चूर्ण मिलाकर फिर इसे पानी में उबाल लें और ठण्डा करके रोग ग्रस्त स्थान पर लगाने से अल्सर ठीक होता है।
2. भूख न लगना: हींग और जीरे को घी में भूनकर भोजन करने के साथ सेवन करने से भूख ना लगने में लाभ मिलता है।
3. अतिझुधा भस्मक (अधिक भूख का लगना): घी में शहद मिलाकर मिश्रण बना लें, इस मिश्रण के सेवन से अतिझुधा भस्मक रोग ठीक हो जाता है। नोट- घी और शहद समान मात्रा में न हो।
4. स्मरण शक्ति बढ़ाना:
सिर पर शुद्ध गाय के घी की मालिश करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा सिर के रोग भी दूर हो जाते हैं।
बच्चों के लिए रोजाना घी का प्रयोग करने से बच्चों
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति में कई प्रकार की औषधियों को बनाने के लिए घी का उपयोग किया जाता है। घी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बहुत अधिक लाभकारी होता है।
रंग : घी सफेद और पीले रंग का होता है।
स्वाद : घी का स्वाद फीका और स्वादिष्ट होता है।
स्वरूप : दूध को जमाने के बाद मथकर फिर इसे आग पर पकाकर घी निकाला जाता है।
प्रकृति: घी की प्रकृति गर्म होती है।
हानिकारक : घी का अधिक मात्रा में उपयोग करने से पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है तथा भूख भी खत्म हो सकती है।
दोषों को दूर करने वाला : नमक और शहद घी के दोषों को दूर करता है।
तुलना : घी की तुलना ताजा दूध से की जा सकती है।
मात्रा : घी की 50 ग्राम की मात्रा में सेवन कर सकते हैं।
गुण : घी तबियत को नर्म करता है। शरीर को स्वस्थ बनाता है। घी आवाज को साफ करता है। कलेजे की खरखराहट दूर करता है। घी गले की खुश्की को मिटाता है। सूखी खांसी को ठीक करने में यह लाभकारी होता है। यह मन को प्रसन्न करता है। दिमाग को बलवान बनाता है। यह वीर्य की वृद्धि करने वाला होता है। घी को बालकों के मसूढ़े पर मलने से उनके दांत आसानी से निकल आते हैं। यह विष (जहर) के दुष्प्रभाव को खत्म करने वाला होता है।
घी के विभिन्न उपयोग :
1. अल्सर: हल्दी और मुलेठी का बारीक चूर्ण मिलाकर फिर इसे पानी में उबाल लें और ठण्डा करके रोग ग्रस्त स्थान पर लगाने से अल्सर ठीक होता है।
2. भूख न लगना: हींग और जीरे को घी में भूनकर भोजन करने के साथ सेवन करने से भूख ना लगने में लाभ मिलता है।
3. अतिझुधा भस्मक (अधिक भूख का लगना): घी में शहद मिलाकर मिश्रण बना लें, इस मिश्रण के सेवन से अतिझुधा भस्मक रोग ठीक हो जाता है। नोट- घी और शहद समान मात्रा में न हो।
4. स्मरण शक्ति बढ़ाना:
सिर पर शुद्ध गाय के घी की मालिश करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा सिर के रोग भी दूर हो जाते हैं।
बच्चों के लिए रोजाना घी का प्रयोग करने से बच्चों
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